رضوی

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आज ही के दिन महान महिला हज़रत फ़ातेमा मासूमा का स्वर्गवास हुआ। आप अपने भाई हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से मिलने के लिए मदीना से मर्व के लिए चलीं लेकिन घटनाओं से भरे इस सफ़र के कारण आप अपने भाई से न मिल सकीं और अंततः उन्हें पवित्र नगर क़ुम को अपने अमर स्थान के रूप में चुनना पड़ा। इस अवसर पर पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों से श्रद्धा रखने वालों को संवेदना प्रस्तुत करने के साथ ही हज़रत मासूमा के जीवन के कुछ अहम पहलुओं से आपको अवगत करा रहे हैं।

वास्तविक परिपूर्णतः व कल्याण ईश्वर पर दृढ़ आस्था और उसके आदेश के अनुसार शुद्ध कर्म से ही हासिल होता है। यही वजह है कि इस दृष्टि से मर्द और औरत के बीच कोई अंतर नहीं है। मर्द और औरत शारीरिक व आत्मिक दृष्टि से एक दूसरे से भिन्न होते हैं लेकिन दोनों ही परिपूर्णतः व कल्याण तक पहुंचने की दृष्टि से जो ईश्वर का सामिप्य है, समान संभावना रखते हैं। दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है। औरत भी ईश्वर पर आस्था और शुद्ध कर्म के ज़रिए ईश्वर की निकटता हासिल कर सकती है और इसी तरह मर्दों के लिए वास्तविक कल्याण व परिपूर्णतः तक पहुंचने के लिए मार्ग समतल है। जैसा कि ईश्वर ने नहल नामक सूरे की आयत नंबर 97 में पवित्र जीवन की प्राप्ति को उस पर आस्था और शुद्ध कर्म से सशर्त किया है। इस आयत में ईश्वर कहता है, "जो भी चाहे वह मर्द हो या औरत, अगर ईमान रखता है, तो उसे अमर पवित्र जीवन देंगे। और उन्हें जो बेहतरीन कर्म करते हैं, उसका फल देंगे।"

पूरे इतिहास में ऐसी बहुत सी औरतें गुज़री हैं जो अपने कर्म से ईश्वर पर आस्था व अध्यात्म के उच्च चरण तक पहुंचीं। इनमें से कुछ नमूनों का ईश्वर ने क़ुरआन में उल्लेख किया है ताकि वे उनके बाद के लोगों के लिए आदर्श बनें। हज़रत ईसा मसीह की मां हज़रत मरयम भी उन्हीं औरतों में हैं। ईश्वर ने आले इमरान नामक सूरे की आयत नंबर 42 में हज़रत मरयम के चरित्र की गवाही देते हुए कहा है, "हे मरयम! ईश्वर ने तुम्हें चुना और पवित्र बनाया और तुम्हें दूसरी महिलाओं पर वरीयता दी है।"

महान महिला का एक और नमूना हज़रत आसिया हैं जो फ़िरऔन की बीवी थीं। जिस वक़्त इस महान महिला ने जादूगरों के मुक़ाबले में हज़रत मूसा के चमत्कार को देखा तो उनका हृदय ईश्वर पर आस्था के प्रकाश और हज़रत मूसा की पैग़म्बरी पर आस्था से भर गया। लेकिन वह अपनी इस आस्था को ज़ाहिर नहीं करती थीं यहां तक कि फ़िरऔन को उनकी आस्था की भनक लग गयी। जिसके बाद फ़िरऔन ने हज़रत आसिया के हाथ पैर पर कील ठोंकने, उन्हें धूप में रखने और उनके सीने पर भारी पत्थर रखने का आदेश दिया। इस महान महिला ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में यह दुआ की, "हे पालनहार! मुझे फ़िरऔन और उसके कर्म से मुक्ति दे और मुझे स्वर्ग में अपने पास जगह दे।" ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन की आयत के अनुसार, उनकी इस दुआ को क़ुबूल किया।                  

ईश्वर का सामिप्य प्राप्त करने व परिपूर्णतः तक पहुंचने वाली महानतम महिलाओं में हज़रत फ़ातेमा मासूमा भी हैं। उन्होंने अपने पिता हज़रत इमाम मूसा काज़िम और अपने भाई हज़रत इमाम रज़ा जैसी दो हस्तियों की छत्रछाया में प्रशिक्षण पाने के साथ ही ईश्वरीय सामिप्य हासिल करने के लिए अद्वितीय प्रयास किया। इसका अंदाज़ा उनके जीवन की एक महा घटना से लगाया जा सकता है। एक बार पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों पर आस्था रखने वालों का एक समूह कई शहरों से मदीना पहुंचा ताकि अपने धार्मिक सवालों व गुत्थियों का हल इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम से पूछे। जब वे मदीना में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के घर के दरवाज़े पर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि इमाम सफ़र पर गए हैं। इमाम को ना पाकर इन श्रद्धालुओं की सफ़र की थकान कई गुना बढ़ गयी। वे वापस लौटने के बारे में सोच रहे थे कि अचानक हज़रत फ़ातेमा मासूमा जो उस समय बच्ची थीं, दरवाज़े पर पहुंची और उन लोगों से कहा कि अपने अपने सवाल उन्हें दे दें। हज़रत मासूमा ने उनके एक एक सवाल के जवाब लिख कर उनके ख़त उन्हें लौटा दिए। इन लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ कि इतनी छोटी बच्ची ने धर्मशास्त्र से संबंधित उनके सवालों के जवाब दिए।  

जब ये लोग मदीना से लौट रहे थे तो रास्ते में उनकी इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात हुयी जो मदीना वापस आ रहे थे। वे लोग बड़ी उत्सुकता से इमाम की ओर बढ़े कि उन्हें सारी घटनाएं बताएं। इन लोगों ने हज़रत मासूमा की दस्तख़त वाला पत्र इमाम को दिखाया। इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने ख़त खोला और अपनी बेटी द्वारा सवालों के दिए गए जवाब देख कर कहा, "ऐसी बेटी पर बाप न्योछावर हो जाए।"

इंसान ईश्वर की उपासना व वंदना द्वारा अध्यात्म के ऐसे चरण पर पहुंच सकता है कि ईश्वरीय कृपा के उतरने का माध्यम और उसके इरादे का प्रतीक बन जाए। इस बारे में हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं, "ईश्वर की वंदना व आज्ञापालन ऐसा रत्न है जिससे अन्य प्राणियों पर साम्राज्य हासिल होता है।"

हज़रत फ़ातेमा मासूमा भी ईश्वर की वंदना व आज्ञापालन के ज़रिए जो उच्च स्थान हासिल किया, उसकी वजह से अपने जीवन में भी और उसके बाद भी करिश्मों का स्रोत बन गयीं। यह करिश्मा सिर्फ़ जीवन के भौतिक आयाम तक सीमित नहीं हैं बल्कि वे लोग भी लाभान्वित होते हैं जो आध्यात्मिक स्थान पाना चाहते हैं। मिसाल के तौर पर सफ़वी शासन काल के मशहूर दार्शनिक मुल्ला सदरा कहते हैं, "जब भी दर्शनशास्त्र की कोई गुत्थी नहीं सुलझती थी तो मैं पैदल कहक से क़ुम जाता और हज़रत फ़ातेमा मासूमा की क़ब्र पर खड़ा होकर उनसे मदद मांगता। इस तरह मेरी मुश्किल हल हो जाती और फिर मैं अपने गांव कहक लौट आता।" यह करिश्मा हज़रत मासूमा की महान आत्मा को दर्शाता और यह बताता है कि उनका कृपा के अनन्य स्रोत ईश्वर से संपर्क था। संगीत

हज़रत मासूमा की आत्मिक महानता के पीछे एक वजह उनकी नैतिकता भी थी। उनमें ईश्वर के मार्ग में धैर्य व दृढ़ता और उसके फ़ैसलों के सामने रज़ामंदी जैसी विशेषता पायी जाती थी। वे अपनी छोटी सी उम्र में ही इन विशेषताओं की वजह से मशहूर थीं। हज़रत मासूमा ने अपने परिवार के लोगों के साथ अब्बासी शासकों की ओर से होने वाले अत्याचार सहन किए। सबसे बड़ी मुसीबत जो उन पर पड़ी वह उनके पिता इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम का क़ैद होना और बग़दाद की जेल में तत्कालीन अब्बासी शासक हारून रशीद के एजेंटों के हाथों उनका शहीद होना था। इसके बाद इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का मदीना से पूर्वोत्तरी ईरान के मर्व शहर पलायन के लिए मजबूर किया जाना। ये सब हज़रत मासूमा के लिए बहुत बड़ी मुसीबत थी लेकिन उन्होंने अब्बासी शासकों की ओर से होने वाले अत्याचार पर धैर्य से काम लिया और अपनी वैज्ञानिक गतिविधियों को जारी रखा। इसके साथ ही आपने अपने भाइयों के साथ सामाजिक-राजनैतिक आंदोलन के लिए क़दम उठाया और मौजूदा स्थिति पर आपत्ति जताने के लिए पलायन को इसका माध्यम चुना।

हज़रत मासूमा 201 हिजरी क़मरी में एक कारवां की अगुवाई करती हुयी जिसमें उनके भाई और संबंधी थे, ईरान के लिए निकलीं। आप जिस शहर, गांव व स्थान पर पहुंचतीं, अपने भाई इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की पीड़ा व मज़लूमियत का बखान करतीं और अब्बासी शासन से अपने और पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों के विरोध को बयान करतीं। इस चीज़ को तत्कालीन अब्बासी शासन सहन नहीं कर पा रहा था क्योंकि उसे डर था कि लोग उसके अत्याचार से अवगत हो जाएंगे तो शासन का वजूद ख़तरे में पड़ जाएगा। जिस वक़्त हज़रत मासूमा का कारवां क़ुम से लगभग 70 किलोमीटर दूर सावेह शहर पहुंचा तो पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों के कुछ विरोधियों ने शासन के इशारे पर कारवां पर हमला कर दिया और इस असमान जंग में कारवां के सभी मर्द शहीद हो गए। इस त्रासदी का हज़रत मासूमा के मन पर इतना असर पड़ा कि आप बीमार हो गयीं। आपने बीमारी की हालत में कहा, "मुझे क़ुम शहर ले चलो! क्योंकि मैने अपने पिता से सुना है कि क़ुम शहर शियों का केन्द्र है।" क़ुम शहर के लोगों को जब यह शुभसुचना मिली तो वे हज़रत मासूमा के स्वागत के लिए निकल पड़े। हज़रत मासूमा 23 रबीउल अव्वल सन 201 हिजरी क़मरी में क़ुम पहुंचीं और 16 दिन जीवित रहने के बाद इस नश्वर संसार से सिधार गयीं।

हज़रत मासूमा के पवित्र शव को क़ुम में दफ़्न किया गया ताकि पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों से श्रद्धा रखने वाले उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। हज़रत मासूमा के वजूद की बर्कत है कि आज क़ुम इस्लामी शिक्षाओं के प्रसार का केन्द्र बन गया है। आज पूरी दुनिया से इस्लामी शिक्षाओं में रूचि रखने वाले बड़ी संख्या में क़ुम में धार्मिक केन्द्रों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि ईरानी जनता की साहसिक भावना, बलिदान और ईमान ने दुश्मनों की कार्यवाहियों को हमेशा विफल बनाया है और यह भावना उनकी शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियों के मुक़ाबले में मज़बूत ढाल है।

अनेक शहीदों के परिजनों ने मंगलवार को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने संबोधन के दौरान ईरान की इस्लामी व्यवस्था को नुक़सान पहुंचाने के लिए दुश्मनों की कोशिशों और हालिया हंगामों की ओर संकेत करते हुए कहा कि जिस चीज़ ने दुश्मनों को अपनी शत्रुता को व्यवहारिक बनाने से रोक रखा है वह ईरानी जनता में पायी जाने वाली त्याग और बलिदान की भावना, ईमान और साहस है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी जनता की प्रतिष्ठा, सुरक्षा और विकास, शहीदों के बलिदानों की देन है। उन्होंने इस वास्तविकता की ओर संकेत करते हुए कि दुश्मन हमेशा मौक़े की तलाश में तथा ईरानी जनता को नुक़सान पहुंचाने की जुगत में रहता है, कहा कि पिछले कुछ दिनों के दौरान होने वाली घटनाओं में ईरान के दुश्मन, इस्लामी व्यवस्था की राह में समस्या खड़ी करने के लिए पैसों, हथियारों, राजनीति, सुरक्षा तथा ख़ुफ़िया एजेन्सियों सहित समस्त संसाधनों के साथ एकजुट हो गये थे।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हालिया घटनाओं के बारे में वह समय आने पर जनता से कुछ बातें करेंगे। उन्होंने दुश्मनों की शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियों की रोकथाम में साहस व बलिदान की भावना की महत्वपूर्ण भूमिका की ओर संकेत करते हुए शहीदों को इस भावना और संघर्ष का संपूर्ण नमूना बताया और कहा कि ईरानी जनता प्रलय तक उन शहीदों के एहसानमंद रहेगी जो अपने घर और घर वालों को अलविदा कहकर उन दुष्ट दुश्मनों के मुक़ाबले में जिन्हें पश्चिम और पूरब तथा क्षेत्र की रूढ़ीवादी सरकारों का समर्थन प्राप्त था, सीना ताने खड़े हो गये। 

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ़्रीक़ा के कुछ देशों की दयनीय स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि थोपे गये युद्ध में बासी दुशमन का पैर ईरान में पड़ जाता तो वह किसी पर भी दया न करते और आज ईरान की स्थिति लीबिया और सीरिया से भी बदतर होती।  

 

अहमद तय्यब ने कहा है कि फ़िलिस्तीनियों और रोहिंग्या मुसलमानों की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सहायता की जानी चाहिए।

अलयौमुस्साबे के अनुसार मिस्र के अलअज़हर विश्वविद्यालय के प्रमुख अहमद तय्यब ने नए साल के संदेश में कहा कि सन 2018 में फ़िलिस्तीन और रोहिंग्या मुसलमानों के विषय पर पूरा ध्यान दिया जाए।

अपने संदेश में अलअज़हर प्रमुख ने कहा है कि हमें फ़िलिस्तीनियों और रोहिंग्या मुसलमानों के अधिकारों को किसी भी स्थिति में अनेदखा नहीं करना चाहिए।  अपने संदेश में उन्होंने विश्व समुदाय से मांग की है कि वह इन पीड़ित राष्ट्रों की सहायता के लिए आगे आए।

उल्लेखनीय है कि जहां पर फ़िलिस्तीनी, ज़ायोनियों के अत्याचार का शिकार हो रहे हैं वहीं पर म्यामार की सेना रोहिंग्या मुसलमानों के जातीय सफ़ाए के लिए उनके विरुद्ध अभियान चला रही है जिसमें उनका सहयोग बौद्ध चरमपंथी दे रहे हैं। 

 

 

फ़िलिस्तीनी संगठन हमास ने इस्राईली सैनिकों को बंधक बनाकर इस्राईली जेलों से फ़िलिस्तीनी क़ैदियों की रिहाई की स्ट्रैटेजी पर कामयाबी से अमल किया है और इस रणनीति से हमास ने भारी संख्या में क़ैदियों को रिहा कराया है।

इस बार हमास ने इस्राईली कमांडरों की लिस्ट तैयार की है और उन्हें बंधक बनाने का रोडमैप तय किया है इससे इस्राईली सैनिकों में ख़ौफ़ फैल गया है। इसका कारण यह है कि हमास ने इस्राईली सैनिकों को बंधक बनाने के लिए हार बार नई शैली की योजनाबंदी की जो कामयाब रही है।

इस्राईली विशेषज्ञों का कहना है कि इस्राईल के लिए सबसे बुरी स्थिति यही होती है कि हमास के हाथों उसका कोई सैनिक पकड़ा जाए। शालीत नाम के सैनिक को हमास ने क़ैदी बनाने के बाद उसकी रिहाई के बदले भारी संख्या में फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को रिहा करवा लिया था। इसकी पीड़ा इस्राईल को आज भी है।

इस्राईली प्रशासन ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए सरकुलर जारी किया है कि वह बहुत अधिक सतर्कता बरतें। इस्राईल डिफ़ेन्स वेबसाइट ने आंतरिक सुरक्षा एजेंसी के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें कहा गया है कि फ़िलिस्तीनी संगठनों विशेष रूप से हमास ने इस्राईली सैनिकों को गिरफ़तार करने की योजना बना रखी है। इसी लिए इस्राईली सैनिकों की गतिविधियों के बारे में जानकारियां एकत्रित कर रहा है।

इसकी भनक मिलते ही इस्राईली सेना ने अपने सैनिकों को निर्देश दिया है कि वह किसी भी अनजानी गाड़ी में सवार होने से बचें। हमास ने अपनी सैनिक शाखा के सदस्यों को 18 पृष्ठों पर आधारित योजना सौंपी है जिसमें बताया गया है कि इस्राईली सैनिकों और विशेष रूप से जनरलों को किस प्रकार पकड़ा जा सकता है।

इस्राईली अख़बार यदीऊत अहारोनोत के स्ट्रैटेजिक मामलों के टीकाकार रोनीन पेयर्गमैन ने अपनी किताब क़ैदियों को छुड़ाने की इस्राईल की ख़ुफ़िया जंग में लिखा है कि हमास ने 18 पृष्ठों की एक दस्तावेज़ अपनी सैनिक शाखा के  सदस्यों को सौंपी है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि किस तरह इस्राईली सैनिकों को बंधक बनाया जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि बंधक बनाने के आप्रेशन में शामिल लोगों के लिए ज़रूरी है कि हेब्रू भाषा की पूरी जानकारी रखते हों, वह आप्रेशन के दौरान एक शब्द भी अरबी भाषा का प्रयोग न करें। बंधक बनाने के लिए एसे सैनिक या कमांडर को चुने जो शारीरिक रूप से बहुत मज़बूत न हो। बारिश का समय बंधक बनाने के लिए बहुत उचित है और इस आप्रेशन में साइलेंसर युक्त रिवाल्वर प्रयोग किए जाएं। जिस गाड़ी की मदद से सैनिक को बंधक बनाया गया है उसे तत्काल दूसरी गाड़ी से बदल लिया जाए।

पेयर्गमैन ने अपनी पुस्तक में यह भी लिखा है कि इस्राईली सेना ने 1800 नए सैनिकों की भर्ती की जिन्हें तीन अलग अलग भागों में बांटा गया है और उन्हें बंधक बनाने के आप्रेशन को नाकाम बनाने की ट्रेनिंग दी गई हैं। यह ट्रेनिंग इस्राईली सेना के वरिष्ठ जनरलों की निगरानी में हुई है।

इस्राईली सेना का कहना है कि हमास के पास इस्राईल के 100 बड़े जनरलों के नामों की सूची है। इस्राईली अख़बारों ने एक इस्राईली कमांडर के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके अनुसार हमास की नज़र विशेष रूप से पायलटों और वायु सेना के कमांडरों पर है।

इन सूचनाओं के बाद इस्राईल ने अपने वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की सुरक्षा और भी बढ़ा दी है क्योंकि इस्राईल को यह पता चल गया है कि हमास ने इस्राईली कमांडरों की गतिविधियों की व्यापक जानकारियां हासिल कर ली हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि इस समय भी हमास के क़ब्ज़े में इस्राईल के दो सैनिक हैं जिन्हें वर्ष 2014 में हमास के सैनिकों ने बंधक बनाया था। दोनों सैनिकों के परिवारों ने नेतनयाहू सरकार पर आरोप लगाया है कि वह बंधक बनाए गए सैनिकों को छुड़ाने के लिए कोई ख़ास कोशिश नहीं कर रही है।

अक्तूबर वर्ष 2015 से आरंभ होने वाले क़ुद्स इंतेफ़ाज़ा वर्ष 2017 में भी पूरी शक्ति के साथ जारी रहा और इस वर्ष 98 फ़िलिस्तीनी शहीद हुए जबकि दसियों हज़ार घायल हुए और इस प्रकार से क़ुद्स इंतेफ़ाज़ा के शहीदों की संख्या 366 हो गयी।

फ़िलिस्तीनी इन्फ़ारमेशन सेन्टर की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में फ़िलिस्तीनियों ने ज़ायोनी शासन के विरुद्ध चार सौ चार कार्यवाहियां की जिसके दौरान 22 ज़ायोनी सैनिक और ज़ायोनी बस्ती के निवासी मारे गये जबकि 397 ज़ायोनी घायल हुए।

फ़िलिस्तीनी बंदियों के शोध केन्द्र ने बताया है कि वर्ष 2017 में ज़ायोनी सैनिकों ने 6 हज़ार 5 सौ फ़िलिस्तीनियों को गिरफ़्तार किया है जबकि इन गिरफ़्तार लोगों में 1600 बच्चे और 170 महिलाएं और लड़कियां हैं।

फ़िलिस्तीनी बंदियों के शोध केन्द्र के प्रमुख रियाज़ अशक़र ने कहा कि वर्ष 2016 में इस्राईली सैनिकों ने एक हज़ार छह सौ फ़िलिस्तीनी बच्चों को गिरफ़्तार किया था जबकि इन बंदियों में से बड़ी संख्या दस साल से कम आयु के बच्चों की थी।

उनका कहना था कि फ़िलिस्तीन के नौ सांसद,1400 स्वतंत्र होने वाले बंदी और 185 बीमार फ़िलिस्तीनी, इस्राईली जेलों में हैं।

 

तेहरान के इमामे जुमा ने जुमे की नमाज़ के ख़ुतबों में कहा है कि बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में मान्यता देना, अमरीका के पतन का कारण बनेगा।

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प द्वारा बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी घोषित किए जाने की ओर संकेत करते हुए तेहरान के इमामे जुमा आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हदी किरमानी ने कहा, ट्रम्प का पतन हो रहा है और यहां तक कि अमरीकी राष्ट्रपति के इस फ़ैसले की आलोचना ख़ुद अमरीका के घटक देश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय ने अमरीका के इस फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया है।

आयतुल्लाह किरमानी का कहना था कि अमरीका के पूर्व अधिकारियों ने मध्यपूर्ण में 7 ट्रिलियन डॉलर ख़र्च किए हैं, अमरीका ने यह राशि इस्लाम, मानवता, ईरान और आज़ादी चाहने वालों लोगों को नुक़सान पहुंचाने के लिए ख़र्च की थी, लेकिन वह पूर्ण रूप से असफल रहा है।

अमेरिकी क्रिया- कलापों के संबंध में एक ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि विदित में किये जाने वाले दावे के खिलाफ अमेरिका ने कभी भी क्षेत्र से आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने का प्रयास नहीं किया है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने अधिकारियों से मुलाक़ात में भ्रांति फैलाने और ईरानी राष्ट्र से आत्म विश्वास की भावना को खत्म करने हेतु अमेरिकी प्रयासों की ओर संकेत किया और बल देकर कहा कि ईश्वर की कृपा, होशियारी और लोगों के प्रतिरोध से अतीत की भांति दुश्मनों को धूल चटायेंगे।

अमेरिका की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति बारमबार ईरानी राष्ट्र के लिए सिद्ध हो चुकी है परंतु इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका की वास्तविक पहचान के संबंध में वरिष्ठ नेता ने जो बातें कहीं हैं वह क्षेत्र में अमेरिकी षडयंत्रों के बारे में वरिष्ठ नेता की गम्भीर चेतावनी है।

अमेरिकी क्रिया- कलापों के संबंध में एक ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि विदित में किये जाने वाले दावे के खिलाफ अमेरिका ने कभी भी क्षेत्र से आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने का प्रयास नहीं किया है।

अमेरिका ने दाइश और दूसरे आतंकवादी गुटों, आले सऊद जैसी तानाशाही व अत्याचारी सरकारों और जायोनी शासन का समर्थन करके अपनी वास्तविक व भ्रष्ट प्रवृत्ति स्पष्ट कर दिया है।

अमेरिकी क्रिया- कलापों के दृष्टिगत दूसरा ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि अमेरिका इस्लामी देशों विशेषकर ईरान की इस्लामी व्यवस्था का विरोधी है।

तीसरा बिन्दु सुरक्षा के साथ प्रगति है और यह चीज़ न केवल ईरान बल्कि समस्त स्वतंत्र राष्ट्रों के लिए महत्वपूर्ण है और यह वह बिन्दु है जिस पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अपने संबोधन में बल दिया।

बहरहाल अमेरिका का वास्तविक लक्ष्य मतभेद व भ्रांति उत्पन्न करके क्षेत्रीय राष्ट्रों को एक दूसरे से लड़ाना है।

अमेरिका के प्रसिद्ध बुद्धिजिवी व विचारक नोअम चामस्की का कहना है कि अमेरिका ईरान को सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बताता है जबकि विश्व समुदाय का मानना है कि अमेरिका विश्व की शांति व सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है।

 

 

तेहरान में ईसाई धर्म के वरिष्ठ धर्मगुरू ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के क़ानून के तहत इस देश में हर धर्म और वर्ग के लोगों को पूरी आज़ादी और सम्मान प्राप्त है।

हज़रत ईसा के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर राजधानी तेहरान में आयोजित इस्लामिक परिषद की 33वीं कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आर्च बिशप “सब्वा सारकीसयान” ने कहा कि इन शुभ दिनों में मैं कामना करता हूं कि दुनिया में शांति और भाईचारा पैदा हो, जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

आर्च बिशप “सारकीसयान” ने कहा कि दुनिया आगर चाहती है कि इस धरती पर युद्ध न हो और शांति स्थापित हो तो सबसे पहले न्याय स्थापित करना होगा और किसी भी राष्ट्र के अधिकारों के मार्ग में रुकावट पैदा करना बंद करना होगा। ईसाई धार्मिक नेता ने कहा कि जिस दिन हम दुनिया में न्याय स्थापित कर लेंगे उस दिन इस धरती पर प्रेम, भाईचारा और राष्ट्रों के बीच अच्छे संबंध देखने को मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि ईरान,  आपसी संपर्क और राष्ट्रों के बीच एकता स्थापित करने का केंद्र है। आर्च बिशप “सारकीसयान” ने कहा कि साम्राज्यवादी शक्तियां ईरान पर तरह-तरह के आरोप लगाती हैं लेकिन दुनिया के लोग उनके झांसे में न आएं और ईरान आकर देखें कि कैसे सारे धर्म के लोग भाईचारे के साथ बिना किसी मतभेद के शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं।  

ईरान में ईसाई धर्म के वरिष्ठ धर्मगुरू ने ट्रम्प के हालिया शैतानी फ़ैसले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि हमें आशा है कि फ़िलिस्तीनी जनता अपने अधिकार प्राप्त करके रहेगी। उन्होंने कहा कि बैतुल मुक़द्दस हमेशा से फ़िलिस्तीन की राजधानी था और आगे भी उसी की राजधानी रहेगा।

पश्चिमी एशिया के क्षेत्र में जो नई स्थिति जन्म ले रही है वह हक़ीक़त में उस रसूख़ की लड़ाई का नतीजा है जो कई वर्षों से इस्लामी गणतंत्र ईरान के नेतृत्व में इस्लामी प्रतिरोधक ब्लाक और अमरीका के बीच जारी है। इस युद्ध में अमरीका के घटक उसका साथ दे रहे हैं।

वैसे तो यह लड़ाई पिछले लगभग चालीस साल से जारी है लेकिन हालिया दस वर्षों में यह लड़ाई अधिक जटिल और व्यापक हो चली है।

वर्तमान परिस्थितियां दो परिवर्तनों को रेखांकित करती हैं। एक तो अमरीका की ताक़त और रसूख़ में स्पष्ट कमी तथा दूसरी ईरान की शक्ति और प्रभाव में तेज़ वृद्धि। बहुत से विशलेषकों का मानना है कि अमरीका इलाक़े में ईरान के मुक़ाबले में बुरी तरह उलझाव और कन्फ़्युजन का शिकार है, इसी लिए उसको लगातार विफलताओं का सामना करना पड़ रहा है।

वरिष्ठ विशलेषक माइकल यांग ने दि नेशनल इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले अपने लेख में लिखा है कि अमरीका के पास इलाक़े में ईरान के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए कोई रणनीति ही नहीं है। इसी बारे में जार्ज फ़्रेडमैन इस बात पर ज़ोर देते हुए लिखते हैं कि अमरीका इराक़ में जन्म लेने वाली इस्लामी जागरूकता की लहर की वजह से तबाह हाल हो चुका है। इसी जागरूकता के कारण इलाक़े के समीकरण अमरीका के अहित और ईरान के हित में बदल गए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि अमरीका नए इराक़ के तथ्यों से ख़ुद को समन्वित नहीं कर पा रहा है। अमरीकी नीतियों के चलते दाइश संगठन अस्तित्व में आया इस समस्या ने ख़ुद भी ईरान के लिए इलाक़े के दरवाज़े पूरी तरह खोल दिए। वाशिंग्टन ईरान की परमाणु शक्ति में ही उलझा रहा जबकि वह इस हक़ीक़त से अनभिज्ञ रहा कि ईरान का राजनैतिक प्रभाव उसकी परमाणु शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है।

सेंट एंथोनी कालेज के शरमेन नरवानी ने हाल ही में एक कालम में लिखा कि अब जबकि 2017 का साल समाप्त होने वाला है तो सीरिया युद्ध में शामिल देश इस देश में न्यू आर्डर की स्थापना की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन अमरीका इसमें कोई स्थान नहीं है। पश्चिमी एशिया में जारी बदलाव का दूसरा पहले ईरान के बढ़ते प्रभाव पर आधारित है। इस इलाक़े के संकटों के समाधान में ईरान की प्रभावी भूमिका को देखते हुए बहुत से पश्चिमी स्ट्रैटेजिस्ट भी इसे ईरान के उदय का क्षण मान रहे हैं। उनका मानना है कि इलाक़े की स्थिति अपरिहार्य दिशा में बढ़ रही है और दुनिया की कोई भी ताक़त ईरान को पीछे हटाने की क्षमता नहीं रखती।

जार्ज फ़्रेडमैन ने हफ़िंग्टन पोस्ट में एक कालम लिखा है जिसका शीर्षक है ईरान मध्यपूर्व को नया रूप दे रहा है। इस कालम में फ़्रेडमैन ने लिखा है कि मध्यपूर्व एक नई और पूरी तरह से भिन्न शक्ल प्राप्त कर चुका है। ईरान के बढ़ते प्रभाव पर ध्यान केन्द्रित करने की ज़रूरत है।

 

मंगलवार, 26 दिसम्बर 2017 11:39

फ़ारसी सीखें-25वां पाठ

आज  की चर्चा में हम आपको एक सक्रिय ईरानी युवा से परिचित कराना चाहते हैं। हुसैन अहमदी एक सफल व मेहनती युवा हैं। उन्होंने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है और अन्य देशों को सूखे फल निर्यात करने का काम करते हैं। श्री महदी अलवी उनके भागीदार है जिन्होंने उद्योग के क्षेत्र में इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। दोनों ने संयुक्त रूप से पूंजीनिवेश करके फल सुखाने की कई मशीनें ख़रीदी हैं। दोनों प्रतिवर्ष उचित फ़स्लों में ईरान के विभिन्न नगरों की यात्रा करते हैं, देहातों में जाते हैं और ईरान के विभिन्न क्षेत्रों से अच्छे फल व कृषि उत्पाद ख़रीदते हैं। वे अच्छे-अच्छे फलों को ख़रीद कर उन्हें सुखाते हैं और अन्य देशों की मंडियों के लिए एक स्तरीय एवं नया उत्पाद तैयार करते हैं। सुंदर पैकिंग में रंग-बिरंगे सूखे हुए फल हर ग्राहक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। श्री अहमदी, रामीन के पुराने मित्रों में से एक हैं। वे कभी कभी रामीन से मिलने के लिए भी जाते हैं और उसके लिए सूखे हुए फल उपहार स्वरूप ले जाते हैं। मुहम्मद को भी यह स्वादिष्ट उत्पाद बहुत पसंद आया है और वह रामीन से श्री अहमदी की आर्थिक गतिविधियों के बारे में बात कर रहा है। तो आइये पहले दोनों की बातचीत में प्रयोग होने वाले कुछ नए शब्दों पर ध्यान दीजिए।

 

ترجمه و تکرار دو بار

به به                                  वाह वाह

 میوه                      फल

 میوه ها                          फल (बहुवचन)

 خوشمزه                               स्वादिष्ट

 نوش جان  खाइए                          

 تولید کننده  उत्पादक                       

 صادر کننده                      निर्यातकर्ता

 خشک                                      सूखा

 خشک شده  सूखा हुआ                     

 دوستان                        मित्र (बहुवचन)

 قدیمی                               प्राचीन

 شغل                          काम, व्यवसाय

 جالب                               रोचक

 صادرات                          निर्यात

 چگونه                       किस  - प्रकार

 او تهیه می کند         वह तैयार करता है

 خودش                        वह  - स्वयं

 او می خرد                वह ख़रीदता है

کشاورزها   -    کشاورزان        किसान (बहुवचन)

شریک                    भागीदार, घटक

مختلف                        विभिन्न

کارخانه                      कारख़ाना

کوچک                         छोटा

کشور                            देश

دیگر                           अन्य

بزرگ                          बड़ा

ولی                            किंतु

کمک                       सहायता

محصولات                 उत्पाद,

ظاهرا"                 विदित रूप से

متنوع               विविध प्रकार के,

انجیر                       अंजीर

سیب                         सेब,

گلابی                     नाश्पाती

خرمالوपेरसिमोन,                 

 گیلاس                       चेरी

پرتقال           एक प्रकार की मौसंबी

 شهرها                गर (बहुवचन)

درست است             सही है

آنها می خرند       वे ख़रीदते हैं

حالا             अब, तो, अच्छा तो

کدامकौन सा                   

عرب                     अरब

 حاشیه              तट, किनारा

خلیج فارس       फ़ार्स की खाड़ी

چند                    कितना, कितने

اروپایی      युरोपीय               

به نظر من          मेरे विचार में

آنها توسعه می دهند   वे विकसित करते हैं

مطمئنا"                    निश्चित रूप से

مردم                               लोग

 

 

तो आइये अब मुहम्मद और रामीन के पास चलते हैं। मुहम्मद, मेज़ पर रखे हुए सूखे फल खा रहा है। वे अत्यंत स्वादिष्ट और मनमोहक हैं। दोनों के बीच होने वाली बात चीत पर ध्यान दीजिए।

ترجمه و تکرار دو بار

 

محمد - بَه بَه ! چه میوه های خوشمزه ای !

मुहम्मदः वाह वाह कितने स्वादिष्ट फल हैं !

رامین - نوش جان . امروز آقای احمدی اینجا بود

रामीनः खाइये न, आज श्री अहमदी यहां थे।

محمد - آقای احمدی کیست ؟

मुहम्मदः श्री अहमदी कौन हैं ?

رامین - حسین احمدی ، تولید کننده و صادر کننده میوه های خشک است . او از دوستان قدیمی ماست .

रामीनः हुसैन अहमदी, सूखे फलों के उत्पादक व निर्यातक हैं। वे हमारे पुराने मित्रों में से हैं

محمد - چه شغل جالبی ! صادرات میوه های خشک ! چگونه این میوه های خشک تهیه می شود ؟

मुहम्मदः कितना रोचक काम है! सूखे फलों का निर्यात! ये सूखे फल किस  प्रकार तैयार होते हैं ?

رامین - او میوه های مختلف را از کشاورزان می خرد و شریکش آقای علوی ، میوه ها را در کارخانه اش خشک می کند .

रामीनः वे किसानों से विभिन्न फल ख़रीदते हैं और उनके भागीदार श्री अलवी फलों को अपने कारख़ाने में सुखाते हैं।

محمد - و آقای احمدی میوه های خشک شده را به کشورهای دیگر صادر می کند .

मुहम्मदः और श्री अहमदी सूखे हुए फलों को अन्य देशों को निर्यात करते हैं।

رامین - البته آنها کارخانه بزرگی ندارند ، ولی با کمک کشاورزان ، محصولات خوبی را تولید می کنند.

रामीनः हां किंतु उनका कारख़ाना बड़ा नहीं है पर वे किसानों की सहायता से अच्छे उत्पाद तैयार करते हैं।

محمد - ظاهرا" محصولاتشان متنوع است . انجیر ، سیب ، گلابی ، خرمالو ، گیلاس ، پرتقال

मुहम्मदः विदित रूप से उनके उत्पादों में विविधता भी है, अंजीर, सेब, नाश्पाती, चेरी, ख़ुर्मालू और मौसंबी

رامین - درست است . آنها از شهرهای اردبیل ، مشهد ، اصفهان و ورامین میوه می خرند .

रामीनः सही है , वे अर्दबील, मशहद, इस्फ़हान और वरामीन जैसे नगरों से फल ख़रीदते हैं।

محمد - حالا این محصولات خوشمزه را به کدام کشورها صادر می کنند ؟

मुहम्मदः अच्छा तो वे इन स्वादिष्ट फलों को किन देशों को निर्यात करते हैं  ?

رامین - به کشورهای عربی حاشیه خلیج فارس و چند کشور اروپایی .

रामीनः फ़ार्स की खाड़ी के तटवर्ती कुछ अरब और कुछ युरोपीय देशों को ।

محمد - به نظر من آنها باید کارشان را توسعه دهند . مطمئنا" مردم همه کشورها از این میوه ها خوششان می آید .

मुहम्मदः मेरे विचार में उन्हें अपने काम को बढ़ाना चाहिए। निश्चित रूप से सभी देशों के लोग इन फलों को पसंद करेंगे।

 

 

आइये रामीन और मुहम्मद की बातचीत पर फिर एक दृष्टि डालते हैं किंतु इस बार बिना अनुवाद के।

بدون ترجمه و تکرار یک بار

محمد - بَه بَه ! چه میوه های خوشمزه ای ! رامین - نوش جان . امروز آقای احمدی اینجا بود . محمد - آقای احمدی کیست ؟ رامین - حسین احمدی ، تولید کننده و صادر کننده میوه های خشک است . او از دوستان قدیمی ماست . محمد - چه شغل جالبی ! صادرات میوه های خشک ! چگونه این میوه های خشک تهیه می شود ؟ رامین - او میوه های مختلف را از کشاورزان می خرد و شریکش آقای علوی ، میوه ها را در کارخانه اش خشک می کند . محمد - و آقای احمدی میوه های خشک شده را به کشورهای دیگر صادر می کند . رامین - البته آنها کارخانه بزرگی ندارند ، ولی با کمک کشاورزان ، محصولات خوبی را تولید می کنند . محمد - ظاهرا" محصولاتشان متنوع است . انجیر ، سیب ، گلابی ، خرمالو ، گیلاس ، پرتقال  .رامین - درست است . آنها از شهرهای اردبیل ، مشهد ، اصفهان و ورامین میوه می خرند . محمد - حالا این محصولات خوشمزه را به کدام کشورصادر می کنند ؟ رامین - به کشورهای عربی حاشیه خلیج فارس و چند کشور اروپایی . محمد - به نظر من آنها باید کارشان را توسعه دهند . مطمئنا" مردم همه کشورها از این میوه ها خوششان می آید .

मुहम्मद और रामीन ने सूखे फल खाते हुए श्री अहमदी की कार्य शैली के बारे में बात की। रामीन ने बताया कि वे बड़े ही परिश्रमी व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने परिश्रम और कई शिक्षित युवाओं के सहयोग से यह कार्य आरंभ किया। कृषि के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले कुछ युवा इस समय सफल किसान हैं और अच्छे फल उपलब्ध कराने में श्री अहमदी की सहायता करते हैं। श्री अलवी और कुछ अन्य युवा फलों को सुखाने और उनकी पैकिंग करने में श्री अहमदी से सहयोग करते हैं। फलों की पैकिंग अत्यंत विकसित, विविध एवं उच्च कोटि की होती है। कुल मिला कर उनके उत्पादों का स्तर बहुत ऊंचा होता है। मुहम्मद कहता है कि श्री अहमदी को अन्य लोगों के पूंजीनिवेश से भी लाभ उठा कर अपने व्यापार को बढ़ाना चाहिए तथा अधिक देशों में अपने फलों को निर्यात करना चाहिए। उनका यह काम निश्चित रूप से सफल रहेगा क्योंकि उच्च कोटि और ऊंचे स्तर के उत्पादों का ख़रीदार सदैव ही स्वागत करते हैं।