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रविवार, 31 मार्च 2024 17:54

बंदगी की बहार- 20

रमज़ान का पवित्र महीना तेज़ी से गुज़र रहा है।

रमज़ान के पवित्र महीने का जब तीसरा पखवाड़ा आरंभ हो जाता है तो मोमिनों के दिलों में महान व सर्वसमर्थ ईश्वर की उपासना और उससे प्रार्थना के लिए अधिक उत्सुकता उत्पन्न हो जाती है। पवित्र रमज़ान महीने की विशेष रातें ”शबे क़द्र” ज़मीन से आसमान की ओर जाने का रास्ता खोलती हैं। यह रातें मोमिन व रोज़ा रखने वाले को पापों से प्रायश्चित करने और परिपूर्णता का मार्ग तय करने का आह्वान करती हैं। पवित्र रमज़ान महीने के विशेष दिनों व रातों में हमें महान ईश्वर की अधिक उपासना करते हुए प्रायश्चित करना चाहिये। इस महीने के समाप्त होने से पहले हमें चाहिये कि हम स्वयं को पापों से प्रायश्ति करने वालों के काफिले तक पहुंचाएं। कितने भाग्यशाली वे लोग जिन्होंने इस महीने में स्वयं को पापों से पाक किया, ईश्वरीय दया का पात्र बनाया और पवित्र रमज़ान महीने के निर्मल जल के बहते सोते से अपनी आत्मा को शुद्ध किया।

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनई इस महीने में प्रायश्चित करने की सुन्दरता के बारे में कहते हैं” रमज़ान का पवित्र महीना हमें यह अवसर प्रदान करता है कि हम स्वयं को शुद्ध कर लें। यह शुद्धि बहुत महत्व रखती है। रमज़ान के पवित्र महीने में बहने वाले आंसू हमारे दिलों को होकर शुद्ध करते हैं किन्तु उसकी रक्षा करना चाहिये। अहंकार, ईर्ष्या, अत्याचार और विश्वासघात जैसी बड़ी और खतरनाक बीमारियों के इस महीने में उपचार का अवसर प्राप्त होता है। महान ईश्वर ध्यान देता है और निश्चित रूप से उसने ध्यान दिया है।

रमज़ान का पवित्र महीना प्रायश्चित करने और महान ईश्वर की ओर लौटने का बेहतर अवसर है। इस महीने की विशेष रातें यानी शबे क़द्र पापों से क्षमा मांगने की बेहतरीन रातें हैं। एसा न हो कि यह रातें गुज़र जायें और हम निश्चेतना की नींद सोये रहें और पापों से क्षमा मांगने वालों से पीछे रह जायें कि निः संदेह महान ईश्वर बहुत अधिक प्रायश्चित व तौबा को स्वीकार करने वाला है।

 कहते हैं कि बनी इस्राईल में एक जवान था। उसने 20 वर्षों तक महान ईश्वर की उपासना की थी और उसके बाद 20 वर्षों का समय उसने उसकी अवज्ञा में बिताया। एक दिन उसने अपने सफेद बालों को आइने में देखा तो वह अपने आप में आया और कहा हाय! बुढ़ापा आ गया, जवानी का समय बीत गया। हे मेरे ईश्वर! वर्षों मैं तेरी याद में था और कुछ वर्षों से मैं तुझ से विमुख हो गया हूं अब अगर मैं तेरी ओर आऊं तो क्या तू मुझे स्वीकार करेगा?

उस समय ईश्वरीय वाणी आई कि हे व्यक्ति! तूने कुछ समय मेरी उपासना की तो मैं तेरे साथ था और जब तूने मुझे भुला दिया तो मैंने भी तूझे तेरी हाल पर छोड़ दिया किन्तु तूझे अवसर दिया। अब अगर तुम मेरी तरफ लौटना चाहता हो तो मैं तुम्हें स्वीकार करूंगा।

प्रायश्चित की प्रशंसा में बस इतना ही काफी है कि महान ईश्वर कहता है कि मैं प्रायश्चित करने वालों को दोस्त रखता हूं। पैग़म्बरे इस्लाम भी फरमाते हैं” पापों से प्रायश्चित करने वाला, पाप न करने वाले की भांति है।

प्रायश्चित का अर्थ बुराइ से भलाई की ओर लौटना है। प्रायश्चित यानी मौजूदा समय में गुनाह छोड़ना और भविष्य में न करने का इरादा। जब इंसान अपने बुरे कार्यों से शर्मिन्दा होता है और उसकी भरपाई की दिशा में कदम बढ़ाता है तो वह प्रायश्चित की स्थिति होती है। महान व सर्वसमर्थ ईश्वर भी प्रायश्चित करने वाले व्यक्ति को अपनी असीम कृपा की छत्रछाया में शरण देता है विशेषकर अगर प्रायश्चित करने वाला जवान हो। पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं” ईश्वर के निकट प्रायश्चित करने वाले युवा से अधिक कोई चीज़ प्रिय नहीं है”

इंसान आम तौर पर झूठ बोलने, दूसरों को कष्ट पहुंचाने, दूसरों पर आरोप लगाने और दूसरों की बुराई करने जैसे पाप करते- रहते हैं। इंसान का उद्दंडी मन उसे ईश्वरीय दूतों द्वारा बताये गये मार्गों के विरोध के लिए उकसाती है। यह उसे ईश्वरीय शिक्षाओं की अवज्ञा करने और क्रोध एवं अपनी गलत इच्छाओं के अनुपालन के लिए कहती है। इंसान का मन इंसान की नज़र में इस नश्वर संसार को एसा बनाकर पेश करता है कि मानो वह सदैव बाकी रहने वाला है और दुनिया की खत्म हो जाने वाली मिठास को इंसान के सामने सबसे मीठी चीज़ी के रूप में पेश करता है इस प्रकार वह इंसान को मुक्ति व कल्याण से दूर करता है। कभी कभी एसा भी होता है कि इंसान पापों के दलदल में धंस जाता है। अचानक जब वह उस दलदल से निकल आता है तो उसकी समझ में आता है कि कितना बुरा रास्ता उसने तय किया है। वह शर्मीन्दा होता है और उसकी यह शर्मीन्दगी महान ईश्वर के निकट बहुत महत्व रखती है। वह महान ईश्वर की ओर लौटने और अपनी सुधार का इरादा करता है। इस कार्य के लिए रमज़ान के पवित्र महीने से बेहतर और क्या अवसर हो सकता है।

रहस्यवादियों व परिज्ञानियों की दृष्टि में प्रायश्चितक का अर्थ है अत्याचार का वस्त्र उतारना, पापों को छोड़ना और वफा का परिधान धारण करना।

समस्त इंसानों को पापों से प्रायश्चित करने की ज़रूरत होती है किन्तु इस बात को नहीं भूलना चाहिये कि जो इंसान दिल से प्रायश्चित करता है दिल से पापों को त्याग देने का संकल्प करता है उसे उपहार में ईश्वरीय प्रेम मिलता है। जब इंसान को महान व सर्व समर्थ ईश्वर का सच्चा व वास्तविक प्रेम प्राप्त हो जाता है तो वह दूसरों के कहने पर भी पाप नहीं करता। क्योंकि उसे ईश्वरीय प्रेम की मिठास का आभास हो जाता होता है। प्रायश्चित व सच्ची तौबा वास्तव में सदैव बाकी रहने वाले स्वर्ग का रास्ता है। पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों की दृष्टि में सच्चा तौबा यह है कि इंसान के उपर जो दायित्व रह गये हैं उन्हें वह पूरा करने का प्रयास करे और अगर उससे किसी को पीड़ा पहुंची है तो वह उससे क्षमा मांगे, जो नमाज़- रोज़े छूट गये हैं उन्हें अदा करने का प्रयास करे।  तौबा करने वाले व्यक्ति को चाहिये कि वह अपनी इच्छा को नियंत्रित करे, अच्छे व भले लोगों के पद चिन्हों पर अमल करने का प्रयास करे ताकि महान व दयालु ईश्वर की नज़र में प्रिय बन सके।

जो चीज़ें इंसान को तौबा के लिए प्रोत्साहित करती हैं उनमें से एक यह है कि इंसान यह जाने कि जो मुसीबतें हैं वे उसके अनुचित व गलत कार्यों का परिणाम हैं। इस आधार पर पैग़म्बरे इस्लाम और दूसरे मार्गदर्शक विभिन्न मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए तौबा करने की सिफारिश करते हैं। यहां तक कि पैग़म्बरे इस्लाम, उनके पवित्र परिजन और दूसरे समस्त ईश्वरीय दूत हर प्रकार के पाप से पवित्र हैं। उनसे किसी भी प्रकार के पाप नहीं हुए हैं फिर भी वे प्रायश्चित करते थे।

पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं" बेशक हमारे दिल पर मैल बैठता है। उसे हटाने के लिए मैं हर दिन -रात 70 बार ईश्वर से तौबा करता हूं।

बहुत बड़े शीया परिज्ञानी व रहस्यवादी दिवंगत आयतुल्लाह बहजत बल देकर कहते हैं कि जीवन में जो अप्रिय घटनाएं होती है वे हमारे कार्यों का परिणाम होती हैं। जैसाकि महान ईश्वर पवित्र कुरआन के सूरे शूरा की 30वीं आयत में कहता है" तुम पर जो भी मुसीबत आती है वह तुम्हारे कार्यों का परिणाम है।

वास्तविकता यह है कि बहुत से लोग पापों की दलदल में डूब जाते हैं और वे अपना रास्ता नहीं बदलते हैं तो पापों के भारी बोझ को परलोक में ले जाते हैं और उससे उनको बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ता है पंरतु तौबा वह स्वर्णिम अवसर है जिससे माध्यम से इंसान अच्छे व सही मार्ग और महान ईश्वर की ओर लौट आता है। इस प्रकार वह हमेशा बाकी रहने वाले स्वर्ग में प्रवेश कर जाता है।

जिन लोगों ने महान ईश्वर के मार्ग में आगे बढ़ने और कठिनाइयों से छुटकारा पाने के लिए आयतुल्लाह बहजत से नसीहत करने का आग्रह किया उन लोगों के जवाब में उन्होंने बारमबार तौबा करने की सिफारिश की। वे पैग़म्बरे इस्लाम की वह रवायत याद दिलाते थे जिसमें आपने फरमाया है कि क्या मैं तुम्हें तुम्हारी बीमारियों और उसकी दवाओं से अवगत न करूं? तुम्हारी पीड़ा व बीमारी पाप हैं और उसका उपचार तौबा है। इसी प्रकार पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं" जितना हो सके अस्तग़फिरुल्लाह शब्द को पूर्ण विश्वास के साथ दोहराओ।"

इस समय रमज़ान के रोज़ों, उपासनाओं, पवित्र कुरआन की तिलावत और दूसरे भले कार्यों से दिल प्रकाशित हो गये हैं। मानो मोमिन का रमज़ान के पवित्र महीने विशेषकर शबे क़द्र में दोबारा जन्म हुआ है और उसने नये जीवन का आरंभ कर दिया है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनई इस बारे में कहते हैं" रमज़ान महीने की बड़ी उपलब्धि तौबा और ईश्वर की ओर वापसी है। दुआए अबू हमज़ा सोमाली में हम पढ़ते हैं" हमें तौबा के दर्जे पर पहुंचा दे कि हम पापों से पलट आयें उस जवान की भांति जो अज्ञानता के कारण अपने माता पिता के घर से भाग जाता है और बाद में वह अपने माता- पिता के पास लौट आता है और उसके माता- पिता प्रेम से उसे स्वीकार कर लेते हैं। यही तौबा है। जब हम ईश्वर की दया व कृपा के घर की ओर वापसी करेंगे तो ईश्वर हमें स्वीकार कर लेगा। रमज़ान के महीने में मोमिन इंसान के लिए स्वाभाविक रूप से वापसी का जो अवसर सामने आता है उसे हमें मूल्यवान समझना चाहिये।

 

 

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

أللّهُمَّ افْتَحْ لي فيہ أبوابَ الجِنان وَأغلِقْ عَنَّي فيہ أبوابَ النِّيرانِ وَوَفِّقْني فيہ لِتِلاوَة القُرانِ يامُنْزِلَ السَّكينَة في قُلُوبِ المؤمنين.

अल्लाह हुम्मा इफ़तह ली फ़ीहि अबवाबल जिनान, व अग़लिक़ अन्नी फ़ीहि अबवाबल नीरान, व वफ़्फ़िक़नी फ़ीहि ले तिलावतिल क़ुरआन, या मुन-ज़िलस सकीनति फ़ी क़ुलूबिल मोमिनीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! इस महीने में मुझ पर जन्नत के दरवाज़े खोल दे, और जहन्नम की भड़कती आग के दरवाज़े मुझ पर बंद कर दे, और मुझे इस महीने में तिलावते क़ुरआन की तौफ़ीक़ अता फ़रमा, ऐ मोमिनीन के दिलों में सुकून नाज़िल करने वाले... 

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

 

 

जाना ईसा और डियाबा केनिट नामक दो महिला बास्केटबॉल खिलाड़ियों के अमेरिका में हिजाब पहनकर खेलने की वजह से उन लोगों के मुंह पर ताले लगे गये हैं जो हिजाब को एक बाधा या रुकावट समझते थे जबकि उनके प्रशंसकों में उम्मीद की किरण पैदा हो गयी है।

 

यहां पर इस बात का ज़िक्र ज़रूरी है कि ये महिला खिलाड़ी, अमेरिकी बास्केटबॉल प्लेऑफ़ (एनसीएए) में हिजाब पहनकर खेलने वाली पहली महिला खिलाड़ी नहीं हैं लेकिन खेल के मैदान में ढेरों रिकॉर्ड बनाने और दर्शकों तथा समर्थकों के दिलों पर राज करने का इनका अपना अलग ही इतिहास है।

महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण के लिए ग़ैर-लाभकारी संगठन के संस्थापक कामरा ने बास्केटबॉल मैचों में हिजाब पहने इस महिला खिलाड़ियों की उपस्थिति के बारे में कहा कि यह उपस्थिति दुनिया भर की लड़कियों और खेल में रुचि रखने वालों को एक शक्तिशाली संदेश देती है, चाहे वे किसी भी आर्थिक और सांस्कृतिक वर्ग से जुड़ी हों।

डियाबा कोनेट (Diaba Konate) ने प्रतियोगिता में हिजाब पहनकर अपनी उपस्थिति के बारे में कहा कि प्रतिनिधित्व एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हिजाब और महिलाओं की निजता में रुचि रखने वाली लड़कियां, बास्केटबॉल के मैदान पर मौजूद नहीं हैं, मेरे पास उनका प्रतिनिधित्व है और मेरी सफलता पर उनकी नज़रें हैं।

केनेट ने वर्ष 2020 से हिजाब पहनना शुरु किया है और वह अपने पैतृक देश फ्रांस में खेलने के लिए एक चांस तलाश कर रही हैं।

फ्रेंच बास्केटबॉल फेडरेशन ने हिजाब पहनने वाली महिला खिलाड़ियों को देश की टीमों में भाग लेने से रोक दिया है।

हालांकि अमेरिकी बास्केटबॉल के ये दोनों हिजाब पहनने वाली खिलाड़ियों का अभी तक आपस में कोई मुक़ाबला नहीं हुआ है लेकिन उन्हें एक दूसरे की उपस्थिति का भरपूर एहसास है।

जाना ईसा (jannah eissa) ने प्रतियोगिताओं में केनेट की हिजाब के साथ उपस्थिति के बारे में कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि दूसरे लोग भी हिजाब के साथ खेलों में भाग ले रहे हैं।

इस अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक व्यक्ति इतना ज़्यादा प्रभाव डालेगा, छोटी लड़कियां मेरी ओर देखती हैं, यह चीज़ मेरी लिए ख़ुशी का कारण है।

ईसा ने अमेरिका के खिलाड़ियों के समुदाय में अपने काम की प्रेरणा के बारे में कहा कि मैं हिजाब पहनने वाली खिलाड़ियों की उपस्थिति और महिलाओं की प्राइवेसी को व्यवहारिक बनाने और उनमें उम्मीद पैदा करने के लिए यथासंभव प्रयास जारी रखूंगी।

यह ख़बर महिलाओं में हिजाब पहनने की इच्छा बढ़ने को दर्शाती है। कुछ महिलाओं के लिए हिजाब का महत्व, एक स्त्री की प्राइवेसी है जो उन्हें अपने यौन आकर्षण और शारीरिक सुंदरता पर समाज के ध्यान की परवाह किए बिना सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति देता है।

इन आंकड़ों के अलावा, कई आंकड़े इस बात को ज़ाहिर करते हैं कि हिजाब वाली महिलाओं को कामुक, हिंसक और अतिक्रमणकारी लोग कम पसंद करते हैं।

 

दक्षिणी गाजा शहर खान यूनिस में एक आवासीय इमारत पर ज़ायोनी हमले में उन्नीस फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए।

आईआरएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, खान यूनिस में एक आवासीय इमारत पर कब्जे वाली ज़ायोनी सरकार के क्रूर हमले में दसियों फ़िलिस्तीनी भी घायल हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाजा में बेहद खराब स्वास्थ्य स्थिति की ओर इशारा करते हुए घोषणा की है कि गाजा में केवल दस अस्पतालों की अल्प गतिविधियों के कारण हजारों बीमार लोग चिकित्सा सेवाओं से वंचित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के अनुसार, गाजा में लगभग 9,000 बीमार लोगों को इलाज के लिए गाजा से बाहर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, और अब तक 3,400 से अधिक बीमार लोगों को स्थानांतरित किया जा चुका है, जिनमें 280 घायल भी शामिल हैं। गाजा में कब्जाधारी ज़ायोनी सरकार द्वारा फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है, जबकि क्रूर ज़ायोनी आक्रमण के परिणामस्वरूप, यहाँ के नागरिकों को भी अकाल और भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। गाजा में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ज़ायोनी आक्रमण की शुरुआत के बाद से, 32,750 फिलिस्तीनी शहीद हो गए हैं और 75,190 अन्य घायल हो गए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

 

 

ग़ज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी सरकार के सूचना कार्यालय ने एक रिपोर्ट में ग़ज़ा में युद्ध के 175वें दिन तक होने वाले जानी और माली नुक़सान के आंकड़े पेश किए हैं।

युद्ध में होने वाले जानी और माली नुक़सान का सारांश इस प्रकार है:

ज़ायोनी सेना ने ग़ज़ा पट्टी में 2888 अपराध और हत्याएं की हैं।

39623 लोग शहीद हुए और लापता हुए।

32623  शहीदों को अस्पतालों में भर्जी कराया गया।

7000  से अधिक लोग अभी भी लापता हैं और मलबे में दबे हुए हैं।

शहीदों में 14350 बच्चे शामिल हैं।

28  बच्चे भुखमरी का शिकार होकर जान गंवा बैठे।

शहीदों में 9460 महिलाएं भी हैं।

364 मेडिकल स्टाफ़ के  लोग और चिकित्सा कर्मी शहीद हुए।

बचाव दल के 48 लोग शहीद हो गये।

136  पत्रकार शहीद हुए।

75092  लोग घायल हुए।

इस युद्ध के कुल पीड़ितों में से 73  प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं।

17000  बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को ही खो दिया है।

11000 घायलों को इलाज जारी रखने और उनकी जान बचाने के लिए विदेश भेजा जाना है।

10000 कैंसर रोगी ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं और उन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता है।

विस्थापन के परिणामस्वरूप 700000 लोग संक्रामक रोगों की चपेट में आ चुके हैं।

विस्थापन के कारण 8000 लोगों को वायरल हेपेटाइटिस हो गया।

चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण 60000 गर्भवती महिलाओं को ख़तरा है।

दवा का आयात न होने के कारण 350000 लोगों को पुरानी बीमारियों में ग्रस्त हो चुके हैं।

274 चिकित्साकर्मियों और मेडिकल स्टाफ़ को गिरफ्तार किया गया।

12 पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया है जिनके नाम पता हैं।

ग़ज़ा पट्टी के 20 लाख निवासी विस्थापित हुए।

168  सरकारी केंद्र नष्ट कर दिये गये हैं।

100  स्कूल और विश्वविद्यालय पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।

305  स्कूलों और विश्वविद्यालयों को मामूली क्षति हुई है।

227  मस्जिदें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं।

294  अन्य मस्जिदों को मामूली क्षति हुई है

3  चर्चों को बमबारी कर नष्ट कर दिया गया है।

70000  आवासीय इकाइयां पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं।

290000  आवास बमबारी का शिकार होकर तबाह ग्रस्त हो चुके हैं और रहने योग्य नहीं हैं।

ग़ज़ा के लोगों पर 70000 टन विस्फोटक गिराए गए हैं।

32  अस्पताल पूरी तरह से ठप्प हो गये हैं।

53  चिकित्सा केंद्र पूरी तरह से बंद हो गये हैं।

अन्य 159 चिकित्सा केंद्रों को निशाना बनाया गया है।

12  एम्बुलेंसों पर बमबारी की गई और उन्हें नष्ट कर दिया गया।

200  ऐतिहासिक एवं प्राचीन स्थानों पर बमबारी कर उन्हें नष्ट कर दिया गया है।

ईरान की महिला खिलाड़ियों की हॉकी की टीम बर्फ पर खेले जाने वाले हॉकी के खेल में चैंपियन बन गयी है।

ईरानी महिलाओं की आइस हॉकी की टीम ने शनिवार को एशिया और प्रशांत क्षेत्र में होने वाली प्रतिस्पर्धा में शून्य के मुकाबले चार गोल से फिलिप्पीन की टीम को हरा दिया।

इस प्रतिस्पर्धा में ईरानी लड़कियों ने संयुक्त अरब इमारात, क़िरक़िज़िस्तान, भारत और फिलिप्पीन को हरा दिया और एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अपनी दूसरी उपस्थिति में आइस हॉकी के खेल में चैंपियन का ख़िताब जीत लिया।

यह प्रतिस्पर्धा क़िरक़िज़िस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजित हुई

ईरानी महिलाओं की आइस हॉकी की टीम ने पिछले साल पहली बार एशिया और प्रशांत क्षेत्र में होने वाले खेल में उप विजेता का ख़िताब जीता था।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री ने कहा है कि इस्राईल दुनिया के लिए सबसे स्पष्ट ख़तरा है और उन्होंने विश्व समुदाय का आह्वान किया है कि यह अतिग्रहणकारी और अपारथाइड सरकार विश्व की सुरक्षा को जिस खतरे में डाल रही है उससे निपटने के लिए वह ठोस दृष्टिकोण अपनाये।

विदेशमंत्री ने जनेवा में राष्ट्रसंघ के मुख्यालय में परमाणु निरस्त्रीकरण की कांफ्रेन्स में कहा कि ईरान समस्त परमाणु हथियारों को बिल्कुल से खत्म कर देने का आह्वान करता है और तेहरान का मानना है कि परमाणु हथियार अप्रसार संधि NPT के अनुसार जो देश परमाणु हथियारों से सम्पन्न हैं वे प्रभावी वार्ता करें और उसके परिणाम में परमाणु हथियारों को नष्ट करें।

अमीर अब्दुल्लाहियान ने इस कांफ्रेन्स में कहा कि इराक की बासी सरकार ने ईरान के खिलाफ जिन रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया उसकी वजह से ईरान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सामूहिक विनाश के हथियारों की भेंट चढ़ने वाला सबसे बड़ा देश है। विदेशमंत्री ने कहा कि खेद की बात है कि पश्चिम एशिया को परमाणु हथियारों से मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए हमारा सामूहिक प्रयास अमेरिका और उसके घटकों के क्रियाकलापों और इस्राईल की परमाणु गतिविधियों के समर्थन के कारण परिणामहीन रहा है। इसी प्रकार विदेशमंत्री ने कहा कि पश्चिम एशिया को परमाणु हथियार रहित बनाये जाने का सुझाव पहली बार ईरान ने वर्ष 1974 में दिया था

गणतंत्र दिवस के अवसर पर, पूरे ईरान में विभिन्न स्थानों पर इस्लामी गणतंत्र ईरान का झंडा स्थापित और फहराया जाता है, और राजधानी तेहरान सहित ईरान के हर शहर और कस्बे में विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

आज ईरान में इस्लामिक गणतंत्र दिवस है. आज ही के दिन साल 1989 में ईरान की इस्लामिक क्रांति की सफलता के महज दो महीने के भीतर ही इस्लामिक क्रांति के संस्थापक के आदेश पर जनमत संग्रह कराया गया था. , इमाम ख़ुमैनी। जिसके अंतर्गत इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था या किसी अन्य व्यवस्था का प्रश्न ईरानी जनता के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें अट्ठानवे प्रतिशत मतदाताओं ने इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था के पक्ष में मतदान किया और एक नया इतिहास रचा।

इस दिन की स्मृति में, ईरान में हर जगह इस्लामी गणतंत्र ईरान का झंडा स्थापित और फहराया जाता है, और राजधानी तेहरान सहित ईरान के हर शहर और कस्बे में विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

इस दिन, ईरानी लोग संस्थापक क्रांति और इस्लामी गणतंत्र ईरान के मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं और इस प्रणाली को और अधिक स्थिर बनाने के लिए अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि करते हैं। एक बड़ी सभा को संबोधित करेंगे। उल्लेखनीय है कि विशेष संदेश भी हैं इस अवसर पर विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं एवं संगठनों द्वारा जारी किये गये।

गाजा में फ़िलिस्तीनी सरकार के सूचना कार्यालय ने घोषणा की है कि अल-शफ़ा अस्पताल के आसपास 4,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं।

गाजा में फ़िलिस्तीनी सरकार के सूचना कार्यालय ने घोषणा की है कि ज़ायोनी सैनिकों ने अल-शफ़ा अस्पताल के आसपास के 1,500 घरों को नष्ट कर दिया और आग लगा दी।

रिपोर्ट के मुताबिक, ज़ायोनी सैनिकों ने गाजा में अल-शफ़ा अस्पताल के आसपास के इलाकों को निशाना बनाया और 4,000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों को मार डाला। इस कार्यालय ने ज़ायोनी अपराधों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी की निंदा की और संपूर्ण संकट की स्थिति के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दोषी ठहराया। दूसरी ओर, गाजा में कमल अदवान अस्पताल के प्रमुख ने कहा है कि अस्पताल में चिकित्सा कर्मचारी बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं और घायलों को नवीनतम चिकित्सा संसाधनों की आवश्यकता है जिनकी वर्तमान में कमी है और घायलों को रक्त की भी आवश्यकता है जो उपलब्ध है। नहीं है।

फ़िलिस्तीनी रेड क्रिसेंट सोसाइटी का यह भी कहना है कि फ़िलिस्तीनियों के विस्थापन के कारण गाजा में स्वच्छता की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

गाजा में फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने और क्रूर ज़ायोनी अपराधों की निंदा करने के लिए इराकी लोग शनिवार रात बगदाद के तहरीर चौक पर एकत्र हुए।

इराकी प्रदर्शनकारियों ने गाजा के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की और दमनकारी ज़ायोनी सरकार के लिए अमेरिकी समर्थन के प्रति अपनी घृणा और घृणा व्यक्त की और अमेरिकी और इजरायली उत्पादों का बहिष्कार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इराकी प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी और इजरायली उत्पादों के बहिष्कार के समर्थन में और ज़ायोनी कब्जेदारों के प्रति अरब शासकों की उदासीनता की निंदा करते हुए नारे लिखे बैनर ले रखे थे।

इराकी प्रदर्शनकारियों ने ज़ायोनी अपराधों की निंदा की और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।

हजारों जॉर्डन फ़िलिस्तीनी समर्थकों ने भी फ़िलिस्तीनियों का समर्थन किया और ज़ायोनी अपराधों की निंदा की और अम्मान में ज़ायोनी दूतावास के सामने एकत्र हुए।

मोरक्को में भी हजारों लोग फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे.

मोरक्को की राजधानी रबात में, हजारों लोगों ने फिलिस्तीन के समर्थन में बैनर और तख्तियां पकड़ रखी थीं और फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त की और कब्जा करने वाली ज़ायोनी सरकार के अत्याचारों की निंदा की। इसी तरह के सार्वजनिक प्रदर्शन मिस्र समेत कई अरब देशों में भी हुए.