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मुल्तान में भी छात्रों ने इजरायल के ज़ुल्म के खिलाफ निकाली रैली
रैली को संबोधित करते हुए छात्र नेताओं ने कहा कि आज यूरोप उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी मुसलमानों के समर्थन में सामने आया है, दुनिया भर के छात्र यूरोपीय छात्रों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं अफसोस की बात है कि हम खामोश बैठे हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, इमामिया स्टूडेंट ऑर्गेनाइज पाकिस्तान,
मुल्तान के तत्वावधान में शिक्षा विश्वविद्यालय इकाई द्वारा फिलिस्तीनी मुसलमानों के समर्थन, अमेरिकी विश्वविद्यालय के छात्रों के समर्थन और इजरायली आक्रामकता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और एक रैली भी आयोजित की।
इस रैली में भाग लेने वालों ने फिलिस्तीनी बच्चों की तस्वीरें और उन पर हुए अत्याचारों की तस्वीरें लीं, छात्रों ने अमेरिका और इज़राइल के खिलाफ नारे लगाए।
रैली को संबोधित करते हुए छात्र नेताओं ने कहा कि आज यूरोप उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी मुसलमानों के समर्थन में सामने आया है, दुनिया भर के छात्र यूरोपीय छात्रों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं अफसोस की बात है कि हम खामोश बैठे हैं।
मणिपुर में हिंसा जारी, चार पुलिसकर्मियों का अपहरण
साल भर से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। हिंसाग्रस्त मणिपुर में चार पुलिसकर्मियों को मैतई संगठन से जुड़े लोगों ने उस समय किडनैप कर लिया जब वह इंफाल से कांगपोकपी जा रहे थे। अपहृत पुलिसकर्मियों की पहचान राम बहादुर कार्की, रमेश बुधाथोकी, मनोज खातीवोडा और मोहम्मद ताज खान के रूप में की गई है।
मणिपुर पुलिस ने कांगपोकपी पुलिस स्टेशन में तैनात चार पुलिसकर्मियों के अपहरण और उन पर हमला करने के आरोप में मैतयी संगठन अरामबाई तेंगगोल से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि चार पुलिसकर्मियों का शनिवार रात इंफाल पूर्वी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर अपहरण कर लिया गया।
अपहृत पुलिसकर्मियों को बचाने और घटना में शामिल अन्य आरोपितों को गिरफ्तार करने के लिए तलाशी अभियान जारी है। आदिवासी संगठन कमेटी आन ट्राइबल यूनिटी ने चार पुलिसकर्मियों के अपहरण का विरोध जताने के लिए कांगपोकपी जिले में 24 घंटे का बंद रखा।
पुतिन ने किया कैबिनेट में बदलाव, रक्षा मंत्री बदला, शोइगू नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल का चीफ बनाया
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने नए कार्यकाल की शुरुआत में ही भरी फेरबदल करते हुए रक्षा मंत्री शोइगु को पदमुक्त करते हुए उन्हें नेशनल सिक्योरिटी कौंसिल का चीफ बनाया है।
पुतिन ने मौजूदा रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु की जगह एंड्री बेलौसोव को रक्षा मंत्री नियुक्त किया है। समाचार एजेंसी सीएनएन ने रिपोर्ट देते हुए कहा है सर्गेई शोइगु को रूसी संघ की सुरक्षा परिषद का सचिव बनाया गया है। इसके साथ ही वह रूसी संघ के सैन्य-औद्योगिक आयोग में पुतिन के डिप्टी भी होंगे।
रूस की तरफ से कहा गया है कि राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन चाहते हैं कि 2012 से रक्षा मंत्री और लंबे समय से पुतिन के सहयोगी रहे सर्गेई शोइगु निवर्तमान निकोलाई पेत्रुशेव की जगह रूस की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के सचिव बनें और मिलिट्री-इंडस्ट्रीयल कॉम्प्लेक्स की जिम्मेदारी भी संभालें।
पाकिस्तान मे महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन, राष्ट्रपति ने आपात बैठक बुलाई
पिछले काफी समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के हालात विस्फोटक होते जा रहे हैं। खाने पीने की चीज़ों पर बढ़ती बेतहाशा महंगाई के साथ बिजली के आसमान छूटे दामों ने आग पर घी का काम किया है।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बिजली की ऊंची दरें और आटे की कीमत पर बवाल मचा हुआ है। खाने की वस्तुओं की ऊंची कीमत के खिलाफ आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव और बोतलें फेंके जाने के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और हवाई फायरिंग कर स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की, लेकिन इस झड़प में एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए, घायलों में अधिकतर पुलिसकर्मी हैं।
शनिवार को भी पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़पें हुईं और पूरे इलाके में चक्का जाम और शटर डाउन हड़ताल की गई थी। रविवार को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़पें हो गईं।
पीओके केप्रधान मंत्री चौधरी अनवारुल हक ने कहा कि सरकार मीरपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद एक अधिकारी की मौत और 70 से अधिक अन्य के घायल होने के बाद बिजली और गेहूं के आटे की कीमतों में राहत देने के लिए तैयार थी। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में क्षेत्र की स्थिति से संबंधित एक आपात बैठक बुलाई है
दिल्ली एयरपोर्ट समेत 32 हवाई अड्डों और अस्पतालों को बम से उड़ाने की धमकी
देश में आम चुनाव के बीच एक बार फिर इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे समेत देश के 12 एयरपोर्ट्स और 20 से अधिक अस्पतालों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है जिसके बाद सुरक्षा एजेंसिया जांच में जुट गई।
अस्पताल में भर्ती मरीजों व तीमारदारों में किसी तरह की अफरा-तफरी या घबराहट होने की संभावना को देखते हुए जांच सदस्यों ने बम की धमकी की बात बताए बगैर मॉक ड्रिल बताते हुए अस्पतालों में जांच की। इस दौरान अस्पतालों में अंदर आने और बाहर जाने पर रोक लगा दी गई। घंटों की मशक्कत के बाद भी जांच दलों को अस्पतालों में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।
दिल्ली में स्कूलों को बम से उड़़ाने की धमकी के 10 दिन बाद आइजीआइ सहित देशभर के 12 हवाई अड्डों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। राजधानी के 20 से अधिक अस्पतालों व उत्तर-रेलवे के सीपीआरओ की बिल्डिंग को भी बम से उड़ाने की धमकी वाला ईमेल मिला। तत्काल मौके पर पहुंची पुलिस और बम निरोधक दस्तों को अस्पतालों की जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।
ज़ायोनी सेना में बढ़ता नशा और मानसिक रोग, 10 सैनिकों ने की आत्महत्या
ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना की ओर से जनसंहार शुरू करने के बाद से ही ज़ायोनी सेना में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है। ज़ायोनी मीडिया ने ग़ज़्ज़ा पर हमले के बाद से ही ज़ायोनी सेना में मानसिक रोग का शिकार हो रहे फौजियों के बारे में खबर देते हुए कहा कि अल अक़्सा स्टॉर्म के बाद से अब तक कम से कम ज़ायोनी सेना के 10 सैन्याधिकारी और जवान आत्महत्या कर चुके हैं।
ज़ायोनी मीडिया ने कहा कि खुद को गोली मारने या धमाके से उड़ाने वाले इन फौजियों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति बेहद दर्दनाक है। ज़ायोनी शासन के रेडियो और टेलीविजन प्रसारण संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, ग़ज़्ज़ा पट्टी के खिलाफ युद्ध की शुरुआत के बाद से, मक़बूज़ा फिलिस्तीन में मानसिक और भावनात्मक समस्याएं, नींद की गोलियों, नशीली दवाओं, ड्रग्स और नशीले पदार्थों का उपयोग तीन गुना बढ़ गया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़ायोनी शरणार्थियों के बीच नशीली दवाओं का उपयोग बढ़ गया है। आंकड़ों के अनुसार, 33% से अधिक ज़ायोनी शरणार्थी नशीली दवाओं का उपयोग करते हैं।
ज़ायोनी मीडिया ने चेतावनी देते हुए कहा कि जंग के बाद रिज़र्व बलों पर सरकार को विशेष ध्यान देना होगा हाल ही में जंग से पलटे एक सैनिक ने मानसिक समस्याओं के कारण अपने एक साथी की बिना किसी कारण और लड़ाई के गोली मारकर हत्या कर दी।
क्या अमेरिका दक्षिण पूर्व एशिया में अराजकता ला पाएगा
इंडोनेशिया में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, इस देश के 60 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि उन्हें दक्षिण पूर्व एशिया में संयुक्त राज्य अमेरिका की सुरक्षा भूमिका पर भरोसा नहीं है।
अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने व्हाइट हाउस में अपना कार्यभार संभालने के बाद से ही दक्षिण पूर्व एशिया पर उन्होंने अधिक फोकस रखा। बाइडन इस क्षेत्र को अमेरिकी रणनीति के लिए एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में देखते हैं। क्वाड (Quad) और ऑकस (AUKUS) जैसे छोटे समूहों और अमेरिका, जापान और फिलीपींस के त्रिपक्षीय संबंधों के लिए एक प्रमुख क्षेत्र माना जाता है। जिसकी वजह से क्षेत्र में बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज़ हो गई है और इस समय जो स्थिति है उससे दक्षिण पूर्व एशियाई देश काफी चिंतित हैं।
रणनीति और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से अमेरिका ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अपनी सुरक्षा गतिविधियों का विस्तार किया है। ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने 2021 से 2023 तक कुल 525 द्विपक्षीय या बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किए, जिनमें से 33 प्रतिशत में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भाग लिया।
दक्षिणपूर्व एशिया के जल में एक अमेरिकी सैनिक की तस्वीर
इंडोनेशिया में, एक सर्वेक्षण में लगभग 60.7 प्रतिशत लोग जिन्होंन इस सर्वे में भाग लिया उनका मानना है कि उन्हें दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में अमेरिकी सुरक्षा भूमिका पर बहुत कम या बिल्कुल भरोसा नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यवहार से पता चलता है कि उसका क्षेत्र की सुरक्षा चिंताओं को कम करने का कोई इरादा नहीं है। बल्कि, उसका उद्देश्य "चीन एक ख़तरा है" के विचार को हवा देना है, जो अमेरिका को क्षेत्र में "सैन्य" प्रतिस्पर्धा और क्षेत्र के देशों की सुरक्षा चिंताओं को तेज़ करने का अवसर देता है। आर्थिक सहयोग के संदर्भ में, हालांकि बाइडन प्रशासन ने आईपीईएफ लॉन्च किया, लेकिन वार्ता के नतीजे निराशाजनक हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ घनिष्ठ जुड़ाव की उम्मीदें कम हो सकती हैं।
अमेरिका की कार्यवाहियों से निस्बतन इस पुर अमन इलाक़े में नई चुनौतियां पैदा हुई हैं। इसने आसियान पर केंद्रित क्षेत्रीय बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग ढांचे को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के अपने मानदंड हैं और उसे "आसियान" जैसे मज़बूत आंतरिक संबंधों की आवश्यकता है, जो क्षेत्रीय शांति और पारस्परिक विकास को दृढ़ता से बनाए रखते हुए, क्षेत्रीय मामलों में अपनी केंद्रीय भूमिका और बीच एक गतिशील संतुलन बनाए रखने के महत्व पर ज़ोर देता है। आसियान के माध्यम से आंतरिक संबंध स्वाभाविक रूप से किसी भी बड़ी शक्ति को इस क्षेत्र में प्रभावी असर डालने की अनुमति नहीं देते हैं और इसके सदस्य देशों को लचीला और एकीकृत बनाते हैं। यदि गंभीरता से लिया जाए तो आसियान जैसा परस्पर प्रभाव डालना वाला संगठन अगर सही से अपने कार्यों को अंजाम दे तो इसके सदस्य देश किसी भी महा शक्ति के एजेंट या उसके पिट्ठू के तौर पर काम नहीं करेंगे।
कुवैती मुफ़्ती का ऐलान, इस्राईल के मददगार काफिर और मुर्तद
कुवैत यूनिवर्सिटी में फ़िक़्हे मक़ारिन और इस्लामिक स्टडीज के प्रोफेसर शेख आदिल मुबारक अल-मुतैरात ने ग़ज़्ज़ा में जारी जनसंहार पर बात करते हुए कहा कि इस वक़्त अतिक्रमणकारी काफिर यहूदियों और मुसलमानों के बीच जंग जारी है ऐसे में अगर कोई इस्राईल की ज़रा सी भी मदद करता है और हमास, समेत फिलिस्तीनी मुजाहिद संस्थाओं के खिलाफ एक लफ्ज़ भी बोलता है तो वह काफिर और मुर्तद है। मुसलमानों पर वाजिब है कि वह अपने मुसलमान भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े हों।
इंडोनेशिया में तबाही, सुमात्रा द्वीप में ठंडे लावे ने 37 लोगों की जान
इंडोनेशिया में भारी बारिश के बाद तबाही फैली हुई है। बारिश के बाद कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए है। इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर भारी बारिश और ज्वालामुखी की ढलानों से बहते कीचड़ के कारण अचानक बाढ़ आ गई जिसकी चपेट में आने की वजह से कम से कम 37 लोगों की मौत हो गई और 12 से अधिक लोग लापता हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहारी ने कहा कि मानसून की बारिश और माउंट मारापी की ठंडे लावे वाली ढलानों से कीचड़ बह बह कर आ रहा है। भारी कीचड़ की वजह से भूस्खलन हो रहा है वहीँ भारी बारिश के कारण आधी रात एक नदी में उफान आ गया। नदी में आए उफान के कारण पश्चिम सुमात्रा प्रांत के चार जिलों के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए।
इंडोनेशिया सरकार के इस अधिकारी ने बताया कि कई लोग बाढ़ में बह गए और 100 से अधिक घर और इमारतें जलमग्न हो गईं। ठंडा लावा ज्वालामुखीय सामग्री और मलबे का वह मिश्रण है जो बारिश में ज्वालामुखी की ढलानों से बहता है।
अफगानिस्तान में बाढ़ का क़हर, 315 की मौत, दो हफ्ते से बिजली गुल
अफ़ग़ानिस्तान में भारी बारिश और बाढ़ के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई 2000 से अधिक घर बाढ़ में बाह गए हैं हज़ारों लोग घायल हैं जबकि हालात इतने भयावह हैं कि ट्रक्स और गाडी के माध्यम से राहत सामग्री भी नहीं पहुंचाई जा सकती जिसके लिए मजबूरी में गधों और खच्चरों का सहारा लिया जा रहा है।
अफगानिस्तान के कई क्षेत्रों में भारी बाढ़ के बाद विश्व खाद्य कार्यक्रम ने बताया कि अधिकांश बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ट्रकों द्वारा पहुंच योग्य नहीं हैं। संगठन ने एक तस्वीर साझा की, जिसमें सहायता कर्मी गधों का उपयोग करके बगलान में आपातकालीन आपूर्ति कर रहे हैं। यूएन डब्ल्यूएफपी ने एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी। डब्ल्यूएफपी को लोगों को भोजन दिलाने के लिए हर विकल्प का सहारा लेना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हालात इतने खराब हैं कि कुछ इलाक़ों में दो हफ़्तों से बिजली भी नहीं है।