رضوی
इज़राईली हुकूमत का मुक़ाबला अमली और ठोस क़दमों से ही मुमकिन है
तेहरान के अस्थायी इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह सैयद अहमद खातमी ने अपने खुतबे में कहा कि सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अपील करना काफ़ी नहीं है, इस्राईल के ख़िलाफ़ मुकाबले के लिए अमली और ठोस क़दम उठाने होंगे।
तेहरान के अस्थायी इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह सैयद अहमद खातमी ने अपने खुतबे में कहा कि सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अपील करना काफ़ी नहीं है, इस्राईल के ख़िलाफ़ मुकाबले के लिए अमली और ठोस क़दम उठाने होंगे।
उन्होंने हफ्ता ए वहदत और पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.) तथा इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.) की विलादत के अवसर पर देशभर में आयोजित कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि शिया और सुन्नी हमेशा भाईचारे के साथ रहते हैं और यह सब इमाम सादिक़ (अ.स.) की शिक्षाओं और रहनुमाई का ही नतीजा है।
इमाम ए जुमा ने रहबर-ए-इंक़लाब (ईरान के सर्वोच्च नेता) की रहनुमाई को बेहद अहम बताया और कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए उत्पादन केंद्रों की सुरक्षा, ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति और ज़रूरी चीज़ों का सुरक्षित भंडारण ज़रूरी है। उन्होंने सरकार से अपील की कि जनता की ज़िंदगी आसान बनाने, गैस की सुनिश्चित आपूर्ति करने और धार्मिक मूल्यों का सम्मान बनाए रखने को प्राथमिकता दे।
उन्होंने कहा कि देश की असली ताक़त धर्म, एकता, साहसी नेतृत्व, जनता की प्रतिबद्धता, रक्षा शक्ति और वैज्ञानिक प्रगति में है।
क़तर में ह़मास के ख़िलाफ़ इस्राईल की हालिया कार्रवाई की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य शुरू से ही आक्रामक नीति पर आधारित है जैसे नरसंहार इसके इतिहास का हिस्सा हैं।
आयतुल्लाह खातमी ने कुछ अरब देशों को चेतावनी दी कि अगर इस्राईल को और ताक़त मिली, तो क्षेत्र के अन्य देश भी उसके निशाने पर होंगे। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि सिर्फ बयानों से कुछ नहीं होगा, बल्कि मुस्लिम देशों को इस्राईल के साथ अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंध तुरंत समाप्त कर देने चाहिएँ।
उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह लेबनान की एक मज़बूत प्रतिरोधी ताक़त है और इसे कमज़ोर करना न सिर्फ लेबनान बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए नुक़सानदेह होगा।
आख़िर में, आयतुल्लाह खातमी ने वैश्विक स्तर पर फ़िलस्तीन के समर्थन में बढ़ती एकजुटता को सकारात्मक क़रार देते हुए कहा कि यह उम्मत-ए-मुस्लिमा की जागरूकता और एकता की निशानी है, जिसे और मज़बूती मिलनी चाहिए।
कतर पर हमला इस्लामी सरकारों के लिए खतरे की घंटी
क़ुम में शुक्रवार की नमाज़ के ख़ुत्बे में आयतुल्लाह अली रज़ा आरफी ने हाल ही में हुए ज़ायोनी हमले को इस्लामी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम देश मुकाबले का साथ नहीं देंगे और अपने हथियार छोड़ देंगे, तो वे भी इसी आग में झुलसेंगे।
आयतुल्लाह आरफी ने कहा कि इस्लाम के दुश्मन मुसलमानों के सामने दो ही रास्ते छोड़ते हैं: या तो बेइज़्ज़ती और समर्पण, या फिर पूरी तरह तबाही।
उन्होंने वार्ताओं की प्रक्रिया की भी कड़ी आलोचना की और कहा कि ईरान की जनता न तो आक्रामक रही है और न ही वह बेइज्जती स्वीकार करेगी, लेकिन अनुभवों ने साबित किया है कि दुश्मन धोखेबाज़ और अत्याचारी हैं। "हम कठिनाइयाँ सहेंगे लेकिन क़फ़िर और अभिमान के सामने सिर नहीं झुकाएँगे।
आयतुल्लाह आरफी ने कतार पर इज़राइली हमले को पश्चिम और ज़ायोनवाद की असली नीयत का खुलासा बताया और कहा,कतार अमेरिका का सहयोगी है और वहां वॉशिंगटन का एक बड़ा सैन्य ठिकाना मौजूद है, फिर भी यह हमला दिखाता है कि इस्लाम के दुश्मन किसी भी सरकार या समूह को बाहर नहीं रखते।
ख़ुतबे में उन्होंने शिक्षा और प्रशिक्षण के महत्व पर भी ज़ोर दिया। उनके मुताबिक़, मदरसें, विश्वविद्यालय और हौज़ा-ए-इल्मिया एक रोशनी की त्रिभुज की तरह हैं, जिन पर समाज की भलाई निर्भर करती है। उन्होंने शिक्षा प्रणाली के पांच सिद्धांत गिनाए: शैक्षणिक और बौद्धिक विकास, आध्यात्मिक और नैतिक प्रशिक्षण, तकनीकी और कौशल शिक्षा, सामूहिक ज़िम्मेदारी, और राजनीतिक एवं क्रांतिकारी जागरूकता।
उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि पानी, बिजली और गैस जैसे बुनियादी मसलों पर क्रांतिकारी तरीके से कदम उठाए जाएं, आंतरिक साइबर और इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाए, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) में त्वरित प्रगति हासिल की जाए, क्योंकि युद्ध ने हमारी कमजोरियों को उजागर कर दिया है।
क़ुम के शुक्रवार के ख़ुत्बे में सांस्कृतिक मुद्दों और हिजाब पर भी ध्यान दिलाया गया और कहा गया कि "ज़िम्मेदार संस्थाओं को अधिक सक्रिय होना चाहिए क्योंकि एक गलत कदम समाज पर कई गुना असर डालता है।
अंत में, उन्होंने पैगंबर मोहम्मद (स.ल.व.) की 1500वीं जयंती के अवसर पर कहा कि नबी की शुरुआत ने मानव इतिहास को अज्ञानता से बाहर निकालकर एक दिव्य और सभ्य मार्ग दिया। "इस्लामी उम्मत को आज फिर से पैगंबर से अपनी निष्ठा नवीनीकृत करनी चाहिए ताकि दिलों में रोशनी और लोगो में एकता पैदा हो और तहफ़्फ़ुज़-ए-तौहीद मजबूत बने।
क़तर पर इजरायली हमला अरब देशों के खिलाफ युद्ध की घोषणा है।हमास
हमास के वरिष्ठ नेता फौज़ी बरहूम ने दोहा में इस्राइली सरकार के खून खराबे भरे हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह हमला सिर्फ़ क़तर पर नहीं, बल्कि पूरे अरब देशों के खिलाफ एक युद्ध की घोषणा है।
हमास के वरिष्ठ नेता फौज़ी बरहूम ने दोहा में इस्राइली सरकार के खून खराबे भरे हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह हमला सिर्फ़ क़तर पर नहीं, बल्कि पूरे अरब देशों के खिलाफ एक युद्ध की घोषणा है।
फौज़ी बरहूम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम उन बहादुर युवाओं के शोक में शामिल हैं जो क़तर में इस्राइली हमले में शहीद हुए।
उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और जनता बहादुरी और हिम्मत के साथ नई कुर्बानी की कहानियां लिख रही है। दोहा में इस्राइली हमले पर तुरंत जवाब देना ज़रूरी है।
बरहूम ने कहा कि इज़राइल न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक शांति को भी खतरे में डाल रहा है। हमास के नेताओं का खून फिलिस्तीनी बच्चों और जनता के खून से अधिक मूल्यवान नहीं है। इज़राइल की धमकियों से हमास फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के बचाव से पीछे नहीं हटेगा। ये धमकियां प्रतिरोध को खत्म नहीं कर पाएंगी, बल्कि हमारा इरादा और भी मजबूत होगा।
उन्होंने आगे कहा कि दोहा में हमास की बातचीत टीम पर हुआ हमला असल में कब्ज़ा जमाए शक्तियों की झूठी जीत दिखाने की कोशिश थी। यह हमला केवल एक दल पर नहीं बल्कि पूरे बातचीत के प्रक्रिया पर हमला है। अमेरिका इस अपराध में इज़राइली सरकार का बराबर का साझेदार है।
बरहूम ने बताया कि यह हमला उस दिन के बाद हुआ जब क़तर के प्रधानमंत्री ने नया प्रस्ताव पेश किया था। इससे साबित होता है कि नेतन्याहू और उनकी सरकार ही बातचीत में बाधा डालने के पूरे ज़िम्मेदार हैं। इज़राइल का यह गंभीर अपराध हमारे पक्के रुख़ और स्पष्ट मांगों को नहीं बदल सकता।
उन्होंने क़तर की सरकार, अमीर और जनता के प्रति एकजुटता जताई और उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही अरब और इस्लामी देशों के नेताओं से मांग की कि वे इस्राइल की इस आक्रमण के खिलाफ मजबूत और स्पष्ट स्टैंड ले।
इज़रायल का क़तर पर हमला / इमाम ख़ुमैनी की आधी सदी पुरानी चेतावनियों की गूंज।
ईरान के एक प्रमुख धर्मगुरु और इमाम ख़ुमैनी के पोते आयतुल्लाह सैयद हसन ख़ुमैनी ने क़तर पर इज़रायल के हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिका समर्थित इज़रायली नीतियों की निरंतरता है, जिसका मकसद पूरे मध्य-पूर्व में पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना है।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के एक प्रमुख धर्मगुरु और इमाम ख़ुमैनी के पोते आयतुल्लाह सैयद हसन ख़ुमैनी ने क़तर पर इज़रायल के हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिका समर्थित इज़रायली नीतियों की निरंतरता है, जिसका मकसद पूरे मध्य-पूर्व में पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना है।
सैयद हसन ख़ुमैनी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज की असल समस्या ईरान का परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम नहीं, बल्कि क्षेत्र में इज़रायल का बढ़ता हुआ नियंत्रण और शक्ति है। यह शक्ति सभी राजनीतिक, सैन्य, मानवीय और नैतिक सीमाओं को पार करने के बराबर है।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रों के जीवन और सम्मान की रक्षा करना, साथ ही सुरक्षा के बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करना एक मानवीय जिम्मेदारी है। उनके मुताबिक, क़तर पर हमला पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी खतरे की घंटी है और यह उस नीति को दिखाता है जिसके बारे में इमाम ख़ुमैनी ने आधी सदी पहले ही चेतावनी दी थी।
सैयद हसन ख़ुमैनी ने आगाह किया कि लेबनान, ईरान और क्षेत्र के अन्य देशों में भी ऐसे हमलों की संभावना है। उन्होंने कहा कि इन साझा खतरों का एकमात्र प्रभावी जवाब इस्लामिक देशों के बीच सच्ची एकजुटता है।
उन्होंने यह भी कहा,आपसी मतभेद दुश्मन के लिए सबसे बड़ा अवसर होते हैं, और इन खतरों को केवल एकता के माध्यम से ही रोका जा सकता है।
इसी मौके पर, इमाम ख़ुमैनी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के विभाग ने 39वें अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक एकता सम्मेलन में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें इमाम ख़ुमैनी के बहुभाषी लेख और कार्य दिखाए गए। इसका उद्देश्य दुनिया भर के बुद्धिजीवियों और धार्मिक नेताओं के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और एक पुल स्थापित करना था।
दुनिया भर में अत्याचार के खिलाफ खड़ी ताकत और शक्ति सिर्फ और सिर्फ मकतब-ए-हुसैनी और मल्लत ए ईरान में है
सेंट्रल जामा मस्जिद स्कर्दू में शुक्रवार के खुत्बे में मौलाना शेख जवाद हाफ़िज़ी ने कहा कि दुनिया में अगर कोई ताकत वास्तव में अत्याचार के खिलाफ डटी हुई है तो वह सिर्फ और सिर्फ मकतब-ए-हुसैनी और मल्लत-ए-ईरान है।
केंद्रीय जामा मस्जिद स्कर्दू में शुक्रवार का खुत्बे देते हुए हुज्जतुल इस्लाम शेख जवाद हाफ़िज़ी ने कहा कि दुनिया में अगर कोई ताकत वास्तव में ज़ुल्म के खिलाफ डटी हुई है तो वह सिर्फ और सिर्फ मकतब-ए-हुसैनी और मल्लत-ए-ईरान है।
नायब इमाम-ए-जुम्मा स्कर्दू ने हज़रत रसूल ए करीम स.ल.व. और हज़रत इमाम जाफर सादिक अ.स. की विलादत की मुबारकबाद देते हुए अहले ईमान को बधाई दी और मिलाद की गरिमापूर्ण तकरीबात आयोजित करने वाले मोमिनों की सराहना की।
इसके बाद उन्होंने धार्मिक इज़तेमाअत और मिलाद की महफ़िलों को गंभीर और विचारशील रंग देने पर ज़ोर दिया, ताकि यह सोशल मीडिया और पूरे विश्व में सकारात्मक संदेश पहुंचा सकें। उन्होंने इमाम जाफर सादिक अ.स. की हदीस की रोशनी में मरिफ़त और बसीरत पर जोर देते हुए कहा कि मरिफ़त और बसीरत के बिना अमल बेअर्थ हैं, जैसे कोई व्यक्ति मंज़िल के विपरीत दिशा में चल पड़े।
शेख जवाद हाफ़िज़ी ने 11 सितंबर के वैश्विक हादसे और इसके पीछे अमेरिकी साजिशों का ज़िक्र करते हुए कहा कि आज भी इस्लामी दुनिया को जो मुश्किलें पेश आ रही हैं उनका असली निशाना इस्लाम और मकतब ए-अहल-बैत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दुनिया में अगर कोई ताकत वास्तव में ज़ुल्म के खिलाफ डटी हुई है तो वह केवल मकतद-ए-हुसैनी और मल्लत-ए-ईरान है।
अंत में उन्होंने मोमिनों को नसीहत दी कि मतभेदों और कठिनाइयों के बावजूद पाकिस्तान हमारी माँ है, हमें उससे मोहब्बत करनी चाहिए और अपनी युवा पीढ़ी को ज्ञान, चरित्र और सेवा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए तैयार करना चाहिए यही सोच मल्लत और राज्य दोनों के लिए भलाई और बरकत का कारण बनेगी।
हमेशा दूसरों को सलाम करने में सबक़त करें
खोजा शिया अशना अशरी जामा मस्जिद पाला गली मुंबई में खुत्बा ए जुमआ देते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम की सीरत हम सभी के लिए एक संपूर्ण आदर्श है। हमें उनकी विनम्रता, अच्छे आचरण और सलाम में सबक़त जैसे गुणों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
मुंबई / खोजा शिया अशना अशरी जामा मस्जिद पाला गली में 12 सितंबर 2025 को जुमे की नमाज़ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी की इमामत में अदा की गई।
मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने सूरह अहज़ाब की आयत 21 का वर्णन करते हुए कहा, पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम का जीवन, उनका तरीक़ा और उनका ढंग हमारे लिए सर्वोत्तम आदर्श है। पूरी ब्रह्मांड में ईमान वालों का दर्जा बड़ा है, और ईमान वालों में अवलिया का, ओवलिया में नबियों का और नबियों में रसूलों का, और रसूलों में हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम का दर्जा सबसे ऊंचा है।
उन्होंने आगे कहा,ब्रह्मांड में सबसे अफ़्ज़ल सबसे अला (उच्च), सबसे अकमल (संपूर्ण) यदि कोई सत्व है, तो वह हमारे रसूल की पवित्र हस्ती है। उनसे बढ़कर कोई नहीं है, उनके अमल से बेहतर, उनके तरीक़े से बेहतर, उनके अंदाज़ से बेहतर किसी का अंदाज़ नहीं हो सकता। कोई नबी, कोई वली, कोई वसी, कोई भी कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह पैगंबर के बराबर होने की बात तो दूर, उनके कदमों की मिट्टी भी नहीं हो सकता।
मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने यह बताते हुए कि पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम की विशेषताएं हमारे जीवन में होनी चाहिए, हमें अल्लाह से मदद मांगनी चाहिए, गिड़गिड़ा कर अल्लाह से पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम के तरीक़े पर, उनके नक़्शे-क़दम पर चलने की तौफ़ीक़ की दुआ मांगनी चाहिए, कहा,पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम जब रास्ता चलते थे तो धीरे-धीरे चलते थे, आराम से चलते थे, वक़ार के साथ चलते थे। जब चलते थे तो ज़मीन पर पैर घसीट कर नहीं चलते थे, उनके चलने में आवाज़ नहीं होती थी। कुछ लोग इस तरह से चलते हैं, ऐसे जूते पहनते हैं जो खट-खट की आवाज़ करते हैं, जबकि हुज़ूर आराम के साथ चलते थे और ज़मीन पर पैर नहीं घसीटते थे।
उन्होंने आगे कहा,जब वह चलते थे तो निगाहें झुकी रहती थीं, ज़मीन की तरफ देखकर चलते थे, सिर उठाकर अभिमान के साथ नहीं चलते थे, विनम्रता के साथ चलते थे।
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम की सीरत में "दूसरों को सलाम करने" के संबंध में मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने कहा,हुज़ूर जब किसी को देखते थे तो सबसे पहले सलाम करते थे, इंतज़ार नहीं करते थे कि लोग उन्हें सलाम करें। आज हमारा तरीक़ा यह है कि हम इंतज़ार करते रहते हैं कि कोई हमें सलाम करे तो हम सलाम का जवाब दें।
उन्होंने आगे कहा,यहां तक कि पैगंबर-ए-अकरम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम बच्चों को सलाम करते थे और कोशिश करते थे कि सलाम करने में कोई उनसे सबक़त (तेज़ी) न ले जाए। और शायद हमारा तरीक़ा इससे अलग है, हम इंतज़ार करते रहते हैं कि लोग हमें सलाम करें।
मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने ज़ोर देकर कहा,हमारे घरों में छोटे बच्चे हैं, हम अपने घरों में भी अपने बच्चों को सलाम करें, न कि इंतज़ार करें कि हमारे बच्चे हमें सलाम करें। और इसका कारण यह है कि अगर हम सलाम करेंगे तो अल्लाह ने सलाम करने के 70 फायदे रखे हैं, सलाम के 70 सवाब (पुण्य) रखे हैं। 69 सवाब उसे मिलता है जो पहले सलाम करता है और एक उसे मिलता है जो जवाब देता है। तो क्या हम बच्चों के सलाम का इंतज़ार करके एक सवाब हासिल करें या खुद उन्हें सलाम करके 69 सवाब हासिल कर लें?
उन्होंने आगे कहा,सलाम करने में सबक़त (तेज़ी) करें, न कि इंतज़ार करें कि कोई दूसरा हमें सलाम करे। घर, दफ़्तर, दुकान, कारखाना, जहाँ भी हों, हमेशा सलाम करने में सबक़त करें।
यमन का इज़राइल पर करारी वार/तेल अवीव में भय और दहशत
यमन के सैन्य प्रवक्ता ने कब्जा किए गए फिलिस्तीनी इलाक़ों में यहूदी क्षेत्रों पर हाइपरसोनिक मिसाइल हमले का दावा किया है।
यमन सशस्त्र बलों ने इजराइल की राजधानी तेल अवीव में संवेदनशील स्थानों को हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइलों से निशाना बनाया है, जिसके चलते ज़ालिम यहूदी लोग अपने आश्रयों की ओर भागने पर मजबूर हो गए।
जानकारी के मुताबिक़, यमन सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल याहया ने बताया कि "फिलिस्तीन 2" नामक क्लस्टर वारहेड से लैस हाइपरसोनिक मिसाइलों से कब्ज़ा किए गए हिफा में महत्वपूर्ण लक्ष्य को निशाना बनाया गया।
उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह सफल रही और इजरायली लोगों में गहरा डर फैल गया प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यमन की जनता फिलिस्तीनियों के संघर्ष का पूर्ण समर्थन जारी रखेगी।
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि यहूदी सरकार की ओर से यमन पर किसी भी प्रकार की aggression का जवाब और भी सख्त दिया जाएगा।
हज़रत रसूल अल्लाह का जीवन धैर्य और प्रेम का स्कूल हैं।
हर्मुज़गान में हज़रत ज़ैनब (स.ल.) स्कूल की शोध सहायक ज़हेरा सालेहीपुर ने कहा है कि पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के व्यक्तित्व और उनके नैतिक और आध्यात्मिक गुणों को समझना आज मुसलमानों के लिए बेहद ज़रूरी है।
हर्मुज़गान में हज़रत ज़ैनब (स.ल.) स्कूल की शोध सहायक, ज़हेरा सालेहीपुर ने कहा है कि पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के व्यक्तित्व और उनके नैतिक और आध्यात्मिक गुणों को समझना आज मुसलमानों के लिए बेहद ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि कुरान में बताया गया है कि अल्लाह ने मोमिनों पर बड़ी कृपा की जब उन्होंने अपने ही लोगों में से एक पैगंबर भेजा। यह कृपा बहुत बड़ी है और इसे केवल मोमिन ही समझ सकते हैं।
ज़हेरा सालेहीपुर ने बताया कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जीवन अच्छे चरित्र और महान गुणों से भरा हुआ था। अल्लाह ने भी कहा है कि उनका नैतिक चरित्र बहुत बड़ा और शानदार था इसलिए पैगंबर का जीवन मुसलमानों के लिए एक आदर्श उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि आज हमें पैगंबर के जीवन से हर क्षेत्र सामाजिक, राजनीतिक, प्रचार और पारिवारिक में सीखने की ज़रूरत है।
ज़हेरा सालेहीपुर ने बताया कि इस्लाम की सफलता का एक बड़ा कारण पैगंबर की सहनशीलता और धैर्य था। उन्होंने बहुत सारी मुश्किलों और दुश्मनों की तकलीफों का धैर्य से सामना किया और अंततः इन पर जीत हासिल की।
उन्होंने कहा कि पैगंबर ने हमें सिखाया है कि ईश्वर के रास्ते पर चलने के लिए हमें प्यार और धैर्य के साथ सब्र करना चाहिए। जैसा कि अमीरूल मोमिनीन अली (अ) ने कहा है कि जो इंसान ईश्वर से प्यार करता है, उसे ईश्वर के रास्ते की कठिनाइयां भी पसंद होती हैं।
अंत में ज़हेरा सालेहीपुर ने कहा कि पैगंबर ने तब भी धैर्य नहीं छोड़ा जब उन्हें अपमानित किया गया और दुश्मनों ने उन पर कीचड़ फेंका। यही धैर्य और बड़प्पन इस्लाम की जीत और उसके संदेश की स्थिरता की वजह बना।
अमीन और सादिक़ लोगों की मोहब्बत दिल में होगी और मोक्ष प्राप्त होगा
पैग़म्बर मुहम्मद (स) और उनके परिवार के प्रकाश के उदय का उत्सव जामिया जवादिया बनारस का एक वार्षिक और भव्य उत्सव है।
वाराणसी की रिपोर्ट के अनुसार/ पिछले वर्षों की तरह, इस वर्ष भी, इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता, हज़रत अयातुल्ला सय्यद शमीम-उल-मुत्तलिब की अध्यक्षता में, जामिया उलूम जवादिया के छात्रों, शिक्षकों और सदस्यों की ओर से, जामिया उलूम जवादिया बनारस का वार्षिक और भव्य उत्सव मंगलवार, 9 सितंबर, 2025 को मगरिब की नमाज़ के बाद आयोजित किया गया। सबसे पहले, मगरिब की नमाज़ सामूहिक रूप से अदा की गई, फिर स्थानीय और विदेशी कवियों ने पैगंबर और इमामत की उपस्थिति में निम्नलिखित पंक्तियों के माध्यम से भक्ति और प्रेम का काव्यात्मक प्रस्तुतिकरण किया।
उद्देश्यों का यह समागम अपनी वैज्ञानिक, साहित्यिक, धार्मिक संस्कृति और वैभव की दृष्टि से अद्वितीय और विशिष्ट है। प्रथम, प्रशंसा में स्तुति की प्रासंगिकता को ध्यान में रखा जाता है। द्वितीय, कवि असंरचित छंद और कविताएँ नहीं पढ़ते। तृतीय, कोई भी कवि कुर्सी पर बैठकर बिना टोपी के स्तुति नहीं करता। तृतीय, विद्वान बड़ी संख्या में अपनी कविताएँ पढ़ते हैं। चतुर्थ, सलावत के नारे, हैदरी के नारे, तकबीर के नारे, और सुभान अल्लाह, वाह वाह, आदि नारों से यथासंभव परहेज किया जाता है।
इस वर्ष, पैगम्बरे इस्लाम के जन्म की पंद्रह सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मौलाना रईस अहमद जारचोवी दिल्ली ने भाषण देते हुए कहा कि यह एक ऐसा आंदोलन है जो जारी रहना चाहिए।
महफ़िल-ए-मक़दिसा में अपनी कविताएँ प्रस्तुत करने वाले कुछ प्रसिद्ध विद्वानों और कवियों के नाम इस प्रकार हैं। और उनकी कुछ तस्वीरें भी यहां उपलब्ध हैं:
मौलाना रईस जार्चोवी, डॉ. रजा मोरानवी, श्री नासिर जारोली, श्री बिलाल नकवी, डॉ. नायब हलूरी, श्री हशुल आजमी, डॉ. नायब बलवी, श्री फैयाज राय बरेलवी, श्री नफीस हलूरी, श्री रजी बसवानी, श्री चंदन फैजाबादी, डॉ. मयाल चंदोलवी, श्री अतहर मोहानी, श्री मुनव्वर जलालपुरी, श्री कामिल इलाहाबादी, श्री मोहिब मोरानवी, श्री वारिस जलालपुरी, मौलाना मोहसिन जौनपुरी, प्रोफेसर अजीज बनारसी, मौलाना इश्तियाक राजितवी, प्रोफेसर अली आजमी, मौलाना क़र्तस करबलाई, मौलाना फैज़ अस्करी आदि।
कार्यक्रम की शुरुआत श्री ताहिर सलमा द्वारा पवित्र कुरान के पाठ से हुई और इसका संचालन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध मजलिस, महफ़िल और मुशायरा के विशेषज्ञ और अनुभवी संचालक श्री नसीर आज़मी ने किया।
इस अवसर पर हसन इस्लामिक रिसर्च सेंटर अमलावा मुबारकपुर के संस्थापक एवं संरक्षक, प्रख्यात शोधकर्ता एवं धर्मोपदेशक मौलाना इब्न हसन अमलावी, मदरसा बाबुल इल्म मुबारकपुर के प्रधानाचार्य मौलाना मजाहिर हुसैन, जामिया इमाम जाफर सादिक जौनपुर के प्रधानाचार्य मौलाना सैयद सफदर हुसैन, जुमा मुबारकपुर के इमाम मौलाना इरफान अब्बास, जुमा गाजीपुर के इमाम मौलाना तनवीर-उल-हसन, जुमा छपरा बिहार के इमाम मौलाना मासूम रजा, मुंबई के मौलाना अता हैदर सहित पूर्वांचल के अधिकांश विद्वान, धर्मोपदेशक एवं जाकारी, मदरसों के शिक्षक एवं बनारस के सभी संघों के नेता, साथ ही स्थानीय एवं विदेशी धर्मावलंबी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
हमास नेताओं की हत्या की नाकाम कोशिश इस्राइली शासन की हताशा दिखाती है
हौज़ा ए इल्मिया फारस के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन महमूदी ने कहा कि कतर में हमास के नेताओं की हत्या की नाकाम कोशिश इस्राइली शासन की कमज़ोरी और असफलता का साफ़ सबूत है।
हौज़ा ए इल्मिया फारस के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन महमूदी ने कहा कि कतर में हमास के नेताओं की हत्या की नाकाम कोशिश इस्राइली शासन की कमज़ोरी और असफलता का साफ़ सबूत है।
उन्होंने इस्राइली शासन की इस कोशिश की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि जब शत्रु कमजोर पड़ते हैं, तो वे हत्याओं जैसे गलत रास्ते पर उतर आते हैं। लेकिन ऐसे कदम प्रतिरोध को कमज़ोर नहीं करते, बल्कि मुस्लिम समुदाय को और मजबूत करते हैं।
महमूदी ने कहा कि कतर जैसे स्वतंत्र देश में इस तरह की धमकियां देना और हत्या की कोशिश करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है वैश्विक संगठन इस पर चुप रहने के लिए अफसोसजनक हैं।
उन्होंने हौज़ा के धार्मिक स्कूलों की जिम्मेदारी बताई कि वे लोगों को इस्राइली शासन की अपराधी सोच के बारे में जागरूक करें और फिलिस्तीनी लोगों के लिए समर्थन बढ़ाएं।
अब्दुलरज़ा महमूदी ने सभी मुस्लिम देशों से अपील की कि वे फिलिस्तीनी जनता के साथ और मजबूती से खड़े हों और इस्राइल की ज़ुल्म की नीतियों का मुकाबला करें।













