رضوی

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 उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ 5 हज़ार से ज्यादा शिक्षकों ने  सड़क पर उतरने का फैसला किया है। इस से पहले लखनऊ में मदरसे को लेकर अहम कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। कॉन्फ्रेंस का मकसद यूपी में मदरसा एजुकेशन से जुड़ी अलग-अलग समस्याओं पर गहन बातचीत करना था। इस बैठक में अल्पसंख्यक मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी शामिल हुए। 

उल्लेखनीय है कि हाल ही में यूपी सरकार ने ऐलान किया था कि मदरसा एक्ट में अहम अमेंडमेंट किए जाएंगे। दरअसल, इस अमेंडमेंट के तहत कुछ मदरसा डिग्रियों को एक्ट के दायरे से बाहर किया जाएगा। खास तौर पर, कामिल और फाजिल सर्टिफिकेट देने वाले मदरसों को अब मान्यता नहीं दी जाएगी, इस लेकर शासन लेवल पर एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। 

 

 

बंगला देश में हिंदू समुदाय पर हो रहे कथित अत्याचारों के खिलाफ महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में हिंदुत्ववादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। औरंगाबाद, जालना, बीड़, सतारा, और पर्बणी जैसे जिलों में 'सकल हिंदू समाज' ने मोर्चे निकाले, जिनमें रामगीरी महाराज और नितेश राणे जैसे नेता भी शामिल हुए और भड़काऊ भाषण दिए।

बंगला देश में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों के विरोध में महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में दुकानें और व्यापार बंद कर दिए गए। साथ ही, मोर्चों के जरिए इन अत्याचारों की निंदा की गई। इस विरोध में रामगीरी महाराज भी शामिल थे, जिन्होंने विवादित बयान दिए थे।

याद रहे कि बंगला देश में शेख हसीना के शासन के बाद वहां नई अस्थाई सरकार बनी है, जिसने कानून में कई बदलाव किए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ ऐसे कानून बनाए गए हैं जो हिंदुओं के अधिकारों को खत्म करते हैं। इस पर विरोध करने पर हिंदू समुदाय पर अत्याचार किए जा रहे हैं। हालांकि, बंगला देश सरकार ने इन आरोपों को नकारा है।

मंगलवार को महाराष्ट्र के औरंगाबाद, जालना, पर्बणी, बीड़ और सतारा जैसे जिलों में दुकानें बंद कर दी गईं। स्कूलों ने बच्चों को छुट्टी दे दी और बाजार भी बंद कर दिए गए। इस दौरान 'सकल हिंदू समाज' और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों ने मोर्चे निकाले और बंगला देश के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को बंद करने की मांग की।

रामगीरी महाराज ने औरंगाबाद के एक मोर्चे में कहा, "अगर सनातनी जाग गए तो पूरी दुनिया को उलट-पलट कर रख देंगे।" पुलिस ने पहले ही उन्हें विवादित बयान देने से मना किया था और इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।

इसके अलावा, बीड़ जिले के परली तहसील में भी पूरी तरह से व्यापार बंद रहा और इस विरोध को समर्थन मिला। पर्बणी में बड़े पैमाने पर जुलूस निकाला गया और बंगला देश सरकार की निंदा की गई। सतारा जिले के क्राड में भी विशाल मोर्चा निकाला गया।

कोकण के सिंधुदुर्ग जिले में बीजेपी विधायक नितेश राणे ने भी मोर्चे में भाग लिया और भड़काऊ भाषण दिया।

 

 

 

 

 

शुक्रवार, 13 दिसम्बर 2024 19:04

दीन की तबलीग़ में सफलता के उपाय

तांज़ानिया के दारुस्सलाम मे एक बैठक आयोजिक की गई जिसका उद्देश्य तांज़ानिया में अहले-बैत (अ) के सिद्धांत के प्रचारकों को प्रेरित करना और उनकी धार्मिक जागरूकता को बढ़ाना था। इस बैठक मे दीन की तबलीग मे सफलता के महत्वपूर्ण उपाय साझा किए गए।

तांज़ानिया के दारुस्सलाम मे एक बैठक आयोजिक की गई जिसका उद्देश्य तांज़ानिया में अहले-बैत (अ) के सिद्धांत के प्रचारकों को प्रेरित करना और उनकी धार्मिक जागरूकता को बढ़ाना था। बैठक में तांज़ानिया के सौ से अधिक प्रचारक शामिल हुए और प्रमुख वक्ता के रूप में इस्लामी क्रांति के नेता के प्रतिनिधि और हज एवं तीर्थ यात्रा मामलों के प्रभारी हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन नवाब ने भाग लिया। 

बैठक के दौरान, हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन नवाब ने धर्म प्रचारक के कार्य को एक महत्वपूर्ण आशीर्वाद के रूप में प्रस्तुत किया और पैगंबर मोहम्मद (स) की एक हदीस का उल्लेख किया, जिसमें बताया गया कि वे लोग जो लोगों के दिलों में खुदा के प्रति प्रेम उत्पन्न करते हैं, उन्हें क़ियामत के दिन उच्च स्थान प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि इस उच्च स्थान तक पहुंचने के लिए प्रचारकों को पैगंबर (स) के आदर्शों को अपनाना चाहिए और धैर्य और संघर्ष के साथ कार्य करना चाहिए।

हुज्जतुल इस्लाम नवाब ने धर्म प्रचार में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय साझा किए:

  1. प्रचार के वातावरण का मूल्यांकन- एक प्रचारक को अपने प्रचार के माहौल को समझना चाहिए और इसके खतरों से सावधान रहना चाहिए।
  2. सुनने वालों की जरूरतों को समझना- प्रचारक को यह जानना चाहिए कि उनके श्रोताओं की क्या जरूरतें हैं।
  3. प्रभावी प्रचार के तरीके जानना- प्रचारक को विभिन्न प्रचार विधियों का ज्ञान होना चाहिए।
  4. प्रतिक्रिया प्राप्त करना- प्रचारक को अपनी गतिविधियों का मूल्यांकन करने के लिए वास्तविक डेटा एकत्रित करना चाहिए।
  5. संदेश को क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करना- जैसे पैगंबर (स) ने धीरे-धीरे धार्मिक शिक्षाएं प्रस्तुत की, उसी तरह प्रचारकों को भी ऐसा करना चाहिए।
  6. सहयोग करना- धर्म प्रचार एक सामूहिक कार्य है, जिसमें सभी वर्गों का सहयोग जरूरी है।

बैठक के दौरान प्रचारकों ने अपनी समस्याओं जैसे "आर्थिक समस्याएं" और "सामाजिक प्रचार के क्षेत्र" पर सवाल किए। नवाब ने कहा कि प्रचारक को धैर्य और आत्मविश्वास के साथ अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, और अल्लाह उनकी रोजी की गारंटी देता है। बैठक के बाद, प्रचारक "शिराज़ियों की धरोहर" प्रदर्शनी का दौरा करने गए, जो दूतावास में आयोजित की गई थी।

 

शुक्रवार, 13 दिसम्बर 2024 19:03

डॉ. जाकिर हुसैन पुस्तकालय

 डॉ. जाकिर हुसैन पुस्तकालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में स्थित भारत के प्रमुख शैक्षिक केंद्रों में से एक है, जिसे 1920 में स्थापित किया गया था और इसका नाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नाम पर रखा गया है।

डॉ. जाकिर हुसैन पुस्तकालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में स्थित भारत के प्रमुख शैक्षिक केंद्रों में से एक है, जिसे 1920 में स्थापित किया गया था और इसका नाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नाम पर रखा गया है। इस पुस्तकालय मे 600,000 से अधिक पुस्तकों और 2,230 हस्तलिखित पांडुलिपिया है, जो विभिन्न भाषाओं में हैं, जिनमें उर्दू और फारसी भी शामिल हैं। इसे शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।

इस पुस्तकालय के संग्रह में विविध विषयों को शामिल किया गया है, जैसे कि कुरआन विज्ञान, हदीस, कानून, सूफीवाद, दर्शन, तर्कशास्त्र, यूनानी चिकित्सा, ज्योतिष, गणित, खगोलशास्त्र, संगीत, रसायन शास्त्र, कविता, फारसी भाषा और साहित्य, शब्दकोश, इतिहास, भूगोल और हिंदू धर्म। इसके अलावा, पुस्तकालय में संस्कृत, वेद, उपनिषद, मनुस्मृति, रामायण, भगवद गीता, महाभारत, गुरु नानक, स्वामी दयानंद सरस्वती, और स्वामी विवेकानंद की पांडुलिपियाँ भी संरक्षित की जाती हैं।

फिलिस्तीनी सूत्रों ने कहा कि मध्य गाज़ा पट्टी में अलनुसीरत के शरणार्थी शिविर में आवासीय घरों पर इज़रायली हमलों में कम से कम 27 फिलिस्तीनी मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।

एक रिपोर्ट के अनुसार,फिलिस्तीनी सूत्रों ने कहा कि मध्य गाज़ा पट्टी में अलनुसीरत के शरणार्थी शिविर में आवासीय घरों पर इज़रायली हमलों में कम से कम 27 फिलिस्तीनी मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।

फ़िलिस्तीनी नागरिक सुरक्षा प्रवक्ता महमूद बसल ने बताया कि इज़रायली बमबारी ने एक आवासीय ब्लॉक को निशाना बनाया जिसमें सरकारी डाकघर की इमारत है, जो विस्थापित लोगों को आश्रय दे रही थी।

एक रिपोर्ट के अनुसार, बसल ने कहा कि उपकरणों की कमी और इजरायली विमानों की भारी उड़ान के बीच बचाव अभियान अभी भी जारी है मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि घायलों में से कई गंभीर रूप से घायल हैं।

हमलों पर इज़रायली सेना की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी नागरिक सुरक्षा ने कहा कि इससे पहले बुधवार को मध्य गाजा शहर में एक सभा पर इजरायली ड्रोन हमले में कम से कम 10 फिलिस्तीनी मारे गए थे।

समाचार एजेंसी के मुताबिक नागरिक सुरक्षा प्रवक्ता महमूद बसल ने एक प्रेस बयान में कहा कि पीड़ितों में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।

आज भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने 1991 के 'पूजा स्थल अधिनियम' की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि ''देश में कोई भी न्यायालय किसी भी पूजा स्थल की कानूनी हैसीयत को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं देगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगली सुनवाई तक आराधनालय के स्वामित्व या नाम को चुनौती देने वाला कोई मामला दायर नहीं किया जाएगा।

आज भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि "अब पूजा स्थलों की वैधता के खिलाफ कोई मामला दायर नहीं किया जाएगा।" सभी सिविल अदालतों को स्वामित्व या नाम को चुनौती देने वाले मामलों की सुनवाई करने से रोक दिया गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 1991 के "पूजा स्थल अधिनियम" की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। यह याद रखना चाहिए कि "इस अधिनियम के तहत, किसी भी पूजा स्थल को नहीं बदला जा सकता है और इसकी कानूनी स्थिति वही रहेगी जो 15 अगस्त, 1947 को थी।

केंद्र सरकार ने अभी तक इस मामले पर हलफनामा दाखिल नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी अदालतों को किसी भी आराधनालय के स्वामित्व या नाम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला देने से रोक दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के बीच में कहा कि ''पूजा स्थलों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा।'' कोर्ट ने केंद्र को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया है. गौरतलब है कि इस मामले में 1991 के कानून की वैधानिकता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में वकील अश्विनी कुमारपाध्याय भी शामिल थे, जिन्होंने आपत्ति जताई कि यह अधिनियम हिंदुओं, जैनियों और सिखों को अदालत में पूजा स्थल का दावा करने से रोकता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और जमीयत उलेमा हिंद जैसे मुस्लिम संगठनों ने इन प्रस्तुतियों पर चिंता व्यक्त की थी।

कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा है कि ''इस मामले की अगली सुनवाई तक लंबित याचिकाओं पर कोई अंतरिम या अंतिम निर्णय नहीं सुनाया जाएगा और कोई नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा।'' सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है।

 असम सरकार के फैसले से दिल्ली तक की सियासत में उबाल आ गया है। हिंदुत्व और नफरती राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने आधार कार्ड को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) से जोड़ने की कोशिश में बड़ा फैसला लिया है। अब असम में आधार हासिल करने के लिए सरकार के कठोर नियमों का पालन करना होगा। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ऐलान किया है कि अब आधार कार्ड बनाने के लिए एनआरसी में आवेदन करना होगा। जिसने NRC के लिए आवेदन नहीं किया होगा, उसे अब आधार कार्ड नहीं मिलेगा और आवेदन न करने वालों का आधार कार्ड कैंसिल कर दिया जाएगा।

फातिमा पुर मेंहदी ने कहा,हिजाब की रक्षा का उपाय हज़रत ज़हरा स.ल.से प्रेरणा लेना है जब उनके वालिद ने पूछा कि सर्वश्रेष्ठ महिलाएँ कौन हैं तो उन्होंने उत्तर दिया, خَیْرُ لِلْنِّساءِ اَنْ لا یَرَیْنَ الرِّجالَ وَ لا یَراهُنَّ الرِّجالُ." सबसे अच्छी महिलाएँ वे हैं जो पुरुषों को न देखें और न ही पुरुष उन्हें देखें।

एक रिपोर्ट के अनुसार,फातिमा पूरमहदी हज़रत ख़दीजा स.ल. विशेष धार्मिक विद्यालय बाबुल की प्रबंधक ने महिला का हिजाब मानवीय गरिमा और इस्लामी पहचान की रक्षा विषय पर आयोजित एक शैक्षणिक शोध बैठक में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा,क़ुरान के सूरा नूर (आयत 30 और 31) और सूरा अहज़ाब (आयत 59) में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है,

कि मोमिन से कहो कि वे अपनी निगाहें झुका लें और अपने दामन को पाक रखें।यग़ज़ू' शब्द का अर्थ है कम करना या नियंत्रित करना यह आँखों की पूर्ण बंदी का आदेश नहीं देता बल्कि अपनी निगाहों को सीमित रखने की हिदायत देता है।

इस तरह मर्द औरतों के चेहरे और शरीर को न देखें और अपनी दृष्टि को नीचे रखें यह दृष्टिकोण हराम दृश्य को देखने से बचने का मार्ग दिखाता है।

उन्होंने कहा,जैसे पुरुषों के लिए ग़लत दृष्टि हराम है वैसे ही महिलाओं के लिए भी है और औरतों के लिए अपने शरीर को ढकना और अपनी सजावट को गैर महरम से छुपाना अनिवार्य है।

इस्लामी शिक्षाओं में दो प्रकार के वस्त्रों का उल्लेख है ख़िमार (सिर और गहनों को ढकने के लिए) और जिलबाब (पूरा शरीर ढकने के लिए) हैंपूरमेंहदी ने आगे कहा,आंतरिक पवित्रता (इफ़्फ़त) और बाहरी पवित्रता (तक़वा) के बीच गहरा संबंध है।

उन्होंने यह भी कहा,हिजाब की रक्षा का उपाय हज़रत ज़हरा स.ल.से प्रेरणा लेना है जब उनके वालिद ने पूछा कि सर्वश्रेष्ठ महिलाएँ कौन हैं तो उन्होंने उत्तर दिया,

خَیْرُ لِلْنِّساءِ اَنْ لا یَرَیْنَ الرِّجالَ وَ لا یَراهُنَّ الرِّجالُ."

सबसे अच्छी महिलाएँ वे हैं जो पुरुषों को न देखें और न ही पुरुष उन्हें देखें।

पहले ज्ञानवापी मस्जिद फिर मथुरा की शाही ईदगाह भोजशाला मस्जिद, लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, संभल की जामा मस्जिद, जौनपुर की अटाला मस्जिद और अब अजमेर की ऐतिहासिक दरगाह पर दावे किए जा रहे हैं। 830 साल पुरानी इस दरगाह पर हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग आते हैं। अजमेर मामले के तूल पकड़ते मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का डेलिगेशन यहाँ पहुंचा और ऐतिहासिक दरगाह पर किए गए आधारहीन दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट 1991 के मौजूद होने के बावजूद ऐसे दावे कानून और संविधान का खुला मजाक है। 

बोर्ड के प्रवक्ता कासिम इलियास ने कहा कि यह देखकर बड़ी हैरानी और चिंता हुई है कि ऐतिहासिक सबूत, कानूनी दस्तावेजों और 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के बावजूद अजमेर की स्थानीय अदालत में इस मामले को डाला गया और अदालत में से स्वीकार करते हुए नोटिस भी जारी कर दी। 

 

 

आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने कहा: अगर हम आधुनिक संसाधनो का उपयोग नही करेंगे सकते तो हम समाज का सही दिशा में मार्गदर्शन नहीं कर सकते। अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काबू पा लें, तो इसके खतरों से बच सकते हैं।

जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रमुख आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अवसर, चुनौतियाँ और समाधान' विषय पर मदरसा दार अल शिफ़ा के मिटिंग हाल मे आयोजित होने वाली जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम की सोलहवीं आम सभा में, जिसमें उच्च स्तरीय शिक्षक और हौज़ा इल्मिया से बाहर के शिक्षक भी शामिल हुए और आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी का संदेश भी प्रस्तुत किया गया, कहा: "इमाम अली (अ) की हदीस हे कि याद रखो जो व्यक्ति अपने समय के परिवर्तन से चकित नहीं होता, वही सबसे जागरूक होता है, हमें न केवल वर्तमान, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए।"

आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई वर्षों से चिकित्सा, कृषि और पर्यावरण के क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन इसकी प्रगति ने जो गति पकड़ी है, वह हैरान करने वाली है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने सीमाओं को पार कर लिया है और यह सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं को प्रभावित कर रहा है। अगर हौज़ा इस बदलाव को सही तरीके से नहीं समझेगा और इसका स्वागत नहीं करेगा, तो हम मानवता की प्रगति से पीछे रह जाएंगे।

उन्होंने आगे कहा: अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सही तरीके से उपयोग करेंगे, तो यह शोध, ज्ञानवर्धन और निर्णय लेने में बहुत मददगार हो सकता है। यह हमारे लिए इस्लामी सभ्यता के निर्माण में भी महत्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ न जाने दें।

इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और शिक्षा की आवश्यकता है, ताकि हौज़ा के छात्र और शिक्षक इस तकनीक के बारे में पूरी तरह से जान सकें और इस क्षेत्र में अधिक प्रभावी रूप से काम कर सकें।