
رضوی
हम अमरीका से नहीं डरते, क्षेत्र और ईरान से अमरीका को हमने खदेड़ाः वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि एक बार फिर ईरानी जनता ने पूरी शक्ति के साथ अमरीका और ब्रिटेन को मुंह तोड़ उत्तर दिया हे और उन्हें स्पष्ट संदेश दे दिया है कि इस बार भी तुम कुछ नहीं कर सके और आगे भी कुछ नहीं कर सकोगे।
क़ुम के हज़ारों लोगों ने 19 दय बराबर 9 जनवरी 1978 में क़ुम की जनता के क्रांतिकारी आंदोलन की वर्षगांठ के अवसर पर मंगलवार को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी क्रांति ने ईरान में दुश्मनों की जड़ें काट कर फेंक दी इसीलिए दुश्मन निरंतर क्रांति से बदला लेने का प्रयास करता है और हर बार उसको विफलता का मुंह देखना पड़ता है और ईरानी जनता के प्रतिरोध और संघर्ष से वह आगे भी कुछ नहीं कर सकेगा।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस्लामी व्यवस्था और क्रांति के मूल्यों के समर्थन में पिछले कुछ दिनों के दौरान ईरानी जनता द्वार निकाली गयी भव्य रैलियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरानी जनता ने इस बार भी अमरीका, ब्रिटेन और लंदन में बैठे हुए तत्वों को पूरी शक्ति के साथ मुंह तोड़ जवाब दिया और यह संदेश दे दिया कि इस बार भी तुम कुछ नहीं कर सकोगे।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि दुश्मन के षड्यंत्रो के मुक़ाबले में ईरानी जनता की ओर से इस प्रकार की निकाली गयी व्यवस्थित, तत्वदर्शी और भव्य रैलियों का दुनिया में कहीं भी उदाहरण नहीं मिलता और ईरानी जनता की इस प्रकार की भव्य रैलियों का क्रम पिछले चालीस वर्षों से जारी है।
उन्होंने कहा कि यह एक साल, दो साल और पांच साल की बात नहीं है बल्कि ईरान की जनता का युद्ध ईरानी राष्ट्र के दुश्मनों से है, ईरान की जंग, ईरान के विरोधियों से है, इस्लाम का युद्ध, इस्लाम के दुश्मनों से है और यह क्रम जारी है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने पिछले दिनों कुछ शहरों में जनता की वैध मांगों को लेकर किए गये प्रदर्शनों और बाद में इन प्रदर्शनों में कुछ अराजक तत्वों के शामिल हो जाने और उपद्रवी कार्यवाही अंजाम दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता की क़ानूनी और वैध मांगों में, और हंगामे तथा पवित्र स्थालों का अनादर करने वालों की कार्यवाहियों में अंतर है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी वैध मांगों को लेकर प्रदर्शन करें , रैलियां करें, इसमें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता किन्तु कुछ लोग इन प्रदर्शनों से ग़लत लाभ उठाकर पवित्र स्थलों का अनादर करें, राष्ट्रीय ध्वज को आग लगाएं, मस्जिदों को नुक़सान पहुंचाएं, यह अलग विषय है और दोनों को आपस में नहीं मिलाया जात सकता और अपनी वैध मांगों के संबंध में प्रदर्शन करने वालों ने भी तुरंत स्वयं को इन तत्वों से अलग कर दिया।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इन हंगामों के पीछे एक त्रिकोण लिप्त है। उन्होंने कहा कि अमरीका, ज़ायोनी शासन, फ़ार्स की खाड़ी के आसपास की एक मालदार सरकार और आतंकवादी गुट एमकेओ ने इन हंगामों की योजना तैयार की िी और इस का सारा ख़र्चा इसी मालदार सरकार ने ही उठाया क्योंकि जब तक यह सरकारें हैं अमरीका पैसे ख़र्च नहीं कर सकता।
उन्होंने ईरान से अमरीकी अधिकारियों की दुश्मनी और अप्रसन्नता का उल्लेख करते हुए कहा कि अमरीका, ईरानी जनता और सरकार से इसके लिए बहुत अधिक नाराज़ है कि उसको इस्लामी क्रांति और ईरानी जनता से पराजय हुई है। उन्होंने ईरान की इस्लामी व्यवस्था को जनव्यवस्था क़रार देते हुए कहा कि ईरान की सरकार अपनी जनता पर ही भरोसा करती है क्योंकि यह सरकार ईरानी जनता की अपनी निर्वाचित और बनाई हुई सरकार है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अमरीकी अधिकारियों के इस प्रकार के बयान को निर्लज्जता बताते हुए कि जिनमें वह कहते हैं कि ईरान, अमरीका की शक्ति से डरता है, कहा कि यदि तुमसे डरते तो 1970 के दशक के अंत में हमने तुम्हें ईरान से कैसे निकाल दिया और अभी कुछ वर्षों में तुम्हें पूरे क्षेत्र से कैसे निकाल दिया?
रोहंग्गियाइयों के नियमित क्लियरेंस के व्यवस्थित संरचना की पुष्टि
रिपोर्ट ढाका ट्रिब्यून न्यूज एजेंसी के अनुसार, इस्लामी सहयोग संगठन के स्थायी मानवाधिकार आयोग ने कल 6 जनवरी को रोहिंगया मुस्लिमों के मानवाधिकारों के बड़े पैमाने पर व्यवस्थित उल्लंघन से संबंधित ऐक बयान जारी करने के साथ अपना विरोध व्यक्त किया।
इस आयोग ने अपने बयान में कहा: रोहिंगया मुसलमानों की स्थित एक संगठित जातीय सफाई को दर्शाती है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार मानवता के खिलाफ अपराध है और किसी भी तरह इसे रोकना चाहिए।
यान में कहा गया है कि रोहिंगया मुसलमान जो नस्ल, धर्म और मूल के लिए बलि चढ़ रहे हैं, दुनिया में मानव जाति के खिलाफ अपराधों और नस्लीय सफाई का सबसे बुरा उदाहरण है।
इस्लामी सहयोग संगठन के मानव अधिकारों के स्थायी आयोग ने इस बयान में म्यांमार सरकार से मांग की है कि वह रोहंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को तुरंत समाप्त करने और अपराधों के अपराधियों को दंडित करने के लिए निर्णायक कदम उठाए।
इसी तरह रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियों को बदलने और मानवीय सहायता तक उनकी पहुंच को मुम्किन बनाने पर जोर दिया।
ओआईसी के स्थायी मानवाधिकार आयोग ने इसी तरह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सामान्य और ओआईसी सदस्य देशों से ख़ास तौर पर आग्रह किया है कि म्यांमार पर दबाव के साथ इस देश की सरकार को रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का पालन करने के लिए मजबूर करें।
नेतनयाहू की भारत यात्रा का खुलकर विरोध करेंगेः महमूद मदनी
जमीअते ओलमाए हिंद के महासचिव ने घोषणा की है कि उनका संगठन, नेतनयाहू की भारत यात्रा का खुलकर विरोध करेगा।
भारत के पूर्व सांसद और जमीअते ओलमाए हिंद के महासचिव का कहना है कि ज़ायोनी शासन के प्रधानंत्री की भारत यात्रा का पुरज़ोर विरोध किया जाएगा।
महमूद मदनी ने शुक्रवार को देवबंद में अपने निवास पर संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि भारत ने सदैव ही फ़िलिस्तीन, का समर्थन किया है और फ़िलिस्तीन आरंभ से ही भारत का मित्र रहा है। उन्होंने कहा कि जमिअते ओलमाए हिंद, प्रधानमंत्री मोदी से मांग करता है कि वे नेतनयाहू को भारत आने से रोकें। मदनी ने कहा कि नेतनयाहू के भारत आने से देश के मुसलमानों को ग़लत संदेश जाएगा। महमूद मदनी ने कहा कि भारत की विदेश नीति में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की विदेश नीति सदैव फ़िलिस्तीन के हित में रही है।
उल्लेखनीय है कि भारत के कुछ अन्य इस्लामी संगठनों ने भी घोषणा की है कि अगर नेतनयाहू भारत दौरे पर आते हैं तो वे उनको काले झंड़े दिखाएंगे। नेतनयाहू को काला झंड़ा दिखाने की चेतवानी देने वाले संगठनों के अनुसार हम फ़िलिस्तीन की जनता के प्रति अपना समर्थन और एकजुटता दिखाने के लिए एसा करेंगे। ज्ञात रहे कि कार्यक्रम अनुसार ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री नेतनयाहू 14 जनवरी को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत की यात्रा पर आने वाले हैं।
नई दिल्ली पुस्तक मेले में ईरानी बुक स्टाल्स पर भारतीयों की भीड़
भारत की राजधानी नई दिल्ली के प्रगति मैदान पर चल रहे अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में ईरानी प्रकाशकों ने बढ़चढ़कर भाग लिया।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, इस अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में ईरानी प्रकाशकों ने 1200 पुस्तकें पेश कीं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरानी प्रकाशकों के तीन बुक स्टाल है जिन पर क्लासिकल साहित्य, कला, उपन्यास, धार्मिक, बाल्य, इस्लामी और ईरानी जैसे अनेक विषयों पर पुस्तकें पेश की गयी थीं।
ईरानी प्रकाशकों ने इसी पवित्र प्रतिरक्षा, समकालीन शायरों के दीवान तथा ईरानी व इस्लामी संस्कृति व सभ्यता की पहचान के लिए उर्दू, अंग्रेज़ी और फ़ारसी भाषा की पुस्तकें किताब मेले में पेश कीं।
इस अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में दुनिया के चालीस देशों के प्रकाशक भाग ले रहे हैं। इस पुस्तक मेले का मुख्य विषय, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन है और इस पुस्तक मेले में इस विषय पर 500 से अधिक किताबें पेश की गयी हैं।
ईरान, भारत से 60 करोड़ डॉलर मूल्य के लोकोमोटिव ख़रीदेगा
ईरान और भारत ने माल गाड़ी के इंजन या लोकोमोटिव की ख़रीदारी के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
ईरान की रेलवे कंपनी एवं परिवहन योजना के उप निदेशक और भारत की रेलवे कंपनी राइट्स लिमिटेड के प्रबंधकों ने लोकोमोटिव की ख़रीद के समझौते पर हस्ताक्षर किए।
शुक्रवार को प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, इस समझौते के मुताबिक़ भारत की राइट्स लिमिटेड कंपनी ईरान की रेलवे कंपनी को 60 करोड़ डॉलर मूल्य के 200 लोकोमोटिव उपलब्ध कराएगी।
ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री अब्बास आख़ूंदी ने इस संदर्भ में कहा है कि "इस समझौते के मुताबिक़, कुछ लोकोमोटिव का उत्पादन ईरान में ही किया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि लोकोमोटिव की ख़रीद का समझौता, ईरान और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण औद्योगिक सहकारिता होगी।
आख़ूंदी का कहना था कि भारतीय रेलवे में 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं और यह देश लोकोमोटिव के उत्पादन में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करता है।
ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री बुधवार को दिल्ली में आयोजित भारत-ईरान व्यापार सहयोग सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली पहुंचे थे।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के दुश्मन सभी धर्मों के दुश्मन हैं: वरिष्ठ ईसाई धर्मगुरू
ईरान के पूर्वी प्रांत आज़रबाइजान के वरिष्ठ ईसाई धर्मगुरू ने कहा है कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था, ईश्वरी प्रणाली के सिद्धांतों पर आधारित है और हम मानते हैं कि इस व्यवस्था के दुश्मन, सभी धर्मों के दुश्मन हैं।
ईरान के तबरेज़ शहर में ईसाई समुदाय के शहीदों की याद में आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ ईसाई धर्मगुरू ग्रिकोर चुफ़्तचियान ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई की सूझबूझ और मार्गदर्शन के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ईरान की पवित्र इस्लामी व्यवस्था का मुख्य स्तंभ वरिष्ठ नेता हैं और हम सबको ईश्वर का आभार व्यक्त करना चाहिए कि उसने ऐसा विद्वान और महान नेता हमें दिया है।
ईसाई धर्मगुरू ग्रिकोर चुफ़्तचियान ने फ़िलिस्तीन की धरती पर हज़रत ईसा के जन्म का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा शैतान और साम्राज्यवादी शक्तियां फ़िलिस्तीन को टुकड़ों में बांटना चाहती हैं, जबकि फ़िलिस्तीन और बैतुल मुक़द्दस (यरूशलेम) सभी ईश्वरीय धर्मों के मानने वालों का पवित्र स्थल है। उन्होंने कहा कि यह पवित्र स्थल किसी विशेष समुदाय या मत से विशेष नहीं है। ईसाई धर्मगुरू ने फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ सभी साम्रज्यवादी शक्तियों के षड्यंत्रों की कड़े शब्दों की निंदा की।
ईसाई धर्मगुरू ग्रिकोर चुफ़्तचियान ने विभिन्न धर्मों के बीच परस्पर एकता के लिए ईरान की प्रभावी भूमिका का उल्लेख किया और कहा कि दुनिया, ईरान में इस मज़बूत एकता और स्थिरता को स्पष्ट रूप से देख सकती है। उन्होंने कहा कि हमारी एकता हमारे दुश्मनों को बर्दाश्त नहीं हो रही है।
ईसाई धर्मगुरू ग्रिकोर चुफ़्तचियान ने कहा कि हमें इस बात पर गर्व है कि ईरान की इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था सभी धर्मों को समान अधिकार और क़ानून के तहत स्वतंत्रता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि आज ईरान में मौजूद हर धर्म का व्यक्ति पूरी आज़ादी, आपसी एकता और प्रेम के साथ अपना जीवन गुज़ार रहा है और इसी सबको देखकर हमारा दुश्मन हर दिन ग़ुस्से में जलता जा रहा है।
अमरीका और इस्राईल, ईरान और अन्य मुस्लिम देशों के आतंकरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं, अर्दोगान
तुर्क राष्ट्रपति ने कहा है कि अमरीका ईरान, पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों के प्राकृतिक स्रोतों को लूटने के लिए इन देशों में हस्तक्षेप कर रहा है।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब अर्दोगान ने शुक्रवार को इंस्ताबुल में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, हम ईरान और पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में अमरीका और इस्राईल के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेंगे।
मंगलवार को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने ट्वीट करके ईरान में होने वाले प्रदर्शनों का समर्थन करते हुए हिंसा भड़काने का प्रयास किया था।
अमरीका जहां ख़ुंद दाइश जैसे ख़ूंख़ार आतंकवादी गुटों का समर्थन करता रहा है, वहीं अब पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक बताकर उसके ख़िलाफ़ कार्यवाही की बात कर रहा है।
अर्दोगान का कहना था कि अमरीका और इस्राईल यह सब कुछ मुस्लिम देशों के प्राकृतिक स्रोतों को लूटने के लिए कर रहे हैं।
तुर्क राष्ट्रपति ने कहा, वाशिंगटन और तेल-अवीव प्रमुख रूप से मुस्लिम देशों को निशाना बना रहे हैं और उन्हें एक दूसरे के ख़िलाफ़ भड़का रहे हैं, इस तरह के हस्तक्षेप का नतीजा हम सीरिया, इराक़, मिस्र और लीबिया में देख चुके हैं।
वास्तव में अर्दोगान ने तेहरान के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें कहा गया था कि अमरीका, इस्राईल और सऊदी अरब देश में हिंसा भड़काने का प्रयास कर रहे हैं।
हिज़्बुल्लाह महासचिव को कितना मिलता है वेतन, जानकर हो जाएंगे हैरान!
दुनिया में वरिष्ठ नेताओं, पार्टी प्रमुखों और राष्ट्राध्यक्षों के वेतन को लेकर चर्चाएं तो होती रहती हैं।
दुनिया के आम लोग वरिष्ठ नेताओं के भारी भरकम वेतन को लेकर काफ़ी हंगामे मचाते हैं। उनका यही कहना है कि हम को दो समय की रोटी नहीं मिलती किंतु देश के नेता मौज कर रहे हैं और मज़े में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यदि देखा जाए तो टीवी एंकर को यदि मौक़ा मिलता है तो सबसे पहले वह सामने वाले नेता के वेतन और उनकी आय के बारे में पूछता है, यही हुआ हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह के साथ। अलमयादीन टीवी चैनल के एक कार्यक्रम के दौरान जब उनसे उनके वेतन के बारे में पूछा गया तो उनके जवाब ने सबको हैरान कर दिया। अलमयादीन टीवी चैनल के एक कार्यक्रम " राष्ट्रों का खेल" के दौरान टीवी एंकर ने हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह के वेतन के बारे में पूछ लिया तो हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा कि उनको मासिक 1300 अमरीकी डॉलर लगभग ( 82000 रुपए) मिलते हैं और यह राशि उनके और उनके परिवार का ख़र्चा पूरा करने के लिए काफ़ी है।
टीवी एंकर ने पूछा कि आप कौन सा खेल पसंद करते हैं तो उनका कहना था कि वह फ़ुटबॉल पसंद करते हैं और समय मिलने पर फ़ुटबॉल के कुछ मैच टीवी पर देखते हैं। उन्होंने कहा कि वह कला और संगीत और लोगों पर इसके पड़ने वाले प्रभाव को मानते हैं किन्तु हलाल या वैध सीमा है।
उन्होंने कहा कि उन्हें लिखना पढ़ना पसंद है किन्तु कुछ समय से वह इससे दूर हैं किन्तु क्षेत्रीय हालात के कारण संवेदनशील बातों पर ध्यान दे रहे हैं।
देश के भीतर हालिया उपद्रव अमरीका और उसके घटकों की कुंठा की झलक
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि हालिया दिनों ईरान में जो घटनाएं हुईं वह अमरीकियों और उनके घटकों की कुंठा को दर्शाती हैं।
ज्ञात रहे कि ईरान के कुछ शहरों में हालिया दिनों प्रदर्शन हुए जिनमें भाग लेने वालों ने महंगाई, बेरोज़गारी तथा सरकार के कमज़ोर प्रबंधन के खिलाफ़ नारे लगाए इस बीच कुछ उपद्रवी तत्वों ने विदेशी मदद से मौक़े का फ़ायदा उठाया और उपद्रव फैला दिया।
अमरीका, ज़ायोनी शासन तथा सऊदी अरब के अधिकारियों और संचार माध्यमों ने इन प्रदर्शनों को ईरान की इस्लामी व्यवस्था के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों का नाम दिया और एक अलग ही तसवीर पेश करने की कोशिश की लेकिन बुधवार और गुरुवार को पूरे ईरान में प्रदर्शन हुए और ईरानी जनता ने दुशमनों की साज़िशों तथा प्रदर्शनों में उपद्रवी तत्वों की हरकतों और सरकारी सम्पत्ति को नुक़सान पहुंचाने की कोशिशों की निंदा की।
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में कहा कि इलाक़े के देशों विशेष रूप से सीरिया और इराक़ में बार बार पराजय का मुंह देखने के बाद अमरीकी तथा उनके घटकों में कुंठा भर गई है और अब वह इस्लामी प्रतिरोध ब्लाक के ध्वजवाहक का दर्जा रखने वाले इस्लामी गणतंत्र ईरान पर वार करने के लिए मौक़े की तलाश में हैं।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि अमरीका और उसके घटकों को यह लगता है कि उपद्रवियों का समर्थन करके वह इस्लामी गणतंत्र ईरान पर वार कर ले जाएंगे लेकिन ईरान की समझदार जनता ने हमेशा की तरह इस बार भी मैदान में उतर कर अमरीका और उसके घटकों के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया।
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि हालिया उपद्रव के संबंध में अमरीका ने योजनाकार और सऊदी अरब ने स्पांसर की भूमिका निभाई।
इस्लाम दुश्मन ताक़तें ईरान को कमज़ोर नहीं कर सकतीः मौलाना कल्बे जवाद
भारत में शिया मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरू मौलाना कल्बे जवाद ने कहा है कि ईरान में हालिया दिनों मंहगाई के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों को विद्रोह बताकर साम्राजवादी शक्तियां ईरान को कमज़ोर दिखाने की कोशिश में लगी हुई हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ के इमामे जुमा और भारत में शिया मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरू मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने कहा है कि ईरान में हुए हालिया दिनों में महंगाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों को साम्राज्यवादी शक्तियों ने ग़लत ढंग से पेश करके ईरान को कमज़ोर दिखाने की एक नाकाम कोशिश थी, जिसको ईरान की समझदार जनता ने अपनी एकजुटता और वहां कि धार्मिक नेतृत्व पर अपना विश्वास जताकर विफल बना दिया है।
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि छोटी-छोटी घटनाओं को ईरान की इस्लामी व्यवस्था के दुश्मन, मीडिया के माध्यम से ऐसे पेश कर रहा है कि जैसे ईरान की जनता वहां की सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही हो, जबकि सच्चाई यह है कि कुछ छोटे-छोटे प्रदर्शन बढ़ती महंगाई के विरुद्ध हुए थे। उन्होंने कहा कि कुछ अमेरिकी, इस्राईली और सऊदी एजेंटों ने उन प्रदर्शनकारियों के बीच घुसकर उप्रदव करने का प्रयास किया जिसको ईरान की जनता और अधिकारियों ने बड़ी सूझबूझ से विफल बना दिया।
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा की मंहगाई के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों में एक महिला द्वारा बुर्क़ा उतारने के वीडियो को इस्लाम दुश्मन मिडिया जिस तरह हाईलाइट कर रहा है उससे साफ़ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अमेरिकी और पश्चिमी देशों की मीडिया किसके इशारे पर इस तरह की झूठी ख़बरे फैला रहे हैं।
मौलाना ने कहा कि इस्लाम में हिजाब का आदेश ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी (र.ह) या इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई की तरफ़ से नहीं है बल्कि ख़ुदा की ओर से दिया गाया आदेश है जिसको मानना हर मुसलमान पर अनिवार्य है।
भारत में शिया मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरू मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि ईरान में इस्लामी व्यवस्था को कमज़ोर करने का साम्रज्यवादी शक्तियां जो सपना देख रही हैं वह कभी साकार नहीं होगा, क्योंकि जब कभी भी इस इस्लामी व्यवस्था को कमज़ोर करने की कोशिश की गयी है तो वह पहले से ज़्यादा ताक़तवर बनकर उभरी है।