
رضوی
आबिद होना आसान है जब्कि अब्द होना मुश्किल हैः डॉ कमाल हुसैनी
कोपागंज मऊ में एक भव्य वार्षिक समारोह "ताजदार-ए-वफा" का आयोजन हुआ। इस समारोह का नाम "आल इंडिया तारीखी बज्म-ए-मकासिदा" था। यह समारोह हज़रत अबुल फजल अल-अब्बास की विलादत के अवसर पर मनाया गया था।
हज़रत अबुल फजल अल-अब्बास की एक बड़ी विशेषता यह है कि उन्हें इमाम की जुबान से "अब्द सालेह" का खिताब मिला था। अब्द सालेह की महानता यह है कि अब्द होना मुश्किल है, जबकि आबिद होना आसान है। हम कलमा मे शहादतैन में कहते हैं: "अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दहु व रसूलहु", जिसका अर्थ है कि मुहम्मद अल्लाह के अब्द और रसूल हैं। यहां रिसालत पर अब्दियत को प्राथमिकता दी गई है। शैतान ने अपनी मेहनत और रियाजत से "अब्द" तो नहीं बन सका, लेकिन "अब्द" बनने की कोशिश की। अब्द का अर्थ है कि तुम्हारा खुदा तुमसे क्या चाहता है, यह देखना चाहिए, न कि तुम्हारा दिल तुमसे क्या चाहता है।
हज़रत अबुल फजल अल-अब्बास ने अल्लाह, रसूल और इमाम की इतनी अच्छी तरह से आज्ञा मानी कि इमाम जैनुल आबेदीन ने उन्हें "अब्द सालेह" कहकर सलाम किया। यह बातें हुज्जतुल इस्लाम डॉ. सैयद कमाल हुसैनी ने अपने भाषण में कहीं। वे जमिया अल-मुस्तफा हिंद के प्रतिनिधि हैं और ईरान कल्चर हाउस दिल्ली से जुड़े हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया में एक ही समय में सूरज और चंद्रमा एक साथ नहीं चमकते। लेकिन कर्बला के आसमान पर एक ही समय में सूरज और चंद्रमा दोनों चमक रहे थे। इमाम हुसैन आफताब-ए-इमामत थे, जबकि हज़रत अबुल फजल अल-अब्बास "क़मर बानी हाशिम" थे।
हुज्जतुल इस्लाम डॉ. सैयद कमाल हुसैनी ने फारसी में भाषण दिया, जिसका अनुवाद हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अतहर जाफरी कश्मीरी ने किया। उन्होंने कहा कि हज़रत अबुल फजल अल-अब्बास को जो उच्च पद मिला, उसमें उनकी माता अम्मुल बनीन, पिता अली इब्न अबी तालिब और रसूल और इमाम के परिवार की शिक्षा और परवरिश का बड़ा योगदान है।
शिया उलेमा काउंसिल ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अबुल कासिम रिजवी ने अपने भाषण में कहा कि हज़रत अली को सभी लोग प्यार करते हैं। काबा ने 13 रजब को जिस तरह से हज़रत अली को चाहा, वह एक अनोखी ऐतिहासिक सच्चाई है। उसी तरह हज़रत अली ने जिसे चाहा, वह हज़रत अबुल फजल अल-अब्बास हैं।
उन्होंने कहा कि जब निष्ठा, ईमानदारी और सच्चाई की बात होती है, तो मुहम्मद की शख्सियत समझ में आती है। जब ज्ञान और बहादुरी की बात होती है, तो अली की शख्सियत याद आती है। जब पवित्रता की बात होती है, तो फातिमा की शख्सियत याद आती है। जब धैर्य की बात होती है, तो हसन की शख्सियत याद आती है। जब शहादत की बात होती है, तो हुसैन की शख्सियत याद आती है। और जब वफादारी की बात होती है, तो हज़रत अबुल फजल अल-अब्बास की शख्सियत याद आती है।
इस कार्यक्रम का आरंभ हुज्जतुल इस्लाम मौलाना कारी नाजिम अली नजफी ने कुरआन की तिलावत से किया। शायरों ने "फज़ीलतों के हर आसमान पर वफा का सूरज जगा करेगा" के नाम से अपनी शायरी पेश की। हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद सफदर हुसैन ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सरकर मुहम्मद ने सभी का धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम में कई उलेमा, शायर और मोमिनों ने भाग लिया।
तौबा और मग़फ़िरत का दरवाज़ा
अपने गुनाहों से तौबा करो और अल्लाह से मग़फिरत और माफी की उम्मीद रखें ।
وَمَنْ يَعْمَلْ سُوءًا أَوْ يَظْلِمْ نَفْسَهُ ثُمَّ يَسْتَغْفِرِ اللَّهَ يَجِدِ اللَّهَ غَفُورًا رَحِيمًا.
النساء110.
और जो भी किसी के साथ बुराई करेगा या अपने नफ़्स पर ज़ुल्म करेगा उसके बाद इस्तग़फ़ार करेगा तो ख़ुदा को ग़फ़ूर और रहीम पाएगा।
इस आयत में अल्लाह ने इंसानों को यह संदेश दिया है कि वह अपने गुनाहों से तौबा करें और अल्लाह से मग़फिरत की उम्मीद रखें।
इसमें इंसानों को इस्तग़फार की तरफ रग़बत दिलाई गई है ताकि वह अल्लाह के क़रीब आएं। हक़ के रास्ते से भटकने वालों के लिए रहमत का दरवाजा खुला है। गुनाह करने और अपने नफ्स पर ज़ुल्म करने वालों के लिए हर वक्त इस्तग़फ़ार का वसीला मौजूद है। इस आयत में दो गुनाहों का जिक्र है । बुराई और ज़ुल्म । दोनों के बीच बहुत फर्क है । क़ुरआन की तफ़्सीर करने वालुकुछ लोगों का कहना है कि बुराई वह गुनाह है जो किसी और शख्स के साथ अंजाम दिया गया हो और ज़ुल्म अपने नफ्स पर भी हो सकता है । कुछ मुफस्सिरीन का कहना है कि बुराई गुनाहे कबीरा है और अपने नफ्स पर ज़ुल्म छोटा गुनाह, जबकि कुछ उलमा का कहना इसके एकदम उलट है, यानी ज़ुल्म बड़ा गुनाह है चाहे वह अपने नफ्स पर ही हो ।
आयत के अहम संदेश
1.इस्तग़फ़ार की अहमियत : गुनाह के बाद अल्लाह से तौबा और इस्तग़फ़ार इंसान के दिल को सुकून देता है और उसके गुनाहों की माफी का कारण भी बनता है।
- अल्लाह की रहमत और मग़फिरत में कोई कमी नहीं । इंसान चाहे जितना बड़ा गुनाह कर ले अल्लाह की तरफ वापसी के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं।
- इंसान ख़ताकार है: इंसान ग़लतियां करने वाला है, लेकिन अल्लाह ने तौबा का दरवाज़ा खुला रखा है ताकि वह अपनी गलतियों से सीख लेकर वापस अल्लाह की बारगाह में पलट सके।
मौलाना सैयद नईम अब्बास आबदी का निधन
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद नईम अब्बास आबदी के निधन पर सैयद रज़ी हैदर फंदीड़वी ने दु:ख व्यक्त करते हुए परिवार के प्रति संवेदना व्यक्ति की है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद नईम अब्बास आबदी के निधन पर सय्यद रज़ी हैदर फंदीड़वी ने दु:ख व्यक्त करते हुए परिवार के प्रति संवेदना व्यक्ति की है।
शोक संदेश इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन।
बहुत दुख के साथ यह खबर प्राप्त हुई कि मौलाना सय्यद नईम अब्बास आबदी नोगांववी साहब इस संसार को अलविदा कह गए यह घटना ज्ञान और धर्म से जुड़े वर्गों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। मरहूम एक प्रख्यात आलिम-ए-दीन, मिल्लत के निष्ठावान सेवक और धर्म के मुबल्लिग़ थे, जिनकी बौद्धिक और धार्मिक सेवाओं को हमेशा याद किया जाएगा।
मैं इस दुखद घड़ी में आपके पूरे परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं मैं बारगाहे रब्बूबियत में मरहूम की मग़फिरत और बुलंदी-ए-दराजात के लिए दुआ करता हूं और अल्लाह ताला से दुआ करते हैं की अल्लाह ताला मरहूम की मग़फिरत फरमाए घर वालों को सब्र आता करें मरहूम के दरजात को बुलंद करें।
वास्सलाम
सैयद रज़ी हैदर फंदीड़वी
सय्यद अली की तलवार और सय्यद हसन का खून निश्चित रूप से विजय प्राप्त करेगा
हज़रत मासूमे (स) की पवित्र दरगाह के उपदेशक ने कहा: प्रतिरोध के शहीद, सय्यद हसन नसरूल्लाह, विलायत फ़क़ीह के शहीद और इमाम खुमैनी (र) के मार्ग के शहीद थे। यदि इस्लामी दुनिया भर के विद्वान और मौलवी सय्यद हसन नसरल्लाह जैसे हो जाएं तो चीजें बदल जाएंगी।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद हाशिम अल हैदरी ने सय्यद हसन नसरूल्लाह और सय्यद हाशिम सफीउद्दीन की याद में हजरत मासूमे (स) की पवित्र दरगाह में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा: सय्यद हसन नसरूल्लाह एक बहादुर, वफादार, ईमानदार और ईश्वर के मार्ग में एक योद्धा थे, जो इमाम खुमैनी (र) और विलायत-ए-फकीह के स्कूल के छात्र थे।
उन्होंने कहा: आज हमें जिहाद-ए-तबीन के माध्यम से सय्यद हसन के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए और विश्वास रखना चाहिए कि सय्यद अली की तलवार और सय्यद हसन का खून निश्चित रूप से अमेरिका और इज़रायल की तलवारों पर विजय प्राप्त करेगा।
हुज्जतुल इस्लाम सय्यद हाशिम अल-हैदरी ने कहा: सय्यद हसन नसरूल्लाह वर्षों तक पूरे साहस, विश्वास, ईमानदारी और अंतर्दृष्टि के साथ इज़रायल के खिलाफ खड़े रहे और 32 वर्षों तक लेबनान में हिजबुल्लाह के महासचिव और मुसलमानों के वली ए फ़क़ीह के सैनिक बने रहे। शहीद सय्यद हसन के दिल में डर या निराशा के लिए कोई जगह नहीं थी; वह व्यवस्थित जिहाद और स्पष्टीकरण के जिहाद दोनों में साहस से भरे थे।
"अहलेबैत इराक" संगठन के महासचिव ने कहा: शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह का दिल आशा से भरा था। आज हमें भी आशा, साहस और बिना किसी भय या निराशा के साथ आगे बढ़ना होगा। उनका कार्य ईश्वर पर भरोसा रखना और क़ुरआन की इस आयत पर विश्वास करना था: "यदि तुम अल्लाह की सहायता करोगे, तो वह तुम्हारी सहायता करेगा
शहीद नसरूल्लाह का अंतिम संस्कार उत्पीड़न के विरुद्ध मुस्लिम एकता का प्रतीक
पूर्व संसद सदस्य ने कहा: शहीद सय्यद नसरूल्लाह का अंतिम संस्कार उत्पीड़न के खिलाफ मुसलमानों की एकता का प्रतीक था।
ईरान के इस्फ़हान शहर में शहीद सय्यद नसरूल्लाह के अंतिम संस्कार समारोह में भाषण के दौरान, हुज्जतुल इस्लाम अहमद सालिक काशानी ने कहा: अल्लाह ने दुश्मनों की अंतहीन साजिशों के सामने अपनी शक्ति दिखाई है। शहीद सय्यद नसरल्लाह का यह भव्य अंतिम संस्कार एक जनमत संग्रह और मुसलमानों की शक्ति का प्रकटीकरण था, जिसने दुश्मनों को लेबनान की ताकत और मुसलमानों की एकता का संदेश दिया।
उन्होंने इस आयोजन में 79 देशों के 500 से अधिक समूहों और 400 प्रमुख हस्तियों की भागीदारी को इस्लाम और क़ुरआन के लिए एक बड़ा सम्मान बताया और कहा: क़ुरआन की शिक्षाओं और धार्मिक हस्तियों के प्रति समर्थन एक व्यक्ति को सर्वोच्च आध्यात्मिक पुरस्कार की ओर ले जाता है।
ईरानी संसद के पूर्व सदस्य ने कहा: इस महान व्यक्ति और शहीद का अंतिम संस्कार मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक था। प्रतिरोध के शहीद पूरे मुस्लिम उम्माह के लिए एक उदाहरण हैं, जिन्होंने इज़रायल को अपमानित किया है।
हुज्जतुल इस्लाम सालिक ने कहा: क्रांति के सर्वोच्च नेता का अनुसरण करना इस्लामी दुनिया में आशा और अंतर्दृष्टि का रहस्य है। मुस्लिम उम्माह के भीतर एकता और एकजुटता सभी समस्याओं का सबसे अच्छा समाधान हो सकती है और इस्लामी दुनिया के लिए मुक्ति का साधन बन सकती है।
मशहूर आलिमे दीन मौलाना नईम अब्बास का निधन, चाहने वालों में शोक की लहर
हिंदुस्तान के मशहूर आलिमे दीन आफ़ताबे खिताबत मौलाना नईम अब्बास आबिदी के निधन से दुनिया भर में उनके चाहने वालों में शोक की लहर फ़ैल गयी है। पूरी ज़िन्दगी दीन और समाज की सेवा करने वाले मौलाना नईम अब्बास आबिदी ने सैंकड़ों बल्कि हज़ारो छात्रों को शिक्षा और नैतिकता की सीख दी जो आज हिंदुस्तान के अलग अलग हिस्सों समेत यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के देशों में दीन और समाज सेवा में लगे हुए हैं। आप के सैंकड़ों छात्र ईरान और इराक में उच्च दीनी शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
अल मुंतज़र शिक्षा केंद्र की स्थापना और उसे नयी उंचाईयों पर पहुँचाने वाले मौलाना नईम अब्बास आबिदी को आफ़ताबे खिताबत के लक़ब से याद किया जाता था। आप पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और आज आपने दुनिया को अलविदा कह दिया।
ज्ञानवापी वजूखाने की सुनवाई 15 अप्रैल तक टली
ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने के सर्वेक्षण के आदेश को चुनौती देने वाली निगरानी याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में 15 अप्रैल को सुनवाई होगी सुप्रीम कोर्ट में 24 फरवरी को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 पर सुनवाई नहीं हो सकी इसलिए हाई कोर्ट में सुनवाई की तारीख 15 अप्रैल तय की गई है।
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे की मांग को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई अधीनस्थ अदालत के आदेश की वैधता की चुनौती में दाखिल निगरानी याचिका की अगली सुनवाई अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में 15 अप्रैल को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर सुनवाई नहीं हो सकी थी। अगली सुनवाई के लिए अप्रैल के प्रथम सप्ताह का समय निर्धारित किया गया है इसे ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट में सुनवाई की तिथि 15 अप्रैल निर्धारित की गई है। याचिका की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ कर रही है।
याची राखी सिंह के अधिवक्ता सौरभ तिवारी के अनुसार, कोर्ट में सोमवार को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मामले में अप्रैल के प्रथम सप्ताह में सुनवाई करेगा।
याची अधिवक्ता का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 12 दिसंबर 2024 को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधता को लेकर हुई सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश से अदालतों को सर्वेक्षण संबंधी निर्देश सहित कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश देने से रोक दिया था।
राखी सिंह की सिविल पुनरीक्षण याचिका के साथ समान राहत की मांग करने वाली ज्ञानवापी से संबंधित एक और याचिका 1991 के स्वयंभू लार्ड आदि विशेश्वर की एक साथ सुनवाई हो रही है। हाई कोर्ट ने गत 18 दिसंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख 17 फरवरी ध्यान में रखते हुए अपने यहां 24 फरवरी की तारीख तय की थी।
ज़ायोनी प्रधानमंत्री के बयान के बाद सीरिया में कई जगह विरोध प्रदर्शन की योजना
ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कल दीक्षांत समारोह में इज़रायली सैनिकों के बीच कहा,इज़रायली बल अनिश्चित काल तक जूलान की पहाड़ियों और बफर ज़ोन में मौजूद रहेंगे, उन्होंने आगे कहा,हम हयात तहरीर अलशाम और नई सीरियाई सेना के बलों को दक्षिणी दमिश्क के क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देंगे।
ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कल दीक्षांत समारोह में इज़रायली सैनिकों के बीच कहा,इज़रायली बल अनिश्चित काल तक जूलान की पहाड़ियों और बफर ज़ोन में मौजूद रहेंगे,
उन्होंने आगे कहा,हम हयात तहरीर अलशाम और नई सीरियाई सेना के बलों को दक्षिणी दमिश्क के क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देंगे हम कुनैतिरा दारा और सुवैदा प्रांतों में नए शासन की सेनाओं के मुकाबले दक्षिणी सीरिया को पूरी तरह से व्यवस्थित करना चाहते हैं।
इसके अलावा, नेतन्याहू ने धमकी भरे लहज़े में कहा,हम दक्षिणी सीरिया में द्रूज़ समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह के खतरे को सहन नहीं करेंगे।
अलयौम के अनुसार, नेतन्याहू के इन हस्तक्षेपकारी बयानों पर जनता की तीखी प्रतिक्रिया आई दारा और सुवैदा प्रांतों के कई कार्यकर्ताओं और निवासियों ने इस बयान के खिलाफ प्रदर्शन करने की मांग की है।
इसी कारण, मंगलवार सुबह 11 बजे दारा के चौक और सुवैदा के अलकरामा चौक पर नेतन्याहू के बयानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाने की योजना बनाई गई है।
ग़ज़्ज़ा में लगभग 2 साल के अंतराल के बाद नया स्कूल वर्ष शुरू हुआ
ग़ज़्ज़ा के सरकारी मीडिया कार्यालय ने कहा कि अक्टूबर 2023 से ज़ायोनी युद्ध में 12,800 से अधिक छात्रों के साथ-साथ 800 शिक्षक और प्रशासनिक कर्मचारी मारे गए हैं।
ग़ज़्ज़ा पट्टी में इज़रायल के लगभग 16 महीने लंबे "विनाश युद्ध" के रुकने के बाद घेरे हुए फिलिस्तीनी क्षेत्र में नया स्कूल वर्ष शुरू हो गया है। गाजा के शिक्षा एवं उच्च शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि शिक्षा पुनः शुरू होगी और छात्र कक्षाओं में भाग लेंगे। शैक्षिक सत्र उन विद्यालयों में आयोजित किए जाएंगे जिन्हें ध्वस्त नहीं किया गया है तथा जिनका नवीनीकरण किया गया है। कई क्षेत्रों में शिक्षा वैकल्पिक स्कूलों या अन्य स्थानों पर प्रदान की जाएगी। जो छात्र स्कूल नहीं जा सकते, उन्हें ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने के प्रयास चल रहे हैं, ताकि वे कक्षा में भी प्रत्यक्ष शिक्षा प्राप्त कर सकें।
मंत्रालय ने इजरायली हमलों के कारण हुए "बड़े पैमाने पर विनाश और संसाधनों और क्षमताओं की भारी कमी" के बावजूद गाजा के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। मंत्रालय ने मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे गाजा में शैक्षिक प्रक्रिया के लिए आवश्यक सामग्री तक पहुंच की अनुमति देने के लिए इजरायल पर दबाव डालें।
फिलिस्तीनी आंकड़ों के अनुसार, गाजा में 85 प्रतिशत स्कूल इजरायली बमबारी से नष्ट हो गए हैं। गाजा राज्य मीडिया कार्यालय ने कहा कि अक्टूबर 2023 से इजरायली युद्ध में 12,800 से अधिक छात्रों के साथ-साथ 800 शिक्षक और प्रशासनिक कर्मचारी मारे गए हैं। गाजा युद्ध में 1,166 शैक्षणिक संस्थान नष्ट हो गए हैं और शिक्षा क्षेत्र को 2 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है।
यह ध्यान देने योग्य बात है कि 19 जनवरी को गाजा में युद्ध विराम समझौता लागू होने से पहले लगभग 16 महीने तक चले इजरायल के क्रूर युद्ध अभियानों में 48,300 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। युद्ध ने गाजा पट्टी को खंडहर में बदल दिया है। इजराइल अपने क्रूर सैन्य हमलों के कारण अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार के मामले का सामना कर रहा है।
ग़ज़्ज़ा के बाद वेस्ट बैंक में ज़ायोनी आतंक, 29 लाख लोगों के बेघर होने का खतरा
ग़ज़्ज़ा में जनसंहार मचाने के बाद अब ज़ायोनी सेना ने अपना पूरा ध्यान अपनी कठपुतली फिलिस्तीनी प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित वेस्ट बैंक पर लगा दिया है। ज़ायोनी सेना ने वेस्ट बैंक में अभियान शुरू करते हुए बड़े पैमाने पर क़त्ले आम तेज़ कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वेस्ट बैंक के जेनिन और तुलकरम में घुसी ज़ायोनी सेना को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। ज़ायोनी चैनल 14 के अनुसार अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना और खुफिया अधिकारी जेनिन और तुलकरम में सड़कें बना रहे हैं ताकि सेना की आवाजाही को आसान बनाया जा सके और प्रतिरोधी सेनानियों को विस्फोटक उपकरण लगाने से रोका जा सके।
तथाकथित ग़ज़्ज़ा युद्ध विराम के बाद ज़ायोनी सेना वेस्ट बैंक में टैंक, बुल्डोजरों और अन्य घातक हथियारों के साथ दाखिल हुई है और लगातार घरों और नागरिक ढांचों को तबाह कर रही है।
ज़ायोनी सेना की कार्रवाई इतनी खौफनाक है कि वेस्ट बैंक के जेनिन शरणार्थी शिविर और तुलकरम शहर से करीब 40 हजार फिलिस्तीनियों ने अपना घर छोड़ दिया है। खाली हुई बस्तियों पर ज़ायोनी सेना ने कब्जा कर लिया है और वहां मौजूद पानी, सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाओं को नष्ट कर रही है।