
رضوی
सीरिया के पूर्व मुफ्ती को दमिश्क एयरपोर्ट पर गिरफ्तारी किया
सीरिया के पूर्व ग्रैंड मुफ्ती शेख अहमद हसून को दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया है हसून जॉर्डन के लिए उड़ान भरने वाले थे।
सीरिया के पूर्व ग्रैंड मुफ्ती शेख अहमद हसून को दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया है हसून जॉर्डन के लिए उड़ान भरने वाले थे।
हसून पासपोर्ट कंट्रोल पार कर चुके थे और "फ्री जोन" में थे जब उन्हें सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार किया एक सूचित स्रोत ने बताया कि सरकार ने पहले ही उन्हें सूचित कर दिया था कि उनके विदेश यात्रा पर कोई रोक नहीं होगी ।
हसून के करीबी स्रोतों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने उनके घर में भी छापा मारा हाल के दिनों में सीरिया में कई पूर्व सरकारी अधिकारियों और बशर अल-असद के रिश्तेदारों की गिरफ्तारी हुई है,यह गिरफ्तारी इज़राईल के कहने पर हुई है।
यह घटना सीरिया में नई सरकार द्वारा पूर्व शासन के सदस्यों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा प्रतीत है। नई सरकार ने पूर्व शासन के अधिकारियों पर यातना और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए हैं ।
फिलिस्तीन और क़ुद्स के मुद्दे पर नए सांस्कृतिक व तब्लीगी सामग्री की तैयारी ज़रूरी
छठी अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स शरीफ़ कॉन्फ्रेंस "हय्या अला-ल-क़ुद्स" के नाम से बुधवार, 26 मार्च को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के शहर अस्लवीए में 13 देशों के 80 विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में आयोजित हुई
6वी अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स शरीफ़ कॉन्फ्रेंस "हय्या अला-ल-क़ुद्स" के नाम से बुधवार, 26 मार्च को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान के शहर अस्लवीए में 13 देशों के 80 विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में आयोजित हुई
इस कॉन्फ्रेंस में आयतुल्लाह मोहम्मद हसन अख़्तरी फिलिस्तीन के 20 प्रमुख उलेमा, विभिन्न धर्मों और मज़हबों के नेता व प्रतिनिधि और दक्षिणी ईरान के 400 शिया विद्वानों व बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।
कमेटी फॉर द डिफेंस ऑफ़ पैलेस्टाइन के प्रमुख आयतुल्लाह मोहम्मद हसन अख़्तरी ने ज़ोर देकर कहा,तबलीग (प्रचार) एक बेहद कीमती और महान कार्य है अल्लाह तआला ने अपने काम की बुनियाद तबलीग पर रखी नबियों को तबलीग के लिए भेजा और कुरआन में तबलीग के सिद्धांत व तरीके स्पष्ट रूप से बताए गए हैं।
उन्होंने आगे कहा,हमें फिलिस्तीन और क़ुद्स के मुद्दे पर नई सांस्कृतिक और प्रचार सामग्री तैयार करने की ज़रूरत है। हर साल नई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री क्लिप्स बनाई जानी चाहिए क्योंकि हमारे देश में इस संबंध में अनेक संभावनाएं और क्षमताएं मौजूद हैं मीडिया को चाहिए कि वह इस्लामी प्रतिरोध (मुक़ावमत) की सफलताओं को प्रभावी तरीके से दुनिया के सामने पेश करे।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा,दुर्भाग्य से कुछ देश नहीं चाहते कि 'यौम-ए-क़ुद्स' (क़ुद्स दिवस) वैश्विक स्तर पर उजागर हो। यह हैरानी की बात है कि कुछ यूरोपीय और अमेरिकी देशों में फिलिस्तीन का समर्थन किया जाता है, लेकिन कुछ अरब देशों में न कोई आवाज़ उठती है और न ही फिलिस्तीन के हक में कोई प्रदर्शन होता है। अरब देशों के छात्रों को चाहिए कि वे जागें और मज़लूम फिलिस्तीनी कौम के समर्थन में अपनी आवाज़ बुलंद करें।
तुर्की में प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारियां जारी
43 अन्य प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी का एलान करते हुए तुर्किये के गृहमंत्री ने कहा: गिरफ्तार किए गए लोगों ने राष्ट्रपति का अपमान किया।
तुर्की के गृहमंत्री अली येर लिकाया ने घोषणा की: देश की पुलिस ने 43 लोगों को गिरफ्तार किया है जो दूसरों को ग़ैर क़ानूनी कार्य करने के लिए उकसा रहे थे।
उन्होंने कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान और उनके परिवार का अपमान करने का जिक्र करते हुए कहा, पुलिस बाकी संदिग्धों को गिरफ्तार करने के लिए कार्रवाई करेगी।
तुर्किये के गृहमंत्री ने सोमवार को घोषणा की कि हालिया विरोध प्रदर्शनों के दौरान पूरे तुर्किये में 1 हज़ार 133 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
तुर्किये में एक पत्रकार संघ ने घोषणा की कि पुलिस ने सोमवार को 11 पत्रकारों और फोटोग्राफरों के घरों पर छापा मारा और विरोध प्रदर्शन को कवर करने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
वहीं, फाइनेंशियल टाइम्स ने पिछले हफ्ते तुर्की के पूंजी बाजार से निवेशकों के भागने की सूचना दी और लिखा: तुर्की के सेंट्रल बैंक को तुर्क लीरा को मजबूत करने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार से अरबों डॉलर बाजार में डालने के लिए मजबूर किया गया है।
तुर्किये में इन दिनों सड़क पर विरोध प्रदर्शन, जो एक दशक से अधिक समय से इस देश में अभूतपूर्व है, इस्तांबुल के मेयर अकरम इमामोग्लू की गिरफ्तारी और जेल की सजा जारी होने के बाद शुरू हुआ।
इमामोग्लू को अर्दोग़ान का कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है, एक ऐसा आरोप जिसका वह दृढ़ता से खंडन करते हैं।
तुर्की की विपक्षी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी के प्रमुख ओज़गुर ओज़ेला ने, जिसके इस्तांबुल के मेयर सदस्य हैं, रविवार रात को इस्तांबुल में इस पार्टी के हजारों समर्थकों के सामने लोगों से अर्दोग़ान सरकार का समर्थन करने वाले मीडिया और संस्थानों का बहिष्कार करने की अपील की है।
तुर्की में मुख्यधारा की मीडिया की एक विस्तृत श्रृंखला सरकार का समर्थन करती है और विरोधियों का कहना है कि देश के प्रमुख समाचार चैनलों ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों का बहुत कम वीडियो कवरेज किया है।
रविवार को इमामोग्लू को सत्ता से बेदखल करने और जेल में डालने के अदालत के फैसले ने विरोध प्रदर्शनों को हवा दे दी थी।
वह इन विरोधों को राजनीति से प्रेरित और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विरुद्ध मानते हैं, आरोप जिनसे अंकारा सरकार इनकार करती है।
इस संबंध में, कुछ समाचार स्रोतों ने तुर्क पुलिस द्वारा विपक्ष के गंभीर दमन की रिपोर्ट दी है, और अर्दोग़ान की सरकार ने इस्तांबुल में नागरिकों के आने जाने पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र संघ ने मंगलवार को तुर्किये द्वारा बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां करने पर चिंता व्यक्त की और चेतावनी दी कि वह प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अवैध बल का उपयोग करने के लिए तुर्क अधिकारियों की जांच करेगा।
ग़ज़्ज़ा और फ़िलिस्तीन पर इज़रायल के हमले खुलेआम आतंकवाद हैं
हुज्जतुल इस्लाम अशफाक वहीदी ने कहा: संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को प्रथम क़िबला की स्वतंत्रता के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
पाकिस्तान के शिया उलेमा काउंसिल के नेता हुज्जतुल इस्लाम अशफाक वहीदी ने कुद्स दिवस के अवसर पर अपने विशेष संदेश में कहा: रमज़ान के आखिरी शुक्रवार को इमाम खुमैनी (र) के फरमान के अनुसार पूरी दुनिया में कुद्स दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा: ग़ज़्ज़ा और फ़िलिस्तीन पर इज़रायल के हमले खुला आतंकवाद हैं। आज जहां भी अन्याय होता है, विश्व शक्तियां आवाज उठाती हैं, लेकिन गाजा और फिलिस्तीन में निर्दोष बच्चों और महिलाओं के नरसंहार पर चुप्पी एक प्रश्नचिह्न है!!
अल्लामा अशफाक वहीदी ने कहा: यरूशलेम की मुक्ति के लिए समस्त इस्लामी जगत के शासकों को एक झंडे के नीचे एकजुट होना चाहिए।
उन्होंने कहा: यदि इस्लामी दुनिया एकजुट हो जाए तो यरूशलम की मुक्ति संभव है क्योंकि यरूशलम पर कब्जा किसी एक धर्म की समस्या नहीं है, बल्कि इस्लामी दुनिया की समस्या है।
क़ुद्स की आज़ादी इस्लामी दुनिया का सबसे अहम मुद्दा
लुरिस्तान प्रांत में विलायत ए फ़क़ीह के प्रतिनिधि ने अपने संदेश में लोगों से यौम ए क़ुद्स अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स दिवस की रैली में जोश और उत्साह के साथ भाग लेने का आह्वान किया।
लुरिस्तान प्रांत में विलायत-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद अहमद रज़ा शाहर्खी ने एक संदेश जारी कर जनता से अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स दिवस की रैली में व्यापक भागीदारी की अपील की।
संदेश का पूरा पाठ:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इमाम ख़ुमैनी रह ने कहा,मैं यौम-ए-क़ुद्स को इस्लाम का दिन मानता हूँ। पूरी ताक़त और शक्ति के साथ दुश्मनों के सामने डटे रहो।(सहीफ़ा-ए-इमाम, जिल्द 8, पृष्ठ 278)
यौम-ए-क़ुद्स हमारे महान नेता इमाम ख़ुमैनी रह की एक ऐतिहासिक और रणनीतिक विरासत है यह दिन मुसलमानों की एकता और दुनिया की आज़ादख़याल क़ौमों के ज़ुल्म व अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने का प्रतीक है।
इस्लामी गणराज्य ईरान की महान जनता, कुछ इस्लामी देशों की ख़यानतों और कोताहियों के बावजूद, मज़लूमों की हिमायत और पवित्र क़ुद्स की आज़ादी के लिए अपने संघर्ष, सब्र और बलिदान के ज़रिए अपनी आवाज़ पूरी दुनिया तक पहुँचाती है।
आज जबकि ज़ायोनी क़ब्ज़ा करने वाली हुकूमत और उसकी समर्थक ताक़तें अपने उन्मादी कृत्यों, मासूम लोगों के नरसंहार और फ़िलिस्तीन व लेबनान को मिटाने की साज़िशों में लगी हुई हैं, मगर फ़िलिस्तीन और प्रतिरोध मोर्चे के बहादुर योद्धा पूरी मज़बूती और ईमानदारी के साथ लड़ रहे हैं उन्होंने इस्राईल की सैन्य शक्ति और दबदबे के समीकरणों को हिला कर रख दिया है और पूरी दुनिया पर इज़राईली शासन की कमज़ोरी और बेबसी को उजागर कर दिया है।
इस्लामी उम्मत, विद्वान और दुनिया के स्वतंत्र विचारक समझ चुके हैं कि ज़ायोनी शासन का पतन तेज़ हो चुका है प्रतिरोध योद्धाओं की बहादुरी और संघर्ष दुश्मनों को पीछे हटने और विनाश की ओर बढ़ने पर मजबूर कर रहा है। क़ुद्स की मुक्ति केवल संघर्ष और प्रतिरोध से ही संभव है।
मैं जनता से अपील करता हूँ कि वे रहबर-ए-मुअज़्ज़म इमाम ख़ामेनेई की आवाज़ पर लब्बैक कहते हुए, पूरी इस्लामी उम्मत और ईरानी राष्ट्र के साथ मज़बूत क़दमों और मुट्ठी बांधकर यौम-ए-क़ुद्स की रैली में भाग लें और ज़ालिम इस्राईली शासन तथा उसके अमेरिकी और पश्चिमी समर्थकों से अपनी घृणा और विरोध का इज़हार करें।
लोगों की व्यापक भागीदारी, विशेषकर क्रांतिकारी युवा, हिज़्बुल्लाह समर्थक, शहीदों और युद्ध-वीरों के परिवार, इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे की सफलता और फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों की जीत का शुभ संकेत होगी। यह दिन ज़ायोनी शासन के विनाश और पवित्र क़ुद्स की स्वतंत्रता के साथ वैश्विक शांति की ओर एक महत्वपूर्ण क़दम होगा।
ईरान और तुर्किये के विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफ़ोन पर बातचीत
ईरान के विदेश मंत्री ने तुर्किये के आंतरिक घटनाक्रम को इस देश का आंतरिक मुद्दा क़रार दिया है।
ईरान के विदेशमंत्री सैयद अब्बास इराक़ची और तुर्किये के विदेशमंत्री हकान फिदान ने सोमवार शाम को टेलीफोन पर बातचीत में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिवर्तनों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
विदेश मंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने इस्लामी गणतंत्र ईरान की सैद्धांतिक स्थिति पर जोर दिया और कहा:
तुर्किये में घटनाक्रम इस देश का आंतरिक मामला है और हमें विश्वास है कि सक्षम तुर्क अधिकारी, तुर्क राष्ट्र के हितों के आधार पर इन परिवर्तनों को उचित तरीके से हल करेंगे।
युद्धविराम समझौतों के घोर उल्लंघन में ग़ज़ा और लेबनान के खिलाफ ज़ायोनी शासन के अपराधों और आक्रमणों की निंदा करते हुए, सैयद अब्बास इराक़ची ने मक़बूज़ा शासन के अपराधों को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से इस्लामी देशों और क्षेत्र से तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया।
उन्होंने ग़ज़ा, वेस्ट बैंक और लेबनान के खिलाफ इजराइली शासन द्वारा अपराधों को फिर से शुरू करने के साथ यमन के खिलाफ अमेरिकी हवाई हमलों की भी निंदा की और मुस्लिम देशों के ख़िलाफ आक्रामकता को रोकने और क्षेत्र में असुरक्षा और अस्थिरता को बढ़ाने के लिए क्षेत्र के देशों के बीच अधिक सहयोग और समन्वय के महत्व पर जोर दिया।
इस टेलीफोन बातचीत में हकान फ़ीदान ने ईरान के विदेश मंत्री को नौरोज़ और नए साल की बधाई भी दी और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के लिए राजनयिक समाधान खोजने में मदद करने के लिए तुर्किए की तत्परता पर ज़ोर दिया।
ग़ज़ा की स्थिति की समीक्षा के लिए काहिरा में अरब-इस्लामी संपर्क समिति की हालिया बैठक में अपनी भागीदारी का जिक्र करते हुए, फीदान ने फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों की स्थिति पर अधिक ध्यान देने के लिए इस्लामी देशों को ज़्यादा अहमियत देने पर बल दिया।
आईआरजीसी का नया अंडर ग्राउंड मिसाइल सिटी का अनावरण
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एयरोस्पेस फोर्स ने दर्जनों किलोमीटर लंबी भूमिगत सुरंगों के साथ अपने नए मिसाइल सिटी का अनावरण किया है।
मंगलवार को इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स एयरोस्पेस फोर्स ने अपने सैकड़ों मिसाइल शहरों में से एक में बड़ी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइलों "ख़ैबर शिकन", "हाज क़ासिम", "एमाद", "सिज्जील", "क़द्र एच" और "क्रूज़ पावेह" का अनावरण किया।
इस अनावरण के मौक़े पर ईरान के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाक़िरी और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एयरोस्पेस फोर्सेज के कमांडर जनरल अमीर अली हाजी ज़ादेह मौजूद थे।
इस अंडर ग्राउंड मिसाइल सिटी की अपनी यात्रा के दौरान, मेजर जनरल बाक़िरी ने ईरानी सशस्त्र बलों की क्षमताओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा: ईरानी सशस्त्र बल गंभीरता से प्रगति, पदोन्नति और सशक्तिकरण के अपने मार्ग को जारी रख रहा है।
उन्होंने कहा, ट्रू प्रामिस-1 और 2 के सफल ऑप्रेशन के बाद, हमें पता है कि दुश्मन को कहां नुकसान हुआ है और हम उन क्षेत्रों को और अधिक मजबूत करेंगे, हमारे फौलादी हाथ बहुत मज़बूत हैं।
मेजर जनरल बाक़िरी ने आगे कहा: हमारी मिसाइल शक्ति की वृद्धि की गति दुश्मन द्वारा कमज़ोरियों को ठीक करने की गति से कहीं अधिक है, और दुश्मन निश्चित रूप से पिछड़ जाएगा।
मीसाइल और फ़्लोटिंग सिटी विभिन्न आयामों में महत्वपूर्ण और सक्षम हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं:
1- सामरिक सुरक्षा: ये अड्डे भूमिगत होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से बहुत मज़बूत हैं और इन्हें दुश्मन के हवाई और मिसाइल हमलों से बचाया जा सकता है।
2- गुप्त ऑपरेशन: यह सैन्य बलों को गुप्त और आश्चर्यजनक ऑपरेशन की क्षमता प्रदान करता है। यह गंभीर परिस्थितियों और एसमैट्रिक वॉर फ़ेयर में बहुत प्रभावी हो सकता है।
3- नौसैनिक अभियानों के लिए समर्थन: ईरान की भौगोलिक स्थिति और समुद्री खतरों को ध्यान में रखते हुए, ऐसे अड्डों के अस्तित्व से नौसैनिक और निगरानी आप्रेशन्ज़ के कार्यान्वयन में मदद मिल सकती है।
4- उन्नत उपकरण तैनात करने की क्षमता: इन अड्डों पर सैन्य उपकरण, ड्रोन, मिसाइल और छोटे जहाज तैनात करना संभव है।
5- लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर: इन ठिकानों में सैन्य बलों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रसद सुविधाएं शामिल हो सकती हैं, जिनमें हथियार डिपो, मरम्मत की दुकानें और नियंत्रण केंद्र शामिल हैं।
6- क्राइसिस मैनेजमेंट: संकट प्रबंधन क्षमता और विभिन्न खतरों पर त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
अमेरिका ने फिर से यमन की सीमा का उल्लंघन किया
अमेरिका ने एक बार फिर यमन की संप्रभुता का उल्लंघन किया है, जो गाजा में इस्राइली शासन द्वारा जारी निरंतर अत्याचारों को बिना शर्त समर्थन देने की नीति का हिस्सा है।
अमेरिका ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर को ताक पर रखते हुए गाज़ा में सियोनिस्ट शासन के निरंतर अपराधों का समर्थन करते हुए यमन पर हमला किया है।
यमन में स्थित सूचना स्रोतों ने बताया कि अमेरिका के ताजा आक्रमण में उत्तरी यमन के सादा प्रांत के सहार क्षेत्र को निशाना बनाया गया। अमेरिकी आक्रमणकारी विमानों ने इस उत्तरी क्षेत्र पर दो बार बमबारी की है।
गाजा के मजलूम लोगों के प्रति यमन के सिद्धांतिक और मानवीय समर्थन, तथा सियोनिस्ट शासन के खिलाफ यमन सशस्त्र बलों की सफल कार्रवाइयों के जवाब में अमेरिका का यमन पर आक्रमण जारी है।
क़ुरआने मजीद और नारी
इस्लाम में नारी के विषय पर अध्धयन करने से पहले इस बात पर तवज्जो करना चाहिये कि इस्लाम ने इन बातों को उस समय पेश किया जब बाप अपनी बेटी को ज़िन्दा दफ़्न कर देता था और उस कुर्रता को अपने लिये इज़्ज़त और सम्मान समझता था। औरत दुनिया के हर समाज में बहुत बेक़ीमत प्राणी समझी जाती थी। औलाद माँ को बाप की मीरास में हासिल किया करती थी। लोग बड़ी आज़ादी से औरत का लेन देन करते थे और उसकी राय का कोई क़ीमत नही थी। हद यह है कि यूनान के फ़लासेफ़ा इस बात पर बहस कर रहे थे कि उसे इंसानों की एक क़िस्म क़रार दिया जाये या यह एक इंसान नुमा प्राणी है जिसे इस शक्ल व सूरत में इंसान के मुहब्बत करने के लिये पैदा किया गया है ताकि वह उससे हर तरह का फ़ायदा उठा सके वर्ना उसका इंसानियत से कोई ताअल्लुक़ नही है।
इस ज़माने में औरत की आज़ादी और उसको बराबरी का दर्जा दिये जाने का नारा और इस्लाम पर तरह तरह के इल्ज़ामात लगाने वाले इस सच्चाई को भूल जाते हैं कि औरतों के बारे में इस तरह की आदरनीय सोच और उसके सिलसिले में हुक़ुक़ का तसव्वुर भी इस्लाम ही का दिया हुआ है। इस्लाम ने औरत को ज़िल्लत की गहरी खाई से निकाल कर इज़्ज़त की बुलंदी पर न पहुचा दिया होता तो आज भी कोई उसके बारे में इस अंदाज़ में सोचने वाला न होता। यहूदीयत व ईसाईयत तो इस्लाम से पहले भी इन विषयों पर बहस किया करते थे उन्हे उस समय इस आज़ादी का ख़्याल क्यो नही आया और उन्होने उस ज़माने में औरत को बराबर का दर्जा दिये जाने का नारा क्यों नही लगाया यह आज औरत की अज़मत का ख़्याल कहाँ से आ गया और उसकी हमदर्दी का इस क़दर ज़ज़्बा कहाँ से आ गया?
वास्तव में यह इस्लाम के बारे में अहसान फ़रामोशी के अलावा कुछ नही है कि जिसने तीर चलाना सीखाना उसी को निशाना बना दिया और जिसने आज़ादी और हुक़ुक का नारा दिया उसी पर इल्ज़ामात लगा दिये। बात सिर्फ़ यह है कि जब दुनिया को आज़ादी का ख़्याल पैदा हुआ तो उसने यह ग़ौर करना शुरु किया कि आज़ादी की यह बात तो हमारे पुराने लक्ष्यों के ख़िलाफ़ है आज़ादी का यह ख़्याल तो इस बात की दावत देता है कि हर मसले में उसकी मर्ज़ी का ख़्याल रखा जाये और उस पर किसी तरह का दबाव न डाला जाये और उसके हुक़ुक़ का तक़ाज़ा यह है कि उसे मीरास में हिस्सा दिया जाये उसे जागीरदारी और व्यापार का पाटनर समझा जाये और यह हमारे तमाम घटिया, ज़लील और पुराने लक्ष्यों के ख़िलाफ़ है लिहाज़ा उन्होने उसी आज़ादी और हक़ के शब्द को बाक़ी रखते हुए अपने मतलब के लिये नया रास्ता चुना और यह ऐलान करना शुरु कर दिया कि औरत की आज़ादी का मतलब यह है कि वह जिसके साथ चाहे चली जाये और उसका दर्जा बराबर होने के मतलब यह है कि वह जितने लोगों से चाहे संबंध रखे। इससे ज़्यादा इस ज़माने के मर्दों को औरतों से कोई दिलचस्बी नही है। यह औरत को सत्ता की कुर्सी पर बैठाते हैं तो उसका कोई न कोई लक्ष्य होता है और उसके कुर्सी पर लाने में किसी न किसी साहिबे क़ुव्वत व जज़्बात का हाथ होता है और यही वजह है कि वह क़ौमों की मुखिया होने के बाद भी किसी न किसी मुखिया की हाँ में हाँ मिलाती रहती है और अंदर से किसी न किसी अहसासे कमतरी में मुब्तला रहती है। इस्लाम उसे साहिबे इख़्तियार देखना चाहता है लेकिन मर्दों का आला ए कार बन कर नही। वह उसे इख़्तियार व इंतेख़ाब देना चाहता है लेकिन अपनी शख़्सियत, हैसियत, इज़्ज़त और करामत का ख़ात्मा करने के बाद नही। उसकी निगाह में इस तरह के इख़्तियारात मर्दों को हासिल नही हैं तो औरतों को कहाँ से हो जायेगा जबकि उस की इज़्ज़त की क़ीमत मर्द से ज़्यादा है उसकी इज़्ज़त जाने के बाद दोबारा वापस नही आ सकती है जबकि मर्द के साथ ऐसी कोई परेशानी नही है।
इस्लाम मर्दों से भी यह मुतालेबा करता है कि वह जिन्सी तसकीन के लिये क़ानून का दामन न छोड़े और कोई ऐसा क़दम न उठाएँ जो उनकी इज़्ज़त व शराफ़त के ख़िलाफ़ हो इसी लिये उन तमाम औरतों की निशानदहीकर दी गई जिनसे जिन्सी ताअल्लुक़ात का जवाज़ नही है। उन तमाम सूरतों की तरफञ इशारा कर दिया गया जिनसे साबेक़ा रिश्ता मजरूह होता है और उन तमाम ताअल्लुक़ात को भी वाज़ेह कर दिया जिनके बाद दूसरा जिन्सी ताअल्लुक़ मुमकिन नही रह जाता। ऐसे मुकम्मल और मुरत्तब निज़ामें ज़िन्दगी के बारे में यह सोचना कि उसने एक तरफ़ा फ़ैसला किया है और औरतों के हक़ में नाइंसाफ़ी से काम लिया है ख़ुद उसके हक़ में नाइंसाफ़ी बल्कि अहसान फ़रामोशी है वर्ना उससे पहले उसी के साबेक़ा क़वानीन के अलावा कोई उस सिन्फ़ का पुरसाने हाल नही था और दुनिया की हर क़ौम में उसे ज़ुल्म का निशाना बना लिया गया था।
ईश्वरीय आतिथ्य- 5
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत निकट है।
वह काबे में पैदा हुए थे और सुबह की नमाज़ कूफा की मस्जिद में पढ़ा रहे थे कि इब्ने मुल्जिम नाम के दुष्ट व क्रूर व्यक्ति ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पावन सिर पर विषैली तलवार से प्राणघातक हमला किया जिसके कारण वे 21 रमज़ान को शहीद हो गये। हज़रत अली अलैहिस्सलाम 63 वर्षों तक जीवित रहे। इस दौरान उन्होंने हर कार्य केवल महान ईश्वर की प्रसन्नता के लिए किया। उनके जीवन में जब कोई ऐसा अवसर आया कि उन्हें महान ईश्वर की प्रसन्नता और किसी अन्य कार्य के बीच चुनना पड़ा तो उन्होंने महान ईश्वर की प्रसन्नता को चुना।
पवित्र रमज़ान महीने की 19वीं की रात को हज़रत अली अलैहिस्सलाम को पैग़म्बरे इस्लाम का वह कथन याद आया जिसमें उन्होंने हज़रत अली अलैहिस्सलाम से फरमाया था कि मैं देख रहा हूं कि पवित्र रमज़ान महीने की एक रात को तुम्हारी दाढ़ी तुम्हारे ख़ून से रंगीन होगी।"
हज़रत अली अलैहिस्सलाम पवित्र रमज़ान महीने की 19वीं रात को अपनी एक बेटी हज़रत उम्मे कुलसूम के घर पर आमंत्रित थे। हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अपनी दाढ़ी अपने हाथ में ली और कुछ कहा हे पालनहार! तेरे प्रिय दूत पैग़म्बर के वादे का समय निकट है। हे पालनहार! मौत को अली पर मुबारक कर।" जब हज़रत अली अलैहिस्सलाम दरवाज़े की ओर बढ़े तो उनकी शाल दरवाज़े से लगकर खुल गयी। इसके बाद उन्होंने शाल को मज़बूती से पटके से बांध दिया और स्वयं से कहा अली! अपने पटके को मौत के लिए मज़बूती से बांध लो।"
जब क्रूर व दुष्ट व्यक्ति इब्ने मुल्जिम ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पावन सिर पर प्राणघातक आक्रमण किया और उसकी तलवार हज़रत अली अलैहिस्सलाम के सिर पर लगी तो उन्होंने ऊंची आवाज़ में चिल्लाकर कहा काबे की क़सम मैं कामयाब हो गया। उसके बाद जहां तलवार लगी थी वहां हज़रत अली अलैहिस्सलाम मेहराब की मिट्टी डालते और पवित्र कुरआन के सूरे ताहा की 55वीं आयत की तिलावत करते थे जिसमें महान ईश्वर कहता है” मैंने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया है और मिट्टी की ओर ही पलटायेंगे और फिर मिट्टी से बाहर निकालेंगे।" उसी समय हज़रत अली अलैहिस्सलाम का ध्यान इस ओर गया कि उन पर हमला करने वाले को लोगों ने पकड़ लिया है और उसे मार रहे हैं तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने चिल्लाकर कहा उसे न मारो उसने मुझे मारा है उसका पक्ष मैं हूं। उसे छोड़ दो! उस समय भी हज़रत अली अलैहिस्सलाम को अपने सिर की चिंता नहीं थी जब उनका सिर खून से लथ-पथ था। जब उन्हें घर लाया गया तो उन्होंने वसीयत की जो पूरे मानव इतिहास के लिए पाठ है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम के आह्वान पर बनी हाशिम की समस्त संतानें और हस्तियां उनके बिस्तर के पास जमा हो गयीं। जो भी हज़रत अली अलैहिस्सलाम के कमरे में दाखिल होता था वह अनियंत्रित होकर रोने लगता था परंतु हज़रत अली अलैहिस्सलाम सबको तसल्ली देते और धैर्य बधाते और फरमाते थे" धैर्य करो, दुःखी न हो, व्याकुल न हो। अगर तुम लोग यह जान जाओ कि मैं क्या सोच रहा हूं और क्या देख रहा हूं तो कदापि दुःखी नहीं होगे। जान लो कि मेरी पूरी आकांक्षा व कामना यह है कि जल्द से जल्द अपने स्वामी पैग़म्बर से मिल जाऊं। मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द अपनी कृपालु व त्यागी पत्नी ज़हरा से मुलाक़ात करूं।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम का सिर खून से लत-पथ था, पूरा शरीर ज्वर से जल रहा था। उस हालत में उन्होंने अपने बड़े सुपुत्र इमाम हसन अलैहिस्सलाम को बुलाया और फरमाया मेरे बेटे हसन! आगे आओ। इमाम हसन अलैहिस्सलाम आगे आये और अपने पिता हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पास बैठ गये। हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने आदेश दिया कि मेरे बक्से को लाया जाये। बक्सा लाया गया। हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने बक्से को सबके सामने खोला। उसमें ज़ूल फेकार तलवार, पैग़म्बरे इस्लाम की पगड़ी और रिदा नाम का विशेष परिधान, एक पुस्तिका और एक पवित्र कुरआन जिसे स्वयं हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने एकत्रित किया था। एक- एक करके सबको इमाम हसन अलैहिस्सलाम के हवाले किया और उपस्थित लोगों को गवाही के लिए बुलाया और फरमाया" तुम सब गवाह रहना कि मेरे बाद हसन पैग़म्बरे इस्लाम के नाती मार्गदर्शक हैं। उसके बाद थोड़ा ठहरे और उसके पश्चात दोबारा इमाम हसन अलैहिस्सलाम को संबोधित किया और कहा मेरे बेटे! तू मेरे बाद इमाम होगा। अगर तू चाहना तो मेरे हत्यारे को माफ़ कर देना। इसे तुम खुद समझना और अगर तुम उसे दंडित करना चाहो तो इस बात का ध्यान रखना कि उसने मुझ पर एक ही वार किया था इसलिए तुम उस पर एक ही वार करना और प्रतिशोध को ईश्वरीय सीमा से हटकर नहीं होना चाहिये। उसके बाद हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने इमाम हसन अलैहिस्लाम से फरमाया बेटे! कलम और कागज़ लाओ और सबके सामने जो बोल रहा हूं उसे लिखो। इसके बाद इमाम हसन अलैहिस्सलाम कागज़ कलम लाये और बाप की वसीयत को लिखने के लिए तैयार हुए तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने इस प्रकार फरमाया उस ईश्वर के नाम से जो बहुत कृपालु व दयालु है यह वही चीज़ है जिसकी अली वसीयत करते हैं। उनकी पहली वसीयत यह है कि वह गवाही दे रहे हैं कि ईश्वर के अतिरिक्त दूसरा कोई पूज्य नहीं है। वह ईश्वर जिसका कोई समतुल्य नहीं है और यह भी गवाही दे रहा हूं कि मोहम्मद उसके बंदे व दूत हैं। ईश्वर ने उन्हें लोगों के मार्गदर्शन के लिए भेजा ताकि उनका धर्म दूसरे धर्मों पर छा जाये यद्यपि यह बात काफिरों को नापसंद ही क्यों न हो। उसके बाद हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहत हैं बेशक नमाज़, उपासना, जिन्दगी और मेरी मौत सब ईश्वर के हाथ में और उसी के लिए है। उसका कोई समतुल्य नहीं, मुझे इस कार्य का आदेश दिया गया है और मैं ईश्वर के समक्ष नतमस्तक हूं।“
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने महान ईश्वर और पैग़म्बरे इस्लाम की गवाही देने के बाद समस्त अहलेबैत और उन समस्त लोगों को तकवे अर्थात ईश्वरीय भय, काम में कानून व नियम और एक दूसरे के साथ शांति व दोस्ती से रहने की सिफारिश की जिन लोगों तक यह वसीयत पहुंचे। हज़रत अली अलैहिस्सलाम आगे अपनी वसीयत में कहते हैं” मैंने पैग़म्बरे इस्लाम से सुना है कि उन्होंने फरमाया है” लोगों के बीच सुधार करना कई साल के नमाज़ और रोज़े से बेहतर है।“
इसके बाद हज़रत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि सामाजिक कार्यों में समस्त इंसानों को कानून के प्रति कटिबद्ध होना चाहिये। क्योंकि किसी समाज की सफलता की पहली शर्त सामाजिक नियमों के प्रति कटिबद्धता है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम इसी प्रकार लोगों के बीच शांति व दोस्ती पर बल देते हैं और उसे इस्लामी समाज के लिए ज़रूरी मानते हैं। क्योंकि हज़रत अली अलैहिस्सलाम की दृष्टि में पवित्र कुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम की परम्परा समस्त मतभेदों के साथ सभी मुसलमानों के लिए शरण स्थली है जहां वे शरण लेते हैं और समस्त कबायल और गुट एक दूसरे के साथ एकत्रित होते हैं। अतः हज़रत अली अलैहिस्सलाम अपने जीवन के अंतिम क्षणों में एकता और लोगों के मध्य दोस्ती के लिए प्रयास को नमाज़ और रोज़ा से बेहतर बताते हैं।
इंसानों के जीवन में बहुत सी कमियां होती हैं जिनकी भरपाई लोगों के मध्य दोस्ती व प्रेम से की जा सकती है। इस मध्य अनाथ बच्चे सबसे अधिक प्रेम की आवश्यकता का आभास करते हैं। ये बच्चे मां या बाप की मृत्यु के कारण प्रेम के स्रोत से दूर हो गये हैं और वे हर चीज़ से अधिक प्रेम की आवश्यकता का आभास करते हैं। यह बात इतनी महत्वपूर्ण है कि महान व सर्वसमर्थ ईश्वर इसका उल्लेख पवित्र कुरआन के सूरे निसा की 36वीं आयत में माता- पिता के साथ भलाई के बाद करता है। महान ईश्वर कहता है” माता- पिता, परिजनों, अनाथों और मिसकिनों व बेसहारा लोगों के साथ अच्छाई करो।“
हज़रत अली अलैहिस्सलाम अनाथ बच्चों से बहुत प्रेम करते थे इसी कारण उन्हें अनाथों के पिता की उपाधि दी गयी है और वे अपनी वसीयत में अनाथों पर ध्यान देने पर बहुत बल देते हुए कहते हैं” ईश्वर के लिए ईश्वर के लिए एसा न होने पाये कि उनका कभी पेट भरे और कभी वे भूखे रहें।“
इसी प्रकार हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अपनी वसीयत में एक अच्छे परिवार और समस्त इंसानों के मार्गदर्शक के रूप में पवित्र कुरआन पर ध्यान देने और उसकी शिक्षाओं पर अमल करने की सिफारिश की है। इसी प्रकार हज़रत अली अलैहिस्सलाम नमाज़ को धर्म का स्तंभ बताते हुए उसकी भी बहुत सिफारिश करते हैं। वह काबे में उपस्थित होने और हज अंजाम देने पर भी बहुत बल देते हैं। हज़रत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं” ईश्वर के लिए ईश्वर के लिए कुरआन के प्रति होशियार रहो कि दूसरे उस पर अमल करने में तुमसे आगे न निकल जायें। ईश्वर के लिए ईश्वर के लिए कि नमाज़ तुम्हारे धर्म का स्तंभ है और अपने पालनहार के घर के अधिकार का ध्यान रखो और जब तक हो उसे खाली न छोड़ो और अगर उसका सम्मान बाकी नहीं रखे तो तुम पर ईश्वरीय मुसीबतें नाज़िल होंगी।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम अपने जीवन की अंतिम वसीयत में महान ईश्वर की राह में जान व माल से जेहाद करने की सिफारिश करते हैं और इसी प्रकार वे मोमिनों का अच्छे कार्यों को अंजाम देने और बुरे कार्यों से दूरी और आपस में दोस्ती, एकता व संबंध रखने का आह्वान करते हैं। हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने वसीयत कर लेने के बाद एक- एक पर दोबारा नज़र डाली और फरमाया ईश्वर तुम सबका और तुम्हारे परिवार की रक्षा करे और तुम्हारे पैग़म्बर का जो अधिकार तुम पर उसकी रक्षा करो अब मैं तुमसे विदा ले रहा हूं। तुम्हें ईश्वर के हवाले कर रहा हूं। तुम सब पर ईश्वर का सलाम और उसकी दया हो। उस समय हज़रत अली अलैहिस्सलाम के माथे पर पसीना आने लगा। अपने नेत्रों को बंद कर लिया और धीरे से कहा मैं गवाही देता हूं कि ईश्वर के अलावा कोई पूज्य नहीं उसका कोई समतुल्य नहीं और मैं गवाही देता हूं कि मोहम्मद उसके बंदे और उसके दूत हैं।“ इसके बाद हज़रत अली अलैहिस्सलाम इस नश्वर संसार से परलोक सिधार गये।