मस्जिदुल अक़्सा का द्वार खुला, नेतेनयाहू पिछे हटे

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मस्जिदुल अक़्सा का द्वार खुला, नेतेनयाहू पिछे हटे

 

यूनिस्को ने एक प्रस्ताव पारित करके कहा था कि क़ुद्स के पवित्र स्थलों विशेषकर मस्जिदुल अक़्सा से जायोनी शासन का कोई इतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृत संबंध नहीं है

इस्राईल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतेनयाहू को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के भीतर और बाहर बड़े पैमाने पर आपत्तियों का सामना करना पड़ा जिसके बाद विवश होकर वह मस्जिदुल अक़्सा को बंद करने के अपने निर्णय से पीछे हट गये।

जायोनी सैनिकों ने शुक्रवार को बिनयामिन नेतेनयाहू के आदेश से फिलिस्तीनी नमाज़ियों के लिए मस्जिदुल अक्सा को बंद कर दिया था। बिनयामिन नेतेनयाहू के इस क़दम पर बैतुल मुक़द्दस, रामल्लाह और दूसरे क्षेत्रों में फिलिस्तीनियों ने कड़ी आपत्ति जताई।

फिलिस्तीनी युवाओं ने शनिवार की रात को मस्जिदुल अक्सा के पास जायोनी सैनिकों के घेरे को तोड़कर इस मस्जिद में प्रवेश करने का प्रयास किया किन्तु जायोनी सैनिकों ने मार ­-पीट कर उन्हें मस्जिद में प्रवेश करने से रोक दिया।

हज़ारों फ़िलिस्तीनियों ने शनिवार की रात को मग़रिब की नमाज़ मस्जिदुल अक़्सा के निकट पढ़ी। मस्जिदु अक़्सा का दरवाज़ा बंद किये जाने पर ईरान सहित बहुत से इस्लामी देशों ने इस पर प्रतिक्रिया जताई है।

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने ज़ायोनी शासन के इस क़दम की भर्तस्ना करते हुए कहा है कि नमाज़ियों के लिए मस्जिदु अक़्सा का दरवाज़ा बंद करना निंदनीय और मानवाधिकार के बुनियादी सिद्धातों के ख़िलाफ़ है।

ज्ञात रहे कि कुद्स और मस्जिदुल अक्सा के संबंध में जायोनी शासन की वर्चस्वादद कार्यवाहियां ऐसी स्थिति में हो रही हैं जब पिछले वर्ष यूनिस्को ने एक प्रस्ताव पारित करके कहा था कि क़ुद्स के पवित्र स्थलों विशेषकर मस्जिदुल अक़्सा से जायोनी शासन का कोई इतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृत संबंध नहीं है और इस मस्जिद को मुसलमानों के लिए पवित्र स्थल बताया था

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