आसिफ़ अली ज़रदारी से अपेक्षाएं

Rate this item
(0 votes)
आसिफ़ अली ज़रदारी से अपेक्षाएं

पीएमएनएल और पीपीपी के संयुक्त प्रत्याशी अब पाकिस्तान के राष्ट्रपति होंगे। इस प्रकार से वे पाकिस्तान के 14वें राष्ट्रपति बने हैं।

राष्ट्रपति पद के चुनाव में शनिवार को आसिफ़ अली ज़रदारी को 255 वोट मिले जबकि उनके मुक़ाबले में अचकज़ई को 119 मत डाले गए।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी ने एक बयान जारी करके इस देश के हालिया संसदीय चुनाव के परिणामों पर सवाल खड़े किये हैं।  इस पार्टी का दावा है कि हालिया चुनावों में गड़बड़ी के ही कारण नए राष्ट्रपति अस्तित्व में आए हैं।

हालिया दिनों में नवाज शरीफ की पार्टी PML-N और बिलावल भुट्टो की पार्टी PPP ने गठबंधन करके नई सरकार बनाने पर समझौता किया था।  इन दोनो दलों का लक्ष्य पहले तो तहरीके इंसाफ़ पार्टी को सत्ता के रास्ते से हटाना था क्योंकि हालिया संसदीय चुनाव में इमरान ख़ान से संबन्ध रखने वाले दल ने अधिक वोट हासिल किये थे।

पाकिस्तान में हालिया राष्ट्रपति चुनाव के संबन्ध में राजनीतिक मामलों के एक टीकाकार अब्बास ख़टक कहते हैं कि यह बात निश्चित रूप में कही जा सकती है कि पीएमएनएल और पीपीपी गठबंधन का मुख्य उद्देश्य तहरीके इंसाफ़ पार्टी को सत्ता में आने से रोकना था जिसमें वे पूरी तरह से सफल रहे।  हालांकि यह बात भी बहुत महत्वपूर्ण हैं कि इस गठबंधन को पाकिस्तान की वर्तमान समस्याओं का समाधान भी करना होगा क्योंकि वहां के लोग इसके इंतेज़ार में बैठे हैं।  दूसरी ओर कुछ हल्क़ों को यह आशा है कि पाकिस्तान की नई सरकार इस देश को आर्थिक दृष्टि से मज़बूत बनाने के प्रयास करेगी।

पिछली बार जिस दौरान आसिफ़ अली ज़रदारी, पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने थे उस दौरान उन्होंने इस देश के पड़ोसी देशों विशेषकर इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ व्यापारिक और आर्थिक क्षेत्रों में संबन्धों को अधिक मज़बूत किया था।  एसे में कहा जा सकता है कि दूसरी बार उनके राष्ट्रपति बनने से ईरान के साथ पाकिस्तान के संबन्धों को एक नई उड़ान मिल सकती है।  इस बात की आशा की जाती है कि आरिफ़ अलवी के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद आसिफ़ अली ज़रदारी का राष्ट्रपति काल, अपने पड़ोसी देशों के साथ पाकिस्तान के संबन्धों के अधिक फलने-फूलने के अवसर उपलब्ध करवाएगा।

बहुत से विशलेषक यह मानते हैं कि पाकिस्तान की भूतपूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के पति और इस देश के पूर्व विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो के पिता, 68 वर्षीय ज़रदारी, द्वारा राष्ट्रपति पद के संभालने से पाकिस्तान के पड़ोसी देशों विशेषकर अफ़ग़ानिस्तान में इस बात की प्रतीक्षा की जा रही है कि वहां की नई सरकार, इस्लामाबाद और काबुल के संबन्धों में मौजूद चुनौतियों को दूर करने के लिए निश्चित रूप से सकारात्मक क़दम उठाएगी।

Read 39 times