
رضوی
क़ुरआन करीम केवल पाक दिलों पर असर करता है
प्रमुख जामिअतुल मुस्तफ़ा आलमिया, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अब्बासी ने कहा कि अगर दिल ना पाक हो तो क़ुरआन करीम का कोई असर नहीं होता उन्होंने जामिअतुल-मुस्तफ़ा के छात्रों और उनके परिवारों के लिए क़ुरआन से जुड़े रहने का सुझाव दिया और कहा कि क़ुरआन करीम इस्लामी तामद्दुन और जीवन की बुनियाद है।
एक रिपोर्ट के अनुसार , प्रमुख जामिअतुल मुस्तफ़ा आलमिया प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अब्बासी ने कहा कि अगर दिल ना पाक हो तो क़ुरआन करीम का कोई असर नहीं होता।
उन्होंने जामिअतुल-मुस्तफ़ा के छात्रों और उनके परिवारों के लिए क़ुरआन से जुड़ाव को अत्यधिक महत्व दिया और कहा कि क़ुरआन करीम इस्लामी तामद्दुन और जीवन की बुनियाद है।
उन्होंने कहा कि क़ुरआन करीम सभी इस्लामी उलूम की नींव है और जामिअतुल-मुस्तफ़ा को अपने वैश्विक मिशन के तहत क़ुरआनी शिक्षाओं के प्रसार में सबसे अधिक प्रयास करना चाहिए। छात्रों के परिवारों के लिए क़ुरआनी महोत्सव के आयोजन को एक प्रभावी कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि यह महोत्सव बच्चों और महिलाओं को क़ुरआनी शिक्षाओं से परिचित कराने में सहायक हो सकता है।
क़ुरआनी महोत्सव के उद्देश्य और लक्ष्य मर्कज़-ए-उमूर-ए-ख़ानदान-ए-मुस्तफ़ा के प्रमुख हुजतुल-इस्लाम वल-मुस्लमीन काज़वी ने कहा कि क़ुरआनी महोत्सव की शुरुआत 2008 में हुई और 2012 से इसे नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य छात्रों के परिवारों में क़ुरआनी शिक्षाओं का प्रसार करना क़ुरआनी क्षमताओं की खोज करना और क़ुरआनी गतिविधियों को सामान्य बनाना है।
महोत्सव का विषय और समापन इस साल क़ुरआनी महोत्सव का विषय गाम ए दोव्वम इंतिक़ाल-ए-इस्लामी" निर्धारित किया गया है जिसमें आत्मनिर्माण, समाज की रचना और इस्लामी तामद्दुन निर्माण पर जोर दिया गया है। हर घर को क़ुरआनी समाज और स्कूल बनाना इस महोत्सव का मुख्य लक्ष्य है महोत्सव का समापन निमा-ए-शाबान को होगा।
ईरान 2025 में अंतरिक्ष में भेजेगा "कौसर 1.5"
ईरान की एयरोस्पेस एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हुसैन शहाबी ने कहा कि उनका देश नए ईरानी वर्ष की पहली छमाही में अपने स्वनिर्मित कौसर उपग्रह के उन्नत संस्करण को पृथ्वी की कक्षा में भेजने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि नया उपग्रह "कौसर 1.5" इस श्रृंखला के कौसर और हुदहुद उपग्रहों का उन्नत संस्करण है, जिन्हें 5 नवंबर 2024 को कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था। इन उपग्रहों को अलग-अलग मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
शहाबी ने कहा कि इन उपग्रहों में इस्तेमाल किए गए 85 प्रतिशत से अधिक हिस्से स्थानीय स्तर पर बनाए गए हैं, हालांकि प्रतिबंधों के कारण कुछ भागों का आयात किया गया है। इन उपग्रहों का डिज़ाइन और निर्माण पूरी तरह से ईरानी विशेषज्ञों द्वारा किया गया था।
बता दें कि पश्चिमी देशों के कड़े अमानवीय प्रतिबंधों के बावजूद ईरान सभी वैज्ञानिक क्षेत्रों, विशेषकर एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति कर रहा है।
इस्राईल की सेना प्रमुख ने इस्तीफा देने की घोषणा की
ग़ज़्ज़ा युद्ध में महत्वपूर्ण हार स्वीकार करने के बाद, इस्राइली सेना के प्रमुख जनरल हर्ट्ज़ी हलवी ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, जनरल हलवी ने माना कि ग़ज़्ज़ा में उनकी सेना को भारी नुकसान हुआ और अपने लक्ष्य प्राप्त करने में वे पूरी तरह असफल रहे। इस युद्ध के बाद, इस्राईल सरकार ने फिलिस्तीनी प्रतिरोध के सामने हार मानते हुए युद्धविराम पर सहमति जताई थी, लेकिन इसके बाद इस्राईल और उसकी सेना में संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इस्रराइल समाचार पत्र हार्त्ज़ के अनुसार जनरल हलवी ने समय पूर्व अपने पद से 6 मार्च 2025 को इस्तीफा देने का फैसला किया और इस बारे में इस्राईल के रक्षा मंत्री युबरल कात्स को सूचित किया। उन्होंने ग़ज़्ज़ा युद्ध में अपनी सेना की विफलता को इस्तीफे का मुख्य कारण बताया।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि ग़ज़्ज़ा में इस्राईली सेना की हार और फिलिस्तीनी प्रतिरोध के सामने उनकी कमजोरी ने इस्राईल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपमान किया, जबकि फिलिस्तीन को बड़ी सफलता मिली।
इस दौरान, इस्लामी क्रांति के मार्गदर्शक, आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई के कथन "जिसका क़िला क़म किया जाएगा, वह इस्राईल है" का संदेश सत्य हुआ, और इस्राईल को हार माननी पड़ी।
अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में इस्तीफ़ों का लगा तांता
आज मंगलवार को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में इस्राईली अधिकारियों के त्यागपत्र का तांता लग गया।
अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में इस्राईली अधिकारियों के त्यागपत्र का तांता, पश्चिमी किनारे के जेनीन नगर में ज़ायोनी सैनिकों का हमला और ग़ज़ा पट्टी में 15 महीनों तक ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में शहीद व घायल होने वालों का नया आंकड़ा अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन व ख़बरें हैं जिनका हम यहां उल्लेख कर रहे हैं।
इस्राईल के चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ Herzi Holloway ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। Herzi Holloway ने आज एलान किया कि सात अक्तूबर 2023 को होने वाली पराजय के कारण अपना त्यागपत्र उसने युद्धमंत्री दे दिया है।
इस्राईल की आंतरिक सुरक्षा के मंत्री बेन ग्विर ने आधिकारिक रूप से अपने पद से त्याग पत्र दे दिया। वह अपना कार्यस्थल छोड़कर चले गये।
इत्मार बेन ग्विर ने नेतनयाहू के मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने के बाद ग़ज़ा पट्टी में होने वाले युद्ध विराम के समझौते पर हस्ताक्षर के बाद इस मंत्रालय में अपना कार्यालय छोड़कर चले गये। बेन ग्विर ने कहा कि युद्ध विराम समझौते पर हस्ताक्षर का मतलब फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधक गुट हमास के सामने घुटने टेक देना है।
उन्होंने अपना कार्यालय छोड़ने के बाद कहा कि उन्होंने अपने मंत्रालय काल में अकल्पनीय कार्यों को अंजाम दिया है और ज़ायोनी कस्बों व कालोनियों में रहने वालों को दो लाख हथियार रखने की अनुमति दे दी।
इस्राईल के चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ के त्यागपत्र की घोषणा के बाद संचार माध्यमों ने इस्राईली सेना के दक्षिणी कमान के कमांडर के त्यागपत्र की सूचना दी। इस्राईली संचार माध्यमों ने रिपोर्ट दी है कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के मुक़ाबले में हार के कारण ज़ायोनी सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर Yaron Finkelman ने भी अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है।
लेबर मैनः नेतनयाहू और मंत्रिमंडल के दूसरे सदस्य भी त्यागपत्र दें
ज़ायोनी युद्धमंत्री Avigdor Lieberman ने आज मंगलवार को नेतनयाहू के मंत्रिमंडल से चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़ और मंत्रिमंडल के सदस्यों के त्यागपत्र की मांग करते हुए कहा है कि वे सब भी अपने पद से त्यागपत्र दें।
ज़ायोनी सैनिकों ने जेनीन पर हमला किया/ शहीद और 39 से अधिक घायल
ज़ायोनी सैनिकों ने आज पश्चिमी किनारे के जेनीन नगर में बड़े पैमाने पर हमला किया। इस नगर और इसके शरणार्थी शिविर पर ज़ायोनी सैनिकों के हमलों में कम से कम चार फ़िलिस्तीनी शहीद और 35 घायल हो गये।
ज़ायोनी सरकार के टीवी चैनल 12 ने इस बात की सूचना देते हुए एलान किया है कि ज़ायोनी सैनिकों ने Iron Wall नामक कार्यवाही की जो अब भी जारी है और इसमें ज़ायोनी सेना की आंतरिक ख़ुफ़िया एजेन्सी शाबाक भी भाग ले रही है।
15 महीनों तक ज़ायोनी सैनिकों के पाश्विक हमलों के दौरान शहीद व घायल होने वाले फ़िलिस्तीनियों के नये आंकड़े
ग़ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी सरकार के मिडिया कार्यालय ने बताया है कि आज मंगलवार को ज़ायोनी सरकार के नस्ली सफ़ाये और जघन्य अपराधों के नये आंकड़े प्रकाशित हुए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार 471 दिन युद्ध के दौरान ज़ायोनी सरकार ने दस हज़ार और 100 लोगों का ग़ज़ा में जनसंहार किया है।
इसी प्रकार इस जंग में दो हज़ार 92 परिवारों के पूरे सदस्य शहीद हो गये और ग़ज़ा की Civil Registry से उनका नाम पूरी तरह ख़त्म हो गया। इसी प्रकार फ़िलिस्तीनी सरकार के मिडिया कार्यालय ने बताया है कि ग़ज़ा में सात अक्तूबर 2023 से आरंभ होने वाले युद्ध में 47 हज़ार 35 लोग शहीद और एक लाख 11 हज़ार 91 लोग घायल हो गये जबकि 14 हज़ार 222 लोग अब भी लापता हैं।
इस्राईल के 471 दिनों तक जारी रहने वाले पाश्विक युद्ध व हमलों में 17 हज़ार 861 फ़िलिस्तीनी बच्चे शहीद हो गये। ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी सरकार के मिडिया कार्यालय ने एलान किया है कि इस युद्ध के दौरान ज़ायोनी सरकार ने एक लाख टन बम और विस्फ़ोटक पदार्थों को ग़ज़ा के निर्दोष लोगों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया है।
ISIS ने उत्तरी बग़दाद में इराकी सैन्य बलों पर हमला किया
उत्तरी बग़दाद में एक गंभीर सुरक्षा घटना सामने आई जिसमें आतंकवादी संगठन ISIS ने इराकी सेना पर हमला किया इराकी मीडिया ने इस घटना को सुरक्षा संकट के रूप में परिभाषित किया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार , उत्तरी बग़दाद में एक गंभीर सुरक्षा घटना सामने आई जिसमें आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (ISIS) ने इराकी सेना पर हमला किया। इराकी मीडिया ने इस घटना को सुरक्षा संकट के रूप में परिभाषित किया है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार आईएसआईएस के आतंकियों ने बग़दाद के उत्तर में स्थित तारमिया जिले में इराकी सैन्य बलों के एक समूह को निशाना बनाया इस हमले में इराकी सेना का एक अधिकारी और एक सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए। हालांकि, अन्य रिपोर्ट्स बताती हैं कि मरने वालों की संख्या चार तक हो सकती है और इस हमले में कई लोग घायल भी हुए हैं।
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि दाइश ने यह हमला छोटे आतंकी समूहों के माध्यम से किया है, जो अभी भी इराक़ के दुर्गम और कठिन इलाकों में सक्रिय हैं। इराक़ के आतंकवाद रोधी विभाग ने, खबर के प्रकाशित होने तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
हालांकि इराक़ ने दिसंबर 2017 में आईएसआईएस के कब्जे से सभी क्षेत्रों को आजाद करने की घोषणा कर दी थी, लेकिन आईएसआईएस के बचे हुए सदस्य अभी भी उत्तरी और पश्चिमी इराक़ के दुर्गम इलाकों में सक्रिय हैं। ये समूह विशेष रूप से दियाला, अनबार, सलाहुद्दीन और निनवेह जैसे प्रांतों में छिपे हुए हैं और समय-समय पर इराक़ी सुरक्षा बलों और आम नागरिकों पर हमला करते रहते हैं।
इस प्रकार के हमले यह संकेत देते हैं कि हालांकि आईएसआईएस के प्रमुख क्षेत्रीय ठिकानों को खत्म कर दिया गया है, लेकिन इनका खतरा अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन आतंकियों के खिलाफ निरंतर और कठोर सैन्य कार्रवाई आवश्यक है, ताकि इराक में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके।
इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक
इस्लाम को लेकर यह गलतफहमी है और फैलाई जाती है कि इस्लाम में औरत को कमतर समझा जाता है। सच्चाई इसके उलट है। हम इस्लाम का अध्ययन करें तो पता चलता है कि इस्लाम ने महिला को चौदह सौ साल पहले वह मुकाम दिया है जो आज के कानून दां भी उसे नहीं दे पाए।
इस्लाम में औरत के मुकाम की एक झलक देखिए।
जीने का अधिकार शायद आपको हैरत हो कि इस्लाम ने साढ़े चौदह सौ साल पहले स्त्री को दुनिया में आने के साथ ही अधिकारों की शुरुआत कर दी और उसे जीने का अधिकार दिया। यकीन ना हो तो देखिए कुरआन की यह आयत-
और जब जिन्दा गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा, बता तू किस अपराध के कारण मार दी गई?"(कुरआन, 81:8-9) )
यही नहीं कुरआन ने उन माता-पिता को भी डांटा जो बेटी के पैदा होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हैं-
'और जब इनमें से किसी को बेटी की पैदाइश का समाचार सुनाया जाता है तो उसका चेहरा स्याह पड़ जाता है और वह दु:खी हो उठता है। इस 'बुरी' खबर के कारण वह लोगों से अपना मुँह छिपाता फिरता है। (सोचता है) वह इसे अपमान सहने के लिए जिन्दा रखे या फिर जीवित दफ्न कर दे? कैसे बुरे फैसले हैं जो ये लोग करते हैं।' (कुरआन, 16:58-59))
बेटी
इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-बेटी होने पर जो कोई उसे जिंदा नहीं गाड़ेगा (यानी जीने का अधिकार देगा), उसे अपमानित नहीं करेगा और अपने बेटे को बेटी पर तरजीह नहीं देगा तो अल्लाह ऐसे शख्स को जन्नत में जगह देगा।इब्ने हंबल) अन्तिम ईशदूत हजऱत मुहम्मद सल्ल. ने कहा-'जो कोई दो बेटियों को प्रेम और न्याय के साथ पाले, यहां तक कि वे बालिग हो जाएं तो वह व्यक्ति मेरे साथ स्वर्ग में इस प्रकार रहेगा (आप ने अपनी दो अंगुलियों को मिलाकर बताया)।
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-जिसके तीन बेटियां या तीन बहनें हों या दो बेटियां या दो बहनें हों और वह उनकी अच्छी परवरिश और देखभाल करे और उनके मामले में अल्लाह से डरे तो उस शख्स के लिए जन्नत है। (तिरमिजी)
पत्नी
वर चुनने का अधिकार : इस्लाम ने स्त्री को यह अधिकार दिया है कि वह किसी के विवाह प्रस्ताव को स्वेच्छा से स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। इस्लामी कानून के अनुसार किसी स्त्री का विवाह उसकी स्वीकृति के बिना या उसकी मर्जी के विरुद्ध नहीं किया जा सकता।
बीवी के रूप में भी इस्लाम औरत को इज्जत और अच्छा ओहदा देता है। कोई पुरुष कितना अच्छा है, इसका मापदण्ड इस्लाम ने उसकी पत्नी को बना दिया है। इस्लाम कहता है अच्छा पुरुष वही है जो अपनी पत्नी के लिए अच्छा है। यानी इंसान के अच्छे होने का मापदण्ड उसकी हमसफर है।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम में से सर्वश्रेष्ठ इंसान वह है जो अपनी बीवी के लिए सबसे अच्छा है। (तिरमिजी, अहमद)
शायद आपको ताज्जुब हो लेकिन सच्चाई है कि इस्लाम अपने बीवी बच्चों पर खर्च करने को भी पुण्य का काम मानता है।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जो भी खर्च करोगे उस पर तुम्हें सवाब (पुण्य) मिलेगा, यहां तक कि उस पर भी जो तुम अपनी बीवी को खिलाते पिलाते हो। (बुखारी,मुस्लिम)।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने कहा-आदमी अगर अपनी बीवी को कुएं से पानी पिला देता है, तो उसे उस पर बदला और सवाब (पुण्य) दिया जाता है। (अहमद)
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-महिलाओं के साथ भलाई करने की मेरी वसीयत का ध्यान रखो। (बुखारी, मुस्लिम)
माँ
क़ुरआन में अल्लाह ने माता-पिता के साथ बेहतर व्यवहार करने का आदेश दिया है,
'तुम्हारे स्वामी ने तुम्हें आदेश दिया है कि उसके सिवा किसी की पूजा न करो और अपने माता-पिता के साथ बेहतरीन व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों बुढ़ापे की उम्र में तुम्हारे पास रहें तो उनसे 'उफ् ' तक न कहो बल्कि उनसे करूणा के शब्द कहो। उनसे दया के साथ पेश आओ और कहो
'ऐ हमारे पालनहार! उन पर दया कर, जैसे उन्होंने दया के साथ बचपन में मेरी परवरिश की थी।(क़ुरआन, 17:23-24))
इस्लाम ने मां का स्थान पिता से भी ऊँचा करार दिया। ईशदूत हजरत मुहम्मद(सल्ल) ने कहा-'यदि तुम्हारे माता और पिता तुम्हें एक साथ पुकारें तो पहले मां की पुकार का जवाब दो।'
एक बार एक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद (सल्ल.) से पूछा'हे ईशदूत, मुझ पर सबसे ज्यादा अधिकार किस का है?'
उन्होंने जवाब दिया 'तुम्हारी माँ का',
'फिर किस का?' उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का',
'फिर किस का?' फिर उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का'
तब उस व्यक्ति ने चौथी बार फिर पूछा 'फिर किस का?'
उत्तर मिला 'तुम्हारे पिता का।'
संपत्ति में अधिकार-औरत को बेटी के रूप में पिता की जायदाद और बीवी के रूप में पति की जायदाद का हिस्सेदार बनाया गया। यानी उसे साढ़े चौदह सौ साल पहले ही संपत्ति में अधिकार दे दिया गया।
हमारी निगाहे युद्ध विराम समझौते के पालन और उंगलिया ट्रिगर पर
सय्यद अब्दुल मलिक हौसी ने यमन द्वारा ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम समझौते की निगरानी करने की बात करते हुए कहा कि हमारी उंगली ट्रिगर पर है; प्रतिरोध अभियानों की बहाली दुश्मन के इस समझौते के पालन पर निर्भर करती है।
सय्यद अब्दुल मलिक हौसी ने यमन द्वारा ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम समझौते की निगरानी करने की बात करते हुए कहा कि अगर दुश्मन इस समझौते का पालन करता है, हमारी उंगली ट्रिगर पर है; प्रतिरोध अभियानों की बहाली दुश्मन के इस समझौते के पालन पर निर्भर करती है।
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका यमनी जहाजों की रक्षा करने में नाकाम रहा, जिससे इज़रायली जहाजों का संचालन रुक गया और इलात बंदरगाह प्रभावित हुआ। यमनी बलों ने अपने मिसाइल और ड्रोन सिस्टम को उन्नत किया और पहली बार समुद्री लक्ष्यों के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिससे दुश्मन हैरान हो गए।
उन्होंने कहा कि इज़रायल का यमन पर आक्रमण विफल रहा और यह यमनी बलों की ड्रोन और मिसाइल कार्रवाई को रोकने में नाकाम रहा।
सय्यद अब्दुलमलिक ने ग़ज़्ज़ा में होने वाली साप्ताहिक विरोध रैलियों की सराहना की, जिनमें लाखों लोग शामिल होते थे। उन्होंने यह भी कहा कि यमन ने फिलिस्तीनियों के समर्थन में सैकड़ों हजारों सैनिकों को भेजने का विचार किया था, हालांकि भौगोलिक बाधाओं के कारण यह संभव नहीं हो सका। उन्होने इज़रायल के खिलाफ संघर्ष के समर्थन में विभिन्न मोर्चों की स्थिरता की सराहना की और इसे इज़रायली दुश्मन के खिलाफ संघर्ष के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया।
ईरान की लगातार मदद की सराहना करते हुए, उन्होंने इसे यमनी प्रतिरोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने ग़ज्ज़ा के प्रतिरोधी नेताओं की बहादुरी की तारीफ की और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बताया। उनका कहना था कि ग़ज़्ज़ा की हालिया जीत एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसने इज़रायल को पराजित कर दिया।
फिलिस्तीन कैदी: परिवार वालों से मिलते ही आंसू छलक पड़े
सोमवार को फिलिस्तीन कैदी जब इजरायल की कैद से आजाद हुए तो अपने परिजनों से मिलते ही उनकी आंखों से बेतहाशा आंसू निकलने लगे
एक रिपोर्ट के अनुसार ,सोमवार को इजरायल की कैद से आजाद हुए फिलिस्तीनी कैदियों के अपने परिवारों से मिलने के दौरान बेहद भावुक और मार्मिक दृश्य देखने को मिले जैसे ही रिहा हुए कैदियों ने अपने प्रियजनों को देखा उनकी आंखों से बेतहाशा आंसू बहने लगे।
रिहाई के बाद कैदियों ने अपने माता-पिता, पत्नियों, बच्चों और अन्य रिश्तेदारों को गले लगाया कुछ बच्चे, जो अपने पिता की कैद के दौरान पैदा हुए थे पहली बार उनसे मिल रहे थे। इस मिलन ने उन वर्षों के जख्मों को याद दिलाया, जो उन्होंने अपने परिवार से दूर रहकर काटे थे। परिजनों ने गले लगकर और आंसुओं के साथ अपने प्रियजनों का स्वागत किया।
फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई को फिलिस्तीनी जनता के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है ये कैदी इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष और विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए थे इनकी रिहाई को फिलिस्तीनी स्वतंत्रता संघर्ष का हिस्सा माना जा रहा है।
रिहाई के बाद फिलिस्तीन के विभिन्न शहरों में जश्न मनाया गया लोग सड़कों पर उतर आए, परंपरागत नृत्य किया और खुशी में नारे लगाए। कैदियों के परिवारों ने अपने घरों में विशेष दावतों और कार्यक्रमों का आयोजन किया।
प्राइवेट सेक्टर की उपलब्धियों और क्षमताओं की प्रदर्शनी में आयतुल्लाह ख़ामेनेईः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तेहरान में मंगलवार को "तरक़्क़ी के ध्वजवाहक" के नाम से आयोजित नुमाइश का क़रीब ढाई घंटे मुआयना किया।
इस नुमाइश में ईरान के निजी सेक्टर ने जिन क्षेत्रों की उपलब्धियों और क्षमताओं को पेश किया गया वे इस प्रकार हैं: "संचार और इन्फ़ार्मेशन टेक्नॉलोजी, सैटेलाइट के उपकरण, एआई, एयरक्राफ़्ट मेंटिनेंस, खदान उद्योग, जियोलोजी, तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल उद्योग, स्पात और अलमूनियम उद्योग में उपयोगी उपकरण और मशीनें, घरेलू ज़रूरत के सामान, मरीन इंडस्ट्रीज़, क़ालीन उद्योग, जल व बिजली उद्योग, टेक्सटाइल उद्योग, मेडिकल, अस्पताल और फ़ार्मेसी में उपयोगी उपकरण और औज़ार, कृषि और पशुपालन उद्योग, हस्तकला और पर्यटन उद्योग।
"इस मुआयने के दौरान कंपनियों ने प्राइवेट सेक्टर की राह में मौजूद मुश्किलों और रुकावटों पर आधारित अपनी चिंताएं इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से बयान कीं। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस नुमाइश में मौजूद मंत्रियों पर बल दिया कि सरकार और अधिकारी ऐसा काम करें कि निजी सेक्टर की शिकायतें दूर हों क्योंकि मुल्क की तरक़्क़ी निजी सेक्टर को अवसर देने और मुल्क को आगे ले जाने का एक ही रास्ता प्राइवेट सेक्टर की क्षमताओं से फ़ायदा उठाने में है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह बिजली उद्योग में उत्पादन और खपत में मौजूद असंतुलन के दूर होने के बारे में ऊर्जा मंत्री की ओर से स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद, जल और विद्युत उद्योग क्षेत्र के बारे में कहाः "ये बातें अच्छी और सही हैं लेकिन इसे व्यवहारिक होना चाहिए क्योंकि असंतुलन और उसके हल का विषय, हालिया बरसों में लगातार उठता रहा है लेकिन अभी भी मद्देनज़र बिंदु और मौजूदा स्थिति के बीच बहुत फ़ासला है।"
याद रहे कि प्राइवेट सेक्टर की इस नुमाइश के क्रम में कल बुधवार 22 जनवरी 2025 को मुल्क के निजी सेक्टर के कुछ उद्योगपति और सरगर्म लोग, तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात करेंगे। इस मुलाक़ात के दौरान आर्थिक क्षेत्र में सरगर्म प्राइवेट सेक्टर के कुछ लोग अपने विचार और नज़रिए पेश करेंगे।
नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं को व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता
आयतुल्लाह शेख़ मोहम्मद याक़ूबी ने अपने खिताब में नहजुल बलाग़ा के महत्व और इसकी शिक्षाओं को सामाजिक जीवन में व्यवहारिक रूप देने पर जोर देते हुए कहा, अमीरुल मोमिनीन अ.स. की शिक्षाओं को उजागर करने और उनकी शख्सियत को समाज में परिचित कराने की आवश्यकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,इराक़ के प्रमुख आलिमे दीन आयतुल्लाह याक़ूबी ने अपने दर्से ख़ारिज में कहा,नहजुल बलाग़ा के पुनरुद्धार और इसके बर्कतमंद विषयों को ज़िंदगी के तमाम पहलुओं में व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, इंशाअल्लाह एक दिन नहजुल बलाग़ा को भी हौज़े इल्मिया के औपचारिक दरसों में शामिल किया जाएगा जैसे कि क़ुरआन करीम की तफ़सीर को उपेक्षा से बाहर लाकर हौज़े के बुनियादी दरसों का हिस्सा बनाया गया।
आयतुल्लाह याक़ूबी ने क़ुरआन मजीद की आयत
﴿وَقَالَ الرَّسُولُ یَا رَبِّ إِنَّ قَوْمِی اتَّخَذُوا هَٰذَا الْقُرْآنَ مَهْجُورًا﴾
और रसूल ने कहा, ऐ मेरे पालनहार! मेरी क़ौम ने इस क़ुरआन को छोड़ दिया का हवाला देते हुए कहा,नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं को भुलाने के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए इसलिए नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं को सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता है।
उन्होंने अमीरुल मोमिनीन अ.स. के कथनों, शख्सियत, सीरत और उनके दृष्टिकोण पर शोध के लिए एक विशेष संस्था स्थापित करने का प्रस्ताव दिया। इस कदम का उद्देश्य शिया समुदाय को इमाम अली अ.स. के बारे में बेहतर जानकारी देना और उनकी शख्सियत को दुनिया के सामने पेश करना है, ताकि हज़रत अली अ.स. के कथन उनके लिए हिदायत का ज़रिया बन सकें।
आयतुल्लाह याक़ूबी ने कहा,संयुक्त राष्ट्र ने इमाम अली अ.स. के मलिक अश्तर के नाम लिखे गए पत्र को मानवाधिकारों के प्राचीन और मूल्यवान दस्तावेज़ों में शामिल किया है।