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व्यापारी के भेस में सक्रिय इस्राईली सैन्य अधिकारी की मिस्र में हत्या की गई।मिस्र के इसकंदरिया नगर में ज़ायोनी सेना के एक जनरल की हत्या कर दी गई।कुछ सूत्रों ने बताया है कि एक मिस्री युवक ने ज़ायोनी सेना के उस जनरल की हमला करके हत्या कर दी जो एक व्यापारी के भेस में वहां पर सक्रिय था।

इस्राईल के टेलिवज़न चैनेल-12 ने इस ख़बर को इस ढंग से पेश किया है कि इस्राईल के एक व्यापारी की मिस्र के इसकंदरिया नगर में हत्या कर दी गई।हिब्रू भाषा के एक चैनेल कान के अनुसार अवैध ज़ायोनी शासन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस व्यक्ति की हत्या की जांच की जाएगी।

अलअक़सा तूफ़ान आप्रेशन की शुरूआत से ही मिस्र के भीतर लोगों के कुछ गुटों ने इस्राईल के सैन्य अधिकारियों की पहचान करके उनपर हमले किये जिनमें कई को मौत के घाट उतार दिया गया।

ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के हमले के दो हफ्तों के बाद मिस्र के एक पुलिवाले ने अपनी रिवाल्वर से इस्राईल के स्पेशल सैन्य दस्ते पर गोलीबी करके 6 इस्राईलियों की हत्या कर दी थी।

दूसरी ओर रफ़ह में ज़ायोनी सैनिकों के सैन्य आपरेशन की शुरूआत के साथ ही मिस्र ने इस बारे में इस्राईल को चेतावनी दी है।

आज सुबह मिस्र के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके सचेत किया है कि यह काम, क्षेत्र में स्थाई शांति प्राप्त करने के उद्देश्य से किये जाने वाले प्रयासों को ख़तरे में डाल देगा।

यह बयान, फ़िलिस्तीन के रफ़ह नगर में इस्राईल की सैन्य कार्यवाही की निंदा करते हुए कहता है कि तनाव बढ़ाने वाली यह ख़तरनाक कार्यवाही, दस लाख से अधिक फ़िलिस्तीनियों की जान को ख़तरे में डाल रही है।

इस संबन्ध में फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधी गुटों का कहना है कि एसा काम, बेगुनाह फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध जधन्य अपराध है।  उनका कहना है कि रफह पर इस्राईल के हमले की पूरी ज़िम्मेदारी अमरीकी सरकार और पश्चिमी समाज पर आती है।  इसी के साथ फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध का कहना है कि वह हर प्रकार की धमकी का मुक़ाबला करने के लिए तैयार है।

इसी तरह से रफह पर ज़ायोनियों के हमले के संदर्भ में मिस्री मूल के एक अमरीकी शोधकर्ता साम यूसुफ़ ने ट्वीट करके ज़ायोनियों के हाथों मिस्र की संप्रभुता के उल्लंघन की आलोचना की है।

इमाम हुसैन के रोज़े से संबंधित स्वस्थ उपचार एवं शिक्षा विभाग से जुड़ इंटरनेशनल ऑन्कोलॉजी फाउंडेशन वारिस ने 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों के इलाज से संबंधित ताजा तरीन आंकड़े जारी करते हुए कहा कि इस संस्था ने मार्च-अप्रैल की अवधि में 15 वर्ष से कम आयु के कम से कम 938 लोगून को उपचार सुविधा मुहैय्या कराई।

इस फाउंडेशन ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मार्च और अप्रैल 2024 में, वारिस इंटरनेशनल ऑन्कोलॉजी फाउंडेशन ने 15 वर्ष से कम उम्र के कैंसर से पीड़ित 938 बच्चों को अपनी उपचार सेवाएं प्रदान कीं।

इस बयान में कहा गया है कि अपनी स्थापना के बाद से और इमाम हुसैन के रोज़े की प्रबंधक समिति की प्रत्यक्ष देखरेख में, यह संस्था 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अपनी विभिन्न सेवाएँ निःशुल्क प्रदान कर रही है। इसके साथ ही, परामर्श, जांच और उपचार सहित सभी सेवाएं सबसे कुशल चिकित्सा कर्मचारियों और नवीनतम उपकरणों द्वारा प्रदान की जाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संगठन मुस्लिम डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर से आयोजित सम्मलेन "दीन, स्वास्थ्य और मानवीय सहायता" को संबोधित करते हुए अहले बैत वर्ल्ड इस्लामिक असेंबली के सेक्रेटरी जनरल आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी ने कहा कि

अगर हम धार्मिक शिक्षाओं पर ग़ौरो फ़िक्र करें तो मालूम होगा कि धर्म मुश्किल पैदा करने वाला नहीं बल्कि मुश्किलों को दूर करने वाला है। धर्म मानव अस्तित्व की मुश्किलों का दूर करता है इंसान की ज़िन्दगी की गिरहों को खोलता है और इंसान को सुकून और शांति देता है और इंसानों के आपसी संबंघों के विकास में एक प्रकार की जिम्मेदारी का एहसास कराता है।

पश्चिम में हमारा सामना नकली आध्यात्मिकता से होता है। अमेरिका और यूरोप में लगभग चार हजार नकली अध्यात्म हैं। जहां भी फर्जीवाड़े की बात होती है तो यह साफ है कि असली भी हमारे पास है और जब तक वह असली है, फर्जीवाड़े ज़्यादा देर नहीं ठहर सकता।अपने बयान में फिलिस्तीन संकट का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज, हमें ग़ज़्ज़ा में मानवीय सहायता के लिए अहले बैत अस के चाहने वालों की एकता और इत्तेहाद की आवश्यकता है।

आयतुल्लाह रमज़ानी ने कहा कि जो लोग मानवता के रक्षक हैं उन्हें एकता और एकजुटता के साथ ग़ज़्ज़ा के यतीमों के अम्न और शांति के लिए काम करना चाहिए। आज ग़ज़्ज़ा को मानवीय दृष्टिकोण के साथ मानवीय समर्थन की जरूरत है।

 

 

 

पाकिस्तान का कहना है कि अपनी सैन्य छावनियों को किसी के भी हवाले नहीं करेंगे।

पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता ने रावलपिंडी में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि उनके देश ने अपनी सैनिक छावनियों को अमरीका को नहीं दिया है।

मेजर जनरल अहमद शरीफ़ चौधरी ने इन रिपोर्टों का खण्डन किया है कि इस्लामाबाद ने अपनी दो सैन्य छावनियों को अमरीका को दे दिया है।  उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी सैन्य छावनियों को किसी के भी हवाले नहीं करेगा।

अहमद शरीफ़ चौधरी ने इस सवाल के जवाब में कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान और ख़ैबरपख़तूनख़ा की सैनिक छावनियों को क्या अमरीका के हवाले कर दिया है कहा कि यह दावा केवल एक दुष्प्रचार है।

इससे पहले सोशल मीडिया पर अपुष्ट रिपोर्टों के आधार पर यह बात सामने आई थी कि वाशिग्टन ने इस्लामाबाद से मांग की है कि ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और चीन पर नज़र रखने के लिए उसको वहां की दो सैन्य छावनियों की ज़रूरत है।

ग़ज़्ज़ा में मिलने वाली सामूहिक क़ब्रों से सैकड़ों की संख्या में शव बरामद हो रहे हैं। इन घटनाओं ने संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और अधिकारियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

सामूहिक क़ब्रों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई सामान्य परिभाषा मौजूद नहीं है। हालाँकि, फोरेंसिक विशेषज्ञ सामूहिक क़ब्र की घटना को "कई लोगों के अवशेषों का दफ़्न स्थान, अक्सर एक दूसरे के बग़ल में" के रूप में परिभाषित करते हैं।

ग़ज़्ज़ा में अब तक 140 सामूहिक क़ब्रें मिल चुकी हैं

यूरोप-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स वॉच के निदेशक "मोहम्मद अलमुग़ीज़" ने बताया है कि ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों की शुरुआत के बाद से, जो 7 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुआ और अब तक जारी है, इर दौरान इस क्षेत्र में लगभग 140 सामूहिक क़ब्रों की खोज की गई है

ग़ज़्ज़ा में मिलीं 140 सामूहिक क़ब्रें

  1. एक ही सामूहिक क़ब्र से लगभग 400 शवों का मिलना

27 अप्रैल, 2024 को, ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनी अधिकारियों ने नासिर अस्पताल परिसर में एक सामूहिक क़ब्र में पाए गए शवों की संख्या 392 एलान की थी।

     3.ज़ायोनी सेना के प्रतिबंधित हथियारों से फ़िलिस्तीनी शहीदों के शवों का गलना

यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स वॉच ने बताया है कि इस्राईली सेना ग़ज़्ज़ा पट्टी में थर्मल हथियारों का उपयोग करती है, जिसके कारण फ़िलिस्तीनी शहीदों के शरीर सड़ने और गलने लगे हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि थर्मोबेरिक हथियार एक प्रकार का विस्फोटक है जो उच्च तापमान विस्फोट बनाने के लिए आसपास की हवा से ऑक्सीजन का उपयोग करता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि थर्मोबेरिक (thermobaric weapon) हथियार एक प्रकार का विस्फोटक है जो आसपास की हवा की ऑक्सीजन का उपयोग करके उच्च तापमान वाले विस्फोट को उत्पन्न करने में मदद करता है।

फ़िलिस्तीनी पीड़ितों के शवों के सड़ने और गलने की एक तस्वीर

     4.ग़ज़्ज़ा में मिलने वाली सामूहिक क़ब्रों को लेकर स्वतंत्र जांच कराने को लेकर गुटेरेस का अनुरोध

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 30 अप्रैल, 2024 को कहा कि यह ज़रूरी है कि फॉरेंसिक विशेषज्ञता वाले स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय जांचकर्ताओं को इन सामूहिक क़ब्रों के स्थलों तक तत्काल पहुंच प्रदान की जाए ताकि उन सटीक परिस्थितियों का पता लगाया जा सके जिनके तहत सैकड़ों फ़िलिस्तीनियों की मौत हुई और उन्हें दफ़नाया गया।

    5.सामूहिक क़ब्रों की खोज के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक आयोजित करना

5 मई, 2024 को अल्जीरिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से ग़ज़्ज़ा पट्टी में सामूहिक क़ब्रों की खोज के संबंध में बंद दरवाज़े के पीछे एक बैठक आयोजित करने के लिए कहा।

 

    6.फ़िलिस्तीनियों की प्रतिक्रिया

फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के मीडिया कार्यालय ने इन सामूहिक क़ब्रों के लिए ज़ायोनी शासन को ज़िम्मेदार ठहराया और उनकी खोज और नासिर मेडिकल कॉम्प्लेक्स की सामान्य स्थिति को "जघन्य अपराध" कहा है।

ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीनी शिशुओं को भी नहीं बख़्शा

    7.इस्राईल की प्रतिक्रिया

एक बयान में इस्राईली सेना ने फ़िलिस्तीनियों के शवों को दफ़नाने के दावे को "निराधार" बताया। इस्राईली सेना का कहना है कि नासिर अस्पताल क्षेत्र में अपने ऑपरेशन के दौरान, उन्होंने बंधकों और लापता लोगों को खोजने के लिए फ़िलिस्तीनियों द्वारा दफ़नाए गए शवों की "जांच" की है।

    8.ज़ायोनियों द्वारा फ़िलिस्तीनी शहीदों के शरीर से अंगों को चुराए जाने की संभावना

सामूहिक क़ब्रों से मिलने वाले शवों की बनाई गई दस्तावेज़ी वीडियो और खींची गई तस्वीरों में साफ़ तौर से यातना के निशान दिख रहे हैं और उनके हाथ प्लास्टिक की पट्टियों से बंधे हुए हैं, उनके पेट को खोलकर असामान्य तरीक़ों से सिल दिया गया है, और उनके हाथ और पैर ऑपरेटिंग रूम के कपड़ों में कटे हुए हैं, जो इंगित करता है कि वे ज़िंदा दफ़ना दिए गए थे, मानव शरीर के कुछ अंगों के चोरी होने के भी सबूत मिल रहे हैं।

फ़िलिस्तीनी युवक अपने परिवार के सदस्यों के शवों की पहचान करने के बाद रोता हुआ

   9.घायल और बीमार दफ़नाए गए लोग

यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में नागरिक सुरक्षा टीमों ने सामूहिक क़ब्रों में दफ़नाए गए पीड़ितों के शवों की जांच की और पाया कि उनमें से कई को उनकी मौत के वक़्त ही हथकड़ी लगाई गई थी, और सबूत यह भी दिखाते हैं कि उनमें से कई पीड़ित घायल थे या फिर वे बीमार थे।

   10.अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों का गंभीर उल्लंघन

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता श्रीमती रवीना शामदासानी का कहना है कि इन सामूहिक क़ब्रों में पाए गए कुछ शवों के हाथ बंधे हुए थे, जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय क़ानून के गंभीर उल्लंघन का संकेत देता है और इसकी आगे जांच की जानी चाहिए।

इस्लामिक क्रांति के नेता, आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली खामेनेई ने हज के लिए काफिलों के प्रस्थान से कुछ दिन पहले, सोमवार सुबह हज आयोजकों और ईश्वर के घर के कुछ तीर्थयात्रियों से मुलाकात की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हज के लिए कारवां रवाना होने से कुछ दिन पहले सोमवार सुबह इस्लामिक क्रांति के नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने हज आयोजकों और ईश्वर के घर के कुछ तीर्थयात्रियों से मुलाकात की।

इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में हज को भौतिक एवं अर्थ की दृष्टि से बहुआयामी कर्तव्य बताया और कहा कि ईश्वर का स्मरण आंतरिक पहलू से व्यक्तिगत, सामूहिक एवं राष्ट्रीय जीवन के संकल्प एवं निर्णय का स्रोत है। यह सभी चरणों में सबसे प्रमुख बिंदु है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने मुसलमानों की एकता और उनके आपसी संचार को हज का एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहलू बताया और कहा कि हज सभी लोगों को एक विशेष स्थान और एक विशेष समय पर इकट्ठा होने के लिए कहता है। मुसलमानों को एक-दूसरे के साथ मिलकर आपसी समझ और संयुक्त निर्णय लेने होंगे ताकि हज के धन्य और ठोस परिणाम इस्लामी दुनिया और पूरी मानवता को मिल सकें और इस समय इस्लामी दुनिया एक बड़े अंतर का सामना कर रही है।

उन्होंने राष्ट्रीय और धार्मिक मतभेदों की उपेक्षा को एकता के लिए आवश्यक प्रस्तावना बताया और कहा कि सभी इस्लामी धर्मों के अनुयायियों और सभी देशों के लोगों की एक महान, समान और समान सभा, हज का राजनीतिक और सामूहिक चेहरा प्रमुख है।

यह इंगित करते हुए कि हज का कर्तव्य पैगंबर इब्राहिम के नाम और उनकी शिक्षाओं से जुड़ा हुआ है, उन्होंने ईश्वर के दुश्मनों की मासूमियत और घृणा को बहुमूल्य अब्राहमिक शिक्षाओं में से एक बताया।

इब्राहीमी हज इस्लाम और मानवता के दुश्मनों यानी इजराइल और अमेरिका से बराअत का हज है

आयतुल्लाह खामेनेई ने याद दिलाया कि इस्लामी क्रांति की शुरुआत के बाद से बराअत हज का स्थायी सदस्य रहा है, लेकिन इस साल ग़ज़्ज़ा में हुई बड़ी और दुखद घटनाओं को देखते हुए, जिसने पश्चिमी सभ्यता के रक्तपिपासु चेहरे को पहले से कहीं अधिक प्रमुख बना दिया है। इस साल का हज, ख़ासकर बराअत का हज।

उन्होंने ग़ज़्ज़ा में हाल की घटनाओं को इतिहास के लिए एक शाश्वत परीक्षा बताया और कहा कि एक तरफ इस्राईलीयो के बर्बर हमले और दूसरी तरफ ग़ज़्ज़ा के लोगों का प्रतिरोध और उत्पीड़न हमेशा इतिहास में रहेगा और मानवता को रास्ता दिखाने के लिए इसकी अद्भुत और अनोखी ध्वनि अमेरिका और कुछ अन्य देशों के गैर-मुस्लिम समाजों और विश्वविद्यालयों में गूंज रही है, जो इन घटनाओं के लिए इतिहास बनाने और मानक स्थापित करने का संकेत है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने हज इब्राहीमी के मौके पर ग़ज़्ज़ा के अपराधों के संबंध में मुस्लिम उम्माह की जिम्मेदारी को समझाते हुए कहा कि इब्राहीम (अ) उन नबियों में से एक हैं जिनका दिल बहुत नरम और दयालु है , लेकिन यह भविष्यवक्ता क्रूर और युद्धप्रिय है और शत्रुओं के प्रति तीव्र और खुली अरुचि और शत्रुता व्यक्त करता है।

उन्होंने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए इस्राईली सरकार को मुसलमानों का दुश्मन और अमेरिका को इस सरकार में साझेदार बताया और कहा कि अगर अमेरिका मदद नहीं करता तो क्या मुस्लिम पुरुष, महिलाएं और बच्चे जीवित बच पाते? इस्राईली सरकार के पास ऐसे पशुवत व्यवहार की ताकत और साहस होगा?

आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने कहा कि जो मुसलमानों को मारता है, विस्थापित करता है और उनका समर्थन करता है, वह दोनों ज़ालिम हैं और पवित्र कुरान के स्पष्ट शब्दों के अनुसार, यदि कोई उनकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वह भी ज़ालिम और अत्याचारी है। वह अल्लाह की लानत का हक़दार होगा।

उन्होंने इस्लामी दुनिया के मौजूदा हालात को देखते हुए हज के संबंध में इब्राहीमी आचरण की घोषणा यानी दुश्मनों के प्रति खुली बेगुनाही और घृणा की घोषणा को पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इस आधार पर ईरानी और गैर-ईरानी तीर्थयात्रियों, फिलिस्तीनी राष्ट्र को समर्थन के संदर्भ में कुरान के दर्शन को पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि इस्लामिक गणराज्य ने दूसरों का इंतजार नहीं किया और न ही करेगा, लेकिन अगर मुस्लिम देशों और इस्लामी सरकारों के मजबूत हाथ मदद और समर्थन के लिए आगे आते हैं, तो फिलिस्तीनी राष्ट्र की दुखद स्थिति जारी नहीं रहेगी

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने देश भर में भाजपा नेताओं के मुस्लिम विरोधी बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस से देश का कोई भला नहीं होगा बल्कि भारत कमज़ोर होगा।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्लाह ने चुनावों के दौरान मुस्लिम विरोधी बयानबाजी करने को लेकर भाजपा की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि देश की एक बड़ी आबादी को निशाना बनाने से राष्ट्र मजबूत नहीं होगा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार आगा सैयद रुहुल्लाह महदी के सपोर्ट में एक रैली को संबोधित करते हुए अब्दुल्लाह ने चुनाव के बाद सद्भावना की जरूरत बताई। इस दौरान अब्दुल्लाह ने पाकिस्तान के साथ वार्ता करने महत्त्व को भी रेखांकित किया।

अब्दुल्लाह ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं जब भाजपा के कई शीर्ष नेताओं ने मुसलमानों को निशाना बनाया। उन्होंने कहा, मुझे चिंता है क्योंकि मुसलमानों के खिलाफ यह नफरत केवल चुनाव के समय तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके बाद भी जारी रहती है।

तीसरे चरण की वोटिंग के बीच समाजवादी पार्टी के आरोपों ने देश की राजनीति को गरमा दिया है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के बीच समाजवादी पार्टी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है। समाजवादी पार्टी ने कहा है कि मैनपुरी से लेकर संभल, बदांय, और आगरा तक मुस्लिम मतदाताओं को परेशान किया जा रहा है और उन पर दबाव डाला जा रहा है।

समाजवादी पार्टी ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर पोलिंग बूथों पर मतदाताओं को परेशान करने का आरोप लगाया और कहा कि कहीं ईवीएम खराब हैं तो कहीं पीठासीन अधिकारी समाजवादी पार्टी के बूथ प्रमुखों को एजेंट बनने से रोक रहे हैं। पार्टी ने यह भी कहा है कि कई बूथों पर जानबूझकर धीमी गति से वोटिंग कराई जा रही है और मुस्लिम वोटरों को डराया जा रहा है।

पार्टी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा कि "सूचनाएं मिल रही हैं जो समाजवादी पार्टी के बूथ अच्छे हैं वहां पुलिस तांडव कर रही है।"

 

हज कमेटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत 2024 में हज पर जाने का इंतजार कर रहे 1588 और हजियों को तिसरी सूची में मंजूरी मिल गई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,नई दिल्ली/ हज कमेटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत  2024 में हज पर जाने का इंतजार कर रहे 1588 और हज् यात्रियों को तिसरी सूची में मंजूरी दे दी गई है।

हज कमेटी ऑफ इंडिया के सी,ई,ओ डॉ. लियाकत अली अफाक़ी, आई,आर,एस ने बताया कि ड्रो मे चयनित हज् यात्रियों द्वारा विभिन्न राज्यों से रद्द हुई सीटों को भरने के लिए तिसरी प्रतीक्षा सूची में 1588 हज यात्रियों  को और मंजूरी दे दी गई है।

जिसमे छत्तीसगढ़ से 10, दिल्ली से 87, गुजरात से 168, कर्नाटक 296, केरल से 253, मध्य प्रदेश से 58,महाराष्ट्र से 345,  मणिपुर से 10, तमिलनाडु से 113 और तेलंगाना से 248 हज यात्रियों को मंजूरी दी गई है।

डॉ. अफाक़ी ने आगे बताया कि प्रतीक्षा सूची से चयानित्  हज् यात्रिय हज खर्च की कुल राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) या यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) की किसी भी शाखा में 14  मई 2024 तक या उससे पहले हज कमेटी ऑफ इंडिया के खाते में जमा करें।

जबकि मूल अंतर्राष्ट्रीय पासपोर्ट मशीन से पढ़ने योग्य हज आवेदन पत्र, जमा की गई पे-इन स्लिप/ऑनलाइन रसीद की प्रति, मेडिकल स्क्रीनिंग और फिटनेस प्रमाणपत्र, शपथ पत्र/संविदा और अन्य निर्धारित तिथि पर या उससे  पहले अपनी संबंधित राज्य हज कमेटी मे जमा करा दे।

डॉ. लियाकत अली अफाक़ी(आई-आर, एस) सी, ई, ओ हज कमेटी ऑफ़ इंडिया ने हज् यात्रियों से अपील की है कि वह किसी भी जानकारी के लिए हज कमेटी ऑफ़ इंडिया या राज्य हज कमेटीयो के कार्यालयों से संपर्क करे, किसी भी अफवाह का शिकार न बनें।

 

 

 

 

 

भारत में जारी आम चुनाव के बीच अगर किसी समुदाय की सबसे ज़्यादा चर्चा है तो वह है मुसलमान। जहाँ सत्तारूढ़ दल पूरी तरह मुस्लिम समाज को निशाने पर रखे हुए हैं वहीँ विपक्ष भी इस समुदाय का वोट तो चाहता है लेकिन प्रतिनिधित्व किसी ने नहीं दिया।

गुजरात में इस बार 35 मुस्लिम उम्मीदवार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने इस बार किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया। कांग्रेस ने राज्य में इस समुदाय से एक भी व्यक्ति को मैदान में नहीं उतारा है।

इस बार गुजरात की 26 सीटों में से 25 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव में 35 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि 2019 में इस समुदाय से 43 उम्मीदवार मैदान में थे। समुदाय के ज्यादातर उम्मीदवार या तो स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं या छोटी और क्षेत्रीय पार्टियों से मैदान में हैं।

गुजरात कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष वजीरखान पठान ने कहा, "पार्टी पारंपरिक रूप से राज्य में लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय से कम से कम एक उम्मीदवार को मैदान में उतारती है, खासकर भरूच से। इस बार यह संभव नहीं हो सका क्योंकि सीट AAP के खाते में चली गई।