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सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन की शहादत पर जामिया अलमुस्तफ़ का शोक संदेश
जामिया अल मुस्तफ़ा स.ल.ने सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन की शहादत पर गहरे दु:ख और संवेदना व्यक्त की है और कहा शहीदों का बलिदान को इस्लामी मूल्यों और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा इल्मिया जामिया अल मुस्तफ़ा स.ल.ने सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन की शहादत पर शोक संदेश जारी किया है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:
بسم الله الرحمن الرحیم
فَلْیُقَاتِلْ فِی سَبِیلِ اللَّهِ الَّذِینَ یَشْرُونَ الْحَیَاةَ الدُّنْیَا بِالْآخِرَةِ ۚ وَمَنْ یُقَاتِلْ فِی سَبِیلِ اللَّهِ فَیُقْتَلْ أَوْ یَغْلِبْ فَسَوْفَ نُؤْتِیهِ أَجْرًا عَظِیمًا
बहादुर योद्धा और कुद्स के मार्ग के महान कमांडर, हिज़बुल्लाह लेबनान की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैय्यद हाशिम सफीउद्दीन ज़ालिम इज़राईल शासन के आतंकवादी हमले में शहादत के उच्चतम दर्जे पर पहुंच गए।
इस अटल मुजाहिद ने वर्षों तक अपनी कीमती ज़िंदगी को लेबनान और फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों की इज़्ज़त और इस्लामी प्रतिरोध के समर्थन में समर्पित किया। अपनी वर्षों की संघर्षशीलता का इनाम उन्हें शहादत के रूप में मिला और वे अपने शहीद साथियों से जा मिले जिनमें शहीद अल्लामा सैय्यद हसन नसरल्लाह भी शामिल हैं।
जामिया अलमुस्तफा अलआलमिया, इस महान मुजाहिद और अडिग आलिम की शहादत पर हज़रत वली अस्र अ.ज.रहबर ए मोअज्जम लेबनान की बहादुर क़ौम उनके साथियों और इस शहीद के सम्मानीय परिवार के प्रति अपनी ताज़ियत पेश करता है।
यह घोषणा भी करता है कि ज़ायोनी आतंकी और शैतानी शासन के खिलाफ इस्लामी प्रतिरोध का रास्ता इन घटनाओं से नहीं रुकेगा बल्कि इस जालिम और अपार्थीड शासन की पूरी तरह से तबाही तक जारी रहेगा।
जामियाअलमुस्तफाअलआलमिया
24 अक्टूबर 2024
शहीद सफीउद्दीन प्रतिरोध मोर्चे के लिए हिक्मत कि निशानी थे।
हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने कहां, सैयद हाशिम सफीउद्दीन न केवल एक महान नेता थे, बल्कि हिज़्बुल्लाह के नायकों और पूरे प्रतिरोध मोर्चे के लिए हिक्मत कि निशानी धैर्य प्रतिरोध, दृढ़ता और बलिदान का प्रतीक थे।
हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने सैयद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत पर शोक संदेश जारी किया है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलऐहे राजेेऊन
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
بسم الله الرحمن الرحیم
مِنَ الْمُؤْمِنِینَ رِجَالٌ صَدَقُوا مَا عَاهَدُوا اللَّهَ عَلَیْهِ ۖ فَمِنْهُمْ مَنْ قَضَیٰ نَحْبَهُ وَمِنْهُمْ مَنْ یَنْتَظِرُ ۖ وَمَا بَدَّلُوا تَبْدِیلًا.
इस वक्त दु:ख और शोक का समय है जब हमें फिर से एक और महान योद्धा और सत्य के ध्वजवाहक, हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सय्यद हाशिम सफीउद्दीन हिज़बुल्लाह के वीर और कार्यकारी सहायक और एक बुद्धिमान और साहसी योद्धा की शहादत की ख़बर प्राप्त हुई है।
उनकी शहादत ने हमारे दिलों में गहरा दर्द भर दिया है वह केवल एक महान नेता ही नहीं बल्कि हिज़बुल्लाह और पूरी प्रतिरोधी धारा के लिए हिकमत, धैर्य, प्रतिरोध, स्थिरता, और त्याग का प्रतीक थे।
सय्यद हाशिम सफीउद्दीन जिन्होंने अपनी जवानी और उम्र इस्लाम के लिए समर्पित कर दी अपने शक्तिशाली प्रबंधन प्रज्वलित और ठोस खुत्बों के माध्यम से सदैव इज़राईल शासन के खिलाफ खड़े रहे।
उन्होंने हमें सिखाया कि कैसे गुमनामी में भी ईमान, इरादा, सूझबूझ और इख्लास के साथ चुनौतियों का सामना किया जा सकता है और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त की जा सकती है, और एक एक कदम आगे बढ़कर उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
उनकी याद और उनकी विरासत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी और अल्लाह की कृपा से हम उनके जैसे शहीदों की याद के साथ प्रतिरोध और न्याय एवं स्वतंत्रता के संघर्ष के रास्ते पर चलते रहेंगे जब तक सत्य की अंतिम विजय न हो जाए।
उनके सम्मानित परिवार और उनके सभी दोस्तों, समर्थकों और हिज़बुल्लाह के वीरों को मेरी संवेदनाएं अल्लाह तआला से मैं उनके लिए ऊंचे दर्जे की दुआ करता हूं और उनके परिजनों के लिए धैर्य और सहनशीलता की कामना करता हूं।
अली रज़ा आराफी
प्रमुख हौज़ा ए इल्मिया
शहीद याह्या सानवार प्रतिरोध और निरंतर संघर्ष की प्रतीक
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन पूरज़हबी ने कहा,शहीद याह्या सानवार इस्लामी उम्मत में इज़राईल के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष की प्रतीक थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार,ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत में वली ए फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुलरज़ा पूरज़हबी ने बच्चों के क़ातिल इज़राईल शासन द्वारा याह्या सीनवार की शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, जो कुछ हमने शहीद याह्या सीनवार के बारे में सुना और जाना है, वह यह है कि वह वर्षों तक इज़राईल की क़ैद में रहे और फ़िलिस्तीनी कैम्पों में जन्म के समय से ही इज़राईल के खिलाफ प्रतिरोध में डटे रहे।
उन्होंने आगे कहा शहीद याह्या सीनवार इस्लामी उम्मत में इज़राईल के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष की मिसाल थे।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन पूरज़हबी ने कहा,शहीद सानवार ने कई सालों तक जेल में समय बिताया और फिर शहीद इस्माइल हनिया के साथ मिलकर इज़राईल के खिलाफ संघर्ष किया।
उन्होंने आगे कहा,शहीद सानवार ने प्रतिरोध के रास्ते में कभी आराम या किसी तरह की स्वार्थी इच्छा नहीं की जबकि वे इज़राईल की कैद से रिहाई के बाद पीछे हट सकते थे लेकिन वे अपने रास्ते और अपने लक्ष्य पर डटे रहे।
योगी सरकार मदारिस के संबंध मे पीछे हटने को नही तैयार
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों और रोक के बावजूद योगी सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है एटीएस ने 4,000 से अधिक गैर-अनुमोदित मदरसों का निरीक्षण किया है।
उत्तर प्रदेश के मदरसों का मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा हो, लेकिन योगी सरकार और उसके अधीनस्थ संस्थानों की कार्रवाई जारी है। सरकार ने निर्देश जारी किया है कि राज्य के 4,000 से अधिक मदरसों और स्कूलों के निरीक्षण में एटीएस सहयोग करेगी। एटीएस इसकी जांच करेगी कि उक्त मदरसे कितने समय से चल रहे हैं और उनका अब तक पंजीकरण क्यों नहीं कराया गया। इसके अलावा उनकी फंडिंग और अन्य पहलुओं की गहन जांच, सत्यापन और जांच के बाद एक स्पष्ट और विस्तृत रिपोर्ट एटीएस महानिदेशक कार्यालय को उपलब्ध कराई जाएगी।
यूपी के और अन्य सभी संबंधित अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है कि 21 अक्टूबर को जमीयत उलेमा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के गैर मान्यताप्राप्त मदरसों के संबंध में एनसीपीसी, मुख्य सचिव और अन्य विभागों द्वारा जारी सभी आदेशों पर रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि यूपी में मदरसों की फंडिंग, मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू छात्रों की संख्या और उनके दूसरे स्कूलों में प्रवेश और गुणवत्ता नियंत्रण से संबंधित आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। हालांकि, एक बार फिर से फरमान जारी होने से मदरसों से जुड़े लोगों की चिंता बढ़ गई है।
याह्या सनावार ने सारी जिंदगी इज़रायल के ज़ुल्म का मुंह तोड़ जवाब दिया
शहीद याह्या सनावार ने ग़ाज़ा छोड़ने और मिस्र में सुरक्षित शरण लेने के प्रस्ताव को ठुकराकर अपनी ज़मीन और अपने लोगों के साथ अंतिम सांस तक संघर्ष करने का संकल्प लिया और हमेशा मज़लूम की आवाज बनकर इसराइल को मुंहतोड़ जवाब दिया
एक रिपोर्ट के अनुसार ,हमास आंदोलन के प्रमुख नेता शहीद याह्या सिनवार ने ग़ाज़ा छोड़ने और मिस्र में सुरक्षित शरण लेने के प्रस्ताव को ठुकराकर अपनी ज़मीन और अपने लोगों के साथ अंतिम सांस तक संघर्ष करने का संकल्प लिया।
यह घटना उस वक्त की है जब ग़ाज़ा पर इज़रायली हमले बेहद तीव्र थे और हर पल खतरे में घिरे फिलिस्तीनी नेता को बचाने के लिए अरब मध्यस्थों ने उन्हें मिस्र जाने का मौका दिया था। लेकिन याह्या सिनवार, जो अपने दृढ़ विश्वास और संघर्ष के प्रतीक के रूप में जाने जाते थे मौत को गले लगाना बेहतर समझा।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस घटनाक्रम की गहराई से जांच की और स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की कि सिनवार ने न केवल इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया बल्कि अपनी शहादत के बाद हमास के भविष्य को लेकर भी गहन विचार किया।
सिनवार का कहना था कि उनकी शहादत के बाद हमास को एक सामूहिक नेतृत्व परिषद बनानी चाहिए जिससे यह संगठन और भी मजबूत होकर इज़रायल के खिलाफ संघर्ष जारी रख सके। उन्होंने इस बात का भी अनुमान लगाया था कि उनकी शहादत के बाद इज़रायल विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों के साथ हमास को गुमराह करने की कोशिश करेगा लेकिन फिलिस्तीनी प्रतिरोध को कभी हार नहीं माननी चाहिए।
याह्या सनावार का जन्म और उनकी पूरी जिंदगी ग़ाज़ा की संघर्षरत जमीन से जुड़ी रही। 16 अक्टूबर को ग़ाज़ा के रफ़ाह इलाके में इज़रायली बलों के साथ मुठभेड़ में, वे शहीद हो गए। इससे पहले इस्माइल हानिये के ईरान में शहीद होने के बाद, याह्या सिनवार को हमास का नेता नियुक्त किया गया था। अपनी शहादत तक उन्होंने फिलिस्तीनी प्रतिरोध की कमान संभाली और हमास की रणनीति और दिशा को मजबूती से आगे बढ़ाया।
इज़रायली सेना ने लगातार यह दावा किया कि सिनवार ग़ाज़ा की सुरंगों में छिपे हुए थे और उन्होंने इज़रायली बंधकों को ढाल बना रखा था। लेकिन इस दावे को उनकी शहादत के बाद झूठा साबित किया गया। सिनवार न केवल ग़ाज़ा में इज़रायली सेना के खिलाफ जमीनी संघर्ष में शामिल थे, बल्कि अपने आखिरी वक्त तक अपने लोगों के साथ खड़े रहे।
मस्जिदें धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र
मस्जिद संस्थान के निदेशक ने कहा: मस्जिद के बारे में नाज़िल हुई आयतें केवल विश्वासियों के लिए नहीं हैं, बल्कि वे सभी लोगों के लिए हैं।
मस्जिद संस्थान के निदेशक, हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन तकी-क़राती ने हुज्जतुल इस्लाम वाल-मुस्लेमीन महमूदी की मेज़बानी मे मरकज़े मुदीरियत हौज़ा इल्मिया फार्रस मे आयोजित जामिया रुहानित शिराज की बैठक में मस्जिदों के बारे में चर्चा करते हुए: मस्जिद का प्रबंधन केवल विद्वानों के हाथो में होना चाहिए।
उन्होंने कहा: जब तक विद्वानों की गतिविधियाँ केवल मस्जिदों और मस्जिद से संबंधित हैं, तब तक इसे कभी नुकसान नहीं होगा, क्योंकि मस्जिदें धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र हैं।
मस्जिद संस्थान के निदेशक ने कहा: मस्जिद के बारे में जो आयतें नाज़िल हुई हैं, वे केवल विश्वासियों के लिए नहीं हैं, बल्कि वे सभी लोगों के लिए हैं। अगर हम मौजूदा हालात में धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमें मस्जिदों में जाना चाहिए।
उन्होंने कहा: हमें मस्जिदों से नवीनताओं को खत्म करना चाहिए क्योंकि मस्जिद हमारी पवित्रता के लिए है।
ब्रिटिश ने यमन पर किया बमबारी
ब्रिटेन के युद्धक विमानों ने यमन के पश्चिम में स्थित अलहुदैदा एअरपोर्ट पर दो बार बमबारी की है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,अमेरिका और ब्रिटेन के युद्धक विमानों ने यमन के पश्चिम में स्थित अलहुदैदा एअरपोर्ट पर दो बार बमबारी की है इस बमबारी से होने वाली संभावित जानी व माली क्षति के बारे में अभी तक कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
यमन के विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर इस देश के पश्चिम में स्थित अलहुदैदा प्रांत में पिछले महीनों में अमेरिका और ब्रिटेन ने कई बार हमले किए हैं।
यह हमले यमन पर दबाव डालने के लक्ष्य से किये जाते हैं ताकि यमन अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन की ओर जाने वाले जहाज़ों को लक्ष्य न बनाए।
यमनी सेना ने ग़ज़ा की मज़लूम जनता के समर्थन में हालिया महीनों में इज़राइल सरकार का समुद्री परिवेष्टन करके इस सरकार के सैनिक ठिकानों को लक्ष्य बनाया है।
यमनी सेना ने कहा है कि जब तक ज़ायोनी सरकार ग़ज़ा पट्टी पर अपने हमलों को नहीं बंद करती तब तक उसके ख़िलाफ़ यमनी सेना के हमले जारी रहेंगे।
इज़राईल ने सात अक्तूबर 2023 से पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों का नस्ली सफ़ाया आरंभ कर रखा है। प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के हमलों में अब तक 42 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और एक लाख से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल भी हो चुके हैं।
ईरानी राष्ट्रपति का सय्यद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत पर शोक संदेश
ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर मसूद पिज़िश्कियान ने एक संदेश में हिज़बुल्लाह लेबनान के कार्यकारी परिषद के प्रमुख शहीद सैयद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत पर शोक व्यक्त किया उन्होंने यह शोक संदेश सर्वोच्च नेता, लेबनान और फिलिस्तीन की वीर जनता, प्रतिरोध मोर्चे के साथी, शहीद के सम्मानित परिवार और दुनिया के सभी स्वतंत्रता लोगो के प्रति व्यक्त किया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार,ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर मसूद पिज़िश्कियान ने एक शोक संदेश में हिज़बुल्लाह लेबनान के कार्यकारी परिषद के प्रमुख शहीद सैयद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत पर दुख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किया है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:
بسم الله الرحمن الرحیم
وَالَّذِینَ هَاجَرُوا فِی سَبِیل اللَّهِ ثُمَّ قُتِلُوا أَوْ مَاتُوا لَیرْزُقَنَّهُمُ اللَّهُ رِزْقًا
ईरान के राष्ट्रपति ने कहां, सैयद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत प्रतिरोध आंदोलन लेबनान की जनता और दुनिया के सभी स्वतंत्रता प्रेमियों के लिए एक बड़ी क्षति है।
लेकिन यह ज़ायोनी के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष के एक नए अध्याय की शुरुआत करेगी। उन्होंने आशूरा के सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर साहसपूर्वक अपनी पूरी जिंदगी फ़िलिस्तीन और लेबनान के उत्पीड़ित लोगों की रक्षा और प्रतिरोध की ताकत को मजबूत करने में समर्पित कर दी।
उनका जिहाद और संघर्ष गौरवशाली उपलब्धियां हमेशा चमकती रहेंगी और प्रेरणा देती रहेंगी।
इज़राईल दुश्मन ने हिज़बुल्लाह के दिवंगत महासचिव, शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद सोचा कि इस महान योद्धा की कायरतापूर्ण हत्या से इस आंदोलन का नेतृत्व बाधित हो जाएगा, लेकिन प्रतिरोध का पवित्र वृक्ष फल फूल रहा है और शहीदों का खून इस आंदोलन को निरंतरता और ताकत प्रदान कर रहा है।
आज हम देख रहे हैं कि हिज़बुल्लाह पहले से भी अधिक सशक्त और दृढ़ है और अपने उद्देश्यों को और अधिक प्रभावशाली ढंग से प्राप्त कर रहा है।
उन्होंने अंत में कहा,जब तक फ़िलिस्तीन और लेबनान की पीड़ित जनता पर अत्याचार जारी रहेगा ज़ायोनी आक्रमणकारियों और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष दिन-ब-दिन मजबूत होता जाएगा।
मसूद पिज़िश्कियान
ईरान के राष्ट्रपति
आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बेटे तेहरान में हमास के दफ्तर पहुंचे
ईरान की इस्लामिक्रंति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बेटे तेहरान में स्थित फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए सशस्त्र संघर्ष के अग्रणी दल हमास के दफ्तर पहुंचे जहाँ उन्होंने इस आंदोलन के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की।
अगर ज़ायोनी सरकार ने ईरान के ख़िलाफ़ कुछ किया तो ईरान का जवाब अविश्वसनीय होगा
ईरान के राष्ट्रपति डा᳴क्टर पिज़िश्कियान ने कहा है कि पश्चिमी देशों का समर्थन ज़ायोनी सरकार के अपराधों के जारी रहने का कारण है।
डाक्टर पिज़िश्कियान ने आज बुधवार को रूस की अपनी यात्रा के कार्यक्रम को जारी रखते हुए इथोपिया के प्रधानमंत्री श्री आबी अहमद से मुलाक़ात के दौरान कहा कि मैंने राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरता के साथ अपने देश में और दूसरे देशों के साथ सहयोग को मज़बूत करने के नारे के साथ चुनावी प्रतिस्पर्धा में भाग लिया और मुझे राष्ट्रपति चुना गया और लोगों ने मेरे इस व्यवहार को पसंद किया।
इसी प्रकार उन्होंने कहा कि ज़ायोनी सरकार ने हमारे आधिकारिक कार्यकाल के पहले दिन ही इस्लामी गणतंत्र ईरान के आधिकारिक मेहमान इस्माईल हनिया को शहीद करके हमारे उद्देश्यों के मार्ग में विघ्न उत्पन्न कर दिया।
डाक्टर पिज़िश्कियान ने कहा कि ईरान ने इस उम्मीद के साथ ज़ायोनी सरकार के अपराधों के मुक़ाबले में संयंम से काम लिया कि ग़ज़ा पट्टी में शांति स्थापित होगी परंतु ग़ज़ा पट्टी और लेबनान तक उसके अपराध फ़ैल गये और उसके इन अपराधों ने हमें जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि पश्चिमी देशों का समर्थन ज़ायोनी सरकार के अपराधों के जारी रहने का कारण है और अगर ज़ायोनी सरकार ने ग़लती की और इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही की तो करारा और अविश्वसनीय जवाब मिलेगा। साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि हम क्षेत्र में लड़ाई और तनाव में वृद्धि के बिल्कुल भी इच्छुक नहीं हैं और शांति व सुरक्षा की दिशा में हम हर क़दम का स्वागत करते हैं परंतु ज़ायोनी सरकार की कार्यवाहियां पूरे क्षेत्र में युद्ध की आग देने के लक्ष्य से अंजाम पाती हैं। अतः दूसरे देशों विशेषकर पश्चिमी देशों के लिए ज़रूरी है कि वे इस अतिक्रमणकारी सरकार को नियंत्रित करें।
इथोपिया गणराज्य के प्रधानमंत्री ने भी इस मुलाक़ात में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान इथोपिया में जाना पहचाना है और दोनों देशों के संबंधों से हमारे लोगों के ज़ेहनों में सकारात्मक यादें मौजूद हैं और हम आप के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों की प्रक्रिया को चिंता की दृष्टि से देखते हैं।
इथोपिया के प्रधानमंत्री आबी अहमद ने इसी प्रकार कहा कि ईरान एक मज़बूत और स्वाधीन देश है और इस समय दुनिया की जो व्यवस्था है वह असंतुलित है और ब्रिक्स जैसे संगठन इस असमानता को दूर करने में बहुत प्रभावी हैं।