मिस्र में शिया मुसलमानों के बढ़ते प्रभाव से बौखलाई अल अज़हर युनिवर्सिटी।

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मिस्र में शिया मुसलमानों के बढ़ते प्रभाव से बौखलाई अल अज़हर युनिवर्सिटी।

अल-अज़हर विश्वविद्यालय दुनिया में सुन्नी मुसलमानों की बड़ी शैक्षिक संस्थाओं में से है जिसने दबे शब्दों में यह घोषणा की है कि रमज़ान के पवित्र महीने में ऐसे कार्यक्रम रखे जाएंगे जिससे मिस्र में सुन्नी मुसलमानों को शिया मत स्वीकार करने से रोका जाएगा।
अल-आलम नेटवर्क के अनुसार अल-अज़हर विश्वविद्यालय के प्रमुख शैख़ अहमद अल-तैय्यब ने एक कर्यक्रम में दबे शब्दों में यह इशारा किया कि रमज़ान के पवित्र महीने में होने वाले उनके कर्यक्रमों में दिये जाने वाले भाषण इस प्रकार के होगें जिससे वे लोग जो शिया मत के निकट हो रहे हैं, दूर हो जाएं। शैख़ अहमद अल-तैय्यब ने बताया है कि इस वर्ष रमज़ान में वे पैग़म्बरे इस्लाम (स) के साथियों के विषय पर भाषण देंगे और जो मिस्र के सटेलाईट चैनेलों द्वारा प्रसारित भी किया जाएगा। अल-अज़हर विश्वविद्यालय के प्रमुख ने कहा कि इधर कई वर्षों से हमारे सुन्नी युवा शिया मत की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिसको रोकने के लिए हमारे धर्मगुरूओं को चाहिए कि इस वर्ष रमज़ान में अपने भाषणों को पैग़ामबरे इस्लाम (स) के साथियों के जीवन पर केन्द्रित करें।
समाचार पत्र रायुल यौम के अनुसार अल-अज़हर विश्वविद्यालय के प्रमुख ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जो लोग पैग़ामबरे इस्लाम (स) के साथियों के व्यक्तित्व पर कटाक्ष करते हैं वे लोग वास्तव में सुन्नी युवाओं के विरुद्ध कार्य करते हैं। शैख़ अहमद अल-तैय्यब ने कहा है कि मिस्र में कुछ संगठित और बहुपक्षीय संगठन दूसरे मतों की ओर निमंत्रण देकर देश के युवाओं की एकता और अखंडता को तोड़ने के प्रयास में हैं, वे लोग सुन्नी युवाओं को अपना मत छोड़ कर किसी अन्य मत स्वीकार करने की ओर आमंत्रित कर रहे हैं। अल-अज़हर के प्रमुख ने कहा कि हमारा अपने युवाओं के प्रति धार्मिक दायित्व है कि उन पर होने वाले दूसरे धर्मों के प्रहार को रोकें और उनका सही दिशा में मार्गदर्शन करें।
शैख़ अहमद तैय्यब ने कहा कि दूसरे धर्म के प्रचारक पहले तो पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों से प्रेम का सहारा लेकर हमारे जवानो को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और बाद में उनको हज़रत उमर के विरुद्ध यह कह कर बहका देते हैं कि उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम (स) की बेटी हज़रते फ़ातेमा ज़हरा (स) का घर जलाया था और फिर हमारे युवाओं से यह कह कर के यह लोग हज़रत फ़ातेमा (स) और हज़रत अली (अ.स.) के विरोधी थे उन पर धिक्कार कराया जाता है।

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