رضوی

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इस्लामी संस्कृति और संचार संगठन की सूचना और संचार केंद्र के अनुसार; आयतुल्लाह मारेफ़त द्वारा संकलित पुस्तक "द हिस्ट्री ऑफ द कुरान" का अनुवाद "टॉप" प्रोजेक्ट के रूप में थाईलैंड में ईरानी सांस्कृतिक सलाहकार द्वारा सह-प्रायोजित थाई में किया गया और एक हजार प्रतियों को प्रकाशित किया गया।
अन्य भाषाओं में ईरानी इस्लामी विचारों और राय का परिचय, फारसी साहित्य का परिचय, अनुवादकों और फारसी कार्यों का अनुवाद करने वाले विदेशी प्रकाशकों का प्रोत्साहन, पुस्तकों के विश्व बाजार में उपस्थिति और ... इस परियोजना के लक्ष्यों में हैं।
इस समाचार के मुताबिक, पुस्तक के लेखक ने इसे अलग अध्यायों में स्थापित किया है जो कुरान को संकलित, लिखित, और प्रकाशन और वहि व नुज़ूल व किताबे वहि की अवधारणा से संबंधित है। लेखक की कोशिश है कि नुज़ूल के समय से पवित्र कुरान के उतार-चढ़ाव और खलीफा के ज़माने से वर्तमान समय और लेखन और कुरान को इकट्ठा करने में इमाम अली (अ.) की भूमिका की समीक्षा करे।

 

ट्रम्प ने पहली बार सितंबर 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने वाले क़ानून को लागू किया था, जिसमें ईरान, लीबिया, सोमालिया, सीरिया और यमन समेत सात देशों हैं।
यद्यपि इस क़ानून में कनाडा का नाम नहीं दिया गया है, लेकिन बहुत से कनाडाई मुस्लिम भेदभाव और विभिन्न समस्याओं के साथ अमेरिकी सीमा पार करने के बारे में चिंतित हैं।
टोरंटो, कनाडा के ऐक निवासी, जो अपने परिवार को शिकागो में देखने के लिए सालाना कई बार संयुक्त राज्य अमेरीका की सीमा से यात्रा करना पड़ता है, ने कहा, "हर बार जब मैं सीमा पार करना चाहता हूं, तो मेरा दिल जल उठता है और सांसे रुक जाती हैं। मुझे नहीं पता कि वे मुझे वीज़ा देंगे या नहीं। क्योंकि मैंने अन्य मुसलमानों से कुछ ऐसी बातें सुनी हैं जिनसे मैं चिंतित हूं और मैं डरता हूं कि मेरे साथ भी उसी तरह का व्यवहार और भेदभाव करें।
मुस्लिम नागरिकों के खिलाफ भेदभाव के इसी तरह के मामले उच्च रहे हैं, और पिछले हफ्ते कनाडा में निवासी कई सीरियाई बच्चों को वाशिंगटन स्थित त्यौहार में भाग लेने के लिए वीजा जारी नहीं किया।
कनाडियन मुस्लिम राष्ट्रीय परिषद ने इस देश के मुस्लिमों को सलाह दी है, अमेरिकी दूतावास में प्रवेश करने से पहले टिकट और सही पता जहां स्वयं जाना चाहते हैं सभी दस्तावेजों के साथ जाऐं, और अगर उनका वीज़ा रद्द कर दिया गया हो और उनके साथ भेदभाव किया गया हो तो चाहिए कि अधिकारी से अपने वीजा के रद्द होने का कारण का विवरण लिखित रूप लें और उन्हें उस व्यक्ति का नाम भी याद रखें जिसने इनकार कर दिया था। इसके अलावा, अगर कोई गवाह है, तो उस से टेलीफ़ून नंबर ले लें।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने 30 जून को हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) कैडिट कॉलेज के दिक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए जो भाषण दिया था उसको भारत और पाकिस्तान के समाचार पत्रों ने विशेष कवरेज दी है।

भारत से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों, वेब साइटों, समाचार पोर्टलों और कई चैनलों में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के भाषड़ को प्रमुखता से पेश किया है।

कई भारतीय समाचार पत्रों ने लिखा है कि ईरान के वरिष्ठ नेता का ताज़ा बयान उन सभी अरब देशों के लिए शिक्षाप्रद है जो अमेरिका और पश्चिमी देशों की ग़ुलामी के चक्कर में अरब देशों और मुसलमानों के मान सम्मान का भी सौदा कर रहे हैं।

भारत से प्रकाशित समाचार पत्रः

दैनिक इंक़ेलाब ने लिखा है कि ईरान के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने अपने बयान में कहा है कि " अमेरिका ईरान पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर ईरानी जनता को देश की सरकार के विरुद्ध खड़ा करना चाहता है"  वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अमेरिका, ईरानी जनता को इस्लामी व्यवस्था के ख़िलाफ़ खड़ा करने की नाकाम कोशिश कर रहा है, लेकिन सभी प्रयासों के बावजूद, अमेरिका ईरान के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि ट्रम्प से पहले भी 6 अमेरिकी राष्ट्रपति ईरान पर दबाव डालने के लिए असफल प्रयास कर चुके हैं और अमेरिका को अभी भी उसके द्वारा किए जा रहे कुप्रयासों से विफलता ही हाथ लगेगी।

समाचार सुबह-नामा अपने लेख में लिखाता है कि, वरिष्ठ नेता ने अपने भाषण में कहा है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, ईरान की होशियार जनता और उसके मज़बूत ईमान पर टिका हुआ है, अमरीका के पिछले सभी राष्ट्रपतियों द्वारा इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ किए गए तमाम कुप्रयास विफल रहे हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए जा रहे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के पीछे दुश्मन का लक्ष्य केवल जनता को झुकाना है, लेकिन ईश्वर की कृपा से हम जनता के साथ अपनी घनिष्ठता को और बढ़ाएंगे और अपनी एकता की रक्षा करते हुए मोमिन, उत्सुक और कर्मठ पीढ़ी को तैयार करेंगे।

दूसरी ओर पाकिस्तान से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र, वेबसाइट और टेलीविज़न चैनलों की ख़बरों का शीर्षक, वरिष्ठ नेता के भाषण पर आधारित रहा।

पाकिस्तान से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र एक्सप्रेस ने लिखा हैः

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने कहा है कि अमेरिका ईरान के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की कार्यवाही करने में अकेला सक्षम नहीं है, अगर वह सक्षम होता  तो कभी अपने सहयोगियों से सहायता ने लेता। उन्होंने कहा कि अमेरिका ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर ईरान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अकेला करना चाहता है और वित्तीय दबाव के माध्यम से ईरानी जनता को सरकार विरोधी करना चाहता है। वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ईरान में अराजकता पैदा करने का भरपूर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका अकेले कार्यवाही करने में सक्षम होता तो कभी भी वह अपने सहयोगियों से मदद नहीं लेता।

 

मस्जिदुल अक़सा के इमामे जुमा ने कुछ अरब देशों द्वारा अमरीका की डील ऑफ़ सैंच्यूरी पर सहमति के प्रति चेतावनी दी है।

शुक्रवार को मस्जिदुल अक़सा में जुमे का ख़ुतबा देते हुए शेख़ अकरमा सबरी ने कहा, अमरीका की डील ऑफ़ सैंच्यूरी  इस शताब्दी की सबसे बड़ी साज़िश है और इसमें बैतुल मुक़द्दस को हर प्रकार की वार्त से अलग रखा गया है, इसलिए कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प का मानना है कि बैतुल मुक़द्दस की फ़ाइल बंद कर दी गई है।

सबरी के अनुसार, तथाकथित डील ऑफ़ सैंच्यूरी  का दूसरा ख़तरा, बेघर फ़िलिस्तीनियों की घर वापसी के विषय को ही ख़त्म करना है, हालांकि अपने घरों को वापसी फ़िलिस्तीनियों का मूल अधिकार है और फ़िलिस्तीनी शरणार्थी अपने इस अधिकार से किसी भी क़ीमत पर समझौता नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा, इस तथाकथित समझौते में फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में ज़ायोनियों की अवैध बस्तियों को बाक़ी रखने की बात कही गई है, हालांकि यह बस्तियां ग़ैर क़ानूनी हैं, जिन्हें कभी क़ानूनी रूप नहीं दिया जा सकता।  

 

 

मुम्बई में भारी बारिश के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

पवई इलाक़े में स्थित पवई लेक और डैम पूरी तरह भर चुके हैं।

जून में मॉनसून की बारिश शुरू होने के बाद से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है।

रविवार शाम के बाद से भारी के कारण कम से कम चार लोगों की मौत हुई है।

रविवार को मुम्बई के आज़ाद मैदान के पास एक पेड़ गिर जाने से दो लोगों की मौत हो गई थी और सोमवार को मलाड पश्चिम में एक 15 साल के युवक की गड्ढे में डूबकर मौत हो गई।

सोमवार को ही ठाणे में दीवार गिरने से एक 13 साल की बच्ची की मौत हो गई।

बारिश की वजह से हिंदमाता, चेंबूर, लोअर परेल जैसे कई इलाक़ों में जलभराव हो गया है।

मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों तक मुम्बई सहित कोंकण इलाके में भारी बारिश का अनुमान लगाया है जिसके बाद बारिश की तीव्रता में कमी आएगी।   

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि पवित्र क़ुरआन के आदेशों के अनुसार अत्याचारियों के साथ किसी भी समझौते पर भरोसा नहीं किया जा सकता और ईरान की जनता आज इस वास्तविकता को अच्छी तरह देख रही है।

मजलिसे शूराए इस्लामी के संसद सभापति डाक्टर और सांसदों ने बुधवार को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की। वरिष्ठ नेता ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कुछ कन्वेन्शनों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में शामिल होने और उन पर अमल की सही शैलियों का विवरण देते हुए कहा कि यह मामले पहले बड़ी शक्तियों के थिंकटैंक में उनके हितों की प्राप्ति के लिए तैयार किए जाते हैं और फिर इन समझौतों में बड़ी शक्तियों की पिट्ठु, अनुसरणकर्ता और डरपोक सराकारों के शामिल होने के बाद यह विदित रूप से अंतर्राष्ट्रीय रूप धारण कर लेते हैं।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसके बाद यदि ईरान जैसा कोई स्वतंत्र और स्वाधीन देश इन समझौतों या कन्वेन्शनों को स्वीकार न करे तो उस पर भीषण हमला कर देती हैं और दिखाने के लिए यह दावा करती हैं कि मानो एक सौ पचास देशों ने तो इन समझौतों या कन्वेन्शनों को स्वीकार किया है , आप इसे क्यों रद्द कर रहे हैं?

वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान की संसद समझदार और बुद्धिमान है और आतंकवाद निरोधक और मनि लांड्रिंग के विरुद्ध अभियान जैसे मामलों में उसे स्वयं क़ानून बनाना चाहिए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने विश्व की ज़ोर ज़बरदस्ती करने वाली  शक्तियों की व्यक्तिगत और आंतरिक दुष्टता के दिन प्रतिदिन बढ़ने की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमरीका की सीमा पर माओ से उनके हज़ारों बच्चों को ज़बरदस्ती अलग करने की हृदय विदारक घटना और आपराधिक वीडियो और फ़ोटो देखने के हर इंसान तड़प उठता है किन्तु अमरीकी अधिकारी पुरी दुष्टता के साथ बच्चों को शरणार्थी माता पिता से ज़बरदस्ती अलग कर रहे हैं।

वरिष्ठ नेता ने यमन की अत्याचारग्रस्त जनता के हाथ से एक बंदरगाह को छीन लेने के लिए विकसित हथियारों से संपन्न विभिन्न देशों के पाश्विक और रक्तरंजित हमलों को विश्व की ज़ोरज़बरदस्ती करने वाली शक्तियों की आंतरिक दुष्टता का एक अन्य नमूना क़रार दिया।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि मानवता के यह शत्रु ईरानी जनता के प्रतिरोध और उनके न्यायप्रियम के कारण इस्लामी गणतंत्र ईरान के भी दुश्मन हैं और दुश्मनी कर रहे हैं किन्तु ईश्वर की कृपा, राष्ट्रीय एकता और देश की मज़बूती के कारण ईरानी जनता अमरीका और दूसरे दुश्मन देशों पर सफल होगी। 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि ईरानी जनता के दुश्मन वास्तविकता में ग़ुंडे और ब्लेकमेलर हैं और यह बात सभी जानते हैं कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था, अधिकारी और जनता किसी भी ज़ोर ज़बरदस्ती करने वाली शक्ति के सामने झुकने वाली नहीं है।  

 

तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने ईरान के खिलाफ अमरीका के संभावित प्रतिबंधों के बारे में कहा कि , इन प्रतिबंधों का परिणाम, अमरीका और स्वंय ट्रम्प की फज़ीहत होगी।

याद रहे ट्रम्प ने गत 8 जूलई को ईरान के खिलाफ निराधार आरोप दोहराते हुए, जेसीपीओए से अमरीका के निकलने और आगामी छे महीनों के भीतर ईरान के खिलाफ प्रतिबंध वापस लौटने की घोषणा की थी। 

आयतुल्लाह मुहम्मद अली मुवह्हेदी ने तेहरान में जुमा की नमाज़ के भाषण में इस बात का उल्लेख करते हुए कि अमरीका के नेतृत्व में साम्रज्वादी, इस्लामी क्रांति को नुक़सान पहुंचाने के लिए अपने सभी साधनों को प्रयोग कर रहे हैं, कहा कि दुश्मन, उन्हीं साधनों से जिन्हें वह यमन , फिलिस्तीन और इलाक़े के कुछ अन्य देशों में अपराध के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, तबाह हो जाएंगे। 

उन्होंने कहा कि अमरीका के लिए केवल उसके हित महत्वपूर्ण हैं और वह किसी भी समझौते का पालन नहीं करता।  

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि अमरीकी राष्ट्रपति की यह स्वीकारोक्ति कि सात ट्रिलियन डाॅलर ख़र्च करने के बावजूद उसे अपने लक्ष्य हासिल नहीं हुए, उनकी खुली पराजय की परिचायक है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को तेहरान में ईद की नमाज़ के ख़ुत्बे में समस्त मुसलमानों को ईद की बधाई दी।  उन्होंने कहा कि पवित्र रमज़ान, ईश्वर से निकटता प्राप्त करने के उद्देश्य से मोमिनों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्घा का ज़ामना है और ईदे फ़ित्र, उसी का पुरस्कार प्राप्त करने का दिन है।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी राष्ट्र प्रतिवर्ष इस आध्यात्मिक प्रतिसपर्घा में भाग लेकर नेक काम करते हुए पिछले वर्षों की तुलना में अधिक उपलब्धियां अर्जित करता है।

उन्होंने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति की स्वीकारोक्ति इस बात को सिद्ध करती है कि अरबों डाॅलर ख़र्च करके भी बड़े शैतान को पश्चिमी एशिया में कोई सफलता नहीं मिली।  आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इतना अधिक धन ख़र्च करके भी जब अमरीका अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सका तो आगे भी इस क्षेत्र में बेहिसाब पैसे ख़र्च करने के बावजूद उसे अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध शैतानी शक्तियों के षडयंत्रों का मूल कारण यह है कि वे ईरानी राष्ट्र के कड़े प्रतिरोध, स्वावलंबन और उच्च विचारों से चिंतित हैं।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह शैतानी शक्तियां षडयंत्र रचती रहती हैं किंतु हर बार विफलता ही उनके हाथ लगती है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बल देकर कहा कि ईरानी राष्ट्र को पूरी होशियारी के साथ षडयंत्रों को समझना चाहिए।  उन्होंने कहा कि इस समय शत्रु का मुख्य षडयंत्र यह है कि अत्यधिक आर्थिक दबाव डालकर ईरानी जनता को निराश किया जाए।

वरिष्ठ नेता ने विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर ईरान में व्यापक स्तर पर निकाली जाने वाली रैलियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि विश्व क़ुद्स दिवस के बारे में विभिन्न देशों के लिए यह स्पष्ट संदेश है कि विदेशियों के दुष्प्रचारों के बावजूद ईरानी राष्ट्र के साथ अन्य मुसलमान राष्ट्रों की मित्रता अधिक बढ़ी है। 

 

ईदुल फ़ित्र के दिन ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों, तेहरान में तैनात इस्लामी देशों के राजदूतों तथा जनता के विभिन्न वर्गों के हज़ारों लोगों ने इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।

ईद की नमाज़ के कुछ देर बाद होने वाली इस मुलाक़ात में इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने भाषण देते हुए कहा कि इस्लामी जगत के वैभव और गरिमा का सबसे महत्वपूर्ण कारक इस्लामी समुदाय की एकता तथा विवादों का समाधान है।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने ज़ोर देकर कहा कि इस्राईल इस इलाक़े में तथा इस्लामी देशों के बीच मतभेद पैदा करने वाली प्रमुख वजह है। उन्होंने कहा कि इस्राईल की सबसे बड़ी समस्या उसका ग़ैर क़ानूनी अस्तित्व है, जायोनी शासन जिसकी स्थापना ग़लत आधारों पर हुई है ईश्वर की कृपा और मुस्लिम राष्ट्रों के हौसले से निश्चित रूप से मिट जाएगा।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का कहना था कि इस समय इलाक़े में साम्राज्यवादी शक्तियों की रणनीति मुसलमानों के बीच मतभेद और विवाद पैदा करना है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि अपराधी अमरीका तथा ज़ायोनियों की इस साज़िश का मुक़ाबला करने की एक मात्र मार्ग दुशमन की साज़िशों का ज्ञान तथा उसके मुक़ाबले में डट जाना है।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के अनुसार साम्राज्यवाद की नीतियों के मुक़ाबले में राष्ट्रों के डट जाने के संबंध में इस्लामी जगत की सरकारों और राजनैतिक, धार्मिक व सांस्कृतिक हस्तियों की ज़िम्मेदारी बहुत बड़ी है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने पश्चिमी एशिया के इलाक़े में ग़ैर क़ानूनी ज़ायोनी शासन की स्थापना के मूल उद्देश्य बयान करते हुए कहा कि एक लक्ष्य मुस्लिम राष्ट्रों के बीच मतभेद की आग भड़काना है लेकिन एतिहासिक अनुभवों से साबित होता है कि ज़ायोनी शासन जिसे अपने अस्तित्व की अवैधता की समस्या का सामना है ज़्यादा टिक नहीं पाएगा।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का कहना था कि इलाक़े की कुछ कमज़ोर इच्छाशक्ति वाली सरकारों का ज़ायोनी शासन के साथ विदित या गुप्त रूप से कूटनैतिक रिश्ते स्थापित करना या अमरीका का अपना दूतावास तेल अबीब से बैतुल मुक़द्दस स्थानान्तरित करना किसी भी समस्या को हल नहीं करेगा। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि इस शासन की स्थापना बल प्रयोग, धमकियों, नरसंहार और एक राष्ट्र को उसके घरबार से निर्वासित कर देने पर हुई है इसीलिए इस्लामी राष्ट्रों के दिलों में ज़ायोनी शासन के अस्तित्व की अवैधता की बात बैठी हुई है कोई भी दुनिया के एतिहासिक मानत्रित्र से फ़िलिस्तीन का नाम नहीं मिटा सकता। निर्वासित कर देने पर हुई है इसीलिए इस्लामी राष्टऔर

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने एक बार फिर ईरान का ठोस स्टैंड दोहराते हुए फ़िलिस्तीनियों में जनमत संग्रह कराए जाने पर ज़ोर दिया जिसमें फ़िलिस्तीनी मुसलमान, ईसाई और यहूदी सब शामिल हों और इस जनमत संग्रह के आधार पर नई शासन व्यवस्था की स्थापना की जाए। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि इस प्रकार कर जनमत संग्रह कराना और फिर फ़िलिस्तीनियों की इच्छा के अनुसार सरकार का गठन वास्तव में जाली ज़ायोनी शासन के मिट जाने के अर्थ में है। और निश्चित रूप से एसा होकर रहेगा।  आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि ज़ायोनी शासन के मिटते ही इस्लामी जगत में एकता और गरिमा बहाल हो जाएगी।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के भाषण से पहले राष्ट्रपति रूहानी ने अपने संक्षिप्त भाषण में एकता और एकजुटता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इस बात की ज़रूरत है कि अन्य विभाग विशेष रूप से आम जनता सरकार की भरपूर मदद करे।

डाक्टर रूहानी ने कहा कि आज जिस दुशमन का सामना है उसके पास अनुभव और विवेक का अभाव है दुशमन इस कोशिश में है कि केवल ईरानी राष्ट्र के मामले में नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर के समझौतों के तहत भी अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करे।

 

भारत और पाकिस्तान ने एक बार फिर एक दूसरे पर संघर्ष विराम के उल्लंघन का आरोप लगाया है।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम का उल्लंघन करके की जाने वाली फ़ायरिंग में भारतीय बीएसफ़ के 4 जवान मारे गए।

पाकिस्तान का आरोप है कि भारत की ओर से की जाने वाली फ़ायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई है।

ज्ञात रहे कि दोनों देशों के बीच हाल ही में होने वाली फ़्लैग मीटिंग सहमति बनी थी कि संघर्ष विराम का सम्मान किया जाएगा।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अलग अलग घटनाओं में चार जवान मारे गए हैं और कई अन्य घायल हुए हैं।

दूसरी ओर पाकिस्तान का कहना है कि पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर में सीमा के क़रीब गांव में भारीय सेना की ओर से की गई अकारण फ़ायरिंग में एक स्थानीय नागरिक की मौत हो गई।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि मारा गया व्यक्ति अपने मवेशी चरा रहा था कि अचानक भारतीय सैनिकों की ओर से फ़ायरिंग शुरू हो गई जिसकी ज़द में आकर 45 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई।