رضوی

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वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इस्लामी क्रांति के दौरान श्रमिको ने बहुत ही सम्मानीय ढंग से भूमिका निभाई।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का कहना है कि श्रमिकों ने इस्लामी क्रांति के दौरान की घटनाओं और पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान  सम्मानीय ढंग से दूरदर्शिता के साथ अपनी उपस्थति दर्ज कराई।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने श्रमिकों के बलिदान का उल्लेख करते हुए कहा कि जब कभी भी स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी युद्ध के मोर्चे पर जाने के लिए जनता से आह्वान किया करते थे तो श्रमिक, पूरे उत्साह से मोर्चों पर पहुंचकर देश की रक्षा करते थे।  उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने इस्लामी क्रांति और पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान शहादत पेश की किंतु उनमें श्रमिकों को विशेष स्थान प्राप्त है।  वरिष्ठ नेता का कहना था कि क्रांति के दौरान शत्रु, देश के श्रमिकों को ईरान के विरुद्ध उकसाते थे किंतु उन्होंने हर प्रकार के दुष्प्रचार से बचते हुए इस्लामी क्रांति के हित में काम किया।

वरिष्ठ नेता ने यह बात 5 फ़रवरी 2018 को आयोजित एक कांफ्रेंस में कही जिसका शीर्षक था, "चौदह हज़ार शहीद सम्मेलन"।  आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई का संदेश आज 26 फ़रवरी को सम्मेलन स्थल से प्रसारित किया गया।

 

ख़िज़्र हबीब, फिलीस्तीनी इस्लामिक जिहाद आंदोलन के एक वरिष्ठ नेता, 200 हाफ़िज़ाने कुरान का सम्मान समारोह में बोलते हुऐ जोकि गाजा क्षेत्र "Shejaiya" की "Qzmry" मस्जिद में आयोजित किया गया था, कहाः कि हाफ़िज़ाने कुरान की एक नई और अनोखी पीढ़ी का प्रशिक्षण, ज़ियानवादी बस्तियों और क़ुद्स शरीफ यहूदी धर्म में बदलने के लिए इजरायल की योजनाओं और विचारों के खिलाफ एक ठोस हथियार है।
उन्होंने इस जोर देते हुऐकि नई कुरानिक पीढ़ी, अल-कास्सी मस्जिद को ग़ासिबों के विलुप्त होने से खत्म करने की कोशिश करेगी, स्पष्ट कियाः जब मैने सुना कि भगवान की पुस्तक के हाफ़िज़ों की एक नई पीढ़ी के स्नातकों ने एक बार फिर प्रतिरोध और जिहाद का झंडा उठाया है, हम ने इसे एक अच्छा फ़ाल शुमार किया।
हबीब ने इस समारोह में जो कि इस्लामिक जिहाद के वरिष्ठ नेताओं और कई फिलीस्तीनी धार्मिक और कुरानिक की उपस्थिति के साथ आयोजित हुआ, कहा: पवित्र कुरान राष्ट्र को जागृत करता है और संस्कृतियों को बढ़ाता है, इस तरह कि पैगंबर पर कुरान के उतरने से पहले अरब लोग उत्पीड़न और भ्रष्टाचार में रहते थे, लेकिन कुरान के उतरने के साथ, अरब राष्ट्र जाग उठा और जीवन के सभी पहलुओं में अज्ञान से विज्ञान और नवीनता से बदल गया।
उन्होंने जोर दिया कि अरब और इस्लामी समुदाय और विशेष रूप से फिलीस्तीनी लोगों को पीढ़ी,बच्चों और भविष्य की पीढ़ियों के दिलों में इस्लाम और नैतिकता के सिद्धांतों को सीखाने और इस्लामी अवधारणाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है।

 

संस्कृति और इस्लामिक रिलेशन्स संगठन की जानकारी डेटाबेस के हवाले से,मुंबई में ईरान संस्कृति हाउस ने, संस्कृति और इस्लामिक रिलेशन्स संगठन के इस्लामी विज्ञान और इस्लामी मआरिफ़ के प्रकाशन व अनुवाद संयोजित समन्वय केंद्र के साथ "टाप" परियोजना लागू करने के रास्ते में हुज्जतुल इस्लाम मोहसिन क़िराअती की लिखी पुस्तक "Tawheed" का उर्दू भाषा में अनुवाद करने का प्रयास किया है
यह पुस्तक तौहीद की अवधारणा और इसके विभिन्न रूपों और शर्क और शिर्क व इसके उदाहरणों की पहचान करने के तरीकों के बारे में 200 पृष्ठों पर शामिल है, जिसमें यह धर्म के विशेषाधिकारों, धर्म की दक्षता, धर्म का गलत विश्लेषण, धर्मशास्त्र के तरीके, एकेश्वरवाद के सत्य और आयाम और ... पर बहस की गई है।
 
प्रोफेसर क़िराअती ने इस पुस्तक में तौहीदे इबादत के प्रकार और तौहीदे अस्मा और सिफ़ात की व्याख्या की है, और श्रिके अकबर और उसके विभिन्न रूपों और प्रत्येक एक की कारणों का एक बहुत सरल और चालू विवरण प्रस्तुत किया है। इसी तरह मानव वजूद में तौहीदी विचार और विश्वासों को हिफ़्ज़ करने के तरीके बताऐ है।

 

ग़ज़्ज़ा में जनता ने प्रदर्शन करके अमरीकी दूतावास तेल अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के फ़ैसले की निंदा की है।

रविवार को ग़ज़्ज़ा पट्टी में विभिन्न लेबर संघों और व्यापारी संगठनों की अपील पर हज़ारों फ़िलिस्तीनियों ने अमरीका विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारी ग़ज़्ज़ा शहर के अज्ञात सैनिक के नाम से प्रसिद्ध चौराहे पर एकत्रित हुए और अमरीकी दूतावास तेल अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के अमरीकी फ़ैसले की निंदा की।

ग़ज़्ज़ा के लेबर और व्यापारियों की परिषद के प्रवक्ता अब्दुल करीम ख़ालेदी ने बताया कि इस रैली का उद्देश्य, बैतुल मुक़द्दस की पहचान और उसकी धार्मिक, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक हैसियत के विरुद्ध की जाने वाली हर साज़िश का विरोध करना है।

उन्होंने कहा कि बैतुल मुक़द्दस, फ़िलिस्तीन की राजधानी है और उसकी यह पहचान ख़त्म नहीं की जा सकती।

अब्दुल करीम ख़ालेदी ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अपना दूतावास तेल अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने की घोषणा करके, वाशिंग्टन की ओर से ज़ायोनी शासन के खुले समर्थन का प्रमाण पेश किया है।

ज्ञात रहे कि अमरीकी सरकार ने 14 मई को नकबा दिवस के अवसर पर अपना दूतावास तेल अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने की घोषणा की है।  

 

लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने शनिवार को अपने एक भाषण में लेबनान में आगामी चुनाव से संबंधित मुद्दों पर बात करते हुए कहा कि लेबनानी जनता को चुनाव के बारे में अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए और उसे यह पता होना चाहिए  कि वह किन लोगों को चुन रही है क्या उन लोगों को चुन रही है जो देश को अमरीका और तेल को इस्राईल के हवाले करेंगे, हमारे प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ साजिश करेंगे और हमारी अर्थ व्यवस्था को नहीं सुधरने देंगे?

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि यह सवाल चुनावी स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पूछे जाने चाहिए क्योंकि सऊदी अरब और अमरीका , लेबनान के चुनाव में हिज़्बुल्लाह की स्थिति देखने का इंतेज़ार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम नोट के बदले वोट को धार्मिक रूप से हराम समझते हैं और किसी भी दशा में यह काम नहीं कर सकते।

     लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने अमरीकी विदेशमंत्री रेक्ट टिलरसन की हालिया लेबनान यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब रेक्स टिलरसन बैरुत की यात्रा करते हैं तो यह कहना चाहिए कि उनका मक़सद सिर्फ तेल नहीं होता बल्कि वह यह समझाना चाहते हैं कि लेबनान को हिज़्बुल्लाह और उसके हथियार नामक समस्या है जिसका समाधान होना चाहिए।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि अगर आज इस्राईल को कोई डर न होता तो वह पाइप लाइन बिछा कर ज़ोन-9 के लेबनानी तेल भंडार का तेल ले जाता।

उन्होंने कहा कि इलाक़े में अमरीका, उसके घटकों और आतंकवादी संगठन दाइश की पराजय के बाद, इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ साज़िश रची जा रही है। 

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि समस्त साज़िशों और प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान आधुनिक जिहालत के मुक़ाबले में डटा हुआ है।

सीस्तान व बलूचिस्तान के शहीदों की कांग्रेस में मंगलवार को आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली खामेनई का यह बयान प्रकाशित हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ईरान की जनता ने अपने ईमान और बलिदान की शक्ति से दुश्मनों की समस्त साज़िशों का डटकर मुक़बाला किया है।

वरिष्ठ नेता के बयान के मुताबिक, अधिक प्रतिभाओं के बावजूद, क़ाजारी और पहलवी शासनों के दौरान सीस्तान व बलूचिस्तान के लोगों की उपेक्षा की गई, जिसकी वजह से लोगों की प्रतिभाएं सामने नहीं आ सकीं।

उन्होंने इस प्रांत को कुर्दिस्तान और गुलिस्तान की भांति, इस्लामी एवं शिया सुन्नी एकता का प्रतीक बताया।

वरिष्ठ नेता का कहना था कि इस्लामी क्रांति की रक्षा करते हुए ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान एक सुन्नी युवक या मौलवी की शहादत से पता चलता है कि इस्लामी गणतंत्र में शियों और सुन्नियों ने कठिन परिस्थितियों को मिल-जुलकर सामना किया और इस वास्तविकता एवं सच्ची एकता को उजागकर करने की ज़रूरत है।

 

 

इस्लामी गणतंत्र ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ के अवसर पर निकाली गयी रैलियों में भाग लेने वाले करोड़ों लोगों ने अमरीका द्वारा परमाणु समझौते के उल्लंघन पर आक्रोश जताते हुए बल दिया कि अपराधी अमरीका यथावत ईरानी राष्ट्र का पहले नंबर का शत्रु समझा जाता है।

ईरानी जनता ने क्रांति की सफलता की 39वीं वर्षगांठ के अवसर पर निकाली गयी देश व्यापी रैली के घोषणापत्र में कहा कि कुछ यूरोपीय वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ईरान विरोधी अमरीका की विस्तारवादी नीतियों का साथ दिया जाना निंदनीय है।

इस घोषणापत्र में इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों से मांग की गयी है कि वह जनता के अधिकारों और राष्ट्रीय हितों को पूरा करने, प्रतिबंधों से प्रभावी  ढंग से मुक़ाबला करने और वर्चस्ववादी व्यवस्था और उसके समर्थकों की विध्वंसक कार्यवाहियों से मुक़ाबला करने के लिए साहसिक क़दम उठाएं।

रैली में शामिल लोगों ने देश की मीज़ाइल व रक्षा क्षमता और विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में ईरानी युवाओं के भरसक प्रयासों का भरपूर समर्थन किया।

ज्ञात रहे कि रविवार की सुबह 1000 से अधिक शहरों और 4 हज़ार गांवों सहित पूरे ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता की 39वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश व्यापी रैलियां निकाली गयीं।  

 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने एक वरिष्ठ सदस्य मौलाना सलमान हुसैनी नदवी को निष्कासित कर दिया है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य क़ासिम इलियास ने कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने पिछले रुख़ पर क़ायम है। उन्होंने आगे कहा कि मस्जिद भेंट, बेची या स्थानांतरित नहीं की जा सकती है और चूंकि सलमान नदवी सर्वमत स्टैंड के खिलाफ़ गए हैं इसलिए उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया गया है।

ज्ञात रहे कि पिछले दिनों श्री श्री रविशंकर से मुलाक़ात के बाद सलमान हुसैनी नदवी ने कहा था कि इस्लाम में दूसरी जगह पर मस्जिद बनाने का प्रावधान है। श्री नदवी ने कहा था कि हम लोगों ने खास तौर पर राम मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक की ताकि कोई समाधान निकाला जा सके। इससे पूरे देश में संदेश भी जाएगा। हमारी प्राथमिकता लोगों के दिलों में बसना है।  

 

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने इस्लामी क्रांति के आयोजनों को शासन की सुदृढता का कारण बताया है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का कहना है कि इस बार इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ के कार्यक्रम, देखने योग्य होंगे।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ईरान की वायुसेना द्वारा स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की बैअत करने की वर्षगांठ पर गुरूवार को तेहरान में वायुसेना के अधिकारियों के साथ भेंट की।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ अमरीकी और ग़ैर अमरीकी नेताओं की ओर से निराधार दावों के दृष्टिगत जनता यह सोच रही है कि शत्रु घात लगाकर नए हमले की कोशिश में है।  उन्होंने कहा कि यही कारण है कि इस साल 22-बहमन अर्थात इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ पर जनता की उपस्थिति देखने योग्य होगी।

वरिष्ठ नेता ने इस्लामी क्रांति को वास्तविकता बताते हुए कहा कि इस समय क्रांति की सुदृढ़ता, पहले के वर्षों की तुलना में बहुत अधिक है।  उन्होंने कहा कि वर्तमान समय के क्रांतिकारी, क्रांति के आरंभिक दौर के क्रांतिकारियों की तुलना में अधिक जागरूक और दूरदर्शी हैं।  उनका कहना था कि यही कारण है कि इस्लामी क्रांति अधिक सुदृढ़ हुई है।आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अत्याचार और भ्रष्टाचार का विरोध, हमारी मूल नीति है।  उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में संसार में सर्वाधिक अत्याचारी सरकार, अमरीकी सरकार है जो दाइश जैसे दुष्टों से भी अधिक ख़ूंख़ार है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि आतंकवादी गुट दाइश को अमरीका ने ही अस्तित्व दिया।  उन्होंने कहा कि अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति ने अपने चुनावी अभियान में इस ओर संकेत किया था।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकी, दाइश जैसे ख़ूख़ार गुट का गठन करने के साथ ही उसका समर्थन भी कर रहे हैं।  हालांकि अमरीकी, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के समर्थन का दावा करते रहते हैं।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली खामेनेई ने पिछले 70 वर्षों से फ़िलिस्तीनियों पर किये जाने वाले अत्याचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि यमन की जनता का नरसंहार भी अमरीकी अत्याचारों का खुला उदाहरण है।  उन्होंने कहा कि यमन के मूलभूत ढांचे और वहां की निहत्थी जनता पर अमरीकी हथियारों से लगातार हमले किये जा रहे हैं लेकिन अमरीकी सरकार उस ओर से पूरी तरह से निश्चेत है।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि यही अमरीकी सरकार पूरी बेशर्मी के साथ लोहे के कुछ टुकडों को पेश करके ईरान पर यमन में मिसाइल भेजने का निराधार आरोप लगा रही है।

वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र में इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिरोध के एक उदाहरण की ओर संकेत करते हुए कहा कि पश्चिमी एशिया में जारी प्रतिरोध को तोड़ने के लिए अमरीकियों ने यह प्रयास किया कि उसे जड़े से समाप्त कर दिया जाए किंतु हम डटे रहे और हमने कहा कि इसकी अनुमति नहीं देंगे।  आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि अब पूरे विश्व के लिए यह सिद्ध हो चुका है कि अमरीकी चाहते थे किंतु नहीं कर सके किंतु हम चाहते थे और हमने कर दिखाया। 

देश की सेना और कई संगठनों ने जनता का आह्वान किया है कि वह इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ पर रैलियों में भरपूर उपस्थिति दर्ज कराए।

ईरान की सेना ने जनता से अपील की है कि वह विगत के वर्षों की ही भांति इस वर्ष भी इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रमों में बढ़ चढकर भाग ले। इस बयान में कहा गया है कि ग्यारह फ़रवरी को इस्लमी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ पर जनता को पुनः वैभवशाली रैलियों में भाग लेना चाहिए।  ईरान के कई संगठनों और संस्थाओं ने अलग-अलग बयान जारी करके जनता से 11 ग्यारह फ़रवरी की रैलियों में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है।

उल्लेखनीय है कि 11 फरवरी सन 1979 को स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हुई थी।  उसकी वर्षगांठ पर प्रतिवर्ष ईरान में राष्ट्रव्यापी रैलियां निकाली जाती हैं।