
رضوی
वक्त के इमाम के पीछे चलना है ना कि आगे बढ़ जाना
हज़रत इमाम रज़ा अ.स. के हरम के मुतवल्ली हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अहमद मरवी ने हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.अ. की विलादत और अशरा-ए-किरामत की शुरुआत के मौके पर एक कार्यक्रम में कहा कि हज़रत मासूमा स.अ. की सीरत हमें यह पैग़ाम देती है कि हमें वक्त के इमाम के पीछे चलना चाहिए, ना कि उनसे आगे निकलने की कोशिश करनी चाहिए।
मुतवल्ली-ए-हरम हुज्जतुल इस्लाम मरवी ने कहा कि हज़रत मासूमा स.अ. ने मदीना से खुरासान का सफ़र सिर्फ़ वली-ए-ख़ुदा इमाम रज़ा अ.स. की ज़ियारत के लिए किया, जो उनके इस्तेक़ाम और वक्त के इमाम से वफ़ादारी का ज़िंदा सबूत है। इसी रास्ते में उनकी शहादत इस्लाम में औरत के किरदार और अहलेबैत अ.स. की पैरवी में दी गई बेनज़ीर क़ुर्बानी है।
आलिमे दीन मुरवी ने रहबर-ए-मुअज़्ज़म की इस नसीहत को दोहराया कि तारीखी इनहिराफ़ात की वजह जल्दबाज़ी, ग़लत तज़ीये और नासमझ एतिराज़ात होते हैं, जो ना सिर्फ़ मौक़े ज़ाया करते हैं बल्कि पूरे तहज़ीबी अमल को पीछे ढकेल देते हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हर गलत बयान और राय को रहबर-ए-इंक़लाब के मयार पर परखना चाहिए, क्योंकि वही उम्मत की रहनुमाई "लिसान-ए-मुबीन" से कर रहे हैं।
हज़रत मासूमा स.अ. की ज़िंदगी एक अमली नमूना है कि कैसे सब्र, शऊर और वफ़ादारी के साथ वक्त के इमाम के पीछे चला जाए। यह सीरत आज के दौर में भी हर शख़्स, ख़ास तौर पर समाज के समझदार और रहनुमा लोगों के लिए एक रौशन रास्ता है।
बेटियों के बारे में अल्लामा तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह की खास हिदायत
रोज़-ए-दुख्तर के अवसर पर अल्लामा सैय्यद मोहम्मद हुसैन तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह के अपनी बेटियों के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार और प्रेमभरे रवैये को उजागर किया गया है। प्रसिद्ध कुरआन के मुफस्सिर अल्लामा तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह न केवल अपनी बेटियों से विशेष स्नेह रखते थे बल्कि उनकी परवरिश, मानसिक सुकून और भविष्य के वैवाहिक जीवन को हमेशा प्राथमिकता देते थे।
अल्लामा तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह की पारिवारिक जिंदगी में यह बात खास तौर पर सामने आती है कि वह बेटियों के साथ प्रेम सम्मान और नर्मी से पेश आते थे।
उनकी बेटी के अनुसार कई बार हम खाना बनाते जो कुछ ख़राब हो जाता लेकिन वालिद (पिता) कभी नाराज़ नहीं होते थे बल्कि उसकी तारीफ़ ही करते थे।वह अक्सर कहा करते थे बेटियाँ अल्लाह की अमानत होती हैं। उनके साथ मोहब्बत और इज़्ज़त से पेश आओ ताकि अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वआलिही वसल्लम) राज़ी हों।
अल्लामा तबातबाई रहमतुल्लाह अलैह इस बात पर ज़ोर देते थे कि बेटियों के साथ हुस्ने-सुलूक (अच्छा व्यवहार) उनके आत्मविश्वास, खुशी और एक बेहतर भविष्य की बुनियाद रखता है, ताकि वे एक नेक बीवी और अच्छी माँ बन सकें।
यह शिक्षाएँ आज के माता-पिता के लिए एक कीमती आदर्श हैं कि बेटियों को केवल प्यार ही नहीं, बल्कि सम्मान और गरिमा के साथ पाला जाए।
(स्रोत: किताब "जरआहाए जानबख्श", पृष्ठ 393)
फ़ितना आख़ेरुज़ ज़मान मे क़ुम अल मुक़द्दस शियो के लिए शरणस्थल होगा
हज़रत मासूमा (स) की पवित्र दरगाह पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हबीबुल्लाह फरहज़ाद ने कहा: क़ुम शहर के बारे में कई रिवायते हैं, और इस शहर का सबसे बड़ा गुण हज़रत मासूमा (स शांति हो) का उज्ज्वल अस्तित्व है।
हज़रत मासूमा (स) की पवित्र दरगाह पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हबीबुल्लाह फरहज़ाद ने कहा: क़ुम शहर के बारे में कई रिवायते हैं, और इस शहर का सबसे बड़ा गुण हज़रत मासूमा (स शांति हो) का उज्ज्वल अस्तित्व है।
उन्होंने आगे कहा: हज़रत मासूमा (स) के आगमन से पहले भी, क़ुम शहर के बारे में ऐसी रिवायते थीं जो इस भूमि की आध्यात्मिक महानता और कुलीनता को प्रकट करती हैं।
हौज़ा ए इल्मिया शिक्षक ने कहा: सभी प्राणियों में समझ और चेतना होती है। कुरान और हदीसों में कई तर्क दिए गए हैं कि हर चीज़ अल्लाह की तस्बीह करती है, हालांकि हम उनकी तस्बीह करने के तरीके को नहीं समझते हैं।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन फरहजाद ने कहा: इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने कहा, "क़ुम की भूमि पवित्र है, यह एक ऐसी भूमि है जो अहले बैत (अ) की विलायत को स्वीकार करती है, और यह हमारा शहर है।"
उल्लेखनीय है कि यह रिवायत उस समय वर्णित की गई थी जब हज़रत मासूमा (स) के पिता हज़रत इमाम काज़िम (अ) अभी दुनिया में नहीं आये थे।
उन्होंने जोर दिया: रिवायत में वर्णित है कि जब अंत समय में क्लेश फैलेंगे, तो क़ुम में प्रवास और शरण की सिफारिश की गई है ताकि लोगों को क्लेशों से बचाया जा सके।
उन्होंने कहा: आज, दुनिया भर के सौ से अधिक देशों के छात्र क़ुम में धर्म का अध्ययन कर रहे हैं और अहले-बैत (अ) की शिक्षाओं को अपने देशों में ला रहे हैं। इस शहर में कई प्रख्यात विद्वान और हदीस विद्वान दफन हैं, और सबसे बढ़कर, हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) की उपस्थिति इस शहर का सबसे बड़ा आशीर्वाद है।
अंत में उन्होंने कहा: इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के कथन के अनुसार, सभी शिया हज़रत मासूमा (अ) की शफ़ाअत के माध्यम से स्वर्ग में प्रवेश करेंगे।
ईरान ने यमन पर अमेरिकी हवाई हमलों की निंदा की
ईरान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यमन की राजधानी सना और सादा प्रांत पर अमेरिकी घातक हवाई हमलों की कड़ी निंदा की।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यमन की राजधानी सना और सादा प्रांत पर अमेरिकी घातक हवाई हमलों की कड़ी निंदा की, जिसमें अफ्रीकी प्रवासियों को रखने वाला केंद्र भी शामिल है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बागई ने एक बयान में रविवार को हुए बम विस्फोटों की निंदा की, जिसमें सादा में एक हिरासत केंद्र में रखे गए 68 अफ्रीकी प्रवासियों सहित कम से कम 78 लोग मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।
बाघई ने यमन के विभिन्न भागों में नागरिक ठिकानों, महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और लोगों के घरों पर अमेरिकी सैन्य हमलों को युद्ध अपराध बताया जिसने सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान ले ली।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की इस घोर अपराध और यमन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लगातार उल्लंघन के प्रति चुप्पी और उदासीनता के लिए आलोचना की।
बाघई ने इस्लामी देशों से यमन के मुस्लिम लोगों की हत्या को रोकने और गाजा और पश्चिमी तट में इजरायल के नरसंहार को जारी रखने से रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने का आह्वान किया है।
ईरान आज़रवासियों का दूसरा घर है, राष्ट्रपति पिज़िश्कियान
आज़रबाईजान गणराज्य की यात्रा पर जाने से पहले ईरान के राष्ट्रपति ने आज़रबाईजान के सरकारी टीवी से वार्ता की है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने रविवार को आज़रबाइजान गणराज्य के सरकारी टीवी से वार्ता की जिसमें उन्होंने दोनों राष्ट्रों के एतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों पर बल दिया और कहा कि ईरान आज़री लोगों का दूसरा घर है और हम आज़रबाईजान में कभी भी अजनबीपन का एहसास नहीं करते हैं।
उन्होंने आज़रबाईजान गणराज्य के लोगों के साथ प्रेम का इज़्हार किया और द्विपक्षीय आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और राजनीतिक संबंधों को मज़बूत करने हेतु किये जा रहे प्रयासों की सूचना दी है।
राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने अपने आज़री समकक्ष इल्हाम अलीओफ़ के साथ होने वाली आगामी मुलाक़ात के बारे में कहा कि उस मुलाक़ात में ऊर्जा और आस्तारा-आस्तारा जैसे ट्रांज़िट मार्ग के विस्तार के बारे में चर्चा होगी। उन्होंने बल देकर कहा कि ईरान देशों की संप्रभुता का सम्मान करते हुए आज़रबाईजान और आर्मीनिया के मध्य शांति प्रक्रिया का समर्थन करना चाहता है।
ईरान के राष्ट्रपति ने इसी प्रकार संसदीय, सांस्कृतिक और शिक्षाकेन्द्रों के मध्य होने वाले सहयोग की ओर संकेत करते हुए कहा कि हम आज़रबाईजान गणराज्य के साथ हर प्रकार के सहयोग के लिए तैयार हैं और संयुक्त प्रयासों के लिए किसी प्रकार की कोई सीमा नहीं है।
राष्ट्रपति ने हैदर बाबा शहरयार के शेरों के एक भाग को पढ़ते हुए अपने आभास व एहसास को आज़री संस्कृति से निकट बताते हुए कहा कि हम अपने पूरे अस्तित्व के साथ आज़रबाईजान में मौजूद अपने भाइयों और बहनों से प्रेम करते हैं।
राष्ट्रपति पिज़िश्कियान से जब दोनों देशों के बीच अतीत की घटनाओं के बारे में प्रश्न किया गया तो उन्होंने इसके उत्तर में कहा कि असंतुलित व्यवहार से परहेज़ किया जाना चाहिये और इस बात की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये कि कुछ लोगों के ग़ैर सिद्धांतिक व्यवहार हमारे बरादराना संबंधों को आघात व नुकसान पहुंचायें।
इसी प्रकार ब्रिक्स और शंघाई जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ईरान और आज़रबाईजान गणराज्य के परस्पर समर्थन का स्वागत किया और उसे क्षेत्रीय सहयोग की मज़बूती की दिशा में एक क़दम बताया।
ज्ञात रहे कि यह वार्ता और साक्षात्कार उस समय हुआ है जब ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान आज़रबाईजान गणराज्य की यात्रा पर जाने वाले हैं और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह साक्षात्कार व वार्ता दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण क़दम साबित हो सकती है।
अधिकारियो को घायलों के उपचार तथा नुकसान की भरपाई के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए
आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकारम शिराज़ी ने बंदर अब्बास में शहीद रजाई बंदरगाह पर हुए विस्फोट की त्रासदी पर शोक संदेश जारी किया है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकरम शिराजी ने बंदर अब्बास में शहीद रजाई बंदरगाह पर हुए विस्फोट की त्रासदी पर अपने शोक संदेश में कहा: यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति, विशेष रूप से संबंधित अधिकारी, अपनी सारी ऊर्जा घायलों और उनके परिवारों के उपचार, क्षति की मरम्मत और देश की अर्थव्यवस्था और लोगों को और अधिक नुकसान से बचाने में लगाएं। उनके संदेश का मूलपाठ इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
शहीद रजाई बंदरगाह पर हुए विस्फोट और बड़ी संख्या में देशवासियों की मृत्यु और घायल होने की खबर से गहरा दुख और शोक हुआ।
यह आवश्यक है कि सभी व्यक्ति, विशेषकर जिम्मेदार अधिकारी, घायलों और उनके परिवारों की पीड़ा और नुकसान की भरपाई करने तथा राष्ट्रीय और सार्वजनिक अर्थव्यवस्था को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करें।
बेशक, ऐसी बड़ी और संदिग्ध घटनाओं के कारणों की पहचान करना, उनका पीछा करना और जनता को पारदर्शी जानकारी प्रदान करना सामाजिक शांति सुनिश्चित करने और आगे होने वाले नुकसान और घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने में कारगर साबित होता है।
यह महत्वपूर्ण है कि लोग सतर्क और जागरूक रहें ताकि वे दुश्मन की साजिशों और उकसावे का शिकार न बनें।
मैं होर्मोज़्गान के बहादुर लोगों, सम्पूर्ण ईरानी राष्ट्र और विशेषकर इस त्रासदी से प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ, तथा मृतकों के लिए दया और क्षमा, घायलों के पूर्ण स्वास्थ्य लाभ तथा जीवित बचे लोगों के लिए धैर्य और सद्गुण की अल्लाह तआला से दुआ करता हूँ।
वस सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातोह
क़ुम, नासिर मकारिम शिराज़ी
28 अप्रैल, 2025
हज़रत मासूमए क़ुम (स) के जन्मदिवस के अवसर पर पूरे ईरान में जश्न का माहौल
हज़रत फ़ातिमा मासूमए क़ुम (स) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर पूरे ईरान में जश्न समारोहों का आयोजन किया जा रहा है।
पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर ईरान के पवित्र नगर क़ुम सहित पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है और मस्जिदों, इमामबाड़ों में जश्न के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इस्लामी केलंडर के 11वें महीने ज़ीक़ादा की पहली तारीख़ सन् 173 हिजरी क़मरी को हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की सुपत्री और हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन हज़रत फ़ातेमा का जन्म हुआ था। हज़रत मासूमा क़ुम वह महान महिला हैं जो अपनी निष्ठा, उपासना, पवित्रता और ईशावरीय भय के माध्यम से परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचीं। मुसलमान महिलाओं के मध्य वे एक आदर्श महिला बन गईं। ज्ञान और ईमान के क्षेत्र में हज़रत फ़ातेमा मासूमा की सक्रिय उपस्थिति, इस्लामी संस्कृति व इतिहास में महिला के मूल्यवान स्थान की सूचक है।
उल्लेखनीय है कि हज़रत मासूमा क़ुम, अपने भाई इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात के लिए पवित्र नगर मदीना से मर्वा जा रही थीं। 23 रबीउल अव्वल 201 हिजरी क़मरी को वे पवित्र नगर क़ुम पहुंची। जब हज़रत फ़ातेमा मासूमा क़ुम पहुंचीं तो इस नगर के लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। पैग़म्बरे इस्लाम (स) तथा उनके परिजनों से श्रृद्धा रखने वाले लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े। मासूमा क़ुम, 17 दिनों तक क़ुम में बीमारी की स्थिति में रहीं। बाद में 27 साल की उम्र में पवित्र नगर क़ुम में उनका स्वर्गवास हो गया। क़ुम नगर में ही उनका मज़ार है।
ईरान के पवित्र नगर क़ुम में हज़रत फ़ातेमा मासूमा का रौज़ा, आज भी लाखों श्रृद्धाओं की आध्यात्मिक शांति का केन्द्र बना हुआ है। हर वर्ष हज़रत मासूमा के जन्मदिवस के अवसर पर पवित्र नगर क़ुम में लाखों की संख्या में एकत्रित होकर जश्न मनाते हैं।
हज़रत फातेमा मासूमा (अ.स) की हदीसे
हज़रत फातेमा मासूमा (अ.स) हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स) की बेटीयो (फातेमा, ज़ैनब और उम्मेकुलसूम) से नकल करती है और इस हदीस की सनद का सिलसिला हज़रत ज़हरा (स.अ) पर खत्म होता हैः
حدثتنی فاطمة و زینب و ام کلثوم بنات موسی بن جعفر قلن : ۔۔۔ عن فاطمة بنت رسول الله صلی الله علیه و آله وسلم و رضی عنها : قالت : ”انسیتم قول رسول الله صلی الله علیه و آله و سلم یوم غدیر خم ، من کنت مولاه
فعلی مولاه و قوله صلی الله علیه و آله وسلم ، انت منی بمنزلة هارون من موسی“
हज़रत फातेमा ज़हरा (स.अ) ने फरमायाः क्या तुमने फरामोश कर दिया रसूले खुदा (स.अ.व.व) के इस क़ौल को जिसे आप ने गदीर के दिन इरशाद फरमाया था के जिस का मै मौला हूँ उसका ये अली मौला हैं।
और क्या तुम रसूले खुदा (स.अ.व.व) की इस हदीस को भूल गऐ कि आपने इमाम अली (अ.स) से फरमाया था कि ऐ अली तुम मेरे लिए ऐसे हो जैसे मूसा के लिऐ हारून थे।
हज़रत फातेमा मासूमा इसी तरह एक और हदीस इमाम सादिक की बेटी से नकल करती है और इस हदीस का सिलसिला-ए सनद भी हज़रते ज़हरा (स.अ) पर तमाम होता है हज़रत फातेमा ज़हरा (स.अ) ने फरमाया
عن فاطمة بنت موسی بن جعفر علیه السلام :
۔۔۔ عن فاطمة بنت رسول الله صلی الله علیه و آله و سلم : قالت :
قال رسول الله صلی اللہ علیه و آله وسلم :
«اٴلا من مات علی حب آل محمد مات شهیداً »
रसूले खुदा (स.अ.व.व) इरशाद फरमाया थाः आगाह हो जाओ कि जो अहलैबैत (अ.स) की मुहब्बत पर इस दुनिया से उठता है वो शहीद है।
अल्लामा मजलीसी शैख सुदूक़ से हज़रत फातेमा मासूमा की ज़ियारत की फज़ीलत के बारे मे रिवायत नक़ल करते है
قال ساٴلت ابا الحسن الرضا علیه السلام عن فاطمة بنت موسی ابن جعفر علیه السلام قال : ” من زارها فلة الجنة
रावी कहता है कि मैने हज़रत फातेमा मासूमा के बारे मे इमाम रज़ा (अ.स) से पूछा तो आपने फरमाया कि जो कोई भी हज़रत फातेमा मासूमा की क़ब्र की ज़ियारत करेगा उसपर जन्नत वाजिब हो जाऐगी।
हज़रत फ़ातिमा मासूमा अ.स. के जन्मदिन के मौके पर संक्षिप्त परिचय
आप की विलादत 1 ज़ीक़ादा सन् 173 हिजरी में मदीना शहर में हुई, आपकी परवरिश ऐसे घराने में हुई जिसका हर शख़्स अख़लाक़ और किरदार के एतबार से बेमिसाल था, आप का घराना इबादत और बंदगी, तक़वा और पाकीज़गी, सच्चाई की महान बुलंदी पर था
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप की विलादत पहली ज़ीक़ादा सन 173 हिजरी में मदीना शहर में हुई, आपकी परवरिश ऐसे घराने में हुई जिसका हर शख़्स अख़लाक़ और किरदार के एतबार से बेमिसाल था, आप का घराना इबादत और बंदगी, तक़वा और पाकीज़गी, सच्चाई और विनम्रता, लोगों की मदद करने और सख़्त हालात में अपने को मज़बूत बनाए रखने और भी बहुत सारी नैतिक अच्छाइयों में मशहूर था, सभी अल्लाह के चुने हुए ख़ास बंदे थे जिनका काम लोगों की हिदायत था, इमामत के नायाब मोती और इंसानियत के क़ाफ़िले को निजात दिलाने वाले आप ही के घराने से थे।
इल्मी माहौल
हज़रत मासूमा (स.अ) ने ऐसे परिवार में परवरिश पाई जो इल्म, तक़वा और नैतिक अच्छाइयों में अपनी मिसाल ख़ुद थे, आप के वालिद हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद आप के भाई इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम ने सभी भाइयों और बहनों की परवरिश की ज़िम्मेदारी संभाली, आप ने तरबियत में अपने वालिद की बिल्कुल भी कमी महसूस नहीं होने दी, यही वजह है कि बहुत कम समय में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के बच्चों के किरदार के चर्चे हर जगह होने लगे।
इब्ने सब्बाग़ मलिकी का कहना है कि इमाम मूसा काज़िम (अ) की औलाद अपनी एक ख़ास फ़ज़ीलत के लिए मशहूर थी, इमाम मूसा काज़िम (अ) की औलाद में इमाम अली रज़ा (अ) के बाद सबसे ज़ियादा इल्म और अख़लाक़ में हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) ही का नाम आता है और यह हक़ीक़त को आप के नाम, अलक़ाब और इमामों द्वारा बताए गए सिफ़ात से ज़ाहिर है।
फ़ज़ाएल का नमूना
हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) सभी अख़लाक़ी फ़ज़ाएल का नसूना हैं, हदीसों में आपकी महानता और अज़मत को इमामों ने बयान फ़रमाया है, इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम इस बारे में फ़रमाते हैं कि जान लो कि अल्लाह का एक हरम है जो मक्का में है, पैग़म्बर (स) का भी एक हरम है जो मदीना में है, इमाम अली (अ) का भी एक हरम है जो कूफ़ा में है, जान लो इसी तरह मेरा और मेरे बाद आने वाले मेरी औलाद का हरम क़ुम है। ध्यान रहे कि जन्नत के 8 दरवाज़े हैं जिनमें से 3 क़ुम की ओर खुलते हैं, हमारी औलाद में से (इमाम मूसा काज़िम अ.स. की बेटी) फ़ातिमा नाम की एक ख़ातून वहां दफ़्न होगी जिसकी शफ़ाअत से सभी जन्नत में दाख़िल हो सकेंगे।
आपका इल्मी मर्तबा
हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) इस्लामी दुनिया की बहुत अज़ीम और महान हस्ती हैं और आप का इल्मी मर्तबा भी बहुत बुलंद है। रिवायत में है कि एक दिन कुछ शिया इमाम मूसा काज़िम (अ) से मुलाक़ात और कुछ सवालों के जवाब के लिए मदीना आए, इमाम काज़िम (अ) किसी सफ़र पर गए थे, उन लोगों ने अपने सवालों को हज़रत मासूमा (स.अ) के हवाले कर दिया उस समय आप बहुत कमसिन थीं (तकरीबन सात साल) अगले दिन वह लोग फिर इमाम के घर हाज़िर हुए लेकिन इमाम अभी तक सफ़र से वापस नहीं आए थे, उन्होंने आप से अपने सवालों को यह कहते हुए वापस मांगा कि अगली बार जब हम लोग आएंगे तब इमाम से पूछ लेंगे, लेकिन जब उन्होंने अपने सवालों की ओर देखा तो सभी सवालों के जवाब लिखे हुए पाए, वह सभी ख़ुशी ख़ुशी मदीने से वापस निकल ही रहे थे कि अचानक रास्ते में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात हो गई, उन्होंने इमाम से पूरा माजरा बताया और सवालों के जवाब दिखाए, इमाम ने 3 बार फ़रमाया: उस पर उसके बाप क़ुर्बान जाएं।
शहर ए क़ुम में दाख़िल होना
क़ुम शहर को चुनने की वजह हज़रत मासूमा (स.अ) अपने भाई इमाम अली रज़ा (अ) से ख़ुरासान (उस दौर के हाकिम मामून रशीद ने इमाम को ज़बरदस्ती मदीना से बुलाकर ख़ुरासान में रखा था) में मुलाक़ात के लिए जा रहीं थीं और अपने भाई की विलायत के हक़ से लोगों को आशना करा रही थी। रास्ते में सावाह शहर पहुंची, आप पर मामून के जासूसों ने डाकुओं के भेस में हमला किया और ज़हर आलूदा तीर से आप ज़ख़्मी होकर बीमार हों गईं, आप ने देखा आपकी सेहत ख़ुरासान नहीं पहुंचने देगी, इसलिए आप क़ुम आ गईं, एक मशहूर विद्वान ने आप के क़ुम आने की वजह लिखते हुए कहा कि, बेशक आप वह अज़ीम ख़ातून थीं जिनकी आने वाले समय पर निगाह थी, वह समझ रहीं थीं कि आने वाले समय पर क़ुम को एक विशेष जगह हासिल होगी, लोगों के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित करेगी यही कुछ चीज़ें वजह बनीं कि आप क़ुम आईं।
आपकी ज़ियारत का सवाब:
आपकी ज़ियारत के सवाब के बारे में बहुत सारी हदीसें मौजूद हैं, जिस समय क़ुम के बहुत बड़े मोहद्दिस साद इब्ने साद इमाम अली रज़ा (अ) से मुलाक़ात के लिए गए, इमाम ने उनसे फ़रमाया: ऐ साद! हमारे घराने में से एक हस्ती की क़ब्र तुम्हारे यहां है, साद ने कहा, आप पर क़ुर्बान जाऊं! क्या आपकी मुराद इमाम मूसा काज़िम (अ) की बेटी हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) हैं? इमाम ने फ़रमाया: हां! और जो भी उनकी मारेफ़त रखते हुए उनकी ज़ियारत के लिए जाएगा जन्नत उसकी हो जाएगी।
शियों के छठे इमाम हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: जो भी उनकी ज़ियारत करेगा उस पर जन्नत वाजिब होगी।
ध्यान रहे यहां जन्नत के वाजिब होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इंसान इस दुनिया में कुछ भी करता रहे केवल ज़ियारत कर ले जन्नत मिल जाएगी, इसीलिए एक हदीस में शर्त पाई जाती है कि उनकी मारेफ़त रखते हुए ज़ियारत करे और याद रहे गुनाहगार इंसान को कभी अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम की हक़ीक़ी मारेफ़त हासिल नहीं हो सकती। जन्नत के वाजिब होने का मतलब यह है कि हज़रत मासूमा (स.अ) के पास भी शफ़ाअत का हक़ है।
हज कमैटी ऑफ इंडिया की हज यात्रियों से "हज सुविधा ऐप" के इस्तेमाल की अपील
हज कमिटी ऑफ इंडिया ने हज 2025 के सभी यात्रियों से कहा है कि वे सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत बनाए गए नए "हज सुविधा ऐप 2.0" को तुरंत डाउनलोड करें और इसे अच्छे से इस्तेमाल करना सीखें। इस ऐप में हज यात्रा के दौरान कई जरूरी सुविधाएँ दी गई हैं, जिनका फायदा उठाया जा सकता है।
नई दिल्ली, हज कमिटी ऑफ इंडिया ने हज 2025 के सभी यात्रियों से कहा है कि वे सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत बनाए गए नए "हज सुविधा ऐप 2.0" को तुरंत डाउनलोड करें और इसे अच्छे से इस्तेमाल करना सीखें। इस ऐप में हज यात्रा के दौरान कई जरूरी सुविधाएँ दी गई हैं, जिनका फायदा उठाया जा सकता है।
कमेटी के अनुसार, "हज सुविधा ऐप" यात्रियों को सफर के दौरान और हज के कामों में मदद करेगा। इसके जरिए यात्रियों को फ्लाइट की जानकारी, वीजा स्टेटस, शिकायत करने की सुविधा, जरूरी सूचना, अस्पताल और दवाइयों तक पहुँच, जीपीएस के जरिए रास्ता ढूँढने, नमाज़ के टाइम और किबला दिशा जानने, हज-उमरा के तरीकों की जानकारी और सामान का पता लगाने जैसी सहूलियतें मिलेंगी।साथ ही, इसमें एक चैटबॉट भी है जो सवालों के तुरंत जवाब देगा।
नए वर्जन की खासियत यह है कि इसमें "पैडोमीटर" (कदम गिनने वाला फीचर) भी जोड़ा गया है, जिससे यात्रियों को अपनी सेहत का ध्यान रखने में मदद मिलेगी। हज के दौरान काफी पैदल चलना होता है, इसलिए यह सुविधा बहुत फायदेमंद रहेगी।
हज कमिटी ने यह भी कहा है कि हर राज्य से उन 10 यात्रियों को इनाम दिया जाएगा जो "हज सुविधा ऐप" का सबसे अच्छा इस्तेमाल करेंगे।
कमिटी ने सभी हज यात्रियों से अपील की है कि वे "हज सुविधा ऐप 2.0" को गूगल प्ले स्टोर या एप्पल ऐप स्टोर से डाउनलोड करें, अपने HAF ID और मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन करें और सारी सुविधाओं का पूरा फायदा उठाएँ।