
رضوی
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा पर्दे में छुपा सूरज
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की परवरिश इन महान हस्तियों की छात्र छाया में हुई।
उनके नाना पैग़म्बरे इस्लाम, पिता हज़रत अली और माता हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा संपूर्ण मानव जाति की महानतम हस्तियां थीं। अतः हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की परवरिश अध्यात्म के प्रकाश और पवित्रता की ज्योति में हुई।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा का जन्म वर्ष पांच या छह हिजरी क़मरी में जमादिल औवल महीने के 5 तारीख़ को मदीना नगर में हुआ। उनके जन्म पर इमाम हुसैन की ख़ुशी सबसे ज़्यादा थी। वह दौड़ते हुए हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे और उत्साह से चिल्लाते हुए कहा कि अल्लाह ने मुझे एक बहन दी है। मां हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने अपने पति हज़रत अली अलैहिस्सलाम से कहा कि हे अली! हम अपनी बेटी का क्या नाम रखें? हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने उत्तर दिया कि हमारी बेटी का नाम पैग़म्बरे इस्लाम रखेंगे। मैं बेटी का नाम रखने में पहल नहीं कर सकता। पैग़म्बरे इस्लाम उस समय कहीं गए हुए थे। जब वापस आए तो घर पहुंचते ही सीधे अपनी बेटी हज़रत फ़ातेमा के घर पहुंचे। उन्हें अपनी नवासी के जन्म की ख़बर मिल गई थी। पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि बेटी फ़ातेमा बच्ची का मेरे पास लाओ मैं उसे देखना चाहता हूं।
हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा ने नवजात शिशु को पैग़म्बरे इस्लाम की गोद में दिया और कहा कि हम आपकी प्रतीक्षा में थे ताकि आप आकर बच्ची का नाम रखें। बच्ची पैग़म्बरे इस्लाम की गोद में थी और उनके होटों पर मुसकुराहट थी। उन्होंने कहा कि इस बच्ची का नाम ईश्वर रखेगा। मैं प्रतीक्षा करूंगा कि इस बच्ची का आसमानी नाम निर्धारित हो। इसी बीच ईश्वरीय फ़रिश्ते हज़रत जिबरईल आए और पैग़म्बरे इस्लाम को बताया कि इस बच्ची का नाम ज़ैनब रखा गया है। ज़ैनब का अर्थ होता है पिता की शोभा।
बाल्यकाल से ही हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा को अपने भाई इमाम हुसैन से इतना अधिक लगाव हो गया था कि उसे बयान नहीं किया जा सकता। वह हमेशा अपने भाई के साथ रहना चाहती थीं। प्रेम प स्नेह की यह स्थिति देखकर हज़रत फ़ातेमा को भी आश्चर्य होता था। एक दिन हज़रत फ़ातेमा ने अपने पिता पैग़म्बरे इस्लाम को इस बारे में बताया और कहा कि मैं ज़ैनब और हुसैन के स्नेह व प्रेम से आश्चर्य में हूं। ज़ैनब अगर हुसैन को एक क्षण भी नहीं देखती तो व्याकुल हो जाती है। हुसैन पास न हों तो ज़ैनब तड़पने लगती हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम ने जब यह सुना तो उनके चेहरे पर दुख छा गया और आंखों से आंसू बहने लगे। उन्होंने एक आह लेकर कहा कि मेरी बेटी यह बच्ची अपने भाई हुसैन के साथ कर्बला जाएगी और हुसैन के दुख और पीड़ा में साझीदार बनेगी।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा के ज्ञान, अध्यात्म, महानता, पवित्रता और उपासना की ख्याति पूरे इस्लामी जगत में थी। उनके नाम से अधिक उनकी उपाधियां मशहूर थीं। यहां तक कि हज़रत ज़ैनब का नाम लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी बल्कि उपाधि से ही लोग समझ जाते थे। इसी लिए लोग ज़ैनब कहने के बजाए उपासिका, या पवित्रता का प्रतिमा कहते थे। मुसतफ़ा की चहेती और फ़ातेमा की उत्तराधिकारी जैसी उपाधियां इन महान हस्तियों से उनके विचित्र संबंध को उद्धरित करती थीं। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की उपाधियों में सबसे मशहूर उपाधि थी अक़ीलए बनी हाशिम और अक़ीलए अरब। वह अपने ख़ानदान की बड़ी प्रतिष्ठित हस्ती थीं। हज़रत ज़ैनब से विवाह बहुत बड़ी श्रेष्ठता की बात थी इसी लिए अरब के विभिन्न क़बीले हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पास प्रस्ताव लेकर आते थे। इनमें एक व्यक्ति का नाम अशअस इब्ने क़ैस कन्दी था। वही व्यक्ति जो वर्ष 10 हिजरी में मुसलमान हुआ था। पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद उसने इस्लाम धर्म छोड़ दिया और अबू बक्र से पराजित होने तक वह नास्तिक रहा। पराजित होने के बाद वह मुसलमान हो गया तो अबू बक्र ने अपनी नेत्रहीन बहन की उससे शादी करवा दी। उनके दो बच्चे हुए। एक बेटी जिसका नाम असमा था और जिसकी शादी बाद में इमाम हसन से हुई और उसने इमाम हसन को ज़हर दिया। दूसरे बच्चे का नाम मोहम्मद था जो उमरे सअद की सेना में शामिल होकर हज़रत इमाम हुसैन से युद्ध करने कर्बला पहुंचा था। अशअस इब्ने क़ैस समाज में अपना स्थान ऊंचा करने के लिए चाहता था कि हज़रत ज़ैनब से उसकी शादी हो जाए। एक बार उसने मस्जिद में सबके सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम नाराज़ हो गए। उन्होंने ग़ुस्से में कहा कि हे बुनकर के बेटे अबू बक्र ने तुझको बड़ी भूल में डाल दिया है। यदि तुने फिर कभी मेरी बेटी का नाम लिया और लोगों ने सुना तो मैं तेरा जवाब इसी तलवार से दूंगा। हज़रत अली अलैहिस्सलाम का यह जवाब सुनकर अशअस को मानो सांप सूंघ गया। दूसरों को भी पता चल गया कि बहुत सोच समझ कर ही इस बारे में कोई बात कहनी चाहिए। प्रस्ताव देने वालों में एक थे अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़रे तय्यार जो दूसरों से भिन्न थे। उनकी उदारता बहुत मशहूर थी। वह भी बनी हाशिम ख़ानदान की गौरवपूर्ण हस्ती थे। उन्होंने किसी को माध्यम बनाकर अपना प्रस्ताव हज़रत अली अलैहिस्सलाम तक पहुंचाया।
इस प्रस्ताव के बाद हज़रत ज़ैनब का विवाह अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र से हुआ लेकिन हज़रत ज़ैनब की शर्त थी कि उन्हें उनके भाई हुसैन से अलग न किया जाए और जब इमाम हुसैन यात्रा पर जाएंगे तो हज़रत ज़ैनब भी उनके साथ जाएंगी। अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र ने यह शर्तें मान लीं क्योंकि उन्हें भी पता था कि हज़रत ज़ैनब को कर्बला में महान दायित्व पूरा करना है।
हज़रत ज़ैनब उपसना और अध्यात्म में अपने माता-पिता की सच्ची वारिस थीं। वह बहुत अधिक उपासना करती थीं और हमेशा क़ुरआन की तिलावत करती थीं। वह वाजिब नमाज़ों के साथ ही मुसतहेब नमाज़ें भी कभी भी नहीं छोड़ती थीं। कर्बला की घटना दस मोहर्रम को हुई उस दिन भी हज़रत ज़ैनब की कोई नमाज़ नहीं छूटी। इमाम हुसैन के पुत्र हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कहते हैं कि मैंने उस भयानक समय में भी देखा कि फूफी ज़ैनब पूरी तनमयता से ईश्वर की इबादत करती थीं।
इंसान की श्रेष्ठता का मुख्य आधार ज्ञान है। और सबसे श्रेष्ठ ज्ञान वह है जो प्रत्यक्ष रूप से ईश्वर से प्राप्त किया जाए। ईश्वर ने अपने पैग़म्बर हज़रत ख़िज़्र के बारे में क़ुरआन में कहा कि हमने अपने पास से उन्हें बहुत ज्ञान प्रदान किया। इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कहते हैं कि हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा का ज्ञान भी एसा ही था। वह उन्हें ऐसी ज्ञानी कहते थे जिन्हें किसी इंसान ने ज्ञान नहीं दिया बल्कि ईश्वर ने ज्ञान प्रदान किया है।
एक दिन हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा अपने भाइयों हज़रत इमाम हसन और हज़रत इमाम हुसैन के पास बैठी थीं। दोनों भाई पैग़म्बरे इस्लाम के किसी कथन के बारे में बात कर रहे थे। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा ने कहा कि मैंने आप लोगों से यह सुना कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा है कि कुछ चीज़ें हलाल हैं और कुछ चीज़ें हराम हैं जिनसे लोग अवगत हैं लेकिन कुछ चीज़ें एसी हैं जो संदिग्ध हैं और लोगों को उनके बारे में नहीं पता कि वह हलाल हैं या हराम। जो व्यक्ति इस प्रकार की संदिग्ध चीज़ों से परहेज़ करे उसने मानो अपने धर्म और अपनी आबरू की रक्षा की है। जबकि इस प्रकार के कामों में लिप्त हो जाने वाले व्यक्ति के पांव हराम कामों की ओर भी फिसलने लगते हैं। उसकी मिसाल उस चरवाहे जैसी है जो अपने बकरियां किसी भयानक दर्रे के क़रीब से गुज़ारता है और उनके गिर जाने का ख़तरा बना रहता है। जान लो कि हर चीज़ में एक पहलू गहराई में गिर जाने का होता है और हराम काम यही खाइयां हैं। संदिग्ध चीज़ें इसी खाई के क़रीब से गुज़रने जैसा है। इंसान के शरीर में एक अंग एसा है कि यदि वह अच्छा हो तो पूरा शरीर अच्छा रहता है और यदि वह ख़राब हो जाए तो पूरा शरीर ख़राब हो जाएगा। वह अंग है दिल। हे मेरे भाइयो क्या पैग़म्बरे इस्लाम से सुना है कि उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मुझे प्रशिक्षित किया और शिष्टाचार सिखाया है। हलाल वही है जिसे ईश्वर ने हलाल ठहराया है। कुरआन ने उसे बयान किया है और पैग़म्बर ने उसका विवरण दिया है।
जब हज़रत ज़ैनब की यह बात पूरी हो गई तो इमाम हसन और इमाम हुसैन ने कहा कि ईश्वर तुम्हारी महानता में और वृद्धि करे। तुमने बिल्कुल सही कहा। तुम पैग़म्बरी की खदान का रत्न हो।
मस्जिद "क्यूबेक" पर हमले के शिकार के अंतिम संस्कार में कनाडा के हजारों लोग उपस्थिति हुए
अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी ने अल जजीरा के अनुसार बताया कि हाल ही में क्यूबेक मस्जिद में आतंकवादी हमले में शहीदों का गुरुवार 2 फरवरी को अंतिम संस्कार आयोजन किया गया।
समारोह में कनाडा के नागरिकों के अलावा जस्टिन Trvdyv प्रधानमंत्री भी उपस्थित थे।
अंतिम संस्कार समारोह "मॉन्ट्रियल" पार्क में आयोजन किया गया और समारोह कनाडा के टेलीविजन नेटवर्क पर प्रसारित किया ग़या।
कहा ग़या है कि कनाडा की मस्जिद क्यूबेक खूनी गोलीबारी की घटना के कुछ दिनों के बाद नमाज़ीयों ने बुधवार, 1 फरवरी को एक बार फिर से खोला।
तीन बंदूकधारियों ने 29 जनवरी रविवार शाम को हमला किया उस समय 40 नमाज़ी मस्जिद क्यूबेक में थे जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और कई लोग़ घायल हो ग़ए
वरिष्ठ नेताः प्लास्को इमारत दुर्घटना में अग्निशमन दल के कर्मचारियों का साहस सराहनीय है
रान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने राजधानी तेहरान में एक बहुमंज़िला इमारत के आग लगने के बाद धराशाई हो जाने की दुर्घटना में अग्निशमन दल के कर्मचारियों के साहस और ईमान की प्रशंसा की है।
रविवार को वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने अपने संदेश में प्लास्को नाम की बहुमंज़िला इमारत में हुई दुर्घटना में अग्निशमन दल के कर्मचारियों के बलिदान और साहस का उल्लेख करते हुए कहा, इन साहसी लोगों ने अपने देश वासियों की जान और माल की सुरक्षा के लिए आश्चर्यचकित करने वाली वीरता का प्रदर्शन किया और आग में कूदकर अपनी जान की बाज़ी लगा दी।
वरिष्ठ नेता ने अपने संदेश में कहा है कि इस दुर्घटना में शहीद होने वाले अग्निशमन दल के कर्मचारियों ने एक बार फिर ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान होने वाले बलिदान की यादों को ताज़ा कर दिया और साबित कर दिया कि धर्म में गहरी आस्था रखने वाले ईरानी उदाहरणीय साहस के साथ ईश्वर के मार्ग में बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी जान क़ुर्बान कर देते हैं।
वरिष्ठ नेता का कहना था कि अग्निशमन दल के कर्चारियों को श्रद्धांजलि देने का वक़्त है।
यह वे लोग हैं, जिन्होंने पूर्ण श्रद्धा के साथ और बिना किसी शोर शराबे के अपनी ज़िम्मेदारी को अंजाम दिया, सब लोगों को उन्हें पहचानना चाहिए और उनसे पाठ लेना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 19 जनवरी की सुबह प्लास्को शॉपिंग मॉल की इमारत में आग लग गई थी, जिसके बाद यह धराशाई हो गई।
इस दुर्घटना में अग्नीशमन दल के 16 कर्मचारियों और 4 नागरिकों की मौत हो गई। सोमवार 30 जनवरी को इस दुर्घटना में मरने वालों का तेहरान में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
अमेरिका के मियामी विश्वविद्यालय में विश्व हिजाब डे का आयोजन
अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी ने मियामी विश्वविद्यालय की जानकारी डेटाबेस अनुसार हिजाब डे कार्यक्रम इस नारे के साथ " उसके बगल में खड़े होना ताकि वोह सही पोशाक चुन सके" मियामी विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाएगा।
जानकारी और संसाधनों के विचारों और मुसलमानों की परंपराओं और हिजाब, कार्यक्रम मियामी विश्वविद्यालय के छात्र केंद्र "आर्मस्ट्रांग" में आयोजित किया जाएगा।
इसी तरह विश्वविद्यालय के मैकमिलन" हॉल में (टेड टॉक) सम्मेलन में हिजाब पनली मुस्लिम महिलाओं के बारे में भाषण और इन लोगों के साथ खुली बातचीत करेंग़ी।
" मियामी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक सहायक महिला सेंटर रोंडा जैक्सन, ने कहा: कि हम विश्वविद्यालय में हिजाब पर पहले कार्यक्रम के लिए तत्पर हैं।
उन्होंने कहा कि हिजाब की वजह से कई मुस्लिम महिलाए को भेदभाव का सामना है। यह कार्यक्रम मुस्लिम महिलाओं और उनके चयन करने के लिए कवरेज और धार्मिक स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए के बारे में सही ज्ञान में मदद करता है
हिजाब दिवस पांचवें वर्ष के लिए इस साल अमेरिका और दुनिया भर में पहली फरवरी को आयोजित किया जाएग़ा।
अमरीका में मुसलमानों पर हमले, व्यक्ति ने हिजाब वाली महिला को मारी लात
अमरीका में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की ओर लगातार मुस्लिम विरोधी बयान आ रहे हैं जिनसे मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत बढ़ रही है। न्यूयार्क में एक एसी ही घटना में एक व्यक्ति ने हिजाब वाली महिला को यह कहते हुए लात मारी कि अब यहां ट्रंप हैं और वो तुम सबसे छुटकारा पा लेंगे।
हिजाब पहनकर काम कर रही एयरलाइन की मुस्लिम महिला कर्मचारी राबेया ख़ान पर जान एफ़ कैनेडी एयरपोर्ट पर डेल्टा स्कार्ड लाउंज में हमला हुआ। राबेया ख़ान पर 57 साल के राबिन रोड्स ने हमला किया।
क्वींस डिस्ट्रिक अटॉर्नी रिचर्ड ए ब्राउन ने इस घटना की पुष्टि की है।
अभियोजकों ने बताया कि रोड्स ने महिला कर्मचारी से पूछा, 'क्या तुम सो रही हो? क्या तुम प्रार्थना कर रही हो? तुम क्या कर रही हो?' इसके बाद रोड्स ने महिला कर्मचारी के दफ्तर के दरवाजे पर खींचकर मुक्का मारा जो महिला कर्मचारी की कुर्सी के पीछे लगा।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि इस पर राबिया खान ने रोड्स से पूछा कि उसने क्या किया है? इस पर रोड्स ने कहा, 'तुमने कुछ नहीं किया पर मैं तुम्हें लात मारने जा रहा हूं। इसके बाद रोड्स ने राबिया के दाहिने पैर पर लात मारी और जब राबिया ने वहां से निकलने की कोशिश की तो उसने लात मारकर दरवाजा बंद कर दिया। रोड्स ने महिला का बाहर निकलने का रास्ता भी बंद कर दिया।
रोड्स को गिरफ़तार कर लिया गया है और उस पर हमला करने, अवैध तरीके से बंधक बनाने और घृणा अपराध के तहत उत्पीड़न सहित कई आरोपों में मामले दर्ज किए गए हैं।
ईरान दुनिया की आठ बड़ी शक्तियों की सूची में शामिल
अमरीका की एक वेबसाइट ने 2017 की बड़ी शक्तियों की एक सूची जारी की है जिसमें ईरान भी शामिल है जबकि ज़ायोनी शासन का स्थान ईरान के बाद है।
अमरीकी वेबसाइट इन्टरसेप्ट ने 2017 की बड़ी शक्तियों के नाम से एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें दुनिया के शक्तिशाली देशों का नाम लिया गया है। इस रिपोर्ट में ईरान दुनिया की आठ बड़ी शक्तियों में शामिल है और अमरीका इस सूची में सबसे आगे है। रोचक बात यह कि इस सूची में ज़ायोनी शासन का स्थान ईरान के बाद है।
इन्टरसेप्ट की ओर से जारी सूची में अमरीका, चीन और जापान, क्रमशः पहले दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं जबकि रूस, जर्मनी और भारत चौथे, पांचवें और छठे नंबर पर हैं। इस सूची में ईरान का नंबर सातवां है और आठवें नंबर पर तथा सूची के अंत में ज़ायोनी शासन का नाम है।
इस सूची में कहा गया है कि ईरान और सऊदी अरब के मध्य वर्ष 2016 से जारी प्राक्सी वार यथावत जारी है और नये वर्ष के आरंभ होने से ईरान, सऊदी अरब की तुलना में आगे है और यद्यपि सऊदी अरब अब भी एक शक्तिशाली देश समझा जाता है किन्तु पिछले 12 वर्ष के दौरान ईरान ने मानो सऊदी की बढ़त रोक दी है।
इस रिपोर्ट में क्षेत्र के शक्तिशाली देशों में ईरान की शक्ति की ओर संकेत करते हुए लिखा गया है कि ईरान और गुट पांच धन एक के मध्य परमाणु समझौते, एयर बस और बोइंग विमान की कंपनियों से होने वाले समझौते से यह संदेश दुनिया को गया कि व्यापार के लिए ईरान के रास्ते खुल गये हैं और इस देश का तेल उत्पादन भी प्रतिबंधों के काल के पहले के दौर में लौट गया है।
ईरान, अल्ज़ाइमर रोग के इलाज की हर्बल दवा बनाने वाला पहला देश बना
ईरान ने विश्व स्तर पर अल्ज़ाइमर रोग के इलाज के लिए पहली हर्बल दवा, ईरानी विशेषज्ञों ने तैयार की है, जिसका शनिवार को अनावरण किया गया।
अल्ज़ाइमर रोग के उपचार के लिए ईरानी चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई पहली हर्बल दवा "मेलीट्रॉपिक" (MELITROPIC) का अनावरण समारोह तेहरान के उपनगरीय प्रांत करज के एक रिसर्च सेंटर में आयोजित हुआ।
मेलीटोरोपिक के अनावरण समारोह के मुख्य अतिथि ईरान के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर काज़ीज़ादे हाशमी ने अपने भाषण में कहा कि इस समय ज़रूरत की 90 प्रतिशत दवाएं स्वयं ईरान में तैयार की जाती हैं और हम ईरानी शोधकर्ताओं से उम्मीद करते हैं कि वे औषधी तैयारी में और अधिक प्रयास करेंगे।
करज मेडिकल रिसर्च सेंटर के प्रमुख शम्स अली रज़ा ज़ादे ने इस अवसर पर कहा कि ईरानी विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के इलाज में ईरान के प्राचीन उपचार से लाभ उठाकर आधुनिक जांच की समीक्षा किया जिसके फलस्वरूप आज ईरानी शोधकर्ताओं ने अल्ज़ाइमर जैसी बड़ी बीमारी के इलाज से संबंधित एक मूल्यवान सफलता हासिल की है।
अल्ज़ाइमर के इलाज के लिए बनी हर्बल दवा के अनावरण के अवसर पर रिसर्च सेंटर की एक और अधिकारी डॉक्टर शाहीन आख़ुनद ज़ादे ने कहा कि ईरानी विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के प्रयासों की बदौलत आज ईरान अल्ज़ाइमर रोग का इलाज करने वाली हर्बल दवा बनाने में पहले नंबर पर पहुंच गया है।
इटली में इस्लाम दूसरा धर्म है जिसका विस्तार हो रहा है
समाचार एजेंसी के हवाले से बताया कि फ्रांसीसी पत्रिका"प्रेस ईन्फो" ने घोषणा किया कि लग़भ़ग दो मिल्यन और चार लाख विदेशी इटली में रहते हैं, जिनमें 820 हजार मुसलमान हैं।
फ्रांसीसी अखबार के अनुसार इटली के अल्पसंख्यक मुस्लिम, अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सक्रिय हैं, इस तरह से 4 से 5 प्रतिशत घरेलू उत्पाद मुसलमानों के है।
इसके अलावा इटली में लगभग 700 मस्जिदें हैं, लेकिन देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों से लगातार अनुरोध के बावजूद इस्लाम को अभी भी इटली में मान्यता प्राप्त नहीं है, और यह चरम दक्षिणपंथी पार्टी और "उत्तर फेडरल एसोसिएशन" सहित कुछ राजनीतिक दलों के विरोध की वजह से है।
हालांकि वरिष्ठ कैथोलिक बिशप "कार्लो Liberati" इस महीने अगले 10 वर्षों के भीतर एक मुस्लिम महाद्वीप में तबदील होने की चेतावनी दी थी
म्यांमार में कुरान को पढ़ाने के आरोप में 8 मुसलमानों की गिरफ़्तारी
म्यांमार अपराधों की एक और कहानी / कुरान को पढ़ाने के आरोप में 8 मुसलमानों की गिरफ़्तारी
अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी (IQNA) समाचार एजेंसी अरकान के हवाले से, अराकान राज्य (Rakhine) के वॉच ने कहा कि हाल ही में रोहिंग्याई मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराधों में म्यांमार सुरक्षा बलों ने, 15 मुस्लिम नागरिकों को शाम की नमाज के बाद मस्जिद में रहने के आरोप में और इसी तरह आठ रोहिंग्याई मुस्लिम नागरिकों को उत्तरी अराकान में कुरान शिक्षण आरोप में गिरफ्तार किया गया।
म्यांमार में सुरक्षा बलों ने इसी तरह म्यांमार के मुसलमानों से 10 अन्य को कृषि कार्य के झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया है।
म्यांमार सरकार के यह नऐ अपराध उस समय हुऐ कि "मेंत नोई" म्यांमार रक्षा मंत्री ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के संकट को हल करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त समय है।
वह उस समय यह दावा कर रहे हैं कि उनका देश अराकान की स्थित के बारे में प्रकाशित रिपोर्ट के मुक़ाबिल अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को महसूस कर रहा है जो इस साल सितंबर से अब तक बौध्द अर्ध सैनिकों व सुरक्षा बलों द्वारा अमानवीय तथा हिंसक कार्वाईयों के सबब संयुक्त राष्ट्र की घोषण अनुसार 87 हज़ार रोहिंग्याई मुस्लिम्स अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुऐ हैं।
जकार्ता में इस्लामी संग्रहालय की स्थापना की जाएग़ी
"जकार्ता पोस्ट" के अनुसार बताया कि जकार्ता इस्लामी संग्रहालय फ्रांस में लौवर इस्लामी कला संग्रहालय के साथ सहयोग द्वारा स्थापित किया जाएगा।
अहमद जकार्ता में इस्लामी इस्लामिक स्टडीज केंद्र के सिर शुदरी ने कहा कि यह संग्रहालय इस्लामी सभ्यता के विकास और इंडोनेशिया में इस्लाम की एक तस्वीर प्रदान करना है।
कंधे ने कहा: हम लौवर संग्रहालय में इस्लामी कला के साथ इस परियोजना पर काम करने के लिए, क्योंकि वे संग्रहालय प्रबंधन में अनुभव के एक बहुत कुछ है फैसला किया।
शुदरी ने कहा: कि हम ने यह फैसला किया है कि इस परियोजना की लौवर की इस्लामी कला संग्रहालय के साथ एक दुसरे के अनुभव पर काम करे।
उन्होंने कहा कि जकार्ता इस्लामी संग्रहालय इस वर्ष के अंत तक स्थापित किया जाएगा