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मथुरा काशी के बाद अब फतेहपुर सीकरी दरगाह पर दावा
उत्तर प्रदेश में आगरा के एक वकील ने फतेहपुर सीकरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह सलीम चिश्ती के परिसर के भीतर एक हिंदू मंदिर की मौजूदगी का दावा करते हुए एक अदालती मामला दायर किया है। वकील अजय प्रताप सिंह के मुताबिक आगरा की एक सिविल कोर्ट ने उनका दावा स्वीकार कर लिया है। उन्होंने फ़तेहपुर सीकरी में सलीम चिश्ती की दरगाह की पहचान देवी कामाख्या के मंदिर के रूप में की है, जिसके बगल में स्थित मस्जिद मंदिर परिसर का एक हिस्सा है।
वकील ने कहा कि विवादित संपत्ति, जो वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दायरे में है, मूल रूप से देवी कामाख्या का गर्भगृह था। उन्होंने इस धारणा को भी चुनौती दी कि फ़तेहपुर सीकरी की स्थापना अकबर ने की थी, उन्होंने दावा किया कि सीकरी, जिसे विजयपुर सीकरी भी कहा जाता है, का संदर्भ बाबरनामा में मिलता है, जो इसके पहले के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने दावा किया कि इसके अलावा, ऐतिहासिक संदर्भों से पता चलता है कि खानवा युद्ध के दौरान, सीकरी के राजा राव धामदेव ने माता कामाख्या की प्रतिष्ठित मूर्ति को गाज़ीपुर में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, जिससे मंदिर की प्राचीन जड़ें मजबूत हुईं।
भारत को ईरान का तोहफा, पांच क्रू मेंबर्स को किया रिहा
ईरान ने भारत के साथ अपने रिश्तों और भारत सरकार के प्रयासों के बाद इस्राईल के ज़ब्त जहाज़ के क्रू मेंबर्स में शामिल पांच भारतीय लोगों को रिहा करने का फैसला किया है। क्रू मेंबर्स की रिहाई को भारत को एक बड़ी कूटनीतिक कामयाबी बताया जा रहा है। दरअसल ईरान ने बीते दिनों मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ज़ायोनी शासन से संबंधित जो जहाज जब्त किया था, उसके क्रू के सदस्यों में शामिल पांच भारतीय नाविकों को रिहा कर दिया है। पांचों भारतीय नाविक ईरान से आज शाम को रवाना भी हो जाएंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने रिहा किए गए भारतीय नाविकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और साथ ही ईरान की सरकार को नाविकों की रिहाई के लिए धन्यवाद भी दिया।
ईरान ने बीती 13 अप्रैल को ज़ायोनी शासन से संबंधित एक कार्गो जहाज को जब्त किया था। उस जहाज के क्रू में 17 भारतीय नागरिक शामिल थे। ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य के नजदीक एमएसएसी एरीज को जब्त किया। यह जहाज होर्मुज जलडमरूमध्य से दुबई की तरफ जा रहा था। ईरान का आरोप था कि जहाज उनके इलाके से बिना इजाजत गुजर रहा था। जहाज पर सवार भारतीय दल में केरल की एक महिला नाविक एन टेसा जोसेफ भी थी, जिसे ईरान पहले ही रिहा कर चुका है।
पांच यूरोपीय देश फिलीस्तीन को मान्यता देने को तैयार
आयरलैंड के रेडियो और टेलीविजन चैनल ने बुधवार को खबर देते हुए कहा कि आयरलैंड, स्पेन, स्लोवेनिया और माल्टा फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के लिए तैय्यर हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,फिलिस्तीन में अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों के समर्थन से ज़ायोनी सेना की ओर से किये जा रहे जनसंहार के बीच यूरोपीय यूनियन के कम से कम 5 देश फिलिस्तीन को मान्यता देने का विचार कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोपीय संघ के कुछ देश 21 मई को फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के मुद्दे पर विचार कर करेंगे।
आयरलैंड के रेडियो और टेलीविजन चैनल ने बुधवार को खबर देते हुए कहा कि आयरलैंड, स्पेन, स्लोवेनिया और माल्टा फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।
इस चैनल ने खबर देते हुए दावा किया कि आयरलैंड और स्पेन सहित यूरोपीय संघ के कुछ देश 21 मई को फिलिस्तीन को मान्यता देंगे।
जानकार लोग इस कार्रवाई को फिलिस्तीन के प्रति यूरोप के रुख में बदलाव मान रहे हैं। आयरलैंड, स्लोवेनिया, माल्टा और नॉर्वे फ़िलिस्तीन राज्य को मान्यता देने की स्पेन के नेतृत्व वाली पहल का समर्थन कर रहे हैं।
तिलावत के साथ क़ुरआन फहमी बहुत ज़रूरी
इस्लाम की सबसे सुंदर और शानदार आध्यात्मिकता में से एक मदीना मस्जिद में क़ुरआन की तिलावत करना है। मस्जिद और क़ुरआन, काबा और कुरान को एक साथ जमा करना, यह सबसे खूबसूरत कॉम्बिनेशन में से एक है। यह वह स्थान हैं जहां क़ुरआन नाज़िल हुआ, यह वह स्थान है जहां यह आयात पहली बार पैगंबर के पाकीज़ा दिल पर नाज़िल हुई थी और उन्होंने काबा की फ़िज़ा में और आस पास इन आयात की तिलावत की। उन्होंने कष्ट सहे, मार खाई, यातनाएं झेलीं, फिर भली बुरी बातें सुनी, इन आयात को पढ़ा और इनकी मदद से इतिहास को पूरी तरह से बदलने में कामयाब रहे।
तिलावते क़ुरआन इसकी इलाही तालीम को दिलों में बसाने का वसीला और एक माध्यम है। इस्लामी समाज के विकास और तरक़्क़ी का यह पहला ज़ीना है। कितना अच्छा हो जिस क़ुरआनी बज़्म में आप दस मिनट या एक चौथाई क़ुरआन की तिलावत करते हैं तो वहीँ कुछ देर, या पांच मिनट्स इन्ही आयात का मफ़हूम और पैग़ाम भी मौजूद लोगों को बताएं और कहें कि मैंने जो आयात पढ़ीं हैं उनका मतलब और पैग़ाम यह था। यह बहुत अच्छी चीज़ है जिस से हाज़िरीन, सामेईन और मजलिस का स्तर और स्टेटस बढ़ेगा।
याह्या सिनवार की हत्या करने में नाकाम रही ज़ायोनी सेना
हमास के सैन्य कमांडर याह्या सिनवार के मुक़ाबले ज़ायोनी सेना को मिलने वाली हार को स्वीकारते हुए ज़ायोनी सेना के पूर्व चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ अवीव कोखावी ने कहा कि ज़ायोनी सेना ने ग़ज़्ज़ा में हमास प्रमुख याह्या सिनवार और क़स्साम ब्रिगेड के प्रमुख मोहम्मद ज़ैफ़ को मारने का निरंतर प्रयास किया लेकिन कभी भी अपने मिशन में कामयाब नहीं हो सकी।
ज़ायोनी टीवी चैनल 12 की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने स्वीकार किया कि तल अवीव ईरान से मुकाबला करने के लिए सैन्य तैयारियों में जुटा था और हमारा मानना था कि ग़ज़्ज़ा और हमास ज़ायोनी शासन के लिए ख़तरा नहीं बन सकते।
कोखावी ने आगे कहा कि ज़ायोनी शासन ने 2021 में हमास में बदलाव होते देखा, इसलिए उसने सिनवार और ज़ैफ़ की हत्या करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि हम पिछले कई महीनों से सफाई अभियान में जुटे हुए हैं लेकिन अभी तक ऐसा नहीं कर पाए हैं क्योंकि मामला बहुत जटिल है।
कोखावी ने कहा कि युद्ध को रोके बिना ज़ायोनी कैदियों को जीवित वापस लाने का कोई रास्ता नहीं है, कोखावी ने कहा कि उत्तरी मोर्चे पर युद्ध तभी रुक सकता है जब ग़ज़्ज़ा में भी युद्धविराम हो।
इस्राईल ने दिखाया अमेरिका को ठेंगा अकेले लड़ने को तैयार
इस्राईल ने अमेरिका की मनाग को ठुकराते हुए साफ़ कर दिया है कि हमे रफह में अपने सैन्य अभियान को चलाने के लिए अमेरिका की ज़रूरत नहीं है और रफह के लिए हमे जितने हथियारों की ज़रूरत है वह हमारे पास हैं।
इस्राईली सुरक्षा बल (आईडीएफ) के प्रवक्ता डैनियल हगारी से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सवाल किया गया कि क्या सेना अमेरिकी हथियारों के बिना अभियान चला सकती है। इस पर हगारी ने कहा, सेना के पास उन अभियानों के लिए सभी हथियार हैं, जिनकी वह योजना बना रहा है। रफाह में अभियान के लिए भी हमारे पास वह सभी हथियार हैं, जो हमें चाहिए।
बाइडन की ओर से रफह पर ज़ायोनी सेना के हमले के बाद अमेरिका की ओर से इस्राईल को हथियार आपूर्ति बंद करने की बयानबाजी पर बात करते हुए आईडीएफ के प्रवक्ता ने कहा, अमेरिका के साथ करीबी संबंध बने हुए हैं। असहमतियों को बंद दरवाजों के पीछे हल किया जाना चाहिए।
वहीं, ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बाइडन पर पलटवार करते हुए कहा कि, अगर हमें अकेले खड़ा होना पड़े, तो हम अकेले खड़े होंगे। हमारे पास काफी ज्यादा हथियार हैं।
इमरान खान का झुकने से इंकार, सेना से नहीं मांगेंगे माफ़ी
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सेना के सामने झुकने से साफ़ इंकार करते हुए कहा कि वह जेल में रहना पसंद करेंगे लेकिन सेना ने माफ़ी नहीं मांगेंगे। पाकिस्तान की अडियाला जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 9 मई को सैन्य प्रतिष्ठानों में हुई हिंसा के मामले में माफी मांगने से इंकार कर दिया। इसके बाद सेना ने कहा कि जब तक पूर्व पीएम सार्वजनिक माफी नहीं मांगते तब तक सेना उनकी पार्टी से बात नहीं करेगी।
इमरान खान ने कहा कि वह अपनी पाकिस्तान तहरीक-इंसाफ पार्टी द्वारा किए गए धरने की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि क्या वह 9 मई के हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए माफी मांगेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब दिया नहीं।
इमरान ने कहा, "मैंने (पूर्व) मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के सामने 9 मई की घटनाओं की निंदा की थी।" उन्होंने कहा कि उन्हें विरोध प्रदर्शनों के बारे में तब पता चला जब वह पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश हुए थे।
इमरान खान का झुकने से इंकार, सेना से नहीं मांगेंगे माफ़ी
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सेना के सामने झुकने से साफ़ इंकार करते हुए कहा कि वह जेल में रहना पसंद करेंगे लेकिन सेना ने माफ़ी नहीं मांगेंगे। पाकिस्तान की अडियाला जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 9 मई को सैन्य प्रतिष्ठानों में हुई हिंसा के मामले में माफी मांगने से इंकार कर दिया। इसके बाद सेना ने कहा कि जब तक पूर्व पीएम सार्वजनिक माफी नहीं मांगते तब तक सेना उनकी पार्टी से बात नहीं करेगी।
इमरान खान ने कहा कि वह अपनी पाकिस्तान तहरीक-इंसाफ पार्टी द्वारा किए गए धरने की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि क्या वह 9 मई के हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए माफी मांगेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब दिया नहीं।
इमरान ने कहा, "मैंने (पूर्व) मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के सामने 9 मई की घटनाओं की निंदा की थी।" उन्होंने कहा कि उन्हें विरोध प्रदर्शनों के बारे में तब पता चला जब वह पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश हुए थे।
आयतुल्लाहिल ख़ामेनई ने संसद के दूसरे चरण में अपना वोट डाला
तेहरान, शुक्रवार 10 मई 2024 को सुबह हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने संसद के दूसरे चरण के चुनाव में मतदान किया।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार की सुबह बारहवीं संसद के दूसरे चरण के चुनाव के लिए तेहरान में मतदान का आग़ाज़ होते ही इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में अपना वोट डाला।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार की सुबह बारहवीं संसद के दूसरे चरण के चुनाव के लिए तेहरान में मतदान का आग़ाज़ होते ही इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में अपना वोट डाला।
चुनाव के इस चरण में इलेक्ट्रॉनिक मशीनों से वोटिंग हो रही है।
अपना वोट डालने के बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस बात पर बल दिया कि पहले और दूसरे चरण में कोई फ़र्क़ नहीं है। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण के चुनाव की अहमियत पहले राउंड से कम नहीं है और अवाम इस राउंड में शिरकत करके सदन को पूरा करें।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने चुनाव को अवाम की शिरकत और अवाम के इरादे और डिसीजन मेकिंग का प्रतीक क़रार दिया और कहा कि मुल्क की तरक़्क़ी और बड़े लक्ष्य तक उसकी पहुंच की इच्छा रखने वाले हर इंसान का राष्ट्रीय कर्तव्य है कि चुनाव में शिरकत करे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने फ़रमाया कि वोट जितने ज़्यादा हों संसद उतनी ताक़तवर होगी और संसद जितनी ताक़तवर होगी मुल्क में काम करने की संभावना उतनी ज़्यादा होगी।
हज़रत मासूमा क़ुम (स) के 4 गुण
हौज़ा इलमिया खाहारान की शिक्षक ने कहा: इन महान गुणों का ज्ञान प्राप्त करके, इसे अपना कर्म माना जा सकता है और इन गुणों को व्यवहार में लाकर हम हज़रत फातिमा मासूमा के करीब पहुंच सकते हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आज सुबह ईरान के शहर मदरसा हज़रत ज़ैनब (स) में हज़रत फातिमा मासूमा (स) के धन्य जन्म के अवसर पर एक जश्न मनाया गया, जिसमें श्रीमती आज़ादपनाह ने विशेष भाषण दिया पता।
श्रीमती इज़ाद पनाह ने हज़रत फ़ातिमा मासूमा अलैहिस्सलाम के महान व्यक्तित्व के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हुए कहा: इन महान गुणों का ज्ञान प्राप्त करके, इसे अपना कर्म माना जा सकता है और इन गुणों को व्यवहार में लाया जा सकता है। हम हज़रत फ़ातिमा मासूमा पैगम्बर (स) के करीब पहुँच सकते हैं।
उस्ताद हौज़ा ए इल्मीया खाहारान ने कहा: हज़रत मासूमा (स) की पहली विशेषता यह है कि उनके जन्म से पहले ही, इमाम मासूम ने उनके जन्म की खबरें और घटनाएं बताई थीं, मुहम्मद बाक़िर (अ) के जन्म की भविष्यवाणी पैगंबर ने की थी इस्लाम (स) ने जनाब जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी को जब वह 50 साल के थे और कहा था कि जब तुम उनसे मिलो तो मेरा सलाम कहना।
उन्होंने जोर दिया: इमामों के बच्चों में हज़रत मासूमा (स) एकमात्र हैं जिनके जन्म से 45 साल पहले इमाम सादिक (अ) ने अपने एक साथी के साथ एक बैठक के दौरान उनके जन्म की भविष्यवाणी की थी और कहा था:: यह बच्चा मेरा बेटा मूसा है , भगवान उसे एक बेटी दे, जिसका नाम फातिमा होगा, उसे क़ोम की भूमि में दफनाया जाएगा, और जो कोई क़ोम में उससे मिलने जाएगा, उसके लिए स्वर्ग अनिवार्य है।
सुश्री आज़ादपनाह ने कहा: हज़रत मासूमा (स) की दूसरी विशेषता यह है कि वह एक विद्वान हैं और शिक्षिका नहीं हैं, और तीसरी विशेषता यह है कि वह सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण और आदर्श हैं, हर महिला के पास यह क्यों नहीं है महिलाओं के लिए एक आदर्श बनने की क्षमता, यह पवित्रता और पवित्रता की शर्त है, और चौथी विशेषता है अपने समय के इमाम की आवाज़ का जवाब देना और इमाम की आज्ञा का पालन करना।