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मेहर न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनेई ने आज फ़ार्स प्रांत के शहीदों की कांग्रेस के आयोजकों के साथ एक बैठक में क्षेत्र की घटनाओं और प्रतिरोध के संघर्ष पर चर्चा की। उन्होंने प्रतिरोध को क्षेत्र की नियति और इतिहास में बदलाव का कारक बताया।

उन्होंने ज़ायोनी शासन द्वारा 50,000 से अधिक निर्दोष लोगों के नरसंहार के बावजूद प्रतिरोध को नष्ट करने में ज़ायोनी शासन की शर्मनाक विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि अवैध राष्ट्र इस्राईल से शर्मनाक हार पश्चिमी देशों के शासकों, उनकी संस्कृति और सभ्यता की हुई है। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि प्रतिरोधी मोर्चे और बुराई के खिलाफ जारी इस टकराव में जीत प्रतिरोधी मोर्चे की ही होगी।

उन्होंने कहा कि अगर इस इलाक़े में शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह और अंतिम सांस तक मोर्चा संभाल कर मैदान में लड़ने वाले शहीद सिनवार जैसे ज्याले न होते तो आज क्षेत्र की हालत कुछ अलग ही होती।

इस्लामी गणतंत्र ईरान की पहली प्रतिरोध महिला शहीद मासूमा करबासी के पार्थिव शरीर के स्वागत और दफन की रस्म आज रात इमाम रज़ा (अ) के हरम में आयोजित की जाएगी।

ईरान में "मासूमा करबासी" के पार्थिव शरीर के आगमन और मेराज शोहदा तेहरान में इस शहीद महिला के स्वागत के बाद, आज रात, 23 अक्टूबर 2024 ई, इस शहीद महिला का अंतिम संस्कार समारोह मग़रिब और ईशा की नमाज़ के बाद इमाम रज़ा (अ) के हरम मे इमाम खुमैनी (र) हॉल मे ज़ाएरीन और लोगो की उपस्थिति मे आयोजित किया जाएगा।

स्वागत समारोह आज शाम 3:30 बजे मशहद हवाई अड्डे पर आयोजित करने के बाद फिर शहीद महिला के पार्थिव शरीर को इमाम रज़ा (अ) के हरम ले जाया जाएगा।

ज्ञात रहे कि कुछ दिन पहले, इस्राईली शासन द्वारा किए गए एक ड्रोन ऑपरेशन में, लेबनान के शिया रेज़ा अवाज़ेह और उनकी पत्नी मासूमा करबासी मिसाइलों की चपेट में आकर शहीद हो गए थे।

शहीद मासूमा करबासी ने शिराज विश्वविद्यालय के कम्पूटर इंजीनियरिंग से स्नातक किया था। करबासी ने अपने लेबनानी सहपाठी डॉ. रेजा अवाज़ेह से शादी करने के पश्चात अपने पति के साथ लेबनान चली गईं थी।

ईरान के राष्ट्रपति डॉ मसऊद पीज़िशकियान और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाक़ात करते हुए पश्चिम एशिया में इस्राईल की विनाशकारी नीतियों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पीज़िशकियान से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष पर चिंता जताई। दोनों नेताओं ने चाबहार बंदरगाह पर एग्रीमेंट और क्षेत्रीय सहयोग पर चर्चा की। मोदी ने ब्रिक्स में ईरान का स्वागत भी किया।

 दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की। दोनों ने चाबहार बंदरगाह के लॉन्ग टर्म एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर को द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।  इसके अलावा उन्होंने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और पुनर्विकास के साथ साथ सेंट्रल एशिया के साथ व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ाने पर भी चर्चा की।

 

 

तुर्की से बड़े आतंकी हमले की खबर आ रही है। तुर्की की राजधानी अंकारा में एविएशन कंपनी तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (TUSAS) के मुख्यालय के बाहर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ है। घटनास्थल पर अभी भी गोलीबारी जारी है।  यहाँ अब भी दो आतंकवादी मौजूद हैं जो लगातार हमला कर रहे हैं। आतंकियों ने कई लोगों को बंधक भी बना लिया है। अभी तक इस हमले में 10 लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है, हालांकि मौत का यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।

गृह मंत्रालय की तरफ से पोस्ट में कहा गया है कि “तुर्किए एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के खिलाफ एक आतंकवादी हमला किया गया। दुर्भाग्यवश हमारे जवान शहीद हुए हैं और कई लोग घायल हैं।

आईआरजीसी के क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर ने तेहरान में हमास कार्यालय में भाग लेते हुए याह्या सनवर की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त की।

आईआरजीसी के कुद्स फोर्स के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल इस्माइल कानी ने तेहरान में हमास कार्यालय में भाग लिया और याह्या सनवर की शहादत के लिए हमास के प्रतिनिधि के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।

शहीद सनवार का स्मरणोत्सव समारोह अक्टूबर के 22 और 23 तारीख को तेहरान में हमास कार्यालय में आयोजित किया जाएगा।

बहुत सी ईरानी महिलाओं ने फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की मदद के लिए अपने आभूषणों को भी भेंट कर दिया।

"बनी आदम एक दूसरे का हिस्सा हैं" शीर्षक के अंतर्गत फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की मदद के लिए ईरानियों के सहायता कार्यक्रम का चौथा दौर आयोजित हुआ।

पिछले महीने ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की सहायता के संबंध में संदेश दिया था जिसके बाद से ईरान के विभिन्न वर्गों के लोग फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की मदद की दिशा में सक्रिय व प्रयासरत हो गये हैं।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता इमाम ख़ामेनेई ने 28 सितंबर को एक संदेश में फ़रमाया था कि समस्त मुसलमानों का दायित्व व फ़र्ज़ है कि वे अपनी संभावनाओं के साथ लेबनान के लोगों और हिज़्बुल्लाह के शूरवीर जवानों की मदद करें और अतिग्रहणकारी, अत्याचारी और दुष्ट ज़ायोनी सरकार के मुक़ाबले में उनकी सहायता करें।

"ईरान हमदिल" नामक संस्था ग़ज़ा और लेबनान पर ज़ायोनी सरकार द्वारा हमला करने से पहले अपनी पूरी ऊर्जा व संभावना का प्रयोग ईरान के अंदर ग़रीब लोगों पर ख़र्च करती थी और अब उसने फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की सहायता के लिए विस्तृत पैमाने पर प्रयास आरंभ कर दिया है और फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोग उसकी सहायता सेवा में सर्वोपरि हैं।

इस संस्था ने अपनी सहायता का तीसरा दौर वर्ष 2020 से 2022 तक आयोजित किया था जिसमें अरबों तूमान नक़दी और ग़ैर नक़दी के रूप में जमा किये गये।

इस संस्था का चौथा दौर ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के संदेश के बाद आरंभ हुआ जिसमें बहुत सी ईरानी महिलाओं ने अपने ज़ेवर भी भेंट कर दिये।

ईरान के हितैषी व शुभचिंतक लोगों के अलावा बहुत से अधिकारी और ज़िम्मेदार भी ईरान हिमदिल संस्था से जुड़ गये हैं।

ईरानी संसद मजलिसे शुराये इस्लामी के सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने इस संस्था से जुड़ने के बाद लोगों का आह्वान किया है कि ईरानी मुसलमान लेबनान और फ़िलिस्तीन के बेघर होने वाले लोगों की सहायता करके अपना नाम प्रतिरोध मोर्चे की सहायता करने वालों में पंजीकृत करायें।

ईरान हमदिल नामक संस्था या चैरेटी लोगों से जो सहायता इकट्ठा कर रही है उसे ईरान की रेड क्रिसेन्ट संस्था और फ़िलिस्तीनी व लेबनानी लोगों की सहायता की दिशा में जो लोग सक्रिय हैं वे उस सहायता को लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

फ़िलिस्तीन और लेबनान के पीड़ित लोगों की सहायता चाहे सरकारी संगठन कर रहे हैं या ग़ैर सरकारी एक प्रिय कार्य है और दुनिया के स्वतंत्र लोग इस प्रकार के प्रयास का समर्थन व सराहना कर रहे हैं।

इससे पहले इराक़ के उच्चतम धर्मगुरू आयतुल्लाह सीस्तानी ने भी एक बयान जारी करके इराक़ के मोमिन लोगों का आह्वान किया था कि वे लेबनानी राष्ट्र के दुःखों और समस्याओं को कम करने के लिए उनकी मानवता प्रेमी सहायता करें। इराक के उच्चतम धर्मगुरू के इस आह्वान व संदेश के बाद इराक में लेबनानी लोगों के लिए सहायता एकत्रित करके भेजी गयी।

लाल सागर में ज़ायोनिहितों को लगातार निशाना बना रहे यमन ने इस समंदर को इस्राईल और उसके पश्चिमी सहयोगी देशों के लिए काल का गाल बना दिया है।  पश्चिमी जगत के लिए खतरनाक बन चुके लाल सागर में ईरान और सऊदी अरब ने अपनी सेना उतारने की योजना बनाई है। 

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब और ईरान जल्द ही लाल सागर में संयुक्त अभ्यास आयोजित करने जा रहे हैं।  न्यूज एजेंसी ISNA  की रिपोर्ट के मुताबिक़  ईरान की नौसेना के कमांडर एडमिरल शाहराम ईरानी ने कहा है कि दोनों देशों के अधिकारियों के बीच ड्रिल के लिए बातचीत चल रही है और जल्द ही इसका आयोजन किया जाएगा,” हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया है कि ये ड्रिल कब की जाएगी। 

 

इस्लामी रेडियो और टेलीविज़न यूनियन के महासचिव, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन करीमीयन ने कहा कि शहीद यह्या सनावार ने अपनी पूरी ज़िंदगी जिहाद और जनता के समर्थन में गुज़ारी और फ़िलस्तीन की आज़ादी के लिए अनगिनत कुर्बानियाँ दीं हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार,तेहरान में शहीद यह्या सिनवार की याद में आयोजित समारोह के दौरान मीडिया से बात करते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन करीमीयन ने कहा कि शहीद सिनवार ने आशूराई जीवन जिया और उनकी शहादत भी आशूराई थी।

उन्होंने आगे कहा कि दुश्मन ने पिछले साल मानसिक युद्ध के ज़रिए शहीद सनावार को बदनाम करने की कोशिश की लेकिन यह प्रचार असफल साबित हुआ और उनकी आखिरी सांस तक जिहाद के मैदान में उनकी मजबूती दिखाई दी।

करीमीयन ने कहा कि शहीद सिनवार का जीवन शिक्षा और सबक से भरा हुआ था और उनकी शहादत ने उन्हें एक महान आदर्श व्यक्तित्व बना दिया, जिस पर युवा पीढ़ी गर्व करती है और उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करेगी।

 

शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका देते  हुए मुस्लिम पक्ष द्वारा सभी 15 वाद को अलग  अलग सुने जाने की मांग को खारिज कर दिया है। अब सभी 15 वाद को हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा।

मुस्लिम पक्ष की तरफ से मथुरा कोर्ट में दाखिल 15 याचिकाओं की अलग-अलग सुनवाई की मांग की थी।  हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया था कि सभी मामलों की एक साथ सुनवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को दो या फिर इससे ज्यादा मामलों को एक साथ सुनने का हक है।

अमेरिकी सेना के एक पूर्व अफ़सर ने अलग़द टीवी चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा है कि यहिया सिन्वार की शहादत के बाद हमास कमज़ोर नहीं हुआ है।

अलग़द टीवी चैनल के एंकर ने जब अमेरिकी सेना के पूर्व सैनिक अफ़सर Scott Ritter से ग़ज़ा में हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख यहिया सिन्वार की शहादत के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि अतिग्रहणकारी इस्राईली सैनिकों से लड़ते हुए यहिया सिन्वार शहीद हो गये। इस प्रकार की हालत में शहीद होने की वजह से वह नायक बन गये हैं।

अमेरिकी सेना के पूर्व सैनिक अफ़सर ने कहा कि यहिया सिन्वार अतिग्रहणकारी सैनिकों से मुक़ाबला करते हुए जंग के मैदान से नहीं भागे और साहस के साथ लड़ते हुए शहीद हुए। अतः इतिहास के अंधेरे में सिन्वार का नाम चमकेगा।

अमेरिकी सेना के पूर्व सैनिक अफ़सर Scott Ritter ने सिन्वार की शहादत के बाद हमास की शक्ति के बारे में कहा कि सिन्वार की शहादत से न केवल फ़िलिस्तीन की आकांक्षा और हमास की ताक़त कम नहीं होगी बल्कि जंग जारी रखने और अपनी रक्षा हेतु हमास के मनोबल में और वृद्धि हो जायेगी।

इसी प्रकार उन्होंने कहा कि सिन्वार की शहादत लड़ाई में एक मोड़ सिद्ध होगी और इस्राईली सरकार अधिक कमज़ोर होगी और हमास अपनी पवित्र लड़ाई व जंग को जारी रखेगा। उन्होंने इस्राईल द्वारा ईरान पर संभावित हमले के बारे में भी कहा कि इसका संबंध ज़ायोनी अधिकारियों से है और व्यक्तिगत रूप से इसका लाभ नेतनयाहू को मिलेगा।