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हमास के प्रमुख इस्माईल हनिया ने बुधवार को ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात में राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी और उनके साथियों की शहादत पर ईरानी राष्ट्र और सरकार के प्रति संवेदना और सहानुभूति जताई।

सुप्रीम लीडर ने इस मुलाक़ात में फ़िलिस्तीनी राष्ट्र विशेष रूप से ग़ज़ा के लोगों द्वारा सहानुभूति जताए जाने का शुक्रिया अदा किया और इस्माईल हनिया को भी उनके बच्चों की शहादत पर संवेदना प्रकट की और उनके सब्र और धैर्य का सराहना की।

दुनिया को आश्चर्यचकित करने वाले ग़ज़ा के लोगों के ग़ैर-मामूली प्रतिरोध का ज़िक्र करते हुए सुप्रीम लीडर ने कहाः कौन यक़ीन कर सकता था कि एक दिन अमरीकी यूनिवर्सिटियों में फ़िलिस्तीन के हक़ में नारे लगेंगे और फ़िलिसतीनी झंडा लहराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि भविष्य में भी फ़िलिस्तीन के बारे में कुछ ऐसी घटनाएं घट सकती हैं कि जिन पर आज यक़ीन करना मुश्किल है।

सुप्रीम लीडर ने क़ुरान में हज़रत मूसा (अ) की मां से किए गए दो वादों का उल्लेख करते हुए कहाः फ़िलिस्तीनियों के लोगों के बारे में पहला वादा पूरा हो चुका है, यानी ग़ज़ा के लोग जो एक छोटा सा समूह है, बड़ी ताक़तों अमरीका, नाटो, ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों पर जीत हासिल कर चुका है। इसी आधार पर दूसरा वादा यानी ज़ायोनी शासन के विनाश का वादा भी पूरा होगा और समुद्र से लेकर नदी तक फ़िलिस्तीनी देश का गठन होगा।

उन्होंने कहाः देश के संविधान के मुताबिक़, मिस्टर मुख़बिर के हाथों में सत्ता है और वह फ़िलिस्तीन के बारे में शहीद राष्ट्रपति रईसी की नीतियों को उसी जज़्बे और जोश के साथ आगे बढ़ायेंगे।

इस मुलाक़ात में इस्माईल हनिया ने फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का मज़बूत समर्थन करने और हमेशा उसके साथ खड़ा रहने के लिए ईरानी राष्ट्र और सरकार की सराहना की और कहाः राष्ट्रपति रईसी फ़िलिस्तीनी राष्ट्र और प्रतिरोध के एक अच्छे दोस्त थे, विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने भी हर मंच पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ़िलिस्तीन का बचाव किया और मैं हमेशा उनसे कहता था कि आप प्रतिरोध के विदेश मंत्री हैं।

हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख ने ग़ज़ा की वर्तमान स्थिति के बारे में कहाः आज क्षेत्र और फ़िलिस्तीन में प्रतिरोधी मोर्चा सबसे अच्छी स्थिति में है, जबकि दुश्मन ज़ायोनी शासन बदतरीन स्थिति में है और यह ईश्वर की कृपा से है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 22 मई 2024 की शाम को क़तर के शासक शैख़ तमीम बिन हमद बिन ख़लीफ़ा आले सानी और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में हालिया कटु घटना पर क़तर की संवेदना और हमदर्दी का शुक्रिया अदा करते हुए दोनों मुल्कों के तरक़्क़ी की राह पर चलते रहने पर बल दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 22 मई 2024 की शाम को क़तर के शासक शैख़ तमीम बिन हमद बिन ख़लीफ़ा आले सानी और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में हालिया कटु घटना पर क़तर की संवेदना और हमदर्दी का शुक्रिया अदा करते हुए दोनों मुल्कों के तरक़्क़ी की राह पर चलते रहने पर बल दिया।

उन्होंने मरहूम राष्ट्रपति रईसी जैसी समग्र शख़्सियत के मालिक राष्ट्रपति को खो देने को कठिन मरहला बताया और कहा कि इसके बावजूद मुल्क के रुख़ में कोई बदलाव नहीं आएगा और ईरान-क़तर के बीच मोहब्बत और भरोसे का वही माहौल जो मरहूम राष्ट्रपति के दौर में था, जनाब मुख़बिर साहब की तरफ़ से भी बना रहेगा।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने क्षेत्र के हालात और इलाक़े की शांति व स्थिरता को तबाह करने की दुश्मनों की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि क्षेत्र के मुल्कों के सामने सिर्फ़ एक ही रास्ता है और वह समरसता के साथ एक दूसरे के साथ चलना है।

इस मुलाक़ात में क़तर के शासक शैख़ तमीम बिन हमद आले सानी ने राष्ट्रपति और दुर्घटना का शिकार होने वाले दूसरे लोगों के निधन पर संवेदना जताते हुए कहा कि ईरान और क़तर के संबंध हमेशा मज़बूत रहे हैं और यह रास्ता जारी रहेगा।

उन्होंने क्षेत्र में मौजूद खतरों से निपटने का एकमात्र रास्ता क्षेत्रीय मुल्कों के बीच सहयोग व सामंजस्य को बताया और कहा कि हम ईरान के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में किसी भी सीमा को नहीं मानते।

 

 

 

 

 

शहीद हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आले हाशिम की अंतिम संस्कार सुबह 9.30 बजे ईरानी समय आनुसार तबरेज़ में बड़ी संख्या में अधिकारियों और लोगों की उपस्थिति में हुई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,शहीद हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आले हाशिम की अंतिम संस्कार सुबह 9.30 बजे ईरानी समय आनुसार तबरेज़ में बड़ी संख्या में अधिकारियों और लोगों की उपस्थिति में हुई।

तशहीह जनाज़ा और नमाज़े जनाज़ा के बाद शहीद हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आले हाशिम के शरीर को दफनाने के लिए वादीए रहमत तबरीज़ में ले जाया जाएगा और वादी रहमत तबरीज़ के गुलज़ारे शोहादा में दफनाया जाएगा

 

 

 

 

 

 

इस्लामी गणतंत्र ईरान के अंतरिम राष्ट्रपति ने कहा है कि ईरान के शहीद राष्ट्रपति लोगों के प्रिय, दयालु और अथक प्रयास करने वाले व्यक्ति थे।

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ टेलीफोन पर बातचीत में ईरान के अंतरिम राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर ने शहीद राष्ट्रपति और उनके साथियों और उस देश के प्रधान मंत्री और उनके साथियों की शहादत के लिए सीरिया में तीन दिनों के सामान्य शोक की घोषणा की। साथियों. उन्होंने अंतिम संस्कार में प्रतिनिधिमंडल की भागीदारी की भी सराहना की और कहा कि सीरिया ईरानी राष्ट्र का एक रणनीतिक भागीदार और स्थायी मित्र है.

मोहम्मद मोखबर ने कहा कि हालिया हवाई दुर्घटना में ईरानी राष्ट्र ने दो प्रभावशाली हस्तियों, राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को खो दिया है, लेकिन ईरान की सभी संस्थाएं पहले की तरह ही अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हैं और इसका कारण इस्लामी संरचना है। ईरान गणराज्य मजबूत है और इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला आज़मी खामेनेई बुद्धिमान और बुद्धिमान नेतृत्व के प्रतीक हैं। मोहम्मद मोखबर ने इस बात पर भी जोर दिया कि ईरान की सरकार, अतीत की तरह, प्रतिरोध की धुरी, विशेष रूप से स्वतंत्र और स्वतंत्र देश सीरिया के लिए अपने पूर्ण और सर्वांगीण समर्थन के लिए प्रतिबद्ध है।

सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद ने भी ईरान की सरकार और लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि शहीद रायसी एक प्रभावशाली व्यक्ति थे और उनका नाम और स्मृति सीरिया के लोगों और सरकार के दिमाग में हमेशा जीवित रहना चाहिए। इच्छा

सीरिया के राष्ट्रपति ने कहा कि शहीद रायसी ने हमेशा अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से प्रतिरोध की धुरी और फिलिस्तीन के मुद्दे का समर्थन किया और दुनिया उन्हें याद रखेगी।

ग़ज़्ज़ा में इस्राईल की ओर से जारी जनसंहार के बीच अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने मिस्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह दुनियाभर को बेवक़ूफ़ बना रहा है तथा हमास और इस्राईल के बीच हुए समझौते के प्रस्ताव की शर्तों को बदल दिया। इस प्रस्ताव में ज़ायोनी बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के साथ अस्थाई रूप से युद्ध को समाप्त करने की बात कही गई थी।

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका और कतर का मानना है कि इस्राईल के बाद हमास ने छह मई को जिस युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, वह प्रस्ताव इस्राईल के सामने पेश हुए प्रस्ताव से बिल्कुल अलग था। मिस्र के अधिकारियों द्वारा प्रस्ताव में किए गए बदलाव को पहले नहीं बताया गया था, इससे अमेरिका, कतर और ज़ायोनी शासन में गुस्से की लहर फैल गई।

एक सूत्र के मुताबिक़ ऐसा लगता है हम सब ठगे गए। मिस्र ने जब समझौते की शर्तों को बदला अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक बर्न्स उसी क्षेत्र में उपस्थित थे।

रिपोर्ट के मुताबिक़ मिस्र के वरिष्ठ खुफिया अधिकारी अहमद अब्दुल खालिक इन परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस समझौते को लेकर ज़ायोनी शासन को अलग बात बताई और हमास से कुछ और कहा।

 

यूरोप के तीन देशों ने ऐतिहासिक और साहसी क़दम उठाते हुए ज़ायोनी सेना द्वारा चलाये जा रहे जनसंहार का सामना कर रहे फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का फैसला किया है जिसके बाद ज़ायोनी शासन भड़क गया है।

नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बुधवार को फिलिस्तीन को एक अलग देश के तौर पर मान्यता दे दी। ज़ायोनी शासन ने इस क़दम की कड़ी आलोचना की है जबकि फिलिस्तीन ने खुशी जताई है। इस्राईल ने नॉर्वे और आयरलैंड से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का आदेश दिया है। इस्राईल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस कदम के गंभीर नतीजे होंगे। इससे तनाव बढ़ गया है।

नॉर्वे ने फिलिस्तीन को सबसे पहले अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के फैसले की घोषणा की। नॉर्वे के पीएम जोनस गार स्तूर ने कहा, यदि फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी गई तो पश्चिम एशिया में शांति नहीं हो सकती। नॉर्वे 28 मई तक फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दे देगा।

 

फिलिस्तीन में जनसंहार करते हुए अब तक 37 हज़ार से अधिक बेगुनाह लोगों का क़त्ले आम कर चुकी ज़ायोनी सेना जहाँ सैंकड़ों मस्जिदों को शहीद कर चुकी है वहीँ अब ज़ायोनी सैनिक खुल्लम खुल्ला क़ुरआने मजीद के अपमान पर उतर आए हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि रफह में एक मस्जिद में ज़ायोनी सैनिक अपमान जनक हरकतें करते हुए क़ुरआने मजीद की प्रति को आग में डाल रहा है।

सोशल मीडिया पर यह वीडियो पोस्ट करते हुए एक यूज़र ने कहा कि यह सैनिक ज़ायोनी सेना की जफ़आती डिवीज़न का सदस्य है। क्या अब भी अरब और मुस्लिम देश इन अपराधियों से अपने रिश्ते सामान्य करेंगे और इन्हे एक देश के रूप में मान्यता देंगे ?

 

 

अमेरिका ने यमन के लोकप्रिय जनांदोलन और यमन सेना की ताक़त का लौहा मानते हुए कहा कि यमनी बल भूमध्य सागर तक अपने लक्ष्यों को सफलता से भेदने में सक्षम हैं। ब्लूमबर्ग के अनुसार, नाम न बताने की शर्त पर एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी सरकार चिंतित है कि इस समूह के पास लाल सागर और अदन की खाड़ी से लेकर भूमध्य सागर तक जहाजों पर अपने अभियान को विस्तार देने की क्षमता है।

इस अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि हौसियों के पास अत्याधुनिक उन्नत हथियारों मौजूद है और उनके द्वारा जहाज-रोधी बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती अभूतपूर्व है।

ग़ौर तलब है कि यमनी बलों ने हाल ही में घोषणा की है कि वह ज़ायोनी शासन के साथ सहयोग करने वाले जहाजों पर अपने हमलों का दायरा बढ़ाते हुए पूर्वी भूमध्य सागर में दुश्मन के जहाज़ों को निशाना बनाएंगे।

 

हज 2024 हज हरियाणा के नूंह जिले की रहने वाली 99 वर्षीय बुजुर्ग महिला हज्जन असगरी और 98 वर्षीय चंद्री दिल्ली के आई,जी,आई एयरपोर्ट से रवाना हुईं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली/हज 2024 में भारत से हज करने वाले सभी तीर्थयात्रियों में सबसे बुजुर्ग महिलाएं दिल्ली के आई, जी की 99 वर्षीय हजान असगरी और 98 वर्षीय चंद्री हैं। मैं हवाई अड्डे से प्रस्थान किया।

देश और दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला हज यात्री को विदा करने और उनके यात्रा दस्तावेज पेश करने के लिए भारत सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के निदेशक और भारतीय हज समिति के सी, ई, ओ खुद हवाई अड्डे पर पहुंचे। डॉ. लियाकत अली अफाकी, आई, आर, एस मौजूद रहे।

हज की भावना और साहस की सराहना करते हुए, डॉ. अफ़ाकी ने शुभकामनाओं के साथ एक शॉल और गुलदस्ता भेंट किया और हज के दौरान पूर्ण स्वास्थ्य और सुरक्षा और सुरक्षित घर वापसी के लिए प्रार्थना की। उन्होंने हज्जन से अपील की कि वे भारतीयों की सुरक्षा, राष्ट्र के विकास और स्थिरता तथा शांति व्यवस्था के लिए प्रार्थना करें।

ज्ञात हो कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के संरक्षण एवं देखरेख एवं भारतीय हज समिति के नेतृत्व में अब तक 161 उड़ानों के माध्यम से 48,986 भारतीय तीर्थयात्री सुरक्षित सऊदी अरब पहुंच चुके हैं, जिनमें मदीना एवं 32,313 तीर्थयात्री शामिल हैं। मक्का में 16,673 मुकरमा में मौजूद हैं। इन तीर्थयात्रियों की मदद और मार्गदर्शन के लिए 241 हज सेवक भी सऊदी अरब पहुंचे हैं।

गौरतलब है कि भारत से कुल 1,75,025 तीर्थयात्रियों में से 1,40,020 तीर्थयात्री 8 मई से विभिन्न एयरलाइनों द्वारा मक्का और मदीना के लिए सभी यात्रा सुविधाओं के साथ यात्रा करेंगे संतोषजनक ढंग से. देश के 19 आरोहण बिंदुओं और राज्यों से भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा 9 जून, 2024 तक जारी रहेगी।

भारतीय हज समिति के सी,ई,ओ. डॉ. लियाकत अली अफाकी, आईआर-एस ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसके पास सऊदी अरब में हज रसोई की सुविधा है। लेकिन इसके दुरुपयोग और लापरवाही से निपटने से जबरदस्त नुकसान हो सकता है। डॉ. अफाकी ने सऊदी अरब पहुंचे सभी तीर्थयात्रियों और सऊदी अरब पहुंचने वाले लोगों से अपील की है कि वे सख्त जरूरत के समय उन स्थानों पर सावधानी से खाना पकाने की व्यवस्था करें जहां अनुमति दी गई है।

डॉ. अफाकी ने कहा कि सभी जानते हैं कि हज यात्रा अन्य यात्राओं की तुलना में कठिन होती है। सी, ई, ओ हज कमेटी ऑफ इंडिया ने कहा कि दूसरे देशों में हज किया जाता है, वहां के अलग-अलग नियम हैं, छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करें, अफवाहों और झूठे प्रचार में न आएं. कुछ लोग पुराने वीडियो शेयर कर आपको गुमराह करने और मूल मकसद से भटकाने की नाकाम कोशिश करते रहते हैं. आप सभी अपना पूरा ध्यान दें।

आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पाशिनियन ने बुधवार को इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर के साथ मुलाक़ात में अर्मेनियाई राष्ट्र और सरकार की ओर से ईरानी राष्ट्रपति और उनके साथियों की शहादत पर ईरानी राष्ट्र और सरकार के प्रति संवेदना और सहानुभूति जताई।

इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने आर्मेनिया के प्रधान मंत्री द्वारा व्यक्त की गई सहानुभूति की सराहना करते हुए ईरान और आर्मेनिया की ऐतिहासिक और भौगोलिक समानताओं और संयुक्त हितों की ओर इशारा किया और कहाः आर्मेनिया के साथ संबंधों का विस्तार करने की इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीति मिस्टर मुख़बिर के मार्गदर्शन में जारी रहेगी।

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहाः सहयोग के विस्तार पर मेरा ज़ोर, संबंधों की रणनीतिक प्रकृति को दर्शाता है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि ईरान और आर्मेनिया की दोस्ती के विरोधी भी हैं, इसीलिए दोनों देशों को सावधानी बरतने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहाः हमारे स्वर्गीय राष्ट्रपति आर्मेनिया की सीमाओं से संबंधित मामलों के लेकर काफ़ी संवेदनशील थे, जिसका ध्यान रखे जाने की बहुत ज़रूरत है और हमें अपने हितों को ख़ुद सुरक्षित रखने में सक्षम होना चाहिए।

आर्मेनिया के प्रधान मंत्री निकोल पाशिनियन ने भी इस मुलाक़ात में कहाः हवाई हादसे में ईरानी राष्ट्रपति और उनके साथियों के निधन की ख़बर सुनकर हम स्तब्ध रह गए, लेकिन जैसा कि आपने कहा है, हम आश्वस्त हैं कि आपके नेतृत्व और मार्गदर्शन में ईरान के मामलों में कोई रुकावट उत्पन्न नहीं होगी।