
رضوی
मस्जिदुल अक़्सा का द्वार खुला, नेतेनयाहू पिछे हटे
यूनिस्को ने एक प्रस्ताव पारित करके कहा था कि क़ुद्स के पवित्र स्थलों विशेषकर मस्जिदुल अक़्सा से जायोनी शासन का कोई इतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृत संबंध नहीं है
इस्राईल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतेनयाहू को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के भीतर और बाहर बड़े पैमाने पर आपत्तियों का सामना करना पड़ा जिसके बाद विवश होकर वह मस्जिदुल अक़्सा को बंद करने के अपने निर्णय से पीछे हट गये।
जायोनी सैनिकों ने शुक्रवार को बिनयामिन नेतेनयाहू के आदेश से फिलिस्तीनी नमाज़ियों के लिए मस्जिदुल अक्सा को बंद कर दिया था। बिनयामिन नेतेनयाहू के इस क़दम पर बैतुल मुक़द्दस, रामल्लाह और दूसरे क्षेत्रों में फिलिस्तीनियों ने कड़ी आपत्ति जताई।
फिलिस्तीनी युवाओं ने शनिवार की रात को मस्जिदुल अक्सा के पास जायोनी सैनिकों के घेरे को तोड़कर इस मस्जिद में प्रवेश करने का प्रयास किया किन्तु जायोनी सैनिकों ने मार -पीट कर उन्हें मस्जिद में प्रवेश करने से रोक दिया।
हज़ारों फ़िलिस्तीनियों ने शनिवार की रात को मग़रिब की नमाज़ मस्जिदुल अक़्सा के निकट पढ़ी। मस्जिदु अक़्सा का दरवाज़ा बंद किये जाने पर ईरान सहित बहुत से इस्लामी देशों ने इस पर प्रतिक्रिया जताई है।
ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने ज़ायोनी शासन के इस क़दम की भर्तस्ना करते हुए कहा है कि नमाज़ियों के लिए मस्जिदु अक़्सा का दरवाज़ा बंद करना निंदनीय और मानवाधिकार के बुनियादी सिद्धातों के ख़िलाफ़ है।
ज्ञात रहे कि कुद्स और मस्जिदुल अक्सा के संबंध में जायोनी शासन की वर्चस्वादद कार्यवाहियां ऐसी स्थिति में हो रही हैं जब पिछले वर्ष यूनिस्को ने एक प्रस्ताव पारित करके कहा था कि क़ुद्स के पवित्र स्थलों विशेषकर मस्जिदुल अक़्सा से जायोनी शासन का कोई इतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृत संबंध नहीं है और इस मस्जिद को मुसलमानों के लिए पवित्र स्थल बताया था
3 जुलाई की हृदय विदारक घटना, जो अमरीका के लिए हमेशा कलंक बनी रहेगी
अमरीका की सरकारों में मानवता विरोधी भावना धीरे धीरे बहुत गहराई तक उतर चुकी है।
अमरीकी सरकार मानवाधिकारों की रक्षा का दिखावा करती है लेकिन उसने इतने भयानक रूप से मानवाधिकारों का हनन किया है जिसका कोई और उदाहरण नहीं है।
12 तीर बराबर 3 जुलाई भी एेसी ही एक तारीख़ है जो अमरीका के घिनौने सरकारी अपराध की याद दिलाती है। अमरीका ने यह अपराध ईरान के ख़िलाफ़ अंजाम दिया था।
12 तीर 1367 हिजरी शम्सी बराबर 3 जुलाई 1988 को अमरीकी युद्धपोत ने फ़ार्स की खाड़ी के ऊपर से गुज़र रहे ईरान के यात्री विमान पर मिसाइल हमला किया था जिसमें बेगुनाह यात्री शहीद हुए थे।
ईरान में इस घटना की याद हर साल मनाई जाती है और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस साल भी अपने एक बयान में शहीदों को श्रद्धांजलि दी और अपराधियों की निंदा की है।
3 जुलाई की हृदय विदारक घटना, जो अमरीका के लिए हमेशा कलंक बनी रहेगी
अमरीका की सरकारों में मानवता विरोधी भावना धीरे धीरे बहुत गहराई तक उतर चुकी है।
अमरीकी सरकार मानवाधिकारों की रक्षा का दिखावा करती है लेकिन उसने इतने भयानक रूप से मानवाधिकारों का हनन किया है जिसका कोई और उदाहरण नहीं है।
12 तीर बराबर 3 जुलाई भी एेसी ही एक तारीख़ है जो अमरीका के घिनौने सरकारी अपराध की याद दिलाती है। अमरीका ने यह अपराध ईरान के ख़िलाफ़ अंजाम दिया था।
12 तीर 1367 हिजरी शम्सी बराबर 3 जुलाई 1988 को अमरीकी युद्धपोत ने फ़ार्स की खाड़ी के ऊपर से गुज़र रहे ईरान के यात्री विमान पर मिसाइल हमला किया था जिसमें बेगुनाह यात्री शहीद हुए थे।
ईरान में इस घटना की याद हर साल मनाई जाती है और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस साल भी अपने एक बयान में शहीदों को श्रद्धांजलि दी और अपराधियों की निंदा की है।
फ़ारसी सीखें , 22वां पाठ
मुहम्मद और सईद विश्वविद्यालय में हैं और कुछ छात्रों के साथ विश्वविद्यालय के हाल में खड़े बातें कर रहे हैं। व्यायाम और खेल कूद का हाल, छात्रों के एकत्रित होने और वालीबाल, बास्केटबाल, टेनिस और ऐसे ही के लिए बड़ा उचित स्थान है। आज सुश्री नसरीन नेमती विश्वविद्यालय में आई हैं जो पर्वतारोहण की चैम्पियन हैं और विश्वविद्यालय की पर्वतारोही टीम के बारे में छात्रों से बात करना चाहती हैं। मुहम्मद का एक सहपाठी सुश्री नसरीन के साथ हाल में आता है और छात्रों से उनका परिचय कराता है। मुहम्मद उनसे बात करने लगता है। कृपया इन शब्दों और वाक्यों पर ध्यान दें।
همكلاسی सहपाठी
ايشان ये, वे
خانم सुश्री
نسرين نعمتی सुश्री नसरीन
قهرمان चैम्पियन
کوهنوردان पर्वतारोही
کوهنوردی पर्वतारोहण
کوهنوردی کردن पर्वतारोहण करना
آشنايی परिचय
از آشنايی با شما خوشوقتم आपसे मिल कर हर्ष हुआ
متشکرم मैं आपका आभारी हूं
سال वर्ष
سالهاي زياد कई वर्ष
سالهاست कई वर्षों से
شما كوهنوردی می كنيد आप पर्वतारोहण करते हैं
من کوهنوردی مي کنم पर्वतारोहण कर रहा/रही हूं
از وقتی که जब से
دبيرستان कालेज
من می رفتم मैं जाता/जाती थी
من می پرداختم करता/करती थी
ورزش खेल, व्यायाम
کدام कौन सा
قله चोटी
قله ها चोटियां
کوه पर्वत
شما فتح کرده ايد आपने जीता/सर किया है
ما فتح کرده ايم हमने जीता/सर किया है
من فتح کرده ام मैंने जीता/सर किया है
ما فتح كرديم हमने जीता/सर किया
بلند ऊंचा/ऊंची
مثل भांति
تفتان तफ़तान
الوند अलवंद
دماوند दमावन्द
خارج बाहर
كوهنوردی كرده ايد आपने पर्वतारोहण किया है
سال वर्ष
1382 1382/2003
1384 1384/2005
آرارات आरारात
قله ی آرارات माउन्ट आरारात
کجا कहां
ترکيه तुर्की
اورست एवरेस्ट
نيز भी
واقعا वस्तुतः
شما رفته ايد आप गई/गई हैं
خانم सुश्री
آقا श्री
چند कितने
بهار वसंत
अब विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स हाल में चलते हैं और मुहम्मद तथा सुश्री नेमती के बीच होने वाली बात-चीत पर एक दृष्टि डालते हैं।
همكلاسي محمد: ايشان خانم نسرين نعمتي هستند . کوهنورد قهرمان ايران .
ये सुश्री नसरीन नेमती हैं , पर्वतारोहण में ईरान की चैम्पियन।
محمد: خانم از آشنايي با شما خوشوقتم .
आपसे मिल कर हर्ष हुआ।
خانم نعمتي: متشکرم . من هم از آشنايي با شما خوشوقتم
धन्यवाद, मुझे आप लोगों से मिल कर हर्ष हो रहा है।
محمد: سالهاي زيادي است كه شما کوهنوردي مي كنيد ؟
क्या आप कई वर्षों से पर्वतारोहण कर रही हैं?
خانم نعمتي: بله . من سالهاست که کوهنوردي مي کنم . از وقتي که به دبيرستان مي رفتم ، به اين ورزش مي پرداختم .
जी हां, मैं कई वर्षों से पर्वतारोहण कर रही हूं। जब मैं कालेज जाया करती थी, तभी से मैंने पर्वतारोहण आरंभ कर दिया था।
محمد: کدام قله هاي ايران را فتح كرده ايد ؟
आपने ईरान की कौन सी चोटियों को सर किया है ?
خانم نعمتي: خیلی از قله هاي بلند ايران را فتح کرده ام . مثل تفتان ، الوند و دماوند .
मैंने ईरान की अनेक ऊंची ऊंची चोटियों को सर किया है, जैसे तफ़तान, अलवंद और दमावंद
محمد: در خارج از ايران هم كوهنوردي كرده ايد ؟
क्या आपने ईरान के बाहर भी पर्वतारोहण किया है ?
خانم نعمتي: در سال 1382 با گروهي از کوهنوردان ايراني قله ي آرارات را فتح کرديم .
वर्ष 2003 में हमने ईरान के पर्वतारोहियों के एक गुट के साथ माउंट आरारात को सर किया।
محمد: کوه آرارات کجاست ؟
आरारात पर्वत कहां है ?
خانم نعمتي: کوه آرارات يکي از کوههاي بلند ترکيه است . اورست را نيز در سال 1384 فتح کرديم .
आरारात पर्वत, तुर्की के सबसे ऊंचे पहाड़ों में से एक है। हमने वर्ष 2005 में माउंट एवरेस्ट को भी सर किया।
محمد: واقعا" ؟ شما به قله ي اورست هم رفته ايد ؟
वास्तव में आप माउंट एवरेस्ट भी गई हैं?
خانم نعمتي: بله . من و چند خانم و آقاي ايراني ديگر در بهار سال 1384 اورست را فتح کرديم .
जी हां, मैं और कई अन्य ईरानी महिला व पुरुष पर्वतारोहियों ने 2005 के वसंत में एवरेस्ट को सर किया।
आइये एक बार फिर मुहम्मद और सुश्री नेमती की वार्ता एक दृष्टि डालते हैं।
همكلاسي محمد: ايشان خانم نسرين نعمتي هستند . کوهنورد قهرمان ايران .
محمد: خانم از آشنايي با شما خوشوقتم .
خانم نعمتي: متشکرم . من هم از آشنايي با شما خوشوقتم
محمد: سالهاي زيادي است كه شما کوهنوردي مي كنيد ؟
خانم نعمتي: بله . من سالهاست که کوهنوردي مي کنم . از وقتي که به دبيرستان مي رفتم ، به اين ورزش مي پرداختم .
محمد: کدام قله هاي ايران را فتح كرده ايد ؟
خانم نعمتي: خیلی از قله هاي بلند ايران را فتح کرده ام . مثل تفتان ، الوند و دماوند .
محمد: در خارج از ايران هم كوهنوردي كرده ايد ؟
خانم نعمتي: در سال 1382 با گروهي از کوهنوردان ايراني قله ي آرارات را فتح کرديم .
محمد: کوه آرارات کجاست ؟
خانم نعمتي: کوه آرارات يکي از کوههاي بلند ترکيه است . اورست را نيز در سال 1384 فتح کرديم .
محمد: واقعا" ؟ شما به قله ي اورست هم رفته ايد ؟
خانم نعمتي: بله . من و چند خانم و آقاي ايراني ديگر در بهار سال 1384 اورست را فتح کرديم .
मुहम्मद पर्वतारोहण और विभिन्न चोटियों को सर करने के संबंध में सुश्री नेमती से प्रश्न करता है और वे बताती हैं कि उन्होंने पर्वतारोहण और चट्टानों पर चढ़ने व बर्फ़ पर चलने की अनेक क्लासों में भाग लिया है तथा आरारात व एवरेस्ट जैसी चोटियों को सर करने हेतु ईरान और ईरान से बाहर कठिन कैम्पिंग की है। सुश्री नेमती स्पोर्ट्स हाल में विश्वविद्यालय की पर्वतारोही टीम के साथ तेहरान के आस-पास की चोटियों को सर करने के बारे में बात कर रही हैं। विश्वविद्यालय के छात्रों की पर्वतारोही तथा चट्टानों पर चढ़ने वाली टीम अपने आपको देश व्यापि मुक़ाबलों के लिए तैयार कर रही है। सुश्री नेमती की बातें निश्चित रूप से लाभदायक हैं और उनकी बातों से लाभ उठा कर छात्र मुक़ाबले में अच्छा स्थान प्राप्त कर सकते हैं। मुहम्मद को इस बात की बहुत प्रसन्नता है कि उसने ईरान की एक चैम्पियन महिला से भेंट की है। अलबत्ता ईरान में ऐसे बहुत अधिक खिलाड़ी हैं जो राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में भाग लेते हैं और अच्छा स्थान प्राप्त करते हैं।
क्षेत्रीय हंगामों का मुख्य लक्ष्य, फ़िलिस्तीन को भुला देना हैः नसरुल्लाह
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह का कहना है कि क्षेत्र के आजकल के परिवर्तनों का लक्ष्य, ज़ायोनी शासन के हित में फ़िलिस्तीन के विषय को समाप्त करने के लिए माहौल बनाना है।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार को विश्व क़ुद्स दिवस के उपलक्ष्य में अपने संबोधन में कहा कि क्षेत्र की हालिया वर्षों की घटनाओं का मुख्य लक्ष्य, फ़िलिस्तीन मुद्दे को भुला देना है। उनका कहना था कि विश्व शक्तियों और अमरीका के षड्यंत्रों का लक्ष्य, सीरिया सहित प्रतिरोध के मोर्चे को नुक़सान पहुंचाना है। उनका कहना था कि प्रतिरोध का मोर्चा, अरब-इस्राईल षड्यंत्रों में सबसे बड़ी रुकावट है और यही कारण है कि प्रतिरोध के मोर्चे को सबसे बड़ा आतंकवादी गुट बताने का प्रयास किया जा रहा है।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि विश्व क़ुद्स दिवस ईरान या अरब जगत से विशेष नहीं है। उनका कहना था कि विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियां, फ़िलिस्तीन के विषय को ज़िंदा रखने के लिए निकाली जाती हैं और शीघ्र ही समस्त रुकावटों को दूर करके दुनिया के समस्त लोग और राष्ट्र, फ़िलिस्तीन के वैश्विक समर्थन के विषय को पुनर्जीवित करेंगे।
ज़ायोनी शासन के खिलाफ संघर्ष, साम्राज्य और वर्चस्ववाद से संघर्ष, वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने विश्व कु़द्स दिवस को अत्याधिक महत्वपूर्ण बताया और बल दिया कि यह महत्वपूर्ण दिन, एक पीड़ित राष्ट्र के प्रति समर्थन की घोषणा ही नहीं बल्कि विश्व के साम्राज्यवादियों के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनई ने बुधवार की शाम, ईरानी विश्व विद्यालयों के कुछ शिक्षकों , अध्ययनकर्ताओं और बुद्धिजीवियों से मुलाक़ात की ।
वरिष्ठ नेता ने इस मुलाक़ात में आगामी दिनों में विश्व कुद्स दिवस के आयोजन का उल्लेख किया और कहा कि विश्व क़ुद्स दिवस मनाना , एक विस्थापित व पीड़ित राष्ट्र का समर्थन करना ही नहीं है बल्कि आज फिलिस्तीन का समर्थन, फिलिस्तीनी समस्या से कहीं अधिक बड़ी सच्चाई का समर्थन है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि ज़ायोनी शासन से संघर्ष साम्राज्यवादी व वर्चस्वादी व्यवस्था के खिलाफ किया जाने वाला संघर्ष है और इसी लिए अमरीकी राजनेता, इसे अपने प्रति दुश्मनी और हानिकारक समझते हैं।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनई ने इसी प्रकार अपने भाषण के एक हिस्से में शिक्षक के दायित्वों का उल्लेख किया और अतीत में ईरान में शिक्षा क्षेत्र का समस्याओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि पहलवी शासन काल में वर्षों तक पश्चिमियों ने किसी भी दशा में महत्वपूर्ण वैज्ञनिक प्रगति से हमारे विश्व विद्यालयों को अवगत नहीं कराया और उन्होंने ईरानी विश्व विद्यालयों को पश्चिमी मान्यताओं और मूल्यों के स्थानान्तरण का केन्द्र बना दिया था जिसकी वजह से वहां हर प्रकार के विकास का रास्ता बंद हो गया था। (Q.A.)
मस्जिदुल अक़्सा के बारे में दुनिया को गुमराह कर रहा है इस्राईल
फ़िलिस्तीन के विशेषज्ञों का कहना है कि ज़ायोनी शासन ने बड़े योजनाबद्ध ढंग से मस्जिदुल अक़सा की जगह क़ुब्बतुस्सख़रह का प्रचार किया है ताकि लोग मस्जिदुल अक़सा को भूल जाएं।
मस्जिदुल अक़सा और क़ुब्बतुस्सख़रह का फ़र्क़ः
फ़िलिस्तीन के वरिष्ठ पत्रकार सैफ़ुद्दीन नूफ़ेल का कहना है कि ज़ायोनी शासन ने अपनी स्थापना के शुरु से ही अपनी विस्तारवादी योजनाओं को पूरा करने के लिए युद्ध और रक्तपात के साथ ही तथ्यों में हेरफेर की नीति भी अपनाई। एसी ही नीति मस्जिदुल अक़सा के बारे में भी अपनाई गई। मस्जिदुल अक़सा के नाम से क़ुब्बतुस्सख़रह का प्रचार किया गया जो वास्तव में मस्जिदु अक़सा का एक छोटा सा भाग है। खेद की बात यह है कि बहुत से मुसलमान उसी क़ुब्बतुस्सख़रह को मस्जिदुल अक़सा समझ लेते हैं।
फ़िलिस्तीनी नेता ख़ालिद अलअज़बत ने मस्जिदुल अक़सा और क़ुब्बतुस्सख़रह के फ़र्क़ के बारे में बाताया कि अरब व इस्लामी जगत बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में है और इसके पीछे इस्राईल का हाथ है। इस्राईल ने तथ्यों में उलटफेर करने की बड़ी योजनबद्ध कोशिश की है।
सच्चाई यह है कि सुनहरे गुंबद वाली जो मस्जिद मस्जिदुल अक़सा के नाम से दिखाई जाती है वह मस्जिदुल अक़सा का एक भाग है और वह मस्जिदे क़ुब्बतुस्सख़रह है।
बैतुल मुक़द्दस के मामलों के विशेषज्ञ शुएब अबू सनीना ने कहा कि मुसलमानों में फैली इस ग़लत फ़हमी के दो कारण हैं। एक तो यह कि मस्जिदुल अक़सा को ज़ायोनी शासन ने अपने घेरे में ले रखा है और यह घेराबंदी 1967 से चली आ रही है।
दूसरा कारण यह है कि ज़ायोनी शासन बार बार अफ़वाहें फैलाते हैं जिसका नतीजा यह है कि लोगों से मस्जिदुल अक़सा को पहचानने में ग़लती हो जाती है। जैसे कि जब वर्ष 2000 में ज़ायोनी प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने 3000 सैनिकों के साथ मस्जिदुल अक़सा पर हमला किया तो वहां मौजूद नमाज़ियों ने मेज़ और कुर्सी की मदद से उनका मुक़ाबला किया और उसे मस्जिद के प्रांगड़ से बाहर निकाला। एरियल शेरोन ने कहा कि मैं शांति का संदेश लाया हूं मेरा मस्जिदुल अक़सा में प्रवेश करने का कोई इरादा नहीं है। मैं तो केवल प्रांगड़ में आया हूं। इस तरह शेरोन ने यह कहने का प्रयास किया कि प्रांगड़ मस्जिद का भाग नहीं है।
फ़िलिस्तीन के जेहादे इस्लामी संगठन के नेता फ़ुआद अर्राज़िम ने कहा कि सब को पता होना चाहिए कि मस्जिदुल अक़सा में क़ुब्बतुस्सख़रह भी शामिल है, मस्जिदे क़िबला भी शामिल है इसी प्रकार इससे लगे सभी प्रांगड़ मस्जिदुल अक़सा का हिस्सा हैं। इसके अलावा 200 से अधिक प्राचीन अवशेष भी हैं जो मस्जिदुल अक़सा से ही संबंधित हैं।
विश्व क़ुद्स दिवस पर दिल्ली में ऐतिहासिक रैली, हज़ारों की संख्या में शामिल हुए लोग
भारत की राजधानी दिल्ली शुक्रवार को इस्राईल मुर्दाबाद, अमरीका मुर्दाबाद और आले सऊदी मुर्दाबाद के नारों से गूंज उठी।
प्राप्त समाचारों के अनुसार भारत में शिया मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था मजिलसे ओलमाए हिन्द के आह्वान पर फ़िलिस्तीन की अत्याचारपूर्ण जनता के समर्थन में आयोजित रैली में शुक्रवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर हज़ारों लोगों ने पहुंच कर इस्राईल के प्रति अपने विरोध को दर्ज कराया।
पवित्र रमज़ान के अंतिम शुक्रवार को ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की पहल पर शुरू किए गए विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर इस साल मजलिसे ओलमाए हिन्द के आह्वान पर पूरे भारत के लगभग 100 से अधिक शहरों में विश्व क़ुद्स दिवस मानाया गया।
दिल्ली से शमशाद काज़मी की रिपोर्ट : भारत की राजधानी दिल्ली में विश्व क़ुद्स दिवस के मौक़े पर ज़ोरदार प्रदर्शन, दिल्ली से शमशाद काज़मी की रिपोर्ट
राजधानी दिल्ली में जुमे की नमाज़ के बाद हुए विरोध प्रदर्शन में जमकर इस्राईल, अमरीका और आले सऊद के ख़िलाफ़ नारे लगाए गए साथ ही इस्राईल और अमरीका के राष्ट्रीय ध्वज को भी जलाया गया। प्रदर्शनकारी फ़िलिस्तीनी जनता के लिए इंसाफ़ की मांग कर रहे थे।
"ईरान, इराक़ में जनमत संग्रह का विरोधी, मौका मिलते ही डसेगा अमरीका, " एबादी को वरिष्ठ नेता की नसीहत
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने आतंकवादी संगठन दाइश के खिलाफ युद्ध में सभी इराक़ी धड़ों और दलों के मध्य एकजुटता की सराहना करते हुए " जन सेना" को महत्वपूर्ण और इराक़ की शक्ति का कारण बताया है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने मंगलवार की शाम, इराक़ के प्रधानमंत्री " हैदर अलइबादी" से भेंट में कहाः इस्लामी गणतंत्र ईरान, एक पड़ोसी होने के नाते, इराक़ के एक भाग को उससे अलग करने के लिए जनमत संग्रह कराए जाने के लिए की जाने वाली बातों का विरोध करता है और इस विषय को उठाने वालों को, इराक की स्वाधीनता व पहचान का दुश्मन समझता है।
वरिष्ठ नेता इराक की अखंडता पर बल देते हुए कहाः अमरीकियों की ओर से आंखें खुली रखनी चाहिए और किसी भी हालत में उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि अमरीका और उसके पिछलग्गू इराक की " एकता, स्वाधीनता व पहचान" के विरोधी हैं।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई अमरीका और उसके पिछलग्गुओं की ओर से इराक के " स्वंय सेवी बल" या " जन सेना" के विरोध की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमरीकी, स्वंय सेवी बल का विरोध इस लिए कर रहे हैं क्योंकि वह चाहते हैं कि इराक, अपनी शक्ति के सब से बड़े कारक से हाथ धो बैठे।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकियों पर किसी भी हालत में भरोसा न करना क्योंकि वह डसने के लिए मौक़े की तलाश में रहते हैं।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई इराक़ में मतभेद और फूट को अमरीकी के लिए एक मौक़ा बताया और कहाः एेसा मौका अमरीकियों को नहीं दिया जाना चाहिए और इसके साथ ही ट्रेनिंग आदि जैसे बहानों से अमरीकी सैनिकों के इराक में प्रवेश पर भी अंकुश लगाया जाना चाहिए।
वरिष्ठ नेता ने एक बार फिर बल दिया कि आतंकवादी संगठन दाइश के खिलाफ अमरीका की लड़ाई में सच्चाई नहीं है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा ः अमरीका और इलाके में उनके कुछ पिछलग्गू देश, दाइश को जड़ से उखाड़ने की कोशिश नहीं कर रहे हैं क्योंकि दाइश तो उनकी सहायता और उनके धन से पैदा हुआ है इस लिए वह चाहते हैं कि एेसा दाइश संगठन जो उनकी मुट्टी में रहे, वह यथावत इराक़ में सक्रिय रहे।
ईरान में इस्लामी व्यवस्था खत्म करने की इच्छा लिए कई अमरीकी नेता क़ब्र में सो चुके, बाकी का भी यही हाल होगा , वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों और सीरिया में पवित्र स्थलों की रक्षा करने वालों के घरवालों से होने वाली एक भेंट में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान पूरी ताक़त से डटा हुआ है और ईरानी राष्ट्र दुश्मनों के मुंह पर तमांचा मारेगा।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने रविवार की शाम होने वाली इस भेंट में , ईरान के खिलाफ अमरीकी अधिकारियों के हालिया धमकी भरे बयानों की ओर इशारा किया और कहा कि अमरीकी अधिकारियों ने , ईरान में इस्लामी क्रांति के आरंभ से लेकर अब तक हमेशा, इस्लामी व्यवस्था को बदलने का प्रयास किया है किंतु वह ईरानी राष्ट्र को नुक़सान नहीं पहुंचा सकते बल्कि ईरानी राष्ट्र ही उनके मुंह पर तमांचा मारेगा।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति की ओर से बड़ी-बड़ी बातें करना कोई नयी चीज़ नहीं है क्योंकि ईरान की इस्लामी क्रांति को आरंभ से ही दुश्मनों की ओर से कई तरह की साज़िशों का सामना रहा है किंतु दुश्मन ईरानी राष्ट्र का कुछ बिगाड़ नहीं पाए हैं।
वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि जब ईरान की इस्लामी व्यवस्था, एक नया पौधा और कमज़ोर थी तब तो वह उसे नुक़सान पहुंचा नहीं पाए तो अब कि क्या बात है कि जब वह पौधा एक मज़बूत पेड़ बन चुका है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने अमरीकी अधिकारियों द्वारा ईरान में शासन व्यवस्था बदलने के हालिया बयान का उल्लेख करते हुए उनसे पूछ है कि पिछले 38 वर्षों में कब आप लोगों ने ईरान की इस्लामी व्यवस्था को बदलने का प्रयास नहीं किया है लेकिन हमेशा आप लोगों को मुंह की खानी पड़ी हैऔर भविष्य में भी एेसा ही होगा।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान में इस्लामी व्यवस्था बदलने की इच्छा लिए कई अमरीकी नेता अपनी कब्र में सो चुके हैं और आगे भी एेसा ही होने वाला है।
वरिष्ठ नेता ने ईरान में शांति व सुरक्षा को सीमा सुरक्षा बलों और पवित्र स्थलों के रक्षकों के बलिदानों का परिणाम बताया और कहा कि अगर पवित्र स्थलों की रक्षा में शहीद होने वाले न होते तो आज हमें दुष्ट शैतानों और पैगम्बरे इस्लाम के परिजनों के दुश्मनों से ईरान के नगरों में लड़ रहे होते क्योंकि वह इराक़ी सीमाओं से ईरान में घुसने का इरादा रखते थे लेकिन उन्हें रोका गया और तबाह कर दिया गया और अब इराक़ और सीरिया में उन्हें जड़ से उखाड़ा जा रहा है।
पूरी दुनिया दे दें तब भी ईरान से दुश्मनी नहीं करेंगे, हैदर अलएबादी
इराक़ी प्रधान मंत्री हैदर अलएबादी ने उपराष्ट्रपति इयाद अल्लावी के बयान की आलोचना करते हुए बल दिया कि जब तक इराक़ के हित ख़तरे में नहीं पड़ते उस वक़्त तक इराक़ क्षेत्रीय झड़पों में नहीं कूदेगा और किसी को इराक़ के ज़रिए ईरान से दुश्मनी नहीं करने देगा।
समाचार एजेंसी फ़ार्स के अनुसार, हैदर अलएबादी ने शनिवार की रात एक भाषण में कहा कि इराक़ क्षेत्रीय राजनीति के बखेड़े में नहीं पड़ेगा। उन्होंने बल दिया कि बग़दाद सीरिया में सिर्फ़ इस देश की सरकार को मान्यता देता है और किसी दूसरे गुट से किसी प्रकार का सहयोग नहीं कर रहा है।
फ़ुरात न्यूज़ के अनुसार, इराक़ी प्रधान मंत्री ने अपने भाषण में सबसे पहले ईरान व क़तर के ख़िलाफ़ इयाद अल्लावी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति का बयान स्वीकार्य नहीं है और इराक़ की आड़ में क्षेत्रीय देशों के ख़िलाफ़ दृष्टिकोण अपनाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है अल्लावी ने क़तर की आलोचना के ज़रिए मिस्र को ख़ुश करने की कोशिश की लेकिन कुछ इराक़ी हल्क़े चाहते हैं कि हम क़तर के मुक़ाबले में सऊदी अरब का समर्थन करें या इसके विपरीत क़दम उठाएं लेकिन यह ग़लत है और इस मामले में इराक़ को कोई फ़ायदा नहीं पहुंचेगा।
इराक़ी प्रधान मंत्री ने ईरान, सऊदी अरब और कुवैत के अपने दौरे के बारे में कहा कि उनका यह दौरा तीन दिवसीय है जो रविवार से शुरु हो रहा है।
इसी प्रकार उन्होंने बल दिया कि उनके इस दौरे का सऊदी और क़तर के बीच पैदा हुए संकट से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि यह दौरा पहले से तय था। इराक़ी प्रधान मंत्री ने बताया कि सऊदी अरब के दौरे में आतंकवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष और सऊदी अरब के साथ बहुआयामी संबंध में विस्तार के बारे में सऊदी अधिकारियों से विचार विमर्श होगा। उन्होंने बताया कि ईद के बाद भी वह कई विदेशी दौरे पर जाएंगे।
इराक़ी प्रधान मंत्री ने आगे कहा कि वह इस बात की इजाज़त नहीं देंगे कि इराक़ ईरान और अमरीका के बीच झड़प का मैदान बने या इराक़ की भूमि ईरान से दुश्मनी का ज़रिया बने। हैदर अलएबादी ने कहा कि अगर पूरी दुनिया का नेतृत्व हमे दें या इराक़ के फ़्री पुनर्निर्माण का वादा करें तब भी हम ईरान से दुश्मनी नहीं करेंगे।
उन्होंने इसी प्रकार अपने भाषण में अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प को राजनेता नहीं बल्कि एक व्यापारी व्यक्ति बताते हुए कहा कि जिस समय ट्रम्प राष्ट्रपति बने तो इस बात का डर था कि कहीं फ़ार्स खाड़ी में जंग शुरु न हो जाए लेकिन ट्रम्प की टीम ने इस डर को कम कर दिया है।
इराक़ के सशस्त्र बल के कमान्डर हैदर अलएबादी ने इसी प्रकार इराक़ी फ़ोर्सेज़ की सीरिया की सीमा तक प्रगति की सराहना की और साथ ही अमरीका की ओर से एसडीएफ़ फ़ोर्सेज़ को समर्थन की आलोचना करते हुए कहा कि इस समर्थन के कारण सीरिया का बटवारा हो सकता है।
इराक़ी प्रधान मंत्री ने इराक़-सीरिया के बीच संयुक्त क्षेत्रों और वलीद पास की आज़ादी की पुष्टि और निकट भविष्य में अन्ह, रावह और अलक़ाएम इलाक़ों की आज़ादी की ख़बर देते हुए उम्मीद जतायी कि अमरीका इराक़ से मिली सीरिया की सीमा पर मौजूद नहीं रहेगा।