
رضوی
शब ए क़द्र की अज़मत
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने एक रिवायत में शब ए क़द्र की अज़मत को बयान फरमाया हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार ,,पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول الله صلی الله علیه وآله وسلم
في أوَّلِ لَيلَةٍ مِن شَهرِ رَمَضانَ تُغَلُّ المَرَدَةُ مِنَ الشَّياطينِ ، و يُغفَرُ في كُلِّ لَيلَةٍ سَبعينَ ألفا ، فَإِذا كانَ في لَيلَةِ القَدرِ غَفَرَ اللّه ُ بِمِثلِ ما غَفَرَ في رَجَبٍ وشَعبانَ وشَهرِ رَمَضانَ إلى ذلِكَ اليَومِ إلاّ رَجُلٌ بَينَهُ وبَينَ أخيهِ شَحناءُ، فَيَقولُ اللّه ُ عز و جل : أنظِروا هؤُلاءِ حَتّى يَصطَلِحوا
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया:
माहें रमज़ान उल मुबारक की पहली रात को शैतान को बांध दिया जाता है और हर रात 70हज़ार लोगों के गुनाह बख्श दिए जाते हैं और जब शबे कद्र आती है तो जितने लोग की माहे रजब,शाबान और रमज़ान में बख्शीश होती थी,अल्लाह तआला इतने ही लोगों को सिर्फ इसी रात बख्श देता है मगर दो मोमिन भाइयों की आपस में दुश्मनी(जो गैरक्षमा का कारण बनता हैं) तो इस सूरत में अल्लाह ताला फरमाता है कि जब तक यह आपस में सुलाह नहीं कर लेते तब तक उनकी मगफिरत को टाल दो,
बिहारूल अनवार,97/36/16
क़द्र की रात में क़ुरआन का उतरना
पवित्र रमज़ान के अन्तिम दस दिन, रोज़ा रखने वालों के लिए विशेष रूप से आनंदाई होते हैं।
इन दस रातों में पड़ने वाली शबेक़द्र या बरकत वाली रातों को छोटे-बड़े, बूढ़े-जवान, पुरूष-महिला, धनवान व निर्धन, ज्ञानी व अज्ञानी सबके सब निष्ठा के साथ रात भर ईश्वर की उपासना करते हैं। इन रातों अर्थात शबेक़द्र में लोगों के बीच उपासना के लिए विशेष प्रकार का उत्साह पाया जाता है। लोग पूरी रात उपासना में गुज़ारते हैं।
शबेक़द्र को इसलिए शबेक़द्र कहा जाता है क्योंकि पवित्र क़ुरआन के अनुसार इसी रात मनुष्य के पूरे वर्ष का लेखाजोखा निर्धारित किया जाता है। यह ऐसी रात है जो हज़ार महीनों से भी अधिक महत्वपूर्ण है। यह रात उन लोगों के लिए सुनहरा अवसर है जिनके हृदय पापों से मुर्दा हो चुके हैं। यह बहुत ही बरकत वाली रात है। इस रात में उपासना करके मनुष्य जहां अपने पापों का प्रायश्चित कर सकता है वहीं पर आने वाले साल में अपने लिए सौभाग्य को निर्धारित कर सकता है।
पवित्र क़ुरआन के सूरेए क़द्र में ईश्वर कहता है कि हमने क़ुरआन को शबेक़द्र में नाज़िल किया और तुमको क्या मालूम के शबेक़द्र क्या है? शबेक़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है। इस रात फ़रिश्ते और रूह, सालभर की हर बात का आदेश लेकर अपने पालनहार के आदेश से उतरते हैं। यह रात सुबह होने तक सलामती है। सूरए क़द्र में बताया गया है कि क़ुरआन क़द्र की रात में नाज़िल किया गया जो रमज़ान के महीने में पड़ती है। इस रात को हज़ार महीनों से बेहतर कहा गया है। क़ुरआन की आयतों से यह पता चलता है कि क़ुरआन को दो रूपों में नाज़िल किया गया है एक तो एक बार में और दूसरे चरणबद्ध रूप से। पहले चरण में क़ुरआन एक ही बार में पैग़म्बरे इस्लाम (स) पर उतरा। यह क़द्र की रात थी जिसे शबेक़द्र कहा जाता है। बाद के चरण में क़ुरआन के शब्द पूरे विस्तार के साथ धीरे-धीरे अलग-अलग अवसरों पर उतरे जिसमें 23 वर्षों का समय लगा।
क़द्र की रात में क़ुरआन का उतरना भी इस बात का प्रमाण है कि यह महान ईश्वरीय ग्रंथ निर्णायक ग्रंथ है। क़ुरआन, मार्गदर्शन के लिए ईश्वर का बहुत बड़ा चमत्कार तथा सौभाग्यपूर्ण जीवन के लिए सर्वोत्तम उपहार है। इस पुस्तक में वह ज्ञान पाया जाता है कि यदि दुनिया उस पर अमल करे तो संसार, उत्थान और महानता के चरम बिंदु पर पहुंच जाएगा।
सूरए क़द्र में उस रात को, जिसमें क़ुरआन उतारा गया, क़द्र की रात अर्थात अति महत्वपूर्ण रात कहा गया है। क़द्र से तात्पर्य है मात्रा और चीज़ों का निर्धारण। इस रात में पूरे साल की घटनाओं और परिवर्तनों का निर्धारण किया जाता है। सौभाग्य, दुर्भाग्य और अन्य चीज़ों की मात्रा इसी रात में तय की जाती है। इस रात की महानता को इससे समझा जा सकता है कि क़ुरआन ने इसे हज़ार महीनों से बेहतर बताया है। रिवायत में है कि क़द्र की रात में की जाने वाली उपासना हज़ार महीने की उपासनाओं से बेहतर है। सूरए क़द्र की आयतें जहां इंसान को इस रात में उपासना और ईश्वर से प्रार्थना की निमंत्रण देती हैं वहीं इस रात में ईश्वर की विशेष कृपा का भी उल्लेख करती हैं और बताती हैं कि किस तरह इंसानों को यह अवसर दिया गया है कि वह इस रात में उपासना करके हज़ार महीने की उपासना का सवाब प्राप्त कर लें। पैग़म्बरे इस्लाम का कथन है कि ईश्वर ने मेरी क़ौम को क़द्र की रात प्रदान की है जो इससे पहले के पैग़म्बरों की क़ौमों को नहीं मिली है।
रिवायत में है कि क़द्र की रात में आकाश के दरवाज़े खुल जाते हैं, धरती और आकाश के बीच संपर्क बन जाता है। इस रात फ़रिश्ते ज़मीन पर उतरते हैं और ज़मीन प्रकाशमय हो जाती है। वे मोमिन बंदों को सलाम करते हैं। इस रात इंसान के हृदय के भीतर जितनी तत्परता होगी वह इस रात की महानता को उतना अधिक समझ सकेगा। क़ुरआन के अनुसार इस रात सुबह तक ईश्वरीय कृपा और दया की वर्षा होती रहती है। इस रात ईश्वर की कृपा की छाया में वह सभी लोग होते हैं जो जागकर इबादत करते हैं।
शबेक़द्र की एक विशेषता, आसमान से फ़रिश्तों का उस काल के इमाम पर उतरना है। इस्लामी कथनों के अनुसार शबेक़द्र केवल पैग़म्बरे इस्लाम (स) के काल से विशेष नहीं है बल्कि यह प्रतिवर्ष आती है। इसी रात फरिश्ते अपने काल के इमाम के पास आते हैं और ईश्वर ने जो आदेश दिया है उसे वे उनको बताते हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) का कथन है कि रमज़ान का महीना, ईश्वर का महीना है। यह ऐसा महीना है जिसमें ईश्वर भलाइयों को बढ़ाता है और पापों को क्षमा करता है। यह सब रमज़ान के कारण है। इमाम जाफ़र सादिक अलैहिस्सलाम कहते हैं कि लोगों के कर्मों के हिसाब का आरंभ शबेक़द्र से होता है क्योंकि उसी रात अगले वर्ष का भाग्य निर्धारित किया जाता है।
शबेक़द्र के इसी महत्व के कारण इसका हर पल महत्व का स्वामी है। इस रात जागकर उपासना करने का विशेष महत्व है। इस रात की अनेदखी करना अनुचित है। इस रात को सोते रहना उसे अनदेखा करने के अर्थ में है अतः एसा करने से बचना चाहिए। शबेक़द्र के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) इस रात अपने घरवालों को जगाए रखते थे। जो लोग नींद में होते उनके चेहरे पर पानी की छींटे मारते थे। वे कहते थे कि जो भी इस रात को जागकर गुज़ारे, अगले साल तक उससे ईश्वरीय प्रकोप को दूर कर दिया जाएगा और उसके पिछले पापों को माफ किया जाएगा। पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा शबेक़द्र में अपने घर के किसी भी सदस्य को सोने नहीं देती थीं। इस रात वे घर के सदस्यों को खाना बहुत हल्का देती थीं और स्वयं एक दिन पहले से शबेक़द्र के आगमन की तैयारी करती थीं। वे कहती थीं कि वास्वत में दुर्भागी है वह व्यक्ति जो विभूतियों से भरी इस रात से वंचित रह जाए।
शबेक़द्र को शबे एहया भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है जीवित करना। इस रात को शबे एहया इसलिए कहा जाता है ताकि रात में ईश्वर की याद में डूबकर अपने हृदय को पवित्र एवं जीवित किया जा सके। हृदय को जीवित करने का अर्थ है बुरे कामों से दूरी। मरे हुए हृदय का अर्थ है सच्चाई को न सुनना, बुरी बातों को देखते हुए खामोश रहना। झूठ और सच को एक जैसा समझना और अपने लिए मार्गदर्शन के रास्तों को बंद कर लेना। इस प्रकार के हृदय के स्वामी को क़ुरआन, मुर्दा बताता है। ईश्वर के अनुसार ऐसा इन्सान चलती-फिरती लाश के समान है। जिस व्यक्ति का मन मर जाए वह पशुओं की भांति है। उसमें और पशु में कोई अंतर नहीं है। पापों की अधिकता के कारण पापियों के हृदय मर जाते हैं और वे जानवरों की भांति हो जाते हैं।
अपने बंदों पर ईश्वर की अनुकंपाओं में से एक अनुकंपा यह है कि उसने मरे हुए दिलों को ज़िंदा करने के लिए कुछ उपाय बताए हैं। इस्लामी शिक्षाओं में बताया गया है कि ईश्वर पर भरोसा, प्रायश्चित, उपासना और प्रार्थना, दान-दक्षिणा और भले काम करके मनुष्य अपने मरे हुए हृदय को जीवित कर सकता है। ईश्वर ने शबेक़द्र को इसीलिए बनाया है कि मनुष्य इस रात पूरी निष्ठा के साथ उपासना करके अपने मन को स्वच्छ और शुद्ध कर सकता है। यही कारण है कि शबेक़द्र की पवित्र रात के प्रति किसी भी प्रकार की निश्चेतना को बहुत बड़ा घाटा बताया गया है। इसीलिए महापुरूष इस रात के एक-एक क्षण का सदुपयोग करते हुए सुबह तक ईश्वर की उपासना में लीन रहा करते थे।
हम लेबनान और प्रतिरोध के साथ खड़े हैं
सैयद अब्दुल मलिक अलहौसी यमन के अंसारुल्लाह के नेता ने लेबनान की जनता को संबोधित करते हुए कहा,हम अपने भाइयों हिज़्बुल्लाह और लेबनान की जनता से कहते हैं कि आप अकेले नहीं हैं और हम हर आक्रमण में आपके साथ खड़े हैं।
अंसारुल्लाह आंदोलन के नेता सैयद अब्दुल मलिक अलहौसी ने कहा कि हमने इस्राइली हमलों को लेबनान के विभिन्न क्षेत्रों में देखा है और उन्होंने इसे अकारण आक्रमण करार दिया है।
यमन के अंसारुल्लाह नेता ने जोर देकर कहा, हम अपने स्पष्ट और सिद्धांतों पर आधारित रुख पर कायम हैं और किसी भी बड़े घटनाक्रम या समग्र रूप से बढ़ते तनाव की स्थिति में अपने भाइयों, हिज़्बुल्लाह और लेबनान की जनता का समर्थन करते रहेंगे।
उन्होंने कहा,हम लेबनान पर हो रहे इस्राइली हमलों के केवल दर्शक नहीं रहेंगे। साथ ही उन्होंने लेबनान की जनता और हिज़्बुल्लाह से कहा,आप अकेले नहीं हैं और हम हर आक्रमण में आपके साथ हैं।
सैयद अब्दुल मलिक ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी भी परिस्थिति में हस्तक्षेप की आवश्यकता हुई तो हम अपने भाइयों हिज़्बुल्लाह और लेबनान की जनता के साथ खड़े होंगे और इसके लिए हम पूरी तरह तैयार हैं।
हज़रत इमाम अली अ.स.कुरआने नातिक,और मज़हरे ईल्ही
आयतुल्लाह उलमा ने कहा,हज़रत अमीरुल मोमिनीन (अ) स्वयं फरमाते हैं,أنا القرآن الناطق" यानी "मैं बोलता हुआ क़ुरान हूँ। वे इलाही ज्ञान के प्रतीक और "لسان الله" (अल्लाह की वाणी) हैं, और उनका कलाम वही है जो अल्लाह का कलाम है।
आयतुल्लाह उलमा ने माहे रमज़ान के दौरान नैतिकता पर एक पाठ सत्र में जो कि रविवार को क़ुम स्थित हज़रत इमाम ख़ुमैनी रह. हुसैनिया में सर्वोच्च नेता के कार्यालय में आयोजित हुआ अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अ.ल. की ब्रह्मांडीय स्थिति और उनकी पैगंबर मुहम्मद (स) से संबंध पर चर्चा की।
रसूलुल्लाह (स.ल.व.व.) और अमीरुल मोमिनीन (अ) एक ही नूर से है।
उन्होंने पैगंबर (स) की एक हदीस का हवाला देते हुए कहा,मुझे और अली (अ) को एक ही नूर से पैदा किया गया है उन्होंने इस पर बल दिया कि पैगंबर (स) और अमीरुल मोमिनीन (अ) की विश्व-दृष्टि एक समान है और ये दोनों महान हस्तियां समान स्तर पर हैं।
हज़रत मासूम (अ.स.) ही अस्तित्व और आध्यात्मिक सच्चाइयों के वास्तविक स्रोत:
आयतुल्लाह अलमा ने कहा कि मासूम (अ) ही वे हस्तियां हैं जो अस्तित्व आध्यात्मिक संसार (मलकूत) और रहस्यमयी आध्यात्मिक अवस्थाओं की वास्तविकता को व्यक्त कर सकती हैं। क्योंकि वे पूरी तरह से अस्तित्व की सच्चाइयों को समझते हैं। गैरमासूम व्यक्ति भले ही कुछ हद तक इन वास्तविकताओं को जान ले, लेकिन वह कभी भी पूर्णता तक नहीं पहुँच सकता।
अमीरुल मोमिनीन (अ) बोलता क़ुरान और इलाही ज्ञान का प्रतीक:
उन्होंने हज़रत अली (अ.स.) की महानता को बताते हुए कहा,अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) ने स्वयं फरमाया: 'أنا القرآن الناطق' (मैं बोलता हुआ क़ुरान हूँ)।यानी उनका ज्ञान, उनकी वाणी, और उनके कार्य सभी दिव्य ज्ञान के प्रतिबिंब हैं। वे "लिसानुल्लाह" (अल्लाह की वाणी) हैं और उनका कथन वही है जो ईश्वर का कथन है।
सलमान फ़ारसी (रह.)बोलते क़ुरान के सच्चे अनुयायी:
आयतुल्लाह उलमा ने सलमान फ़ारसी (रह.) के जीवन पर चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने पैगंबर (स.ल.) और अमीरुल मोमिनीन (अ) के प्रति संपूर्ण समर्पण दिखाया, जिसके कारण उन्हें "सलमानु मिन्ना अहलुल बैत" (सलमान हमारे अहलुल बैत में से हैं) का सम्मान प्राप्त हुआ। यह दर्शाता है कि जो भी क़ुरान और अहलुल बैत (अ) के मार्ग पर चलेगा वह उच्च आध्यात्मिक स्थान प्राप्त कर सकता है।
शबे मेराज और अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) का दिव्य स्थान:
इस्लामी विद्वान ने पैगंबर (स.ल.) की मेराज का उल्लेख करते हुए कहा कि उस रात अल्लाह ने पैगंबर (स) को आदेश दिया कि वे सभी पैगंबरों से पूछें कि वे किस उद्देश्य से भेजे गए थे। सभी पैगंबरों ने उत्तर दिया कि हम तौहीद अंतिम पैगंबर (स) की रिसालत और अमीरुल मोमिनीन (अ) की विलायत के प्रचार के लिए भेजे गए हैं।यह स्पष्ट करता है कि हज़रत अली (स.ल.) की विलायत ब्रह्मांडीय और ईश्वरीय व्यवस्था का एक अनिवार्य अंग है।
अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) की ओर देखना सर्वोच्च इबादत:
उन्होंने हज़रत अबूज़र ग़िफ़ारी (रह.) की एक हदीस का उल्लेख करते हुए कहा,अमीरुल मोमिनीन (अ) की ओर देखना भी एक इबादत है क्योंकि वे ईश्वरीय न्याय का मापदंड और न्याय का तराजू हैं। हमें अपने विश्वास, आचरण और कर्मों में अमीरुल मोमिनीन (अ) को अपना संपूर्ण आदर्श बनाना चाहिए।
इमाम मासूम (अ.स.)सीरत-ए-मुस्तकीम" और ईश्वरीय न्याय का तराजू:
अंत में उन्होंने कहा कि हम सभी मासूम इमामों (अ.स.) के प्रति पूर्ण रूप से निर्भर हैं, क्योंकि वे ईश्वरीय प्रकाश के पूर्ण प्रतीक और अल्लाह के सत्य प्रतिबिंब हैं। केवल उन्हीं के माध्यम से हम अस्तित्व की वास्तविकता और ईश्वरीय ज्ञान को समझ सकते हैं।
वाशिंगटन: यमनियों ने हमको भारी ख़र्चे में डाल दिया है,
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने एलान किया है: यमनी सशस्त्र बलों के हमलों ने जहाज़ों को महंगा रास्ता अपनाने पर मजबूर कर दिया है।
फ़िलिस्तीन की निहत्थी और मज़लूम जनता के विरुद्ध ज़ायोनी हमलों के जारी रहने के कारण यमनी सशस्त्र बलों ने एक बार फिर ज़ायोनी शासन के जहाजों को अपने जलक्षेत्रों में निशाना बनाया है।
अल-आलम चैनल का हवाला देते हुए, इस मुद्दे ने तेल अवीव और इज़राइल के सबसे करीबी सहयोगी अमेरिका को भारी ख़र्चे में डाल दिया है।
इस बुनियाद पर, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने कहा: यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के हमलों के कारण तीन-चौथाई अमेरिकी ध्वज वाले जहाजों ने लाल सागर पार करने से इनकार कर दिया और इसके बजाय दक्षिण अफ्रीका से होते हुए लंबा और महंगा मार्ग चुना है।
सीबीएस से एक साक्षात्कार में, वाल्ट्ज ने कहा: अमेरिकी ध्वज के तहत 75 प्रतिशत जहाजों को अब स्वेज नहर से जाने के बजाय अफ्रीका के दक्षिणी तट से गुज़रना पड़ता है।
उन्होंने आगे कहा: पिछली बार जब हमारा कोई डिस्ट्रायर यमन के पास जलडमरूमध्य से गुजरा था, तो उस पर 23 बार हमला किया गया था।
वाशिंगटन से बातचीत से इनकार करना हठ नहीं बल्कि अनुभव का नतीजा है: ईरान
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने कहा कि जब तक कुछ बदलाव नहीं किए जाते, अमेरिका के साथ बातचीत नहीं हो सकती।
क्षेत्र में बढ़ते तनाव और ईरान को अमेरिकी चेतावनियों के बीच नए परमाणु समझौते पर वार्ता के आह्वान के बावजूद, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने जोर देकर कहा है कि उनका देश अमेरिका के साथ तब तक वार्ता नहीं कर सकता जब तक कि कुछ बदलाव नहीं किए जाते। रविवार को एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वाशिंगटन के साथ बातचीत से इनकार करना हठ नहीं बल्कि इतिहास और अनुभव का परिणाम है।
ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि 2015 के परमाणु समझौते को उसके वर्तमान स्वरूप में बहाल नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे एक मॉडल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके देश ने अपनी परमाणु स्थिति में महत्वपूर्ण प्रगति की है। अब्बास अराक्ची ने कहा कि अमेरिकी पक्ष के साथ किसी भी वार्ता का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य प्रतिबंधों को हटाना है। उन्होंने कहा कि ईरान हमेशा युद्ध से बचता रहा है और वह युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वह इसके लिए तैयार है और इससे डरता नहीं है। अराक्ची ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ओमान के माध्यम से तेहरान को भेजे गए हालिया संदेश को उसके परमाणु कार्यक्रम से भी बड़ा खतरा बताया। इस बीच, एक अमेरिकी अधिकारी और दो अन्य जानकार सूत्रों ने खुलासा किया है कि ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई को लिखे ट्रम्प के पत्र में नए परमाणु समझौते पर पहुंचने के लिए दो महीने की समय सीमा भी शामिल है। हालाँकि, खामेनेई ने पिछले शुक्रवार को दोहराया कि अमेरिकी धमकियाँ कोई फायदा नहीं पहुँचातीं। तेहरान ने किसी भी सैन्य कार्रवाई के भयंकर परिणामों की भी चेतावनी दी है। 7 मार्च को अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान के साथ परमाणु युद्ध विराम पर बातचीत करना उनकी प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही उन्होंने सैन्य टकराव की संभावना से भी इनकार नहीं किया।
मुस्लिम उम्माह को ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी आक्रमण के खिलाफ़ एकजुट होना चाहिए: यमनी विद्वान
यमन के विद्वानों ने एक बयान में ज़ायोनी दुश्मन की वादाखिलाफी, समझौतों के उल्लंघन, युद्ध की बहाली और नरसंहार पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जो लोग इस उत्पीड़न के खिलाफ खड़े नहीं होंगे, उनके लिए अल्लाह की दृष्टि में कोई बहाना स्वीकार्य नहीं होगा।
यमनी विद्वानों ने एक बयान में ज़ायोनी दुश्मन की वादाखिलाफी, समझौतों के उल्लंघन, युद्ध की बहाली और नरसंहार पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जो लोग इस उत्पीड़न के खिलाफ खड़े नहीं होंगे, उनके लिए अल्लाह की दृष्टि में कोई बहाना स्वीकार्य नहीं होगा।
बयान में कहा गया है कि गाजा, पश्चिमी तट और फिलिस्तीन में विनाशकारी हमलों, बमबारी, भूख और प्यास के खिलाफ केवल निंदा या खेद व्यक्त करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि व्यावहारिक उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
यमनी विद्वानों ने उम्माह के सभी वर्गों - लोगों, सेना, शासकों, विद्वानों और धर्म प्रचारकों - को इस बर्बरता के खिलाफ उठ खड़े होने की उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाई। गाजा की रक्षा और अल-अक्सा मस्जिद की मुक्ति के लिए सम्पूर्ण जिहाद ही इस दुनिया और परलोक की बदनामी से बचने का एकमात्र रास्ता है।
बयान में कहा गया कि युद्ध को फिर से शुरू करने का इजरायल का निर्णय संयुक्त राज्य अमेरिका की अनुमति, सैन्य सहायता और पूर्ण समर्थन के बिना संभव नहीं होता। इसी प्रकार, अरब शासकों की चुप्पी और शर्मनाक मिलीभगत ने भी ज़ायोनी आक्रामकता को बढ़ावा दिया है।
यमनी विद्वानों ने पड़ोसी देशों, लोगों, सेनाओं और उनके नेतृत्व पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि यदि वे इस नरसंहार को रोकने के लिए एकजुट नहीं हुए तो उन्हें अल्लाह के क्रोध और दंड का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने अंसारुल्लाह के नेता सय्यद अब्दुल मलिक बदर अल-दीन अल-हौथी के गाजा को समर्थन देने के निर्णय को उचित ठहराया तथा हवाई और नौसैनिक सैन्य अभियानों सहित हर संभव विकल्प का समर्थन किया।
यमनी विद्वानों ने स्पष्ट किया कि गाजा का समर्थन करना एक धार्मिक कर्तव्य, धार्मिक और नैतिक जिम्मेदारी, सच्चे इस्लामी भाईचारे की व्यावहारिक अभिव्यक्ति और मुसलमानों के बीच सहानुभूति और सहयोग का एक सच्चा रूप है।
नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और गिरफ्तारी की मांग तेज़
बेंजामिन नेतन्याहू पर अलोकतांत्रिक कदम उठाने, और ग़ाज़ा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए बंधकों की रिहाई की अनदेखी करने का आरोप लगाने के बाद हजारों इज़रायली नागरिकों ने इज़रायल के प्रधानमंत्री नेेन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन किया और गिरफ्तारी की मांग की।
बेंजामिन नेतन्याहू पर अलोकतांत्रिक कदम उठाने, और ग़ाज़ा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए बंधकों की रिहाई की अनदेखी करने का आरोप लगाने के बाद हजारों इज़रायली नागरिकों ने इज़रायल के प्रधानमंत्री नेेन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन किया और गिरफ्तारी की मांग की।
इज़रायली निवासियों ने एक बार फिर नेतन्याहू की कैबिनेट की कार्रवाइयों का विरोध किया, जिसमें शबाक के प्रमुख को बर्खास्त करने का निर्णय भी शामिल था।
आईएसएनए के अनुसार, इज़रायली निवासियों ने शनिवार रात नेतन्याहू की कैबिनेट की कार्रवाइयों के खिलाफ तेल अवीव और कब्जे वाले क्षेत्रों में कई अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया जिसमें शबाक प्रमुख रोनिन बार को बर्खास्त करने का निर्णय और ग़ाज़ा युद्धविराम का उल्लंघन भी शामिल था।
टाइम्स ऑफ इज़रायल” अखबार ने बताया कि शबाक प्रमुख को हटाने के नेतन्याहू के फैसले के बाद उनके मंत्रिमंडल के खिलाफ साप्ताहिक प्रदर्शनों में लोगों की भागीदारी बढ़ गई है।नेतन्याहू ने हमास के लिए नहीं, बल्कि कैदियों के लिए नर्क के द्वार खोले हैं: बंधकों के परिजन ने कहा,
इज़रायली कैदियों के परिवारों ने ग़ाज़ा में युद्ध फिर से शुरू करने के नेतन्याहू के फैसले की कड़ी आलोचना की और इज़रायली प्रधानमंत्री के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन की मांग की।
इज़रायली कैदियों के परिवारों ने नेतन्याहू से कहा कि वह कैदियों को मार डालेंगे और इस शासन को नष्ट कर देंगे। ज़ायोनी कैदियों के परिवारों ने कहा कि नेतन्याहू ने अपने सहयोगियों, स्मोट्रिच और बेंगुइर को संतुष्ट करने के लिए कैदियों के जीवन का बलिदान देने का फैसला किया है।
उन्होंने कहां, नेतन्याहू ने समझौते को लागू करने और कैदियों को वापस करने के बजाय युद्ध फिर से शुरू करने का फैसला किया नेतन्याहू ने बंधकों के लिए नर्क के द्वार खोले हैं।
तुर्क पुलिस और "अकरम इमाम ओग्लू" का समर्थन करने वाले प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष जारी
इस्तांबुल के हिरासत में लिए गए मेयर "इकराम इमाम ओग्लू" का समर्थन करने वाले प्रदर्शनकारियों के साथ तुर्क पुलिस की झड़प हुई।
मुख्य विपक्षी हस्तियों में से एक और तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान के संभावित प्रतिद्वंद्वी इस्तांबुल के मेयर को बुधवार को देश की सरकार ने भ्रष्टाचार और आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
अर्दोग़ान सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ तुर्किये के कई प्रांतों में प्रदर्शन जारी है और प्रदर्शनकारी इस्तांबुल के निर्वासित मेयर अकरम इमाम ओग्लू की रिहाई की मांग कर रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार रात को "इमाम ओग्लू" की रिहाई के लिए आयोजित प्रदर्शनों में तुर्की विश्वविद्यालयों के छात्रों ने व्यापक रूप से भाग लिया।
इमाम ओग्लू से पूछताछ
दूसरी ओर, अल-मयादीन चैनल ने बताया: इस्तांबुल के गिरफ्तार मेयर से पूछताछ शनिवार रात को समाप्त हो गई और वह अपने खिलाफ फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार, तुर्किये के सरकारी अभियोजक ने "इमाम ओग्लू" के लिए जेल की सजा की अपील की है और अदालत जल्द ही अपना फ़ैसला सुनाएगा। वहीं, ''इमाम ओग्लू'' ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों का जोरदार खंडन किया है।
एक्स नेटवर्क ने तुर्किये में कई विपक्षी एकाउंट्स बंद कर दिए
इस बीच, सोशल नेटवर्क एक्स ने तुर्किये में विपक्षी हस्तियों से संबंधित कई एकाउंट्स को बंद कर दिया है। कहा जा रहा है कि ये अकाउंट वामपंथी और छात्र ग्रुप्स के हैं जिन्होंने 19 मार्च को इमाम ओग्लू की गिरफ्तारी के बाद से सरकार विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
तुर्किये में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया
तुर्किये के आंतरिक मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की कि इमाम ओग्लू की गिरफ्तारी के विरोध में कई तुर्की शहरों में शुक्रवार रात प्रदर्शन के दौरान 343 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस मंत्रालय की घोषणा के अनुसार, "सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी" को रोकने के लिए गिरफ्तारियां की गईं।
तुर्किये के आंतरिक मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि तुर्क अधिकारी अराजकता और उत्तेजक कार्रवाइयों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
तुर्किये का सेंट्रल बैंक लीरा की गिरावट को रोकना चाहता है
"फाइनेंशियल टाइम्स" अखबार ने यह भी लिखा: तुर्क राष्ट्रपति के मुख्य प्रतिद्वंद्वी की गिरफ्तारी के कारण हुए आर्थिक संकट के बाद, देश के केंद्रीय बैंक ने लीरा के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा बाज़ार में लगभग 12 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
"अर्दोग़ान" के सबसे बड़े विरोधी दल का प्राथमिक चुनाव और आपातकालीन बैठक
इस बीच, सत्तारूढ़ जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी ऑफ तुर्की (सीएचपी) आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार को नामांकित करने के लिए रविवार को प्राइमरी आयोजित करेगी। इस्तांबुल नगर पालिका के उत्तराधिकारी की नियुक्ति को रोकने के लिए 26 अप्रैल को "सीएचपी" की एक आपातकालीन बैठक भी आयोजित होने वाली है।
ग़ज़ा पर नए इज़राइली हमलों में 35 लोग शहीद
हमलों की एक नई लहर में, इज़राइली युद्धक विमानों ने ग़ज़ा पट्टी के विभिन्न इलाकों में फ़िलिस्तीनी घरों पर बमबारी की।
ताज़ा हमलों में, इज़राइली युद्धक विमानों ने ग़ज़ा पट्टी के उत्तर में ख़ान यूनिस और रफ़ा के क्षेत्र अल-बदवीया और अल-जेनेना के अल-मनारा, अल-मवासी और अल-फ़ख़्री क्षेत्रों में फिलिस्तीनी घरों पर बमबारी की, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 35 फिलिस्तीनी शहीद और दर्जनों अन्य घायल हो गए, जिनमें से अधिकांश बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।
ज़ायोनी शासन के युद्धक विमानों ने रविवार सुबह ग़ज़ा पट्टी के विभिन्न इलाकों पर बमबारी की।
ग़ज़ा में शहीदों की संख्या बढ़कर 49 हज़ार 747 हो गई
इस संबंध में, ग़ज़ा में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को एलान किया था कि पिछले 48 घंटों में 130 शहीदों और 263 घायल फिलिस्तीनियों के शवों को अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है।
फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन द्वारा युद्धविराम के उल्लंघन के बाद 18 मार्च, 2025 से अब तक शहीदों और घायलों की संख्या 634 हो गई है जबकि 1172 लोग घायल हुए हैं। इस आंकड़े को मिलाकर, 7 अक्टूबर, 2023 से ग़ज़ा पट्टी में शहीदों की संख्या 49 हज़ार 747 हो गई है जबकि घायलों की संख्या 1 लाख 13 हज़ार 213 हो गई है।
ख़ान यूनिस में हमास के राजनीतिक कार्यालय के एक सदस्य शहीद
दूसरी ख़बर यह है कि फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन "हमास" के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य और फ़िलिस्तीनी विधान सभा के प्रतिनिधि "सलाह अल-बर्देवेल" अपनी पत्नी के साथ रविवार की सुबह दक्षिणी ग़ज़ा के खान यूनिस शहर के पश्चिम में स्थित अल-मवासी क्षेत्र में कैंप पर ज़ायोनियों के हमले में शहीद हो गए।
हमास आंदोलन ने अल-बर्देवेल की शहादत पर बधाई और शोक व्यक्त करते हुए एक संदेश जारी किया और इस बात पर जोर दिया कि शहीद अल-बर्दविल और उनकी पत्नी और सभी शहीदों का खून स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला जलाए रखेगा और कब्जा करने वाला शासन हमारे दृढ़ संकल्प और दृढ़ता को कमजोर नहीं कर सकेगा।
हमास: युद्धविराम समझौते को अंतिम रूप देने के लिए मध्यस्थों से संपर्क जारी है
इस बीच, हमास के प्रवक्ता अब्दुल लतीफ क़ानू ने कहा, पश्चिम एशियाई मामलों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के विशेष दूत स्टीव वेटकोफ़ के प्रस्ताव और कुछ अन्य विचारों पर मध्यस्थों के साथ चर्चा की जा रही है और ज़ायोनी शासन के साथ युद्धविराम समझौते को अंतिम रूप देने की मांग ख़त्म नहीं हुई है, लेकिन नेतन्याहू हमेशा इस रास्ते में बाधाएं पैदा करते रहते हैं।
नेतन्याहू विरोधी प्रदर्शन
ज़ायोनी सेना ने पिछले मंगलवार से ग़ज़ा पट्टी पर अपना सैन्य आक्रमण फिर से शुरू कर दिया, इन हमलों की वजह से मक़बूज़ा फिलिस्तीन के अंदर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और गुस्साए ज़ायोनियों ने मक़बूज़ा बैतुल मुक़द्दस में प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किये और हमास के साथ समझौते की मांग करते हुए कहा कि ग़ज़ा में शेष ज़ायोनी क़ैदियों को रिहा कराया जाए।
इस संदर्भ में, "येदियोत अहारनोत" समाचार साइट सहित ज़ायोनी शासन के मीडिया ने "बेन्यामिन नेतन्याहू" के घर के पास ज़ायोनी सेल्टर्ज़ और इज़रायली शासन पुलिस के बीच गंभीर झड़पों की सूचना दी है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, कई प्रदर्शनकारी मक़बूज़ा बैतुल मुक़द्दस में नेतन्याहू के घर के करीब पहुंचने में कामयाब रहे जिसके बाद प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें तेज़ हो गयीं।
"अरबी- 21" समाचार साइट ने यह भी बताया कि इज़राइल के आंतरिक सुरक्षा और खुफिया संगठन (शाबाक) के प्रमुख रोनिन बार को हटाने और इस फैसले को रोकने के लिए इज़राइली सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अस्थायी आदेश जारी करने के बाद, शनिवार रात को तेल अवीव में नेतन्याहू की कैबिनेट के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया गया था।
इस प्रदर्शन में ज़ायोनी शासन की वर्तमान कैबिनेट के विपक्ष के नेता याइर लापिड ने भाग लिया और इस शासन की कैबिनेट की कड़ी आलोचना की और नेतन्याहू पर गृहयुद्ध शुरू करने की कोशिश का आरोप लगाया।