رضوی

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इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने वरिष्ठ धर्मगुरु और महत्वपूर्ण पदों पर रहकर देश की सेवा करने वाले वरिष्ठ अधिकारी आयतुल्लाह शैख़ मुहम्मद इमामी काशानी के निधन पर शोक संदेश जारी किया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने सांत्वना संदेश में लिखा कि बुज़ुर्ग आलिमे दीन मरहूम आयतुल्लाह अलहाज शैख़ मुहम्मद इमामी काशानी रहमतुल्लाह अलैह के इंतेक़ाल पर मैं उनके आदरणीय परिवार, परिजनों, शागिर्दों और चाहने वालों को ताज़ियत पेश करता हूं।

इस्लामी क्रांति के नेता ने आगे लिखा कि यह मुत्तक़ी, परहेज़गार आलिम दीन लंबे अर्से तक इंक़ेलाब से पहले संघर्षरत रहने वाले ओलमा के साथ और इंक़ेलाब के बाद संवेदनशील पदों पर रहकर देश और इस्लामी जुम्हूरी सिस्टम की सेवा में व्यस्त रहे।

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने संदेश के आख़िर में लिखा कि उम्मीद है कि उनकी यह सारी नेकियां अल्लाह की बारगाह में मक़बूल होंगी। अल्लाह अपनी रहमत व मग़फ़ेरत मरहूम के शामिले हाल फ़रमाए।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद अम्मार हकीम ने आयतुल्लाह इमामी काशानी के निधन दु:ख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इराक की अलहिक्मा कौमी पार्टी के प्रमुख सैयद अम्मार हकीम ने मजलिस ए खबरगान रहबरी के प्रतिनिधि और तेहरान के इमाम जुमआ आयतुल्लाह इमामी काशानी के निधन दु:ख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किया हैं।

जिसका पाठ इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन

आयतुल्लाह शेख़ मोहम्मद इमामी काशानी के निधन पर, इमाम जुमआ तेहरान और विशेषज्ञों की परिषद के प्रतिनिधि और इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता, और इस्लामी गणराज्य की सरकार ईरान और उनके परिवार के प्रतीत अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं:

मैं अल्लाह तआला से दुआ करता हूं कि अल्लाह तआला मरहूम की मफरत फरमाए उनके दरजत को बुलंद फरमाए परिवार वालों को सब्र आता  करें और उनको जवारे अहलेबैत अ.स.में जगह करार दें।

ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने आयतुल्लाह इमामी काशानी के निधन की खबर सुनकर दु:ख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने आयतुल्लाह इमामी काशानी के निधन की खबर सुनकर दु:ख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किया हैं।

शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:

بسم الله الرحمن الرحیم

إذا ماتَ المؤمن الفقیه ثلُمَ فی ألإسلام ثُلمة لا یَسُدّها شَیء

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम   

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन

महान फाकीह, महान आलीम,आलेमे रब्बानी  आयतुल्लाह इमामी काशानी के निधन की खबर से बहुत दु:ख हुआ।

उन्होंने हमेशा राष्ट्र की सेवा करने और लोगों की मदद करने को अपना कर्तव्य समझा और ज्ञान को बढ़ावा देना और दीनी विद्यार्थियों की सेवा करना अपना कर्तव्य समझा वह कौम कि इस्लाह के लिए हमेशा पेश पेश रहे हैं।

मैं तमाम दीनी विद्यार्थियों और मरजय ए इकराम और विद्वानों और परिवार के प्रति अपनी संवेदना  व्यक्त करता हूं और अल्लाह ताला से दुआ करता हूं कि मरहूम के दरजात को बुलंद फरमाए परिवार वालों को सब्र अता करें मरहूम की मगफिरत करें।

सैयद इब्राहिम राईसी

सुरक्षा परिषद की ओर से ग़ज्ज़ा के लिए सहायता को बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी करके यह मांग की है कि ग़ज़्ज़ा के लिए मानवीय सहायता की मात्रा को बढ़ाया जाए।

इस परिषद ने ग़ज़्ज़ा में जारी ज़ायोनियों के हमलों पर चिंता जताते हुए वहां के मूलभूत प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का आह्वान किया है।  इसी के साथ सुरक्षा परिषद ने उत्तरी ग़ज़्ज़ा में सहायता के इंतेज़ार में खड़े आम फ़िलिस्तीनियों पर ज़ायोनी हमलों पर चिंता व्यक्त की है।

पिछले गुरूवार को उत्तरी ग़ज़्ज़ा में मानवीय सहायता की प्रतीक्षा में खड़े फ़िलिस्तीनियों पर ज़ायोनियों ने हमला कर दिया था जसमें कम से कम 104 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए थे।

हालांकि ज़ायोनियों के इस हमले का बहुत बड़े पैमाने पर विरोध किया जा रहा है किंतु मुख्य बात यह है कि फ़िलिस्तीनियों पर ज़ायोनियों के हमले रुक नहीं रहे हैं।  ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों की हिंसक कार्यवाही के विरोध में विश्व के कई देशों विशेषकर पश्चिमी देशों में भी प्रदर्शन किये जा रहे हैं

 

रफ़ह में कल देर रात इस्राईली हमलों में कम से कम 25 फ़िलिस्तीनी शहीद हुए। इस्राईली सैनिकों ने शरण के लिए लगाए गए ख़ैमों पर भी हमला किया जिसमें 11 फ़िलिस्तीनी शहीद हुए।

रफ़ह ग़ज़ा पट्टी का एसा शहर है जहां दस लाख से अधिक फ़िलिस्तीनियों ने दूसरे इलाक़ों से जाकर शरण ली है और बहुत से लोग ख़ैमों में रहने पर मजबूर हैं।

ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार यह हमला एक अस्पताल के क़रीब हुआ जिसमें 50 लोग घायल भी हुए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इस्राईली विमानों ने ख़ैमों पर सीधे बमबारी की जिनके भीतर फ़िलिस्तीनी परिवार मौजूद थे। 

दूसरी ओर ग़ज़ा के इलाक़े ख़ान युनुस में हमास ने झड़पों में तीन इस्राईली सैनिकों को ढेर कर दिया।

इस्राईली मीडिया ने भी 3 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की है। इस्राईली मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह सैनिक तब मारे गए जब सैनिक एक इमारत का जायज़ा ले रहे थे कि इसी बीच हमास ने इमारत को धमाके सक उड़ा दिया।

ईरान के राष्ट्रपति कहते हैं कि अवैध ज़ायोनी शासन को यदि आर्थिक चोट पहुंचाई जाए तो वह अपने बहुत से अपराधों को रोक सकता है।

राष्ट्रपति रईसी ने कहा है कि ज़ायोनियों के अत्याचारों को रूकवाने का व्यवहारिक मार्ग, इस अवैध शासन के साथ आर्थिक संबन्धों का विच्छेद करना है। इराक़ के राष्ट्रपति अब्दुल्लतीफ़ रशीद के साथ मुलाक़ात में ईरान के राष्ट्रपति ने ज़ायोनी अपराधों को रुकवाने का यह मार्ग बताया।

अल्जीरिया में ग़ैस का निर्यात करने वाले देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों के साथ भेंटवार्ता में सैयद इब्राहीम रईसी ने यह बात इराक़ के राष्ट्रपति से कही।  इस मुलाक़ात में उन्होंने फ़िलिस्तीन के संदर्भ में कुछ इस्लामी और अरब देशों द्वारा अपना दायित्व न निभाए जाने की आलोचना की।  उन्होंने कहा कि ज़ायोनियों के अपराधों को रुकवाने का व्यवहारिक मार्ग, उसके साथ सारे ही आर्थिक संबन्धों को तोड़ना है।

अपने संबोधन के दूसरे भाग में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, हमेशा ही एक मज़बूत इराक़ का पक्षधर है।  उनका कहना था कि हम इराक़ की सुरक्षा को अपनी सुरक्षा समझते हैं।  इसको हासिल करने के लिए दोनो राष्ट्रों के युवाओं ने अपना ख़ून दिया है।  ईरान के राष्ट्रपति के अनुसार इराक़ के साथ ईरान के संबन्ध इतने अधिक मज़बूत हो जाएं जिससे अवैध ज़ायोनी शासन निराश हो जाए।   

पाकिस्तान मुस्लिम लीग एन के नेता शहबाज़ शरीफ़ एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने गए हैं।

पाकिस्तान के भूतपूर्व प्रधानमंत्री के भाई शहबाज़ शरीफ़ ने शनिवार 2 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। उनके मुक़ाबले में पीटीआई के नेता उमर अय्यूब ख़ान ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी।  प्रधानमंत्री पद के चुनाव में शहबाज़ शरीफ़ को 201 वोट मिले जबकि उमर अय्यूब ख़ान को 92 वोट हासिल हुए।  इस प्रकार से शहबाज़ शरीफ़ के हाथों में एक बार फिर पाकिस्तान की कमान आ गई है।

सोमवार को शहबाज़ शरीफ़, पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे।  इससे पहले भी शहबाज़ शरीफ अप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद पर रह चुके हैं।

याद रहे कि पाकिस्तान में पिछले दिनों आम चुनाव हुए थे।  इन चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था।  बाद में नवाज़ शरीफ़ के दल ने पीपीपी और एमक्यूएम के साथ गठबंधन बनाकर सरकार बनाने का फैसला किया था।  गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए शहबाज़ शरीफ़ मैदान में जबकि उनके मुक़ाबले में सुन्नी इत्तेहा काउंसिल के उम्मीदवार उमर अय्यूब ख़ान थे

तालेबान ने ईरान की चाबहार बंदरगाह पर अपने आर्थिक प्रतिनिधित्व को खोलने की मांग की है।

इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार तालेबान के वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी करके ईरान की चाबहार बंदरगाह पर अपने आर्थिक प्रतिनिधित्व की उपस्थति की मांग की है।  यह बात तालेबान के आर्थिक प्रतिनिधिमण्डल ने ईरानी राष्ट्रपति के सलाहकार एवं मुक्त तथा आज़ाद क्षेत्रों की परिषद के सचिव के साथ मुलाक़ात में कही।

ईरान के दक्षिण पूर्व के सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह की यात्रा पर आए तालेबान के वित्तीए एवं आर्थिक प्रतिनिधिमण्डल ने ईरानी अधिकारियों के भेंट करके परिवहन श्रंखला को चालू करने और अफ़ग़ानिस्तान के व्यापारियों के लिए आसानी पैदा करने के बारे में विचार-विमर्श किया।

इससे पहले अफ़ग़ानिस्तान के लिए ईरान के राजदूत तथा अफ़ग़ानिस्तान के मामलों में ईरान के राष्ट्रपति के विशेष दूत हसन काज़मी क़ुम्मी ने भी तालेबान की ओर से ईरान के साथ व्यापारिक संबन्धों को बढ़ाने की इच्छा का उल्लेख किया था।  उन्होंने बताया कि तालेबान की सराकर इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ वित्तीय एवं व्यापारिक संबन्धों को बढ़ाने की इच्छुक है।

काज़मी क़ुम्मी का कहना था कि चाबहार बंदरगाह पर तालेबान के व्यापारिक प्रतिनिधिमण्डल की उपस्थति के बाद यहां पर प्राइवेट सेक्टर में शीध्र ही पूंजीनिवेश होने लगेगा।

उल्लेखनीय है कि ईरान की चाबहार बंदरगाह, अफ़ग़ानिस्तान और केन्द्रीय एशिया के देशों के लिए स्वतंत्र पानी तक पहुंचने का सबसे नज़दीक रास्ता है।    

नेतृत्व विशेषज्ञों की सभा के प्रतिनिधि और तेहरान के अंतरिम इमाम जुमा आयतुल्लाह मोहम्मद इमामी काशानी का एक घंटे पहले दिल का दौरा पड़ने से घर पर निधन हो गया।उनका जन्म 10 मेहर  1310 को काशान मे हुआ था और वह शहीद मोतहरी हाई स्कूल के प्रमुख थे और इस्लामी क्रांति की जीत के बाद उन्होंने इमाम खुमैनी के आदेश पर कई पदों पर कार्य किया था.

 

शनिवार, 02 मार्च 2024 17:36

दोस्तों के अधिकार

दोस्तो के हुक़ूक़, वह बुनियादी मसला है जिसके ज़रिये दोस्ती को मज़बूत से मज़बूत तर बनाया जा सकता है, मौला ए काऍनात (अ) के कलाम में दोस्तों के माद्दी व मानवी हुक़ुक़ के बयान के साथ उनकी अदायगी की भी ताईद की गयी है, चुनान्चे अमीर अल मोमिनीन (अ) इमामे हसन (अ) को तहरीर किये गये ख़त में इरशाद फ़रमाते हैं :

(احمل نفسک)) यानी “अपने नफ़्स को अपने भाई के बारे में क़ते ताअल्लुक़ के मुक़ाबले में ताअल्लुक़ जोड़ने, रूगरदानी के मुक़ाबले में मेहरबानी, बुख़्ल के मुक़ाबले में अता, दूरी के मुक़ाबले में क़ुर्बत, शिद्दत के मुक़ाबले में नर्मी और जुर्म के मुक़ाबले में माज़ेरत पर आमादा करो, गोया तुम उसके ग़ुलाम और वह तुम्हारा आक़ा व वली ए नेमत है।”

हज़रत अमीरल मोमिनीन (अ) के इस क़िस्म के फ़रामीन जिनमें इंसान को दोस्तों से हुस्ने सुलूक और उनकी ग़लतियों से दरगुज़र करने की ताकीद की गयी है दर अस्ल उन मवारिद के लिये हैं जिनमें दो दोस्तों के बहमी ताल्लुक़ात का जायज़ा लिया गया है, यानी दोस्त आपस में किस तरह का बर्ताव करें और कौन कौन सी बातों का ख़्याल रख़े। मज़कूरा फ़रामीन के अलावा क़ुछ ऐसे इरशादात भी हैं जिनमें दोस्तों की ग़ैर मौजूदगी या दूसरों के साथ दोस्तों के सिलसिले में बर्तावों का अंदाज़ बताया गया है। जैसा कि अमीरल मोमिनीन (अ) इरशाद फ़रमाते हैं:

(لا یکون الصدیق)  यानी “दोस्त उस वक़्त तक दोस्त नही हो सकता जब तक तीन मौक़ों पर दोस्त के काम न आये, मुसीबत के मौक़े पर, ग़ैर मौजूदगी में और मरने के बाद ”

एक मक़ाम पर फ़रमाते हैं :

“दोस्त वह होता है जो ग़ैर मौजूदगी में भी दोस्ती निभाये और जो तुम्हारी परवाह न करे वह तुम्हारा दुश्मन है। ”

दोस्तो के हुक़ूक़ का एक तसव्वुर हमारे यहाँ सब साँझा क़िस्म का पाया जाया है यानी दोस्त के हुक़ूक़ व मफ़ादात को इस क़िस्म का मुशतरक अम्र समझा जाता है जिसमें दूसरे को दख़ालत का पूरा पूरा हक़ हासिल होता है। और बाज़ औक़ात इस क़िस्म के तसव्वुर के नतीजे में दोस्त के हुक़ूक़ दोस्त के हाथो पामाल होते हैं। अमीरल मोमिनीन (अ) हुक़ूक़ के इस नाजायज़ इस्तेमाल से मना फ़रमाते है:

 (.لا تضیعن حق اخیک ..)  यानी “ बाहमी रवाबित व दोस्ती की बुनियाद पर अपने किसी भाई की हक़ तल्फ़ी न करो क्योकि फिर वह भाई कहाँ रहा जिसका तुमने हक़ तल्फ़ कर दिया। ”

दोस्तो के बारे में लोगों की बातों पर कान न धरने के सिलसिले में आप (अ) फ़रमाते है :

(.ایها الناس من عرف من اخیه .)यानी “ ऐ लोगों अगर तुम्हे अपने किसी भाई के दीन की पुख़्तगी और अमल की दुरुस्तगी का इल्म हो तो फिर उसके बारे में लोगों की बातों को अहमियत न दो। ”

दोस्त और दोस्ती की हदें

दोस्त और दोस्ती के बे शुमार फ़वायेद और अहमियत के पेशे नज़र बहुत से लोग दोस्ती में किसी क़िस्म की हुदूद व क़ुयूद के पाबंद नही होते, और दोस्त के सामने अपने सब राज़ बयान कर देते हैं लेकिन मकतबे इमाम अली (अ) में दोस्ती इंतिहाई गहरी व पाकीज़ा होने के बावजूद एक दायरे में महदूद है। जिसे हदे एतिदाल भी कहा जाता है। चुनान्चे इमामे अली (अ) फ़रमाते है :

(احبب حبیبک هونا ما .) यानी “ दोस्त से एक महदूद हद तक दोस्ती करो क्योकि मुम्किन है कि वह एक दिन तुम्हारा दुश्मन हो जाये और दुश्मन से दुश्मनी बस एक हद तक ही रखो शायद वह किसी दिन तुम्हारा दोस्त बन जाये। ”

अमीरल मोमिनीन (अ) के इस फ़रमान में ये हिकमत पोशीदा है कि इंसान अपने राज़ का ग़ुलाम होता है, अगर इंसान किसी दोस्त के सामने अपने तमाम राज़ बयान कर दे और ज़माने के नशेब व फ़राज़ दोस्त को दुश्मन बना दें तो इंसान ख़ुद ब ख़ुद अपने दुश्मन का ग़ुलाम बन जायेगा।

हमारे मआशरे में दोस्त सिर्फ़ इन्ही अफ़राद को तसव्वुर किया जाता है जिनसे इंसान बज़ाते ख़ुद दोस्ती उस्तुवार करता है। जबकि अमीरल मोमिनीन (अ) दोस्तों के दायरे को मज़ीद वुसअत दे कर इंसान के हलक़ ए अहबाब में दो क़िस्म के दोस्तों का इज़ाफ़ा फ़रमाते हैं :

 यानी “ तुम्हारे दोस्त भी तीन तरह के हैं और दुश्मन भी तीन क़िस्म के हैं। तुम्हारा दोस्त, तुम्हारे दोस्त का दोस्त और तुम्हारे दुश्मन का दुश्मन तुम्हारे दोस्त हैं…… ”

आम तौर पर हम दोस्तों की उन दो क़िस्मों से ग़ाफ़िल रहते हैं जिसके नतीजे में बाज़ औक़ात क़रीबी दोस्तों से हाथ धोना पड़ते हैं।

दोस्तों के लिये मुफ़ीद और नुक़सान देह चीज़े

दोस्तों के हुक़ूक़ की अदायगी ही दर हक़ीक़त दोस्ती को मज़बूत और पायदार करती है लेकिन उसके अलावा भी क़ुछ ऐसे असबाब व अवामिल हैं जो दोस्ती के रिश्ते के लिये निहायत मुफ़ीद शुमार होते हैं जैसा कि अमीरल मोमिनीन (अ) फ़रमाते हैं :

(البشاشه حباله الموده) “ कुशादा रुई मोहब्बत का जाल है। ”

इसी तरह आप फ़रमाते है:

नर्म ख़ूँ, क़ौम की मुहब्बत को हमेशा के लिये हासिल कर लेता है।

इसी तरह जहाँ हुक़ूक़ की अदायगी में कोताही के नतीजे में दोस्ती जैसा मज़बूत रिश्ता कमज़ोर हो जाता है वही कुछ और चीज़ों की वजह से उसमें दराड़ पड़ जाती हैं चुनान्चे अमीरल मोमिनीन (अ) फ़रमाते हैं :

(حسد الصدیق من سقم الموده) यानी “ दोस्त का हसद करना दोस्ती की ख़ामी है। ”

या हज़रत (अ) का ये फ़रमान

(من اطاع الواشی ضیع الصدیق)  यानी “ जो चुग़ुलख़ोर की बात पर एतिमाद करता है वह दोस्त को खो देता है ”

एक और मक़ाम पर दोस्ती के लिये नुकसान देह आमिल की जानिब इशारा फ़रमाते हैं :

“ जिस ने अपने मोमिन भाई को शर्मिन्दा किया समझो कि उससे जुदा हो गया।  और दोस्ती के सिलसिले में मौला ए काऍनात (अ) के सुनहरे कलिमात को बे तरतीब से जोड़ कर दोस्त और दोस्ती के ख़्वाहिशमंद अफ़राद की ख़िदमत में इस उम्मीद बल्कि इस यक़ीन के साथ पेश कर रहे हैं कि अगर हम उन राहनुमा उसूलो को अपने लिये नमून ए अमल क़रार दें तो यक़ीनन अमीरे काऍनात (अ) के इस फ़रमान की अमली तसवीर बन सकते हैं जिसमें आप (अ) फ़रमाते हैं :

(خالطوا الناس مخالطه ان متم..)  “ लोगों के साथ इस तरह से रहो कि अगर मर जाओ तो तुम पर रोयें और अगर ज़िन्दा रहो तो तुम्हारे मुश्ताक़ हों। ”