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इज़राइली आक्रमण के विरुद्ध पत्रकार संगठन की विरोध सभा में नवनिर्वाचित फ़िलिस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला एम. अबू शुवेश (दिल्ली) ने इस सभा में विशेष प्रतिभागी के रूप में भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर एक बड़ा बैनर प्रदर्शित किया गया जिस पर शहीद पत्रकारों और मासूम बच्चों की तस्वीरें थीं और उस पर मोटे अक्षरों में लिखा था, “ग़ज़्ज़ा में पत्रकारों की हत्या बंद करो”, “नरसंहार बंद करो”।

शुक्रवार को मराठी पत्रकार सिंह में ग़ज़ाज़ा में इज़राइली आक्रमण, पत्रकारों की हत्या और अब तक 65,000 फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार के विरुद्ध एक विशेष विरोध सभा आयोजित की गई। नवनिर्वाचित फ़िलिस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला एम. अबू शुवेश (दिल्ली) ने इस सभा में विशेष प्रतिभागी के रूप में भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर एक बड़ा बैनर प्रदर्शित किया गया जिस पर शहीद पत्रकारों और मासूम बच्चों की तस्वीरें थीं और उस पर मोटे अक्षरों में लिखा था, “ग़ज़्ज़ा में पत्रकारों की हत्या बंद करो”, “नरसंहार बंद करो”।

भारत में फ़लस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला एम. अबू शुवेश ने कहा, "यह एक बेहद अहम बैठक है। फ़लस्तीन और ग़ज़्ज़ा में पत्रकारों की हत्या की निंदा की जा रही है, लेकिन मैं बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूँ कि आज मीडिया पूरी तरह से नियंत्रित है। उन्होंने कहा कि अब तक फ़िलिस्तीन और ग़ज़्ज़ा में 2700 से ज़्यादा पत्रकारों को नियमित रूप से निशाना बनाया गया है।"

इतिहास के पन्नों में हज़रत ज़ैनब (स) उन शख्सियतों में से एक हैं जो सूरज की तरह उदय हुईं और उनकी रोशनी ने पूरी मानवता को अपने आगोश में ले लिया। यह सर्वशक्तिमान ईश्वर की विशेष कृपा और दया है, जिसने इन पवित्र प्राणियों को मानवता के मार्गदर्शन का साधन बनाया। हज़रत ज़ैनब (स) न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों के लिए भी एक आदर्श हैं, जिनके पदचिन्हों पर चलकर मानवता मुक्ति का मार्ग पा सकती है।

हज़रत ज़ैनब (स) वंश, ज्ञान, उपासना, शुद्धता, साहस, ईमानदारी और धैर्य में किसी से पीछे नहीं हैं। हज़रत ज़ैनब (स) की उत्कृष्ट विशेषताओं में से एक अत्याचारी और उसके अत्याचार के सामने उनकी दृढ़ता है। आज के दौर में जहां हर तरफ जुल्म ही जुल्म नजर आता है, वहां इस मॉडल को अपनाने की जरूरत है कि जिसके सामने उसके परिवार के लोगों को बेरहमी से शहीद कर दिया गया और जुल्म इस हद तक बढ़ गया कि खुद जुल्म करने वाला भी देखकर खुद को कोसने लगा। डर लग रहा था, लेकिन उस क्षण इस प्राणी के मुंह से यह वाक्य निकला: "जो कुछ भी तुम देखते हो वह सुंदर है।" आज यद्यपि अत्याचारी गाजा में इतना अन्याय करने के बाद अपने आप को शक्तिशाली और सफल समझता है, तथा सोचता है कि अब कोई भी सिर उठाने का साहस नहीं करेगा, परन्तु यह एक मिथ्या विचार है, क्योंकि अन्याय सदैव अत्याचारी की ही कमर तोड़ देता है।

हज़रत ज़ैनब (स) की एक और उत्कृष्ट विशेषता कठिनाइयों का सामना करते हुए उनका धैर्य है। पवित्र कुरान में धैर्यवानों की प्रशंसा विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न शब्दों में की गई है, तथा एक स्थान पर कहा गया है, "अल्लाह धैर्यवानों के साथ है।" लेडी ज़ैनब (स) ने कर्बला की घटना में अपने प्रियजनों को अपने सामने शहीद होते देखा, विशेष रूप से अपने भाई को, जिसके बारे में उन्होंने कहा, "मैं अपने भाई हुसैन (स) के बिना नहीं रह सकती, लेकिन मैंने अपने भाई को अपने लिए बलिदान कर दिया।" ये कुर्बानियाँ अल्लाह की रजा के लिए हैं।" उसने अपने धैर्य और दृढ़ता को उस व्यक्ति के सामने अपने हाथ से फिसलने नहीं दिया जिसके बारे में उसके ज़ियारतनामा में उल्लेख किया गया है: "स्वर्ग के फ़रिश्ते उसे देखकर हैरान हैं तुम्हारे धैर्य को देखकर स्वर्ग के दूत भी चकित हो जाते हैं।

हज़रत ज़ैनब (स) कर्बला की घटना से पहले एक अच्छा और संतुष्ट जीवन जी रही थीं, लेकिन उनकी परवरिश ने उन्हें संतुष्ट जीवन जीने की अनुमति नहीं दी और ज़ालिम अपना जुल्म जारी रखता रहा, बल्कि उन्होंने वही किया जो वह चाहती थीं। उन्होंने इस जीवन को छोड़कर अपने भाई के साथ कर्बला जाना पसंद किया। इसलिए, आज की पीढ़ी को इस मॉडल के पदचिन्हों पर चलने की सख्त जरूरत है।

इस्लामी क्रांति के नेता सर्वोच्च नेता ने कहा: असली इस्लाम अमेरिकी इस्लाम के विपरीत है, असली इस्लाम सर्वांगीण है, जो व्यक्तिगत जीवन और निजी आचरण से लेकर इस्लामी व्यवस्था की स्थापना तक सबको शामिल करता है।

इस लेख में पार्स टुडे ने इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह इमाम ख़ामेनेई के असली इस्लाम और अमेरिकी इस्लाम से संबंधित विचारों पर नज़र डाली है।

असली इस्लाम और अमेरिकी इस्लाम पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई का दृष्टिकोण क्या है?

आयतुल्लाह इमाम ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी (रह.) की 27वीं पुण्यतिथि के समारोह में कहा:

असली इस्लाम अमेरिकी इस्लाम के विपरीत है। अमेरिकी इस्लाम की दो शाखाएँ हैं: एक कट्टरपंथी इस्लाम और दूसरे सेक्युलर इस्लाम। यही अमेरिकी इस्लाम है।

साम्राज्यवादी और भौतिक शक्तियाँ इन दोनों शाखाओं का समर्थन करती रही हैं और करती हैं कभी-कभी वे इन्हें पैदा करते हैं, कभी दिशा-निर्देश देते हैं, और कभी मदद करते हैं।

इसके विपरीत असली इस्लाम है ऐसा इस्लाम जो सर्वांगीण है; जो व्यक्तिगत जीवन और निजी जीवन से लेकर इस्लामी व्यवस्था की स्थापना तक सबको शामिल करता है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने यह इशारा करते हुए कि अमेरिकी इस्लाम, असली इस्लाम का मुकाबला कर रहा है, कहा कि हमारे महान इमाम ने अमेरिकी इस्लाम और कट्टरपंथी इस्लाम को एक साथ रखा ये दोनों असली इस्लाम के विरोध में खड़े होते हैं। वे असली इस्लाम से डरते हैं।

अमेरिकी इस्लाम, दरअसल इस्लाम का लिबास पहनाकर विदेशी ताक़तों की ग़ुलामी करना और इस्लामी उम्मत से दुश्मनी करना है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने हुज्जाज-ए-बैतुल्लाहिल हराम को भेजे संदेश में कहा: सबसे महत्वपूर्ण और प्राथमिकता वाला विषय यह है कि दुनिया-ए-इस्लाम के सच्चे और चिंतित कार्यकर्ताओं को असली मोहम्मदी इस्लाम और अमेरिकी इस्लाम के बीच के अंतर पर गहरी और समझदार नज़र रखनी चाहिए और इन दोनों को मिलाने या भ्रमित करने से स्वयं को और दूसरों को बचाना चाहिए।

 हमारे महान इमाम (इमाम ख़ुमैनी रह.) ने पहली बार इन दोनों की भिन्नता को स्पष्ट किया और इसे इस्लामी दुनिया की राजनीतिक शब्दावली में शामिल किया।

असली इस्लाम वह है जो पवित्रता और आध्यात्मिकता से भरपूर हो, परहेज़गारी और जनसत्ता का इस्लाम हो वह इस्लाम हो जिसका परिचय है काफ़िरों पर कठोर यानी काफ़िरों के साथ सख़्ती से पेश आना और आपस में दयालुता के साथ रहना।

अमेरिकी इस्लाम वह है जिसमें इस्लाम का नाम और लिबास हो, लेकिन हकीकत में वह विदेशियों की ग़ुलामी और इस्लामी उम्मत से दुश्मनी हो। ऐसा इस्लाम जो मुसलमानों के बीच फूट डाले, अल्लाह के वादे पर भरोसा करने की बजाय दुश्मनों पर भरोसा करे, ज़ायोनिज़्म और साम्राज्यवाद से लड़ने के बजाय मुसलमान भाइयों से लड़े, और अत्याचारी अमेरिका के साथ मिलकर अपनी ही क़ौम या दूसरी क़ौमों के खिलाफ़ खड़ा हो वह इस्लाम नहीं, बल्कि एक ख़तरनाक और घातक निफ़ाक़ यानी पाखंड है। जिससे हर सच्चे मुसलमान को संघर्ष करना चाहिए।

अमेरिकी इस्लाम, ऐसा इस्लाम है जो ताग़ूत व अत्याचारियों से समझौता करता है ज़ायोनिज़्म से समझौता करता है और अमेरिका के लक्ष्यों की सेवा करता है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने महफ़िले उंस बा क़ुरआन अर्थात क़ुरआन से प्रेम नामक संगोष्ठी में यहा भी कहा कि दुनिया-ए-इस्लाम में जो देखा जा रहा है वह यह है कि इस्लाम के नाम पर इस्लाम के दुश्मन, इस्लाम की आड़ लेकर स्वयं इस्लाम का मुकाबला कर रहे हैं वही अभिव्यक्ति जो हमारे महान इमाम (अल्लाह उनकी रूह व आत्मा पर रहमत करे) ने कही थी: अमेरिकी इस्लाम, असली मोहम्मदी इस्लाम के विपरीत है।

अमेरिकी इस्लाम, ऐसा इस्लाम है जो ताग़ूत से समझौता करता है, ज़ायोनिज़्म से समझौता करता है और अमेरिकी लक्ष्यों की पूर्ति करता है।

 

 

 

IAEA के महानिदेशक राफ़ाएल ग्रोसी ने बुधवार को कहा कि एजेंसी की पहली टीम ने तेहरान के साथ वार्ता के बाद ईरान में प्रवेश किया। इसके बाद ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने बताया कि IAEA के निरीक्षकों का ईरान में प्रवेश उच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के निर्णय के तहत हुआ और इसका उद्देश्य बूशहर परमाणु संयंत्र में ईंधन के आदान-प्रदान पर निगरानी रखना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान और IAEA के बीच किसी नए सहयोग के ढांचे पर कोई अंतिम समझौता अभी नहीं हुआ है।

 रूस: हमने ईरान पर 2231 प्रस्ताव को बढ़ाने के लिए मसौदा प्रस्ताव पेश किया

 संयुक्त राष्ट्रसंघ में रूस के उप-राजदूत दिमित्री पोलीयांस्की ने कहा कि रूस ने सुरक्षा परिषद को प्रस्तावित मसौदा प्रस्तुत किया है जो ईरान और परमाणु समझौते (JCPOA) से संबंधित 2231 प्रस्ताव के तकनीकी प्रावधानों को बढ़ाने के लिए है। उन्होंने कहा कि रूस और चीन जो JCPOA के सदस्य हैं, चाहते हैं कि कूटनीति को अधिक समय दिया जाए। पोलीयांस्की ने आगे कहा: हम मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का चुनाव शांति और कूटनीति के पक्ष में होना चाहिए न कि युद्ध के पक्ष में और हमारा मसौदा ठीक इसी आधार पर तैयार किया गया है।

 अमेरिका पुलिस ने माइक्रोसॉफ्ट और इज़रायल के सहयोग के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे विरोधियों को गिरफ्तार किया।

 माइक्रोसॉफ्ट और इज़रायल के सहयोग के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने इस कंपनी के प्रमुख ब्रैड स्मिथ के कार्यालय पर कब्ज़ा कर लिया। अमेरिकी पुलिस ने सात प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार लोगों में माइक्रोसॉफ्ट के कुछ पूर्व और वर्तमान कर्मचारी भी शामिल थे, जिन्होंने वॉशिंगटन राज्य में स्थित कार्यालय पर नियंत्रण कर लिया।

 अंग्रेज़ी समाचार पत्र गार्डियन ने इज़रायली सेना की 8200 यूनिट के स्रोतों के हवाले से बताया कि माइक्रोसॉफ्ट की क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म एज़्योर के डेटा का उपयोग वेस्ट बैंक के निवासियों के बारे में व्यापक खुफ़िया जानकारी एकत्र करने के लिए किया गया। इन स्रोतों ने कहा कि इन जानकारियों का इस्तेमाल लोगों से रिश्वत लेने, उन्हें गिरफ्तार करने या हत्या को उचित ठहराने जैसे उद्देश्यों के लिए किया गया। इसके अलावा, इन डेटा का महत्वपूर्ण भूमिका इज़रायल द्वारा ग़ाज़ा और वेस्ट बैंक में सैन्य हमलों की योजना बनाने में भी रही।

 25 देशों ने अमेरिका के लिए डाक सेवाओं को निलंबित किया

 संयुक्त राष्ट्र के अधीन विश्व डाक संघ ने घोषणा की कि कम से कम 25 देशों ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ़ के संभावित प्रभावों के कारण, अमेरिका के लिए पार्सल भेजना निलंबित कर दिया है। इस संदर्भ में कुछ देशों के डाक केंद्रों जैसे फ़्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने कहा कि वे अमेरिका जाने वाले कई पैकेज स्वीकार नहीं करेंगे।

 वेनेज़ुएला के तटीय क्षेत्रों में युद्धपोत और ड्रोन की गश्त शुरू

 वेनेज़ुएला सरकार ने अमेरिका के तीन युद्ध पोतों को अपने जलक्षेत्र के पास भेजने के बाद अपने युद्धपोत और ड्रोन तटीय क्षेत्रों की गश्त के लिए रवाना किए। यह क़दम ऐसे समय में उठाया गया जब अमेरिका और वेनेज़ुएला के बीच तनाव बढ़ गया है। वॉशिंगटन ने नारकोटिक्स की तस्करी से निपटने का हवाला देते हुए तीन युद्धपोत और चार हज़ार से अधिक मरीन तट के पास भेजे थे।

 गाज़ा में युद्ध रोकने के लिए सुरक्षा परिषद के 14 सदस्यों का बयान

 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 14 सदस्यों ने, अमेरिका को छोड़कर, गाज़ा पट्टी में इज़राइल के नरसंहार और युद्ध को तुरंत रोकने की अपील की है।

 फिलिस्तीन स्वास्थ्य मंत्रालय: पिछले 24 घंटों में ग़ाज़ा पट्टी में 76 फिलिस्तीनी शहीद

 फिलिस्तीन स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की कि पिछले 24 घंटों में गाज़ा के अस्पतालों में 76 शहीद और 298 घायल लाए गए। इस रिपोर्ट के अनुसार 7 अक्टूबर 2023 से अब तक इज़राइली सेना के विभिन्न हमलों में कुल फिलिस्तीनी शहीदों की संख्या 62,895 और घायल हुए लोगों की संख्या 158,927 हो गई है।

 यमनी सशस्त्र बलों द्वारा बेन-गुरियन हवाई अड्डे को निशाना बयाना जाना

 यमनी सशस्त्र बलों ने बयान में बताया कि उन्होंने तेल अवीव में स्थित एल-लुद (बेन-गुरियन) हवाई अड्डे को  फ़िलिस्तीन -2 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल से निशाना बनाया। बयान में कहा गया कि इस अभियान ने अपने उद्देश्य को प्राप्त किया, जिससे इज़राइली कब्ज़ाधारी शरणस्थलों में भागे और हवाई अड्डे की गतिविधियाँ रुक गईं।

ईरान के विदेशमंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने ज़ोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग ईरानी राष्ट्र के हितों को सुनिश्चित करने वाला होना चाहिए।

समाचार एजेंसी इर्ना के हवाले से पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के उप विदेशमंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने बुधवार को कहा कि बूशहर परमाणु संयंत्र में ईंधन की आपूर्ति की निगरानी के लिए सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के फैसले के तहत IAEA के निरीक्षकों को ईरान में दाख़िल होने की इजाज़त दी गयी है। उन्होंने कहा कि ईरान और IAEA के बीच सहयोग के नए ढांचे पर अभी तक कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ है। श्री अब्बास इराक़ची ने कहा कि अब बूशहर पावर प्लांट में ईंधन की आपूर्ति को लेकर भी फैसले लिए गए हैं जो IAEA के निरीक्षकों की निगरानी में होगा, और किसी भी प्रकार का सहयोग संसद के कानून के इसी ढांचे के भीतर होगा जो ईरानी लोगों के हितों की रक्षा करता हो।

 सुरक्षा परिषद के बयान का हमास ने स्वागत किया

 फिलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों (अमेरिका को छोड़कर) द्वारा जारी बयान का स्वागत किया है और क़ब्ज़ाधारी शासन को रोकने और उसे गज़ा में नरसंहार के अपराधों को रोकने के लिए मजबूर करने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है। हमास ने कहा, हम सुरक्षा परिषद के सदस्यों (अमेरिका को छोड़कर) के बयान का स्वागत करते हैं, जिसमें गज़ा में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम की मांग की गई है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार हथियार के रूप में भूख का उपयोग करने पर प्रतिबंध पर जोर दिया गया है।

 कैरिबियन क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती पर वेनेजुएला के संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि की प्रतिक्रिया

 संयुक्त राष्ट्र संघ में वेनेज़ुएला के स्थायी प्रतिनिधि ने भी कैरिबियाई क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य बलों की तैनाती की निंदा की और इसे इस क्षेत्र में "शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा" बताया। संयुक्त राष्ट्र संघ में वेनेज़ुएला के स्थायी मिशन ने अमेरिकी सरकार की "शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों और धमकियों में तीव्रता" की निंदा की, इन कार्रवाइयों में कैरिबियन में अतिरिक्त युद्धपोतों की जिनमें यूएसएस लेक एरी (USS Lake Erie) और यूएसएस न्यूपोर्ट न्यूज (USS Newport News) शामिल हैं, तत्काल तैनाती शामिल है।

 ज़ायोनी विदेश मंत्री ने किया स्वीकार, इज़राइल राजनीतिक तौर पर हुआ अलग थलग

 ज़ायोनी विदेश मंत्री गिडियोन सार ने भी इज़राइल के राजनीतिक रूप से अलग थलग पड़ने और पूरी तरह से घिर जाने की बात स्वीकार की है। अमेरिकी अखबार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' में बुधवार को प्रकाशित एक साक्षात्कार में, गिडियोन सार ने "फिलिस्तीन देश की मान्यता" के लिए वैश्विक प्रयासों का ज़िक्र करते हुए कहा कि इज़राइल अब सैन्य चुनौतियों से अधिक वैश्विक स्तर पर राजनीतिक चुनौतियों और अलग थलग पड़ने का सामना कर रहा है।

 ट्रम्प के प्रस्तावित परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता के खिलाफ चीन का रुख

 चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ शुआंग ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प का चीन को त्रिपक्षीय परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता में शामिल होने का अनुरोध न तो तार्कि है और न ही यथार्थवादी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के हालिया बयान के बारे में एक प्रश्न के जवाब में, जिसमें उन्होंने चीन, अमेरिका और रूस के बीच त्रिपक्षीय परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता में शामिल होने के लिए चीन को आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा: चीन और अमेरिका की परमाणु क्षमताएं बिल्कुल भी एक स्तर पर नहीं हैं और उनकी परमाणु नीतियां और सामरिक सुरक्षा वातावरण भी पूरी तरह से अलग हैं। इसलिए, चीन से चीन, अमेरिका और रूस के बीच त्रिपक्षीय परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता में शामिल होने का अनुरोध न तो तार्किक है और न ही यथार्थवादी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि चीन हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी के लिए आवश्यक न्यूनतम स्तर पर अपनी परमाणु क्षमता बनाए रखता है और किसी भी देश के साथ हथियारों की होड़ में शामिल नहीं होता है। 

एक ज़ायोनी समाचार पत्र ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में यमनी लोगों को अपराजेय बताते हुए कहा कि इज़राइल यमन के साथ सीधे संघर्ष में नहीं उतरना चाहता।

ज़ायोनी समाचार पत्र जेरूसलम पोस्ट ने बताया कि अक्टूबर 2023 से इज़राइल यमनी लोगों द्वारा दागे गए मिसाइल और ड्रोन को रोकने में विफल रहा है। इसके साथ ही कहा गया कि इज़रायल शुरू से ही यमन के साथ सीधे टकराव में नहीं जाना चाहता था और यह जिम्मेदारी अमेरिका पर छोड़ना चाहता था।

 जेरूसलम पोस्ट ने उच्च पदस्थ इज़रायली अधिकारियों के हवाले से लिखा कि यमनी लोग क्षेत्र में सभी पक्षों से अधिक मज़बूत हैं और उनके साथ लड़ाई इज़रायल के लिए बेहद कठिन है, क्योंकि वे अपराजेय हैं।

 इस ज़ायोनी समाचार पत्र ने आगे कहा कि अमेरिकी अधिकारी भी इज़रायली अधिकारियों के यमनी लोगों की अपराजेयता के दावों की पुष्टि करते हैं।

 जेरूसलम पोस्ट ने लिखा कि इज़रायली अधिकारियों ने गर्व के साथ कहा कि सना लंबे समय तक बिजली के बिना रहेगा, लेकिन यमनी लोगों ने बहुत कम समय में बिजली बहाल की और नई मिसाइलें इज़रायल की ओर दागीं।

 इस ज़ायोनी मीडिया ने आगे इज़रायली सेना के सूत्रों के हवाले से लिखा: यमन एक बड़ा चुनौती है और इस शासन की खुफ़िया एजेंसी इस चुनौती का कोई समाधान खोजने का प्रयास कर रही है, लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिली है।

 जेरूसलम पोस्ट ने आगे कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के यमन के साथ संघर्ष रोकने के फैसले ने इज़रायल को तूफ़ान के सामने अकेला छोड़ दिया। इज़रायली सेना के सूत्रों के अनुसार इज़रायल को यमन को धीरे-धीरे अपने रास्ते से हटाना होगा लेकिन यमन में खुफ़िया प्रभाव फैलाना तेल अवीव के नेताओं की अपेक्षा से अधिक समय ले रहा है।

 ज़ायोनी मीडिया ने अंत में ज़ोर देकर कहा कि अगर ग़ाज़ा में युद्ध बंद हो जाता है तो यमन से मिसाइल हमले भी रुक जाएंगे।

 हाल ही में यमन के हूसी आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य हिज़ाम अल-असद ने कहा कि यमन पर आक्रमण यमनी लोगों की ग़ाज़ा के प्रति समर्थन को प्रभावित नहीं करता। उन्होंने कहा कि इज़रायली आक्रमण यमन की जनता के खिलाफ़ असफ़ल रहा है और इसके परिणामस्वरूप दुश्मन को केवल असफ़लता और निराशा मिलेगी।

 हिज़ाम अल-असद ने यह भी कहा कि यमन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि ग़ाज़ा पर आक्रमण रोका जाए और उसकी घेराबंदी खत्म हो। यमनी विश्वासयोग्य और संघर्षरत लोग फिलिस्तीनी जनता का समर्थन जारी रखेंगे और इसके सभी खर्चों को वहन करेंगे।

 

अंसारुल्लाह के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य मुहम्मद अल-बुख़ैती ने फ़िलिस्तीनुलयौम से बातचीत में कहा कि यमन पर आक्रमण हमारे संकल्प और इज़रायल के खिलाफ अभियानों को बढ़ा देता है और यमन की ग़ाज़ा और फिलिस्तीन के प्रति ठोस स्थिति कभी नहीं बदलेगी।

 अलबुख़ैती ने स्पष्ट किया कि आज सही क़दम ग़ाज़ा का समर्थन करना है और यह समर्थन किसी भी कीमत पर जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यमन की स्थिति और उसके अभियानों का प्रतिनिधित्व पूरी स्वतंत्र दुनिया के लिए है।

 अंसारुल्लाह के सदस्य ने यह भी कहा कि इज़रायल के हमले यमन पर यह दिखाते हैं कि यमनी मिसाइल हमलों का प्रभाव कितना है। उन्होंने कहा कि हमारा अभियान इज़रायली दुश्मन के खिलाफ़ जारी रहेगा और यमन का आंतरिक मोर्चा आक्रमणकारियों के सामने एकजुट और संगठित है।

हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.अ. के हरम के प्रमुख प्रबंधक ने अर्बईन के दिनों में तीर्थयात्रियों की सेवा में सहयोग करने वाले सभी व्यक्तियों और संस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि अरबईन-ए-हुसैनी के दौरान कुल 94 हज़ार लोगों को आवास की सुविधा प्रदान की गई जबकि पवित्र स्थल की ओर से 250 हज़ार लोगों में तीन समय का भोजन वितरित किया गया।

हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.अ. के पवित्र स्थल के नजमा खातून हॉल में, पवित्र स्थल के ट्रस्टी आयतुल्लाह सईदी की उपस्थिति में सेवाकर्मियों (खादिमीन) के सम्मान में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में पवित्र स्थल के सेवाकर्मियों और विशेष रूप से अरबईन-ए-हुसैनी के दिनों में तीर्थयात्रियों की सेवा करने वाले सेवाकर्मियों की सराहना की गई।

इस अवसर पर हुज्जतुल इस्लाम सफ़र फ़िलाही पवित्र स्थल के प्रमुख प्रबंधक ने इमाम रज़ा अ.स. की एक हदीस का उल्लेख करते हुए कहा, निश्चित रूप से अल्लाह की नज़र में वाजिबात के बाद कोई भी चीज़ एक मोमिन को खुश करने के बराबर सवाब नहीं रखती।

उन्होंने कहा कि मोमिन को खुश करने वाली चीज़ों में से एक उसकी सेवा करना, उसकी समस्याओं का समाधान करना और उसकी ज़रूरतों को पूरा करना है।

उन्होंने आगे कहा कि सेवाकर्मियों को पूरे साल तीर्थयात्रियों की सेवा का अवसर मिलता है, लेकिन साल के कुछ विशेष समय जैसे अर्बईन-ए-हुसैनी के दिन सेवा की बहार होते हैं। ईश्वर के अनुग्रह से यह तीसरा साल है कि हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ.) के पवित्र स्थल पर तीर्थयात्रियों के लिए विशेष सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

उल्लेखनीय है कि इस साल पवित्र स्थल के जवादुल अइम्मा अ.स.प्रांगण में पाकिस्तानी मौकिब में भी सेवाएं प्रदान की गईं, जिसमें जामिया रूहानियत बाल्तिस्तान के सेवाकर्मियों ने सेवाएं दीं।

 ईरान के दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों ईरान शहर, सरावान और खाश में ईरानी सुरक्षा बलों ने संयुक्त अभियान चलाकर आतंकवादियों के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया जिसमें 8 आतंकवादी मारे गए, कई गिरफ्तार किए गए और एक अपहृत नागरिक को मुक्त करा लिया गया।

ईरान के दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों ईरानशहर, सरावान और खाश में ईरानी सुरक्षा बलों ने बुधवार 27 अगस्त 2025 की सुबह संयुक्त और सुनियोजित अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप उग्रवादी समूहों के 8 आतंकवादी मारे गए और कई गिरफ्तार कर लिए गए।

विवरणों के अनुसार, यह कार्रवाई ईरान शहर के "चाह जमाल", सरावान के "होशक" और खाश के उपनगरीय इलाकों में एक साथ शुरू की गई और कई घंटों तक जारी रही। सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के हमलों का जवाब देते हुए उनके कई ठिकानों को नष्ट कर दिया।

इस अभियान में भारी हथियारों के साथ-साथ आधुनिक ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आतंकवादियों को भारी जानी और माली नुकसान उठाना पड़ा। स्थानीय स्रोतों के मुताबिक, इस दौरान इलाके में कई विस्फोटों और फायरिंग की आवाजें सुनाई दीं और आतंकवादियों के केंद्रों से धुआं उठता रहा।

कुद्स हेडक्वार्टर के जनसंपर्क विभाग ने बताया कि फ़राजा और पासदारान के जवानों ने इमामे जमाना अ.स. के गुमनाम सिपाहियों और अन्य खुफिया एजेंसियों के सहयोग से यह अभियान अंजाम दिया। ईरानशहर में मारे गए आठ आतंकवादी वही तत्व थे जो हाल ही में पासगाह-ए-दामन के अधिकारियों की शहादत में शामिल थे।

अभियान के दौरान एक अपहृत नागरिक को भी मुक्त कराया गया, जबकि आतंकवादियों के कब्जे से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और वह सामान बरामद हुआ जो शहीद अधिकारियों से छीना गया था।

ईरानी अधिकारियों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ यह कार्रवाई जनता के जान और माल की सुरक्षा और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए जारी रहेगी और किसी भी बलिदान से परहेज नहीं किया जाएगा।

 इज़राईली लड़ाकू विमानों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क के दक्षिणी इलाकों पर कम से कम 16 हवाई हमले किए हैं जिनमें सीरियाई सेना के कई ठिकाने निशाने पर लिए गए हैं।

इज़राईली लड़ाकू विमानों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क के दक्षिणी इलाकों पर कम से कम 16 हवाई हमले किए हैं जिनमें सीरियाई सेना के कई ठिकाने निशाने पर लिए गए हैं।

सीरियाई स्रोतों के अनुसार, ये हमले बुधवार रात इलाके अलकसवा और इसके आसपास किए गए, जहाँ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। हालाँकि अभी तक जानी नुकसान के बारे में कोई विवरण सामने नहीं आया है, लेकिन स्थानीय स्रोतों का कहना है कि बमबारी विशेष रूप से सीरियाई सेना की डिवीजन 44 के केंद्र के नज़दीक हुई है।

सीरिया के सरकारी चैनल अलइखबारिया ने खबर दी है कि हमलों के दौरान इजरायली विमान बड़े पैमाने पर दमिश्क की हवाई सीमा में उड़ान भरते रहे। इसी तरह, अलमयादीन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इजरायली लड़ाकू विमानों ने दक्षिणी दमिश्क के इलाके हरजला में सीरियाई सेना की डिवीजन 76 की स्थितियों को भी निशाना बनाया।

इजरायली मीडिया ने भी इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि हवाई हमलों के साथ-साथ इजरायली टैंकों ने भी दमिश्क के दक्षिणी किनारे की ओर कदम बढ़ाए हैं।

प्रारंभिक रिपोर्टों में बताया गया है कि ताल माने इलाके में 16 हमलों में से कम से कम सात हमले डिवीजन 44 के सैन्य ठिकाने पर किए गए हैं।

अमेरिका में स्थित काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस (CAIR) ने वेन स्टेट यूनिवर्सिटी पर मुसलमानों, फिलिस्तीनियों और नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन करने वालों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया है।

अमेरिका में स्थित काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस (CAIR) ने वेन स्टेट यूनिवर्सिटी पर मुसलमानों, फिलिस्तीनियों और नरसंहार के विरोध में प्रदर्शन करने वालों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया है।

संगठन के कार्यकारी निदेशक दाऊद वलीद ने सोमवार को विश्वविद्यालय के द्वार के सामने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह संस्थान फिलिस्तीन के समर्थकों की आवाज़ को दबाने और मुसलमानों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार अपनाने की कोशिश कर रहा है।

उनका कहना था कि "विश्वविद्यालय वह स्थान है जहाँ छात्र अपनी फीस अदा करके शिक्षा प्राप्त करते हैं और यह जगह उनके लिए ज्ञान प्राप्त करने का सुरक्षित स्थान होनी चाहिए। यहाँ उन्हें स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त करने और प्रशासनिक मामलों में भाग लेने में किसी बाधा का सामना नहीं करना चाहिए।

दाऊद वलीद ने आगे कहा कि अमेरिका की परंपरा यही रही है कि विचार और समाचार सार्वजनिक स्थानों और विश्वविद्यालय परिसरों में स्वतंत्र रूप से व्यक्त किए जाएँ।आज गाज़ा के लोग भीषण अकाल और कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, ऐसे में फिलिस्तीन के समर्थकों की आवाज़ दबाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संगठन के वकीलों ने भी विश्वविद्यालय द्वारा मुसलमानों के साथ किए जाने वाले भेदभाव का विवरण प्रस्तुत किया। एक रिपोर्ट में कहा गया कि यदि कोई छात्र नमाज़ के लिए विश्वविद्यालय की मस्जिद जाता है, तो उसे वापस कक्षा में जाने या अपनी शैक्षणिक गतिविधियाँ जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाती है।

इसी तरह एक छात्र ने शिकायत की कि पुलिस शांतिपूर्ण समारोहों के दौरान मुसलमानों को लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति नहीं देती, जबकि अन्य सभी समूहों को यह सुविधा प्राप्त है।