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राजनीति में प्रवेश करने के लिए अमेरिका में मुसलमानों को आमंत्रित किया
अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी «mainepublic» से उद्धृत किया है कि अमेरिका में मुसलमान विवादास्पद राजनीतिक बहस के अधीन है लेकिन कार्यालयों में कुछ मुसलमान राजनीतिक प्रतिनिधी और गैर लाभ वाले समूह (Jetpac) मुसलमान सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी को मजबूत करने के लिए कोशिश करते हैं।
इस समूह के मिशन के हिस्से ने मुस्लिम उम्मीदवारों को राजनीतिक और सामाजिक मान्यता के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में मदद करती है।
" गैर लाभ वाले समूह (Jetpac) के संस्थापक और "कैम्ब्रिज" नगर परिषद के सदस्य नदीम Muezzinने कहा कि संभावित मुसलमान उम्मीदवार का रजिस्टर करना महत्वपूर्ण मुद्दा है।
उन्हों ने समूह को अमेरिका में राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश के लिए मुसलमानों को प्रोत्साहित किया है और कहा: कि पिछले दो दशकों में अमेरिका के मुसलमान बचाव की मुद्रा में रहते है लेकिन अब समयअपनी मौजदग़ी दर्ज करने का है।
हिज़्बुल्लाह के ख़तरनाक हथियार ने इस्राईल के होश उड़ाए
एक इस्राईली समाचारपत्र ने लिखा है कि लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के पास एेसा ख़तरनाक हथियार है जिनसे इस्राईल के शक्ति के समीकरण को बिगाड़ दिया है।
यदीऊत अहारनूत ने रविवार के अंक में लिखा है कि हिज़्बुल्लाह के पास रूस के "याख़ून्त" मीज़ाइल हैं जो अपने आप में दुनिया के सबसे विकसित मीज़ाइल हैं। ज़ायोनी शासन इससे पहले भी ऐसी स्थिति में हिज़्बुल्लाह के पास मौजूद इन मीज़ाइलों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर चुका है। जब वह ख़ुद परमानु बमों से संपन्न शासन है। उसने दावा किया था कि लेबनान के तटों पर मौजूद इस्राईली व अमरीकी समुद्री जहाज़ों और बेड़ों के लिए भारी ख़तरे के कारण, ये मीज़ाइल शक्ति के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं।
इस्राईल की चिंता इस वजह से भी बढ़ गई है कि उसके पास इन मी़ज़ाइलों को रोकने या इनका रास्ता बदल देने की टेक्नोलोजी नहीं है। याख़ून्त मीज़ाइल 300 किलो मीटर की दूरी से किसी भी लक्ष्य को 750 मीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से भेद सकता है। लक्ष्य को भेदते समय इसकी ऊंचाई केवल 10 से 15 मीटर होती है और इसी लिए इसे रडार पर नहीं देखा जा सकता। मुख्य रूप से समुद्री जहाज़ों को निशाना बनाने वाला याख़ून्त मीज़ाइल 200 किलो ग्राम का वाॅर हेड ले जाने में भी सक्षम है। रूस ने यह मीज़ाइल 2014 में नैटो के समुद्री जहाज़ों के संभावित हमले को रोकने के लिए क्रिमिया प्रायद्वीप में तैयार किया था।
यूरोप में कुरआन गतिविधियों के विकास के बारे में एक बैठक आयोजित की ग़ई
अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी ने «alkafeel.net» जानकारी डेटाबेस के अनुसार बताया कि यह संगोष्ठी प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं की मौजुदग़ी जैसे नजफ मदरसे के प्रोफेसर "सैयद मोहम्मद अली Alhlv" और पवित्र हरमे अब्बासी के दारुल कुरआन के निदेशक "शेख जिया अल Zubaidi की मौजुदग़ी में आयोजित किया गया।
संगोष्ठी में यूरोप में कुरआन गतिविधियों के विकास और इस्लामी मोहम्मदी संस्कृति जो शांति, सआदत, सभ्य जीवन और मानवीय मूल्यों के लिए आमंत्रित करता है चर्चा की ग़ई।
"सैयद मोहम्मद अली Alhlv" ने संगोष्ठी में लंदन में कुरआन की गतिविधियों और समस्याओं के क्षेत्र में शामिल अन्य विषयों के लिए चिंताओं और सिफारिशों और सुझावों दिए
लंदन में पवित्र हरमे अब्बासी के दारुल कुरआन शाखा ने अब तक कई पाठ्यक्रम कुरआन विज्ञान और व्याख्या आयोजित कर चुका है
अमरीका, हिज़्बुल्लाह को औपचारिक रूप से स्वीकार करेः रूस
रूस के विदेशमंत्री ने कहा कि अमरीका को चाहिए कि वह दाइश से संघ के लिए हिज़्बुल्लाह को आधिकारिक रूप से स्वीकार करे।
रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने एनटीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि अमरीका को लेबनान के हिज़बुल्लाह को जिसे ईरान का समर्थन प्राप्त है और दाइश से संघर्ष कर रहा है, आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लेना चाहिए।
उनका कहना था कि वर्तमान समय में ईरान और अमरीका के बीच दुश्मनी ओबामा के काल से कम नहीं है। रूस के विदेशमंत्री ने स्वीकार किया कि यदि अमरीका के नये राष्ट्रपति के निकट अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से संघर्ष को प्राथमिकता प्राप्त है तो उन्हें सीरिया में दाइश से संघर्ष करने वाली एक इकाई के रूप मे हिज़्बुल्लाह को स्वीकार करना चाहिए।
रूस के विदेशमंत्री ने कहा कि यदि वास्तविकताओं पर ध्यान दें तो हमें हिज़्बुल्लाह को दाइश से संघर्ष करने वाले के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
हमास की सैन्य शाख़ा के संस्थापक ग़ज्ज़ा में फ़िलिस्तीनी आंदोलन के प्रमुख चुने गए
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोधी आंदोलन हमास ने ग़ज्ज़ा पट्टी में अपने नए नेता के नाम का एलान कर दिया है।
सोमवार को हमास के अधिकारियों ने बताया कि इस्लामी आंदोलन की सैन्य शाख़ा इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम ब्रिगेड के वरिष्ठ कमांडर याहया सिनवर को ग़ज्ज़ा पट्टी में हमास के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख चुना गया है।
सिनवर इस्माईल हनिया का स्थान लेंगे, जो ग़ज्ज़ा में प्रधान मंत्री का पद संभाल चुके हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि हनिया, हमास के राजनीतिक ब्यूरो चीफ़ ख़ालिद मशअल का स्थान ले सकते हैं।
50 वर्षीय सिनवर इज्ज़ुद्दीन क़स्साम ब्रिगेड के संस्थापक हैं। इस्राईल ने उन्हें 1988 में गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिया था। 2011 में इस्राईली सैनिक गिलाद शालित को आज़ाद करने के बदले इस्राईल ने 1,000 फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को रिहा किया था, जिसमें सिनवर भी शामिल थे।
मास्को में हलाल उत्पादों की प्रदर्शनी
अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी ने खबर "रसिया अल-यौम" के अनुसार रूस में हलाल उत्पादों की एक बड़ी संख्या ने प्रदर्शनी में भाग लिया है।
यह प्रदर्शनी उपभोक्ताओं के लिए हलाल उत्पादों के क्षेत्र में रूसी कंपनियों के लिए इस बाजार की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कोशिश कर रहे हैं और रूसी खाद्य उद्योग का एक अभिन्न अंग के रूप में हलाल उद्योग लगाने के लिए आयोजित किया गया है।
प्रदर्शनी की गतिविधि रूस के Muftis की परिषद द्वारा मुसलमानों के आध्यात्मिक प्रशासन के प्रायोजित शुक्रवार तक आयोजित किया जा रहा है ।
प्रदर्शनी के दौरान विशेषज्ञों और प्रतिभागियों ने घरेलू और विदेशी बाजारों की प्रवृत्ति, मुस्लिम देशों के लिए हलाल उत्पादों की वृद्धि के निर्यात और हलाल उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों की आवश्यकताओं के बारे में जानकारी और विचारों का आदान-प्रदान किया।
कोई भी शत्रु ईरानी राष्ट्र को बांध नहीं सकताः वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अमरीका के नए राष्ट्रपति के बयानों की ओर संकेत करते हुए कहा है कि अमरीका की इच्छा कभी भी पूरी नहीं होगी और कोई भी शत्रु ईरानी राष्ट्र को बांध नहीं सकता।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार को देश की वायु सेना के कमांडरों और जवानों से मुलाक़ात में कहा कि अमरीका के नए राष्ट्रपति कहते हैं कि हमें ओबामा का आभारी होना चाहिए! क्यों? दाइश को अस्तित्व प्रदान करने के लिए, इराक़ व सीरिया में आग लगाने के लिए और वर्ष 2009 में ईरान में हुए उपद्रव का खुल कर समर्थन करने के लिए उनका आभारी होना चाहिए? वही थे जिन्होंने अपने विचार में ईरानी राष्ट्र को तोड़ देने के वाले प्रतिबंंध लगाए। वरिष्ठ नेता ने कहा कि ट्रम्प कहते हैं मुझसे डरो! बिल्कुल नहीं, ईरानी जनता 11 फ़रवरी के जुलूसों में उनकी इस बात का जवाब देगी और दिखा देगी कि ईरानी राष्ट्र धमकियों के मुक़ाबले में किस प्रकार का रुख़ अपनाता है। उन्होंने कहा कि अमरीका में सत्ता हाथ में लेने वाले इन महोदय के हम आभारी हैं! आभार इस लिए कि इन्होंने हमारा काम सरल कर दिया और अमरीका का अस्ली चेहरा दिखा दिया। हम पिछले तीन दशक से जो बात कह रहे थे कि अमरीकी सरकार में राजनैतिक भ्रष्टाचार, आर्थिक भ्रष्टाचार, नैतिक भ्रष्टाचार और सामाजिक भ्रष्टाचार व्याप्त है, इन महोदय ने चुनाव अभियान के दौरान और उसके बाद इस तथ्य को पूरी तरह से खुल कर दिखा दिया। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा किइस समय भी जो काम ये कर रहे हैं और पांच साल के बच्चे को हथकड़ी लगा रहे हैं, उससे पता चलता है कि अमरीकी मानवाधिकार की सच्चाई क्या है?
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश की वायु सेना के कमांडरों और जवानों से मुलाक़ात में, जो आठ फ़रवरी वर्ष 1979 को ईरान की वायु सेना के जवानों द्वारा स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी से की गई बैअत (आज्ञापालन के वचन) की वर्षगांठ के अवसर पर हुई, उक्त बैअत को इस्लामी क्रांति के इतिहास में एक निर्णायक घटना बताया और कहा कि अत्याचारी शाही शासन के काल में वायु सेना, अमरीका की पिट्ठू राजनैतिक व्यवस्था से सबसे निकट विभागों में से एक थी और उसी ने उस व्यवस्था को सबसे बड़ा आघात पहुंचाया। आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बल देकर कहा कि शैतानों पर भरोसा करना और मूल इस्लामी व्यवस्था के विरोधियों से आशा लगाना बहुत बड़ी भूल है।
अमरीका को एक शक्तिशाली ईरान का सामना है, इस समय सबसे शक्तिशाली है ईरानः वाशिंग्टन पोस्ट
वाशिंग्टन पोस्ट ने ईरान के विरुद्ध दबाव बढ़ाने के लिए ट्रंप सरकार की नीतियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरान पिछले चालीस वर्षों के दौरान वर्तमान समय में सबसे शक्तिशाली देश है।
वाशिंग्टन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप, ईरान पर दबाव डालना चाहते हें किन्तु अब ईरान पहले से अधिक शक्तिशाली है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप ने ईरान के विरुद्ध कठोर नीति के लिए अरब जगत के दृष्टिकोणों को आकर्षित कर लिया है किन्तु यह रिस्क भी मौजूद है कि ईरान पिछले चालीस वर्ष के दौरान इस समय सबसे शक्तिशाली है।
डोनल्ड ट्रंप ने पिछले समाप्त सचेत करते हुए कहा था कि ईरान पर उनकी विशेष दृष्टि है। समाचार पत्र लिखता है कि ट्रंप के इस बयान से पता चलता है कि वह ओबामा की नीतियों से दूर होना चाहते हैं और परमाणु समझौते के बाद ईरान और अमरीका के मध्य तनाव समाप्त काम करने की जो चर्चा हो रही है, उसे प्रभावित कर रहे हैं।
वाशिंग्टन पोस्ट ने लिखा कि क्षेत्र के बहुत से लोग यह भविष्यवाणी कर रहे हैं कि ईरान और अमरीका के मध्य स्थिति जार्ज बुश के काल में पाए जाने वाले तनाव जैसी हो गयी है जब तेहरान और वाशिंग्टन की कार्यवाहियां इराक़ में युद्ध छिड़ने का कारण बनीं, मध्यपूर्व क्षेत्र में शिया और सुन्नी विवाद गहरा गया, अमरीका का मुख्य घटक इस्राईल, ईरान के मुख्य घटक हिज़्बुल्लाह के साथ कठिन युद्ध में कूद पड़ा।
इस रिपोर्ट में लिखा गया कि वर्तमान समय में अमरीका को एक शक्तिशाली ईरान का सामना है, उस देश से सामना है जिसने अरब जगत में पिछले छह वर्ष के दंगों और अशांति से लाभ उठाया और इसी के साथ निरंतर अपनी सैन्य क्षमताओं में वृद्धि करता रहा है।
नई अमरीकी सरकार में सुरक्षा केन्द्र के टीकाकार निकोलस हेरास इस संबंध में कहते हैं कि ईरान से मुक़ाबला करने या तेहरान पर दबाव डालने की प्रक्रिया से संभव है कि स्वयं को एक व्यापक और विस्तृत विवाद में उलझा लें जो विश्व की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ख़तरनाक होगी और अमरीका के घटक या अमरीका का भीतरी जनमत जिसको सहन करने की क्षमता नहीं रखता।
हज़रत ज़ैनब स.अ की ज़िंदगी पर एक निगाह।
अबनाः हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा हज़रत इमाम अली अ. और हज़रत ज़हरा स. की बेटी हैं जो सन 5 या 6 हिजरी को मदीना में पैदा हुईं। आप इमाम हुसैन अ. के साथ कर्बला में मौजूद थीं और 10 मुहर्रम वर्ष 61 हिजरी को जंग ख़त्म हो जाने के बाद यज़ीद की फ़ौज के हाथों बंदी बंदी बनाई गईं और उन्हें कूफ़ा और शाम ले जाया गया। उन्होंने कैद के दौरान, दूसरे बंदियों की सुरक्षा और समर्थन के साथ साथ, अपने भाषणों के माध्यम से बेखबर लोगों को सच्चाई से अवगत कराती रहीं।
हज़रत ज़ैनब अ. ने बचपन के दिनों में अपने बाबा हज़रत अली अ. से पूछा: बाबा जान, क्या आप हमें प्यार करते हैं?
अमीरूल मोमेनीन हज़रत अली अ. ने फ़रमाया: मैं तुमसे प्यार क्यों न करूँ, तुम तो मेरे दिल का टुकड़ा हो।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से आपका ख़ास लगाव।
हज़रत ज़ैनब (स) बचपने से ही इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से बहुत प्यार करती थीं। जब कभी इमाम हुसैन (अ) आपकी आँखों से ओझल हो जाते तो बेचैन हो जाती थीं और जब आप भाई को देखतीं तो ख़ुश हो जाती थीं।
अगर झूले में रो पड़तीं तो भाई हुसैन (अ) के दर्शन करके या आपकी आवाज़ सुनकर शांत हो जाती थीं। दूसरे शब्दों में इमाम हुसैन (अ) का दर्शन या आपकी आवाज़ ज़ैनब (स) के लिए आराम और सुकून का कारण था।
इसी अजीब प्यार के मद्देनजर एक दिन हज़रत ज़हरा (स) ने यह बात रसूले अकरम (स) को बताई तो आपने स. फरमाया: "ऐ मेरी बेटी फ़ातिमा यह बच्ची मेरे हुसैन (अ) के साथ करबला जाएगी और भाई की मुसीबतों, दुखों और संकटों में उसकी भागीदार होगी।
आशूर के दिन आप अपने दो कम उम्र लड़कों औन और मोहम्मद को लेकर इमाम हुसैन (अ) के पास आई और कहा मेरी यह भेंट स्वीकार करें अगर ऐसा न होता कि जेहाद महिलाओं के लिए जाएज़ नहीं है, तो मैं अपनी जान आप पर क़ुरबान कर देती।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा पर्दे में छुपा सूरज
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की परवरिश इन महान हस्तियों की छात्र छाया में हुई।
उनके नाना पैग़म्बरे इस्लाम, पिता हज़रत अली और माता हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा संपूर्ण मानव जाति की महानतम हस्तियां थीं। अतः हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की परवरिश अध्यात्म के प्रकाश और पवित्रता की ज्योति में हुई।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा का जन्म वर्ष पांच या छह हिजरी क़मरी में जमादिल औवल महीने के 5 तारीख़ को मदीना नगर में हुआ। उनके जन्म पर इमाम हुसैन की ख़ुशी सबसे ज़्यादा थी। वह दौड़ते हुए हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे और उत्साह से चिल्लाते हुए कहा कि अल्लाह ने मुझे एक बहन दी है। मां हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने अपने पति हज़रत अली अलैहिस्सलाम से कहा कि हे अली! हम अपनी बेटी का क्या नाम रखें? हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने उत्तर दिया कि हमारी बेटी का नाम पैग़म्बरे इस्लाम रखेंगे। मैं बेटी का नाम रखने में पहल नहीं कर सकता। पैग़म्बरे इस्लाम उस समय कहीं गए हुए थे। जब वापस आए तो घर पहुंचते ही सीधे अपनी बेटी हज़रत फ़ातेमा के घर पहुंचे। उन्हें अपनी नवासी के जन्म की ख़बर मिल गई थी। पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि बेटी फ़ातेमा बच्ची का मेरे पास लाओ मैं उसे देखना चाहता हूं।
हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा ने नवजात शिशु को पैग़म्बरे इस्लाम की गोद में दिया और कहा कि हम आपकी प्रतीक्षा में थे ताकि आप आकर बच्ची का नाम रखें। बच्ची पैग़म्बरे इस्लाम की गोद में थी और उनके होटों पर मुसकुराहट थी। उन्होंने कहा कि इस बच्ची का नाम ईश्वर रखेगा। मैं प्रतीक्षा करूंगा कि इस बच्ची का आसमानी नाम निर्धारित हो। इसी बीच ईश्वरीय फ़रिश्ते हज़रत जिबरईल आए और पैग़म्बरे इस्लाम को बताया कि इस बच्ची का नाम ज़ैनब रखा गया है। ज़ैनब का अर्थ होता है पिता की शोभा।
बाल्यकाल से ही हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा को अपने भाई इमाम हुसैन से इतना अधिक लगाव हो गया था कि उसे बयान नहीं किया जा सकता। वह हमेशा अपने भाई के साथ रहना चाहती थीं। प्रेम प स्नेह की यह स्थिति देखकर हज़रत फ़ातेमा को भी आश्चर्य होता था। एक दिन हज़रत फ़ातेमा ने अपने पिता पैग़म्बरे इस्लाम को इस बारे में बताया और कहा कि मैं ज़ैनब और हुसैन के स्नेह व प्रेम से आश्चर्य में हूं। ज़ैनब अगर हुसैन को एक क्षण भी नहीं देखती तो व्याकुल हो जाती है। हुसैन पास न हों तो ज़ैनब तड़पने लगती हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम ने जब यह सुना तो उनके चेहरे पर दुख छा गया और आंखों से आंसू बहने लगे। उन्होंने एक आह लेकर कहा कि मेरी बेटी यह बच्ची अपने भाई हुसैन के साथ कर्बला जाएगी और हुसैन के दुख और पीड़ा में साझीदार बनेगी।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा के ज्ञान, अध्यात्म, महानता, पवित्रता और उपासना की ख्याति पूरे इस्लामी जगत में थी। उनके नाम से अधिक उनकी उपाधियां मशहूर थीं। यहां तक कि हज़रत ज़ैनब का नाम लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी बल्कि उपाधि से ही लोग समझ जाते थे। इसी लिए लोग ज़ैनब कहने के बजाए उपासिका, या पवित्रता का प्रतिमा कहते थे। मुसतफ़ा की चहेती और फ़ातेमा की उत्तराधिकारी जैसी उपाधियां इन महान हस्तियों से उनके विचित्र संबंध को उद्धरित करती थीं। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की उपाधियों में सबसे मशहूर उपाधि थी अक़ीलए बनी हाशिम और अक़ीलए अरब। वह अपने ख़ानदान की बड़ी प्रतिष्ठित हस्ती थीं। हज़रत ज़ैनब से विवाह बहुत बड़ी श्रेष्ठता की बात थी इसी लिए अरब के विभिन्न क़बीले हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पास प्रस्ताव लेकर आते थे। इनमें एक व्यक्ति का नाम अशअस इब्ने क़ैस कन्दी था। वही व्यक्ति जो वर्ष 10 हिजरी में मुसलमान हुआ था। पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद उसने इस्लाम धर्म छोड़ दिया और अबू बक्र से पराजित होने तक वह नास्तिक रहा। पराजित होने के बाद वह मुसलमान हो गया तो अबू बक्र ने अपनी नेत्रहीन बहन की उससे शादी करवा दी। उनके दो बच्चे हुए। एक बेटी जिसका नाम असमा था और जिसकी शादी बाद में इमाम हसन से हुई और उसने इमाम हसन को ज़हर दिया। दूसरे बच्चे का नाम मोहम्मद था जो उमरे सअद की सेना में शामिल होकर हज़रत इमाम हुसैन से युद्ध करने कर्बला पहुंचा था। अशअस इब्ने क़ैस समाज में अपना स्थान ऊंचा करने के लिए चाहता था कि हज़रत ज़ैनब से उसकी शादी हो जाए। एक बार उसने मस्जिद में सबके सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम नाराज़ हो गए। उन्होंने ग़ुस्से में कहा कि हे बुनकर के बेटे अबू बक्र ने तुझको बड़ी भूल में डाल दिया है। यदि तुने फिर कभी मेरी बेटी का नाम लिया और लोगों ने सुना तो मैं तेरा जवाब इसी तलवार से दूंगा। हज़रत अली अलैहिस्सलाम का यह जवाब सुनकर अशअस को मानो सांप सूंघ गया। दूसरों को भी पता चल गया कि बहुत सोच समझ कर ही इस बारे में कोई बात कहनी चाहिए। प्रस्ताव देने वालों में एक थे अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़रे तय्यार जो दूसरों से भिन्न थे। उनकी उदारता बहुत मशहूर थी। वह भी बनी हाशिम ख़ानदान की गौरवपूर्ण हस्ती थे। उन्होंने किसी को माध्यम बनाकर अपना प्रस्ताव हज़रत अली अलैहिस्सलाम तक पहुंचाया।
इस प्रस्ताव के बाद हज़रत ज़ैनब का विवाह अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र से हुआ लेकिन हज़रत ज़ैनब की शर्त थी कि उन्हें उनके भाई हुसैन से अलग न किया जाए और जब इमाम हुसैन यात्रा पर जाएंगे तो हज़रत ज़ैनब भी उनके साथ जाएंगी। अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र ने यह शर्तें मान लीं क्योंकि उन्हें भी पता था कि हज़रत ज़ैनब को कर्बला में महान दायित्व पूरा करना है।
हज़रत ज़ैनब उपसना और अध्यात्म में अपने माता-पिता की सच्ची वारिस थीं। वह बहुत अधिक उपासना करती थीं और हमेशा क़ुरआन की तिलावत करती थीं। वह वाजिब नमाज़ों के साथ ही मुसतहेब नमाज़ें भी कभी भी नहीं छोड़ती थीं। कर्बला की घटना दस मोहर्रम को हुई उस दिन भी हज़रत ज़ैनब की कोई नमाज़ नहीं छूटी। इमाम हुसैन के पुत्र हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कहते हैं कि मैंने उस भयानक समय में भी देखा कि फूफी ज़ैनब पूरी तनमयता से ईश्वर की इबादत करती थीं।
इंसान की श्रेष्ठता का मुख्य आधार ज्ञान है। और सबसे श्रेष्ठ ज्ञान वह है जो प्रत्यक्ष रूप से ईश्वर से प्राप्त किया जाए। ईश्वर ने अपने पैग़म्बर हज़रत ख़िज़्र के बारे में क़ुरआन में कहा कि हमने अपने पास से उन्हें बहुत ज्ञान प्रदान किया। इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कहते हैं कि हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा का ज्ञान भी एसा ही था। वह उन्हें ऐसी ज्ञानी कहते थे जिन्हें किसी इंसान ने ज्ञान नहीं दिया बल्कि ईश्वर ने ज्ञान प्रदान किया है।
एक दिन हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा अपने भाइयों हज़रत इमाम हसन और हज़रत इमाम हुसैन के पास बैठी थीं। दोनों भाई पैग़म्बरे इस्लाम के किसी कथन के बारे में बात कर रहे थे। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा ने कहा कि मैंने आप लोगों से यह सुना कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा है कि कुछ चीज़ें हलाल हैं और कुछ चीज़ें हराम हैं जिनसे लोग अवगत हैं लेकिन कुछ चीज़ें एसी हैं जो संदिग्ध हैं और लोगों को उनके बारे में नहीं पता कि वह हलाल हैं या हराम। जो व्यक्ति इस प्रकार की संदिग्ध चीज़ों से परहेज़ करे उसने मानो अपने धर्म और अपनी आबरू की रक्षा की है। जबकि इस प्रकार के कामों में लिप्त हो जाने वाले व्यक्ति के पांव हराम कामों की ओर भी फिसलने लगते हैं। उसकी मिसाल उस चरवाहे जैसी है जो अपने बकरियां किसी भयानक दर्रे के क़रीब से गुज़ारता है और उनके गिर जाने का ख़तरा बना रहता है। जान लो कि हर चीज़ में एक पहलू गहराई में गिर जाने का होता है और हराम काम यही खाइयां हैं। संदिग्ध चीज़ें इसी खाई के क़रीब से गुज़रने जैसा है। इंसान के शरीर में एक अंग एसा है कि यदि वह अच्छा हो तो पूरा शरीर अच्छा रहता है और यदि वह ख़राब हो जाए तो पूरा शरीर ख़राब हो जाएगा। वह अंग है दिल। हे मेरे भाइयो क्या पैग़म्बरे इस्लाम से सुना है कि उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मुझे प्रशिक्षित किया और शिष्टाचार सिखाया है। हलाल वही है जिसे ईश्वर ने हलाल ठहराया है। कुरआन ने उसे बयान किया है और पैग़म्बर ने उसका विवरण दिया है।
जब हज़रत ज़ैनब की यह बात पूरी हो गई तो इमाम हसन और इमाम हुसैन ने कहा कि ईश्वर तुम्हारी महानता में और वृद्धि करे। तुमने बिल्कुल सही कहा। तुम पैग़म्बरी की खदान का रत्न हो।