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पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के कुन्नड़ प्रांत में अमरीकी ड्रोन हमले में तीन छात्र मारे गये।

तसनीम न्यूज़ एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार एेसी हालत में अमरीकी अधिकारी दावा कर रहे हैं कि शुक्रवार को कुन्नड़ प्रांत के मानूगी शहर में होने वाले ड्रोन हमले में आतंकवादी गुट दाइश के सदस्यों को निशाना बनाया गया है, इस प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता ग़नी मुसम्मम ने इस हमले में तीन छात्रों के मारे जाने की पुष्टि की है।

कुन्नड़ प्रांत की शिक्षण और प्रशिक्षण संस्था के एक कर्मी एहसानुल्लाह ज़ुहैर ने फ़ेसबुक पर लिखा कि मानूगी शहर पर होने वाले अमरीकी ड्रोन हमले में मारे गये छात्र थे।

ज्ञात रहे कि अमरीका के ड्रोन हमलों में अधिकतर आम नागरिक ही मारे जाते हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प द्वारा अफ़ग़ानिस्तान के बारे में नई रणनीति की घोषणा के बाद से इस देश में अमरीकी ड्रोन हमलों में वृद्धि हुई है। 

वर्ष 2001 से अफ़ग़ानिस्तान पर अमरीका की चढ़ाई के समय से अब तक इस युद्धग्रस्त देश में एक लाख 11 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।   

 

ईरान में भारत के वाणिज्य राजदूत ने कहा है कि ईरान को तेल की क़ीमत का भुगतान करने में भारत को कोई समस्या नहीं है और यह भुगतान यूरो के रूप में किया जाएगा।

देवेश उत्तम ने तेहरान में भारत की विशेष प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह के अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भारत ने ईरान पर प्रतिबंध के काल के अपने सभी क़र्ज़े चुका दिए हैं और अब ईरान को भुगतान के लिए उसके पास कई मार्ग हैं जिनमें से एक यूको बैंक है। उन्होंने कहा कि भारत के यूको बैंक के साथ ईरानी बैंकों के दो देशों में ज्वाइंट अकाउंट हैं और इस माध्यम से ईरान व भारत के बीच व्यापारिक लेन-देन के भुगतान में कोई समस्या नहीं आएगी।

 

तेहरान में भारत के वाणिज्य राजदूत ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि इस समय भारत और ईरान के बीच व्यापारिक लेन-देन का स्तर प्रतिवर्ष 12 अरब 80 करोड़ डाॅलर है, आशा जताई है कि दोनों देशों के बीच रुपये और रियाल को आधार बनाए जाने जैसे क़दमों ईरान व भारत के बीच लेन-देन की दर निर्धारित लक्ष्य यानी तीस अरब डाॅलर प्रतिवर्ष तक पहुंच जाएगी। ज्ञात रहे कि शनिवार से तेहरान में भारत की विशेष प्रदर्शनी आरंभ हुई है जिसमें खाद्य पदार्थ, इंजीनियरिंग, सूचना प्रोद्योगिकी और मशीन उद्योग से संबंधित वस्तुएं पेश की गई हैं।

अवैध अधिकृत फिलिस्तीन के हज़ारों लोगों ने शनिवार की रात तेलअबीव में इस्राईली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतिन्याहू के भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

इस्राईली प्रदर्शन कारियों ने नेतिन्याहू और उनके मंत्रिमंडल के सभी भ्रष्ट सदस्यों के त्यागपत्र की मांग की। 

याद रहे नेतिन्याहू को पुलिस की ओर से  हालिया हफ्तों में कई बार  पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है। 

इस्राईली पुलिस नेतिन्याहू के आर्थिक व सरकारी भ्रष्टाचार के तीन केस तैयार किये हैं 

पहला मामला, धनवान व्यापारियों से उपहार लिए जाने के बारे में है। दूसरा केस नेतिन्याहू और " यदीऊत अहारोनोत" समाचार पत्र के मालिक के बीच होने वाले उस समझौते के बारे में जिसमें यह तय पाया था कि नेतिन्याहू की सरकर के बारे में " अच्छी- अच्छी" खबरें प्रकाशित किये जाने के बदले, इस्राईली सरकार, प्रतिस्पर्धी अखबार " इस्राईल ह्यूम" पर कुछ प्रतिबंध लगाएगी। 

तीसरे मामले में नेतिन्याहू पर जर्मनी से परमाणु पनडुब्बी खरीदने के लिए जोड़-तोड़ का आरोप है वैसे नेतिन्याहू इस्राईल के पहले नेता नहीं हैं जिन पर आर्थिक भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं वास्तव में आर्थिक व नैतिक भ्रष्टाचार, इस्राईली नेताओं में आम है। 

इस्राईल के भूतपूर्व प्रधानमंत्री " एहुद ओलमर्ट" को सन 2014 में रिश्वत लेने के आरोप सज़ा सुनायी जा चुकी है। 

इस्राईल के एक अन्य  पूर्व प्रधानमंत्री " एरियल शेरून" को प्रधानमंत्री काल में भी उसने रिश्तत के एक मामले में पूछताछ हो चुकी है। 

भ्रष्टाचार के आरोप इस्राईली राष्ट्रपतियों पर भी लग चुके हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि बड़ी शक्तियों ने इस्लामी क्रांति को समाप्त करने के उद्देश्य से आठ वर्षीय युद्ध ईरानी राष्ट्र पर थोपा था लेकिन युवाओं के त्याग, ईमान, युक्ति, साहस और दूरदर्शिता के कारण यह युद्ध ईरानी राष्ट्र के पक्ष में रहा और इस्लामी क्रांति पहले से अधिक मज़बूत हुई।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार को युवाओं के एक समूह से मुलाक़ात में, पवित्र प्रतिरक्षा के काल को ईरान व इस्लामी क्रांति के इतिहास का एक स्वर्णिम व प्रकाशमान अध्याय बताया और कहा कि सम्मान, वैभव, सुरक्षा, स्वाधीनता, स्वतंत्रता और इस्लामी गणतंत्र ईरान व ईरानी राष्ट्र की आज की सुरक्षा, आठ वर्षीय पवित्र रक्षा के कारण है। उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि इस्लामी क्रांति की सफलता ने पूरब व पश्चिम की शक्तियों का तख़्त हिला दिया, कहा कि आरंभिक बरसों में ही क्षेत्र और मुस्लिम राष्ट्रों में इस्लामी क्रांति की संस्कृति के प्रसार से वर्चस्ववादी शक्तियां अत्यधिक चिंतित हो गईं और उन्होंने किसी भी मूल्य पर इस क्रांति को समाप्त करने की कोशिश की और इसी लिए उन्होंने अत्याचारी और स्वार्थी व्यक्ति था, युद्ध शुरू करने और ईरान पर हमला करने के लिए उकसाया।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अमरीका व यूरोप विशेष कर ब्रिटेन, फ़्रान्स, जर्मनी और इसी तरह सोवियत संघ की ओर से सद्दाम शासन की व्यापक आर्थिक, सामरिक व गुप्तचर मदद की ओर इशारा करते हुए कहा कि युद्ध के दौरान फ़्रान्स ने अपने विकसित विमान और हेलीकाॅप्टर और जर्मनी ने औपचारिक रूप से और खुल कर रासायनिक पदार्थ सद्दाम को दिए और युद्ध को समाप्त हुए तीस साल गुज़रने के बावजूद अब भी बहुत से लोग उनके कुप्रभावों में ग्रस्त हैं जबकि बड़ी संख्या में लोग उन्हीं विषैले पदार्थों के कारण शहीद हो गए।

 

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि सद्दाम शासन के वैश्विक समर्थन के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र ईरान के पास जो एकमात्र चीज़ थी, वह ईमान वाला राष्ट्र और इमाम ख़ुमैनी जैसा सशक्त नेता था जिसके परिणाम स्वरूप दुनिया की शैतानी ताक़तों की सभी कोशिशें, विफल रहीं और ईरानी राष्ट्र पवित्र प्रतिरक्षा में सभी बड़ी शक्तियों पर विजयी हुआ।  

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़मेनेई ने कहा कि जबकि अमरीका हर जगह अपनी अशांति, हिंसा और अराजकता से भरी उपस्थित दर्ज किए हुए है वह निरंतर क्षेत्र में ईरान की उपस्थिति के बारे में शंका फैला रहा है।

गुरुवार को पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शुम जन्म दिवस के अवसर पर हज़ारों की संख्या में शायरों, कवियों और कवियत्रियों ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र में अमरीकी और यूरोपीय अधिकारियों द्वारा ईरान की उपस्थिति के बारे में दिए गये बयानों पर जवाब देते हुए कहा कि क्या हमको क्षेत्र में उपस्थित होने के लिए अमरीका से अनुमति लेना होगा? 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान को क्षेत्र में अपनी उपस्थिति के लिए  क्षेत्रीय सरकारों से बात करनी चाहिए न कि अमरीकियों से? जब हम अमरीका में उपस्थिति दर्ज करेंगे तो आपसे वार्ता करेंगे।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र में उपस्थिति के बारे में ईरान से वार्ता करने के रूझान पर आधारित यूरोपीय अधिकारियों के बयान पर कहा कि इसी बात पर मैं फिर बल देता हूं और कहता हूं कि इस बात से तुम्हें क्या लेना देना है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि ईरान, क्षेत्रीय राष्ट्रों से वार्ता करता है, समझौता करता है और आगे भी वार्ता करता रहेगा। 

उन्होंने कहा कि ईरान के दुश्मन कुछ महीने पहले एक थिंक टैंक में बैठे और अगले तीन महीने के लिए योजना बना कि अपनी सोच में अगले तीन महीने में ईरान का काम तमाम कर देंगे।

 

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि क्षेत्र में ईरान की उपस्थिति का किसी भी बाहरी ताक़त कोई लेना देना नहीं है और ईरान किसी भी बाहरी ताक़त को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देगा।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में कहा कि यह बात कदापि स्वीकार्य नहीं है कि कोई यूरोपीय देश अमरीका का दल्लाल बनकर आए और हमसे यह कहे कि इस इलाक़े में आपको कुछ करने के लिए हमसे अनुमति लेनी होगी। उन्होंने कहा कि ईरान ने आज तक किसी भी बाहरी शक्ति को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी है और भविष्य में भी किसी ताक़त को हस्तक्षेप की इजाज़ नहीं दी जाएगी।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि इलाक़े में ईरान की उपस्थिति और प्रभाव अमरीका के हिंसा और फ़ितना फैलाने वाले तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए है।

हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने ईरान को नुक़सान पहुंचाने में विश्व सम्राज्यवाद की विफलता का हवाला देते हुए कहा कि सारी साज़िशें ईरान में उपद्रव और अराजकता पैदा करने के लिए थीं जिन्हें जनता की दूरदर्शता और ईश्वर की कृपा तथा इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के विवेकपूर्ण नेतृत्व की मदद से नाकाम बना दिया गया।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शुभ जन्म दिवस की बधाई दी और महिला दिवस या माता दिवस का हवाला देते हुए हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा को सारी दुनिया के एकेश्वरवादियों और इस्लामी जगत तथा ईरानी जनता के लिए आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि हज़रत फ़ातेमा ज़हरा उन सभी इंसानों के लिए संपूर्ण मानवीय आदर्श हैं जो मानवीय मूल्यों पर आस्था रखते हैं।

 

वरिष्ठ नेता ने कहा है कि वर्तमान समय में सीरिया, प्रतिरोध के मोर्चे की अग्रिम पक्ति पर है।

सीरिया के वक़्फ़मंत्री ने गुरूवार को तेहरान में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।  इस भेंटवार्ता में आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ातेमी ने सीरिया के वक़्फ़मंत्री और उनके साथ आए प्रतिनिधिमण्डल के साथ भेंट में कहा कि यदि देशों के राष्ट्राध्यक्ष और राष्ट्र, कड़े प्रतिरोध का प्रण कर लें तो फिर शत्रु कुछ भी नहीं कर सकता।  उन्होंने कहा कि इस समय सीरिया प्रतिरोध के मोर्चे की अग्रिम पक्ति पर मौजूद है इसलिए हमें सीरिया का समर्थन करना चाहिए।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद एक महान प्रतिरोधकर्ता के रूप में उभरे हैं।  उन्होंने कहा कि प्रतिरोध के मार्ग में वे एक क़दम भी पीछे नहीं हटे।  वरिष्ठ नेता का कहना था कि यह बात किसी राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस समय कुछ राष्ट्र, बहुत ही अपमान जनक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।  इसका कारण यह है कि उनके शासक नीच हैं।  किसी राष्ट्र के नेता यदि प्रतिरोधी होते तो एेसे में उनके राष्ट्र, सम्मान का आभास करते।  एेसे राष्ट्रो का शत्रु कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी क्रांति अब 40वें वर्ष में प्रविष्ठ हो चुकी है।  उन्होंने कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति के आरंभ से ही उसके सारे शत्रुओं ने एकजुट होकर क्रांति के विरुद्ध षडयंत्र रचे।  उन्होंने कहा कि अमरीका, सोवियत संघ, नैटो और क्षेत्र के रूढ़ीवादी अरब देशों ने मिलकर हमारे ख़िलाफ़ प्रयास किये किंतु वे हमे मिटा नहीं सके बल्कि हम बाक़ी रहे।  इसका मतलब क्या है? वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसका एक अर्थ तो यह है कि जो कुछ बड़ी शक्तियां चाहती हैं वही हो एेसा नहीं है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इससे यह बात भी समझ में आती है कि यदि क्षेत्र के प्रतिरोधी लोग दृढ़ता के साथ प्रतिरोध करें तो फिर शत्रु हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

आयतुल्लाह अहमद ख़ातेमी ने कहा है कि ईरान की रक्षा क्षमता एेसा विषय है जिसके बारे में किसी से वार्ता नहीं

तेहरान के इमामे जुमा ने कहा है कि ईरान, अपनी प्रतिरक्षा क्षमता को मज़बूत करने के उद्देश्य से मिसाइल सहित अन्य सैन्य उपकरण बनाता रहेगा।  उन्होंने कहा कि देश की प्रतिरक्षा के बारे में दूसरों से वार्ता संभव नहीं है।

आयतुल्लाह ख़ातेमी ने जुमे के ख़ुत्बे में इस्लामी गणतंत्र ईरान की रक्षा क्षमता को अधिक मज़बूत बनाने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि ईरान इस बारे में किसी देश से अनुमति नहीं लेगा।  उन्होंने कहा कि हम अपनी प्रतरोधक क्षमता बढ़ाते रहेंगे।

आयतुल्लाह ख़ातेमी ने रोहिंग्या मुसलमानों के जन संहार की ओर संकेत करते हुए कहा कि इसमें अतिवादी बौद्ध चरमपंथियों का हाथ है।  उन्होंने संयुक्त राष्ट्रसंघ और मानवाधिकार संगठनों से मांग की है कि वे रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार को तत्काल रुकवाने के लिए गंभीर क़दम उठाएं।

 

इराक़ के विदेशमंत्री ने अपने देश में अमरीकी सैन्य छावनी बनाए जाने का विरोध किया है।

इब्राहीम जाफ़री ने कहा कि हम इराक़ में अमरीकी सैन्य छावनी बनाए जाने का विरोध करते हैं।  इराक़ी विदेशमंत्री ने शुक्रवार की रात माॅस्को में कहा कि बग़दाद सरकार अपनी संप्रभुता के बारे में किसी से समझौते के लिए तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा कि इराक़ ने आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में जब सन 2014 में सुरक्षा परिषद से अन्तर्राष्ट्रीय सेना की मांग की थी तो उसी समय बग़दाद ने यह स्पष्ट कर दिया था कि यह सैन्य सहायता  एेसी हो जिसमें इराक़ की संप्रभुता का सम्मान किया जाए।  उन्होंने कहा कि हमने उस समय कह दिया था कि एेसा न हो की इस सैन्य सहायता की आड़ में बाद में इराक़ में सैन्य छावनी बनाए जाने की बात सामने आए।

इराक़ के विदेशमंत्री इब्राहीम जाफ़री ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद अमरीका ने जिन देशों में सैन्य छावनियां बनाई थीं वे आज भी मौजूद हैं जैसे दक्षिणी कोरिया, जापान और तुर्की के अतिरिक्त कई अन्य देशों में।  उन्होंने कहा कि यह काम इन देशों की संप्रभुता का खुला उल्लंघन है।  इब्राहीम जाफ़री का कहना था कि इराक़ की संप्रभुता हमारी रेड लाइन है इसके बारे में किसी से भी बात नहीं होगी।

इस्लामी गणतंत्र ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के प्रतिनिधि मंडल ने भारतीय संसद के प्रतिनिधि मंडल से मुलाक़ात की।

हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के संसदीय प्रतिनिधि मंडल ने नवीकरणीय सौर ऊर्जा, सौर्य ऊर्जा बनाने वाली कंपनियों, संयुक्त जांच समिति के गठन तथा व्यापारिक और आर्थिक संबंधों में विस्तार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।

नई दिल्ली में होने वाली इस महत्वपूर्ण मुलाक़ात में ईरान के संसदीय प्रतिनिधि मंडल को ईरान दौरे का निमंत्रण दिया। इसी प्रकार दोनों देशों के प्रतिनिधि मंडलों ने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया।

ईरान और भारत के संसदीय प्रतिनिधि मंडलों ने पिछले वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईरान दौरे और ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी के हालिया भारत दौरे की ओर संकेत करते हुए इन दौरों के दौरान होने वाले समझौतों के क्रियान्वयन पर बल  दिया।

ईरान के संसदीय प्रतिनिधि मंडल ने भारतीय प्रतिनिधि मंडल के साथ मुलाक़ात में बल दिया कि ईरान और भारत के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंध हैं और इन संबंधों में विस्तार के लिए अधिक प्रयास करना चाहिए।