
رضوی
ग़ज़्ज़ा में शहीदों की संख्या 43061 से पार
लेबनान में मुंह की खाने वाली ज़ायोनी सेना जहाँ सीज़फायर के लिए कोशिशें कर रही है वहीँ विश्व समुदाय की निरंतर अपील के बाद भी ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के बर्बर हमले उसी तरह जारी हैं।
ग़ज़्ज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पिछले साल 7 अक्टूबर से ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना के हमलों में शहीदों और घायलों के नवीनतम आंकड़ें जारी किये हैं।
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, पिछले साल 7 अक्टूबर से ग़ज़्ज़ा पर अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना के हमलों के परिणामस्वरूप, 43 हजार 61 लोग शहीद हो चुके हैं।
साथ ही, इस फ़िलिस्तीनी चिकित्सा संस्थान ने कहा कि इस क्षेत्र में जनसंहार की शुरुआत के बाद से ज़ायोनी सेना के हमलों से घायलों की कुल संख्या 101,223 लोगों तक पहुँच गई है।
ईरान का रक्षा बल; विलायत फ़क़ीह और लोगों की चतुराई का फल
ईलाम प्रांत मे वली फ़कीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन करीमी तबार ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की मजबूत रक्षा शक्ति विलायत-ए-फ़क़ीह के नेतृत्व और लोगों की चतुराई का परिणाम है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन करीमी तबार ने इलाम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की रक्षा शक्ति विलायत फकीह के नेतृत्व और दृढ़ता का परिणाम है इसमें ईरानी लोगों और मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन ने मनोवैज्ञानिक युद्ध के माध्यम से अपने लक्ष्य हासिल करने की कोशिश की, लेकिन ईरान की धर्मनिष्ठ जनता और घरेलू मीडिया ने दुश्मन की इस साजिश को नाकाम कर दिया।
उन्होने कहा कि इज़राइल भी पूर्ण पैमाने पर युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रहा था, लेकिन ईरानी सेना और वायु रक्षा प्रणाली की खुफिया जानकारी ने इन योजनाओं को विफलता में बदल दिया।
करीमी तबार ने जोर देकर कहा कि ईरान की सार्वजनिक और राष्ट्रीय सुरक्षा गर्व का विषय है और इसकी सुरक्षा के लिए जिहाद तबीन, जिसका अर्थ है स्पष्टीकरण और जागरूकता का कर्तव्य अनिवार्य है। उन्होंने लोगों में निराशा फैलाने की दुश्मन की साजिश का भी जिक्र किया और मीडिया से इसका डटकर मुकाबला करने को कहा।
इस्राईल में बढ़ता हिज़्बुल्लाह का खौफ
ज़ायोनी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ज़ायोनी शासन की सेना के जवानों में हिज़्बुल्लाह लेबनान का खौफ बढ़ता ही जा रहा है। हिज़्बुल्लाह के ज़बरदस्त जवाबी हमलों के बाद, ज़ायोनी सेना के जवानों ने दक्षिणी लेबनान की सीमाओं पर ड्यूटी करने से इनकार कर दिया है।
ज़ायोनी न्यूज़ एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कुल 13,000 ज़ायोनी सैनिकों ने युद्ध के मैदान में जाने से इनकार कर दिया है।
हिज़्बुल्लाह ने युद्ध के बीच कई ज़ायोनी इलाक़ों में रह रहे अतिक्रमणकारियों को साफ़ सन्देश दिया है कि वह अपने अपने इलाक़े से निकल जाएं क्योंकि उनके मकान ज़ायोनी सेना का अड्डा बन चुके हैं और वह हिज़्बुल्लाह के निशाने पर हैं।
ईरान एकमात्र देश है जो फिलिस्तीनीयों के साथ खड़ा है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिष्ठित प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने अपने इंटरव्यू में कहा कि मैं दुआ करता हूँ कि ईरान इसी तरह इसराइल के खिलाफ पूरी ताकत से डटा रहे। ईरान इस समय एकमात्र देश है जो फिलिस्तीनी के लिए खड़ा है और अगर यह दृढ़ता बनी रही तो इंशाअल्लाह, हालात बेहतर होंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिष्ठित प्रवक्ता मौलाना साज्जद नोमानी को भारत में इस्लामी शिक्षाओं और मुस्लिम सामाजिक कानूनों के एक सम्मानित और जागरूक नेता के रूप में जाना जाता है।
मौलाना साज्जद नोमानी की शख्सियत उनके विचार, और उनकी गहरी दृष्टि ने उन्हें इस संगठन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है और वे समाज में इस्लामी पहचान को मजबूत करने के लिए एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
अरब देशों की हालिया नीतियों, खासकर फिलिस्तीन मुद्दे और इज़राइल के साथ उनके संबंधों को लेकर उनके दिए गए एक महत्वपूर्ण इंटरव्यू को हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के ज़रीया पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।
मेज़बान:अस्सलाम वालेकुम! आज हमारे साथ मौलाना साज्जद नोमानी साहब हैं, जो इस्लामी दुनिया में एक जाने-माने आलिम हैं मौलाना को उनके धार्मिक ज्ञान, सेवाओं और धार्मिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय देने के लिए जाना जाता है। आज हम उनसे अरब देशों की हालिया नीतियों पर बात करेंगे खासकर फिलिस्तीन मुद्दे और इज़राइल के साथ उनके संबंधों पर।
मौलाना, आपका स्वागत है!
मौलाना साज्जद नोमानी: वाअलैकुम अस्सलाम, आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने इस महत्वपूर्ण विषय पर बात करने का अवसर दिया।
मेज़बान: आपने हाल के दिनों में देखा होगा कि ईरान और इज़राइल के बीच तनाव बढ़ रहा है और ईरान अकेला देश है जो प्रतिरोधी ताकतों का साथ दे रहा है, जबकि दूसरी ओर अरब देशों की ओर से खामोशी छाई हुई है। कुछ देश तो इज़राइल का समर्थन करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं, जैसे कि सऊदी अरब के अखबारों ने हाल ही में फिलिस्तीनी नेता यहिया सिनवार की शहादत पर जश्न मनाया आप इस स्थिति को कैसे देखते हैं?
मौलाना साज्जद नोमानी : देखिए यह बात अब छुपी हुई नहीं है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश इज़राइल के साथ संबंध बढ़ा रहे हैं। यह संबंध सिर्फ राजनीतिक या कूटनीतिक नहीं हैं, बल्कि इनके अंदर गहरी मानसिक समानता है जो अब सामने आ रही है।
सऊदी अरब के अखबारों में जो खबरें आईं उनमें फिलिस्तीनी नेता के बारे में जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया गया, वह अत्यंत दुखद है। इज़राइली मीडिया ने शायद इतनी तीव्रता से ऐसे शब्द नहीं इस्तेमाल किए होंगे यह अरब देश इज़राइल के एजेंडे पर चलकर फिलिस्तीन मुद्दे की अनदेखी कर रहे हैं और यह न सिर्फ उम्मत ए मुस्लिम के साथ बल्कि अपनी जनता के साथ भी गद्दारी है।
मेज़बान: आपका मतलब है कि अरब देश इज़राइल के साथ खुलकर खड़े हैं। यह क्यों हो रहा है? क्या आपको लगता है कि उनकी सरकारें इज़राइल का समर्थन कर रही हैं?
मौलाना साजिद नोमानी: जी हाँ, बिल्कुल यही बात है। अरब देश खासकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की सरकारें अब इज़राइल के समर्थन में खुलकर सामने आ रही हैं। और यह सच्चाई अब छिपी हुई नहीं रही।
अगर आप उनके मीडिया और अधिकारियों के बयानों को देखें तो यह साफ दिखाई देता है कि वे लोग इज़राइली विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। मैंने पहले भी कहा है और आज भी यही कहता हूँ कि इन देशों के शासक जो कर रहे हैं, वह दरअसल अमेरिकी और इज़राइली हितों को पूरा कर रहा है। इन शासकों ने शायद खुद को इज़राइल का वफादार समझ लिया है, और यह उनके व्यवहार से साफ जाहिर होता है।
मेज़बान: लेकिन मौलाना साहब जब हम उलेमा की बात करते हैं तो क्या वजह है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के उलेमा इस मसले पर खामोश हैं?
मौलाना सज्जाद नोमानी: वहाँ के उलेमा में जो भी सरकार की नीति के खिलाफ बोलता है उसे जेल में डाल दिया जाता है। खौफ और जुल्म का ऐसा माहौल बना दिया गया है कि कोई आलिम-ए-दीन एक ट्वीट तक नहीं कर सकता। आप सोचिए कि वहाँ के बड़े उलेमा में से एक ने सिर्फ फिलिस्तीन के हक में दुआ की थी और इसके नतीजे में उन्हें जेल में डाल दिया गया।
यह स्थिति इस हद तक खराब है कि कोई व्यक्ति अपनी राय देने का साहस नहीं कर पाता इस माहौल में सऊदी या संयुक्त अरब अमीरात की सरकारों से किसी भी अच्छे की उम्मीद करना बेकार है।
मेज़बान: मौलाना सज्जाद नोमानी आपने ईरान की तरफ भी इशारा किया। ईरान और इज़राइल के बीच इस समय जो तनाव है उसे आप कैसे देखते हैं?
मौलाना सज्जाद नोमानी: मैं दुआ करता हूँ कि ईरान इसी तरह इज़राइल के खिलाफ पूरी ताकत से डटा रहे ईरान इस समय वह एकमात्र देश है जो फिलिस्तीनी काज के लिए खड़ा है, और अगर यह स्थिरता बरकरार रही तो, इंशाअल्लाह, हालात बेहतर होंगे। मेरी दुआ है कि ईरानी नेतृत्व इस्लाम के सच्चे वफादार बनकर काम करे और हमें यह उम्मीद रखनी चाहिए कि उम्मत-ए-मुस्लिम के सभी तबके चाहे शिया हों या सुन्नी, एकजुट हों।
मेज़बान: आपके विचार में शिया और सुन्नी एकता संभव है?
मौलाना सज्जाद नोमानी : बिल्कुल मैं इस बात पर पूरा विश्वास रखता हूँ कि आने वाले समय में शिया और सुन्नी मतभेद खत्म होंगे। हमारे बड़े उलेमा ने इस बात की भविष्यवाणी की है कि इमाम महदी अ.ज. के ज़ुहूर के वक्त उम्मत-ए-मुस्लिम एक हो जाएगी।
यह एकता उस समय होगी जब इमाम महदी अ.ज. असल मायने में दुनिया के सामने आएँगे, और तब उम्मत-ए-मुस्लिम एक मजबूत और एकीकृत ताकत के रूप में सामने आएगी। इस एकता के कारण हम अपनी खोई हुई इज्जत और ताकत वापस पा सकेंगे।
मेज़बान: मौलाना साहब, यह बहुत ही उत्साहवर्धक बात है। आपकी बातचीत से बहुत कुछ सीखने को मिला अल्लाह आपको सलामत रखे और आपकी कोशिशों को कबूल फरमाए।
ईरान पर हमले के गंभीर परिणाम और प्रतिक्रियाएं
इराकी विश्लेषक कासिम सलमान अलअबूदी ने कहा कि इज़राइल दक्षिणी लेबनान और गाज़ा में अपनी असफलता और बदनामी को छुपाने के लिए एक नकली जीत हासिल करने की कोशिश कर रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,हाल के दिनों में इज़राइल ने अमेरिका के पूर्ण समर्थन के साथ ईरान के खिलाफ भड़काऊ कार्रवाइयाँ कीं। जवाब में, ईरान ने चेतावनी दी कि वह इन कार्रवाइयों को नज़रअंदाज़ नहीं करेगा।
इज़राइल ने तेहरान, ख़ुज़िस्तान और ईलाम में नकली और प्रतीकात्मक हमले किए, लेकिन ईरान की हवाई रक्षा की समय पर सतर्कता के कारण ये असफल रहे।
इसके बाद हिब्रू मीडिया ने गाजा और दक्षिणी लेबनान में युद्ध को समाप्त करने की बात कही इस दौरान दक्षिणी लेबनान में इज़राइली सेना को भारी नुकसान हुआ और इज़राइली अधिकारियों ने घोषणा की कि ज़मीनी हमले को एक या दो हफ्ते में समाप्त कर दिया जाएगा। इज़राईल के स्रोतों ने स्वीकार किया कि ईरान पर हमले से उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं हुआ।
इराकी विश्लेषक अलअबूदी ने कहा कि इज़राइल की ओर से शनिवार सुबह ईरान पर किया गया यह निराशाजनक हमला इज़राइल के लिए विनाशकारी परिणाम लाएगा।
उन्होंने कहा कि इस्लामी प्रतिरोध की ताकत इज़राईल के खिलाफ जवाब देने के लिए पर्याप्त है और यह हमला उन यहूदियों के लिए भी एक सख्त संदेश है जो नेतन्याहू की नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी सरकार से नाखुश हैं।
अलअबूदी ने आगे कहा कि ईरानी सशस्त्र बलों की ठोस प्रतिक्रिया ने इज़राईल को और भड़का दिया है, और ईरान संभवत,अपनी रणनीति के तहत तुरंत जवाब देने के बजाय धैर्य रखेगा ताकि इज़राइल पर प्रतिरोधी ताकत का दबाव बढ़ता रहे।
क्षेत्र में इज़राइल का समर्थन करने वाले देशों को भी जवाब मिलेगा
इराकी विश्लेषक ने कहा कि उन अरब देशों को भी प्रतिरोधी ताकतों की ओर से जवाब मिलेगा जो इज़राइल को अपनी भूमि से गुजरने की अनुमति दे रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जवाब केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं हो सकता बल्कि इसमें आर्थिक कदम भी शामिल हो सकते हैं जैसे इराक और जॉर्डन के बीच होने वाले समझौते जिनके तहत इराक का तेल जॉर्डन के रास्ते अम्मान को भेजा जा रहा है।
ईरान का जवाबी हमला अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उसका अधिकार है
अलअबूदी ने कहा कि इज़राईल की आक्रामकता के जवाब में ईरान को कानूनी अधिकार प्राप्त है, जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत है, और ईरान इस अधिकार का उपयोग अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए कर सकता है।
अलअबूदी ने आगे कहा कि उनके विचार में ईरान की प्रतिक्रिया इज़राइली क्षेत्रों में ही होगी जिसे ईरान की नेतृत्व देश की सुरक्षा और स्थिरता की रक्षा के लिए उपयुक्त समय और स्थान पर लागू
मोसाद के ठिकाने के निकट हमला, 6 ज़ायोनी आतंकियों की मौत कई घायल
तल अवीव में मोसाद के ठिकाने के निकट एक ट्रक की मदद से हुए हमले में इस्राईल के बहुचर्चित 8200 यूनिट के 6 आतंकी मारे गए जबकि 50 के आसपास घायल हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार तल अवीव के उत्तर में एक बस स्टेशन पर 50 से अधिक ज़ायोनी उपस्थित थे जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह सभी ज़ायोनी सेना की यूनिट 8200 के सैनिक थे हिब्रू सूत्रों के मुताबिक ट्रक की सहायता से किये गए इस हमले में 6 ज़ायोनी सैनिक घटनास्थल पर ही मारे गए।
हिब्रू भाषी सूत्रों ने मक़बूज़ा फिलिस्तीन के केंद्र तल अवीव के उत्तर में गिलोट चौराहे के पास एक खतरनाक सुरक्षा घटना की सूचना दी है। इन सूत्रों ने जोर देते हुए कहा कि सैन्य सेंसरशिप के कारण इस घटना के विवरण देने पर रोक लगा दी गयी है।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पिछले 48 घंटों में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं, जिससे अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में कानून प्रवर्तन एजेंसियों में हड़कंप मच गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पिछले 48 घंटों में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं, जिससे अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में कानून प्रवर्तन एजेंसियों में हड़कंप मच गया है।
डेरा इस्माइल खान में एक सुरक्षा चौकी पर लक्षित हमले में कम से कम 10 फ्रंटियर कांस्टेबुलरी के जवान मारे गए और तीन घायल हो गए। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के अनुसार छह जवान दक्षिण वजीरिस्तान के थे जबकि चार करक शहर के थे।
मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया हम एफसी के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं बलिदान केवल आतंकवाद को खत्म करने के लिए बलों के दृढ़ संकल्प को मजबूत करता है।
इस हमले की तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने हमले की जिम्मेदारी ली है और इसे बाजौर जिले में सुरक्षा बलों द्वारा किए गए सैन्य अभियान का बदला बताया है जिसमें उसके कम से कम नौ सदस्य मारे गए थे।
दौरे हाज़िर में विद्यार्थियों के लिए मीडिया को समझना बहुत ज़रूरी
ईरान के शहर यज़्द में मीडिया साक्षरता के विशेषज्ञ ने (तलीया हुज़ूर) नामक सम्मेलन में छात्रों के एकत्रित समूह से बातचीत करते हुए कहा कि आधुनिक युग में छात्रों के लिए मीडिया को समझना अत्यंत आवश्यक है।
एक रिपोर्ट के अनुसार,मीडिया साक्षरता के विशेषज्ञ मोहम्मद हादी फ़ज़लुल्लाह नेज़ाद ने ईरान के शहर यज़्द में (तलिया हुज़ूर) नामक सम्मेलन में छात्रों के एकत्रित समूह को संबोधित करते हुए कहा,आप मीडिया युग के विद्वान हैं आज मीडिया प्रौद्योगिकी के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है और तकनीक ने बहुत प्रगति कर ली है।
उन्होंने आगे कहा,मीडिया और प्रौद्योगिकी की प्रगति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जो कई मामलों में चमत्कार जैसा प्रतीत होता है।
मीडिया साक्षरता के इस विशेषज्ञ ने कहा,जो लोग ईश्वर पर विश्वास नहीं करते उन्हें कई बार ऐसा लगता है कि मनुष्य शायद विभिन्न क्षेत्रों में ईश्वरीय कार्य कर सकता है।
उन्होंने कहा,आपको आधुनिक मीडिया के विद्वानों के रूप में ऐसे प्रश्नों अपेक्षाओं और लोगों का सामना करना है जिनके विचार और मान्यताएँ पिछले दशकों के लोगों से बहुत अलग हैं, और आपको खुद को इस क्षेत्र के लिए तैयार करना होगा।
फ़ज़लुल्लाह नेज़ाद ने मीडिया की समझ को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए कहा,जनता का विद्वानों के साथ सीधा संपर्क आवश्यक है। आपकी कुछ जानकारी ज्ञान की अवधारणा से संबंधित है। जरूरी है कि आप इसकी इतिहास से जागरूक हों और तकनीकी दृष्टि से इसके बारे में जानें आपकी तकनीकी जानकारी स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों से अधिक होनी चाहिए।
आपको इसमें विशेषज्ञता प्राप्त होनी चाहिए क्योंकि आपको प्रशिक्षण देना है प्रशिक्षक तैयार करना है और माता पिता को यह सिखाना है कि इस खतरनाक युग में बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए।
ताइवान ने अमेरिका से किया रक्षा सौदा, चीन के साथ बढ़ेगा तनाव
अमेरिका ने मिडिल ईस्ट और रूस यूक्रेन युद्ध की आग भड़काने के बाद अब चीन ताइवान के बीच भी तनाव को हवा देना तेज़ कर दिया है। चीन से तनाव के बीच अमेरिका ने ताइवान को 2 अरब डॉलर के खतरनाक हथियार देने के सौदे को मंज़ूरी दे दी है। वाशिंगटन ने ताइवान के करीब 2 अरब डॉलर की आर्म डील को मंजूरी दे दी गयी है। इसमें तीन एडवांस डिफेंस सिस्टम और रडार शामिल है। अमेरिका के इस कदम से चीन नाराज हो सकता है। चीन वन चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान पर संप्रभुता का दावा करता रहा है।
उत्तरी गाज़ा में विनाशकारी मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेस ने रविवार को उत्तरी गाज़ा में बढ़ते जनसंहार और तबाही पर गहरा दुःख और चिंता व्यक्त किया है उन्होंने इज़राइली अधिकारियों पर मानवीय सहायता की आपूर्ति में लगातार बाधा डालने की आलोचना की हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेस ने रविवार को उत्तरी गाज़ा में बढ़ते जनसंहार और तबाही पर गहरा दुःख और चिंता व्यक्त किया है उन्होंने इज़राइली अधिकारियों पर मानवीय सहायता की आपूर्ति में लगातार बाधा डालने की आलोचना की हैं।
एंतोनियो गुटरेस ने अपने बयान में चेतावनी दी कि इज़राइल के उत्तरी गाज़ा में जारी सैन्य कार्रवाई के परिणामस्वरूप वहां फंसे हुए फिलिस्तीनी नागरिकों की स्थिति असहनीय हो गई है।
महासचिव ने जबालिया, बेइत लाहिया, और बेइत हनून जैसे क्षेत्रों की गंभीर स्थिति पर रौशनी डाली है जहां नागरिक मलबे के नीचे दबे हुए हैं और उन्हें बुनियादी चिकित्सा सहायता, भोजन या आश्रय तक पहुंच नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि इज़रायली अधिकारी लगातार मानवीय सहायता में बाधा डाल रहे हैं।
गुतरेस ने इस बात पर भी चिंता जताई कि पोलियो टीकाकरण अभियान में देरी ने हज़ारों बच्चों को खतरे में डाल दिया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान संघर्ष अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों की अनदेखी करते हुए जारी है और उन्होंने तत्काल युद्धविराम और सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग की है।
महासचिव ने राहतकर्मियों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि मानवीय कार्यों के लिए सुरक्षित परिस्थितियां बनाई जाएं।
ध्यान देने योग्य है कि इज़राइली सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तत्काल युद्धविराम के प्रस्ताव के बावजूद अमानवीय अपराध करती जा रही है, और उसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार का मामला भी चल रहा है।