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गाजा के विभिन्न क्षेत्रों पर आक्रामक ज़ायोनी सैनिकों की बर्बर बमबारी
अल-मग़ाज़ी कैंप और रफ़ा शहर पर कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के हमले में कम से कम अठारह फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं
अल-मयादीन टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, कब्ज़ा करने वाले ज़ायोनी शासन के युद्धक विमानों ने अल-मगाज़ी शिविर पर बमबारी की है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन के लड़ाकू विमानों ने नुसीरत शिविर के उत्तर में और है अल-तुफ़ा के पूर्व में खान यूनिस पर भी बमबारी की है।
दूसरी ओर, ज़ायोनी शासन के युद्धक विमानों ने मंगलवार और बुधवार के बीच गाजा पट्टी के दक्षिणी इलाके में एक घर पर बमबारी की, जिसमें सात फ़िलिस्तीनियों की मौत हो गई। आईआरएनए ने कतर के अल जजीरा टीवी चैनल के हवाले से खबर दी है कि जिस घर पर हमला हुआ वह रफाह शहर के केंद्र में स्थित है.
फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि गाजा पट्टी में ज़ायोनी सरकार के हमलों में शहीदों की संख्या तैंतीस हज़ार आठ सौ तैंतालीस तक पहुँच गई है। आईआरएनए की रिपोर्ट के मुताबिक फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ज़ायोनी सेना ने पिछले बारह घंटों में पांच बार क्रूर हमले किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप छियालीस फिलिस्तीनी शहीद हो गए हैं और एक सौ दस घायल हो गए हैं।
फ़िलिस्तीन के नागरिक सुरक्षा संगठन ने भी एक बयान में कहा है कि खान यूनिस के विभिन्न इलाकों में ज़ायोनी सरकार के हमलों में शहीद हुए पंद्रह फ़िलिस्तीनियों के शव मलबे से निकाले गए हैं।
ऑपरेशन प्रॉमिस सादिक केवल एक चेतावनी और सीमित था
ईरान के राष्ट्रपति ने कहा है कि ऑपरेशन प्रॉमिस सादिक एक चेतावनी और सीमित था, अगर ज़ायोनी शासन थोड़ी सी भी आक्रामकता करता है, तो उस पर हमारी प्रतिक्रिया बहुत भयानक होगी।
राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी ने बुधवार सुबह इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के सैन्य परेड समारोह को संबोधित करते हुए सेना दिवस की बधाई दी.
उन्होंने कहा कि सेना देश के साथ खड़ी है और प्यारे देश, देश की क्षेत्रीय अखंडता और इस्लामी क्रांति के मूल्यों की रक्षा कर रही है।
ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया की सेनाओं से हमारी सेना का सबसे बड़ा अंतर यह है कि हमारी सेना आस्तिक है और ईश्वर पर भरोसा करती है.
उन्होंने कहा कि हमारी सेना पूरी तरह से प्रशिक्षित है और उसके पास सभी कौशल हैं. हमारे सैनिक सैन्य ज्ञान में आधुनिक हैं और उनके सैन्य कौशल ने उन्हें विश्व स्तरीय बना दिया है।
ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि इस्लामिक क्रांति से पहले हमारे सैन्य संसाधन दूसरे देशों के नियंत्रण में थे, लेकिन आज हमारी सशस्त्र सेनाएं उन्हें खुद अपडेट करती हैं. सैन्य प्रौद्योगिकी और रक्षा उद्योग हमारा अपना है और हमारी सेनाओं ने अपने खर्च पर रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता हासिल की है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वयं के विकसित युद्धक विमानों, युद्धपोतों, पनडुब्बियों, टैंकों, विभिन्न प्रकार के बख्तरबंद सैन्य वाहनों और स्मार्ट रक्षा प्रणालियों ने हमें न केवल इस क्षेत्र में बल्कि पूरी दुनिया में एक प्रमुख और बेहतर सैन्य शक्ति बना दिया है और हमारी सैन्य ऊर्जा ने इसे विकसित किया है किसी से छीनी नहीं गई है बल्कि यह हमारी अपनी ऊर्जा है जिसे हमारे देश ने अपने खर्च पर हासिल किया है।
राष्ट्रपति रायसी ने कहा कि हमारी सेना आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित है, हमारे गार्ड मजबूत और ऊर्जावान हैं और क्षेत्र की सेनाएं हमारे सशस्त्र बलों पर भरोसा कर सकती हैं।
ईरान के राष्ट्रपति ने सेना, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स, पीपुल्स वालंटियर फोर्स बासिज और अन्य सशस्त्र बलों और लोगों की एकता पर जोर देते हुए कहा कि हमारे सशस्त्र बल लोगों के साथ खड़े हैं, कोरोना महामारी के दौरान वे लोगों के साथ थे, उन्होंने लोगों की सेवा की, प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में, वे लोगों की मदद के लिए आगे बढ़ते हैं और सीमाओं की रक्षा करते हैं और लोगों, प्यारे देश और इस्लामी क्रांति के मूल्यों की रक्षा में अपनी जान देकर आतंकवादियों से लड़ते हैं। .
उन्होंने कहा कि ये हमारे सशस्त्र बलों की विशेषताएं हैं, क्षेत्र और दुनिया के लोग हमारे सशस्त्र बलों की भूमिका से परिचित हैं।
ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि अल-अक्सा स्टॉर्म ऑपरेशन के बाद हमारे ऑपरेशन सादिक ने इजराइल के बचे हुए भ्रम को भी नष्ट कर दिया और दुनिया के सामने साबित कर दिया कि इजराइल मकड़ी के जाल से भी कमजोर है.
उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में हमारी सेना और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने ज़ायोनी सरकार को उसकी आक्रामकता के लिए दंडित किया। यह एक सोची-समझी और योजनाबद्ध कार्रवाई थी और दुनिया भर के लोगों और अमेरिका तथा ज़ायोनी सरकार के अन्य समर्थकों को बताया गया कि हमारी सेनाएँ पूरी तरह से तैयार हैं और अपने सर्वोच्च कमांडर के आदेश की प्रतीक्षा कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि "ऑपरेशन हामिद सादिक" एक सीमित ऑपरेशन था, व्यापक नहीं। अगर हमने व्यापक ऑपरेशन चलाया होता तो दुनिया देख लेती कि ज़ायोनी सरकार का सफाया हो गया है भविष्य में एक छोटी सी गलती पर भी हमारी प्रतिक्रिया बहुत भयानक और शिक्षाप्रद होगी।
एशिया की कुश्ती में ईरान चैंम्पियनः
हैवी वेट की फ्री स्टाइल की कुश्ती में अमीन मिर्ज़ाज़ादे चैंम्पियन
ईरान एशिया में होने वाली आज़ाद कुश्ती में चैंम्पियन बनने के बाद फ्रीस्टाइल कुश्ती में भी एशिया में चैंम्पियन बन गया। ईरान की फ्री स्टाइल कुश्ती की टीम ने चार स्वर्ण पदक, तीन रजत पदक और दो कांस्य पदक जीतकर एशिया में चैंम्पियन का खिताब जीत लिया।
टीमों के वर्गीकरण में 200 अंकों के साथ ईरानी टीम चैंम्पियन बनी।
टीमों के अंकों की तालिका इस प्रकार है
ईरान 200 अंक
क़िरक़िज़िस्तान 144 अंक
जापान 142 अंक
4- क़ज़्ज़ाकिस्तान 130 अंक
5- दक्षिण कोरिया 112 अंक
6- उज़बेकिस्तान 106 अंक
7- चीन 97 अंक
8- उत्तरी कोरिया 54 अंक
9- इराक़ 31 अंक
10- मंगोलिया 28
इन मुक़ाबलों से पहले क़िरक़िज़िस्तान के बिश्केक शहर में एशिया की 23 टीमों की उपस्थिति में आज़ाद कुश्ती हुई थी जिसमें ईरानी टीम ने आठ पदकों को हासिल करके एशिया में चैंम्पियन का खिताब जीत लिया था।
ईरान के इस्फ़हान नगर के यहूदी उपासनागृहों पर एक नज़र
इस्फ़हान में यहूदियों के कई उपासना स्थल हैं जिनको synagogue सिनेगॉग कहा जाता है।
ईरान के केन्द्र में स्थित इस्फ़हान नगर ने सारे ही आसमानी धर्मों के टूरिस्टों के लिए उचित अवसर उपलब्ध करवाया है। ईरान के भीतर यहूदियों के उपासनागृहों की उपस्थति, उनकी मरम्मत और उचित देखभाल, इस बात की साक्षी है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, देश के भीतर अल्पसंख्यकों की आज़ादी पर कितना ध्यान देता है।
इस्फ़हान में सेटेल होने के बाद यहूदियों को वहां पर अपने लिए उपासनागृह या synagogue बनाने का अवसर उपलब्ध हुआ। यहूदियों के यह उपासनागृह, विभिन्न कालों में मौजूद रहे हैं। वर्तमान समय में क़ाजार काल से संबन्धित उनके यह उपासनास्थल आज भी बाक़ी हैं।
यहूदी उपासनागृहों की वास्तुकला, लगभग ईसाइयों के गिरजाघरों जैसी है लेकिन उनके एक अंतर यह है कि उनके भीतर किसी भी प्रकार की साज-सज्जा नहीं की गई है। यहूदियों की यह परंपरा है कि वे इंसान के चित्रों को दीवारों पर नहीं बनाते हैं।
सजावट के हिसाब से यहूदी उपासनागृहों की इमारतों में मेहराबों पर तो थोड़ी चित्रकारी है किंतु वहां पर उन चबूतरों या ऊंचे स्थानों का अभाव है जिसपर बैठकर धार्मिक आयोजित संपन्न किये जाते हैं। इनकी वास्तुकला साधारण और पर्यावरण के अनुकूल तथा टिकाऊ होती है।
इस्फ़हान नगर के सात यहूदी उपासनागृहों को अबतक ईरान की राष्ट्रीय धरोहर की सूचित में अंकित किया जा चुका है।
अमू शाइया सिनेगॉग
इस्फ़हान में जो सबसे प्राचीन सिनेगॉग है उसका नाम "अमू शाइया" है। यह वहां के जूईबारे क्षेत्र में स्थित है। यहां से सबसे निकट मुसलमानों के मुहल्ले के पास "मेरानीसियान" सिनेगॉग मौजूद है।
इस इमारत के हर गुंबददार मेहराब के ऊपरी हिस्से पर रोशनदान है जिसके माध्यम से उपासनास्थल के निकट प्रकाश आसानी आ जाता है। इस सिनेगॉग का बाहरी भाग बहुत सादा सा है जबकि उसके आंतरिक भाग को कई तरह से सजाया गया है।
अमू शाइया सिनेगॉग, जिसके भीतर थोड़ी सी सजावट की गई है
मोला याक़ूब सिनेगॉग
इस्फ़हान के जूबियार मुहल्ले के कमाल नामक मार्ग पर वहां के एक कवि कमालुद्दीन इस्माईल के मक़बरे के निकट सौ साल पुराना यह यहूदी उपासना स्थिल है।
इस मक़बरे के तहख़ाने में इस्फ़हान में रहने वाले बहुत से प्रमुख यहूदियों की क़ब्रे हैं। यही पर इसके बनवाने वाले मोला याक़ूब की भी क़ब्र है। इस उपासना स्थल में प्रवेश, इसके दक्षिणी भाग से होता है।
इसके दूसरे भाग में सीढ़ियों का एक रास्ता है जो महिलाओं के लिए बनाई गई है जो इमारत के दक्षिणी छोर से जुड़ी हुई है। ऊपर की ओर एक खिड़की है जो धार्मिक दृषटि से बैतुल मुक़द्दस की ओर खुले रहने के आदेश का पालन कर रही है। जूबियार क्षेत्र में पाए जाने वाले अधिकांश सिनेगॉग की ही भांति इस उपासना स्थल में भी एक केन्द्रीय गुंबद बना हुआ है।
एक शताब्दी से अधिक पुराना मोला याक़ूब सिनेगॉग
मोलानिसान सिनेगॉग
इस यहूदी उपासनास्थल को बने हुए 87 साल पूरे हो चुके हैं। विदित रूप से बहुत सादा होने के बावजूद यह आज भी इस्फ़हान के सुन्दर सिनेगॉग में से एक है। इसका फर्श, गली की सतह से लगभग एक मीटर नीचे हैं। इस इमारत का रास्ता एक छोटे से मार्ग से होकर उपासना स्थल और आंगन की ओर जाता है।
हालांकि यह सिनेगॉग दूसरे सिनेगॉग की तरह बना हुआ है किंतु इसकी छत पर किया गया काम अन्य सिनेगॉग से कुछ भिन्न है। इसके भीतर तौरेत के लिए एक स्थान को बहुत ही ख़ूबसूरती से सजाया गया है जो देखने वाले को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इस सिनेगॉग के पश्चिमी हिस्से में दो बड़ी खिड़कियां हैं जहां पर अलग-अलग अवसरों पर तौरेत रखी जाती है। इसके पूर्वी क्षेत्र में एक अलग जगह को महलाओं से विशेष किया गया है जो उसका पूर्वी हिस्सा है। एक हिसाब से यह उपासनागृह से मिला हुआ है।
मोलानिसान सिनेगॉग
शकरा सिनेगॉग
इस यहूदी उपासना स्थल में लगे हुए एक पर्दे पर हेब्रु भाषा में लिखे अंकों से पता चलता है कि इसका निर्माण 198 साल पहले हुआ था। इस इमारत को कुछ इर तरह से बनाया गया है कि इसमें प्रविष्ट होने के बाद कुछ क़दम चलकर एक दालान पड़ेगा जहां अंधेरा रहता है। यह हिस्सा गली की ऊंचाई से तीन सीढ़ी नीचा है। यहां पर पहुंचकर बाहरी हिस्से से संपर्क पूरी तरह से कट जाता है। इसका कारण यह बताया गया है कि इस तरह से सिनेगॉग में आने वाले का संपर्क यहां पर पहुंचकर बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कट जाए ताकि यहां पर आने वाले को एक आध्यात्मिक वातारण के लिए तैयार किया जा सके। इस उपासनागृह में प्रवेश, बैतुल मुक़द्दस वाली पूर्वी दिशा से होता है।
शकरा सिनेगॉग
केटर डेविड सिनेगॉग
इस समय इस्फ़हान में स्थित केटर डेविड सिनेगॉग में लगभग 500 साल पहले लिखी गई एक प्राचीन तौरेत मौजूद है। इसको किसी हलाल जानवर की खाल पर लिखा गया है। यहूदियों की परंपरा के अनुसार इस धार्मिक ग्रंथ के कुछ हिस्से को हर दिन पढ़ा जाता है ताकि एक साल में कम से कम एक बार पूरी तौरेत पढ़ी जा सके।
केटर डेविड सिनेगॉग
इस्लामी गणतंत्र ईरान में रहने वाले अल्पसांख्यकों को पूरी आज़ादी हासिल है। वे लोग बिना किसी रुकावट के अपने धार्मिक कार्यक्रमों को आयोजित कर सकते हैं। हालांकि कुछ यूरोपीय देशों में मुसलमानों को अपनी धार्मिक गतिविधियां करने की अनुमति नहीं है। वहां पर मुसलमान लड़कियां, स्कूलों में हिजाब के साथ नहीं जा सकतीं।
ईरान में रहने वाले यहूदी यहां पर न केवल अपने धार्मिक कार्यक्रमों को करने के लिए स्वतंत्र हैं बल्कि उनको संसद में अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजने का भी अधिकार है। यह वह काम है जो इस्राईल में संभव नहीं है। अवैध ज़ायोनी शासन, बैतुल मुक़द्दस में रहने वाले मुसलमानों को राजनीतिक मामलों में दाख़िल होने की अनुमति नहीं देता है जबकि वहां के मूल निवासी वे ही हैं।
औरत , शादी शुदा ज़िन्दगी
शादी इंसानी ज़िन्दगी का अहम तरीन मोड़ है जब दो इंसान अलग लिंग से होने के बावजूद एक दूसरे की ज़िन्दगी में मुकम्मल तौर से दख़ील हो जाते हैं और हर को दूसरे की ज़िम्मेदारी और उसके जज़्बात का पूरे तौर पर ख़्याल रखना पड़ता है। इख़्तिलाफ़ की बेना पर हालात और फ़ितरत के तक़ाज़े जुदागाना होते हैं लेकिन हर इंसान को दूसरे के जज़्बात के पेशेनज़र अपने जज़्बात और अहसासात की मुकम्मल क़ुरबानी देनी पड़ती है।
क़ुरआने मजीद ने इंसान को इतमीनान दिलाया है कि यह कोई ख़ारेजी राबता नही है जिसकी वजह से उसे मसायल व मुश्किलात का सामना करना पड़े बल्कि यह एक फ़ितरी मामला है जिसका इंतेज़ाम ख़ालिक़े फ़ितरत ने फ़ितरत के अंदर वदीयत कर दिया है और इंसान को उसकी तरफ़ मुतवज्जेह भी कर दिया है। जैसा कि इरशाद होता है:
و من آيايه ان خلق لکم من انفسکم ازواجا لتسکنوا اليها و جعل بينکم موده و رحمه ان فی ذالک لآيات لقوم يتفکرون (سوره روم)
और अल्लाह की निशानियों में से यह भी है कि उसने तुम्हारा जोड़ा तुम ही में से पैदा किया है ताकि तुम्हे सुकूने ज़िन्दगी हासिल हो और फिर तुम्हारे दरमियान मवद्दत व रहमत क़रार दी है इसमें साहिबाने फ़िक्र के लिये बहुत सी निशानियाँ पाई जाती हैं।
बेशक इख़्तिलाफ़ सिन्फ़, इख़्तिलाफ़े तरबीयत, इख़्तिलाफ़े हालात के बाद मवद्दत व रहमत का पैदा हो जाना एक अलामते क़ुदरत व रहमते परवरदिगार है जिसके लिये बेशुमार शोबे हैं और हर शोबे में बहुत सी निशानियाँ पाई जाती हैं। आयते करीमा में यह बात भी वाज़ेह कर दी गई है कि जोड़ा अल्लाह ने पैदा किया है यानी यह मुकम्मल ख़ारेजी मसला नही है बल्कि दाख़िली तौर पर हर मर्द में औरत के लिये और हर औरत में मर्द के लिये सलाहियत रख दी गई है ता कि एक दूसरे को अपना जोड़ा समझ कर बर्दाश्त कर सके और उससे नफ़रत व बेज़ारी का शिकार न हो और उसके बाद रिश्ते के ज़ेरे असर मवद्दत व रहमत का भी क़ानून बना दिया ताकि फ़ितरी जज़्बात और तक़ाज़े पामाल न होने पाएँ। यह क़ुदरत की हकीमाना निज़ाम है जिससे अलाहिदगी इंसान के लिये बेशुमार मुश्किलात पैदा कर सकती है चाहे इंसाने सियासी ऐतेबार से इस अलाहिदगी पर मजबूर हो या जज़्बाती ऐतेबार से क़सदन
मुख़ालेफ़त करे। अवलिया ए ख़ुदा भी अपनी शादी शुदा ज़िन्दगी से परेशान रहे हैं तो उसका भी राज़ यही था कि उन पर सियासी, और तबलीग़ी ऐतेबार से यह फ़र्ज़ था कि ऐसी औरतों से निकाह करें और उन मुश्किलात का सामना करें ताकि दीने ख़ुदा फ़रोग़ हासिल कर सके और तबलीग का काम अंजाम पा सके। फ़ितरत अपना काम बहरहाल कर रही थी यह और बात है कि वह शरअन ऐसी शादी पर मजबूर और मामूर थे कि उनका एक मुस्तक़िल फ़र्ज़ होता है कि तबलीग़े दीन की राह में ज़हमते बर्दाश्त करें क्योकि तबलीग़ का रास्ता फूलों की सेज से नही गुज़रता है बल्कि पुर ख़ार वादियों से हो कर गुज़रता है।
उसके बाद क़ुरआने हकीम ने शादी शुदा ज़िन्दगी को मज़ीद बेहतर बनाने के लिये दोनो जोड़े की नई ज़िम्मेदारियों का ऐलान किया और इस बात को वाज़ेह कर दिया कि सिर्फ़ मवद्दत और रहमत से बात तमाम नही हो जाती है बल्कि कुछ उसके ख़ारेजी तक़ाज़े भी हैं जिन्हे पूरा करना ज़रुरी है वर्ना क़ल्बी मवद्दत व रहमत बे असर हो कर रह जायेगी और उसका कोई नतीजा हासिल न होगा। इरशाद होता है:
هن لباس لکم انتم لباس لهن (سوره بقره آيت ۱۸۷)
औरतें तुम्हारे लिये लिबास हैं और तुम उनके लिये लिबास हो।
यानी तुम्हारा ख़ारेजी और समाजी फ़र्ज यह है कि उनके मामलात की पर्दा पोशी करो और उनके हालात को उसी तरह ज़ाहिर न होने जिस तरह लिबास इंसान की बुराईयों को ज़ाहिर नही होने देता है। इसके अलावा तुम्हारा एक फ़र्ज़ यह भी है कि उन्हे जम़ाने के सर्द व गर्म से बचाते रहो और वह तुम्हे ज़माने की सर्द व गर्म हवाओं से महफ़ूज़ रखें कि यह मुख़्तलिफ़ हवाएँ और फ़ज़ाएँ किसी भी इंसान की ज़िन्दगी को ख़तरे में डाल सकती हैं और उसके जान व आबरू को तबाह कर सकती हैं। दूसरी जगह इरशाद होता है:
نساءکم حرث لکم فاتوا حرثکم انی شءتم (سوره بقره)
तुम्हारी औरते तुम्हारी खेतियाँ हैं लिहाज़ा अपनी खेतियों में जब और जिस तरह चाहो आ सकते हो। (शर्त यह है कि खेती बर्बाद न होने पाये।)
इस बेहतरीन जुमले से बहुत से मसलों को हल तलाश किया गया है। पहली बात तो यह कि बात को एक तरफ़ा रखा गया है और लिबास की तरह दोनो को ज़िम्मेदार नही बनाया गया है बल्कि मर्द को मुख़ातब किया गया है कि इस रुख़ से सारी ज़िम्मेदारी मर्द पर आती है और खेती की सुरक्षा का सारा इंतेज़ाब किसान पर होता है खेत का इसका कोई ताअल्लुक़ नही होता जबकि पर्दा पोशी और ज़माने के सर्द व गर्म बचाना दोनो की ज़िम्मेदारियों में शामिल था।
दूसरी तरफ़ इस बात की वज़ाहत भी कर दी गई है कि औरत से संबंध और ताअल्लुक़ में उसकी उस हैसियत का लिहाज़ बहरहाल ज़रुरी है कि वह खेत की हैसियत रखती है और खेत के बारे में किसान को यह इख़्तियार को दिया गया जा सकता है कि फ़स्ल के तक़ाज़ों को देख कर खेत को वैसे ही छोड़ दे और खेती न करे लेकिन यह इख़्तियार नही दिया जा सकता है कि उसे तबाह व बर्बाद कर दे और समय से पहले या फस्ल के होने से पहले ही फसे काटना शुरु कर दे इसलिये इसे खेती नही कहते बल्कि हलाकत कहते हैं और हलाकत किसी भी क़ीमत पर जायज़ नही क़रार दी जा सकती।
मुख़्तसर यह कि इस्लाम ने शादी को पहली मंज़िल में फ़ितरत का तक़ाज़ा क़रार दिया फिर दाख़िली तौर पर उसमें मुहब्बत व रहमत की इज़ाफ़ा किया और ज़ाहिरी तौर पर हिफ़ाज़त और पर्दा पोशी को उसका शरई नतीजा क़रार दिया और आख़िर में इस्तेमाल की सारी शर्तें और क़ानून की तरफ़ इशारा कर दिया ताकि किसी बद उनवानी, बेरब्ती और बेलुत्फ़ी पैदा न होने पाये और ज़िन्दगी ख़ुश गवार अंदाज़ में गुज़र जाये।
शादी शुदा ज़िन्दगी की सुरक्षा
शादी शुदा ज़िन्दगी की सुरक्षा के लिये इस्लाम ने दो तरह के इंतेज़ामात किये हैं: एक तरफ़ इस रिश्ते की ज़रूरत और अहमियत और उसकी सानवी शक्ल की तरफ़ इशारा किया है तो दूसरी तरफ़ उन तमाम रास्तो पर पाबंदी लगा दी है जिसकी वजह से यह रिश्ता ग़ैर ज़रुरी या ग़ैर अहम हो जाता है और मर्द को औरत या औरत को मर्द की ज़रूरत नही रह जाती है। इरशाद होता है:
ولا تقربوا الزنا انه کان فاحشه و ساء سبيلا (سوره اسراء)
और ख़बरदार ज़ेना के क़रीब भी न जाना कि यह खुली हुई बे हयाई और बदतरीन रास्ता है।
इस आयत में ज़ेना की दोनो बुराईयों की वज़ाहत की गई है कि शादी के मुमकिन होते हुए और उसके क़ानून के रहते हुए ज़ेना और बदकारी एक खुली हुई बे हयाई है कि यह ताअल्लुक़ उन्ही औरतों से क़ायम किया जाये जिन से निकाह हो सकता है तो भी क़ानून से ख़िलाफ़ काम करना या इज़्ज़त से खेलना एक बेग़ैरती है और अगर उन औरतों से रिश्ता क़ायम किया जाये जिन से निकाह मुमकिन नही है और उनका कोई पवित्र रिश्ता पहले से मौजूद है तो यह मज़ीद बेहयाई है कि इस तरह उस रिश्ते की भी तौहीन होती है और उसकी पवित्रता भी पामाल होती है।
फिर मज़ीद वज़ाहत के लिये इरशाद होता है:
ان الذين يحبون ان تشيع الفاحشه فی الذين آمنوا لهم عذاب الهم (سوره نور)
जो लोग इस बातो को दोस्त रखते हैं कि ईमान वालों के दरमियान बदकारी और बे हयाई फ़ैलाएँ तो उन के लिये दर्दनाक अज़ाब (सज़ा) है।
जिसका मतलब यह है कि इस्लाम इस क़िस्म के जरायम को आम करने और उसके फ़ैलाने दोनो को नापसंद करता है इसलिये कि इस तरह से एक तो एक इंसान की इज़्ज़त ख़तरे में पड़ जाती है और दूसरी तरफ़ ग़ैर मुतअल्लिक़ लोग में ऐसे जज़्बात पैदा हो जाते हैं और उनमें जरायम को आज़माने और उसका तजरुबा करने का शौक़ पैदा होने लगता है जिस का वाज़ेह नतीजा आज हर निगाह के सामने है कि जबसे फ़िल्मों और टी वी के ज़रिये जिन्सी मसायल को बढ़ावा मिलने लगा है हर क़ौम में बे हयाई में इज़ाफ़ा हो गया है और हर तरफ़ उसका दौर दौरा हो गया है और हर इंसान में उसका शौक़ पैदा हो गया है जिसका मुज़ाहरा सुबह व शाम क़ौम के सामने किया जाता है और उसका बदतरीन नतीजा यह हुआ है कि पच्छिमी समाज में सड़कों पर खुल्लम खुल्ला वह हरकतें हो रही हैं जिन्हे आधी रात के बाद फ़िल्मों के ज़रिये से पेश किया जाता है और उनके
अपने गुमान के अनुसार अख़लाक़ियात का पूरी तरह से ख़्याल रखा जाता है और हालात इस बात की निशानदही कर रहे हैं कि आने वाला समय उससे भी ज़्यादा बद तर और भयानक हालात साथ लेकर आ रहा है और इंसानियत मज़ीद ज़िल्लत के किसी गढ़े में गिरने वाली है। क़ुरआने मजीद ने उन्हा ख़तरों को देखते हुए ईमान वालों के दरमियान इस तरह के बढ़ावे को मना और हराम क़रार दिया है ताकि एक दो लोगों की बहक जाना सारे समाज पर असर न डाल सके और समाज तबाही और बर्बादी का शिकार न हो। अल्लाह तआला ईमान वालों को इस बला से बचाये रखे।
ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा: अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक ने दोहराया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है और हाल के तनावों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में एजेंसी की निगरानी गतिविधियों को प्रभावित नहीं किया है।
न्यूयॉर्क के दौरे पर आए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ईरान में हमारे निरीक्षकों को वहां की सरकार ने कल ही सूचित कर दिया था जिन परमाणु सुविधाओं का हम प्रतिदिन निरीक्षण करते हैं वे सुरक्षा कारणों से बंद हैं।
राफेल ग्रॉसी ने कहा, "निरीक्षण जारी रखने के लिए ये केंद्र आज खोले गए थे, लेकिन मैंने फैसला किया है कि हमारे निरीक्षक तब तक वापस नहीं लौटेंगे, जब तक स्थिति शांत नहीं हो जाती, इसलिए हम कल अपना काम फिर से शुरू करेंगे।"
यह कहते हुए कि हालिया तनाव से एजेंसी की गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ा है, उन्होंने कहा, "हम ईरान में हैं और अपना काम जारी रखेंगे।"
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम में नए विकास के बारे में एक सवाल के जवाब में कुछ राजनीतिक दावों को दोहराया और कहा कि ईरान के पास समृद्ध यूरेनियम का बड़ा भंडार है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ईरान के पास परमाणु हथियार हैं।
उन्होंने कहा, "जहां तक एजेंसी का सवाल है, हमारे पास इस बात की कोई जानकारी या संकेत नहीं है कि ईरान के पास परमाणु हथियार कार्यक्रम है।" ग्रॉसी ने उम्मीद जताई कि वह अगले कुछ हफ्तों में तेहरान का दौरा करेंगे और स्थिति को वापस पटरी पर लाएंगे।
अगर अमेरिका को होश नहीं आया तो बड़े युद्ध का सामना करना पड़ेगा: माइक टर्नर
यूएस हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष माइक टर्नर ने ईरान के खिलाफ किसी भी संभावित सैन्य कार्रवाई में वाशिंगटन के हस्तक्षेप के परिणामों की चेतावनी दी है।
अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की इंटेलिजेंस कमेटी के प्रमुख माइक टर्नर ने माना है कि अगर अमेरिकी सरकार यह नहीं समझती कि वह बढ़ते युद्ध का सामना कर रही है, इतने बड़े युद्ध का शिकार हो जाओगे जिसके पास बहुत कम विकल्प बचेंगे-
टर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि वाशिंगटन को इस स्तर पर ईरान के खिलाफ किसी भी संभावित सैन्य कार्रवाई से बचना चाहिए, लेकिन अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा कि ऐसा करने में अमेरिका की विफलता के कुछ परिणाम होंगे।
माइक टर्नर ने दावा किया कि पश्चिम एशिया में संभावित तनाव को देखते हुए, यूक्रेन और इज़राइल जैसे सहयोगियों को अमेरिकी समर्थन की आवश्यकता होगी।
ईरान का गाजा को मानवीय और चिकित्सा सहायता भेजने पर जोर
۔ईरान के विदेश मंत्री ने गाजा को मानवीय और चिकित्सा सहायता भेजने में अंतरराष्ट्रीय संगठनों, विशेषकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर जोर दिया।
ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियान ने तेहरान में पूर्वी भूमध्य क्षेत्र के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक हनान बाल्खी के साथ एक बैठक में कहा कि गाजा में कब्जे वाले ज़ायोनी शासन के अपराध और नरसंहार केवल बमबारी तक सीमित नहीं हैं। बल्कि घेराबंदी के कारण भुखमरी, बीमारी और दवा की कमी के कारण बच्चे और महिलाएं अपनी जान गंवा रहे हैं।
पूर्वी भूमध्य सागर के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय निदेशक ने गाजा को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय संगठन के प्रयासों का भी उल्लेख किया और कहा कि ये प्रयास गाजा के खिलाफ ज़ायोनी शासन के अपराधों और हमलों के कारण हैं अब तक फलदायी साबित नहीं हुआ.
हनान बाल्खी ने आशा व्यक्त की कि गाजा में कब्जे वाले ज़ायोनी शासन के अपराधों के अंत के साथ, फिलिस्तीनी लोगों के लिए मानवीय और चिकित्सा सहायता और टीके, दवा और भोजन तक पहुंच का अवसर मिलेगा।
ईरान के खिलाफ आक्रामकता का जवाब दुश्मन के लिए बेहद दुखद होगा: ईरान के राष्ट्रपति
राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रायसी ने चेतावनी दी है कि ईरान के खिलाफ किसी भी आक्रामकता का ऐसा जवाब दिया जाएगा जो दुश्मन के लिए बेहद दुखद होगा।
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से फोन पर बात करते हुए कहा कि जैसा कि हम पहले ही आधिकारिक स्तर पर घोषणा कर चुके हैं, का वादा ऑपरेशन सादिक के हमलावरों को सज़ा सफलतापूर्वक दी गई।
राष्ट्रपति ने कहा कि अब हम गंभीरता से घोषणा करते हैं कि ईरान के हितों के खिलाफ थोड़ी सी भी कार्रवाई के लिए जिम्मेदार लोगों को भयानक, दर्दनाक और कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी।
सैयद इब्राहिम रायसी ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से ज़ायोनीवादियों की बाल हत्या, नरसंहार और भयानक अपराधों की श्रृंखला जारी है, लेकिन गाजा के उत्पीड़ित और शक्तिशाली लोग अपनी दृढ़ता और धीरज से सफल होंगे।
राज्य के राष्ट्रपति ने एक बार फिर गाजा में ज़ायोनी सरकार के अपराधों से पूरी तरह से लड़ने की आवश्यकता पर बल दिया और कुछ पश्चिमी देशों द्वारा ज़ायोनी सरकार के अंध समर्थन को क्षेत्र में तनाव का कारण बताया।
इस टेलीफोन वार्ता में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलिस्तीनी लक्ष्यों के लिए मजबूत जनसमर्थन है, जबकि ज़ायोनी सरकार अपने अपराधों से विश्व जनमत का ध्यान भटकाना चाहती है गाजा में तनाव बढ़ाकर.
क़तर के अमीर ने ज़ायोनी सरकार के अपराधों का जवाब देने में इस्लामी गणतंत्र ईरान की समझ और बुद्धिमत्ता की सराहना की और इसे सभी के लिए एक स्पष्ट संदेश बताया।