
رضوی
मोरक्को के 41 शहरों में गाज़ा के समर्थन में प्रदर्शन
मोरक्को के 41 शहरों में गाज़ा के समर्थन में 95 प्रदर्शन हुए, जिनमें हज़ारों लोगों ने भाग लिया।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्स के अनुसार, मोरक्को के एक गैरसरकारी संगठन सपोर्टिंग नेशंस इश्यूज़ ने एक बयान प्रकाशित किया जिसमें घोषणा की है की गाजा में ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए अपराधों की निंदा करने के लिए मोरक्को के लोग लगातार 41वें सप्ताह सड़कों पर उतरे और विरोध प्रदर्शन किया है।
इस बयान के मुताबिक, शुक्रवार को उत्तर में अल नज़ुर, अलनजौर, मोरक्को के पूर्व में टैंजियर, मेकनेस और अहफिर शहर में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन देखा गया हैं।
प्रदर्शनकारियों ने फ़िलिस्तीनी झंडे लहराए और ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ नारे लगाए और गाजा में युद्ध जारी रखने की निंदा की हैं।
मोरक्को के प्रदर्शनकारियों ने पहले देश की सरकार से इज़रायली सरकार के साथ संबंध तोड़ने का आह्वान किया हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल 15 अक्टूबर से गाजा में इजरायली सेना के हमलों में 38,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं और हज़ारों फिलिस्तीनी अभी भी लापता हैं और हजारों लोग मलबे में दबे हुए हैं।
तेलअवीव पर यमन का ड्रोन हमला
तेलअवीव में ज़ायोनी सरकार के केन्द्र में शुक्रवार को सुबह ड्रोन हमला किया गया जिसमें एक ज़ायोनी मारा गया और सात अन्य घायल हो गये।
इस हमले के बाद यमन की सशस्त्र सेना ने कहा है कि यह हमला यमनी सेना ने याफ़ा ड्रोन से अंजाम दिया है। याफ़ा अरबी और अतिग्रहण से पहले तेलअवीव का असली नाम है।
याफ़ा वह ड्रोन है जो राडार की पकड़ में नहीं आता है और इसे यमन ने बनाया है और वह आधुनिकतम सिस्टम को पार कर सकता है। इसी प्रकार यह ड्रोन लगभग दो हज़ार किलोमीटर तक उड़ सकता है।
ज़ायोनी संचार माध्यमों ने इस ड्रोन के पहलुओं को बड़ा बताया और कहा है कि यह ड्रोन समुद्र की तरफ़ से कम ऊंचाई पर तेलअवीव के निकट हुआ और प्रतिरक्षा के समस्त सिस्टमों को पार करके तेलअवीव पहुंचा।
इस हमले से ज़ायोनी सरकार के अधिकारी और उसके पश्चिमी घटक बहुत क्रोधित हुए हैं।
पार्सटुडे ने इस हमले पर कुछ पहलुओं से दृष्टि डाली है। यहां हम कुछ बिन्दुओं की ओर संकेत कर रहे हैं जिन पर ज़ायोनी सरकार और उसके समर्थकों को ध्यान देना चाहिये।
यमन के भयानक हमले जारी
यह यमन के अंसारुल्लाह और यमनियों की ओर से ज़ायोनी सरकार की तथाकथित राजधानी तेलअवीव पर पहला हमला
यमन की सशस्त्र सेना ने इससे पहले कहा था कि जब तक ज़ायोनी सरकार ग़ज़ा पट्टी पर अपने हमलों और इस क्षेत्र के लोगों की हत्या व नरसंहार को बंद नहीं करती और इसी प्रकार उनके ख़िलाफ़ मानवता प्रेमी कार्यवाहियों को बंद नहीं करती है तब तक वह न केवल अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन की ओर जाने वाले जहाज़ों पर हमलों को बंद नहीं करेगी बल्कि इस्राईल के अंदर भी हमले करेगी।
तेलअवीव पर यमन का ड्रोन हमला
इस संबंध में यमनी सेना के प्रवक्ता ने बल देकर कहा है कि हम ज़ायोनी दुश्मन के अंदर मोर्चे पर ध्यान केन्द्रित करेंगे और इस सरकार के केन्द्र को लक्ष्य बनायेंगे। हमारे पास अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में लक्ष्य बनाने के बैंक मौजूद हैं कि उनमें से सैनिक और संवेदनशील लक्ष्य हैं। इसी प्रकार उन्होंने बल देकर कहा कि हम ग़ज़ा के संघर्षकर्ताओं और इस्लामी और अरब उम्मत का समर्थन जारी रखेंगे। जब तक जंग और ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी जनता का परिवेष्टन जारी रहेगा तब तक हमारे हमले भी जारी रहेंगे।
ज़ायोनी शासन द्वारा फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार को रोकने के लिए सैन्य और कूटनीतिक प्रयासों पर एक नज़र
हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख इस्माईल हनिया ने कहा है कि वार्ता बंद होने के बारे में जो कुछ कहा जा रहा है, वह ग़लत है और हमास प्रतिरोध द्वारा निर्धारित की गई शर्तों के साथ युद्ध रोकने के लिए प्रयास करता रहेगा।
लेबनान
इस्राईली मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, हिज़्बुल्लाह द्वारा फ़ायर किए गए दसियों रॉकेटों के कारण, सेटलर्स के लिए पिछली रात जहन्नुम की रात की तरह गुज़री है। मीडिया ने तीन चरणों में किए गए हिज़्बुल्लाह के हमलों में आने वाली तेज़ी पर आश्चर्य जताया है। पार्सटुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़, मंगलवार की रात हिज़्बुल्लाह ने कम से कम 80 रॉकेट फ़ायर किए और नहारिया और मैरून जैसे इलाक़ों को निशाना बनाया।
बुधवार को हिज़्बुल्लाह प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने इमाम हुसैन की शहादत की याद में आयोजित एक मजलिस को संबोधित करते हुए युद्ध का दायरा फैलाने के लेकर ज़ायोनियों को चेतावनी देते हुए कहा थाः ज़ायोनी दुश्मन से हम कहते हैं कि अगर तुम्हारे टैंक लेबनान और दक्षिणी इलाक़े में घुसे तो तुम्हारा फिर कोई टैंक बाक़ी नहीं बचेगा।
हिज़्बुल्लाह महासचिव ने कहाः जब तक ज़ायोनी शासन आम नागरिकों को निशाना बनाता रहेगा, प्रतिरोध ज़ायोनियों को निशाना बनाकर रॉकेट फ़ायर करता रहेगा।
अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़, लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुललाह बू हबीब ने एक बार फिर युद्ध का विरोध करते हुए क्षेत्र को बड़े धमाके की ओर ले जाने के लिए चेतावनी दी और पूर्ण रूप से युद्ध विराम पर बल दिया।
यमन
यमनी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, अमरीका और ब्रिटिश लड़ाकू विमानों ने अल-हुसैदा एयरपोर्ट पर बमबारी की है।
रेड सी में जहाज़रानी की सुरक्षा के बहाने अमरीका और ब्रिटेन अब तक कई बार यमनी सेना और अंसारुल्लाह के ठिकानों को निशाना बना चुके हैं।
फ़िलिस्तीन
फ़िलिस्तीनी मीडिया ने गुरुवार को रिपोर्ट दी कि ग़ज़ा के केंद्र में अल-ज़वैदा और अल-नुसैरत शिविर पर ज़ायोनी सेना ने भीषण हमले किए हैं, जिसमें कम से कम 7 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए और कई अन्य घायल हो गए।
फ़िलिस्तीनी समाचार एजेंसी समा की रिपोर्ट के मुताबिक़, ग़ज़ा पट्टी में 72 दिन पहले ज़ायोनी सेना द्वारा रफ़ाह क्रॉसिंग पर क़ब्ज़ा कर लेने के बाद से युद्ध में घायल होने वाले 292 फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, क्योंकि उन्हें इलाज के लिए विदेश जाने से रोक दिया गया था।
दूसरी ओर, अमरीकी सेना का दावा है कि 230 मिलियन डॉलर के बजट से ग़ज़ा के तट पर बनने वाली जेट्टी के निर्माण को रोक दिया गया है।
रॉयटर्स के मुताबिक, यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के डिप्टी डायरेक्टर ब्रैड कूपर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहाः डॉक का मिशन पूरा हो गया है, इसलिए अब डॉक का इस्तेमाल करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
इस बीच, फ़िलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) ने बुधवार रात एक बयान में एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ज़ायोनी शासन के अपराधों के ख़िलाफ़ अपनी चुप्पी तोड़ने और अत्याचारी ज़ायोनी शासन को रोकने का आहवान किया है।
7 अक्टूबर, 2023 के बाद से ज़ायोनी सेना ग़ज़ा पट्टी में अब तक 38 हज़ार 794 लोगों का नरसंहार कर चुकी है, जिसमें अधिकांश संख्या बच्चों और महिलाओं की है।
ज़ायोनी शासन
तस्नीम न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्राईली अख़बार मारियो ने एक सर्वेक्षण कराया है, जिसके परिणामों के मुताबिक़, ज़ायोनी प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू का विरोध अपने चरम पर है।
दूसरी ओर, ज़ायोनी जासूसी एजेंसी मोसाद के प्रमुख डेविड बार्निया ने बुधवार रात कहाः नेतनयाहू की नई शर्तों पर ज़ोर देने से हमास के साथ बातचीत का समझौता विफल हो जाएगा। बार्निया ने जल्द से जल्द प्रतिरोध आंदोलन के साथ क़ैदियों की आदान-प्रदान की मांग की।
इराक़
इराक़ के इस्लामी प्रतिरोध ने फ़िलिस्तीन के क़ब्ज़े वाले क्षेत्र के दक्षिण में स्थित बंदरगाह पर हमले के बारे में एक बयान में कहा है कि यह ड्रोन हमला, फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की मदद के लिए और ज़ायोनी अपराधों के जवाब में किया गया है।
गाज़ा में शहीदों की संख्या 39 हज़ार तक पहुंच गई
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि इज़रायली सेना ने पिछले कुछ घंटों में गाज़ा में नए हमले किए हैं जिसके बाद शहीदों की संख्या 38,900 से अधिक हो गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक,गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि इज़रायली सेना ने पिछले कुछ घंटों में गाज़ा में नए हमले किए हैं जिसके बाद शहीदों की संख्या 38,900 से अधिक हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज दोपहर शनिवार घोषणा कि है की इजरायली सेना ने पिछले 24 घंटों में गाजा पट्टी में 4 और सामूहिक हत्याएं कीं है जिसके परिणामस्वरूप 37 फिलिस्तीनी शहीद और 54 घायल हो गए हैं।
इस बयान के मुताबिक, युद्ध शुरू होने के बाद से फिलिस्तीनी शहीदों की संख्या 38 हजार 919 और घायलों की संख्या 89 हज़ार 622 तक पहुंच गई है।
गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बार फिर बताया कि मलबे के नीचे अभी भी बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी शहीद और दबे हुए हैं।
गाज़ा में 9 महीने से ज्यादा समय से भयानक युद्ध जारी है इजरायली सरकार की सेना ने गाजा पट्टी के विभिन्न इलाकों पर बड़े पैमाने पर हमले और बमबारी की है इस हमले ने चिकित्सा सुविधाओं सहित कई महत्वपूर्ण सुविधाओं को नष्ट कर दिया हैं।
कर्बला के असीरों की याद में निकल गया लूटा हुआ काफिला
13 मोहरम को कर्बला के असीरों की याद में निकल गया जुलूस इससे पूर्व मजलिस को डॉ कमर अब्बास ने खिताब करते हुए बताया कि किस तरह से दस मोहरम को कर्बला में हज़रत इमाम हुसैन व उनके साथियों की शहादत के बाद पूरे परिवार को यजीदीयों ने कैदी बनाकर कर्बला से क़ूफा लाया और अहले हरम पर क्या-क्या ज़ुल्म हुए।
जौनपुर/नगर के बाजार भुआ स्थित इमामबाड़ा शेख हशमत अली में गुरुवार की रात्रि लुटे हुए काफिले का 11वी मोहर्रम का जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्ते से होता हुआ पुनः उसी इमामबाड़े में जाकर समाप्त हुआ।
इससे पूर्व मजलिस को डॉ कमर अब्बास ने खेताब करते हुए बताया कि किस तरह से दस मोहरम को कर्बला में हजरत इमाम हुसैन वह उनके साथियों की शहादत के बाद पूरे परिवार को यजीदी फौजियों ने कैदी बनाकर कर्बला से ऊँट पर बैठकर कूफ़े की गलियों से होते हुए मक्का मदीना लाया गया था।
इस दौरान उन पर जुल्म इतने ढाए गए थे कि रास्ते में कई लोगों को शहादत हो गई थी ।आज हम सब लोग उन्ही की याद में यह लूटा हुआ काफिले का जुलूस निकाल रहे हैं।
जुलूस में बेलाल हसनैन व मौलाना बाक़र मेहंदी ने भी तकरीर की जुलूस जब जेडी के आवास के पास पहुंचा तो वहां मौलाना हसन अकबर ने तकरीर किया जिसके बाद जनाबे सकीना की तुरबत से अलम को मिलाया गया। जुलूस में शहर की सभी अंजुमन ए नोहा मातम करती रही।
इस साल कर्बला में आशूरा के मौके पर 6 मिलियन ज़ायरीन उपस्थित हुए
कर्बला की प्रांतीय परिषद ने गुरुवार को घोषणा कि है इराक़ में आशूरा के मौके पर इस साल कर्बला में तकरीबन 6 मिलियन ज़ाएरीन उपस्थित हुए।
अलआलम के अनुसार, कर्बला की प्रांतीय परिषद ने गुरुवार को घोषणा की कि इराक़ और अन्य देशों के लगभग 6 मिलियन तीर्थयात्रियों ने आशूरा हुसैनी समारोह में भाग लिया।
इस परिषद की मीडिया इकाई ने कहा कि इस साल के आशूरा समारोह और कर्बला में वैरिज शोक के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या लगभग 6 मिलियन लोगों तक पहुंच गई।
इससे पहले, सेवा, सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों ने आशूरा समारोह और तवेरिज शोक के लिए विशेष योजना की सफलता की घोषणा की हैं।
इराकी मीडिया और संचार संगठन ने घोषणा की कि 725 पत्रकारों और 84 उपग्रह चैनलों ने आशूरा तीर्थयात्रा को कवर किया हैं।
इराक़ के बिजली मंत्रालय ने एक बयान में आशूरा समारोह की विशेष योजना और कर्बला शहर में 24 घंटे बिजली आपूर्ति को सफल बताया हैं।
नजफ़ अशरफ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ने यह भी घोषणा की कि उसने मुहर्रम की पहली से नौवीं तारीख तक 71 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों की मेज़बानी की हैं।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली सिस्तानी ने ओमान में होने वाले आतंकी हमले की सख्त शब्दों में निंदा की
शिया मरजय तकलीद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी ने ओमान में होने वाले आतंकी हमले की सख्त शब्दों में निंदा की हैं।
इराक के शिया मरजय तकलीद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी ने ओमान में अलवादी अलकबीर की मस्जिद में आतंकवादी हमले में आज़ादारों की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त की है।
उन्होंने इस आतंकवादी घटना की निंदा करते हुए शहीदों के परिवारों और विश्वासियों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने और ओमान की शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए दुआ की हैं।
गौरतलब है कि एक दिन पहले आतंकी समूह आईएसआईएस ने ओमान की अलवादी अलकबीर मस्जिद में अज़ादारो पर होने वाले हमले की जिम्मेदारी ली जिसमें 6 मातमदार शहीद हो गए थे और 25 से ज़्यादा घायल हो गए थे।
आतंकी गिरोह आईएसआईएस ने एक वीडियो और बयान प्रकाशित कर हमले की जिम्मेदारी ली हैं।
इमाम सज्जाद (अ) ने 'जिहाद तबीन' के माध्यम से बनी उमय्या को अपमानित किया
इमाम रज़ा (अ) के हरम के खतीब ने कहा: हज़रत इमाम सज्जाद (अ) ने उमय्या सरकार के खिलाफ जिहाद के माध्यम से बनी उमय्या को अपमानित किया।
हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन मुहम्मद हुसैन रजाई खोरासानी ने इमाम रज़ा (अ) की दरगाह में इमाम सज्जाद (अ) के शहादत दिवस पर आयोजित एक मजलिस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा: कर्बला की घटना की योजना बनी उम्याय ने बनाई थी, वे इस्लाम का नामोनिशान नहीं रहने देंगे, यही कारण था कि उन्होंने खय्याम हुसैनी में आग लगा दी।
उन्होंने आगे कहा: इमाम ज़ैन अल-अबिदीन (अ) आशूरा के दिन बीमार थे, इसलिए हज़रत इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बाद, जब बंदियों का कारवां रवाना हुआ, तो इमाम के खिलाफ जिहाद रद्द कर दिया गया इमाम ज़ैन अल-अबिदीन (अ) ने इसकी शुरुआत की, आपने लोगों को बताया कि कैसे उमय्यद इस्लाम को मिटा देना चाहते थे और कैसे इमाम हुसैन (अ) को बेरहमी से मार डाला गया था।
खतीब हरम इमाम रज़ा ने कहा: जब इमाम सज्जाद (अ) इस यात्रा के दौरान कैद थे, तो उन्होंने अपने उपदेशों से यज़ीद और यज़ीदियों को हिला दिया।
उन्होंने आगे कहा: इमाम सज्जाद (अ) को वाक्पटुता का उपहार अमीरुल मोमिनीन (अ) से विरासत में मिला था, यज़ीद के दरबाह के लोग, जो सुनने के बाद मानते थे कि इमाम हुसैन (अ) बनी उम्याय के प्रचार के कारण खवारिज से थे। इमाम के उपदेश से, इमाम यज़ीद के प्रति क्रोधित हो गए और उसका विरोध करने लगे, यहाँ तक कि यज़ीद को अपना दरबार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
खतीब हरम इमाम रज़ा (अ) ने कहा: हज़रत इमाम सज्जाद (अ) ने उमय्या सरकार के खिलाफ जिहाद के माध्यम से उमय्यदों को अपमानित किया।
आशूरा महाआंदोलन, अमवियों की ग़ुमराही से अक़्ल और धर्म को बचाने के लिए इमाम हुसैन अलै. का प्रयास
ईरान के एक महान विद्वान और धर्मगुरू आयतुल्लाह जवादी आमूली का कहना है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने इंसानों को जागरुक व बेदार होकर उपासना करने के लिए आमंत्रित किया ताकि इंसान अपनी ज़िन्दगी के समस्त मामलों में विशुद्ध धार्मिक शिक्षाओं का पालन कर सके।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन के समय से लेकर आज तक दुनिया के बहुत से बुद्धिजिवी, विद्वान यहां तक कि सामान्य लोग यह सवाल करते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम के नाती और शिया मुसलमानों के तीसरे इमाम, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जो महाआंदोलन किया उसका अस्ली कारण क्या था?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए ईरान के महान विद्वान, धर्मगुरू, धर्मशास्त्री, दार्शनिक, रहस्यवादी, पवित्र क़ुरआन के व्याख्याकर्ता और शिया मुसलमानों के मरजये तक़लीद आयतुल्लाह अब्दुल्लाह जवादी आमूली के विचारों और भाषणों पर एक नज़र डालेंगे।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के बुनियादी क़दम
आयतुल्लाह जवादी आमूली इस संबंध में कहते हैं कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अमवियों की ग़ुमराही और बंधन से ईश्वरीय धर्म को मुक्ति दिलाने के लिए प्रयास किया ताकि धर्म और वास्तविकता के संबंध में लोगों की जानकारी को विस्तृत कर सकें। इस आधार पर उन्होंने एकेश्वरवाद की शिक्षाओं के विस्तार व प्रचार प्रसार की दिशा में प्रयास किया ताकि लोग बेदार व जागरुक होकर महान ईश्वर की उपासना करें।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम इंसान के पैदा होने के उद्देश्य के बारे में इस प्रकार फ़रमाते हैं महान ईश्वर ने इंसानों को इसलिए पैदा किया ताकि वे उसे पहचानें और जब उसके बंदे उसे पहचान जायेंगे तो उसकी उपासना व इबादत करेंगे और जब इंसान उसकी इबादत करेंगे तो अल्लाह के सिवा की इबादत करने से आवश्यकता मुक्त व बेनियाज़ हो जायेंगे।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कथन का यह मतलब नहीं है कि इंसान महान ईश्वर को पहचाने और नमाज़ पढ़े, रोज़ा रखे और कुछ न करे। यह अर्थ वास्तविक इबादत का एक भाग है। इंसान की ज़िन्दगी का हर गोशा व आयाम इबादत है। दूसरे शब्दों में इंसान चाहे तो अपनी ज़िन्दगी के हर पहलु को या कुछ पहलु को इबादत बना सकता है।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने इस प्रकार की बातों से इंसानों को बेदार व जागरुक करके महान ईश्वर की उपासना के लिए आमंत्रित किया ताकि अपने जीवन के समस्त आयामों में धर्म का अनुसरण करे और यह धर्म है जो इंसान को लोक- परलोक में सफ़ल बनाता है।
महाआंदोलन का आ पहुंचना
मोआविया के मरने के बाद उसका बेटा यज़ीद राजगद्दी पर बैठा। वह एक भ्रष्ठ और अपराधी जवान था। वह खुल्लम- खुल्लाह न केवल इस्लामी आदेशों की उपेक्षा व अवहेलना करता था बल्कि उनका मज़ाक़ भी उड़ाता था। आंदोलन के लिए बेहतरीन समय आ गया था। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने भ्रष्टाचारी यज़ीद से मुक़ाबला करने का फ़ैसला किया। बहुत से लोगों ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के फ़ैसले का विरोध किया परंतु इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम यज़ीद के मुक़ाबले में उठ खड़े होने पर बल देते थे।
इस आधार पर जब एक व्यक्ति ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को उस समय की विषम व अनुचित स्थिति से अवगत किया तो इमाम ने उसके जवाब में फ़रमाया ईश्वर की सौगंद जब हमारे लिए कोई आश्रयस्थल नहीं है और कोई पनाहगाह नहीं है तो मैं कदापि यज़ीब बिन मोआविया की बैअत नहीं करूंगा।
इसी प्रकार जब वलीद ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा था तो इमाम ने फ़रमाया था कि यज़ीद एक भ्रष्ट आदमी, शराब पीने वाला, नफ़्से मोहरतमा की हत्या करने वाला, खुल्लम -खुल्ला बुराई करने वाला और मेरे जैसा उस जैसे की बैअत नहीं करेगा।
यहां पर यज़ीद जैसे व्यक्ति की बात नहीं है बल्कि हुसैनी सोच यज़ीद और उसके जैसे इंसानों की सोच से नहीं मिलती। जो इंसान महान ईश्वर की उपासना करता हो और उसने उसकी राह में अपनी जान व माल बेच दिया हो वह कभी भी ईश्वर के दुश्मन से समझौता नहीं करेगा।
जब मरवान ने इमाम हुसैन अलैहिस्लाम से यज़ीद की बैअत करने के लिए कहा था तो इमाम ने उसके जवाब में भी फ़रमाया जब लोगों को यज़ीद जैसे शासक का सामना है तो इस्लाम को ख़ैरबाद व अलविदा कहना चाहिये। यानी जिसकी सोच और जिसका विचार मेरे जैसा होगा वह कभी भी अत्याचारी व ज़ालिम सरकार की बैतअ नहीं करेगा।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पैग़म्बरों के वारिस हैं
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पैग़म्बरों के वारिस हैं और उनका मिशन वास्तव में पैग़म्बरों और ईश्वरीय दूतों का मिशन है। जिस तरह पैग़म्बरों को इंसानों की अक़्ल व बुद्धि को विकसित करने के लिए भेजा गया है उसी तरह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने भी उसी मक़सद के लिए आंदोलन किया। इस आधार पर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जो आंदोलन किया उसके विभिन्न नतीजे व परिणाम सामने आये जिनमें से हम चार की ओर संकेत कर रहे हैं।
आंदोलन व शहादत ईश्वरीय प्रेम और वास्तविक ज़िन्दगी को बयान करने के लिए
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने ईश्वरीय प्रेम को दिखाने व बताने के लिए पूरा प्रयास किया और लोगों को यह समझाने का प्रयास किया कि महान ईश्वर ने बंदों को प्रेम के आधार पर पैदा किया और वह उनके अस्तित्व को विकसित करना चाहता है और इंसानों को मुक्ति देना चाहता है।
2— इंसान और समाज की इज़्ज़त और प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन करना और शहादत देना
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के ज़माने में नैतिक व अख़लाक़ी सद्गुणों को अमवी परिवार ने बंधक बना लिया था। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने महाआंदोलन से सद्गुणों और धर्म को अमवी परिवार के बंधन से मुक्त कराया और अपनी अमर क़ुरबानी से इस्लामी समाज और सद्गुणों में नई जान फ़ूंक दी और इंसानों को इज़्ज़त, प्रतिष्ठा और दूसरे मानवीय सद्गुणों की याद दिला दी।
3 — पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत व परम्परा को याद दिलाने के लिए आंदोलन किया और शहादत दी
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कूफ़ा के लोगों के नाम एक पत्र लिखा
उस पत्र में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने लिखा था कि पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत को मिटा दिया गया और बिदअतें प्रचलित हो गयी हैं। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने आंदोलन से ईश्वरीय शिक्षाओं, ईश्वरीय आदेशों की सीमाओं और पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत को दिखा व बता दिया और इन चीज़ों के भविष्य में ज़िन्दा होने का कारण बना।
4— पैग़म्बरों की राह को ज़िन्दा करने के लिए आंदोलन किया और शहादत दी
इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि महान ईश्वर ने पैग़म्बरों को इंसान की अक़्लों में विकास व निखार के लिए भेजा और पूरे इतिहास में अमवियों जैसी शक्तियां भी रही हैं जो लोगों की अक़्लों के विकास के मार्ग की बाधा थीं परंतु महान ईश्वर ने पैग़म्बरों को भेजा ताकि वे इंसानों की अक़्लों के विकास के मार्ग की रुकावट को दूर कर सकें। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने आंदोलन से लोगों को बताया कि बनी उमय्या हक़ पर हमल नहीं कर रही है और जो हक़ पर अमल नहीं कर रहा है और अक़्ल के शिखर पर नहीं पहुंच सकता।
जो समाज भी हक़ और हक़्क़ानियत पर अमल नहीं करता है वह भी अक़्ल के शिखर पर नहीं पहुंचेगा और वह दुनिया की चुनौतियों में फ़ंस जायेगा। क्योंकि हक़ का अनुसरण व अनुपालन करने के परिप्रेक्ष्य में ही अक़्ल परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचती है और यह कार्य अमवी जैसे अत्याचारी शासकों की हुकूमत में व्यवहारिक नहीं हो सकता।
इमाम हुसैन का वो पहला सफर जो कर्बला पे जा के ख़त्म हुआ
ये बात २० रजब सन ६० हिजरी की है जब मुआव्विया की मृत्यु हो गयी और यज़ीद ने खुद को मुसलमानो का खलीफा घोषित कर दिया ।इमाम हुसैन (अ.स ) हज़रत मुहम्मद (स.अ व ) के नवासे थे और यह कैसे संभव था कि वो यज़ीद जैसे ज़ालिम और बदकार को खलीफा मान लेते ? इमाम हुसैन ने नेकी की दावत देने और लोगों को बुराई से रोकने के लिए अपना पहला सफर मदीने से मक्का का शुरू करने का फैसला कर लिया ।
अबू मख़नफ़ के लिखने के अनुसार इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम ने 27 रजब की रात या 28 रजब को अपने अहलेबैत के साथ इस आयत की तिलावत फ़रमाई (वक़अतुत तफ़, पे 85, 186)
जो मिस्र से निकलते समय असुरक्षा के एहसास के कारण क़ुर्आन हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की ज़बानी बयान कर रहा हैः
मूसा शहर से भयभीत निकले और उन्हें हर क्षण किसी घटना की आशंका थी, उन्होंने कहा कि ऐ परवरदिगार मुझे ज़ालिम व अत्याचारी क़ौम से नेजात दे। (सूरए क़ेसस, 21)
इमाम हुसैन (अ.स ) मस्जिद ए नबवी में गयी चिराग़ को रौशन किया और हज़रत मुहम्मद (स.अ व ) की क़ब्र के किनारे बैठ गए और अपने गाल क़ब्र पे रख दिया यह सोंच के की क्या जाने फिर कभी मदीने वापस आना भी हो या नहीं और कहाँ नाना आपने जिस दीन को फैलाया था उसे उसकी सही हालत में बचाने के लिए मुझे सफर करना होगा । अल्लाह से दुआ कीजेगा की मेरा यह सफर कामयाब हो ।
उसके बाद इमाम हुसैन अपनी माँ जनाब ऐ फातिमा स अ की क़ब्र पे आये और ऐसे आये जैसे कोई बच्चा अपनी माँ के पास भागते हुए आता है और बस चुप चाप बैठ गए और थोड़ी देर के बाद जब वहाँ से जाने लगे तो क़ब्र से आवाज़ आई जाओ बेटा कामयाब रहो और घबराओ मत मैं भी तुम्हारे साथ साथ रहूंगी ।
अपने नाना हज़रत मुहम्मद (स.अ व ) और माँ जनाब ऐ फातिमा से विदा लेने के बाद इमाम अपनी बहन जनाब ऐ ज़ैनब के पास पहुंचे और अपने बहनोई अब्दुल्लाह इब्ने जाफर ऐ तैयार इब्ने अबु तालिब से इजाज़त मांगी की ज़ैनब और दोनों बच्चों ऑन मुहम्मद को सफर में साथ जाने की इजाज़त दे दें । जनाब अब्दुल्लाह ने इजाज़त दे दी ।
इधर मर्दो में हज़रत अब्बास ,जनाब ऐ क़ासिम , सब सफर पे जाने की तैयारी करने लगे यहां तक की ६ महीने के जनाब ऐ अली असग़र का झूला भी तैयार होने लगा । यह सब बिस्तर पे लेटी इमाम हुसैन की ८ वर्षीय बेटी सुग़रा देख रही थी और इंतज़ार कर रही थी की बाबा हुसैन आएंगे और उसे भी चलने को कहेंगे ।
इमाम हुसैन बेटी सुग़रा के पास आये और कहा बेटी जब तुम पैदा हुयी थी तो तुम्हारा नाम मैंने अम्मा के नाम पे फातिमा रखा था और मेरी माँ साबिर थी तुम भी सब्र करना और यहीं मदीने में उम्मुल बनीन और उम्मे सलमा के साथ रहना । बीमारी में सफर तुम्हारे लिए मुश्किल होगा और हम सब जैसे ही किसी मक़ाम पे अपना ठिकाना बना पाएंगे वैसे ही तुमको भी बुला लेंगे । बाबा का कहा बेटी कैसे टाल सकती थी बस आँख में आंसू आये और उन्हें पी गयी और चुप रही लेकिन एक आस थी की चाचा अब्बास है शायद उनके कहने से उसे बाबा साथ ले जाएँ ।
हज़रत अब्बास अलमदार और जनाब ऐ अली अकबर सुग़रा से मिलने आये लेकिन सुग़रा को वही जवाब दिया जो इमाम हुसैन ने दिया था और जब हर उम्मीद टूट गयी सुग़रा की तो बोली भैया अली अकबर जब तुम्हारी शादी हो जाय और मैं तुम्हारे मदीने वापस आने पे दुनया से चली जाऊं तो अपनी बीवी के साथ मेरी क़ब्र पे ज़रूर आना ।
हज़रत अब्बास और जनाब ऐ अली अकबर ने आंसुओं से भरी आँखों से सुग़रा को रुखसत किया ।
काफिला सुबह का सूरज निकलते ही चलने के लिए तैयार हो गया । एक तरफ उम्मे सलमा थी तो दूसरी तरफ उम्मुल बनीन और सुग़रा ने सभी को अलविदा कहा और सुग़रा ने अपने भाई जिसके साथ खेल करती थी उसे भी प्यार किया और अली असग़र माँ लैला के हवाले कर दिया ।
काफिला चल पड़ा सुग़रा सबको मुस्करा के अलविदा कह रही थी और बाबा हुसैन मुड मुड़ के बेटी को देखते जाते थे और अली अकबर तो आंसुओं को कहीं सुग़रा देख ना ले इसलिए मुड़ भी नहीं रहे थे । जब काफिला नज़रों से दूर हो गया और इमाम को सुग़रा के लिए देख सकता मुमकिन ना था बस हुसैन आंसुओं से रो पड़े उधर अली अकबर के आंसू बने लगे और बेटी को अलविदा कहा । िस्ञ्ा आसान नहीं होता बाप के लिए बेटी को छोड़ के जाना ।
इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम जुमे की रात 2 शाबान स0 60 हीजरी को वारिदे मक्का हुए और उसी साल की 8 ज़िलहिज्जा तक उस शहर में अपनी सरगर्मियों में मसरूफ़ रहे।