رضوی

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सऊदी अरब सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान के ड्रीम प्रोजेक्ट नियोम सिटी के लिए अपने नागरिकों की हत्या करने से भी पीछे नहीं हट रहा है। सऊदी युवराज की यह परियोजना सऊदी नागरिकों की लाशों से होकर गुज़र रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ईको-सिटी नियोम बसाने के लिए अब लोगों की जान की परवाह भी नहीं की जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि सुरक्षाबलों और अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट के तहत आने वाले दि लाइन के आस-पास जमीन न खाली करने पर मारने के आदेश दे दिए गए हैं। यह खुलासा 'बीबीसी' की वेरिफाई और आई इन्वेस्टिगेशन टीम ने किया है।

बीबीसी ने एक पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर के हवाले से बताया कि दर्जनों पश्चिमी देशों की कंपनियों की ओर से भविष्य को ध्यान में रखते हुए बसाए जा रहे रेगिस्तानी शहर के लिए जमीन खाली कराने को सऊदी अरब के अधिकारियों ने घातक बल के इस्तेमाल को मंजूरी दी है।

कर्नल रबिह अलेनेजी ने इस बारे में बीबीसी को बताया कि नियोम ईको-प्रोजेक्ट के तहत दि लाइन के रास्ते के लिए उन्हें कुछ गाँवों के लोगों को वहां से हटाने का निर्देश दिया गया था। जगह खाली न करने और विरोध करने की वजह से एक व्यक्ति को गोली मार दी गई जिसकी मौत हो गई।

कर्नल ने आगे बताया कि जिस ऑर्डर को लागू करने के लिए कहा गया था, वह अल-खुरैयबाह के लिए था और यह लोकेशन दि लाइन से 4.5 किमी दक्षिण की ओर थी। रबिह अलेनेजी के मुताबिक, ऑर्डर में कहा गया था कि 'जो कोई भी वहां जमीन खाली करने का विरोध जारी रखेगा, उसे मार दिया जाएगा।

 

अमेरिका के सहायता से ग़ज़्ज़ा में जनसंहार कर रहे इस्राईल ने अमेरिका की मनाही के बावजूद रफह में सैन्य अभियान शुरू कर रखा है। अब अमेरिका ने अपने आदेशों की अवहेलना से नाराज़ होकर इस्राईल को हथियारों की आपूर्ति रोकने की धमकी दी है।

ग़ज़्ज़ा जनसंहार के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रफह हमले को लेकर इस्राईल को चेतावनी दी है। बाइडन ने कहा कि इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा के रफह में कोई बड़ा ऑपरेशन शुरू किया, तो अमेरिका कुछ हथियारों की सप्लाई बंद कर देगा।

बाइडन ने एक बार फिर इस्राईल की सुरक्षा का आश्वासन देते हुए कहा अगर इस्राईल रफह की तरफ आगे बढ़ता है, तो हम वो हथियार सप्लाई नहीं करेंगे, जो कि रफह जैसे शहरों के साथ निपटने के लिए मुहैया करवाए जाते रहे हैं। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "वो यह सुनिश्चित करेंगे कि अवैध राष्ट्र पूरी तरह से सुरक्षित रहे। बता दें कि अमेरिका की बार-बार चेतावनी के बावजूद ज़ायोनी सेना रफह में हमले जारी रखे हुए है।

 

ज़हब इंसान को ज़िम्मेदारी समझने का बोध देता है। धर्म के बारे में गहरी सोच का न पाया जाना और कुछ धर्मों के बीच पाए जाने वाले मतभेदों ने शायद कुछ लोगों को धर्म को अनेदखा करते हुए नैतिकता को धर्म से बदलने के लिए प्रेरित किया।

"मजमए जहानिये अहलेबैत" नामक संस्था के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने एक संबोधन में बताया कि पूरब और पश्चिम में बहुत से लोग धर्म को मानव सोच से ही अलग कर दें।  इस प्रकार से वे धर्म को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं।  इसी के साथ वे बताते हैं कि कुछ लोगों ने धर्म को सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पटल से दूर करते हुए उसको बहुत सीमित कर दें।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी कहते हैं कि धर्म बहुत व्यापक है एसे में हमको उसके बारे में रूढीवादी दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए। दीन के बारे में जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वह यह है कि उसके प्रति हमारा दृष्टिकोण बहुत ही व्यापक और गहरा होना चाहिए।  धर्म, बहुआयामी है।  इमसें बाहरी और भीतरी दोनो ही आयामों को दृष्टिगत रखा गया है।  यह इंसान की बनावट के हिसाब से मन और आत्मा का प्रशिक्षण करता है।  शारीरिक आयाम की दृष्टि से इसके कुछ मूल नियम हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छे और प्रभावी हैं।

कुछ लोग धर्म को भ्रम का कारण मानते हैं जो मानसिक और भावनात्मक दबाव का कारण बनता है।  रज़ा रमज़ानी के अनुसार अगर हम धर्म के बारे थोड़ी गहराई से सोचें तो यह, न केवल भ्रम का कारण नहीं है बल्कि भ्रम को दूर करने वाला है।  मज़हब इंसान के अंदर पाई जाने वाली गुत्थियों को सुलझाता है।  यह उसके मन और आध्यात्मक को आराम देता है।  इसी के साथ धर्म, मनुष्य के भीतर ज़िम्मेदारी की भावना को भी जागृत करता है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी का मानना है कि विज्ञान और तकनीक की दुनिया में बढ़ती प्रगति की वजह से कुछ लोग यह मानने लगे कि इस तरक्क़ी की वजह से लोग मज़हब से दूर हो जाएंगे।  वह धर्म से कोई संबन्ध नहीं रखेंगे।  यहां तक कि पश्चिम में कुछ गुटों ने इस सोच को आम करना शुरू कर दिया कि हम ख़ुदा के बिना भी धर्म रख सकते हैं।  यह वह लोग हैं जो धर्म के बारे में गहराई से जानकारी नहीं रखते।  उनको धर्म के बारे में आंशिक जानकारी है।

"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी

हुज्जतुल इस्लाम रमज़ानी कहते हैं कि आजकल लोगों मे अध्यात्म के प्रति लगाव दिन ब दिन तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि आज हम पश्चिम में नक़ली आध्यात्म के साक्षी हैं।  अमरीका और यूरोप मे इस समय कम से कम चार हज़ार आर्टिफिश्ल आध्यात्म पाए जाते हैं।  जहां कहीं भी नक़ली चीज़ होगी वहां पर अस्ली भी ज़रूर पाई जाती होगी।  जबतक अस्ली चीज़ बाक़ी है नक़ली को कोई महत्व नहीं मिल पाएगा।

"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव कहते हैं कि धर्म, इंसान को यह पाठ देता है कि वह धार्मिक नियमों से जुड़ा रहे।  हमारा यह मानना है कि धर्म ही इंसान को वास्तविक शांति प्रदान कर सकता है।  दूसरे शब्दों में धर्म के माध्यम से ही इंसान वास्तविक शांति तक पहुंच सकता है।

 

श्री रज़ा रमज़ानी के अनुसार इस आध्यात्म पर विश्व स्वास्थ्य संगठन में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया।  आज वे भौतिक आयाम के अतरिक्त सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक आयाम की ओर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।  इसका मतलब यह है कि हम जैसे-जैसे आगे की तरफ़ बढ़ रहे हैं विश्व समुदाय में धर्म और आध्यात्म की आवश्यकता बढ़ रही है।

 

हुज्जतुल इस्लाम रमज़ानी ने यह बताया कि धर्म के बारे में गहरी सोच का न पाया जाना और कुछ धर्मों के बीच पाए जाने वाले मतभेदों ने ही शायद कुछ लोगों को धर्म को अनेदखा करते हुए नैतिकता को धर्म से बदलने के लिए प्रेरित किया।  उनका कहना है कि हमारा मानना है कि धर्म को अगर उसके सही और व्यापक अर्थों में समझा जाए तो दीन के भीतर जो नैतिकता है वह स्वयं ही प्रकट होगी।

 

इसका यह मतलब नहीं है कि मज़हबी सोच का इंसान बहुत ही तन्हाई पसंद होता है बल्कि यह सोच, मानव समाज में शांति उत्पन्न करने के अतिरिक्त मनावीय संबन्धों को भी विकसित करती है।  यह आध्यात्मिकता जो सच्ची धार्मिक शिक्षाओं से पैदा हुई है वह एक ज़िम्मेदार आध्यात्मिकता है।

 

हुज्जतुमल इस्लाम रमज़ानी ने कोरोना काल का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान में उस ज़माने में बहुत से स्वास्थ्यकर्मी, डाक्टर, धार्मिक छात्र, यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और समाज के अन्य वर्गों के लोगों ने अपनी जान को ख़तरे में डालकर लोगों की सेवा की।  इस काम में को लोग शहीद भी हो गए।

 

इस बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा  कि यह मेरी इच्छाओं में से एक है।  काश मानवताप्रेमी इस सहायता की ख़ूबसूरती को अच्छे ढंग से पेश किया जाए। अगर कोई इंसान वास्वत में ईश्वरीय सोच का स्वामी हो जाए तो फिर वह कभी भी इस तरह की परेशानी का शिकार नहीं होगा।

 

"मजमए जहानिये अहलेबैत" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने संबोधन के अंत में फ़िलिस्तीन के मुद्दे का उल्लेख किया।  उन्होंने कहा कि इस समय ग़ज़्ज़ा के मानवताप्रेमी समर्थन के लिए अहलेबैत के मानने वालों के बीच एकता बहुत ज़रूरी है।  वे लोग जो मानवता की सुरक्षा करना चाहते हैं उनको चाहिए कि वे एकजुट होकर ग़ज़्ज़ा के यतीम बच्चों के लिए चैन-सुकून उपलब्ध करवाएं।वर्तमान समय में ग़ज़्ज़ा को मानवता के आधार पर मानवीय सहायता की बहुत ज़रूरत है।

अल्लाह ने हमें ख़ल्क़ किया दुनिया में भेजा और हमारे तरबियत से ज़रिये पैदा किये | नबी पैग़म्बर इमाम अपनी हिदायतों की किताब क़ुरआन साथ साथ मां बाप दिए जिस से की हम दुनिया में टेंशन फ्री ज़िन्दगी गुज़ार सकें और कामयाब वापस अल्लाह के पास अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए वापस पलट के आएं |

हमें बार बार दुनिया की लज़्ज़तें अपनी तरफ खींचती रही हम अल्लाह की इन नेमतों के ज़रिये  बेहतर ज़िन्दगी गुज़ारने की जगह उन लज़्ज़तों के ग़ुलाम होते गए |हमने  अपना  एक अलग  निज़ाम अपनी सहूलियतों के हिसाब से बना लिया और उसी अनकहे दुनियावी  क़ानून के मुताबिक़ जीने लगे यह हमारे उलेमाओं की देंन  है की हम अपने अक़ीदे तो नहीं भूले अमल तराज़ू पे कमज़ोर हो ते रहे |

और नतीजा यह हुआ कि मुसलमान सिर्फ नाम के रहे या कह लें कमज़ोर इमान वाले मुसलमान बन के रह गए |

अक़ीदा याद है अल्लाह की हिदायत की किताब क़ुरआन को पहचानते हैं , मस्जिदों में जमात से नमाज़ें पढ़ते हैं , नबी पैग़म्बर इमाम की सीरत का इल्म है तो अमल के दुरुस्त होने के रास्ते हमेशा खुले हुए हैं , उम्मीद की सकती है |  मसलन हम ऐसे मुसलमान है की जब हराम की कमाई का मौक़ा हाथ लगता है तो जी भर के कमाते है और फिर उसी हराम की कमाई ने नेकियाँ करने लगते है जो की जाया हो जाती है और आमालनामा खाली |

हमारी नेकियाँ में सुकून का सबब और बदी  परेशानी का सबब हुआ करती हैं यह एक ऐसा सच हैं जो हमारे मानने या ना मानने से नहीं बदलता | ऐसे ही कुछ नेकियों का सिला फायदा दुनिया में फ़ौरन मिलता है और कुछ गुनाहों की सजा दुनिया में ही मिलना शुरू हो जाती है |

ऐसे ही दो गुनाह हैं ग़ीबत और क़ता ऐ राहमि | जहां ग़ीबत हमारी नेकियों को खाते हुए समाज में खालफिशार की वजह बनते हुए , अल्लाह की रहमतों से हमें दूर करता करता है | हमारे दुआ क़ुबूल न होने की वजह बनता है यह गुनाह उसी तरह क़ता ऐ रही हमारी ज़िन्दगी को कम करता है और अल्लाह की रहमतों से दूर करता है |

सिला ऐ रहमी

आज के दौर में पश्चिमी सभ्यता का असर मुसलमानो पे पड़ता साफ़ दिखाई देता है | इस्लाम हर तरह की बेहयाई बेशर्मी, ना इंसाफ़ी ,के खिलाफ है | इस्लाम ने अकेले सिर्फ खुद के लिए जीने हो हराम क़रार दिया है और हर मुसलमान पे अपने समाज अपने आस पास के लोगों के प्रति एक ज़िम्मेदारी तय कर रखी है | अल्लाह ने बारह बार क़ुरान में सिला ऐ रहमी  और कता ऐ रहमी का ज़िक्र किया है और साफ़ साफ़ कहा है जो सिला ऐ रही करेगा लम्बी खुशहाल िन्दगी पाएगा और जो क़ता ऐ रहमि करेगा उसपे अल्लाह की लानत होगी |

सिला ऐ रहमी का मतलब यह होता है की वे रिश्तेदार जो आपके जन्म से रिश्तेदार है जैसे औलादें, माँ बाप ,भाई बहन ,चाचा फूफी खाला मामू और उनकी औलादें वगैरह | यहां यह कहता चलूँ की हदीसों में यह सिलसिला भाई बहनो ,फूफी खला और उनकी औलादों पे रुका नहीं हैं बल्कि आगे उनकी और उनकी औलादों तक जाता है लेकिन कम से कम औलादें, माँ बाप ,भाई बहन ,चाचा फूफी खाला मामू और उनकी औलादों के साथ सिला ऐ रही वाजिब है |

इस्लाम में इन क़रीबी रिश्तेदारों की एक दूसरे के लिए एक ज़िम्मदेरी तय की गयी है और यह इतना सख्त क़ानून है की अल्लाह हदीस ऐ क़ुद्सी में कहता है अगर तुम अपने इन क़रीबी रिश्तेदारों के साथ ताल्लुक़ात ख़त्म करोगे तो जन्नत से महरूम रहोगे और अल्लाह तुमसे रिश्ते ख़त्म कर देगा ।

इमाम से मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फरमाते हैं की सिला ऐ रहमी रूह की ताज़गी और रिज़्क़ में इज़ाफ़े की वफ्फ होती है और रिश्तेदारों से नाता तोड़ देना (क़ता ऐ रहमी) चाहे वे नालायक़ ही क्यों न हों रिज़्क़ में कमी , अचानक मौत की वजह होती है |

इस सिलसिले में कहा गया है की अगर रिश्ते आपस में ठीक न भी हों तो भी सामने मिलने पे सलाम करना खैरियत दिल से पूछना और दूर हैं तो खतों से फ़ोन से खाल चाल लेना और परेशानी की मदद करना सिला ऐ रहमी है |

अलकाफ़ि से रवायत है की एक सहाबी ऐ इमाम मुहम्मद जाफर ऐ सादिक़ अलैहिस्लाम उनके पास आया और अपने रिश्तेदारों की शिकायत की और कहा वे उसे इतना परेशान करते हैं की मजबूर हो के उसने खुद को क़ैद कर लिया है | इमाम ने फ़रमाया सब्र करो और तुम उनसे रिश्ते न तोडना कुछ दिन में तुम्हे राहत मिलेगी |

उस शख्स ने कुछ दिन गुजरने के बाद जब देखा कोईफर्क नहीं उसके रिश्तेदारों के बर्ताव में तो उसने फैसला किया की अब क़ानूनी तौर पे उनकी शिकायत बादशाह और काज़ी से की जाय | अभी वो सोंच ही रहा था की की उसके इलाक़े में प्लेग फैला और उसके वे रिश्तेदार जो उसका जीना हराम किये थे इस बीमारी की वजह से मर गए | वो शख्स इमाम के पास फिर से गया तो इमाम ने बताया उनपे यह अज़ाब अपने क़रीबी रिश्तेदारों से रिश्ता तोड़ने उनका हक़ मारने और उन्हें परेशान करने की वजह से आया | Shaytan, vol. 1, pg. 515; al-Kafi

दुसरी रवायत है की हसन इब्ने अली जो इमाम जाफर ऐ सादिक़ अलैहिसलाम का चहेरा भाई था किसी बात पे उनकी इमाम से अनबन हो गयी और वो इस हद तक चला गया की उसने इमाम पे हमला कर दिया |

इमाम का जब आखिरी वक़्त आया तो उन्होंने कहा उस भाई को 70 दीनार उसको भी दिए जाएँ | लोगों ने कहा या मौला आप उसे ही ७० दीनार दे रहे हैं जिसने आप्पे हमला किया था |

इमाम ने कहा अल्लाह ने जन्नत बनायीं और उसमे खुशबु पैदा की और ऐसी खुशबु की उसे दो हज़ार की दूरी से भी महसूस किया जा सकता है लेकिन जन्नत क्या वो शख्स जन्नत की खुशबु भी नहीं पा सकता जिसने अपने रिश्तेदारों से ताल्लुक़ात ख़त्म किये हों या जो माँ बाप का आक़ किया गया हो | Hikayat-ha-e-Shanidani, vol. 5, pg. 30; Al-Ghunyah of (Sheikh) Tusi, pg. 128

इमाम जफर ऐ सादिक़ अलैहिसलाम फरमाते हैं की रिश्तेदारों से नाता न तोडा करो क्यों मैंने क़ुरआन मी तीन जगह ऐसे लोगों पे अल्लाह को लानत करते देखा है |

इमाम जाफर  ऐ सादिक़ अलैहिसलाम ने कहा अपने को हलिका से बचाओ क्यों की यह ज़िंदगियाँ खराब कर देता है \ किसी से पुछा हालीक़ा क्या है तो इमाम ने कहा रिश्तेदारों से रिश्ते तोडना |

एक शख्स ने हज़रात मुहम्मद सॉ से पुछा अल्लाह की नज़र में सबसे ना पसंदीदा काम क्या है ?

जवाब आया शिर्क करना |

क़ता ऐ रहमी

बुरे काम को बढ़ावा देना और अच्छे को रोकना |

हज़रात मुहम्मद सॉ ने फ़रमाया तीन काम जिनकी सजा दुनिया और आख़िरत दोनों में मिलती है

ना इंसाफ़ी, रिश्ते तोडना और झूटी क़सम खाना

क़ुरान में अल्लाह फरमाता है

हे लोगो! अपने पालनहार से डरो जिसने तुम्हें एक जीव से पैदा किया है और उसी जीव से उसके जोड़े को भी पैदा किया और उन दोनों से अनेक पुरुषों व महिलाओं को धरती में फैला दिया तथा उस ईश्वर से डरो जिसके द्वारा तुम एक दूसरे से सहायता चाहते हो और रिश्तों नातों को तोड़ने से बचो (कि) नि:संदेह ईश्वर सदैव तुम्हारी निगरानी करता है। (4:1) सूरा ऐ निसा

और याद करो उस समय को जब हमने बनी इस्राईल से प्रतिज्ञा ली कि तुम एक ईश्वर के अतिरिक्त किसी की उपासना नहीं करोगे, माता पिता, नातेदारों, अनाथों और दरिद्रों के साथ अच्छा व्यवहार करोगे, और ये कि लोगों के साथ भली बातें करोगे, नमाज़ क़ाएम करोगे, ज़कात दोगे, फिर थोड़े से लोगों को छोड़कर तुम सब अपनी प्रतिज्ञा से फिर गए और तुम मुहं मोड़ने वाले लोग हो। (2:83)

(हे पैग़म्बर) वे आपसे पूछते हैं कि भलाई के मार्ग में क्या ख़र्च करें? कह दीजिए कि माता-पिता, परिजनों, अनाथों, दरिद्रों तथा राह में रह जाने वालों के लिए तुम जो चाहे भलाई करो, और तुम भलाई का जो भी काम करते हो, निःसन्देह ईश्वर उसको जानने वाला है। (2:215)

इमाम मुहम्मद बाक़िर फरमाते हैं सिरात पुल्ल है और इसके एक तरफ होगा सिला ऐ रही और दूसरी तरफ अमानतदारी | इनदोनो के बिना यह पुल्ल पार नहीं पार नहीं कर सकेगा कोई |

हज़रत मुहम्मद सॉ से किसी ने पुछा की ऐसा कौन स अमल है जो किसी की उम्र घटा सकता है और बढ़ा सकता है ?

रसूल ने कहा क़ता ऐ रही उम्र घटा देता है और सिला ऐ रही उम्र को बढ़ाता है और यह तादात तीन से तीस साल तक बताई गयी है |

इमाम ऐ रज़ा से एक बार दो लोग मिलने आय तो इमाम ने बात चीत के दौरान एक शख्स से कहा ऐ शख्स तू क़िस्मत वाला है क्यों की इस सफर में आज के दिन तेरी मौत थी लेकन अल्लाह ने उसे पांच साल बढ़ा दी | उस शख्स ने पुछा अल्लाह इतना मेहरबान क्यों हुआ ? तो इमाम बोले रास्ते में सफर के तेरी फूफी का घर पड़ता था और तुझे उसकी मुहब्बत आयी और तू उनसे मिलने चला गया | अल्लाह ने इस सिला ऐ रहमि की वजह से तेरी उम्र बढ़ा दी |

रवायतों में है की ५ शख्स उसी दिन इंतेक़ाल कर गया जो दिन इमाम ने बताया था |

 

फिलिस्तीन में इस्राईल की ओर से जारी जनसंहार को भरपूर समर्थन दे रहे ब्रिटेन ने कहा है कि रफह पर इस्राईल के बर्बर हमलों के बाद भी फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के सशस्त्र दल हमास का खात्मा न मुमकिन है।

गार्जियन के अनुसार ब्रिटेन ने रफ़ह पर ज़ायोनी जेना के ज़मीनी हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ब्रिटिश उप विदेश मंत्री एंड्रयू मिशेल ने रफ़ह पर ज़ायोनी हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया है।

इस समाचार पत्र के मुताबिक ज़ायोनी सरकार के हमले को खुली आक्रामकता बताए जाने के बावजूद ब्रिटेन ने इसकी निंदा करने से परहेज किया है। ब्रिटिश अधिकारी ने कहा है कि रफह पर जमीनी हमले से हमास को खत्म करने का सपना पूरा नहीं होगा।

गार्जियन के मुताबिक, ब्रिटिश प्रतिक्रिया अमेरिका के साथ पूर्ण समन्वय के बाद आई है, जिसने इस्राईल पर दबाव डालने के बजाय युद्धविराम को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है। उधर, शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि रफह पर हमले के दौरान ज़ायोनी सेना ने अभी तक किसी तक लाल रेखा को पार नहीं किया।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने ज़ायोनी प्रधान मंत्री के साथ बातचीत के दौरान रफह क्रॉसिंग पर इस्राईल के नियंत्रण पर कोई आपत्ति नहीं जताई। ज़ायोनी सरकार का कहना है कि रफ़ह क्रॉसिंग पर ज़ायोनी सेना के कब्ज़े के बाद याह्या अल-सिनवार को बातचीत के लिए मजबूर किया जा सकेगा।

 

गाम्बिया की राजधानी बंजुल में हुई बैठक के अंत में इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य देशों ने एक बयान में गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ सभी आक्रामकता को रोकने के लिए तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम का आह्वान किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को गाम्बिया की राजधानी बंजुल में हुई इस्लामिक सहयोग संगठन के नेताओं की 12वीं बैठक के अंत में इस संगठन के सदस्य देशों ने एक बयान में कहा तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम और गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ सभी प्रकार की आक्रामकता को समाप्त करने का आह्वान करते हुए, उन्होंने ग़ज़्ज़ा पट्टी को चिकित्सा और खाद्य सहायता, पानी और बिजली की आपूर्ति और तत्काल सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

बयान में कहा गया है: "हम ग़ज़्ज़ा में और नरसंहार की चेतावनी देते हैं। भूख, पानी की कमी और ईंधन कटौती ग़ज़्ज़ा में और विनाश का कारण बन रही है। हम फिलिस्तीनी लोगों से उनकी भूमि से विस्थापित होने का आह्वान करते हैं। निर्वासन या जबरन निर्वासन के किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं और ऐसे जघन्य कृत्य का विरोध करने के लिए तैयार हैं।

इस संगठन के सदस्य देशों ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत और मध्यस्थता के महत्व पर भी जोर दिया और इस तरह इस्लामी देशों के बीच तनाव मुक्त माहौल पर जोर दिया।

बयान में कहा गया है: हम गरिमापूर्ण जीवन के महत्व पर जोर देते हैं और उन देशों में मुस्लिम समुदायों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का समर्थन करते हैं जो इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य नहीं हैं, हम उन अल्पसंख्यकों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं जो इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य नहीं हैं। जो लोग उत्पीड़न, अन्याय और आक्रामकता का सामना कर रहे हैं, हम उनकी जायज मांगों का समर्थन करते हैं और उनके अधिकारों, सम्मान, धर्म, धर्म और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक मांग करते हैं।

बयान में कहा गया है: हम गाजा में इस्राईली शासन की निरंतर आक्रामकता का मुकाबला करने में अपनी एकजुटता की पुष्टि करते हैं, जो सबसे बुनियादी नैतिक मूल्यों का सम्मान किए बिना छह महीने से अधिक समय से जारी है, और हम दुनिया के देशों से मांग करते हैं कि वे उपाय करें गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ ज़ायोनी शासन द्वारा किए गए नरसंहार के अपराध को रोकें और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी आदेश का पालन करें।

 

फिलिस्तीन में इस्राईल की ओर से पिछले 7 महीने से भी अधिक समय से जनसंहार जारी है। ऐसे में दुनियाभर के कोने कोने में इस्राईल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालयों में छात्र आंदोलन कर रहे हैं जो बंगलादेश समेत एशिया के कई देशों तक फ़ैल चूका है लेकिन इन सबके बीच मुंबई के एक नाम स्कूल ने अपनी मुस्लिम प्रिंसिपल को सिर्फ इसलिए बर्खास्त कर दिया क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के समर्थन वाली एक पोस्ट को लाइक किया था।

मुंबई के एक प्रमुख स्कूल के प्रबंधन ने घोषणा की कि उसने प्रिंसिपल प्रवीन शेख को बर्खास्त कर दिया है। उन्हें बर्खास्त करने की खबर देते हुए स्कूल ने कहा कि यह निर्णय इसलिए किया गया ताकि वो यह सुनिश्चित कर पाएं कि एकता और समावेशिता के हमारे लोकाचार से समझौता नहीं किया जा रहा है।

मुंबई के विद्याविहार इलाके में सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल प्रवीन शेख ने पद से उनकी "बर्खास्तगी" को "पूरी तरह से अवैध, कठोर और अनुचित" बताया और "राजनीति से प्रेरित" कार्रवाई पर आश्चर्य व्यक्त किया। शेख ने अपने बयान में इसे पूरी तरह से गैर कानूनी बताया है और कहा है कि वह स्कूल के इस फैसले से हैरान हैं। यह कठोर और अनुचित कार्रवाई है। यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित लगती है। मुझे हमारी कानूनी प्रणाली और भारतीय संविधान में दृढ़ विश्वास है और मैं फिलहाल अपने कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही हूं।

बता दें कि शेख पिछले 12 वर्षों से स्कूल से जुड़ी हुई थीं और सात साल पहले उन्होंने प्रिंसिपल के रूप में कार्यभार संभाला था।

 

अपनी गिरफ़्तारी की संभावना को लेकर नेतनयाहू बहुत टेंशन में है।

हालैण्ड के कुछ वकीलों ने हेग स्थित इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट से अनुरोध किया है कि नेतनयाहू और इस्राईल के अन्य अधिकारियों को गिरफ़्तार करने का वारेंट जारी किया जाए।

सन 1998 में रोम चार्टर के आधार पर नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और बलात्कार जैसे अपराधों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट का गठन किया गया था।

अवैध ज़ायोनी शासन और अमरीका ने हालांकि रोम चार्टर पर हस्ताक्षर तो किये हैं किंतु वे इस न्यायालय के सदस्य नहीं हैं।

उधर फरवरी में दक्षिणी अफ्रीका की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में ज़ायोनी शासन की शिकायत की गई थी जिसपर न्यायालय ने ज़ायोनी शासन से हर महीने अपनी कार्यवाहियों की एक रिपोर्ट इस न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया था।

अवैध ज़ायोनी शासन ने न केवल यह कि इसको अंजाम नहीं दिया बल्कि नेतनयाहू की जंगी मशीन अभी भी चल रही है।  इस समय उसने अपने पाश्विक अपराधों के लिए रफह को लक्ष्य बनाया है।

कुछ दिन पहले मीडिया में यह रिपोर्ट सामने आई थी कि नेतनयाहू और कुछ ज़ायोनी अधिकारियों के विरुद्ध सज़ा का आदेश जल्द ही जारी किया जाएगा।  इस आदेश को लेकर नेतनयाहू, असमान्य दबाव का शिकार है।  यह विषय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अवैध ज़ायोनी शासन के लिए बहुत बड़ी बदनामी है।

नेतनयाहू ने अपनी गिरफ्तारी के आदेश को रुकवाने के लिए जो बाइडेन सरकार पर ध्यान केन्द्रित कर रखा है।  इस बात की संभावना बहुत कम ही है कि ज़ायोनी अधिकारी, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश से अचंभित होंगे।

दूसरी ओर हिब्रू भाषा के संचार माध्यमों ने यह बात स्वीकार की है कि अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की ओर से नेतनयाहू की गिरफ़्तारी का संभावित आदेश, ज़ायोनी प्रधानमंत्री की गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है।

इंटरनैश्नल क्रिमिनल कोर्ट के कार्यालय ने एक बयान जारी करके कोर्ट के अधिकारियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की धमकी, उसको रोब मे लेने या बाधाए पैदा करने जैसे कामों के प्रति सचेत किया था कि न्यायालय की स्वतंत्रता और उसकी निष्पक्ष्ता उस समय कमज़ोर हो जाती है जब उसके या उसके अधिकारियों के विरुद्ध प्रतिशोध की धमकी दी जाती है।

 

इस कार्यालय की ओर से कहा गया है कि बिना कार्यवाही किये भी न्यायालय को धमकी देना रोम कन्वेंशन के आधार पर अपराध हो सकता है।

 

इससे पहले ही जानकार सूत्रों ने बताया था कि अन्तर्राष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट के प्रासीक्यूटर ने ग़ज़ा के अश्शफ़ा और नासिर अस्पतालों के कर्मचारियों के साथ बात की है।

 

अपना नाम छिपाने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि इन अस्पतालों में जो घटनाएं घटीं उनकी भी जांच करके उसको रिपोर्ट से अटैच किया गया है। एसा लगता है कि हालैण्ड और दक्षिणी अफ्रीका के वकीलों की यह कार्यवाही, नेतनयाहू पर अधिक से अधिक दबाव बनाकर उसको गिरफ़्तार करवाने के लिए अन्य देशों के वकीलों के लिए आदर्श बनेगी।

चुनाव आयोग ने कर्नाटक भाजपा के एकाउंट से आपत्तिजनक पोस्ट को तुरंत डिलीट करने का आदेश दिया है। ग़ौर करने वाली बात है कि इसी पोस्ट को लेकर चुनाव आयोग ने भाजपा को यह पोस्ट हटाने का आदेश दिया था लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने चुनाव आयोग के आदेश को कोई महत्व नहीं दिया।

चुनाव आयोग ने इस संबंध में कहा कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) को 5 मई को ही उस पोस्ट को हटाने को लिए कहा था लेकिन उसे अब तक नहीं हटाया गया है। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) से कथित तौर पर ‘बीजेपी4कर्नाटक’ हैंडल से एक आपत्तिजनक पोस्ट को तुरंत हटाने का आदेश दिया है। आयोग ने मुस्लिम आरक्षण विवाद पर भाजपा की कर्नाटक इकाई द्वारा साझा किए गए एनिमेटेड वीडियो को हटाने का निर्देश दिया है।

इस मामले में निर्वाचन आयोग की तरफ से एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. कांग्रेस पार्टी की तरफ से इस मुद्दे पर शिकायत दर्ज करवायी गयी थी। कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि इस तरह के पोस्ट से कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

पाकिस्तान ने वर्षों से ईरान के सतह अटकी गैस परियोजना को पूरा करने का मन बना लिया है और वह ईरान के साथ अपनी इस योजना को पूरा करने के लिए अमेरिकी दबाव की अनदेखी करने के लिए राजनैतिक इच्छा शक्ति दिखा रहा है।

यह बातें पाकिस्तान में ईरान के काउंसल जनरल हसन नूरियान ने कहा कि अमेरिका के दबाव को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान और ईरान महत्वाकांक्षी गैस पाइपलाइन पर आगे बढ़ सकते हैं।

हसन नूरियान ने कहा है कि ईरान और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच लंबे समय से अटकी गैस पाइपलाइन परियोजना को पूरा करने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। पाइपलाइन से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हम परियोजना को पूरा करने के लिए पाकिस्तान में राजनीतिक दृढ़ संकल्प देख रहे हैं और जल्दी ही सभी अड़चनों को दूर करते हुए इसे पूरा करने के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।

नूरियान ने कहा कि पाइपलाइन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के तहत नहीं आती है और दोनों देश इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। अगर पाकिस्तान पाइपलाइन पर काम नहीं करता तो उस पर ईरान की तरफ से कोई कानूनी कार्रवाई होगी या नहीं इस बारे में हसन नूरियान ने कुछ भी नहीं कहा।