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हज़रत आयतुल्लाह जवादी आमोली ने कहा: एक धार्मिक विद्वान ऐसा सांस्कृतिक कार्य कर सकता है जो खैबर की विजय के बराबर है, इसलिए हज कारवां में मौजूद विद्वानों का कर्तव्य है कि वे ऐसे सांस्कृतिक कार्य करें जो की इस्लाम धर्म की शान हो और दुनिया के सामने आये।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हज और ज़ाएरीन के मामलों मे वली फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन सैय्यद अब्दुल फत्ताह नवाब ने शुक्रवार को हज़रत आयतुल्लाह जवादी आमोली से मुलाकात की।

उन्होंने कहा: तीर्थयात्रियों और हज के प्रभारी दोनों को अपनी गति और वाणी से एकता का आह्वान करना चाहिए ताकि अन्य तीर्थयात्री अपने शब्दों और कार्यों से एकता महसूस करें।

उन्होंने कहा: हज इस्लाम का एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है, कुरान, जो एक अंतरराष्ट्रीय पुस्तक है, में तीन प्रकार के पते हैं: राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय, और पवित्र कुरान या इहा अल-धिन अमीनवा का अर्थ सभी है मुसलमानों से अधिक मानवता की दुनिया पैगंबर (स) से बात करती है, और कुरान स्थानीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाज पर अधिक शांति बनाने की सलाह देता है और हज एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है। इस्लाम का, और हज इस्लाम का एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है, इसलिए इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का उपयोग हमें ज्ञान के प्रसार के लिए करना चाहिए।

आयतुल्लाह जवादी आमोली ने कारवां में मौजूद विद्वानों को संबोधित किया और कहा: खैबर की विजय का दिन मुसलमानों के लिए मुक्ति का दिन था, जो पवित्र पैगंबर (स) के पास से वापस आने पर मुसलमानों के लिए बहुत खुशी का दिन था उन पर कृपा करें) ने कहा कि आज दो प्यारी और ख़ुशी की घटनाएँ हुईं: पहली यह है कि श्री जाफ़र तय्यर एबिसिनिया से लौट आए हैं, और दूसरी यह है कि खबीर पर आज विजय प्राप्त कर ली गई है, अब मुझे नहीं पता कि किस खबर से अधिक खुश होना चाहिए ।

अपनी बातचीत जारी रखते हुए उन्होंने कहा: अब जरा सोचिए कि फतेह खैबर कहां है? और श्री जाफ़र तयार अबीसीनिया से कहाँ वापस आ रहे हैं? हुजूर (स) ने ऐसा क्यों कहा कि अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि किस खबर पर ज्यादा खुश होऊं? इसका रहस्य यह है कि जनाब जाफ़र तय्यर विद्वत्तापूर्ण, शोधपरक और सांस्कृतिक कार्य करके लौटे थे, अर्थात यदि कोई विद्वान खैबर की विजय के बराबर सांस्कृतिक कार्य कर सकता है, तो मैं हज में विद्वान हूँ कारवां मैं विद्वानों को संबोधित करते हुए कहना चाहूंगा कि यह उनका कर्तव्य है कि वे ऐसे सांस्कृतिक कार्य करें कि इस्लाम धर्म की महिमा दुनिया के सामने प्रकट हो।

फ़िलिस्तीनी लोगों, ख़ासकर ग़ाज़ा के लोगों के समर्थन में दुनिया भर में विरोध और प्रदर्शन जारी हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका से लेकर एशिया तक और यूरोप से लेकर अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया तक, फ़िलिस्तीन के समर्थक इन दिनों सड़कों पर हैं और तत्काल युद्धविराम और हाल ही में कब्जे वाली ज़ायोनी सरकार द्वारा गाजा में चल रहे नरसंहार को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क के पुलिस प्रमुख ई. केबिन ने स्वीकार किया कि 7 अक्टूबर के बाद से अकेले न्यूयॉर्क शहर में फ़िलिस्तीन के समर्थन में 2,400 से अधिक प्रदर्शन हो चुके हैं।

इसके साथ ही पिछले कई हफ्तों से संयुक्त राज्य अमेरिका में फ़िलिस्तीन के समर्थन में शुरू हुए छात्र आंदोलन का दायरा संयुक्त राज्य अमेरिका के कई शहरों से होते हुए दुनिया के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया है, जो दिन-ब-दिन तीव्रता और दायरे में बढ़ता जा रहा है। दिन।

दूसरी ओर, फ़िलिस्तीन का समर्थन करने पर अमेरिकी और यूरोपीय पुलिस छात्रों पर लगातार अत्याचार कर रही है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में पुलिस ने कम से कम दो हजार तीन सौ छात्रों को गिरफ्तार किया है और लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए भूख हड़ताल की घोषणा की गई है।

दूसरी ओर, फ्रांस सरकार ने भी विश्वविद्यालय के उच्च पदस्थ अधिकारियों को फिलिस्तीन समर्थक छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी है।

कल फ़िलिस्तीन के समर्थन में और अवैध ज़ायोनी शासन के अपराधों की निंदा में सबसे बड़ा प्रदर्शन यमन में हुआ, जहाँ देश के पंद्रह प्रांतों में एक सौ अस्सी स्थानों पर करोड़ों यमनी नागरिक सड़कों पर उतरे और अमेरिका की साम्राज्यवादी साजिशों की निंदा की। विश्व में, विशेषकर क्षेत्र में, कड़ी निंदा की और स्पष्ट किया कि जब तक गाजा में अमेरिकी समर्थन से ज़ायोनीवादियों के अपराध जारी रहेंगे, उनका प्रदर्शन और विरोध भी जारी रहेगा।

इसके अलावा, ईरान, कनाडा, मैक्सिको, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और जापान के प्रदर्शनकारियों ने भी गाजा में तत्काल युद्धविराम, नरसंहार को रोकने और मानवीय सहायता की तत्काल और निरंतर डिलीवरी की मांग की।

ज़ायोनी आतंकवादियों ने गाजा के एक प्रमुख सर्जन अदनान अल-बुरीश को यातनाएँ दीं और शहीद कर दिया।

विदेशी मीडिया के अनुसार, ज़ायोनी आतंकवादियों ने दिसंबर में जबालिया शरणार्थी शिविर से दस अन्य चिकित्साकर्मियों के साथ डॉ. अदनान का अपहरण कर लिया था। रिहा किये गये उनके साथी कैदियों का कहना है कि उन्हें ज़ायोनी आतंकवादियों ने प्रताड़ित किया और शहीद कर दिया।

ज़ायोनी सरकार ने अभी तक डॉ. अदनान अल-बुराश का शव उनके उत्तराधिकारियों को नहीं सौंपा है। पचास वर्षीय डॉ. अदनान अल-बरीश गाजा शहर के अल-शिफ़ा अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ के प्रमुख थे।

ईरानी महिला धावक ने संयुक्त अरब इमारात में आयोजित वर्ल्ड टूर बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीत लिया है।

ईरान की महिला धावक हमीदे इस्माईल नेज़ाद ने संयुक्त अरब इमारात में आयोजित वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट में 100 मीटर में दौड़ में अपने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए इस रेस को 11.74 सेकेंड में पूरा करके तीसरा स्थान हासिल किया। हमीदे इस्माईल नेज़ाद ने इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता है।

बता दें कि संयुक्त अरब इमारात के दुबई शहर में वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट का आयोजन किया गया है। जिसमें विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताएं जारी हैं।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के प्रोसिक्यूटर दफ्तर की ओर से अमेरिका और ज़ायोनी शासन के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह ICC के अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को धमकाने की हरकतों से बाज़ आ जाए उनकी यह हरकतें अपराध हैं और इसे इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के खिलाफ अपराध माना जा सकता है।

ICC के दफ्तर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस संस्था के अधिकारियों की प्रक्रिया में बाधा डालने या उन्हें डराने-धमकाने या अनुचित तरीके से प्रभावित करने की कोशिश करने वाले सभी प्रयासों को तुरंत रोका जाना चाहिए। इस अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की संरचना और उसके अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करने वाला रोम घोषणापत्र भी ऐसी किसी भी हरकत पर रोक लगाता है।

याद रहे कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल है, जिसका मुख्यालय नीदरलैंड्स के द हेग में है। अवैध राष्ट्र इस्राईल के युद्ध अपराधों और ग़ज़्ज़ा में हो रहे क़त्लेआम को देखते हुए इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने नेतन्याहू और ज़ायोनी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का मन बनाया है कहा जा रहा है कि कोर्ट ज़ायोनी नेताओं के खिलाफ एक्शन ले सकता है जिसको देखते हुए अमेरिकी कांग्रेस के सांसदों ने चेतावनी दी है कि अगर उसने ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और इस्राईली अधिकारियों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया तो अंजाम भुगतना होगा।

 

 

मनामा के इमाम जुमा ने कहा: अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन का सबसे बड़ा फायदा यह था कि इसने पश्चिमी दुनिया के लोगों में जागरूकता पैदा की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हिज्जत अल-इस्लाम वा मुस्लिमिन के मनामा इमाम शेख मुहम्मद संकुर ने बहरीन में मुख्य शुक्रवार की प्रार्थना के उपदेश में कहा: अल-अक्सा तूफान ऑपरेशन का सबसे बड़ा फायदा यह था कि इससे लोगों में जागरूकता पैदा हुई। पश्चिमी दुनिया के लोगों को, मीडिया ने दशकों तक गुमराह करने की कोशिश की थी।

उन्होंने कहा: "गाजा के लोगों के खिलाफ भयानक युद्ध ने पश्चिमी दुनिया का असली चेहरा दिखाया और यह सभी के लिए स्पष्ट हो गया कि स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा के बारे में उनके नारे सिर्फ झूठ और धोखे थे। लेकिन इसके पीछे एक झूठ था।" बुरा चेहरा छुपाया गया।

 बहरैन की आंतरिक समस्याओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने हाल ही में राजनीतिक कैदियों की रिहाई का जिक्र किया और कहा: बाकी कैदियों को भी रिहा किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा: रिहा किए गए कुछ लोग कारावास से पहले कुछ मंत्रालयों और कंपनियों में काम कर रहे थे, उन्हें काम पर वापस बुलाया जाना चाहिए और अन्य लोगों को उपयुक्त नौकरियां दी जानी चाहिए।

बहुत कम वेतन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, जीवनयापन की लागत बहुत अधिक है, टैक्स बहुत अधिक वसूला जा रहा है और अन्य खर्चों को देखते हुए सरकार को इस संबंध में गंभीरता से निर्णय लेना चाहिए।

 

 

 

 

 

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम ''मोमिन का शरफ नमाज़े शब और उसकी इज़्ज़त लोगो का तहफ्फुज़ (हिफाज़त) करना है। इमाम सादिक अलैहिस्सलाम गाने से निफाक (मुनाफिकत) और ग़ुरबत पैदा होती हैं। इमाम सादिक अलैहिस्सलाम हर गुनाह की अस्ल दुनियादारी की मौहब्बत हैं।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम की हदीसे

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

''मोमिन का शरफ नमाज़े शब और उसकी इज़्ज़त लोगो का तहफ्फुज़ (हिफाज़त) करना है।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

गाने से निफाक (मुनाफिकत) और ग़ुरबत पैदा होती हैं।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

हर गुनाह की अस्ल दुनियादारी की मौहब्बत हैं।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

बेहतरीन नेकी अच्छा अखलाक़ हैं।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

(नेकी की तरफ लोगो को बुलाना) अम्र-बिल-मारूफ व नही अनिल मुनकर मोमिन को किया जाऐ ताकि वो नसीहत हासिल करे और जाहिल को किया जाऐ ताकि वो इल्म हासिल करे।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

ज़लील और पस्त वो है कि जो कि शराब पीता हैं और बाजा बजाता हैं।''

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

तीन चीज़े रोज़े कयामत फरयाद करेगी

  • पहली मस्जीद- जिसमे नमाज़ ना पड़ी जाऐ
  • आलिम -जिससे मसला न दरयाफत किया जाऐ
  • कुरआन- जिस पर गरदो ग़ुबार जमा हो जाऐ।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

झूठा हैं वो शख्स जो ये गुमान करता हैं के वो नमाज़े शब पढ़ता हैं और भूका रहता हैं क्योकि नमाज़े शब उस रोज़ की रोज़ी की जमानत हैं।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

शख्स छुप कर गुनाह कर ले तो उसे चाहिए के  छुप कर नेक अमल अंजाम दे और जो शख्स सब के सामने गुनाह करे तो उसे चाहिए कि सबके सामने नेक काम अंजाम दे।

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

कुफ़्र की बुनियाद तीन चीज़ो पर हैः लालत, घमण्ड और हसद (जलन)

इमाम सादिक अलैहिस्सलाम

झूठ रिज़्क़ को कम करता है।

 

शियों के छठे इमाम का नाम, जाफ़र कुन्नियत (उपनाम), अबू अब्दुल्लाह, और लक़ब (उपाधि) सादिक़ है। आपके वालिद इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम और माँ जनाबे उम्मे फ़रवा हैं। आप 17 रबीउल् अव्वल 83 हिजरी में पैदा हुए और 114 हिजरी में इमाम बने। आपके ज़माने में बनी उमय्या के बादशाहों में हेशाम, वलीद, यज़ीद बिन वलीद, इब्राहीम इब्ने वलीद और मरवान हेमार थे। इसी तरह बनी अब्बास के बादशाहों में अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद सफ़्फ़ाह और मंसूर दवानिक़ी थे। इन बादशाहों में इमाम पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म मंसूर ने किया है।

उसके सिपाही कभी कभी आपके घर पर हमला करते थे और आपको खींचते हुए मंसूर के पास ले जाते थे। मंसूर इतना बदतमीज़ हो गया था कि एक दिन उसने आपके घर में आग लगवा दी जबकि आप घर से बाहर थे और आपके बीवी बच्चे घर के अन्दर ही थे। आख़िर कार 25 शव्वाल 148 हिजरी को मदीने मुनव्वरा में इमाम को अंगूर में ज़हर देकर शहीद कर दिया जबकि उस समय आपकी आयु 65 साल थी। आपको मदीने में बक़ीअ के क़ब्रिस्तान में दफ़्न कर दिया गया। यहाँ हम आपके सामने इस्लामी इतिहास और इस्लामी दुनिया के बड़े-बड़े उल्मा की निगाह में इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम का इल्मी मक़ाम (स्थान) बयान करना चाहते हैं।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की बड़ाई, महानता और आपका बुलंद मक़ाम आपके शियों और शिया उल्मा की नज़र में बिल्कुल साफ़ है और इस बारे में उन्हे कोई शक नहीं है। शियों की नज़र में आप इतने महान हैं कि उनका मज़हब ही आपके नाम से जाना जाता है और उसे मकतबे जाफ़री या फ़िरक़ए जाफ़रिया कहा जाता है। अगर अपने उनकी तारीफ़ में कोई बात कहें तो कहा जाएगा कि यह तो उनके अपने हैं उन्हें तो उनकी तारीफ़ करना ही है, बात तो तब है जब दूसरे भी उनकी महानता बयान करें। इमाम को जहाँ अपने महान मानते हैं वहीं दूसरे सम्प्रदाय के मानने वालों, यहाँ तक कि आपके विरोधियों ने भी आपकी महानता को स्वीकार किया है। हम उनमें से कुछ उदाहरण पेश करते हैं।

  1. मंसूर दवानीक़ीः

वह इमाम की जान का जानी दुश्मन था लेकिन उनकी महानता और बुलंद मक़ाम को क़ुबूल करता था, उसका कहना हैः अल्लाह की क़सम जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अलैहिमस्सलाम) उन लोगों में से हैं जिनके बारे में क़ुरआने मजीद में आया हैः फिर हमनें इस किताब (क़ुरआने मजीद) का वारिस अपने ख़ास लोगों को बनाया। वह (इमामे सादिक़) उन लोगों में से थे जो ख़ुदा के ख़ास बन्दे थे और अच्छे काम अंजाम देने वालों में सबसे आगे थे। ( तारीख़े याक़ूबी- जि.3 पेज 17)

  1. मालिक इब्ने अनसः

 मालकी फ़िरक़े के इमाम कहते हैं, मैं एक समय तक जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अलैहिस्सलाम) के पास जाता था और हमेशा उन्हें तीन हालतों में पाता था- या नमाज़ पढ़ रहे होते थे, या रोज़े की हालत में होते थे, या क़ुरआने मजीद की तिलावत कर रहे होते थे। मैंने उन्हे कभी बिना वुज़ू के कोई हदीस बयान करते हुए नहीं देखा। (इब्ने हजर अस्क़लानी, तहज़ीबुल तहज़ीब, बैरूत दारुल फ़क्र, जि.1 पेज 88) फिर वह कहते हैः इल्म, इबादत और तक़वे में इस आँख ने जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अलैहिस्सलाम) से अफ़ज़ल व श्रेष्ठ इन्सान नहीं देखा, इस कान नें उनसे ज़्यादा किसी के बारे में अच्छा नहीं सुना और इस दिल उनसे ज़्यादा किसी की महानता को क़ुबूल नहीं किया। (अल इमामुस सादिक़ वल मज़ाहिबुल अरबआ, हैदर असद, बैरूत, दारुल कुतुबुल अरबी, जि.1 पेज 53)

  1. इब्ने ख़लकानः

यह मशहूर इतिहासकार लिखता हैः वह शियों के एक इमाम, पैग़म्बर (स.) के घराने के एक अज़ीम इन्सान हैं और अपनी बात और अमल में सच्चा होने की वजह से उन्हे सादिक़ कहा जाता है। वह इतने ज़्यादा बड़ाई और अच्छाइयों के मालिक हैं कि उसे बयान करने की ज़रूरत नहीं है। (वफ़यातुल आयान, डाक्टर एहसान अब्बास, क़ुम, मंशूरात शरीफ़ुर्रज़ी, जि.1 पेज 328)

  1. अब्दुर्रहमान इब्ने अबी हातिम राज़ीः

 वह कहते हैं कि मेरे पिता हमेशा कहा करते थे, जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.) इतने क़ाबिले ऐतबार व विश्वसनीय इन्सान हैं कि वह जो भी कहते हैं उस बारे में कोई सवाल नहीं किया जा सकता, यानी वह जो भी कहते हैं या बयान करते हैं वह सही होता है। (अल जरह वत तादील, जि.2, पेज 487)

  1. अबू हातिम मोहम्मद इब्ने हय्यानः

वह कहते हैः अहलेबैत (अ.) में जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.) फ़िक़्ह, इल्म और फ़ज़ीलत में बहुत अज़ीम इन्सान थे। (आलामुल हिदायः, जि. 1 पेज 22)

  1. अबू अब्दुर्रहमान असलमी कहते हैंः

 जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.) अपने परिवार वालों में सबसे अफ़ज़ल व श्रेष्ठ थे, उनके पास बहुत ज़्यादा इल्म था, एक ज़ाहिद (सन्यासी) इन्सान थे, इच्छाओं से बिल्कुल दूर और हिकमत (ज्ञान एंव नीत) में संपूर्ण अदब के मालिक थे। (अल इमामुस् सादिक़ वल मज़ाहिबुल अरबआ, हैदर असद, बैरूत, दारुल कुतुबुल अरबी, जि.1 पेज 58)٫

  1. मोहम्मद इब्ने तलहा शाफ़ेईः

उन्होंने इमाम जाफ़र सादिक़ अ. की महानता और उनके मरतबे के बारे में बहुत ख़ूबसूरत बात कही है, वह कहते हैः जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.) अहलेबैत के बुज़ुर्गों और उनके सरदारों में से थे, बहुत ज़्यादा क़ुरआन पढ़ा करते थे, उसकी आयतों के बारे में सोचते थे और इस दरिया से क़ीमती ख़ज़ाने निकालते थे और क़ुरआने करीम के छुपे हुए राज़ों और मोजिज़ों (रहस्यों और चमत्कारों) को सबके सामने बयान करते थे। उन्होंने अपने समय को इताअत, बन्दगी (आज्ञापालन व भक्ति) और दूसरे कामों के लिये बांटा हुआ था और उसका हिसाबो किताब भी करते थे। उन्हे देख कर इन्सान को क़यामत की याद आती थी और उनकी बातें सुन कर इन्सान का दुनिया से मुँह मोड़ने का दिल चाहता था।

जो उनके बताये रास्ते का अनुसरण करेगा उसके लिये जन्नत है। उनकी पेशानी में एक ऐसा नूर था जिससे मालूम होता था कि वह नुबूव्वत के पाक ख़ानदान से हैं और उनके नेक अमल से इस बात का अंदाज़ा होता था कि वह रिसालत की नस्ल से हैं। इस्लामी मज़हबों के इमामों और बुज़ुर्गों के एक गुट ने उनसे हदीसें नक़्ल की हैं और उनकी शागिर्दी की है और वह सब इस शागिर्दी पर गर्व करते थे और उसे अपने लिये एक फ़ज़ीलत और शरफ़ (सम्मान) समझते थे। उनके चमत्कार और उनकी विशेषताएं इतनी ज़्यादा हैं कि इन्सान उन्हे गिन नहीं सकता और इन्सान की अक़्ल उन तक पहुँच नहीं सकती। (अल इमामुस् सादिक़ वल मज़ाहिबुल अरबआ, हैदर असद, बैरूत, दारुल कुतुबुल अरबी, जि.1 पेज 23)

  1. बुख़ारीः

वह लिखते हैं, पूरी उम्मत उनकी बुज़ुर्गी और सरदारी पर सहमत है। (आलामुल हिदाया, जि.1, पेज 24- यनाबीउल मवद्दा क़न्दौज़ी, जि. 3, पेज 160)

 

इमाम जाफ़र सादिक़ का नाम जाफ़र, आपकी कुन्नियत अबू अब्दुल्लाह, अबू इस्माईल और आपकी उपाधियां, सादिक़, साबिर व फ़ाज़िल और ताहिर हैं, अल्लामा मज़लिसी लिखते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. कि पैग़म्बरे इस्लाम स.अ ने अपनी ज़िंदगी में हज़रत इमाम जाफ़र बिन मोहम्मद (अ) को सादिक़ की उपाधि दी और उसका कारण यह था कि आसमान वालों के नज़दीक आप की उपाधि पहले से ही सादिक़ थी।

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ 17 / रबीउल अव्वल 83 हिजरी में मदीना में पैदा हुए।

इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की विलादत की तारीख को खुदा वंदे आलम ने बड़ा सम्मान और महत्व दिया है हदीसों में है कि इस तारीख़ को रोज़ा रखना एक साल रोज़ा रखने के बराबर है आपके जन्म के बाद एक दिन हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि मेरा यह बेटा उन कुछ ख़ास लोगों में से है कि जिनके वुजूद से ख़ुदा ने लोगों पर एहसान फ़रमाया और यह मेरे बाद मेरा जानशीन व उत्तराधिकारी होगा।

अल्लामा मज़लिसी ने लिखा है कि जब आप मां के पेट में थे तब कलाम फरमाया करते थे जन्म के बाद आप ने कल्मा-ए-शहादतैन ज़बान पर जारी फ़रमाया।

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत

उल्मा के अनुसार 15 या 25 / शव्वाल 148 हिजरी में 65 साल की उम्र में मंसूर ने आपको ज़हर देकर शहीद कर दिया।

अल्लामा इब्ने हजर, अल्लामा इब्ने जौज़ी, अल्लामा शिब्लन्जी, अल्लामा इब्ने तल्हा शाफ़ेई लिखते हैं कि

 مات مسموما ایام المنصور

मंसूर के समय में आप ज़हेर से शहीद हुए हैं। (1)

उल्मा-ए-शिया सहमत हैं कि आप को मंसूर दवानेक़ी ने ज़हर से शहीद कराया था, और आप की नमाज़ हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने पढ़ाई थी अल्लामा कुलैनी और अल्लामा मज़लिसी का फ़रमाते हैं कि आप अच्छा कफ़न दिया गया और आपको जन्नतुल बक़ीअ में उन्हें दफ़्न किया गया।

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(सवाएक़े मुहरेक़ा पेज 121, तज़केरा-ए-ख़वासुल उम्मः, नूरूल अबसार पेज 133, अर्जहुल मतालिब पेज 450

 

पिछले वर्ष स्वीट्ज़रलैंड में जातिवादी घटनायें हर समय से अधिक घटी हैं। अधिकांश जातिवादी और नस्ली घटनाओं का संबंध काम करने के स्थान से नहीं था बल्कि उनका संबंध स्कूलों से था यानी स्कूलों में घटी हैं।

क्लास में वार्ता के दौरान एक 11वर्षीय छात्र को बारमबार जाति व नस्ली भेदभाव का सामना हुआ और उसका अपमान किया गया। श्यामवर्ण के दूसरे छात्र को स्टोर रूम में बंद कर जाता है और क्लास के दूसरे बच्चे अभद्र शब्दों के साथ उसे बुलाते हैं। स्वीट्ज़रलैंड की पुलिस ऐसी हत्या करती है जिसका कोई औचित्य नहीं दर्शाया जा सकता। यह उस रिपोर्ट का मात्र एक छोटा सा नमूना है जिसे मानवाधिकार संगठन और जातिवादी भेदभाव परामर्श नेटवर्क के सहयोग से स्विट्ज़रलैंड में जातिवाद के खिलाफ तैयार किया गया है।

इस रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2023 में स्विट्ज़रलैंड में जाति व नस्ली भेदभाव की 876 घटनायें दर्ज की गयीं जो वर्ष 2022 की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक हैं। जातिवादी भेदभाव की अधिकांश घटनाओं का संबंध शिक्षा केन्द्रों व विभागों से हैं और वे भी श्यामवर्ण के छात्रों के साथ।

एक सर्वे के अनुसार स्विट्ज़रलैंड में जो भी रहता है पिछले पांच सालों में हर 6 में से एक व्यक्ति को जातीय व नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा है।

जातिवाद से मुकाबला करने वाली सर्विस की ओर से कराये गये एक सर्वे के अनुसार 17 प्रतिशत लोगों ने यानी दस लाख दो हज़ार लोगों ने कहा कि उनके साथ भेदभाव किया गया।

समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट में आया है कि जिन लोगों को नस्ली व जाति भेदभाव का निशाना बनाया गया उनमें से अधिकांश की उम्र 15 से 39 साल के बीच है और नस्ली व जाति भेदभाव ज़िन्दगी के हर क्षेत्र में है। जिन लोगों पर सर्वे किया गया उनमें से लगभग 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि दिनचर्या या काम ढूंढने के दौरान उनके साथ जाति व नस्ली भेदभाव किया गया। इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर 30 प्रतिशत और स्कूलों में 27 प्रतिशत भेदभाव का सामना करना पड़ा।

इससे पहले राष्ट्रसंघ के एक कार्यदल ने एलान किया था कि स्विट्ज़रलैंड में श्यामवर्ण के लोगों के साथ प्रतिदिन भेदभाव होता है और इस देश की पुलिस भी काले लोगों के साथ गम्भीर रूस से नस्ली भेदभाव का बर्ताव करती है। इसी प्रकार इस कार्यदल ने एलान किया था कि वह स्विट्ज़रलैंड में अफ्रीकी मूल के लोगों की मानवाधिकार की स्थिति और जातिवादी भेदभाव के फैलने से चिंतित है।

इसी प्रकार रिपोर्ट में उन विभिन्न कठिनाइयों व समस्याओं का भी उल्लेख किया गया है जिनका स्विट्ज़रलैंड में रहने वाले श्यामवर्ण के लोगों को सामना है। इसी प्रकार इस रिपोर्ट में श्यामवर्ण के लोगों के साथ पुलिस के बर्बरतापूर्ण रवइये का भी उल्लेख किया गया है।