رضوی

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अब्दुल्लाह इब्ने उमैर अलकलबी आपका नाम अब्दुल्लाह इब्ने उमैर इब्ने अब्दे कै़स इब्ने अलीम इब्ने जनाबे कलबी अलिमी था आप कबीला ए अलीम के चश्मों चराग थें।

आपका नाम अब्दुल्लाह इब्ने उमैर इब्ने अब्दे कै़स इब्ने अलीम इब्ने जनाबे कलबी अलिमी था। आप कबीला-ऐ-अलीम के चश्मों चराग थे आप पहलवान और निहायत बहादुर थे।

कूफे के मोहल्ले हमदान में करीब चाहे जुहद मकान बनाया था और उसी में रहते थे। मुकामे नखला में लश्कर को जमा होता देख कर लोगो से पूछा लश्कर क्यों जमा हो रहा है कहा गया हुसैन इब्ने अली अलै० से लड़ने के लिए ये सुन कर आप घबराए और बीवी से कहने लगे की अरसा-ऐ-दराज से मुझे तम्मना थी की कुफ्फार से लड़ कर जन्नत हासिल करूँ।

लो आज मौका मिल गया है हमारे लिए यही बेहतर है की यहाँ से निकल चले और इमाम हुसैन की हिमायत में लड़ कर शर्फे शहादत से मुशर्रफ हो और साथ ही साथ हमराह जाने की दरख्वास्त भी पेश कर दी।

अब्दुल्लाह ने मंज़ूर किया और दोनों रात को छिप कर इमाम हुसैन की खिदमत में जा पहुचे और सुबहे आशूर जंगे मग्लूबा में ज़ख़्मी होकर शहीद हो गए।

अल्लामा समावी लिखते है की उस अज़ीम जंग में जब जनाबे अब्दुल्लाह की बीवी ने अपने चाँद को लिथड़ा हुआ देखा तो दौड़ कर मैदान में जा पहुची और उन के चेहरे से खून व ख़ाक साफ़ करने लगी इसी दौरान में शिमरे मलऊन के गुलाम रुस्तम लईन ने उस मोमिना के सर पर गुर्ज मार कर उसे भी शहीद कर दिया।

ईरान की युवा कुश्ती टीम ने 6 स्वर्ण, 1 रजत और 2 कांस्य पदक जीतकर निर्विवाद एशियाई चैम्पियनशिप की ख़िताब अपने नाम कर लिया।

एशियाई चैंपियनशिप युवा कुश्ती प्रतियोगिताएं 30 और 31 तीर माह बराबर 20 और 21 जुलाई को थाईलैंड के सिराचा शहर में आयोजित की गईं।

इन प्रतियोगिताओं के आख़िर में, अली अहमदी वफ़ा ने 55 किग्रा में, इरफ़ान जरकनी ने 63 किग्रा में, अली रज़ा अब्दवली ने 77 किग्रा में, मुहम्मद हादी सैदी ने 87 किग्रा में, हमीद रज़ा किश्तकार ने 97 किलोग्राम वज़न में और अबुल फ़ज़्ल फ़त्ही तज़ंगी ने 130 किलोग्राम वजन में ईरान के लिए स्वर्ण पदक जीता।

एक अन्य ईरानी पहलवान अहमद रज़ा मोहसिन नेजाद ने भी 67 किलोग्राम भार में रजत पदक जीता जबकि 72 किलोग्राम वजन में अहूरा बोइरी और 82 किलोग्राम वजन में मुहम्मद अर्जमंद ने भी कांस्य जीते।

टीम रैंकिंग में, ईरान की राष्ट्रीय युवा कुश्ती टीम ने 6 स्वर्ण, 1 रजत और 2 कांस्य पदक जीतकर 206 प्वाइंट हासिल किए जबकि क़ज़ाक़िस्तान 185 और क़िर्गिस्तान 141 प्वाइंट्स के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

 

 

इंग्लैंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा संगठन ने देश में डिमेंशिया (Dementia) रोगियों की संख्या में वृद्धि की सूचना दी है।

ब्रिटिश राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के एलान के मुताबिक़, पूरी दुनिया में डिमेंशिया या "संवेदनशीलता" की दर, इस देश में सबसे ज़्यादा है।

डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। Dementia शब्द 'de' मतलब without और 'mentia' मतलब mind से मिलकर बना है।

अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बीमारी के नाम  से जानते हैं. याददाश्त की समस्या एकमात्र इसका प्रमुख लक्षण नहीं है। हम आपको बता दें की डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिसका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन के हर पहलु पर होता है। दैनिक कार्यों में भी व्यक्ति को दिक्कतें होती हैं और ये दिक्कतें उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं।

यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के दस लोगों में से एक को और 85 साल के चार में से एक को प्रभावित करती है. 65 साल से कम उम्र के लोग भी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है।

डिमेंशिया के दो कारण है पहला- मस्तिष्क की कोशिकाओं का नष्ट हो जाना और दूसरा उम्र के साथ मस्तिष्क की कोशिकाओं का कमजोर होना। इसमें अल्‍ज़ाइमर, वैस्‍कुलर डिमेशिया, फ्रंटोटेम्‍पोरल डिमेंशिया और पार्किंसन डिजीज आदि जैसी भूलने की बीमारी शामिल है। इसके साथ डायबिटीज, ट्यूमर, उच्‍च रक्‍तचाप के कारण भी डिमेंशिया होता है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि डिमेंशिया प्रतिवर्ती या स्थिर होता है।

पार्सटुडे के अनुसार, डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी की याद रखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। डिमेंशिया रोग में रोगी अपने से जुडी छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है। कभी-कभी तो परिचित व्यक्ति को भी रोगी पहचानने से इंकार कर देता है।

इस बिमारी से ग्रसित व्यक्ति में प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं:

स्मरण शक्ति की क्षति का होना, ज़रूरी चीज़ें भूल जाना, सोचने में कठिनाई होना, छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना,भटक जाना, व्यक्तित्व में बदलाव, किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है, नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत, स्व: प्रबंधन में दिक्कत, समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत का होना, यहां तक कि डिमेंशिया लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं, यानी मूड या व्यवहार का बदलना, पहल करने में झिजक का होना इत्यादि।

यह बीमारी सबसे हल्के चरण से गंभीरता में तबदील हो सकती है और इस अधिक गंभीर चरण में व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है।

बहुत से लोग memory loss से ग्रस्त होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनको अल्जाइमर या अन्य डिमेंशिया बिमारी है, memory loss होने के कई कारण हो सकते हैं.

प्रतिवर्ती यानी किसी एक अवस्‍था को ठीक करने से डिमेंशिया ठीक हो सकता है। जैसे कभी-कभी थायरायड के होने पर भी डिमेंशिया की समस्‍या हो सकती है, लेकिन थायरायड को कंट्रोल करने से यह अपने आप ठीक हो जाता है। दूसरा डिमेंशिया स्थिर होता है, यानी जो बदलाव हो चुके है उन्‍हें बदला नहीं जा सकता। लेकिन रोगी के व्‍यवहार में बदलाव ला सकते हैं। जिससे रोगी को बहुत मदद मिलती है।

इंग्लैंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि जून 2024 में इस देश में 487 हज़ार से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह से डिमेंशिया से पीड़ित थे।

इस संबंध में गार्जियन पत्रिका ने लिखा: इंग्लैंड में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या पिछले साल जनवरी की तुलना में 12 प्रतिशत बढ़ गई है।

इंग्लैंड में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि एक राष्ट्रीय संकट है और इस देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए एक चेतावनी समझा जा रहा है जिसकी वजह से वर्तमान समय में चिकित्सा देखभाल की लागत का दबाव बढ़ रहा है।

"डिमेंशिया" के बारे में ब्रिटिश संसद के प्रतिनिधियों के एक ग्रुप की रिपोर्ट, इन रोगियों के प्रति भेदभाव का संकेत देती है जिससे 1 लाख 15 हजार से अधिक पीड़ित, इस देश के वंचित क्षेत्रों में रहने की वजह से बीमारियों की पहचान और इलाज से भी वंचित हो गये हैं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संरचनात्मक बाधाएं, सांस्कृतिक अंतर, पारिवारिक डॉक्टरों के कार्यालयों में जाने में अंतर, लंबी याददाशत चेकिंग समय, रोगी की पहचान करने के बाद समर्थन की कमी, स्कैनिंग उपकरणों की कमी जैसी चीजें इन भेदभावों की अहम वजहें हैं।

डिमेंशिया नर्सिंग यूके ने हाल ही में एलान किया था कि इस देश में 10 में से एक मौत, डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर की वजह से होती है।

दुनिया भर में 50 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं जिसकी संख्या 2050 तक 15 करोड़ 30 लाख या 153 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।

डिमेंशिया की बड़ी संख्या और इस हाई टेंशन बीमारी से जूझने वाले देशों में इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों का नाम लिया जा सकता है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के कस्टम विभाग के प्रमुख का कहना है कि पिछले चार महीनों के दौरान, ईरान के मार्ग से विदेशी पारगमन में 58.5 फ़ीसद की वृद्धि हुई है, जो अब बढ़कर 7 मिलियन 6 लाख 22 हज़ार टन तक पहुंच गया है।

परिवहन और ट्रांज़िट के मामले में ईरान की एक विशेष भूराजनीतिक स्थिति है। ईरान को वैश्विक पारगमन या इंटरनेशनल ट्रांज़िट का चौराहा भी कहा जाता है। सुरक्षा और ख़र्चे में कमी इसकी अन्य विशेषताएं हैं। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के कस्टम विभाग के प्रमुख मोहम्मद रिज़वानीफ़र ने कहा कि पिछले चार महीनों में, ईरान के रास्ते विदेशी पारगमन में 58.5 फ़ीसद की बढ़ौतरी हुई है। इस तरह से यह बढ़कर 7 मिलियन 6 लाख 22 हज़ार टन तक पहुंच गया है। पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में पिछले चार महीनों में 661 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह ईरान के पारगमन सीमा शुल्क में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि है।

रिज़वानीफ़र ने कहाः ईरान के पीरानशहर सीमा शुल्क के बाद, विदेशी पारगमन में सबसे बड़ी वृद्धि सरख़स, परवीज़ ख़ान और बाश्माक़ सीमा शुल्क से हुई है। इस अवधि के दौरान क्रमशः 286, 197 और 111 फ़ीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।

ईरानी सीमा शुल्क के प्रमुख ने बताया कि पिछले चार महीनों में, परवीज़ ख़ान सीमा शुल्क बिंदु से सबसे बड़ी मात्रा में विदेशी पारगमन हुआ। इस अवधि के दौरान 2 मिलियन और 1 लाख 66 हज़ार टन माल परवीज़ ख़ान सीमा से स्थानांतरित किया गया। ईरान के केरमानशाह प्रांत और सीमा शुल्क शहीद रजाई, बाश्माक़, बाज़रगान और पीरानशहर विशेष क्षेत्रों का स्थान उसके बाद आता है।

इसी संदर्भ में, हाल ही में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान रेलवे के सीईओ सैयद मियाद सालेही ने भी ईरान-चीन डबल कार्गो कंटेनर ट्रेन के लॉन्चिंग समारोह में कहा था कि ईरान यूरोपीय देशों में चीनी उत्पादों के परिवहन के लिए एक तेज़ और सुरक्षित प्रवेश द्वार के रूप में कार्य कर रहा है।

बता दें कि रविवार को एक समारोह में ईरान-चीन डबल कंटेनर ट्रेन की शुरुआत की गई थी। यह समारोह तेहरान के आपेरीन लॉजिस्टिक्स सेंटर में आयोजित किया गया था और चीन-ईरान-यूरोप रेल गलियारे के पहले चरण के परिचालन को शुरू किया गया था।

पलायनकर्ता विशेषकर पलायनकर्ता बच्चे अधिकांतः लैटिन अमेरिकी देशों से बहुत अधिक समस्याओं का सामना करने के बाद अमेरिका पहुंचते हैं जहां वे वाशिंग्टन की मौन नीति की सबसे बड़ी क़ुर्बानी बन गये हैं।

अमेरिकी पुलिस पलायनकर्ता बच्चों को न केवल शारीरिक प्रताड़ना देती है बल्कि उन्हें अपने माता- पिता से अलग कर देती है और वे उन कैम्पों में रहने के लिए बाध्य होते हैं जो मानकरहित होते हैं और वहां अधिक संख्या में लोग रहते हैं। यही नहीं जो रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं वे इस बात की सूचक हैं कि इन बच्चों का यौन शोषण भी होता है।

अभी हाल ही में अमेरिकी विधि मंत्रालय ने साउथवेस्ट के कंपनी के ख़िलाफ़ एक रिपोर्ट व शिकायत तैयार की है जो अमेरिका में पलायनकर्ता लोगों और बच्चों के लिए आश्रयस्थल उपलब्ध कराती है। उस “साउथवेस्ट के” कंपनी पर पलायनकर्ता बच्चों के साथ यौन शोषण करने का आरोप है। अमेरिका के अटार्नी जनरल क्रिस्टन कलार्क ने एक बयान में स्वीकार किया कि शिविरों में बच्चों का यौन शोषण अपमानजनक, अमानवीय और ग़ैर क़ानूनी है जबकि इन शिविरों में बच्चों को शांति व सुरक्षा होनी चाहिये।“

इस रिपोर्ट में “साउथवेस्ट के” कंपनी के कर्मचारियों पर बच्चों के साथ यौन शौषण करने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के साथ अभिभावक, सगे संबंधी या रक्षक के न होने के कारण अमेरिका की दक्षिण पश्चिमी सीमाओं पर शिविरों में भेजा गया जहां उनका यौन शौषण किया गया। साउथवेस्ट के कंपनी पलायनकर्ता और अभिभावक रहित बच्चों को शिविर प्रदान करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है और टेक्सस और कैलिफ़ोर्निया राज्यों में यह कंपनी 29 शिविरों का प्रबंधन व संचालन करती है।

पलायनकर्ता बच्चों का यौन शोषण करने में अमेरिकी शिविरों का अतीत

यद्यपि अमेरिका में पलायनकर्ता बच्चों के जो शिविर हैं उनमें विभिन्न शिविरों में सदैव बच्चों का यौन शोषण हुआ है परंतु हालिया वर्षों में जहां लैटिन अमेरिकी देशों से बहुत अधिक संख्या में पलायनकर्ता अमेरिका गये हैं वहीं बच्चों के साथ यौन शोषण में भी वृद्धि हो गयी है। इस प्रकार से कि यौन शोषण का शिकार बहुत से बच्चों की मौत हो गयी।

इसी संबंध में अभी कुछ समय पहले Axios न्यूज़ वेब साइट ने रिपोर्ट दी है कि पलायनकर्ता बच्चों के वकील ने अमेरिका की फ़ेडरल अदालत में शिकायत की है। इस साइट ने लिखा है कि टेक्सस में पलायनकर्ता बच्चों को शिविरों में बहुत ही हृदयविदारक स्थिति में रखा जा रहा है।

पलायनकर्ता बच्चों के शिविरों में यौन शोषण आम बात है।

अमेरिका के विधिमंत्रालय ने अपनी ताज़ा शिकायत में स्वीकार किया है कि जिन पलायनकर्ता बच्चों को शिविरों में रखा जाता है उन शिविरों के कर्मचारियों व ज़िम्मेदारों की ओर से विभिन्न प्रकार से उनका यौन शोषण किया जाता है।

इससे पहले भी बच्चों के साथ यौन शोषण की रिपोर्टें मिलती रही हैं। वर्ष 2020 में यौन शोषण का शिकार एक 15 वर्षीय बच्चे की रिपोर्ट में उसका विवरण दिया गया है। इसी प्रकार वर्ष 2022 में यौन उत्पीड़न की एक अन्य ख़बर इस बात की सूचक है कि पलायनकर्ता बच्चों के एक शिविर का कर्मचारी एक पांच वर्षीय बच्ची, एक आठ वर्षीय बच्ची और एक 11 वर्षीय बच्ची से टेक्सस राज्य के एक शरणार्थी शिविर में बारमबार अवैध संबंध बनाता है। ख़बर व शिकायत में कहा गया है कि आठ वर्षीय बच्ची ने प्रतिनिधियों को बताया कि शिविर के इस कर्मचारी ने धमकी दी थी कि अगर यौन उत्पीड़न की ख़बर लीक हुई तो वह उसके पूरे परिवार की हत्या कर देगा।

अमेरिका में बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध जारी हैं।

बच्चे वे वर्ग हैं जो अमेरिका के भीतर और बाहर उसकी नीतियों की भेंट चढ़ते रहे हैं। इस समय अमेरिका के अंदर इस अपराध का रहस्योद्घाटन इस बात का सूचक है कि पलायनकर्ता बच्चों को यौन उत्पीड़न व यौन शोषण का सामना है और यह उस स्थिति में है जब अमेरिका में बच्चों के अधिकारों की रक्षा के नारे लगाये जाते हैं।

यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हूसी ने ज़ायोनी शासन को चेतावनी दी है और स्पष्ट किया कि इस्राईली ठिकानों के ख़िलाफ़ यमनी सेना के आप्रेशन  का दायरा, हिंद महासागर और भूमध्य सागर तक फैला जाएगा।

इस्राईली शासन भीषण हमलों की प्रतिरोध की योजना, यमन, लेबनान और ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के लगातार हमलों, मक़बूज़ा क्षेत्रों में नेतन्याहू के ख़िलाफ़ प्रदर्शन और यमन की बंदरगाह अल-हुदैदा पर ज़ायोनी शासन के हमले की निंदा, हालिया घंटों में पश्चिम एशिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम हैं जो आज आपकी सेवा में पेश किए जा रहे हैं।

यमन पर अमेरिकी और ब्रिटिश हवाई हमला

 अल-मयादीन चैनल के मुताबिक, रविवार को अमेरिकी-ब्रिटिश गठबंधन ने यमन के अल-सलीफ़ इलाक़े में स्थित "रासे ईसा" बंदरगाह पर हमला किया।

उसी वक़्त, यमन के हज्जा प्रांत में मौजूद अल-मसीरा चैनल के संवाददाता ने यह भी बताया कि मीदी सेक्टर में "बहीस" क्षेत्र पर भी अमेरिकी-ब्रिटिश युद्धक विमानों ने दो बार हमला किया।

अब तक, इन हमलों में होने वाले जानी और माली नुक़सान का ब्योरा हासिल नहीं हो सका है।

यमन पर ज़ायोनी शासन के हमले पर कुवैत, सीरिया और ओमान की प्रतिक्रियाएं

अल-मयादीन के अनुसार, तीन देशों कुवैत, ओमान और सीरिया के विदेश मंत्रालयों ने रविवार को बयान जारी कर यमनी इलाक़ों पर ज़ायोनी सेना के हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और इन क्रूर हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की।

वहीं, इराक़ के नोजबा इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट के महासचिव अकरम अल-काबी ने यमन की हुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के हमले की निंदा की।

उन्होंने कहा: मारे गये ज़ायोनियों की संख्या में वृद्धि और उनके शांत क्षेत्रों के अशांत होने के बाद प्रिय यमनियों के आधारभूत ढांचों को निशाना बनाने में ज़ायोनी शासन और उसके मूर्ख गठबंधन की कार्रवाईयां, कि किसी भी क्षण मौत उनके पास आ सकती है, ज़ायोनी शासन के अपराधों की की नाकामियों का एक नया अध्याय है।

ज्ञात रहे कि शनिवार शाम को यमन की अल-हुदैदा बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के लड़ाकू विमानों ने बमबारी की थी। इस हमले के बाद इस तटीय शहर के तेल टैंकों में आग लग गई।

अब्दुल मलिक अल-हूसी, बड़े ऑप्रेशन अंजाम दिए जाने वाले हैं/ क़ब्ज़ाधारी इस्राईलियों को भयभीत रहना चाहिए

अल-मसीरा चैनल के अनुसार, यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव अब्दुल मलिक अल-हूसी ने रविवार को एक बयान में कहा: क़ब्ज़ाधारी इस्राइलियों को डरना चाहिए और पहले से कहीं अधिक चिंतित होना चाहिए, यह जानकर कि उनके मूर्ख नेताओं ने उनके लिए बढ़ते ख़तरे पैदा कर दिए हैं।

श्री बदरुद्दीन अल-हूसी ने कहा: इस्राईली दुश्मन ने तेल कंपनी के टैंक और अल-हुदैदा बिजली विभाग के टैंक पर सीधा हमला किया। इन लक्ष्यों को चुनने की वजह, यमन की अर्थव्यवस्था को निशाना बनाना और हमारे प्रिय राष्ट्र और उसकी आजीविका को नुक़सान पहुंचाना है।

यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के महासचिव ने कहा: यमन पर हमला करके दुश्मनों को कोई फ़ायदा नहीं होगा और यह हमले उसकी रक्षा नहीं कर सकते और ग़ज़ा के समर्थन में हमारे आप्रेश्न्ज़ के पांचवें चरण को जारी रखने से बाज़ नहीं रख सकते।

मुहम्मद अब्दुस्सलाम: हम ज़ायोनीयों के साथ संघर्ष तेज़ करने को तैयार हैं

अल जज़ीरा चैनल की रविवार की रिपोर्ट के अनुसार, यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार की वार्ता समिति के प्रमुख और मुख्यवार्ताकार मुहम्मद अब्दुस्सलाम का भी कहना था: यमनवासी संघर्ष के बढ़ने से डरते नहीं हैं और फ़िलिस्तीनियों की न्यायपूर्ण उमंगों की रक्षा के मार्ग पर बढ़ रहे हैं।

बेन गुरियन एयरपोर्ट पर नेतन्याहू के ख़िलाफ प्रदर्शन

रविवार को अल जज़ीरा चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बेंन्यामीन नेतन्याहू की वाशिंगटन यात्रा से पहले ज़ायोनी प्रदर्शनकारियों ने बेन गुरियन हवाई अड्डे पर विरोध प्रदर्शन किया।

इस प्रदर्शन में ज़ायोनी प्रदर्शनकारियों ने ज़ायोनी शासन और ग़ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के बीच क़ैदियों के आदान प्रदान के समझौते पर हस्ताक्षर की मांग की।

इससे पहले, मक़बूज़ा क्षेत्रों में कई बार ज़ायोनी निवासियों द्वारा इसी तरह के विरोध प्रदर्शन देखने में नज़र आए हैं।

ज्ञात रहे कि ग़ज़ा के ख़िलाफ़ युद्ध जारी रहने और ज़ायोनी शासन द्वारा कोई सैन्य उपलब्धि हासिल न होने की वजह से मक़बूज़ा क्षेत्रों में इस्राईली प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू और उनके मंत्रिमंडल की आलोचनाएं तेज़ हो गई हैं।

यमनी प्रतिरोध के संभावित हमलों का ख़ौफ़, ज़ायोनी शासन बौखलाया

फ़िलिस्तीन की समा समाचार एजेंसी के अनुसार, ज़ायोनी शासन के मीडिया ने सोमवार की सुबह एलान किया कि यमन की अल-हुदैदा बंदरगाह पर इस्राईल के हालिया हमलों पर संभावित यमनी प्रतिक्रिया के डर से इस्राईल की वायु और नौसेना को पूरी तरह से अलर्ट पर रखा गया है।

कुछ ज़ायोनी सूत्रों ने बैतुल मुक़द्दस, वेस्ट बैंक और मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के उत्तरी क्षेत्रों में इस्राईली युद्धक विमानों की उड़ानों और गश्त लगाए जाने की भी सूचना दी।

शनिवार शाम को यमन की पश्चिमी प्रांत अल-हुदैदा की बंदरगाह पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बाद यमनी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता यहिया सरी ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि इस अपराध का जवाब ज़ायोनियों के लिए निश्चित रूप से बड़ा और दर्दनाक होगा।

ख़ान यूनुस पर क्रूर इस्राईली हवाई हमलों में 13 शहीद और घायल

फ़िलिस्तीन की वफ़ा समाचार एजेंसी ने सोमवार को एलान किया: ख़ान यूनुस पर ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए 2 हवाई हमलों के दौरान 2 महिलाएं शहीद हो गईं जबकि 11 अन्य नागरिक घायल हो गए। इन हमलों में ख़ान यूनिस के पश्चिम में एक घर और इसी इलाक़े के पूरब में स्थित बनी सहेला क्षेत्र में एक घर को निशाना बनाया गया।

लेबनानी सेना के वॉच टॉवर पर ज़ायोनी शासन का हमला

अल जज़ीरा के मुताबिक, इस्राईली सेना ने रविवार को लेबनानी सेना के एक निगरानी टॉवर को निशाना बनाया जिसके दौरान 2 लेबनानी सैनिक घायल हो गये।

इस रिपोर्ट के अनुसार, एक ज़ायोनी टैंक ने दक्षिणी लेबनान के "एता अल-शाब" शहर के आसपास स्थित लेबनानी सेना के एक वॉच टॉवर को निशाना बनाया।

  ग़ज़ा में शहीदों की संख्या बढ़ी

फ़ार्स समाचार एजेंसी के अनुसार, ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि मलबे के नीचे अभी भी कई फ़िलिस्तीनी शहीद दबे हुए हैं। बयान में कहा गया है कि ग़ज़ा में शहीदों की संख्या 38980 से अधिक हो गई है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 36 घंटों में इस्राईली सेना ने ग़ज़ा पट्टी में 4 और सामूहिक हत्याओं को अंजाम दिया है जिसके परिणामस्वरूप 64 शहीदों और 105 घायलों को ग़ज़ा के अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया।

अल-जज़ीरा ने सोमवार की अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि रविवार सुबह से दोपहर तक ज़ायोनी शासन के हमलों में 60 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए। अल जज़ीरा ने ग़ज़ा में अल-नुसैरत और अल-बुरैज कैंपों पर ज़ायोनी शासन के तोपख़ाने द्वारा भारी हमलों के जारी रहने की सूचना दी है।

इस्राईल के 3 सैन्य ठिकानों पर हिज़्बुल्लाह का मिसाइल हमला

तस्नीम समाचार एजेंसी के अनुसार, लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने अलग-अलग बयान जारी कर एलान किया कि प्रतिरोधकर्ताओं ने रविवार को ज़ायोनी शासन के तीन सैन्य ठिकानों को कामयाबी से निशाना बनाया।

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ने अपना पहला बयान जारी कर बताया कि ग़ज़ा में दृढ़ फिलिस्तीनी जनता का समर्थन करने, ज़ायोनी शासन के हमलों और अदलून शहर में नागरिकों को निशाना बनाने के जवाब में, इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने रविवार को ज़ायोनी बस्ती दफ़्ना को कत्युशा रॉकेटों से निशाना बनाया।

लेबनान के हिज़्बुल्लाह ने अपने दूसरे और तीसरे बयान में कहा कि उसके जियालों ने मक़बूज़ा कफ़र शबआ के पहाड़ी इलाक़ों में समाक़ा और अल-रमसा के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों से हमला किया।

हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने आशूर के दिन ज़ायोनियों को खुलेआम धमकी देते हुए बल दिया था कि अगर इस्राईली सेना दक्षिणी लेबनान में घुसपैठ का इरादा रखती है तो उसके पास कोई टैंक ही नहीं बचेगा।

रविवार को हिब्रू भाषा के अख़बार येदीयेत अहारोनोत ने एक्स सोशल नेटवर्क पर अपने पेज पर ज़ायोनी शासन के पूर्वयुद्ध मंत्री एविग्डोर लिबरमैन के हवाले से कहा कि इस्राईल की सैन्य संरचना अभी भी विफलता की स्थिति में फंसी हुई है जबकि ख़ुफ़िया विफलताएं भी साथ ही जारी हैं।

 

 

कर्बला के शहीदों की याद में 14 मोहर्रम को उतरौला के ग्राम अमया देवरिया में हज़रत अब्बास से गमगीन माहौल में 72 ताबूतों का जुलूस निकाला गया।

उतरौला,कर्बला के शहीदों की याद में 14 मोहर्रम को उतरौला के ग्राम अमया देवरिया में हज़रत अब्बास से गमगीन माहौल में 72 ताबूतों का जुलूस निकाला गया।

जुलूस में बड़ी संख्या में अजादार शामिल हुए जुलूस से पूर्व दरगाह हज़रत अब्बास पर अंजुमन ए हुसैनिया के बैनर तले एक मजलिस हुई।

मजलिस को मौलाना ज़ायर अब्बास ने खिताब किया मजलिस का आगाज़ तिलावते कलामे पाक से किया गया अली अम्बर रिज़वी, साजिब रिज़वी, आलम मेहंदी, मीसम उतरौलवी, सदाकत उतरौलवी, मोनिस रिज़वी, कामिल हाशमी ने अपना कलाम पेश किया।

मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ज़ायर अब्बास ने कहा कि अल्लाह के नज़दीक मेयारे इज़्ज़त तालीम है, जिहाद है, ईमान है, और खौफे परवरदिगार है।

खौफे परवर दिगार सबसे ज़्यादा कर्बला वालों में पाया जाता था। अंत में मौलाना ने कर्बला के 72 शहीदों पर आई मुसीबतों का ज़िक्र किया तो सोगवारों की आंखें नम हो गईं इस दौरान हजरत इमाम हुसैन की चार साल की बेटी सकीना की कैद खाने में शहादत का ज़िक्र भी किया  जिसको सुनकर  लोग रोने लगे।

मजलिस के बाद कर्बला के शहीदों की याद में 72 ताबूत शबीहे व ज़ुलजना की ज़ियारत कराई गई। जिसमें इमाम हुसैन उनके 18 बरस के बेटे जनाबे अली अकबर, 11 बरस के भतीजे हजरत कासिम नौ और 11 बरस के भांजे औन व मोहम्मद के ताबूतों के साथ ही इमाम के छह माह के शीरख्वार अली असगर का झूला भी मौजूद था। जिसका तार्रुफ मौलाना जमाल हैदर हल्लौरी ने कराया।

 

 

 

 

 

हरम ए हज़रत मासूमा स.ल.में पहली मोहर्रम से 12 मोहरम तक आयोजित होने वाली औरतों की मजलिस में 22000 औरतों ने शिरकत की इस दौरान 17000 से भी ज़्यादा औरतों में नज़रे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के उनवान से खाना बाटा गया।

हरम ए हज़रत मासूमा स.ल.में पहली मोहर्रम से 12 मोहरम तक आयोजित होने वाली औरतों की मजलिस में 22हज़ार औरतों ने शिरकत की।

हरम ए हज़रत मासूमा स.ल. में इन सभाओं का आयोजन हरम के सांस्कृतिक कार्यालय द्वारा किया गया था, जिसे ईरान के प्रसिद्ध खतीब हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह फरहज़ाद ने संबोधित किया था और मुजतबा ने नौहा पडा और यह कार्यक्रम इमाम खैमानी हाल में आयोजित किया गया।

मजलिस के अंत में 17000 से भी ज़्यादा औरतों में नज़रे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के उनवान से खाना बाटा गया।

नाटो के हालिया शिखर सम्मेलन में अमेरिका ने एलान किया था कि वह जर्मनी में लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार तैनात करना चाहता है। अमेरिका की इस घोषणा का कई जर्मन पार्टियों और नेताओं ने विरोध किया लेकिन जर्मन सरकार ने इसका स्वागत किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश में अमेरिकी हथियारों की तैनाती का मतलब, वाशिंगटन के सामने बर्लिन का आत्मसमर्पण करना है।

जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बायरबॉक का कहना है कि पुतिन के राष्ट्रपतिकाल के दौरान, रूस ने अपने हथियारों का ज़ख़ीरा बढ़ाया है, इसलिए वह जर्मनी में लम्बी दूरी तक मार करने वाले मिसाइलों की तैनाती का समर्थन करती हैं।

हालांकि, संसद में जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख रॉल्फ़ मोत्सेनिश ने अमेरिका के साथ इस तरह के किसी भी समझौते को चिंताजनक बताते हुए चेतावनी दी है कि अमेरिकी हथियारों को तैनात करने के ख़तरों को नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

इस बीच, रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने अमेरिका द्वारा जर्मनी में 2026 तक लंबी दूरी के मिसाइलों की तैनाती की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मास्को इसके जवाब में परमाणु मिसाइलों को तैनात कर सकता है।

अंग्रेज़ी अख़बार फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनाव और डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा चुने जाने की संभावना का ज़िक्र करते हुए कहा की बर्लिन के नेताओं के लिए ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल डरावना होगा। बर्लिन में नीति निर्माताओं की चिंताओं में से एक यह भी है कि फ्रांस की तरह अमेरिका में राजनीतिक रुझान, जर्मनी में अराजक राजनीतिक माहौल को बढ़ावा देगा।

हरम मुताहर हज़रत मासूमा (स) के खतीब ने कहा: सांसारिक कष्ट और परीक्षण मानव धर्मपरायणता के सबसे महत्वपूर्ण मानदंड हैं।

हरम मुताहर में अपने संबोधन के दौरान, हज़रत मासूमा (स) के खतीब हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमिन सैयद हामिद मीर बाकेरी ने अच्छे स्वास्थ्य में दुनिया छोड़ने के महत्व का जिक्र करते हुए कहा: "ऐहदे नस्सेरातल मुस्तकीम" का अर्थ है अच्छे भाग्य के लिए सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करना क्योंकि मोमिन बाकी रहना मोमिन होने से अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक है।

उन्होंने कहा: जो लोग धर्म और धार्मिक सिद्धांतों से बंधे नहीं हैं वे भी इस दुनिया से खुशी और खुशी के साथ अपना जीवन समाप्त करना चाहते हैं।

हुज्जुतल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन मीर बाक़ेरी ने कहा: दुनिया का अच्छा अंत और अच्छा अंत सभी संतों और दिव्य पैगंबरों की सबसे महत्वपूर्ण इच्छाओं में से एक थी।

उन्होंने कहा: मोमिन बाकी रहना मोमिन होने से अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक है, क्योंकि बहुत से लोगों ने शहादतें पढ़ीं, प्रार्थना की और उपवास किया, लेकिन रास्ते में वे धर्म से अलग हो गए और मोमिन नहीं रहे।

हज़रत मासूमा के खतीब ने इमाम हुसैन की एक रिवायत का जिक्र करते हुए कहा: हज़रत सैय्यद अल-शाहदा अपने सभी उच्च रैंकों के बावजूद, भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं।