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ईरान की संसद मजलिसे शुराए इस्लामी के अनुसंधान केंद्र ने एलान किया है कि पिछले शम्सी वर्ष 1403 में, इस्लामी गणतंत्र ईरान की आर्थिक वृद्धि लगभग 3 प्रतिशत थी।

ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के अनुसंधान केंद्र ने सोमवार को ईरान की आर्थिक वृद्धि की नवीनतम स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की।

सेन्टर के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 1402 हिजरी शम्सी वर्ष की तुलना में 1403 हिजरी शम्सी में ईरान की आर्थिक वृद्धि 2.8 प्रतिशत अनुमानित की गयी थी और तेल के बिना विकास 2.7 प्रतिशत का अंदाज़ा लगाया गया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, 1403 हिजरी शम्सी वर्ष के आख़िरी महीने में ईरान की आर्थिक वृद्धि दर पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 3.6 प्रतिशत अनुमानित है तथा तेल के बिना आर्थिक वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत का अंदाज़ा लगाया गया है।

सेन्टर के अनुमान यह भी दर्शाते हैं कि 1403 हिजरी शम्सी वर्ष के आख़िरी महीने इस्फ़ंद में, पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में, "कृषि" क्षेत्र के अतिरिक्त मूल्य में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जबकि उद्योग और खनन के क्षेत्र में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा "सर्विस" के क्षेत्र में 5.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

ईरानी संसद के अनुसंधान केंद्र के अनुमानों के परिणामों के अनुसार, ईरान की जीडीपी 1403 हिजरी शम्सी वर्ष के आख़िरी महीने इस्फ़ंद में तेल के साथ 3.6 प्रतिशत और तेल के बिना 4.2 प्रतिशत बढ़ी है। 

 

ईरान के हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने जम्मू और कश्मीर के उलेमा से मुलाकात के दौरान कहा कि हौज़ा इल्मिया क़ुम इस्लामी क्रांति की वैचारिक और बौद्धिक बुनियाद प्रदान करने में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है उन्होंने कहा कि यह हौज़ा न केवल इस्लामी क्रांति की स्थापना में प्रभावी रहा है बल्कि इसके वैश्विक प्रभाव को भी बढ़ा रहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , ईरान के हौज़ा इल्मिया के प्रमुख, आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने जम्मू-कश्मीर के उलेमा से मुलाकात के दौरान कहा कि हौज़ा इल्मिया क़ुम इस्लामी क्रांति की वैचारिक और बौद्धिक नींव प्रदान करने में एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है उन्होंने कहा कि यह हौज़ा न केवल इस्लामी क्रांति की स्थापना में प्रभावी रहा है, बल्कि इसके वैश्विक प्रभाव को भी बढ़ा रहा है।

आयतुल्लाह आराफी ने उलेमा के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए कहा कि हौज़ा इल्मिया क़ुम की इतिहास को इस्लामी क्रांति से पहले और बाद के दो युगों में विभाजित किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि यह हौज़ा इमाम जाफर सादिक अ.स.के दौर से जुड़ा हुआ है और पिछले सौ वर्षों में इसने शिया फिक़्ह के आधार पर इस्लामी क्रांति और शासन की वैचारिक व बौद्धिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने आगे कहा कि इस्लामी क्रांति के बाद, क़ुम एक अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक और वैचारिक आंदोलन का केंद्र बन गया है, जिसका प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इमाम खुमैनी (रह.) ने एक ऐसा अद्वितीय विचार प्रस्तुत किया, जिसने न केवल ईरान बल्कि पूरे विश्व में इस्लामी जागरूकता को बढ़ावा दिया।

आयतुल्लाह आराफी ने इस बात पर जोर दिया कि क़ुम में इस्लामी विज्ञानों का विस्तार किया गया है, जिसमें फिक़्ह, कलाम, दर्शन और आधुनिक इस्लामी अध्ययन शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि हौज़ा इल्मिया क़ुम ने इस्लामी कानूनों और व्यवस्था को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसकी झलक ईरान के संविधान और इस्लामी कानूनों में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस्लामी क्रांति के बाद, इस्लामी शिक्षाओं और ज्ञान का दायरा दुनिया के 100 से अधिक देशों तक फैल चुका है, जबकि पहले यह कुछ गिने-चुने देशों तक ही सीमित था। इसके अलावा, महिलाओं के लिए इस्लामी शिक्षा में भी असाधारण प्रगति हुई है, जिसे इस्लामी इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा सकता है।

आयतुल्लाह आराफी ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक युग में इस्लामी ज्ञान को नई तकनीक के साथ समायोजित करना आवश्यक है, ताकि बदलते वैश्विक हालात के साथ तालमेल बनाए रखा जा सके। उन्होंने इमामिया उलेमा से आग्रह किया कि वे युवा पीढ़ी की बौद्धिक प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दें और अहले सुन्नत के बौद्धिक हलकों के साथ मजबूत संबंध स्थापित करें।

इस मुलाकात के दौरान जम्मू-कश्मीर के उलेमा के प्रतिनिधिमंडल ने अपने क्षेत्र में इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार और विस्तार से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

 

यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख ने ग्रीनलैंड पर क़ब्ज़ा करने की वाशिंगटन की योजना की आलोचना की तथा इस बात पर ज़ोर दिया कि यह ज़मीन केवल ग्रीनलैंडवासियों की है।

यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काइया कलास ने बुधवार को एक रेडियो इन्टरव्यू में ग्रीनलैंड के नागरिकों के अधिकारों का डिफ़ेंस किया।

कलास ने कहा: वैश्विक व्यवस्था बनाए रखने का एकमात्र तरीक़ा दुनिया भर के देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और सीमाओं के सिद्धांतों का पूरी तरह से सम्मान करना है।

कलास ने ज़ोर देकर कहा, ग्रीनलैंड का भविष्य केवल इस क्षेत्र के लोगों द्वारा ही तय किया जाना चाहिए।

ज्ञात रहे कि वाइट हाउस में पुनः प्रवेश के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने बार-बार कहा है कि वह ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाना चाहते हैं।

इस दावे के जवाब में कि ग्रीनलैंड और डेनिश अधिकारियों ने बार-बार स्वीकार किया है कि आर्कटिक द्वीप बिक्री के लिए नहीं है।

ईरान की राष्ट्रीय केटलबेल लिफ्टर ने रूस में विश्व कप में कांस्य पदक जीत लिया।

केटलबेल विश्व कप रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

सोमवार को प्रतियोगिता के आख़िरी दिन, ईरानी राष्ट्रीय केटलबेल वेट लिफ़्टर "पेरिसा बयारमी असल तकनानलू" 68 किलोग्राम से अधिक कैटेगरी में सिंगल-हैंड स्नैच (16 किलोग्राम केटलबेल) श्रेणी में तीसरे स्थान पर आईं और उन्होंने कांस्य पदक जीता।

पोलैंड और ब्राज़ील के खिलाड़ी पहले और दूसरे स्थान पर रहे।

उल्लेखनीय है कि केटलबेल एक प्रकार का वजन या डम्बल है जो धनुषाकार हैंडल के साथ गोल आकार का होता है और इसका उपयोग बॉडी बिल्डिंग के लिए किया जाता है।

केटलबेल का मूल आकार बिना टोंटी वाली केतली जैसा होता है, यही कारण है कि इसे अंग्रेजी में केटलबेल (Kettelbell) कहा जाता है। ये उपकरण आमतौर पर कच्चे लोहे या स्टील से बने होते हैं।

हालिया वर्षों में, केटलबेल्स बॉडीबिल्डिंग और फिटनेस उपकरण के रूप में लोकप्रिय हो गए हैं। केटलबेल्स, बारबेल्स, डम्बल्स और प्रतिरोध बैंड जैसे शक्ति प्रशिक्षण उपकरणों का एक लोकप्रिय विकल्प हैं।

 

अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीनीयों की हिमायत और इजरायल के जुल्म के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने बड़ी संख्या में गिरफ्तार किया स्टूडेंट की मांग थी जुल्म खत्म किया जाए और अमेरिका इजरायल की हिमायत करना बंद करें।

अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीनीयों की हिमायत और इजरायल के जुल्म के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने बड़ी संख्या में गिरफ्तार किया स्टूडेंट की मांग थी जुल्म खत्म किया जाए और अमेरिका इजरायल की हिमायत करना बंद करें।

न्यूयॉर्क पुलिस ने दर्जनों फ़िलस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया है जिन्होंने बुधवार को कोलंबिया यूनिवर्सिटी की मेन लाइब्रेरी के एक हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष क्लेयर शिपमैन के एक बयान के अनुसार, बुधवार को प्रदर्शनकारी जबरन बटलर लाइब्रेरी में घुस गए. उन्होंने बताया कि इस दौरान यूनिवर्सिटी के दो सुरक्षा अधिकारी घायल हो गए

शिपमैन ने कहा कि उन्होंने न्यूयॉर्क पुलिस से सहायता मांगी थी न्यूयॉर्क सिटी पुलिस डिपार्टमेंट ने भी एक्स पर पोस्ट कर इस घटना की जानकारी दी।

पुलिस की ओर से कहा गया कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अनुरोध पर न्यूयॉर्क पुलिस ने कैंपस की स्थिति पर कार्रवाई की, जहां कई लोगों ने एक लाइब्रेरी पर कब्ज़ा कर लिया था और इजरायल के जुल्फी के खिलाफ नारा लगा रहे थे।

पाकिस्तान के एक ज़ायर का कहना है कि हज़रत इमाम अली बिन मूसा अल-रज़ा (अ.स.) के हरम तक पहुँचने से मन को शांति मिलती है।

हर साल अलग-अलग देशों से अहलेबैत (अ.स.) के लाखों अनुयायी इमाम रजा (अ.स.) के हरम मे ज़ियारत (दर्शन) करने आते हैं। उन्ही ज़ियारत करने वालो मे से उर्दू भाषा बोलने वालो की भी बड़ी संख्या इमाम अली रज़ा (अ.स.) की ज़ियारत करने के लिए मशहद आते हैं।

लाहौर, पाकिस्तान से एक तीर्थयात्री अपनी भक्ति और प्रेम को इस प्रकार व्यक्त करता है: "मैं यहां चालीस साल पहले अपने माता-पिता के साथ इमाम रजा (अ.स.) की ज़ियारत करने आया था। मैं फिर से इमाम रजा (अ.स.) की ज़ियारत करने जाना चाहता हूं। ईरान और इराक में जब भी जायरीन जियारत के लिए जाते हैं , मैं उन सभी को अलविदा कहने जाता और उनसे कहता कि मेरे लिए दुआ करें ताकि मैं भी इमाम रजा (अ.स.) की फिर से ज़ियारत कर सकूं।

इमाम रज़ा (अ.स.) के तीर्थयात्री गुलाम रज़ा रसूल ने कहा: मैं 21 दिनों से ईरान में हूँ। 10 दिन पहले क़ुम मे हरमे मासूमा की ज़ियारत की और अब 10 दिन से इमामे रज़ा (अ.स.) का मेहमान हूं। इमामे रज़ा (अ.स.) के हरम पहुंच कर मेरे दिल की जो शांति मिली, वह कहीं नहीं मिली। जबकि इमाम रज़ा (अ.स.) के हरम का विस्तार और निर्माणी परियोजना के तहत इन चालीस वर्षो मे बहुत अधिक परिर्वतन देखने मे आया है लेकिन हरम का वही आध्यात्मिक माहौल है और इस तरह दिल को शांति मिलती है और हरम में पहुंचने पर दुनिया के सारे दुख भुला दिए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि चालीस साल पहले उर्दू ज़बान ज़ायरीन के लिए इस तरह के संगठित कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते थे। अलहमदो लिल्लाह मुझे बहुत खुशी हुई जब यह देखा कि इमाम रज़ा (अ.स.) के हरम मे उर्दू ज़बान ज़ायरीन के लिए उर्दू भाषा मे नियोजित मजलिस का आयोजन किया जाता है और हरम की ओर से जायरीन को उपहार दिए जाते हैं।

गौरतलब है कि दारुर रहमा में उर्दू जबान ज़ायरीन के मार्गदर्शन के लिए सुबह से शाम तक उर्दू भाषा के विद्वान मौजूद रहते हैं। दारुर रहमा में जाकर आप मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य ने अपने देश को ग़ज़ा पट्टी पर हमलों का विस्तार करने की ज़ायोनी शासन की योजना में भागीदार माना है।

मंगलवार की शाम को डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य रशीदा तलीब ने सोशल नेटवर्क एक्स पर एक संदेश पोस्ट किया, जिसमें ज़ायोनी शासन की नीतियों और वाशिंगटन सरकार द्वारा उसके समर्थन की आलोचना की गई।

रशीदा तलीब ने लिखा: अमेरिका ग़ज़ा पट्टी के विनाश में भागीदार है और फिलिस्तीनियों के नरसंहार में ज़ायोनियों के साथ मिला हुआ है।

अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य ने इस बात पर जोर दिया कि ज़ायोनी 64 दिनों से मानवीय सहायता को ग़ज़ा पट्टी में जाने से रोक रहे हैं। उन्होंने कहा: नेतन्याहू ने जो एक युद्ध अपराधी हैं, पूरे फिलिस्तीनी लोगों को निर्वासित करने, जातीय सफाया करने और ग़ज़ा पट्टी को पूरी तरह से नष्ट करने और उस पर कब्ज़ा करने की अपनी योजना की घोषणा की है।

अमेरिकी कांग्रेस की इस महिला सदस्य ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह शुरू से ही ज़ायोनी शासन का लक्ष्य रहा है। उनका कहना था: अमेरिका इस नरसंहार में भागीदार है।

एक यमनी अधिकारी ने अमेरिका की यमन में विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमेरिका ने इज़राइल के समर्थन से पीछे हटने का फ़ैसला किया है।

नस्रुद्दीन आमिर, जो कि अंसारुल्लाह यमन के सूचना विभाग के उपप्रमुख हैं ने क़तर के अलजज़ीरा चैनल से बात करते हुए और यमनियों तथा अमेरिका के बीच हुए युद्धविराम समझौते की प्रतिक्रिया में कहा,वाशिंगटन यमन के ख़िलाफ़ युद्ध में हार गया है और अब उसने इज़राइल का समर्थन छोड़ने का फ़ैसला किया है।

उन्होंने आगे कहा,ट्रंप ने निर्णय लिया कि वह लाल सागर में इज़राइली जहाज़ों की सुरक्षा से पीछे हटेंगे लेकिन हम कभी भी ग़ाज़ा के समर्थन से पीछे नहीं हटेंगे।

आमिर ने यह भी कहा,हमारी रणनीति स्पष्ट है हमने अपने हथियारों को इस तरह विकसित किया कि हम क़ब्ज़ा जमाने वालों को जवाबदेह बना सकें और तेल अवीव को ग़ाज़ा पर हमले रोकने पर मजबूर किया।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा,हम किसी भी इज़राइली जहाज़ को लाल सागर से गुज़रने की इजाज़त नहीं देंगे।अमेरिका और अंसारुल्लाह के बीच हुए संघर्षविराम के संदर्भ में उन्होंने बताया,यही अमेरिका के राष्ट्रपति थे जिन्होंने हमें संदेश भेजा था।

इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह खामेनेई ने आज सुबह हज आयोजकों और ईरानी तीर्थयात्रियों के एक समूह के साथ बैठक में कहा कि हज के लक्ष्यों और विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी और पहचान, पवित्र घर के तीर्थयात्रियों के लिए इस महान कर्तव्य की सही पूर्ति का आधार है।

इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह खामेनेई ने आज सुबह हज आयोजकों और ईरानी तीर्थयात्रियों के एक समूह के साथ बैठक में कहा कि हज के लक्ष्यों और विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी और पहचान, पवित्र घर के तीर्थयात्रियों के लिए इस महान कर्तव्य की सही पूर्ति का आधार है। उन्होंने कहा कि हज से संबंधित कई आयतों में "नास" (लोग) शब्द का उपयोग यह दर्शाता है कि अल्लाह तआला ने यह फ़रीज़ा केवल मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि सभी मनुष्यों के मामलों को विनियमित करने के लिए नियुक्त किया है। इसलिए हज का सही आयोजन वास्तव में समस्त मानवता की सेवा है।

उन्होंने हज के राजनीतिक पहलू को स्पष्ट करते हुए इसे एकमात्र ऐसा दायित्व बताया जिसकी संरचना और संयोजन पूरी तरह से राजनीतिक है, क्योंकि यह हर साल एक ही समय और स्थान पर लोगों को एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए एक साथ लाता है और यह कार्य अपने आप में इसकी राजनीतिक प्रकृति को प्रकट करता है।

आयतुल्लाह खामेनेई ने कहा कि हज की राजनीतिक संरचना, साथ ही इसके सभी घटकों की विषय-वस्तु पूरी तरह से आध्यात्मिक और पूजा-पाठ है और प्रत्येक कार्य मानवता को जीवन के विभिन्न मुद्दों और जरूरतों के बारे में प्रतीकात्मक और शिक्षाप्रद सुराग प्रदान करता है।

उन्होंने तवाफ़ को तौहीद की धुरी पर घूमने की आवश्यकता का पाठ बताया और कहा कि यह मानवता को सिखाता है कि तौहीद को सरकार, अर्थव्यवस्था, परिवार और जीवन के सभी मामलों का केंद्र होना चाहिए। अगर ऐसा हो तो उत्पीड़न, शिशुहत्या और शोषण जैसी घटनाएं समाप्त हो जाएंगी और दुनिया फूलों का बगीचा बन जाएगी।

उन्होंने सफा और मरवा पहाड़ों के बीच सई को कठिनाइयों का सामना करते हुए निरंतर प्रयास का प्रतीक बताया और कहा कि व्यक्ति को कभी रुकना, धीमा नहीं होना चाहिए और न ही भटकना चाहिए।

उन्होंने अरफात, मशअर और मीना की ओर जाने वाले आंदोलन को निरंतर आगे बढ़ने और ठहराव से बचने का सबक बताया।

कुर्बानी के बारे में उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रतीक है कि कभी-कभी व्यक्ति को अपने सबसे प्रिय लोगों की कुर्बानी देनी पड़ती है, या खुद को कुर्बान करना पड़ता है।

उन्होंने जमारात को पत्थर मारने को शैतान को पहचानने और हर जगह से उसे दूर भगाने पर जोर देने के रूप में वर्णित किया।

उन्होंने एहराम को अल्लाह के सामने विनम्रता और इंसानों की समानता का प्रतीक बताया और कहा कि ये सभी कार्य मानवता के जीवन को सही दिशा देने के लिए हैं।

पवित्र कुरान की एक आयत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हज सभा का उद्देश्य मानवीय लाभ प्राप्त करना है और आज इस्लामी उम्माह के लिए एकता से बड़ा कोई लाभ नहीं है। अगर उम्माह एकजुट होती, तो गाजा, फिलिस्तीन और यमन में अत्याचार नहीं होते। उन्होंने कहा कि उम्माह का विभाजन औपनिवेशिक शक्तियों, अमेरिका, ज़ायोनी सरकार और अन्य शोषकों के लिए एक अवसर प्रदान करता है। इस्लामी देशों की एकता शांति, प्रगति और आपसी सहयोग की गारंटी है और हज के अवसर को इसी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

उन्होंने इस्लामी सरकारों, विशेष रूप से मेजबान सरकार से हज की वास्तविकताओं और उद्देश्यों को समझाने का आग्रह किया। विद्वानों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और जनमत को प्रभावित करने वालों की भी जिम्मेदारी है कि वे लोगों को हज की सच्ची शिक्षाओं के बारे में बताएं।

उन्होंने बंदर अब्बास में हुई दुखद घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों के साथ अपनी सहानुभूति व्यक्त की और धैर्य रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अल्लाह सर्वशक्तिमान उन लोगों को बेशुमार इनाम देता है जो विपत्ति में धैर्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि संस्थानों को हुए नुकसान की भरपाई की जा सकती है, लेकिन जो चीज वास्तव में दिलों को जलाती है, वह वे परिवार हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है और यह घटना हम सभी के लिए एक बड़ी त्रासदी है।

इस्लामी क्रान्ति के नेता के समक्ष, हज और तीर्थयात्रा के लिए सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि, अयातुल्ला सैय्यद अब्दुल फतह नवाब ने इस वर्ष के हज के नारे के तहत तीर्थयात्रियों के लिए आयोजित कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया: "हज: कुरानिक आचरण, इस्लामी एकजुटता और उत्पीड़ित फिलिस्तीन के लिए समर्थन।"

हमास और इस्लामिक जिहाद संगठ नामक दो आंदोलनों ने ज़ायोनी शासन द्वारा सीरिया पर किए गए व्यापक और अभूतपूर्व हमलों की अलग अलग बयानों में कड़ी निंदा की है।

हमास और इस्लामिक जिहाद संगठ नामक दो आंदोलनों ने ज़ायोनी शासन द्वारा सीरिया पर किए गए व्यापक और अभूतपूर्व हमलों की अलग अलग बयानों में कड़ी निंदा की है।

फ़िलिस्तीनी आंदोलनों हमास और इस्लामिक जिहाद ने इज़राइल के इन बर्बर और बड़े पैमाने पर किए गए हमलों की कड़ी आलोचना की है।

हमास के बयान में कहा गया है हम सीरिया और लेबनान पर ज़ायोनी शासन के बर्बर हमलों की निंदा करते हैं। यह हमले अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों की खुली अवहेलना और इन दोनों देशों की संप्रभुता का उल्लंघन हैं।

हम इस आक्रामक और हिंसक नेतन्याहू सरकार और ज़ायोनी शासन का मुकाबला करने के लिए प्रयासों के एकजुट होने की आवश्यकता पर बल देते हैं। हम सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन और सीरिया, लेबनान तथा अन्य सभी अरब भाई देशों की सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर ज़ोर देते हैं।

इस्लामिक जिहाद संगठन के बयान में कहा गया है,हम सीरियाई ज़मीन पर ज़ायोनी शासन के लगातार हमलों की कड़ी निंदा करते हैं। ये हमले ज़ायोनी शासन की शत्रुतापूर्ण और विस्तारवादी योजनाओं को दर्शाते हैं, जिनका उद्देश्य पूरे अरब और इस्लामी क्षेत्र को तोड़ना और विभाजित करना है।

उन्होंने आगे कहा,सीरिया पर ज़ायोनी शासन का यह हमला सभी अरब और इस्लामी राष्ट्रों पर एक प्रत्यक्ष हमला है। अरब क्षेत्र इस आक्रामकता और उसके दुष्परिणामों से सुरक्षित नहीं रहेगा।

ज्ञात हो कि सीरियाई मीडिया ने कल रात बताया कि ज़ायोनी शासन के लड़ाकू विमानों ने सीरिया के विभिन्न इलाकों पर भारी और अभूतपूर्व बमबारी की है।