
رضوی
इन्टरनेश्नल गार्डन डिज़ाइन फ़ेस्टिवेल में तेहरान विश्वविद्यालय की टीम का कमाल
तेहरान विश्वविद्यालय के ग्रीन स्पेस इंजीनियरिंग डिजाइनरों की टीम ने फ्रांस में 34वें इन्टरनेश्नल गार्डन डिज़ाइन फ़ेस्टिवेल में शीर्ष रैंक हासिल की।
फ्रांस में "चाउमोंट-सुर-लॉयर" इन्टरनेश्नल फ़ेस्टिवल में तेहरान विश्वविद्यालय के संकाय के सदस्य मेहदी ख़ान सफ़ीद और तेहरान विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के ग्रीन स्पेस इंजीनियरिंग, ईरानी साहित्य और संस्कृति के एम.ए. के छात्रों मेहरदाद शाही, सताइश ज़ंदीबाबाई और ज़हरा अमीनफ़र्द द्वारा डिज़ाइन पेश किया गया था जिसमें यह छात्र ईरान के ऐतिहासिक उद्यानों के तत्वों का समकालीन और उपयोग करके, बोर्ड का ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहे और ख़िताब जीतने में सफलता हासिल की।
फ्रांस में चाउमोंट-सुर-लॉयर इंटरनेशनल गार्डन डिज़ाइन फेस्टिवल, उद्यान और बाग़ की डिजाइन के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में से एक है जो 1992 से आयोजित किया जा रहा है और इसमें हर साल पांच लाख पचास हज़ार से अधिक मेहमान मौजूद होते हैं।
यह फ़ेस्टिवल विचारों को प्रस्तुत करने का स्थान और प्रतिभाओं को विकसित करने का क्षेत्र बन गया है जिससे बाग़वानी की कला को पुनर्जीवित किया जा रहा है।
परियोजनाओं की विविधता, रचनात्मकता और गुणवत्ता ने महोत्सव की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाने में मदद की है जो नई पीढ़ी के परिदृश्यों के कार्यों को प्रस्तुत करने के लिए एक आवश्यक कार्यक्रम बन गया है।
10 हेक्टेयर पार्स डी गुआलुप पार्क, जिसे 2012 में बनाया गया था, बड़े पार्क और उद्यान सभ्यताओं से संबंधित बारह मासी उद्यानों की मेज़बानी करता है।
बांग्लादेश: संविधान से 'सेक्युलरिज़्म' और 'सोशलिज़्म' हटाने का प्रस्ताव
बांग्लादेश में संवैधानिक सुधार आयोग ने संविधान से 'सेक्युलरिज़्म' और 'सोशलिज़्म' को हटाने का प्रस्ताव देने के साथ आयोग ने प्रधानमंत्री के कार्यकाल को अधिकतम 2 बार तक सीमित करने और दो सदनों वाली संसद प्रणाली अपनाने की भी सिफारिश की है।
हौज़ा नयूज़ एजेंसी के अनुसार, बंग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा स्थापित संवैधानिक सुधार आयोग ने संविधान से 'सेक्युलरिज़्म' और 'सोशलिज़्म' जैसे मौलिक सिद्धांतों को हटाने की सिफारिश की है। प्रोथोम आलो के अनुसार, यह सिफारिश अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को सौंपी गई रिपोर्ट में की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 'सेक्युलरिज़्म', 'सोशलिज़्म', और 'नेशनलिज़्म' जैसे मौजूदा तीन सिद्धांतों को बदलकर 'समानता', 'मानवीय गरिमा', 'सामाजिक न्याय', और 'बहुलवाद' जैसे नए चार मूल सिद्धांत अपनाने का प्रस्ताव है। 1972 में लागू किए गए संविधान में मौजूदा चार सिद्धांतों में से केवल 'डेमोक्रेसी' को बनाए रखने की सिफारिश की गई है।
सिफारिश के पीछे तर्क:
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये नए सिद्धांत 1961 की आज़ादी की लड़ाई की भावना और 2024 के छात्रों की अगुवाई में हुए बड़े प्रदर्शन के बाद नागरिकों की इच्छाओं को दर्शाते हैं। इन विरोध प्रदर्शनों के कारण अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को गिरा दिया गया था, जिसके बाद वे भारत भाग गईं।
अन्य सिफारिशें:
- चुनावी बदलाव:राष्ट्रीय चुनावों में उम्मीदवार की न्यूनतम उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव ताकि युवाओं को संसद में बेहतर प्रतिनिधित्व मिल सके।
- प्रधानमंत्री कार्यकाल:प्रधानमंत्री के कार्यकाल को 2 बार तक सीमित करने की सिफारिश।
- द्विसदनीय संसद:निचले सदन में 400 सीटों और ऊपरी सदन (सीनेट) में 105 सीटों का प्रावधान।
आगे की प्रक्रिया:
संविधान में बदलाव से पहले, फरवरी में अंतरिम सरकार सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा करेगी। सहमति बनने के बाद ही प्रस्तावित सुधार लागू किए जाएंगे।
कर्बला की महान महिला हज़रत जैनब (स)
हज़रत जैनब एक महान खातून थी जिन्होंने मदीने में रहने से ज़्यादा अफजल इमाम के साथ जाने में समझा और इमाम के साथ हमराही की और इस्लाम को बचा कर लाई आज इस्लाम जिंदा है इन्हीं की बदौलत उनकी महानता को कोई भूला नहीं सकता।
हज़रत ज़ैनब एक अज़ीम ख़ातून हैं। इस अज़ीम ख़ातून को मुस्लिम क़ौमों में जो अज़मत हासिल है वह किस वजह से है? यह नहीं कहा जा सकता कि इसलिए है कि आप हज़रत अली की बेटी या इमाम हुसैन या इमाम हसन अलैहिमुस्सलाम की बहन हैं रिश्ते ऐसी अज़मत का सबब नहीं बन सकते।
हमारे सभी इमामों की माएं और बहनें थी, लेकिन हज़रत ज़ैनब के जैसा कौन है?हज़रत ज़ैनबे कुबरा की अहमियत व अज़मत, अल्लाह के फ़रीज़े के मुताबिक़ आपकी अज़ीम इस्लामी व इंसानी तहरीक की वजह से है।
इस अज़मत का एक हिस्सा यह है कि आपने पहले हालात को पहचाना इमाम हुसैन अलैहिस्सालम के कर्बला जाने से पहले के हालात को भी, आशूर के दिन संकटमय हालात को भी और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद के हौलनाक हालात को भी पहचाना और फिर हर मौक़े के लिए मुनासिब क़दम को चुना।
इसी तरह के फ़ैसलों से हज़रत ज़ैनब की शख़्सियत बनी कर्बला रवाना होने से पहले इब्ने अब्बास और इब्ने जाफ़र जैसी इस्लाम के आग़ाज़ की मशहूर हस्तियां जो फ़िक़्ह की महारत, बहादुरी और नेतृत्व की दावेदार थी फ़ैसला न कर पाने की हालत का शिकार थीं, यह न समझ सकीं कि उन्हें क्या करना चाहिए।
लेकिन हज़रत ज़ैनब तज़बज़ुब का शिकार नहीं हुयीं और आप समझ गयीं कि आपको उस रास्ते को चुनना चाहिए और अपने इमाम को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए और आप गयीं। ऐसा नहीं था कि आप न समझती हों कि यह रास्ता बहुत सख़्त है।
आप दूसरों से बेहतर इस बात को महसूस कर रही थीं आप एक औरत थीं आप एक ऐसी ख़ातून थीं जो अपने फ़रीज़े को अंजाम देने के लिए अपने शौहर और घरवालों से दूर हो रही थीं। इसी बिना पर अपने छोटे बच्चों के अपने साथ लिया आप अच्छी तरह महसूस कर रही थीं कि कितनी बड़ी घटना सामने है।
हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल को गिनना नामुमकिन
मेलबोर्न ऑस्ट्रेलिया के इमाम जुमा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा: हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल को गिनना संभव नहीं है, क्योंकि मौला ए काएनात फ़ज़ाइल और मनाक़िब का शहर है। हज़रत अली (अ) न केवल रूहे काबा है, बल्कि रूहे क़ुरआन और ईमान भी हैं।
मौलूद ए काबा का जशन 13 रजब 1446 हिजरी को मशहद में इमाम अली रजा (अ) की पवित्र दरगाह के सहने ग़दीर में मनाया गया। इस अवसर पर आस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित इमाम जुमा एवं आस्ट्रेलिया के शिया उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद अबुल कासिम रिजवी ने अपने विचार रखे।
उन्होने अपने संबोधन मे कहा कि हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल को गिनना संभव नहीं है, क्योंकि मौला ए काएनात फ़ज़ाइल और मनाक़िब का शहर है। हज़रत अली (अ) न केवल रूहे काबा है, बल्कि रूहे क़ुरआन और ईमान भी हैं मौलानी रिजवी ने इमाम रज़ा (अ) और मौला ए काएनात के साझा गुणो पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनो के नाम अली है, उपनाम मुर्तज़ा और उपाधी अबुल हसन है। एक मुशकिल कुशा है तो दूसरा ज़ामिन है।
मेलबर्न के इमाम जुमा ने कहा कि ग़ैबत ए कुबरा के दौरान शियो की सर बुलंदी का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद शियावाद को जो सम्मान मिला वह इस क्रांति का परिणाम है, आज पूरे विश्व मे अलीयुन वलीयुल्लाह की गूंज सुनाई दे रही है और शिया तक़य्ये के बिना अपने विश्वासो और आस्थाओ को ज़ाहिर कर रहे है।
सीरिया के अंतरिम विदेश मंत्री की तुर्की के राष्ट्रपति से मुलाकात
सीरिया के अंतरिम विदेश मंत्री असद अलशैबानी ने तुर्की की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर तुर्की के राष्ट्रपती तैय्यब एर्दोगन और विदेश मंत्री हाकन फ़िदान से मुलाकात की।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,सीरिया के अंतरिम विदेश मंत्री असद अलशैबानी ने तुर्की की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर तुर्की के राष्ट्रपती तैय्यब एर्दोगन और विदेश मंत्री हाकन फ़िदान से मुलाकात करेंगें।
एर्दोगन ने सीरिया पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटाने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि तुर्की भाईचारे वाले सीरियाई लोगों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने और देश के पुनर्निर्माण के प्रयासों का समर्थन करेगा।
बयान में कहा गया है कि एर्दोगन ने यह भी रेखांकित किया कि सीरिया के भविष्य में आतंकवादी संगठनों के लिए कोई जगह नहीं है।
अलशैबानी के साथ बैठक के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में, फिदान ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय बुनियादी सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान को सुविधाजनक बनाने और सामान्यीकरण में तेजी लाने के लिए प्रतिबंधों को हटाने के लिए राज्य संस्थानों के पुनर्निर्माण और क्षमता निर्माण के लिए सीरिया का समर्थन कर सकता है।
बच्चों के हत्यारे इस्राईल की शर्मनाक हार
हमास समेत अन्य प्रतिरोधी गुटों को खत्म करने का लगातार दावा करने वाली और मासूम बच्चों की हत्यारी इस्राईली घुसपैठी सरकार को इन प्रतिरोधी गुटों ने एक बड़ी और शर्मनाक हार दी है, जहां इस्राईलीयो को फ़िलिस्तीन में अपने किसी भी घृणित लक्ष्य को प्राप्त किए बिना मुंह की खानी पड़ी और दुनिया ने प्रतिरोधी ताकतों की शक्ति को समझ लिया।
हौज़ा इल्मीया के सरपरस्त आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने फ़िलिस्तीन में युद्धविराम की घोषणा पर अपने एक संदेश में मासूम बच्चों के हत्यारे इस्राईली घुसपैठियों के खिलाफ़ फ़िलस्तीनी प्रतिरोधी गुटों की शानदार जीत का ज़िक्र किया और उन्हें बधाई दी। उनके संदेश का पाठ कुछ इस प्रकार है:
" وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِينَ بِأَنَّ لَهُم مِّنَ اللَّهِ فَضْلًا كَبِيرًا व बश्शेरिस साबेरीना बेअन्ना लहुम मेनल्लाहे फज़लन कबीरा (अहज़ाब 47)
अनुवादः और मोमिनों को खुशखबरी दे दो कि उनके लिए अल्लाह की तरफ से बहुत बड़ा इनाम है।"
फ़िलस्तीनी प्रतिरोधी गुटों की ओर से सम्मानजनक और सफल युद्धविराम की खबर, प्रतिरोधी मोर्चे, सभी मुसलमानों और दुनिया भर के स्वतंत्रता प्रेमियों के लिए खुशी और गर्व का कारण बनी।
बच्चों के हत्यारे इस्राईली शासन को फ़लस्तीनी प्रतिरोधी गुटों, खासकर हिज़बुल्लाह जैसे बहादुर आंदोलनों के हाथों शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। जहां इस्राईली हमेशा इन गुटों के ख़त्म होने की धमकियाँ देते थे, वही अब अपनी नापाक मंशाओं में विफल रहने के बाद पूरी दुनिया ने प्रतिरोधी ताकतों की शक्ति को भी मान लिया।
यह महान सफलता ग़ज़्ज़ा के नागरिकों के धैर्य, फ़िलिस्तीन, लेबनान, यमन, इराक समेत सभी प्रतिरोधी मोर्चों के मुजाहिदीन की बहादुरी और शहीदों के पाक खून का परिणाम है, जो "तूफ़ान अल-अक़्सा" की सफल कार्यवाहियों का सिलसिला है।
अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के केंद्र, अमेरिका और कुछ अन्य बेहया पश्चिमी देशों के समर्थन और इस्राईली शासन की संरक्षा में पिछले लगभग 465 दिनों के दौरान ग़ज़ा के निहत्थे नागरिकों, मासूम महिलाओं और बच्चों को खून मे नहलाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की गई। इस दौरान उन्होंने अपनी घृणित और नापाक सूरत को दुनिया के सामने और भी ज़्यादा बेनकाब किया।
यह अत्याचारी शासन यह साबित कर चुका है कि वह अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए किसी भी खतरनाक कदम को उठा सकता है, लेकिन वह हमेशा की तरह इस बार भी फ़लस्तीनी मुसलमानों की इस बड़ी जीत के नतीजों को मद्धम करने में नाकाम रहेगा।
यह महान सफलता अल्लाह की मदद से है, जैसा कि सुप्नीम लीडर ने भी कहा था कि प्रतिरोध ज़िंदा है और निश्चित रूप से विजय प्रतिरोधी मोर्चे की ही होगी। इस्लामी शिक्षाओं की रोशनी में यह संघर्ष क़ुद्स शरीफ़ की आज़ादी, हक़ के पूर्ण प्रभुत्व और महदी (अ) की वैश्विक हुकूमत के क़ायम होने तक जारी रहेगा।
अल्लाह का सलाम और दुआ हो हिज़बुल्लाह के बहादुर मुजाहिदीन, यमन के अन्सारुल्लाह, इराक के प्रतिरोधी गुटों और प्रतिरोधी मोर्चे के सभी शहीदों, खासकर शहीद याह्या सिनवार, इस्माईल हनिया, शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह, शहीद सय्यद इब्राहीम रईसी और शहीद हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान पर, जिनकी कोशिशें इस बड़ी जीत का हिस्सा हैं और यकीनन उनकी पाक रूहें इस सफलता पर जन्नत में खुश होंगी।
मैं हौज़ा इल्मीया और शिया उलमा की तरफ से इस महान सफलता पर दुनिया भर के स्वतंत्रता प्रेमियों, फ़िलस्तीनी प्रतिरोधी गुटों और क्षेत्र के सभी लोगों को बधाई देता हूँ और अल्लाह से दुआ करता हूँ कि यह जीत जल्द ही इस्राईली शासन के पूर्ण ख़ात्मे का कारण बने, जो इंशा अल्लाह निकट है। "إِنَّهُمْ يَرَوْنَهُ بَعِيدًا وَنَرَاهُ قَرِيبًا (المعراج: ۶-۷) इन्नहुम यरौनहू बईदन व नराहो करीबा अर्थात वे उसे दूर समझते हैं, लेकिन हम उसे नज़दीक देखते हैं।" (अल-मेराज: 6-7)
अली रज़ा आराफ़ी
हौज़ा इल्मिया के प्रमुख
फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को ईरान की बधाई
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय ने एक बयान जारी करके ग़ाज़ा में हासिल होने वाले युद्ध विराम के समझौते को प्रतिरोध, शूरवीरता, बहादुरी, साहस और फ़िलिस्तीन के महान लोगों के अद्वितीय धैर्य का परिणाम बताया और फ़िलिस्तीन के धैर्यवान लोगों, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और क्षेत्र एवं विश्व में प्रतिरोध के समर्थकों और दोस्तों को मुबारकबाद दी।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय ने ग़ाज़ा में होने वाले सीज़फ़ायर की प्रतिक्रिया में एक बयान जारी किया। समझौते का टैक्स्ट इस प्रकार है। "بسمالله الرحمن الرحیم
فَاصْبِرْ إِنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ ۖ وَلَا یَسْتَخِفَّنَّکَ الَّذِینَ لَا یُوقِنُونَ
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय ने ग़ाज़ा में होने वाले युद्धविराम को ग़ाज़ा में हासिल होने वाले युद्ध विराम के समझौते को प्रतिरोध, शूरवीरता, बहादुरी, साहस और फ़िलिस्तीन के महान लोगों के अद्वितीय धैर्य व सब्र का परिणाम बताया और फ़िलिस्तीन के धैर्यवान लोगों, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध क्षेत्र एवं विश्व में प्रतिरोध के समर्थकों और दोस्तों को मुबारकबाद दी। इसी प्रकार विदेशमंत्रालय की ओर से जारी होने वाले बयान में इस समझौते को फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को मिलने वाली एतिहासिक विजय का नाम दिया गया है।
अतिग्रहणकारी और नस्ली सफ़ाया करने वाली ज़ायोनी सरकार ने 15 महीनों तक खुल्लम- खुल्ला अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों, मानवाधिकार के क़ानूनों और मानवता प्रेमी का क़ानूनों का हनन किया और मानवता के ख़िलाफ़ जघन्य अपराधों को अंजाम दिया और ज़ायोनी सरकार ने फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को ख़त्म करने व मिटाने की दिशा में किसी भी कार्यवाही में संकोच से काम नहीं लिया और उसकी यह साम्राज्यवादी कार्यवाही आठ दशक पहले से बड़ी साम्राज्यवादी शक्तियों के समर्थन या उनके मौन के साथ आरंभ हुई है।
इसी प्रकार विदेशमंत्रालय की ओर से जारी बयान में आया है कि ज़ायोनी सरकार ने समस्त क़ानूनी रेड लाइनों को पार करके फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ अपराधों को अंजाम दिया। पागलों की तरह इंसानों विशेषकर महिलाओं और बच्चों की हत्या की, मकानों को तबाह किया, जीवन की आधारभूत सेवाओं को नष्ट किया, अस्पतालों, स्कूलों, बेघर लोगों के शिविरों, पत्रकारों, चिकित्सकों और नर्सों पर हमला किया और ये वे अपराध हैं जिन्हें ज़ायोनी सरकार ने हालिया 15 महीनों के दौरान अंजाम दिया है और उसके इन कृत्यों का लक्ष्य फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को मिटाना और प्रतिरोध की उसकी भावना को तोड़ना व ख़त्म करना था।
इन 15 महीनों के दौरान जिस चीज़ ने ज़ायोनी सरकार को नस्ली सफ़ाया करने और अपराधों को अंजाम देने के लिए दुस्साहसी बनाया वह अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कुछ दूसरे पश्चिमी देशों का माली, राजनीतिक और व्यापक सैन्य समर्थन था और इन देशों ने राष्ट्रसंघ की ओर से युद्ध बंद कराने के लिए ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं होने दिया। इसी प्रकार इन देशों के नेताओं ने ज़ायोनी सरकार को दंडित करने के लिए The International Court of Justice and the International Criminal Court की ओर से जो प्रयास किये गये उसमें विघ्न उत्पन्न कर दिया और इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ये देश ज़ायोनी सरकार के अपराधों में भागीदार हैं और उन्हें इसका जवाब देना चाहिये।
विदेशमंत्रालय की ओर से जारी बयान में आशा जताई गयी है कि विश्व समुदाय के सहयोग और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ज़िम्मेदार लोगों की भूमिका व योगदान से युद्धविराम के समझौते को पूरी तरह से लागू किये जाने और अतिग्रहणकारियों के ग़ाज़ा से निकलने, पूरी ग़ाज़ा के लोगों को तुरंत सहायता पहुंचाये जाने, ग़ाज़ा के तुरंत पुनर्निर्माण और ग़ाज़ा के धैर्यवान लोगों के दुःखों व पीड़ाओं के कम होने के हम साक्षी होंगे।
विदेशमंत्रालय की ओर से जारी बयान में आया है कि ग़ाज़ा में नस्ली सफ़ाये के रुक जाने के साथ विश्व समुदाय को चाहिये कि वह पूरी सूक्ष्मता और ज़िम्मेदारी के साथ ज़ायोनी सरकार ने जो खुल्लम- खुल्ला अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों, मानवताप्रेमी अधिकारों व क़ानूनों का उल्लंघन किया और पश्चिमी किनारे और मस्जिदुल अक़्सा के ख़िलाफ़ वह जो कार्यवाहियां करता रहता है उन पर ध्यान दे और अत्याचारी ज़ायोनी सरकार से मुक़ाबला करे और क्रूरतम और जघन्य अपराध करने के कारण ज़ायोनी सरकार के अपराधी व दोषी अधिकारियों व नेताओं की गिरफ्तारी और उन्हें दंडित करने की भूमि प्रशस्त करे।
इसी प्रकार इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय की ओर से जारी बयान में ज़ायोनी सरकार द्वारा प्रतिरोध के महानायकों व प्रतिष्ठित हस्तियों और शहीदों विशेषकर इस्माईल हनिया, यहिया सिन्वार, सैय्यद हसन नस्रुल्लाह, सैय्यद हाशिम सफ़ीयुद्दीन और हज़ारों फ़िलिस्तीनी, लेबनानी, इराक़ी, यमनी और ईरानी मुजाहिदों पर सलाम भेजा गया है और उनके वैध व सत्य के मार्ग को जारी रखने पर बल दिया गया है।
प्रतिरोध मोर्चे ने इस्लाईली हुकूमत को घुटने टेकने पर मज़बूर कर दिया
फिलिस्तीनी और क्षेत्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर साएब शाअस ने कहा है कि फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने कब्जा करने वाली सरकार की ताकत को कमजोर कर दिया है जिसके परिणामस्वरूप नेतन्याहू को अपनी सेना का बलिदान करने और समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
फिलिस्तीनी और क्षेत्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर साएब शाथ ने आयरलैंड के शहर बेलफास्ट से अल-आलम न्यूज़ चैनल के साथ एक सीधी बातचीत में अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन के बयान का हवाला देते हुए कहा,फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने कब्जा करने वाली सरकार को पूरी तरह परास्त कर दिया है।
उन्होंने खुद को सशस्त्र किया है अपनी पंक्तियों को संगठित किया है और अपने सभी नुकसानों की भरपाई कर ली है।
उन्होंने कहा,सियोनिस्ट सेना ग़ज़ा में फिलिस्तीनी प्रतिरोध को हरा नहीं सकती इसका मतलब है कि नेतन्याहू को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पीछे हटना पड़ा और अपनी सेना व बंदियों का बलिदान देना पड़ा ताकि इस युद्धविराम को आने वाले युद्धों में ट्रंप के लिए दोस्ती का प्रतीक बताया जा सके।
डॉ. साएब शाथ ने आगे कहा,हम बाइडेन और उनके साथियों से वादा करते हैं कि हम उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में मुकदमे का सामना करने पर मजबूर करेंगे। अगर इन अदालतों में सफल नहीं हुए, तो उन्हें दुनियाभर में जनता की अदालतों में न्याय के कटघरे में खड़ा करेंगे वे दुनिया के सबसे बुरे इंसान हैं और ग़ज़ा में नरसंहार की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं पर है।
निरंतर इस्राईली हमलों से ग़ज़्ज़ा में कैदियों की जान को खतरा
हमास की सैन्य शाखा इज़्ज़ुद्दीन अल-क़स्साम ब्रिगेड ने घोषणा की है कि लगातार इजरायली हमले गाजा में कैदियों की जान को खतरे में डाल रहे हैं।
ग़ज़ा में इज़्ज़ुद्दीन क़साम ब्रिगेड्स ने गुरूवार को अपने टेलीग्राम अकाउंट पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि इस चरण में किसी भी प्रकार की हमला या गोलाबारी, दुश्मन द्वारा एक कैदी की स्वतंत्रता को त्रासदी में बदल सकती है।
अबू उबैदा, क़साम ब्रिगेड्स के प्रवक्ता ने कहा कि इज़राइल द्वारा एक स्थान पर हमला किया गया जहाँ एक महिला को पहले चरण के संघर्ष विराम समझौते के तहत मुक्त किया जाना था।
हमास के वरिष्ठ अधिकारी इज्ज़त अल-रशक ने इज़राइल के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा किए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि हमास संघर्ष विराम समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखे हुए है।
इज़राइल की कैबिनेट की बैठक जो ग़ज़ा संघर्ष विराम पर वोटिंग करने वाली थी, उसे स्थगित कर दिया गया है और अब यह बैठक शुक्रवार को होगी।
संघर्ष विराम समझौते के बाद इज़राइल के लगातार हमलों में 80 लोग शहीद हो गए, जिनमें 21 फ़लस्तीनी बच्चे और 25 महिलाएँ शामिल हैं।
ग़ज़्ज़ा से ज़ायोनी सेना की वापसी और उसके पुनर्निर्माण का स्वागत
ईरान ने ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम का स्वागत करते हुए कहा कि युद्धविराम समझौते के संबंध में एक बयान जारी किया है।
ईरान विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया है कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में युद्ध विराम समझौता इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार के खिलाफ फिलिस्तीन और ग़ज़्ज़ा के महान लोगों के प्रतिरोध, साहस का परिणाम है।
फिलिस्तीनी लोगों की इस ऐतिहासिक जीत पर फिलिस्तीनी लोगों और इस क्षेत्र तथा विश्व भर में प्रतिरोध के सभी समर्थको को बधाई।
इस बयान में जोर देते हुए कहा गया है कि अमेरिका और अन्य यूरोपीय उपनिवेशवादी देश, जो बेशर्मी से अतिक्रमणकारी ज़ायोनी शासन का समर्थन कर रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांतों और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन कर रहे हैं, उनका भी ज़ायोनी सरकार के अपराधों और नरसंहार में हाथ है जो 15 महीने से अधिक समय से चल रहा है।
ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन 15 महीनों के क्रूर आक्रमण के दौरान, हत्यारे ज़ायोनी शासन को अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कई अन्य पश्चिमी देशों से प्रत्यक्ष सैन्य, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन प्राप्त हुआ, जो शर्मनाक है। निस्संदेह, इन देशों को ज़ायोनी शासन के अपराधों में सहयोगी के रूप में जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।