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हमास के महत्वपूर्ण सदस्य रूही मुश्तही की लाश बरामद
हमास के राजनीतिक दफ्तर के एक महत्वपूर्ण सदस्य रूही मुश्तही की लाश मलबे से निकाली गई रूही मुश्ताही हमास के प्रमुख नेता याहया अलसनवार के करीबी साथी थे और हमास के राजनीतिक और सैन्य निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,न्यूज़ नेटवर्क के संवाददाता ने बताया कि गुरुवार को यह घोषणा की गई कि हमास के राजनीतिक दफ्तर के सदस्य रूही मुश्तही की लाश मलबे से बरामद हुई है यह खबर इजरायली सेना द्वारा उनके हत्या की पुष्टि के बाद सामने आई है।
रूही मुश्तही जो याहया अलसनवार के सबसे करीबी साथी माने जाते थे इजरायल के साथ जारी युद्ध में शहीद हो गए।
यह पहली बार है जब हमास ने इस बात की सार्वजनिक रूप से पुष्टि की है और ग़ज़ा के लोगों से अपील की है कि वे उनकी और हमास के सुरक्षा एजेंसी के कमांडर सामी आउदा की नमाज-ए-जनाजा में भाग लें जो मस्जिद जामेआ अल-उम्मरी में आयोजित की जाएगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये दोनों लोग हमास के राजनीतिक दफ्तर के एक और सदस्य समाह अलसराज के साथ अगस्त 2024 में ग़ज़ा के उत्तरी इलाके में एक भूमिगत परिसर पर हुए हवाई हमले में शहीद हुए थे।
इजरायली सेना ने पहले ही घोषणा की थी कि रूही मुश्ताही हमास के एक प्रमुख सदस्य थे और याहया अल-सनवार के दाहिने हाथ थे और उनका हमास के सैन्य अभियानों पर प्रत्यक्ष प्रभाव था।
वह ग़ाज़ा में हमास की नागरिक प्रशासन के प्रमुख के रूप में भी कार्यरत थे और फिलिस्तीनी कैदियों के मामलों की जिम्मेदारी उनके पास थी। मुश्ताही ने याहया अल-सनवार के साथ मिलकर हमास की सुरक्षा एजेंसी की स्थापना की थी और दोनों ने इजरायली जेलों में अपनी सजा भी काटी थी।
रूही मुश्ताही को ग़ाज़ा में हमास के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाना जाता था और युद्ध के दौरान उन्होंने इस समूह के नागरिक मामलों का प्रबंधन किया था।
पाकिस्तान और बांग्लादेश की सेना की शांति और सुरक्षा पर बैठक
बांग्लादेश के हाई रैंकिंग सैन्य अधिकारी जनरल एसएम कमरुल हसन के साथ पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने शांति और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर की एक बैठक।
बांग्लादेश के हाई रैंकिंग सैन्य अधिकारी जनरल एसएम कमरुल हसन के साथ पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने शांति और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर की एक बैठक।
इस प्रतिनिधिमंडल की मुलाक़ात बांगलादेश के वाणिज्य मंत्री से हुई थी इस दौरे में दोनों देशों के बीच एक एएमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश से मुक्त व्यापार समझौते की अपील की है।
फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ के उपाध्यक्ष साक़िब फ़याज़ मगून ने जापान के निक्केई एशिया से कहा, बांग्लादेश के वाणिज्य मंत्री ने हमसे कहा कि वह पाकिस्तान को प्राथमिकता देंगे बांग्लादेश के पास केवल टेक्स्टाइल और प्लास्टिक इंडस्ट्री है बाक़ी सारी चीज़ें बांग्लादेश आयात करता है अब बांग्लादेश ने हमारे लिए दरवाज़ा खोल दिया है जो कि पहले शेख़ हसीना के कारण बंद था।
मगून ने कहा,बांग्लादेश ने पहले ही पाकिस्तान से 50 हज़ार टन चावल और 25 हज़ार टन चीनी के आयात का ऑर्डर दे दिया है बांग्लादेश आने वाले दिनों में पाकिस्तान से आयात बढ़ाता रहेगा बांग्लादेश पाकिस्तान से खजूर के आयात के लिए भी बात कर रहा है।
अभी बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच सालाना द्विपक्षीय व्यापार महज 70 करोड़ डॉलर का है मगून ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि अगले एक साल में बांग्लादेश से पाकिस्तान का द्विपक्षीय व्यापार तीन अरब डॉलर तक हो जाएगा।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते कारोबारी संबंध से ज़्यादा सैन्य सहयोग को लेकर बात हो रही है विश्लेषकों का कहना है कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग गहराया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति और सऊदी युवराज का क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने पर ज़ोर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी अरब के युवराज ने फोन पर क्षेत्रीय स्थिरता और शांति को लेकर बातचीत की उन्होंने राजनीतिक आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की ताकि क्षेत्र में संघर्षों को कम किया जा सके और विकास के अवसर बढ़ाए जा सकें। इसके अलावा उन्होंने वैश्विक चुनौतियों जैसे आतंकवाद, ऊर्जा सुरक्षा, और मानवीय संकटों का समाधान ढूंढने पर भी बल दिया।
सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत की इस बातचीत का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के उपायों पर चर्चा करना था।
सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार, युवराज बिन सलमान ने राष्ट्रपति ट्रंप से फोन पर संपर्क किया और उनके साथ क्षेत्रीय स्थिरता और शांति को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के संभावित रास्तों पर विचार किया। दोनों नेताओं ने खास तौर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आपसी सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
बातचीत में यमन में चल रहे संघर्ष और इज़रायल फिलिस्तीन विवाद जैसे मुद्दे भी शामिल थे दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए आपसी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया इसके अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए ऊर्जा उत्पादन और आपूर्ति पर भी चर्चा हुई।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की सुधारवादी नीतियों की सराहना की। उन्होंने ट्रम्प प्रशासन की नीतियों को सकारात्मक और अमेरिका की प्रगति के लिए उपयोगी बताया।
इस बातचीत में सऊदी युवराज ने सऊदी अरब और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंधों को और अधिक मजबूत करने की इच्छा जताई उन्होंने कहा कि सऊदी सरकार अमेरिका के साथ अपने निवेश को 600 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की योजना बना रही है। इस महत्वाकांक्षी निवेश से न केवल दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूती मिलेगी बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका प्रभाव देखा जाएगा।
यह वार्ता ट्रंप प्रशासन और सऊदी सरकार के बीच बढ़ते राजनीतिक और आर्थिक संबंधों का संकेत देती है विशेषज्ञों का मानना है कि यह बातचीत दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को नए आयाम दे सकती है।
इस्राईल का अंसारुल्लाह को आतंकी घोषित करने का प्रयास
एक रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल यह प्रयास इसलिए कर रहा है ताकि यमन में सक्रिय अंसारुल्लाह आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम किया जा सके और ग़ज़्ज़ा में हो रहे जनसंहार और अपने युद्ध अपराधों से हटाया जा सके इज़राइल की यह रणनीति उसके क्षेत्रीय विरोधियों पर दबाव बढ़ाने और अपनी कार्रवाइयों को वैध ठहराने का हिस्सा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,इज़राइल यह प्रयास इसलिए कर रहा है ताकि यमन में सक्रिय अंसारुल्लाह आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम किया जा सके और ग़ाज़ा में हो रहे जनसंहार और अपने युद्ध अपराधों से हटाया जा सके इज़राइल की यह रणनीति उसके क्षेत्रीय विरोधियों पर दबाव बढ़ाने और अपनी कार्रवाइयों को वैध ठहराने का हिस्सा है।
अमेरिका ने यमन के प्रतिरोध आंदोलन अंसारुल्लाह को आतंकी संगठन घोषित कर एक बार फिर अपनी पक्षपातपूर्ण और दोहरी नीति का परिचय दिया है अमेरिकी सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब यमन पिछले कई वर्षों से सऊदी अरब और उसके सहयोगियों द्वारा थोपे गए विनाशकारी युद्ध का सामना कर रहा है।
इस युद्ध में न केवल लाखों यमनी नागरिक मारे गए, बल्कि देश की बुनियादी ढांचा पूरी तरह बर्बाद हो गया है भूख, बीमारी और गरीबी से जूझ रहे यमन के लोगों के लिए अंसारुल्लाह एक उम्मीद की किरण है जिसने हमेशा अपनी मातृभूमि की संप्रभुता और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया है।
अमेरिका का यह दावा कि अंसारुल्लाह की गतिविधियां नागरिकों और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं न केवल तथ्यहीन है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। यमन के खिलाफ सऊदी अरब और उसके सहयोगियों द्वारा किए गए नृशंस हमलों में अमेरिका की प्रत्यक्ष भागीदारी और समर्थन किसी से छिपा नहीं है।
यमन पर पिछले कई वर्षों से बमबारी आर्थिक नाकेबंदी और मानवीय संकट ने इस देश को तबाह कर दिया है लेकिन अमेरिका ने इन आक्रामक कार्रवाइयों को नजरअंदाज करते हुए अंसारुल्लाह जैसे प्रतिरोधी संगठनों को निशाना बनाया है जो यमन और फ़िलिस्तीन की जनता के हक के लिए लड़ रहे हैं।
व्हाइट हाउस का यह कहना कि हूतियों की गतिविधियां क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक व्यापार को खतरा पहुंचा रही हैं, पूरी तरह से एकतरफा और राजनीति से प्रेरित है असल में यह वही अमेरिका है जो इज़रायल और सऊदी अरब जैसे आक्रमणकारी देशों का समर्थन करता है और उनकी कार्रवाइयों को वैधता प्रदान करता है।
अंसारुल्लाह ने हमेशा आक्रमणकारियों के खिलाफ मजबूती से खड़ा होकर यमन की जनता की रक्षा की है यह आंदोलन यमन की आजादी और स्वाभिमान का प्रतीक है जो बाहरी हस्तक्षेपों को खारिज करता है।
अमेरिका ने यह भी दावा किया कि अंसारुल्लाह ने इज़रायल पर 300 से अधिक मिसाइलें दागी हैं और उनके अंतरराष्ट्रीय शिपिंग पर हमलों से वैश्विक महंगाई बढ़ गई है। यह बयान अमेरिका की उस पुरानी आदत का हिस्सा है, जिसमें वह प्रतिरोधी ताकतों पर बिना सबूत के आरोप लगाकर अपने क्षेत्रीय एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है। जबकि वास्तविकता यह है कि यमन की जनता और अंसारुल्लाह अपने बचाव के लिए मजबूर हैं और उनकी सभी कार्रवाइयां आत्मरक्षा के तहत हैं।
अंसारुल्लाह को आतंकी ठहराने का निर्णय, सऊदी अरब और इज़रायल जैसे देशों के दबाव का नतीजा है जो अपने क्षेत्रीय वर्चस्व को बनाए रखने के लिए यमन के प्रतिरोध को खत्म करना चाहते हैं। यह फैसला केवल यमनी जनता की मुश्किलों को बढ़ाएगा और इस क्षेत्र में पहले से मौजूद तनाव को और गहरा करेगा।
सैयद नसरल्लाह की जाए शहादत स्वतंत्रता प्रेमियों, मुजाहिदीन और जांबाज़ों के लिए श्रद्धा का केंद्र
लेबनान की संसद के सदस्य मलहम अलहजीरी के नेतृत्व में अलनस्र अमल आंदोलन के एक प्रतिनिधिमंडल ने हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत स्थली का दौरा किया हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार , अलनस्र अमल आंदोलन के इस प्रतिनिधिमंडल ने बेरूत के क्षेत्र हारा हरेक में स्थित सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत स्थली का दौरा किया। वहाँ उन्होंने फूल अर्पित किए और इस शहीद की आत्मा, प्रतिरोध के शहीदों और उम्मत-ए-इस्लामिया के शहीदों के लिए फातेहा पढ़ी।
मलहम अल-हजजीरी ने अपने भाषण में प्रतिरोध के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और राष्ट्रीय उद्देश्यों जैसे स्वतंत्रता, सम्मान और राष्ट्रीय मुक्ति तक इस रास्ते पर डटे रहने की बात दोहराई।
उन्होंने कहा,यह पवित्र स्थान आपको सम्मान और गौरव का अनुभव कराता है, जिसमें उनके बिछड़ने के दुख के साथ-साथ गर्व, गरिमा और महिमा की भावनाएं भी शामिल हैं।
लेबनान के संसदीय सदस्य ने आगे कहा,यहाँ महान शहीद और उम्मत के सैयद-ए-शोहदा, सैयद हसन नसरल्लाह ने शहादत प्राप्त की। यह वह स्थान है जो दुनिया के स्वतंत्र व्यक्तियों, सम्मानित इंसानों, मुजाहिदीन और प्रतिरोध के सेनानियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बन गया है, ताकि हमारे भीतर दृढ़ संकल्प शक्ति और स्थिरता की भावना जाग सके।
अंत में उन्होंने कहा,आज जब ग़ाज़ा हत्यारों, अपराधियों और कब्ज़ा करने वालों पर विजयी हुआ है, हम यहाँ यह वचन देने आए हैं कि हम अपने महान शहीद सैयद हसन नसरल्लाह के मार्ग और सिद्धांतों पर अडिग रहेंगे हम राष्ट्रीय एकता को बनाए रखेंगे और अपने राष्ट्रीय सिद्धांतों और मुख्य मुद्दे फ़िलिस्तीन के प्रति वफादार रहेंगे हम प्रतिरोध की सुरक्षा करेंगे।
सीरिया की जनता और तहरीरुश-शाम के आतंकियों में संघर्ष
सीरिया की सत्ता पर अमेरिका तुर्की और इस्राईल की सहायता से क़ब्ज़ा जमाने वाले आतंकी समूह HTS और सीरियन जनता के बीच झड़पें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सीरिया के विभिन्न प्रांतों में आम नागरिकों और तकफ़ीरी आतंकवादियों के बीच झड़पें चल रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तकफ़ीरी आतंकवादी समूह तहरीर अल-शाम ने शुरू में शांति और व्यवस्था स्थापित करने के सार्वजनिक नारे लगाए, लेकिन गुज़रते समय के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी नियतें जनता और अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ बिल्कुल भी नहीं बदली।
ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, तहरीरुश-शाम के आतंकवादियों ने पश्चिमी सीरिया, विशेष रूप से होम्स प्रांत के उन क्षेत्रों में जहां शिया आबादी रहती है, बड़े पैमाने पर आतंकी अभियान शुरू किए हैं। तकफ़ीरी कार्रवाइयों के बाद लोगों ने प्रतिरोध करना शुरू कर दिया है और विभिन्न क्षेत्रों में झड़पें हुई हैं।
सीरिया की भौगोलिक सीमाओं की रक्षा करने के बजाय, आतंकवादी समूह निर्दोष सीरियाई लोगों पर अत्याचार कर रहा है। अवैध राष्ट्र इस्राईल ने बार-बार सीरिया के विभिन्न क्षेत्रों पर हमला किया है तथा गोलान हाइट्स के पास सीरियाई भूमि पर कब्जा कर लिया है। अल-जोलानी और उसके समूह ने अब तक ज़ायोनी आक्रमण पर पूरी तरह चुप्पी बनाए रखी है।
"पश्चिमी लेबनान के बेक़ाअ क्षेत्र में हिज़्बुल्लाह के प्रभारी की हत्या
अबना की रिपोर्ट के अनुसार, मीडिया सूत्रों ने लेबनान के हिज़्बुल्लाह के एक अधिकारी की हत्या की सूचना दी है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, हिज़्बुल्लाह के पश्चिमी बेक़ाअ क्षेत्र के प्रभारी, हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन 'मुहम्मद हेमादी' को पूर्वी लेबनान के मशग़रा कस्बे में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा गोली मार दी गई।
गोलीबारी के बाद, हिज़्बुल्लाह आंदोलन के इस अधिकारी को शहीद करने वाले हमलावर घटना स्थल से फरार हो गए।
अब तक, लेबनान के आधिकारिक संस्थानों द्वारा इस आतंकवादी घटना के हमलावरों की पहचान का खुलासा नहीं किया
देश की प्रगति निजी क्षेत्र को मौका देने पर निर्भर करती है
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनई ने "प्रगति के ध्वजधारक" नामक एक प्रदर्शनी का दौरा किया, जो दो घंटे तक जारी रही। यह प्रदर्शनी निजी क्षेत्र की क्षमताओं और उपलब्धियों को सार्वजनिक करने का उद्देश्य रखती थी।
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनई ने "प्रगति के ध्वजधारक" नामक एक प्रदर्शनी का दौरा किया, जो दो घंटे तक जारी रही। यह प्रदर्शनी निजी क्षेत्र की क्षमताओं और उपलब्धियों को सार्वजनिक करने का उद्देश्य रखती थी।
इस प्रदर्शनी में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी, उपग्रह उपकरण, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), हवाई जहाज के मरम्मत के पुर्ज़े और संसाधनों का निर्माण, खनन और भूविज्ञान उद्योग, तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल उद्योग, इस्पात और एल्युमिनियम उद्योग, घरेलू संसाधन, समुद्र से संबंधित उद्योग, कालीन उद्योग, बिजली और पानी के उद्योग, वस्त्र उद्योग, चिकित्सा और अस्पताल उपकरण निर्माण, दवाइयों का उत्पादन, रैयान रिसर्च इंस्टीट्यूट, कृषि और पशुपालन उत्पाद, हस्तशिल्प और पर्यटन उद्योग सहित निजी क्षेत्र के विभिन्न उद्योगों की उपलब्धियों और नई उत्पादों को प्रदर्शनी में पेश किया गया था।
इस निरीक्षण के दौरान, निजी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों ने अपने सामने मौजूद समस्याओं और रुकावटों के बारे में अपनी चिंताएं और शिकायतें पेश कीं। इसके बाद, रहबर-ए-इंकलाब ने प्रदर्शनी में उपस्थित मंत्रियों से कहा कि सरकार और सरकारी अधिकारियों को निजी क्षेत्र की शिकायतों को दूर करना चाहिए, क्योंकि देश की प्रगति और विकास का मुख्य आधार निजी क्षेत्र को अवसर देना है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की तरक्की और प्रगति की एकमात्र राह निजी क्षेत्र की क्षमताओं और ऊर्जा से लाभ उठाना है।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने पानी और बिजली के उद्योग की उत्पादों का निरीक्षण करते हुए ऊर्जा मंत्री द्वारा बिजली के क्षेत्र में उत्पादन और खपत के बीच असंतुलन को दूर करने के लिए दी गई जानकारी के बाद कहा कि यह बातें अच्छी और सही हैं, लेकिन इन्हें वास्तविक रूप से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि असंतुलन और इसके समाधान के मुद्दे पिछले कुछ सालों से बार-बार सामने आ रहे हैं, लेकिन अभी भी यह इच्छित स्तर से बहुत दूर हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस निजी क्षेत्र की प्रदर्शनी के क्रम में, बुधवार 22 जनवरी 2025 को देश के कुछ निजी क्षेत्र के उद्योगपति और सक्रिय लोग हुसैनीया-ए-इमाम खोमेनी में रहबर-ए-इंकलाब से मुलाकात करेंगे। इस बैठक के दौरान, आर्थिक क्षेत्र में सक्रिय निजी क्षेत्र के कुछ लोग अपने विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे।
टाइम्स ऑफ इस्राईल का क़बूलनामा, हमास की जीत इस्राईल हार गया
14 बिंदुओं में तेल अवीव की नाकामियों और हमास की सफलताओं का विश्लेषण स्पष्ट रूप से कहा गया कि यहूदी राज्य ने कुछ भी हासिल नहीं किया।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ग़ज़्ज़ा पर 7 अक्टूबर 2023 से 18 जनवरी 2025 तक जारी इस्राईली हवाई और ज़मीन पर हमलों में, भले ही इस्राईल ने मानवता विरोधी अपराध किए, 47,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को शहीद कर दिया और गाजा को खंडहर में तब्दील कर दिया, लेकिन युद्ध का परिणाम उसके पक्ष में नहीं है। युद्धविराम समझौता उसकी हार का स्पष्ट संकेत है। इस्राईल के प्रमुख अखबार "टाइम्स ऑफ इस्राईल" ने यह खुलकर स्वीकार किया है कि इस्राईल इस युद्ध में अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में नाकाम रहा है।
"हमास की खुली जीत और इस्राईल की हार"
टाइम्स ऑफ इस्राईल ने युद्धविराम समझौते को हमास की जीत और इस्राईल की हार के रूप में देखा। इसने लिखा कि "16 वर्षों से, जब से ग़ज़्ज़ा में हमास की सरकार आई है, इस्राईल अपने बचाव के लिए बार-बार युद्ध करने पर मजबूर है। इस्राईल ने 1948, 1967 और 1973 के युद्धों में जीत हासिल की, 2016 में हिज़बुल्लाह के साथ लड़ाई बराबरी पर समाप्त हुई, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। हमास के साथ हुआ शांति समझौता हमास की स्पष्ट जीत और इस्राईल की हार है। इस पर कोई हैरानी की बात नहीं है कि गाजा में लोग जश्न मना रहे हैं।"
इस्राईल की नाकामी के 14 बिंदु
टाइम्स ऑफ इस्राईल ने 14 बिंदुओं के माध्यम से समझाया है कि कैसे इस युद्ध में हमास ने जीत हासिल की। अखबार के अनुसार, इस युद्ध में इस्राईल का सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि वैश्विक स्तर पर जनमत उसके खिलाफ हो गया है। इसके अलावा, उसके महत्वपूर्ण साझेदार अमेरिका के साथ उसके संबंधों में भी भारी दरार आ गई है। कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प की टीम ने इस्राईल के साथ कड़े कदम उठाए और उन बिंदुओं पर युद्धविराम समझौते के लिए मजबूर किया जिनका पहले उसने विरोध किया था।
फिलिस्तीनियों का नरसंहार
यह महत्वपूर्ण है कि 15 महीने तक ग़ज़्ज़ा पर बमबारी करने, इसे खंडहर में बदलने और इस्राईल सैनिकों के ग़ज़्ज़ा के हर हिस्से में पहुंचने के बावजूद, इस्राईल की सेना एक भी बंधक को छुड़ाने में नाकाम रही। इसके बजाय, उसे हमास के सामने झुकते हुए एक बंधक की रिहाई के बदले 30 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने पर सहमति देनी पड़ी। यही नहीं, हमास की कैद में मौजूद इस्राईली सैनिकों के बदले में इस्राईल को हर सैनिक के लिए 50 फिलिस्तीनी कैदी रिहा करने होंगे। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का यही सवाल है कि अगर इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, फिर भी अपने बंधकों की रिहाई के लिए 30 कैदियों को छोड़ने पर मजबूर है, तो 15 महीनों तक चली उसकी बमबारी का क्या परिणाम था?
युद्ध का मुख्य लक्ष्य हासिल नहीं हुआ
डेविड के रेस ने यह बताया कि जब युद्ध शुरू हुआ था, इस्राईल ने अपना मुख्य लक्ष्य हमास का नाश करना निर्धारित किया था, लेकिन वह इसमें नाकाम रहा। "टाइम्स ऑफ इस्राईल " ने स्वीकार किया कि इस्राईल ने कुछ हमास नेताओं को मार डाला, लेकिन नए नेता उनकी जगह ले आएंगे। युद्ध खत्म होने के बाद भी ग़ज़्ज़ा में हमास के 12,000 से अधिक योद्धा मौजूद हैं। अखबार ने यह भी कहा कि नेतन्याहू की सरकार ने 6 अक्टूबर 2023 से पहले जो स्थिति थी, उसमें से कुछ भी हासिल नहीं किया है। इसके विपरीत, 7 अक्टूबर के बाद ग़ज़्ज़ा में हमास ने 400 से अधिक इस्राईली सैनिकों को मार डाला और युद्ध की कीमत इस्राईली अर्थव्यवस्था को बहुत अधिक चुकानी पड़ी। युद्ध के कारण इस्राईल की आर्थिक गतिविधियों में 20% की कमी आई है और कर्ज बढ़ गया है। डेविड के रेस ने हैरान होकर कहा कि इतनी सारी नुकसान के बाद भी इस्राईल को गाजा से हटने पर मजबूर होना पड़ा, जबकि वहां हमास का कब्जा बना रहेगा।
इस्राईल ने कुछ भी हासिल नहीं किया
डेविड के रेस ने यह सवाल किया कि इस्राईल ने इस युद्ध से क्या हासिल किया जो 6 अक्टूबर 2023 से पहले उसके पास नहीं था। उन्होंने एक वाक्य में इसका जवाब दिया: "कुछ भी नहीं।"
ग़ज़्ज़ा में लाशें और कंकाल का ढेर, दो दिन में 120 शव बरामद
ग़ज़्ज़ा इस्राईल की हैवानियत की कहानी बयान कर रहा है। सीज़ फायर के बीच भी ज़ायोनी सेना के बर्बर हमले और मलबे के बीच से निकलते शव और कंकाल फिलिस्तीन की मज़लूमी की मुंह बोलती तस्वीर हैं।
सीज़फायर के बाद घर पलटते पीड़ितों को अपने घरों के मलबे के नीचे से ज़ायोनी सेना की बमबारी में मारे गए फिलिस्तीनियों की लाशें मिल रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बीते 2 दिनों में 120 गल चुकी लाशें बरामद की गई हैं।
एक नागरिक सुरक्षा कार्यकर्ता ने एसोसिएटेड प्रेस से बात करते हुए कहा, "पिछले दो दिनों में हमने 120 सड़ी-गली लाशें बरामद की हैं। वे पूरी तरह सड़ चुकी हैं और उनमें केवल कंकाल के अवशेष बचे हैं। इन लाशों का मिलना अवैध राष्ट्र इस्राईल के जरिए ग़ज़्ज़ा की नागरिक आबादी पर ढाए गए तबाही के पैमाने के उजागर करती हैं।