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इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इस साल का विश्व क़ुद्स दिवस, इंशाल्ला ईरानी राष्ट्र की मौजूदगी और स्वतंत्रता प्रेमी एवं मुसलमान राष्ट्रों की उपस्थति से अवैध ज़ायोनी शासन के विरुद्ध एक अन्तर्राष्ट्रीय दहाड़ में परिवर्तित होगा।

इमाम ख़ामेनेई ने बुधवार को ईरान की तीनों पालिकाओं के प्रमुखों और अधिकारियों के साथ भेंट में कहा कि ग़ज़्ज़ा जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा विश्व जनमत की प्राथमिकता से बाहर हो जाए।

आप ने कहा कि ज़ायोनियों के हाथों जातीय सफाया, जनसंहार, बच्चों और महिलाओं पर हमले, बीमारों तथा अस्पतालों पर हमले, हालिया इतिहास में अभूतपूर्व हैं।  यह अपराध इतने गंभीर हैं कि पश्चिमी सभ्यता में पलेबढ़े लोग तक अपना विरोध जताने लगे हैं।

सर्वोच्च नेता ने छह महीनों से जारी ग़ज़्ज़ा युद्ध का निष्कर्ष निकालते हुए ज़ायोनी शासन दो आयामों से पराजित बताया।  उनकी पहली पराजय का कारण 7 अक्तूबर का अलअक़सा तूफान आपरेश है।

ख़ुफ़िया जानकारी और सैन्य वर्चस्व का दावा करने वाले शासन को उस प्रतिरोधी गुट से पराजित होना पड़ा जिसके पास संभावनाएं भी बहुत सीमित हैं।  ज़ायोनियों की इस विफलता और अपमान की भरपाई कभी भी नहीं हो पाएगी।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ज़ायोनियों की दूसरी पराजय को उसके द्वारा ग़ज़्ज़ा के लिए निर्धारित किये गए लक्ष्यों को न प्राप्त करना बताया।  उन्होंने कहा कि हालांकि अवैध ज़ायोनी शासन को अमरीका का आर्थिक, सैनिक और कूटनीतिक हर प्रकार का समर्थन हासिल है किंतु इसके बावजूद वे अपने घोषित लक्ष्यों में से एक लक्ष्य को भी हासिल करने में विफल रहे।

सर्वोच्च नेता कहते हैं कि वे प्रतिरोध को विशेषकर हमास को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते थे जबकि वर्तमान समय में हमास, जेहादे इस्लामी और ग़ज़्ज़ा के सारे ही प्रतिरोधी गुट, हर प्रकार की समस्याओं के बावजूद अवैध ज़ायोनी शासन को करारी चोट पहुंचा रहे हैं।  उन्होंने हिंसक व्यवहार और महिलाओं एवं बच्चों की हत्या करने को, प्रतिरोधकर्ताओं के मुक़ाबले में ज़ायोनी शासन की अक्षमता बताया।

वरिष्ठ नेता के अनुसार ज़ायोनियों की पराजय जारी रहेगी और हताशा में की गई सीरिया जैसी कार्यवाही से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाएगा हालांकि उसका बदला भी उनको मिलेगा।

 इमाम ख़ामेनेई का कहना है कि ज़ायोनियों की मुक्ति उस जाल से संभव नहीं है जिसे उन्होंने स्वयं ही तैयार किया है।  अवैध ज़ायोनी शासन दिन-प्रतिदिन कमज़ोर होता जा रहा है जिसका अंत निकट है।  हम आशा करते हैं कि हमारे युवा, उस दिन को भी देखें कि जब बैतुल मुक़द्दस, मुसलमानों के अधिकार में हो और वे वहां पर नमाज़ पढ़ें और इस्लामी जगत अवैध ज़ायोनी शासन के अंत का जश्न मनाए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस्लामी शासन व्यवस्था के जारी रहने को इस्लामी जगत के लिए महान अवसर बताते हुए कहा कि अलअक़सा तूफान आपरेशन के बाद क्षेत्रीय समीकरण और प्रतिरोध मोर्चों की स्थति बदल चुकी है जो भविष्य में इससे अधिक परिवर्तित होगी।  हालांकि इन परिवर्तनों के अनुरूप ढलना अपरिहार्य है किंतु उनको जानना चाहिए कि वे इस क्षेत्र में इस्लामी समाज पर कभी हुकूमत नहीं कर पाएंगे।

सुप्रीम लीडर ने आज की भेंट में जनता के लिए काम, जन कल्याण और देश की प्रगति के लिए प्रयास को ईश्वर के लिए किया गया काम बताया।  उन्होंने कहा कि लोगों की समस्याओं के समाधान का प्रयास अर्थात ईश्वर के लिए काम करने की भावना का बदला ईश्वर देता है।

इमाम ख़ामेनेई ने इस वर्ष के नारे, "जनता की भागीदारी से पैदावार में छलांग" को साकार करने के लिए क्या करें और क्या न करें की व्याख्या करते हुए सरकारी हस्तक्षेप की ओर संकेत किया।  उन्होंने इसमें कमी का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता की आर्थिक, वैचारिक और पहल करने जैसी संभावनाओं को सामने लाने में देश के लिए अधिक लाभ है।  उन्होंने मानवीय क्षमताओं को प्राकृतिक क्षमताओं से अधिक महत्वपूर्ण बताया।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी राष्ट्र के पास विश्व की औसत से अधिक प्रतिभा है।  यहां पर 36 मिलयन युवाओं में से 14 मिलयन के पास उच्च शिक्षा है।  30 लाख से अधिक स्टूडेंट, एक लाख से अधिक फेकल्टी मेंमबर्स और डेढ लाख से अधिक डाक्टर हैं।

उन्होंने देश की असधारण क्षमताओं के कारण आर्थिक स्थति में सुधार के लिए लोगों की उम्मीदों को जायज़ बताते हुए कहा कि 64 महत्वपूर्ण खनिज पदार्थों के साथ ईरान, दुनिया के लगभग सात प्रतिशत संसाधनों का स्वामी है जबकि ईरान की जनसंख्या विश्व की मात्र एक प्रतिशत है।  यह बहुत ही उपयुक्त क्षमता है।

सर्वोच्च नेता के अनुसार लगभग 37 मिलयन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि, इस महत्वपूर्ण कृषि क्षमता के संचान के लिए जल प्रबंधन की संभावना तथा स्टील और सीमेंट जैसे उत्पादों में वैश्विक उत्पाद के शीर्ष रैंक में ईरान की मौजूदगी, देश की अन्य क्षमताओं में शामिल है।

इस्लामिक क्रांति के संस्थापक, हज़रत इमाम खुमैनी (आरए) का उद्देश्य, रमज़ान के आखिरी शुक्रवार को अल-कुद्स के दिन के रूप में नामित करना, मुस्लिम उम्माह की नज़र में फिलिस्तीन मुद्दे को जीवित करना था।

अल-कुद्स दिवस वास्तव में फिलिस्तीन के जीवन का नाम है और हज़रत इमाम खुमैनी (आरए) ने आखिरी शुक्रवार को अल-कुद्स दिवस के रूप में बुलाया और इस्लामी उम्माह के दिमाग में फिलिस्तीन मुद्दे को हमेशा के लिए पुनर्जीवित कर दिया।

  अल-कुद्स दिवस ने साबित कर दिया कि फिलिस्तीनी लोग अकेले नहीं हैं। हम उनके दुःख-दर्द में बराबर के भागीदार हैं। हम तब तक चीन से नहीं बैठेंगे जब तक सभी फ़िलिस्तीनी शरणार्थी अपने घर नहीं लौट जाते।

आज यरूशलम को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें से पहली चुनौती इजराइल की कब्जा करने वाली ज़ायोनी सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता देना है। दूसरी चुनौती येरूशलम की आबादी और पहचान को ख़त्म कर इसे यहूदी बनाना है. तीसरी चुनौती यरूशलेम और अल-अक्सा मस्जिद में पवित्र स्थानों का अपमान और अपवित्रता है, जबकि चौथी चुनौती सेंचुरी डील है और पांचवीं चुनौती पश्चिमी जॉर्डन का इज़राइल में एकीकरण है। और छठी चुनौती है गाजा के उत्पीड़ित लोगों का नरसंहार.

संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल अपने सहयोगी अरब शासकों के साथ पिछले 74 वर्षों से फिलिस्तीनी मुद्दे को दबाने की असफल साजिश रच रहे हैं, लेकिन फिलिस्तीनी मुद्दा दिन-ब-दिन प्रमुख होता जा रहा है और इस संबंध में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के प्रयास असफल रहा।

अल-कुद्स दिवस के अवसर पर, हमें यरूशलेम और फिलिस्तीन मुद्दे पर दृढ़ और दृढ़ विश्वास है, और हम यह भी मानते हैं कि यरूशलेम अपने असली उत्तराधिकारियों को मिलेगा और भटकते फिलिस्तीनी एक दिन जीत के साथ अपने वतन लौटेंगे। इच्छा ईश्वर की कृपा हो।

गाजा पर ज़ायोनी आक्रमण और वैश्विक स्तर पर इज़राइल के खिलाफ पाए गए दुःख और गुस्से और बड़ी रैलियों, कुद्स इंतिफादा की व्यापक और बढ़ती सफलताओं और फिलिस्तीनियों के जोरदार संघर्ष के साथ, इस वर्ष का विश्व अल-कुद्स दिवस एक अलग दिन है। इस्लामी दुनिया के इतिहास में यह घटना पवित्र दिन होगी।

इसलिए भी कि अस्थायी और नकली ज़ायोनी सरकार की सैन्य शक्ति का भ्रम टूट गया है और स्वयं ज़ायोनी भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं और ऐसी परिस्थितियों में मुस्लिम उम्माह और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के संघर्ष के इतिहास में इस बार का दिवस मनाया जाता है। अल-कुद्स का एक विशेष महत्व है।

अल-अक्सा मस्जिद खतीब अल-शेख इकरामा साबरी ने अपने एक बयान में कहा कि कुद्स आज़ाद होगा और फ़िलिस्तीनी लोग अलर्ट पर हैं।

अल-अक्सा मस्जिद खतीब ने कहा कि अल-अक्सा मस्जिद अपनी इस्लामी और फिलिस्तीनी पहचान के कारण हमेशा इजरायल के हमले का शिकार रही है क्योंकि ज़ायोनी सरकार इस पहचान को खत्म करना चाहती थी।

स्टैजमैट फ्रंट से जुड़े पर्यवेक्षकों का कहना है कि फ़िलिस्तीनी सरकार हिज़्बुल्लाह के रॉकेटों से अपनी रक्षा नहीं कर सकती है और पिछले 6 महीनों से वह एक समूह को हरा नहीं पाई है, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ रहा है और वह गाजा के दलदल में है। बुरी तरह फंस चुका है और वहां से निकलने की पुरजोर कोशिश कर रहा है तो वह कैसे सैन्य बल के जरिए अपने कैदियों को स्टैजमैट फ्रंट के मुजाहिदीन की जेल से छुड़ा सकता है.

 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली दूसरी याचिका भी खारिज कर दी, जो शराब नीति में कथित घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

भारत में मीडिया सूत्रों के मुताबिक, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह उपराज्यपाल के अधीन आता है राष्ट्रपति का अधिकार क्षेत्र. हालाँकि, अदालत ने टिप्पणी की कि यह मुख्यमंत्री पर निर्भर है कि वह पद पर बने रहेंगे या नहीं।

पीठ ने कहा कि कभी-कभी व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है लेकिन यह उनका यानी केजरीवाल का निजी फैसला है।

पीठ ने कहा कि वह केवल यह कह सकती है कि वह इस मामले पर फैसला नहीं कर सकती और इस मामले पर फैसला करना दिल्ली के उपराज्यपाल या भारत के राष्ट्रपति पर निर्भर है।

 

इस्राईल की युनिट 8200 एक इंटैलीजेंस एजेंसी है जो मीडिया के मंच पर सक्रिय है और अफ़वाहे फैलाना, सामाजिक टकराव को हवा देना, सिस्टम्ज़ को हैक करना और कोड व पासवर्ड का पता लगाना इस युनिट की गतिविधियों के मैदान हैं।

इस युनिट की स्थापना 1952 में कर दी गई यानी उस समय जब इस्राईली शासन की स्थापना को महज़ चार साल गुज़रे थे। इसकी स्थापना के लिए अमरीकी उपकरणों और संसाधनों का इस्तेमाल किया गया था। इस युनिट का मुख्यालय तेल अबीब के उत्तर में स्थित ग्लीलोट नामक इलाक़े में है। कर्मियों की संख्या की दृष्टि से इस्राईल के युद्ध मंत्रालय की यह सबसे बड़ी युनिट है। इसके कर्मियों में अधिकतर की उम्र 16 से 18 साल के बीच होती है।

डिफ़ेंस न्यूज़ वेबसाइट के अनुसार इस्राईल ने वर्ष 2003 में हाई स्कूल के हज़ारों छात्रों की इस युनिट में भर्ती की थी।

युनिट 8200 की ज़िम्मेदारियां

युनिट 8200 के कर्मी ज़ायोनी विचारों का प्रचार, पूर्वी दुनिया और इस्लामी जगत में घुसपैठ करना, पूर्वी समाजों और मुसलमानों के बारे में लोगों की सोच की नकारात्मक बनाना और नैतिक मूल्यओं व आस्थाओं को निशाना बनाना इस युनिट के मुख्य काम हैं। दरअस्ल इस्राईल ने एक साइबर फ़ोर्स बना रखी है जिसकी मदद से वह साबइर स्पेस और सोशल मीडिया पर भारत, पाकिस्तान, चीन, जापान और इस्लामी समाजों में विवाद और टकराव पैदा करता है। इसका मक़सद इस्राईल को शांत माहौल मुहैया करना है जिसमें वह अपनी विस्तारवादी योजनाओं पर काम कर सके।

युनिट 8200 इस्राईल की साइबर फ़ोर्से

इस समय युनिट 8200 के सैकड़ों कर्मी सोशल मीडिया यूज़र्स के भेष में अलग अलग देशों में अफ़वाहें फैलाने में व्यस्त हैं। स्वाधीन देशों के नेताओं की छवि ख़राब करना और राजनैतिक व धार्मिक टकराव पैदा करना इसका एजेंडा है।

यही युनिट कम्प्युटर वायरस बनाकर उसे दूसरे देशों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने और ज़ायोनी शासन का विरोध करने वाले देशों को नुक़सान पहुंचाने में व्यस्त है। इस युनिट के करतूतों में ईरान के सिविलियन परमाणु कार्यक्रम में बाधाएं डालना और इसके लिए स्टाक्सनेट जैसे वैयरस का इस्तेमाल शामिल है।

रायुल यौम अख़बार ने कुछ समय पहले ज़ायोनी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी कि युनिट 8200 इस्लामी गणराज्य ईरान को साइबर और इलेक्ट्रानिक जंग में अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानती है। यह भी महत्वपूर्ण बिंदु है कि इस इकाई में काम करने वाले कर्मी फ़ार्सी सहित अनेक विदेशी भाषाएं जानते हैं।

रिपोर्टों से पता चलता है कि ज़ायोनी सेना इस्लामी गणराज्य ईरान के ख़िलाफ़ माहौल बनाने के लिए अपने कर्मियों को बहुत छोटी उम्र से फ़ार्सी सिखाती है।इस युनिट का काम सोशल मीडिया की पोस्टों के नीचे भारी संख्या में कमेंट लिखना और ईरान की अहम हस्तियों की छवि ख़राब करना और ईरान की साम्राज्यवाद विरोध सोच को कमज़ोर करना है।

इन गतिविधियों के साथ ही इस युनिट के लोग जासूसी के मक़सद से अलग अलग देशों में सोशल मीडिया यूज़र्स की जानकारियां एकतत्रित करते हैं।

इस युनिट की अन्य गतिविधियों में पश्चिमी एशिया में टारगेट किलिंग की घटनाओं में सहयोग देना है।

वर्ष 2010 में न्यूयार्क टाइम्ज़ ने अमरीका के एक अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट छापी थी कि इस युनिट के लोग सीरिया में आप्रेशन कर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि इस युनिट ने वर्ष 2007 में सीरिया के परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारियां एकत्रित कीं और इस्राईली वायु सेना के हवाले कर दीं ताकि वह इन केन्द्रो को ध्वस्त कर सके।

इस्राईल के सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि यह युनिट क्षेत्र के देशों में टारगेट किलिंग के आप्रेशनों के लिए ड्रोन विमानों का भी इस्तेमाल करती है।

इस्राईल के सामरिक व सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ यूसी मेलमैन ने इस बारे में बताया कि इस्राईल में इंटैलीजेंस का कोई भी आप्रेशन नहीं है जिसमें युनिट 8200 की भूमिका न हो। विदेशों में इस्राईल के हर आप्रेशन में इंटैलीजेंस सपोर्ट इसी युनिट का होता है।

विश्व क़ुद्स दिवस पर ईरान की ओर से सारे स्वतंत्रता प्रेमियों से प्रदर्शन का आह्वान किया गया।

विश्व क़ुद्स दिवस के दृष्टिगत इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके सारे देशों और मुसलमान राष्ट्रों तथा विश्व के समस्त स्वतंत्रता प्रेमियों से एकजुट होकर 5 अप्रैल को फ़िलिस्तीन की अत्याचारग्रस्त जनता के समर्थन का आह्वान किया है।

ईरान के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की एतिहासिक पहल की वर्षगांठ पर, जिसमें पवित्र रमज़ान के अन्तिम जुमे को "विश्व क़ुद्स दिवस" का नाम दिया गया था।

इस समय फ़िलिस्तीन का मुद्दा और पवित्र क़ुद्स की स्वतंत्रता का विषय, मानवता और स्वतंत्रता की रक्षा, न्याय की प्राप्ति और क़ब्ज़े तथा उत्पीड़न के विरोध को व्यक्त करने में दुनिया की सभी जातियों और धर्मों की एकता का प्रतीक बन चुका हैं।     

ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनियों के हमले के छठे महीने इस समय फ़िलिस्तीन और वहां की अत्याचारग्रस्त जनता की दुर्दशा, पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी त्रासदी बन चुकी है।  अवैध ज़ायोनी शासन, फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध अपने भयावह अपराधों को जारी रखे हुए है।

उसके हाथों लगभग चालीस हज़ार निर्दोष बच्चों, बूढ़ों, महिलाओं और पुरुषों का जनसंहार किया जा चुका है।  इसी के साथ यह जातिवादी आतंकी आवासीय घरों, अस्पतालों, स्कूलों, मस्जिदों, गिरजाघरों के साथ ही मूलभूत संरचना को नष्ट कर रहा है।  इन अत्याचारों के साथ वह ग़ज़्ज़ा वासियों को भूखा रखकर उनको मार रहा है।

पवित्र रमज़ान के महीने में मुसलमानों के पहले क़िब्ले बैतुल मुक़द्दस का अनादर, इस पवित्र स्थल के आंगन में नमाज़ियों पर हमले और उनकी पिटाई, फ़िलिस्तीनी महिला बंदियों पर अत्याचार और उनको यातनाएं देने जैसा काम न केवल ग़ज़्ज़ा में बल्कि पूरे फ़िलिस्तीन में जारी है।  इस अवैध शासन ने पूरे फ़िलिस्तीन को लाखों फ़िलिस्तीनियों के लिए एक ओपेन जेल में परिवर्तित कर दिया है।  उसने इस स्थान को मानवता की हत्या और मानव की अंतरात्मा के क़ब्रिस्तान में बदल दिया है।

इस बयान में अमरीका और पश्चिम के व्यवहार के संदर्भ में आया है कि निःसन्देह, इन अत्याचारों के कलंक का टीका, इस अवैध शासन और उसके उन समर्थकों के माथे से कभी भी नहीं हटेगा जिसमें अमरीका और पश्चिमी सरकारें शामिल हैं।

इन्होंने न केवल यह कि इन अत्याचारों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की बल्कि हमले के पहले ही दिन से उसको हथियार भेजकर और वहां की यात्राएं करके समर्थन किया।  यह बात कभी भी मानव इतिहास के पटल से मिट नहीं सकती।

वर्तमान समय में फ़िलिस्तीनियों विशेषकर प्रतिरोधकर्ताओं की बहादुरी उनके धैर्य एवं प्रतिरोध ने ज़ायोनियों के तथाकथित अजेय के नारे को मिट्टी में मिला दिया।  इस समय ज़ायोनी और उसके समर्थक, विश्व के आम लोगों की घृणा की दलदल में फंसे हुए हैं।  एसे में अवैध ज़ायोनी शासन की पराजय निश्चित है जो ईश्वरीय वादे के अनुरूप है।

अब ज़ायोनी और वर्चस्ववादी मीडिया भी इस काम में सक्षम नहीं रहा है कि वह क्षेत्रीय राष्ट्रों की जागरूकता से उत्पन्न इस प्रतिरोध को ईरान से जोड़कर ज़ायोनियों की निश्चित पराजय को रोक नहीं पाएगा।

फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ग़ज़ा में हमलावर ज़ायोनी सेना के हमलों में इकहत्तर से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं और सौ से अधिक घायल हुए हैं।

सहर न्यूज़/आलम इस्लाम: प्राप्त समाचार के अनुसार फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि ज़ायोनी सेना ने पिछले घंटों के दौरान सात चरणों में नरसंहार और अन्य अपराध किये हैं। फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय की घोषणा के अनुसार, लगभग 8,000 फ़िलिस्तीनी अभी भी लापता हैं और मलबे के नीचे दबे हुए हैं, और संसाधनों की कमी और ज़ायोनी सरकार द्वारा जारी हमलों के कारण राहत दल उन्हें बचाने में असमर्थ हैं।

ज़ायोनी सैनिकों ने पश्चिमी जॉर्डन में चालीस फ़िलिस्तीनियों को भी गिरफ़्तार किया है, जिनमें बच्चे और पूर्व कैदी भी शामिल हैं।

फिलिस्तीनी शिक्षा मंत्रालय ने यह भी घोषणा की है कि 7 अक्टूबर को गाजा पट्टी के खिलाफ युद्ध की शुरुआत के बाद से इस पट्टी पर ज़ायोनी कब्जे वाली सेना के हमलों में 6,500 फिलिस्तीनी छात्र शहीद हो चुके हैं। फ़िलिस्तीनी मंत्रालय ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि युद्ध की शुरुआत के बाद से, इज़राइल ने 480 स्कूलों पर बमबारी की और उन्हें नष्ट कर दिया है।

फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि 7 अक्टूबर से गाजा में चल रहे युद्ध में शहीदों की संख्या 32,916 और घायलों की संख्या 75,494 हो गई है.

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने तेहरान और बगदाद के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रायसी ने इराकी प्रधान मंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी के साथ टेलीफोन पर बातचीत में, कांसुलर अनुभाग पर नरसंहार ज़ायोनी शासन द्वारा आतंकवादी हमले पर इराकी सरकार की प्रतिक्रिया व्यक्त की। दमिश्क में ईरानी दूतावास ने सहानुभूति व्यक्त करने और इस आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करने के लिए देश और सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज, पैंतालीस वर्षों के बाद, दुनिया के सभी देशों को इसकी वैधता और शुद्धता का एहसास हुआ है। इस्लामी गणतंत्र ईरान की स्थिति.

राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने दमनकारी ज़ायोनी सरकार के खिलाफ ईरान और इराक के संयुक्त रुख को दोनों देशों के लोगों के बीच एकजुटता का प्रतीक बताया और फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में इराकी सरकार के दृढ़ रुख की सराहना करते हुए सभी इस्लामी देशों से भी ऐसा करने को कहा। .उन्होंने स्टैंड लेने पर जोर दिया.

इस टेलीफोन बातचीत में, इराकी प्रधान मंत्री मुहम्मद शिया अल-सुदानी ने ईरानी के कांसुलर अनुभाग पर आक्रामक ज़ायोनी सरकार के आतंकवादी हमले में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के मेजर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहिदी और उनके कुछ सहयोगियों की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त की। सीरिया में दूतावास। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिष्ठित और शक्तिशाली नेतृत्व की छाया में, इस्लामी प्रतिरोध को अंतिम और निर्णायक जीत मिलेगी।

 

ग़ाज़ा में इसराइल हमले के कारण दांत की डॉक्टर और हाफिज ए कुरआन महिला शीमा जमाल नईम और गाजा पट्टी में सर्वोच्च पाठ करने वाली शहीद हुई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अलजज़ीरा के अनुसार,शीमा नईम ने संलग्न दस्तावेज़ का अध्ययन करना शुरू कर दिया था लेकिन ज़ायोनी शासन की बमबारी ने उसे नहीं छोड़ा और शहीद हो गई।

फ़िलिस्तीनी माँ, पत्नी, बेटी और बहन शीमा (उम्मे तिसीर) ने कम उम्र में ही कुरान याद कर लिया था और उसके परिवार और दोस्तों ने उसे एक दयालु, उदार, बुद्धिमान, सहिष्णु और शुद्ध व्यक्ति बताया हैं।

शीमा नईम ने दंत चिकित्सा संकाय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया वह अंग्रेजी और जर्मन में पारंगत थी और तुर्की, फ्रेंच और हिब्रू भाषाओं से भी अच्छी तरह परिचित थी।

शीमा की महत्वाकांक्षा और खुद के विकास की चाहत यहीं खत्म नहीं हुई, स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद उन्होंने डिजाइन, भाषा सीखने और विपणन में विभिन्न पाठ्यक्रमों में भाग लिया, हालांकि अपने तीन साल के बेटे, तिसिर की देखभाल में उन्हें काफी समय लग गया।

शीमा ने अपने जीवन के आखिरी दिन अलबलह में अपने विस्थापित परिवार के साथ बिताए, वह अपने बेटे, बहन और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ज़ायोनी शासन के लड़ाकों की बमबारी में शहीद हो गई।

कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के आक्रामक सैनिकों ने पश्चिमी जॉर्डन के उत्तर में स्थित जेनिन पर हमला किया है, जहाँ फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन और ज़ायोनी सैनिकों के बीच भीषण झड़पें हुई हैं।

फ़िलिस्तीन की समा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, फ़िलिस्तीनी स्थानीय सूत्रों ने जानकारी दी है कि जेनिन के दक्षिण क़बातिया में फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन और ज़ायोनी सैनिकों के बीच भीषण झड़प हुई है।

इस रिपोर्ट के अनुसार फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन ने ज़ायोनी सैनिकों के रास्ते में कई बम विस्फोट किये। दूसरी ओर, कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार ने भी अपनी सहायता सेना इस क्षेत्र में भेज दी है, कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के आक्रामक सैनिक हर दिन पश्चिमी जॉर्डन के उन इलाकों को निशाना बना रहे हैं जहाँ फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन और ज़ायोनी सैनिकों के बीच भीषण झड़पें हो रही हैं। कब्ज़ा करने वाली सेना ने बड़ी संख्या में फ़िलिस्तीनियों को गिरफ़्तार कर लिया।

इस्लामिक जिहाद फिलिस्तीन की सैन्य शाखा सराया अल-कुद्स ने गाजा के पास अवैध ज़ायोनी बस्तियों पर मिसाइल हमला किया है।

शहाब न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, फिलिस्तीन में इस्लामिक जिहाद की सैन्य शाखा, सराया अल-कुद्स ने घोषणा की है कि गाजा के उत्पीड़ित नागरिकों के खिलाफ बर्बर ज़ायोनी आक्रामकता के जवाब में, गाजा के पास अवैध बस्तियों के विभिन्न क्षेत्रों सुदिरुट और नायर एम समेत अन्य इलाके मिसाइल हमलों की चपेट में आ गए हैं। इस संबंध में ज़ायोनी सरकार के रेडियो ने यह भी घोषणा की है कि उत्तरी कब्जे वाले फ़िलिस्तीन में अल-मुतला ज़ायोनी बस्तियों के क्षेत्र पर दो मिसाइलें भी दागी गईं।

इससे पहले बुधवार को ज़ायोनी मीडिया ने बताया कि वेस्ट बैंक में एक कार की चपेट में आने से चार ज़ायोनी पुलिस अधिकारी घायल हो गए।