
رضوی
गाजा में इजरायली सैनिकों के हाथों फिलिस्तीनियों का नरसंहार जारी, दर्जनों शहीद और घायल
ज़ायोनी सेना ने गुरुवार और शुक्रवार की रात के बीच गाजा के विभिन्न क्षेत्रों पर अपने हमले जारी रखे। गाजा से मिली ताजा खबर के मुताबिक, गुरुवार और शुक्रवार की रात के बीच ज़ायोनी आतंकियों ने छोटे से घिरे शाबिया इलाके के एक अपार्टमेंट पर बमबारी की, जिसमें कम से कम दस लोगों के मारे जाने की खबर है. इससे पहले ज़ायोनी युद्धक विमानों ने जबालिया कैंप में कुछ जगहों को निशाना बनाया था, जिसके बाद वहां बड़े पैमाने पर आग लग गई थी.
दूसरी ओर, ज़ायोनी समूह के युद्धपोत भी गाजा तट की ओर गोलाबारी में लगे हुए हैं। कल गाजा के विभिन्न इलाकों में ज़ायोनी समूह के हमलों में 22 लोग शहीद हो गये।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय की घोषणा के अनुसार, कई शहीदों के शव मलबे के नीचे दबे हुए हैं, जबकि कई शव सड़कों पर बिखरे हुए हैं, जिन्हें ज़ायोनी सेना की लगातार आक्रामकता के कारण बचाव दल हटा नहीं पा रहे हैं। केंद्र में अल-दुर्ज क्षेत्र में बमबारी में पांच बच्चों सहित कम से कम सोलह फिलिस्तीनी और दर्जनों अन्य घायल हो गए, जहां विस्थापित लोगों ने एक मस्जिद और एक स्कूल में शरण ली है।
दूसरी ओर, गाजा शहर के केंद्र में अल-दर्ज क्षेत्र में स्थित हज़रत फातिमा अल-ज़हरा (पीबीयूएच) मस्जिद को इजरायली कब्जे वाली सेना ने अपने ड्रोन हमले से निशाना बनाया - यह मस्जिद सैकड़ों बेघर लोगों के लिए आश्रय है अपने घर खो दिए हैं.۔
पशु अधिकारों का समर्थन करने वाला पश्चिम, फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार में कैसी बेशर्मी दिखा रहा है
अंसारुल्लाह यमन के के नेता सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अलहौसी ने अपनी हालिया स्पीच में ग़ज़ा में ज़ायोनिस्ट रेजीम के उन युद्ध अपराधों की बात की जो अमरीका के भरपूर समर्थन से जारी हैं और साथ ही अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बेहद बेतुके बयान की कड़ी आलोचना की जिसमें उन्होंने बढ़ी ढिठाई से कहा था कि ग़ज़ा में ज़ायोनिस्ट रेजीम जो मौत का तांडव कर रही है वो नस्लीय सफ़ाया नहीं है।
अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि सड़कों पर फ़िलिस्तीनियों का क़त्लेआम, उन्हें भीड़भाड़ वाली जगहों पर निशाना बनाना और लाखों लोगों को भुखमरी में ढकेलना जो बाइडन की नज़र में नस्लीय सफ़ाया नहीं है।
हेल्थ केयर सिस्टम को ध्वस्त करना, दवाओं की सप्लपाई रोक देना, बीमारों को क़त्ल करना, उनमें बहुतों को ज़िंदा ही दफ़्न कर देना, विक्लांगों को गाड़ी से रौंद देना बाइडन की नज़र में क़त्लेआम नहीं है।
हज़ारों और लाखों की संख्या में लोगों को बेघर कर देना और फिर उनका पीछा करके शरण स्थलों पर उन्हें क़त्ल करना, रोटी की दुकानों पर हमला, पानी के कुओं पर हमला यह सब जो बाइडन को अपराध नज़र नहीं आता।
अलहौसी ने कहाः ताज्जुब की बात नहीं है कि ग़ज़ा में जो कुछ हो रहा है उसे बाइडन नस्लीय सफ़ाया नहीं मानते क्योंकि वाशिंग्टन दरअस्ल अपराधों का मास्टर है और इस मैदान में उसका बहुत लम्बा रिकार्ड है।
अमरीका के ज़रिए ग़ज़ा के क़रीब जेटी बनाए जाने और उसके बारे में अमरीकी अधिकारियों के दावों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ग़ज़ा पट्टी के इलाक़े में अमरीका की फ़्लोटिंग बंदरगाह दरअस्ल अमरीका की सैनिक छावनी है। जिस समय अमरीका इस इलाक़े में बक्तरबंद गाड़ियां और एयर डिफ़ेंस सिस्टम लाया उसी समय वो बेनक़ाब हो गया था।
अलहौसी ने कहाः अमरीका चाहता है कि ग़ज़ा पट्टी को जेल में बदल दे जहां प्रवेश का एक समुद्री रास्ता रहे और अमरीकी सैनिक उस पर नज़र रखें।हलहौसी ने आयरलैंड, नार्वे और स्पेन की ओर से फ़िलिस्तीन की स्वाधीनता को मान्यता दिए जाने के बारे में कहा कि तीन यूरोपीय देशों की ओर से फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता दिया जाना वैसे तो अधूरा क़दम है लेकिन यह अपने आप में बहुत अहम राजनैतिक डेवलपमेंट है।
उन्होंने कहाः वेस्ट जो बिल्लियों और दूसरे जानवरों के अधिकारों के लिए गला फाड़ता रहता है मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और नस्लीय सफ़ाए में शामिल होने के बाद पूरी तरह बेनक़ाब हो गया है।
अब्दुल मलिक अलहौसी ने कहा कि आईसीसी के एटर्नी जनरल का बयान जिसमें उन्होंने जल्लाद और पीड़ित को एक समान क़रार दे दिया, अन्यायपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि एटार्नी जनरल कैसे ज़ायोनिस्ट रेजीम के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू और युद्ध मंत्री युआफ़ गालांट को फ़िलिस्तीनी नेताओं के समान क़रार दे सकते हैं जो फ़िलिस्तीन के न्यायपूर्ण लक्ष्यों के लिए लड़ रहे हैं।
उन्होंने अपनी स्पीच में कहा कि राष्ट्रपति रईसी की शहादत के गहरे दुख में हम पूरी तरह शरीक हैं। राष्ट्रपति रईसी दूसरे नेताओं से अलग थे, एक ओहेदादार के रूप में और अपनी जनता से गहरे संबंध के मामले में वो एक आदर्श हैं और यह अन्य नेताओं के लिए बहुत अहम नमूना है। राष्ट्रपति रईसी का शोक मनाने और उनके अंतिम संस्कार के लिए मिलियनों की संख्या में लोगों का बाहर आना अपने अवाम से उनके दिल के रिश्ते की निशानी है और यह चीज़ पूरी दुनिया के नेताओं से काफ़ी अलग है।
अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि विश्व स्तर पर इस्राईल के आइसोलेशन का दायरा तेज़ी से बढ़ता जा रहा है जबकि इस्राईल के ख़ौफ़नाक अपराधों पर कुछ देशों की ख़ामोशी पूरी मानवता का खुला अपमान है।
सैयद अलहौसी ने अपनी स्पीच के आख़िर में ग़ज़ा के समर्थन में इस्राईली जहाज़ों पर हमलों का सिलसिला जारी रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसी हफ़्ते 15 मिसाइलों और ड्रोन विमानों की मदद से लाल सागर, अरब सागर, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर में आठ हमले किए गए। उन्होंने आगे कहा कि इसी हफ़्ते हमारा एक सैनिक आप्रेशन मेडीटेरियन सागर में अंजाम पाया। अब्दुल मलिक हौसी ने कहा कि अब तक हमारे हमलों में कुल 119 इस्राईली, अमरीकी और ब्रिटिश जहाज़ निशाना बन चुके हैं।अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि इसी हफ़्ते अमरीका के दो एमक्यू-9 ड्रोन यमन के मारिब और अलबैज़ा के इलाक़ों में मार गिराए गए।
उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन का समर्थन हम जारी रखेंगे और यमनी राष्ट्र के तौर पर हमारा ज़िम्मेदारी का एहसास हरगिज़ फीका नहीं पड़ने वाला है।
राष्ट्रपति रईसी की शव यात्रा में जनसैलाब, दुनिया के लिए संदेश है, राष्ट्रपति के परिजनों से सुप्रीम लीडर की मुलाक़ात
ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने स्वर्गीय राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के घर पहुंचकर उनके परिजनों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने दिवंगत राष्ट्रपति को इस्लामी क्रांति के नारों का प्रतीक बताया और उनके प्रति लोगों की मोहब्बत को दुनिया के लिए एक संदेश बताया, जो इस्लामी गणतंत्र के हित में है।
इस मुलाक़ात में धर्मगुरु अलम अल-हुदा, शहीद रईसी की पत्नी डा. अलम अल-हुदा और उनके बच्चे और दूसरे रिश्तेदार भी मौजूद थे।
सुप्रीम लीडर ने राष्ट्रपति रईसी की मौत को देश के लिए ऐसा भारी नुक़सान बताया, जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं है।
राष्ट्रपति रईसी और उनके साथियों की शव यात्रा में भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति और विदेशी हस्तियों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना का उल्लेख करते हुए सुप्रीम लीडर ने कहा, इससे लोगों के बीच इस्लामी गणतंत्र की जड़ों और मज़बूती का पता चलता है।
इस मुलाक़ात के आख़िर में सुप्रीम लीडर ने स्वर्गीय राष्ट्रपति रईसी के लिए दुआ की और उनके परिजनों को सांत्वना दी।
शहीद राष्ट्रपति रायसी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना पर प्रारंभिक रिपोर्ट
शहीद राष्ट्रपति रायसी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जांच कर रही समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है और कहा है कि अब तक तोड़फोड़ का कोई सबूत नहीं मिला है.
रिपोर्ट के मुताबिक शहीद राष्ट्रपति रायसी के हेलीकॉप्टर से हुए हादसे की जांच के लिए बनी कमेटी ने गुरुवार को प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रासदी के संभावित कारणों के बारे में बहुत सारी जानकारी एकत्र की गई है, जिसमें तकनीकी खराबी सहित अन्य मुद्दे शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मुद्दों पर निश्चित रूप से कुछ कहने के लिए अधिक समय की जरूरत है, जबकि शुरुआती जांच के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, वे इस प्रकार हैं.
- हेलीकॉप्टर पूर्व निर्धारित मार्ग पर यात्रा कर रहा था और अपने मार्ग से विचलित नहीं हुआ-
- हादसे से करीब एक मिनट तीस सेकेंड पहले हादसे में शामिल हेलीकॉप्टर के पायलट ने अन्य दो हेलीकॉप्टरों के पायलटों से संपर्क किया.
- हेलीकॉप्टर के अवशेषों और मलबे में गोलाबारी या तोड़फोड़ का कोई सबूत नहीं मिला।
- हादसे के बाद हेलीकॉप्टर में आग लग गई.
5- दुर्गम इलाके और कोहरे के कारण तलाश का काम रात तक बढ़ाया गया और पूरी रात जारी रहा. सोमवार सुबह पांच बजे ईरानी ड्रोन को दुर्घटनास्थल का पता चला और बचावकर्मी दुर्घटनास्थल पर पहुंच गये.
- नियंत्रण टॉवर और हेलीकॉप्टर चालक दल के बीच बातचीत और संवाद से कोई संदिग्ध सामग्री सामने नहीं आई। सशस्त्र बलों की देखरेख में गठित जांच समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि त्रासदी के बारे में बहुत सारी जानकारी और सबूत एकत्र किए गए हैं, जिनमें से कुछ की जांच में समय लगेगा। विशेषज्ञों द्वारा जांच पूरी होने के बाद नतीजों से देश को अवगत कराया जाएगा.
हाई कोर्ट ने 77 मुस्लिम जातियों का OBC दर्जा खत्म किया
हाई कोर्ट ने 77 मुस्लिम जातियों का OBC दर्जा खत्म करते हुए वर्ष 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए हैं। हाईकोर्ट ने फैसले में अप्रैल 2010 से सितंबर 2010 तक ओबीसी के तहत मुस्लिमों को 77 श्रेणियों में दिए आरक्षण व 2012 के कानून के तहत इनके लिए बनाई 37 श्रेणियों को निरस्त कर दिया।
पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाईकोर्ट ने लोकसभा चुनाव के बीच ममता सरकार की ओर से वर्ष 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए हैं।
कोर्ट ने साफ किया कि इस फैसले के दिन से ही रद्द प्रमाणपत्रों का किसी भी रोजगार प्रक्रिया में उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इससे करीब पांच लाख ओबीसी प्रमाणपत्र अमान्य हो जाएंगे। जस्टिस तपोन्नत चक्रवर्ती और जस्टिस राजशेखर मंथा की पीठ ने हालांकि यह भी कहा कि इन प्रमाणपत्रों से जिन उम्मीदवारों को पहले मौका मिल चुका है, उन पर फैसले का असर नहीं होगा।
स्पेन ने फिर दोहराया, नहर से समंदर तक, पूरा फिलिस्तीन होगा आज़ाद
स्पेन की ओर से फ़िलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के फैसले के बाद स्पेन की उप प्रधान मंत्री योलांदा डियाज़ ने एक वीडियो में फ़िलिस्तीन के लिए फिर से अपना पूर्ण समर्थन का ऐलान किया।
इस वीडियो में डियाज़ ने फ़िलिस्तीनियों का प्रतीकात्मक नारा दोहराया और कहा कि नदी से लेकर समुद्र तक फ़िलिस्तीन आज़ाद होगा।
इस से पहले स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के बाद कहा कि यूरोप के अन्य देश भी जल्द ही स्पेन के फैसले को दोहराएंगे। जैसे जैसे हमारी संख्या बढ़ेगी फिलिस्तीन में संघर्ष विराम की संभावना मज़बूत होगी। हम आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।
बता दें कि स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड की तरफ से फिलिस्तीन को मान्यता देने के बाद ज़ायोनी शासन ने इन देशों से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है।
राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के जीवन पर एक रिपोर्ट
सैयद रईसी को 1994 में ईरान के आम निरीक्षण संगठन के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और 10 साल बाद तक वह इस पद पर रहे।
सैयद इब्राहीम रईसी का देश के आम निरीक्षण संगठन का प्रबंधन काल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि उन्होंने अपने हासिल अनुभवों पर भरोसा करके प्रशासनिक संस्थानों को पूरी तरह बदल दिया और व्यवस्थित कर दिया।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी का जन्म दिसम्बर 1960 में पवित्र नगर मशहद शहर के नौग़ान मोहल्ले में एक धार्मिक परिवार में हुआ था।
उनके पिता हुज्जतुल इस्लाम सैयद हाजी रईस अल-सदाती और उनकी मां सैयदा इस्मत ख़ुदादाद हुसैनी थीं और दोनों तरफ से ही वह पैग़म्बरे इस्लाम के वंशज हज़रत ज़ैद बिन अली बिन हुसैन अलैहिस्सलाम की नस्ल से थे।
सैयद रईसी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा जावदिया स्कूल से पूरी की और 1975 में वह अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए क़ुम के धार्मिक शिक्षा केन्द्र की ओर रवाना हो गये और कुछ समय तक उन्होंने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के रिश्तेदारों में से एक द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ना शुरु किया।
इमाम ख़ुमैनी के डिफ़ेंस में:
17 जून 1978 को पहलवी शाही शासन से संबद्ध दैनिक समाचार पत्र में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के अपमान और अमेरिका पर निर्भर इस शासन के खिलाफ लोकप्रिय आंदोलनों की शुरुआत हुई जिनमें मुख्य चेहरा सैयद रईसी का था। सैयद इब्राहीम रईसी क्रांतिकारी छात्रों में अहम रूप से सक्रिय थे।
इस अवधि के दौरान, सैयद इब्राहीम रईसी ने जेल से या निर्वासन में रिहा किए गए क्रांतिकारी विद्वानों के साथ संपर्क किया और अपनी प्रचार गतिविधियों को आगे बढ़ाया। तेहरान विश्वविद्यालय में विद्वानों और धर्मगुरुओं के धरने जैसी सभाओं में भी उन्होंने भाग लिया।
इस्लामी क्रांति:
इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद सैयद रईसी ने इस्लामी व्यवस्था की प्रबंधन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए स्टाफ़ तैयार करने और मार्क्सवादी विद्रोहों और मस्जिदे सुलेमान शहर में विभिन्न समस्याओं पर लगाम लगाने के एक विशेष प्रशिक्षण क्लास में भाग लिया।
मस्जिदे सुलेमान शहर से लौटने के बाद, उन्होंने शाहरूद शहर में शैक्षिक बैरक 02 के राजनीतिक-वैचारिक परिसर की स्थापना की और थोड़े समय के लिए इसका प्रबंधन ख़ुद अपने हाथ में ही रखा।
प्रबंधन क्षेत्र में सैयद रईसी का प्रवेश 1980 में शुरू हुआ जब वह तेहरान से लगे शहर करज के जिला अटॉर्नी के पद पर थे और कुछ समय बाद शहीद क़ुद्दूसी के आदेश से उन्हें करज के ज़िला अटॉर्नी के पद पर नियुक्त किया गया।
दो वर्ष बाद 1982 की गर्मियों में, सैयद इब्राहीम रईसी ने करज शहर अटार्नी जनरल की ज़िम्मेदारी संभालते हुए हमदान के अटार्नी जनरल का कार्यभार संभाल लिया और 1984 तक इस पद पर कार्यरत रहे।
1985 में सैयद रईसी को तेहरान की क्रांति के न्यायालय के डिप्टी एटार्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया गया और इस तरह उनका न्यायिक प्रबंधन का दौर शुरू हुआ।
जटिल न्यायिक मामलों को सुलझाने में सैयद रईसी की सफलता के बाद, इमाम ख़ुमैनी रहमुल्लाह अलैह ने एक विशेष आर्डर के ज़रिए उन्हें और हुज्जतुल इस्लाम नैय्यरी को लुरिस्तान, किरमानशाह और सेमनान सहित कुछ प्रांतों में सामाजिक समस्याओं से निपटने का काम सौंपा।
फ़िक़्ह और क़ानून के विषय में अपना शोध पूरा करके वह धार्मिक शिक्षा केन्द्र में उच्चतम स्तर की डिग्री (फ़ोर्थ ग्रेड) प्राप्त करने में सफल रहे और आख़िर में उन्होंने डाक्ट्रेट के थीसेज़ लिखे जिसका शीर्षक था (फ़िक़्ह और कानून में अस्ल और ज़ाहिर के बीच टकराव) और बेहतरीन नंबरों से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने में कामयाब रहे।
एटार्नी जनरल सर:
1989 में इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की मृत्यु के बाद, सैयद इब्राहीम रईसी को तत्कालीन न्यायपालिका के प्रमुख के आदेश द्वारा तेहरान के एटार्नी जनरल के पद पर नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल पांच वर्ष तक चला।
सैयद रईसी को 1994 में ईरान के आम निरीक्षण संगठन के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और 10 साल तक वह इस पद पर रहे।
सैयद इब्राहीम रईसी का देश के आम निरीक्षण संगठन का प्रबंधन काल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि उन्होंने अपने हासिल अनुभवों पर भरोसा करके प्रशासनिक संस्थानों को पूरी तरह बदल दिया और व्यवस्थित कर दिया।
सैयद रईसी के कार्यकाल के दौरान देश के आम निरीक्षण संगठन को एक संतुलित संरचनात्मक विकास का सामना करना पड़ा और इसे इस्लामी गणतंत्र ईरान के पर्यवेक्षी स्तंभों में से एक के रूप में स्थापित किया गया था।
इस अवधि के दौरान ईरान की बहुत से प्रशासनिक और आर्थिक सिस्टम की कमियों का पता चला और देश की कुछ संस्थाओं में पाए जाने वाले भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने का रास्ता तैयार किया गया।
सैयद रईसी 2004 से 2014 तक ईरान की न्यायपालिका के फ़र्स्ट डिप्टी भी थे और 2014 से 2015 तक उन्होंने देश के अटॉर्नी जनरल के रूप में भी जनता की सेवाएं कीं।
सैयद इब्राहीम रईसी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई के आदेश से 2012 से 2021 तक धर्मगुरुओं के विशेष एटार्नी जनरल के पद पर भी रहे।
इसके अलावा, मार्च 2016 में, इमाम खामेनेई के आदेश से सैयद रईसी को तीन साल के लिए हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े का मुख्य मुतवल्ली और प्रभारी नियुक्त किया गया और इस अवधि के दौरान उन्होंने तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं की जमकर सेवाएं कीं और वंचितों की मदद के लिए बहुत सारे मूल्यवान कार्य किए।
न्यायपालिका प्रमुख से लेकर राष्ट्रपति पद तक:
7 मार्च, 2019 को, सैयद इब्राहीम रईसी को क्रांति के सर्वोच्च नेता द्वारा ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।
सैयद रईसी के राष्ट्रपति काल के दौरान न्यायिक व्यवस्था में काफ़ी निखार आ गया और उन्होंने इस्लामी गणतंत्र ईरान की व्यवस्था में इस संस्था का स्तर बहुत ऊंचा उठा दिया।
सैयद रईसी ने क्षेत्रीय प्रबंधन और लोगों की न्यायिक समस्याओं का जल्द निरवारण, आर्थिक भ्रष्टाचारियों से निर्णायक और समझौता न करने, न्यायिक व्यवस्था में सुधार के दस्तावेज़ का मसौदा तैयार करने के साथ ईरान की न्यायिक व्यवस्था को आगे बढ़ावा देने की दिशा में गंभीर कदम उठाए यहां तक कि न्यायपालिका को और अधिक स्मार्ट बनाने की वजह से क्रांति के सर्वोच्च नेता ने तारीफ़ भी की और इससे जनता के दिलों में आशा पैदा करने वाला क़रार दिया था।
2021 में, सैयद इब्राहीम रईसी ने राष्ट्रपति पद के 13वें चुनाव में भाग लिया और 18 जून 2021 को 18 मिलियन से अधिक वोटों से जीतकर देश के राष्ट्रपति बने।
इसके अलावा, राष्ट्रपति सैयद रईसी 1402 हिजरी शम्सी में गार्जियन काउंसिल के छठे कार्यकाल के चुनाव में 82.57 प्रतिशत वोटों से जीतकर तीसरी बार गार्जियन काउंसिल के प्रमुख बने।
डॉ. इब्राहीम रईसी के शैक्षिक अतीत और किताबों पर एक नज़र
आयतुल्लाह रईसी ने उच्च धार्मिक पाठ्यक्रमों को बड़ी लगन से पढ़ते हुए धार्मिक शैक्षिक प्रणाली में उच्च स्थान प्राप्त किया जबकि न्यायशास्त्र (फ़ेक़्ह) और क़ानून में डॉक्टरेट तक की अपनी विश्वविद्यालय की पढ़ाई भी एक साथ पूरी की।
क़ुम के सर्वोच्च धार्मिक शिक्षा केन्द्र में आयतुल्लाह सैयद इब्राहीम रईसी ने आयतुल्लाह मरवी से उसूले फ़िक़्ह, आयतुल्लाह मिश्कीनी और आयतुल्लाह खज़अली से पवित्र क़ुरआन की तफ़सीर, आयतुल्लाह अहमद बहिश्ती से शरहे मंज़ूमा और फ़लसफ़ा और आयतुल्लाह मुतह्हरी से शेनाख़्त और आयतुल्लाह नूरी हमदानी से नहजुल बलाग़ा का पाठ हासिल किया जबकि धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के अन्य प्रसिद्ध उस्तादों से शिक्षा हासिल की।
आयतुल्लाह सैयद इब्राहीम रईसी ने धार्मिक शिक्षा हासिल करते समय ही विश्वविद्यालय में एकेडमिक शिक्षा भी हासिल की और क़ानून के विषय में मास्टर डिग्री हासिल की और 1380 हिजरी शम्सी में अपने थीसेज़ तैयार करने के बाद उन्होंने डॉक्टरेट के इंट्रेंस एग्ज़ाम को अच्छे नंबरों से पास किया और न्यायशास्त्र (फ़िक़्ह) और निजी कानून में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए शहीद मुतह्हरी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया।
फ़िक़्ह और क़ानून के विषय में अपना शोध पूरा करके वह धार्मिक शिक्षा केन्द्र में उच्चतम स्तर की डिग्री (फ़ोर्थ ग्रेड) प्राप्त करने में सफल रहे और आख़िर में उन्होंने डाक्ट्रेट के थीसेज़ लिखे जिसका शीर्षक था (फ़िक़्ह और कानून में अस्ल और ज़ाहिर के बीच टकराव) और बेहतरीन नंबरों से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने में कामयाब रहे।
अपनी प्रमुख राष्ट्रीय ज़िम्मेदारियों के अलावा, छात्रों के साथ अपने शैक्षिक संबंध बनाए रखने के लिए आयतुल्लाह महदवी कनी और आयतुल्लाह हाज आग़ा मुजतबी तेहरानी की बारम्बार सलाह के अनुसार, 2001 से तेहरान में मज्द धार्मिक शिक्षा केन्द्र, अमीरल मोमिनीन, इमाम हुसैन धार्मिक शिक्षा केन्द्र और मरवी धार्मिक शिक्षा केन्द्रों में रसाएल और मकासिब पढ़ाते थे उसके बाद पवित्र मशहद के लिए रवाना होने के बाद, 2016 की शुरुआत में उन्होंने नव्वाब डिग्री कालेज में "फ़ेक़्हे वक्फ़" नामक विषय पढ़ाया।
आयतुल्लाह डॉ. रईसी ने इमाम सादिक विश्वविद्यालय, शहीद मुतह्हरी डिग्री कालेज और आज़ादे इस्लामी विश्वविद्यालय में मास्टर और डॉक्टरेट की क्लासों में फ़ेक़्हे क़ज़ा, फ़ेक़्हे इक़तेसाद, उसूले फ़ेक़्ह और नागरिक क़नून के विशेषों को पढ़ाया।
शैक्षिक अतीत:
क़ुम धार्मिक शिक्षा केन्द्र से फ़िक़्ह और उसूल का चौथा ग्रेड
शहीद मुतह्हरी डिग्री कालेज से क़ानून के विषय में पीएचडी
तेहरान धार्मिक शिक्षा केन्द्रों और विश्वविद्यालयों में फ़ेक़्हे क़ज़ा, फ़ेक़्हे इक़तेसाद और उच्च स्तरीय धर्मशास्त्र की किताबें पढ़ाना।
पुस्तकें:
फ़िक़्ह के नियमों की व्याख्या (न्यायिक हिस्सा)
फ़िक़्ह के नियमों की व्याख्या किताब (आर्थिक हिस्सा)
फ़िक़्ह के नियमों की व्याख्या पुस्तक (इबादत का हिस्सा)
फ़िक़्ह और क़ानून में उस विरासत का मामला जिसका कोई वारिस न हो।
फ़िक़्ह और क़ानून में अस्ल और ज़ाहिर में टकराव
फ़िक़्हे वक़्फ़
कुछ शैक्षिक भाषण:
ज़िम्मेदारी के अनेक कारण
बातिल बिक्री और उसके प्रकार
रेहेन (गिरवी) का अर्थ
कुशल प्रबंधन
प्रभावी पर्यवेक्षण
न्यायिक और आर्थिक निर्णयों का पारस्परिक प्रभाव
इस्लाम में पर्यवेक्षण और निरीक्षण का स्थान
न्याय और जीवनशैली पर इसका प्रभाव
और विश्वविद्यालयों और धार्मिक शैक्षिक केंद्रों और देश के मंत्रालयों और संगठनों के विशेष सेमिनारों में आर्थिक, प्रबंधकीय, सामाजिक और क़ानूनी विषयों पर दर्जनों शैक्षिक भाषण वग़ैरह
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाषण:
अफ़्रीक़ा में एडमिनिस्ट्रेटिव करप्शन शिखर सम्मेलन
अर्जेंटीना में संगठित अपराध विरोधी शिखर सम्मेलन
रूस के सोची में प्रशासनिक स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन
पाकिस्तान में मानवाधिकार शिखर सम्मेलन
सामाजिक परिवर्तनों में आशूरा की भूमिका पर शिखर सम्मेलन - इस्तांबुल, तुर्किये
मानवाधिकारों की रक्षा में संविधान की भूमिक पर सम्मेलन - नाइजीरिया
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शिखर सम्मेलन - चीन
फिलीपींस में एंटी करप्शन शिखर सम्मेलन और एशिया के उप महानिरीक्षक के रूप में नियुक्ति
और विदेशी अधिकारियों की उपस्थिति में दर्जनों अन्य अहम बैठकें
शैक्षिक मैदान में स्थापना और गठन की गतिविधियां:
तेहरान (नस्र गली) में फ़ातेमा ज़हरा धार्मिक शिक्षा केन्द्र (लड़कियां) के संस्थापक
क़ुम धार्मिक शिक्षा केन्द्र की देखरेख में, इमाम हादी शिया समुदाय अध्ययन केंद्र के संस्थापक
अयातुल्ला इब्राहिम रायसी और उनके साथ शहीद हुए लोगों का अंतिम संस्कार आज
शहीद राष्ट्रपति अयातुल्ला इब्राहिम रायसी और उनके साथ हवाई दुर्घटना में शहीद हुए लोगों का अंतिम संस्कार आज अलग-अलग शहरों में हुआ, जबकि राष्ट्रपति रायसी का अंतिम संस्कार मशहद में किया जा रहा है.
हवाई दुर्घटना में शहीद हुए अयातुल्ला रायसी और उनके साथियों का भव्य और ऐतिहासिक अंतिम संस्कार और दफ़नाना आज, गुरुवार 23 जून को देश के विभिन्न शहरों में हुआ - इस दौरान प्रिय राष्ट्रपति देश के शहीद सद्र का अंतिम संस्कार आज सुबह दक्षिण खुरासान प्रांत के बिरजंद शहर में किया गया, जिसके बाद उन्हें हरम रिज़वी में दफनाने के लिए मशहद स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वर्तमान में उनका अंतिम संस्कार हो रहा है।
इस दुखद घटना के बाद इन दिनों ईरानी लोग शोक में हैं और राष्ट्रपति की स्मृति और सेवाओं को जीवित रखने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में बैठकें आयोजित कर रहे हैं और एकजुटता और सहानुभूति की यह श्रृंखला तबरीज़ से मशहद तक फैली हुई है शहीद राष्ट्रपति और उनके साथियों को विदाई-
तबरीज़, क़ोम और तेहरान में ऐतिहासिक जुलूसों के बाद, अयातुल्ला सैय्यद इब्राहिम रायसी के शव को आज, 23 जून, गुरुवार को दफ़नाने के लिए मशहद ले जाया गया है। अयातुल्ला रायसी और उनके दो साथियों के अवशेषों को लेकर एक विमान आज सुबह बिरजंद के शहीद कावाह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा, जहां कई सरकारी अधिकारियों, प्रांतीय अधिकारियों, हस्तियों और मेहमानों ने उनके अवशेषों पर शोक व्यक्त किया
बिरजंद शहर में शहीद राष्ट्रपति अयातुल्ला सैय्यद इब्राहिम रायसी के अंतिम संस्कार में शोक संतप्त ईरानी लोगों ने अपनी भागीदारी से इतिहास रच दिया।
रिपोर्टों के अनुसार, बिरजुंड और आसपास के इलाकों के शोक संतप्त लोगों ने गुरुवार सुबह बिरजुंड में अंतिम संस्कार में अपनी बड़ी भागीदारी से एक बार फिर इस्लामी जमूरी प्रणाली और राष्ट्र और राष्ट्र के सेवकों के प्रति अपना हार्दिक और हार्दिक लगाव दिखाया।
इस रिपोर्ट के अनुसार, अंतिम संस्कार शुरू होने से बहुत पहले लाखों शोक मनाने वाले लोग सड़कों पर थे - रिपोर्टों से पता चला है कि तबरीज़, क़ोम और तेहरान के बाद, बिरजंद में शहीद राष्ट्रपति और उनके साथी शहीदों के अंतिम संस्कार में भी ईरानी लोगों के शोक मनाने वालों ने भाग लिया था। .भागीदारी अनुकरणीय एवं ऐतिहासिक रही।
इस बीच मशहद से हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि शहीद राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कई विदेशी मेहमान भी मशहद पहुंचे हैं. मशहद से हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के मुताबिक, शहीद राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और सऊदी अरब के प्रतिनिधिमंडल मशहद पहुंच चुके हैं.
ईरान और आर्मेनिया की दोस्ती के विरोधी भी हैं, जिससे सावधान रहने की ज़रूरत है, सुप्रीम लीडर
आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पाशिनियन ने बुधवार को इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर के साथ मुलाक़ात में अर्मेनियाई राष्ट्र और सरकार की ओर से ईरानी राष्ट्रपति और उनके साथियों की शहादत पर ईरानी राष्ट्र और सरकार के प्रति संवेदना और सहानुभूति जताई।
इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने आर्मेनिया के प्रधान मंत्री द्वारा व्यक्त की गई सहानुभूति की सराहना करते हुए ईरान और आर्मेनिया की ऐतिहासिक और भौगोलिक समानताओं और संयुक्त हितों की ओर इशारा किया और कहाः आर्मेनिया के साथ संबंधों का विस्तार करने की इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीति मिस्टर मुख़बिर के मार्गदर्शन में जारी रहेगी।
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहाः सहयोग के विस्तार पर मेरा ज़ोर, संबंधों की रणनीतिक प्रकृति को दर्शाता है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि ईरान और आर्मेनिया की दोस्ती के विरोधी भी हैं, इसीलिए दोनों देशों को सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
उन्होंने कहाः हमारे स्वर्गीय राष्ट्रपति आर्मेनिया की सीमाओं से संबंधित मामलों के लेकर काफ़ी संवेदनशील थे, जिसका ध्यान रखे जाने की बहुत ज़रूरत है और हमें अपने हितों को ख़ुद सुरक्षित रखने में सक्षम होना चाहिए।
आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पाशिनियन ने भी इस मुलाक़ात में कहाः हवाई हादसे में ईरानी राष्ट्रपति और उनके साथियों के निधन की ख़बर सुनकर हम स्तब्ध रह गए, लेकिन जैसा कि आपने कहा है, हम आश्वस्त हैं कि आपके नेतृत्व और मार्गदर्शन में ईरान के मामलों में कोई रुकावट उत्पन्न नहीं होगी।