رضوی
इमाम ज़माना अलैहस्सलाम की मोहब्बत के उदाहरण
इमाम अपने अनुयायियों के प्रति अपनी गहरी दया और मोहब्बत के कारण उनसे काफी जुड़ा होता है, और इसी प्यार और दोस्ती की वजह से वह उनके दर्द और तकलीफ में शरीक होता है। यह ऐसे है जैसे एक माँ अपने बच्चे से इतना जुड़ी होती है कि जब बच्चा बीमार होता है तो माँ भी बीमार हो जाती है, और जब बच्चा ठीक होकर खुश होता है तब माँ भी खुश और प्रफुल्लित हो जाती है, क्योंकि बच्चा माँ के लिए अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा होता है।।
हमने ग़ायब इमाम के फ़ायदों के बारे में बात की है और समझाया है कि इस दुनिया का दौर चलता रहना और सभी जीवों की ज़िंदगी उसी महान व्यक्ति की मौजूदगी पर निर्भर करती है। इस मौके पर हम ग़ायब इमाम की असीम मोहब्बत के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, जो अलग-अलग तरीकों से सामने आए है, ताकि सबको पता चले कि ये नेक और दयालु इमाम अपनी ग़ैबात के बावजूद हर जगह अपने प्यार का उजाला फैला चुके हैं। उनकी मेहरबानी और रहम बहती हुई नदियों की तरह लगातार जारी रहती है।
मोमिन इंसान के सबसे बड़े गुणों में से एक है अपने धार्मिक भाई-बहनों के साथ मिलकर सहानुभूति रखना। इस्लामी समाज में मोमिन एक जैसे शरीर की तरह होते हैं, जहां एक की पीड़ा दूसरे के लिए तकलीफ़, और एक की खुशी दूसरे के लिए खुशहाली का कारण होती है, क्योंकि कुरआन साफ कहता है कि वे सब भाई-बहन हैं।
बहुत सी हदीसों में, आइम्मा ए मासूमीन (अलैहिमुस्सलाम) ने अपने शिया भक्तों के प्रति सहानुभूति और दर्द महसूस करने की बात कही है। यह खूबसूरत भावना उनके दोस्तों के दिल को सुकून और राहत देती है, और एक दिल की ताकत बनती है जो उन्हें ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव में हौसला देती है और उनकी सहनशीलता और मजबूती को बढ़ाती है।
इमाम रज़ा (अ) फ़रमाते हैं:
"مَا مِنْ أَحَدٍ مِنْ شِیعَتِنَا یمْرَضُ إِلَّا مَرِضْنَا لِمَرَضِهِ وَ لَا اغْتَمَّ إِلَّا اغْتَمَمْنَا لِغَمِّهِ وَ لَا یفْرَحُ إِلَّا فَرِحْنَا لِفَرَحِه मा मिन अहदिन मिन शीअतेना यमरज़ो इल्ला मरिज़्ना लेमरज़ेही वला इग़्तम्मा इल्लग़ तमम्ना लेग़म्मेही वला यफ़रहो इल्ला फ़रेहना लफ़रेहेहि "
हमारे किसी भी शिया में अगर कोई बीमारी आती है तो हम भी उसी बीमारी में बीमार हो जाते हैं, और अगर वह दुखी होता है तो हम भी उसके दुख में दुखी होते हैं, और अगर वह खुश होता है तो हम भी उसकी खुशी में खुश होते हैं। (बिहार उल अनवार, भाग 65, पेज 167)
इसलिए, इमाम अपने अनुयायियों के प्रति अपनी गहरी दया और मोहब्बत के कारण उनसे काफी जुड़ा होता है, और इसी प्यार और दोस्ती की वजह से वह उनके दर्द और तकलीफ में शरीक होता है। यह ऐसे है जैसे एक माँ अपने बच्चे से इतना जुड़ी होती है कि जब बच्चा बीमार होता है तो माँ भी बीमार हो जाती है, और जब बच्चा ठीक होकर खुश होता है तब माँ भी खुश और प्रफुल्लित हो जाती है, क्योंकि बच्चा माँ के लिए अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा होता है।
और इमाम सादिक़ (अलैहिस्सलाम) ने भी फ़रमाया:
"وَ اللَّهِ إِنِّی أَرْحَمُ بِکُمْ مِنْ أَنْفُسِکُم वल्लाहे इन्नी अरहमो बेकुम मिन अनफ़ोसेकुम "
मैं क़स्म खाता हूँ कि मैं आप लोगों पर खुद आप लोगों से भी ज्यादा दया करता हूँ।(बसाइर उद दरजात, पेज 265)
नतीजा यह है कि इमाम का प्यार बाकी सभी प्यारों से अलग होता है। यह एक सच्चा, बेदावत और असीम प्यार होता है, जो सिर्फ ज़ुबान पर नहीं बल्कि दिल और उसकी गहराईयों में छुपा होता है। इसी वजह से वह पूरी रूह और शरीर से अपने शियाो के साथ जुड़ा होता है।
इस इलाही मोहब्बत के उदाहरणों में से एक इमाम ज़माना अलैहिस्सलाम के वुजूद में इस तरह वर्णित किया गया है:
"إِنَّهُ أُنْهِی إِلَی ارْتِیابُ جَمَاعَه مِنْکُمْ فِی الدِّینِ وَ مَا دَخَلَهُمْ مِنَ الشَّکِّ وَ الْحَیرَه فِی وُلَاه أَمْرِهِمْ فَغَمَّنَا ذَلِکَ لَکُمْ لَا لَنَا وَ سَأَوْنَا فِیکُمْ لَا فِینَا لِأَنَّ اللَّهَ مَعَنَا فَلَا فَاقَه بِنَا إِلَی غَیرِه इन्नहू उन्ही एलर तियाबो जमाअते मिन्कुम फ़िद दीने वमा दख़लहुम मिनश शक्के वल हैरते फ़ी वुलाते अमरेहिम फ़ग़म्मना ज़ालेका लकुम ला लना व साऔना फ़ीकुम ला फ़ीना लेअन्नल्लाहा मआना फ़ला फ़ाक़ता बेना ऐला ग़ैरेह "
मुझे पता चला है कि आप में से कुछ लोग अपने धर्म में शक करने लगे हैं और उनके दिलों में अपने वली अमरो को लेकर संदेह और उलझन पैदा हो गई है। इससे हमें बहुत दुख हुआ, लेकिन यह दुख आपके लिए है, हमारे लिए नहीं। और यह हमें आपसे भी नाराज़ नहीं करता, न ही अपने लिए। क्योंकि अल्लाह हमारे साथ है, और उसके होने से हमें किसी और की ज़रूरत नहीं है। (बिहार उल अनावर, भाग 53, पेज 178)
ग़ज़्ज़ा में जो कुछ हो रहा है;वह युद्ध नहीं बल्कि नरसंहार है
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनेटर शेरी रहमान ने इजरायल द्वारा खान यूनिस में 6 पत्रकारों की हत्या की निंदा की है और कहां,गाज़ा में जो कुछ हो रहा है;वह युद्ध नहीं बल्कि नरसंहार है।
पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से बताया है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनेटर शेरी रहमान ने इज़रायल द्वारा खान यूनिस में 6 पत्रकारों की हत्या की निंदा की है।
शेरी रहमान ने अपने बयान में कहा कि इज़रायल की क्रूर नीति ने 6 और पत्रकारों को हमेशा के लिए चुप करा दिया, इजरायली कार्रवाई पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।
सीनेटर शेरी रहमान ने कहा कि पत्रकारों की हत्या अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक गंभीर युद्ध अपराध है, ग़ज़्ज़ा में 6 पत्रकारों की हत्या इज़रायल की सच्चाई को दबाने की दुर्भावना का निर्विवाद प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि अल-नजर अस्पताल पर बमबारी इजरायल की वैश्विक कानूनों के उल्लंघन का सबूत है, ग़ज़्ज़ा में जो कुछ हो रहा है, वह किसी भी तरह से युद्ध नहीं बल्कि एक नरसंहार है।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण , ट्रम्प के आरोप बेबुनियाद हैंः ईरान
ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि तेहरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है।
ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों को खारिज करते हुए कहा कि ट्रंप के परमाणु कार्यक्रम को लेकर दावे पुराने और झूठे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाकाई ने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा कि ट्रंप के दावे कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों द्वारा भी झूठे साबित किए जा चुके हैं।
बाकाई ने कहा कि ट्रंप इन बेबुनियाद आरोपों को फिर से ज़िंदा करके असल में वाशिंगटन के ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु केंद्रों पर गैरकानूनी हमलों और इज़रायल की आक्रामक कार्रवाइयों को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि मार्च 2025 में अमेरिकी खुफिया निदेशक ने कांग्रेस में स्पष्ट किया था कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है। ट्रंप इस स्पष्ट अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट को नजरअंदाज कर रहे हैं, जो उनके दावों की राजनीतिक प्रकृति को दर्शाती है।
उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया कि ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है और इसकी परमाणु गतिविधियां पूरी तरह से शांतिपूर्ण और नागरिक उद्देश्यों के लिए हैं। साथ ही, इस्लामिक क्रांति के नेता का फतवा भी मौजूद है जो किसी भी तरह के बड़े पैमाने पर विनाशकारी हथियारों के निर्माण और उपयोग को हराम घोषित करता है।
यमन का नया मिसाइल हमला, इज़रायल में दहशत
इज़रायली मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ यमन ने फ़िलिस्तीन के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों पर एक नया मिसाइल हमला किया है। इस हमले के बाद क़ुद्स समेत वेस्ट बैंक की कई अवैध बस्तियों में चेतावनी के सायरन लगातार बजने लगे।
इज़रायली मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ यमन ने फ़िलिस्तीन के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों पर एक नया मिसाइल हमला किया है। इस हमले के बाद क़ुद्स समेत वेस्ट बैंक की कई अवैध बस्तियों में चेतावनी के सायरन लगातार बजने लगे।
इज़रायली सेना के प्रवक्ता ने दावा किया है कि, एक मिसाइल को रोक लिया गया है, हालांकि इस बारे में कोई स्वतंत्र पुष्टि सामने नहीं आई है। रिपोर्टों में कहा गया है कि लोगों में दहशत का माहौल है और कई इलाक़ों में अफ़रा तफ़री देखी गई।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब यमन ने बार-बार चेतावनी दी है कि अगर ग़ाज़ा और फ़िलिस्तीन पर इज़रायली हमले नहीं रुकते, तो वह सीधे कार्रवाई करेगा। पिछले कुछ महीनों में यमन की ओर से लाल सागर और भूमध्य सागर के रास्ते इज़रायल के ख़िलाफ़ कई ड्रोन और मिसाइल हमले किए जा चुके हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यमन के ये हमले प्रतीकात्मक रूप से बड़े मायने रखते हैं, क्योंकि यह दिखाता है कि, ग़ाज़ा में जारी युद्ध अब सीमाओं से बाहर निकलकर एक क्षेत्रीय संघर्ष का रूप ले रहा है।
अभी तक यमन की सशस्त्र सेनाओं की ओर से इस ताज़ा हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली गई है, लेकिन हाल के अनुभव बताते हैं कि यमन अक्सर हमले के बाद बयान जारी करता है। आने वाले घंटों और दिनों में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है।
लेबनान ने सरकार की निष्क्रियता की कीमत चुकाई;प्रतिरोध ही जनता और भूमि का रक्षक है
अमल आंदोलन, लेबनान के वरिष्ठ नेता खलील हमदान ने कहा है कि लेबनान ने सामान्य रूप से और विशेष रूप से दक्षिणी लेबनान ने सरकार की निष्क्रियता और गैररक्षा की नीति की भारी कीमत चुकाई है। उन्होंने कहा कि यह सब उसी नारे का नतीजा है जिसके मुताबिक लेबनान की ताकत उसकी कमजोरी में है।
अमल आंदोलन के वरिष्ठ नेता खलील हमदान ने कहा कि लेबनान ने सामान्य रूप से और विशेष रूप से दक्षिणी लेबनान ने सरकार की निष्क्रियता और गैर-रक्षा की नीति की भारी कीमत चुकाई है। उन्होंने कहा कि यह सब उसी नारे का नतीजा है जिसके मुताबिक लेबनान की ताकत उसकी कमजोरी में है।
खलील हमदान ने अपने संबोधन में उपनगरों "सर्फ़ेंड" और "ज़ारारिया" के लोगों के संघर्ष को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ये इलाके शहीदों और धर्मनिष्ठ लोगों की कहकशाँ से भरे हुए हैं और यहाँ की कुर्बानियों का सिलसिला तब से जारी है जब इमाम मूसा सद्र ने सूर में कदम रखा था। उन्होंने याद दिलाया कि इमाम मूसा सद्र ने हमेशा अतिक्रमण और वंचना के खिलाफ आवाज़ उठाई।
उन्होंने सरकार से मांग की कि वह दक्षिणी लेबनान की रक्षा और स्थिरता की गारंटी प्रदान करे, लेकिन दुर्भाग्य से सरकारी संस्थानें लगातार निष्क्रियता का शिकार हैं और जनता को मैदान-ए-जंग में अकेला छोड़ दिया गया है। हमदान ने कहा कि इस स्थिति में केवल प्रतिरोध (मुक़ावमत) ही सच्चे रक्षक के रूप में उभरा है।
उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र संकल्प 1701 को लागू करने के लिए बनाई गई समिति का काम अभी निलंबित है, क्योंकि इज़राइल रोज़ाना हमले कर रहा है, दर्जनों बार युद्धविराम का उल्लंघन कर चुका है और छह से अधिक स्थानों पर कब्जा बनाए हुए है। नतीजतन, रोज़ाना लेबनानी शहीद अपने खून का नज़राना पेश कर रहे हैं।
खलील हमदान ने स्पष्ट किया कि लेबनानी सरकार, जो एक मुख्य तत्व (राष्ट्रपति) से वंचित है, प्रतिरोध के हथियारों को गैर-कानूनी घोषित करके उन्हें खत्म करने की बात करती है, जबकि इज़राइली आक्रामकता, ज़मीन पर कब्जे और लोगों की हत्या को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने अफसोस जताया कि सरकार और राजनीतिक दलों की तरफ से इज़राइली अत्याचारों की निंदा में एक शब्द भी सुनने को नहीं मिलता।
अमल आंदोलन के नेता ने सवाल उठाया कि क्या यह सही है कि सभी तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए ऐसे प्रतिनिधियों पर भरोसा किया जाए जो खुद मानते हैं कि वे न तो इज़राइल पर दबाव डाल सकते हैं और न ही उसे पीछे हटने या पुनर्निर्माण की अनुमति देने के लिए मजबूर कर सकते हैं? आखिर सरकार पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में कहाँ खड़ी है? और क्या समय पर दांव लगाने की यह नीति लेबनानी जनता के ज़ख्मों का इलाज कर सकती है?
दुश्मन के ख़तरों से निपटने की तैयारी, डिटरेन्स का काम करती है
ऐसा कोई ज़माना तसव्वुर नहीं किया जा सकता कि ख़तरे बिल्कुल न हों। लेहाज़ा मुक़ाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,ऐसा कोई ज़माना तसव्वुर नहीं किया जा सकता कि ख़तरे बिल्कुल न हों। लेहाज़ा मुक़ाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।यह हुक्म(ऐ मुसलमानो! तुम जिस क़द्र क्षमता रखते हो इन कुफ़्फ़ार के लिए क़ुव्वत व ताक़त और बंधे हुए घोड़े तैयार रखो।
ताकि तुम इस जंगी तैयारी से ख़ुदा के दुश्मन और अपने दुश्मनको और खुले दुश्मनों के अलावा दूसरे लोगों को (यानी मुनाफ़िक़ों) को ख़ौफ़ज़दा कर सको) (सूरए अन्फ़ाल,आयत-60) इसी लिए है।यानी ख़ुद को तैयार रखिए।कितना तैयार रखिए? जितना आपसे मुमकिन है।
जितनी आपके अंदर ताक़त और क्षमता है। यही तैयारी और ख़ुद अपनी जगह तैयार रहना, ख़तरे को दूर रखता है। ख़ुद अपनी जगह आमादगी हिफ़ाज़त का ज़रिया है।
लेहाज़ा इसी आयत में अल्लाह कहता है इसके ज़रिए तुम अल्लाह के दुश्मन और अपने दुश्मन को डरा सकते हो। तुम तैयार हो तो दुश्मन को इसका एहसास होता है और वो तुम्हारे ऊपर हमले की हिम्मत नहीं कर पाता। यह तैयारी भी ख़तरे से बचाती है।
आयाते ज़िन्दगी | क्या आपने आखिरत की यात्रा के लिए सही साथी चुन लिया है?
हम दुनियावी यात्रा में साथी के चयन में बहुत सावधानी बरतते हैं ताकि कोई ऐसा साथी मिले जो बोझ न बने बल्कि सहारा बने। तो फिर आखिरत की उस अनन्त यात्रा के लिए हम लापरवाही क्यों करें? वहां भी एक ऐसे साथी की जरूरत है जो हमेशा साथ रहे।
हम दुनियावी यात्रा में साथी के चयन में बहुत सावधानी बरतते हैं ताकि कोई ऐसा साथी मिले जो बोझ न बने बल्कि सहारा बने। तो फिर आखिरत की उस अनन्त यात्रा के लिए हम लापरवाही क्यों करें? वहां भी एक ऐसे साथी की जरूरत है जो हमेशा साथ रहे।
अल्लाह तआला पवित्र कुरआन में फरमाता है:
مَنْ جَاءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهُ عَشْرُ أَمْثَالِهَا وَمَنْ جَاءَ بِالسَّیِّئَةِ فَلَا یُجْزَیٰ إِلَّا مِثْلَهَا وَهُمْ لَا یُظْلَمُونَ.
(सूरह अलअनआम, आयत 160)
जो कोई अच्छा काम लेकर आएगा, उसके लिए उसके जैसे दस गुना (पुण्य) लिखे जाएंगे, और जो कोई बुरा काम लेकर आएगा तो उसे केवल उसी के बराबर सजा दी जाएगी और उन पर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा।
क़यामत के दिन वे लोग जो दुनिया में अल्लाह से मुंह मोड़े हुए थे पछतावे से कहेंगे:
فَلَوْ أَنَّ لَنَا کَرَّةً فَنَکُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِینَ.
(सूरह अश-शुअरा, आयत 102)
काश! हमारे पास (दुनिया में) लौटने का एक मौका होता तो हम ईमान वालों में से होते।
वास्तविकता यह है कि आखिरत का असली साथी कोई इंसान नहीं बल्कि हमारे अच्छे-बुरे अमल (कर्म) हैं। यही अमल कब्र में भी साथ होगा, बरज़ख़ में भी और क़यामत में भी। अगर यह नेक अमल हुआ तो रौशनी और सहारा बनेगा, और अगर बुरा अमल हुआ तो बोझ और मुसीबत की शक्ल में साथ रहेगा।
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अ.स. एक हदीस में फरमाते हैं:
«إِنَّ اِبْنَ آدَمَ إِذَا کَانَ فِی آخِرِ یَوْمٍ مِنْ أَیَّامِ اَلدُّنْیَا وَ أَوَّلِ یَوْمٍ مِنْ أَیَّامِ اَلْآخِرَةِ مُثِّلَ لَهُ مَالُهُ وَ وُلْدُهُ وَ عَمَلُهُ فَیَلْتَفِتُ إِلَی مَالِهِ فَیَقُولُ وَ اَللَّهِ إِنِّی کُنْتُ عَلَیْکَ حَرِیصاً شَحِیحاً فَمَا لِی عِنْدَکَ فَیَقُولُ خُذْ مِنِّی کَفَنَکَ قَالَ فَیَلْتَفِتُ إِلَی وُلْدِهِ فَیَقُولُ وَ اَللَّهِ إِنِّی کُنْتُ لَکُمْ مُحِبّاً وَ إِنِّی کُنْتُ عَلَیْکُمْ مُحَامِیاً فَمَا ذَا عِنْدَکُمْ فَیَقُولُونَ نُؤَدِّیکَ إِلَی حُفْرَتِکَ نُوَارِیکَ فِیهَا قَالَ فَیَلْتَفِتُ إِلَی عَمَلِهِ فَیَقُولُ وَ اَللَّهِ إِنِّی کُنْتُ فِیکَ لَزَاهِداً وَ إِنْ کُنْتَ لَثَقِیلاً فَیَقُولُ أَنَا قَرِینُکَ فِی قَبْرِکَ وَ یَوْمَ نَشْرِکَ حَتَّی أُعْرَضَ أَنَا وَ أَنْتَ عَلَی رَبِّکَ.
(वसाइल उश-शिया, जिल्द 16, पेज 105)
जब इंसान अपनी दुनियावी ज़िंदगी के आखिरी दिन और आखिरत की ज़िंदगी के पहले दिन (यानी मौत के वक्त) पर पहुंचता है तो उसके सामने उसका माल, औलाद और अमल (कर्म) मूर्त रूप में प्रकट हो जाते हैं। वह माल की तरफ देखकर कहता है: मैंने तुझ पर बहुत मेहनत और कंजूसी की, अब मेरे लिए क्या है?
माल जवाब देता है: तेरा कफन। फिर औलाद की तरफ रुख करता है और कहता है: मैं तुम्हें चाहता था और तुम्हारी हिफाजत करता था, अब मेरे लिए क्या है? औलाद कहती है: हम तुझे तेरी कब्र तक ले जाएंगे और दफना देंगे।
फिर अपने अमल (कर्म) की तरफ रुजू करता है और कहता है मैंने तुझसे दूरी भी बनाई और तुझे भारी भी समझा, अब मेरे लिए क्या है? अमल जवाब देता है मैं कब्र में और क़यामत के दिन तेरा साथी हूंगा, यहां तक कि तुझे तेरे रब के सामने पेश किया जाए।
इसलिए इस यात्रा में अगर हमने सही साथी का चुनाव नहीं किया तो यह लापरवाही अनन्त पछतावे में बदल जाएगी।
गज़्जा के मज़लूम लोगों का तत्काल समर्थन शरई और ऐनी कर्तव्य
हौज़ा ए एल्मिया की उच्च परिषद के सदस्य ने "सदाये गज़्जा" नामक अभियान के सदस्यों से मुलाकात में कहा, मज़लूम लोग गज़्जा का समर्थन तत्काल और ऐनी धार्मिक कर्तव्य है क्योंकि मुसलमानों की जान और माल खतरे में हैं।
हौज़ा एल्मिया की उच्च परिषद के सदस्य आयतुल्लाह मोहसिन अराकी ने "सदाये गज़्जा" नामक अभियान के सदस्यों से मुलाकात में जोर देकर कहा कि आपने जो काम अपने जिम्मे लिया है, यह तत्काल और ऐनी धार्मिक कर्तव्य है क्योंकि मुसलमानों की जान और माल गंभीर खतरे में हैं।
मजलिस ए ख़बरगाने रहबरी की उच्च समिति के सदस्य ने अभियान के सक्रिय कार्यकर्ताओं पर पूर्ण विश्वास जताते हुए कहा, मैं आप सभी पर भरोसा रखता हूं और हम जो कुछ भी अपनी ताकत में रखते हैं, रात-दिन आपकी सेवा के लिए तैयार हैं।
उन्होंने इस कदम को सबसे जरूरी कर्तव्य करार दिया और कहा, सभी को चाहिए कि वे अपनी पूरी ताकत इस समर्थन में लगा दें।
हौज़ा ए एल्मिया की उच्च परिषद के सदस्य ने गाजा के मजलूम लोगों की मदद के दायरे को व्यापक बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, हमें अपने प्रयासों को सीमित नहीं करना चाहिए बल्कि हमें गाजा के मजलूम लोगों के तत्काल समर्थन के लिए ईरान, इराक और पूरे क्षेत्र की सभी क्षमताओं को मैदान में लाना होगा।
आयतुल्लाह अराकी ने अंत में कहा,यह काम एक ईश्वरीय कर्तव्य है और हमें अल्लाह के सामने जवाबदेह होना है; उम्मीद है कि सभी हमदर्द लोग आपकी मदद के लिए आगे आएंगे।
इस्राइल यूरोप में नशीले पदार्थों की तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र
इस्राइली शासन के चैनल 12 की रिपोर्ट के अनुसार इस्राइल तेजी से यूरोपीय देशों में नशीले पदार्थों की तस्करी का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है।
इस्राइल के टेलीविजन चैनल 12 ने एक रिपोर्ट में कहा: यूरोप में नशीले पदार्थों की मांग बढ़ने के साथ इन पदार्थों की इस्राइल से यूरोपीय देशों में तस्करी की घटना भी बढ़ गई है। पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, क़ब्ज़ा किए गए क्षेत्रों में संगठित नेटवर्क इस रास्ते से हर साल लाखों शेकेल कमाते हैं और युवा, बेरोज़गार और सेवा समाप्त कर चुके इस्राइली सैनिकों को रोजगार में शामिल करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार तस्कर विदेश यात्रा, होटलों में ठहरने और प्रत्येक यात्रा के लिए हजारों शेकेल का वादा करके उन्हें लुभाते हैं, लेकिन इन आकर्षक प्रलोभनों के पीछे भयंकर जोखिम छिपे होते हैं जबकि नेटवर्क के प्रमुख तस्करी से भारी मुनाफा कमाते हैं सभी जोखिम तस्करी के शिपरों पर पड़ते हैं, जो विदेशों में पकड़े जाते हैं और कभी-कभी लंबी जेल की सजा भुगतते हैं और एक छोटे प्रलोभन के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
एक पेशेवर नशीले पदार्थों का तस्कर, जो कब्ज़ा किए गए क्षेत्रों के दक्षिण में शफेला क्षेत्र के एक गाँव का रहने वाला है, ने कहा कि हाल के महीनों में उसने सैकड़ों किलो नशीले पदार्थ इंग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, चेक गणराज्य और डेनमार्क भेजे हैं और हर तस्करी अभियान के लिए उसे लगभग 8,000 शेकेल मिलते थे, जिसमें हवाई टिकट, होटल और खर्चों के लिए कुछ सौ यूरो भी शामिल थे और यह राशि यात्रा से पहले नेटवर्क के प्रमुख द्वारा उसे दी जाती थी।
इस्राइली शासन के नेटवर्क 12 टेलीविजन की रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षों में कई इस्राइली नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार हुए हैं। उदाहरण के लिए "डैनियल ओका" को तुर्किये में गिरफ्तार किया गया और उसे 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई। मार्च 2023 में "चिन एल्काइम" को फ्रांस के हवाई अड्डे पर कुछ किलो नशीले पदार्थ तस्करी की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
यूरोप में इथियोपियाई नशीले पदार्थों की मांग अपने उच्चतम ऐतिहासिक स्तर पर है। वर्तमान में कब्ज़ा किए गए क्षेत्रों में लगभग पांच बड़े व्यापारी सक्रिय हैं, जो नशीले पदार्थों को इथियोपिया से आयात कर यूरोप में तस्करी करते हैं। इस दौरान स्थानीय किसान इस पदार्थ के उत्पादन में सस्ते दामों पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। यूरोप में नशीले पदार्थ का एक किलो लगभग 200 यूरो में बिकता है और एक इस्राइली व्यापारी का वार्षिक मुनाफ़ा लाखों शेकेल तक पहुँच सकता है।
नशीले पदार्थों के नेटवर्क के मालिक बेरोज़गार युवाओं और पूर्व सैनिकों के दर्जनों शिपरों को नियुक्त करते हैं और हर यात्रा के लिए 5,000 से 9,000 शेकेल की पेशकश करते हैं, जबकि यूरोपीय पासपोर्ट रखने वालों को अतिरिक्त इनाम भी मिलता है।
यूरोप में संकट, बेरोज़गारी से लेकर आर्थिक विकास में गिरावट तक
यूरोपीय कमिशन स्टेटिस्टिक्स आफ़िस European Commission Statistics Office (यूरोस्टेट) ने एलान किया है कि मई 2025 में यूरोपीय संघ में लगभग 13.1 मिलियन लोग बेरोज़गार थे।
इस समय बेरोज़गारी पूरे यूरोप की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बन गयी है। दूसरी ओर, यूरोप गहरी संरचनात्मक समस्याओं का भी सामना कर रहा है। इस महाद्वीप में ऊर्जा लागत, विशेष रूप से बिजली और गैस की कीमतों में वृद्धि, यहाँ प्रतिस्पर्धात्मक माहौल को नष्ट कर रही है।
यूरोपीय आयोग के सांख्यिकी कार्यालय (यूरोस्टेट) के अनुमानों के आधार पर, इस साल मई में यूरोपीय संघ में लगभग 13.1 मिलियन लोग बेरोज़गार थे। यह तब है जब यूरोपीय आयोग ने हाल के वर्षों में संघ में रोज़गार और सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं, लेकिन फिर भी लाखों नौकरियां खाली पड़ी हुई हैं।
"यूरोन्यूज़" ने हाल ही में एक रिपोर्ट में पुष्टि की कि 2025 की दूसरी तिमाही में यूरोप की आर्थिक विकास दर लगभग ठप हो गई है और आर्थिक विकास और औद्योगिक उत्पादन में तेज़ी से कमी आई है, इस मुद्दे ने इस क्षेत्र में संभावित आर्थिक तेज़ी के मुख्य रास्ते से भटकने को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं।
यूरोस्टेट की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वर्ष जून में समाप्त हुए तिमाही में यूरोज़ोन में सीज़नली समायोजित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मात्र 0.1% की वृद्धि हुई है, जो प्रारंभिक अनुमान के समान है। यूरोपीय संघ के सकल घरेलू उत्पाद में भी 0.2% की वृद्धि हुई, जो पिछले अनुमानों के अनुरूप है।
ये आंकड़े 2025 की पहली तिमाही की तुलना में यूरोप की आर्थिक विकास दर में भारी गिरावट को दर्शाते हैं, जब निर्यात में वृद्धि के कारण सकल घरेलू उत्पाद में यूरोज़ोन में 0.6% और पूरे यूरोपीय संघ में 0.5% की वृद्धि हुई थी।
इसी बीच, 'यूरोन्यूज़' ने यूरोपीय संघ भर में आर्थिक सुधार की प्रक्रिया को असमान बताया है और लिखा है कि यूरोज़ोन की अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में मुश्किल से ही वृद्धि दर्ज की है, और इस अवधि में जर्मनी और इटली की अर्थव्यवस्थाएँ सिकुड़ गई हैं।
आँकड़ों के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग और निवेश के परिणामस्वरूप स्पेन 0.7% की वृद्धि दर के साथ यूरोप के आर्थिक विकास का नेतृत्व कर रहा था। इसके बाद पुर्तगाल 0.6% और फ्रांस 0.3% के साथ थे।
लेकिन यूरोज़ोन की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, जर्मनी और इटली, में आर्थिक विकास में 0.1% की कमी दर्ज की गई।
इस चिंता को और बढ़ाने वाली बात यह है कि जून महीने में यूरोज़ोन में औद्योगिक उत्पादन में 1.3% की गिरावट आई, जिसने मई में दर्ज 1.1% की वृद्धि की प्रवृत्ति को उलट दिया और 1% की औसत गिरावट के अनुमानों को पूरा नहीं किया।
यूरोपीय संघ में औद्योगिक उत्पादन में 1.0% की कमी आई, और संघ के सदस्य देशों में, आयरलैंड में वार्षिक आधार पर औद्योगिक उत्पादन में सबसे अधिक 11.3% की गिरावट दर्ज की गई। आयरलैंड के बाद पुर्तगाल और लिथुआनिया में औद्योगिक उत्पादन में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई।













