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यूरोपीय हथियारों की होड़, ट्रम्प की धमकीपूर्ण नीतियों पर प्रतिक्रियाएं
अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकियों और दोनों महाद्वीपों के बीच पैदा हुए मतभेदों के साथ ही यूरोप ने अपने सैन्य हथियारों का उत्पादन बढ़ा दिया है।
यूरोप ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के साथ व्यापार युद्ध के बीच घरेलू रक्षा उत्पादन की ओर रुख़ किया है जबकि उनकी मांगों के संबंध में भी कि ग्रीन कॉन्टिनेंट को अपनी सुरक्षा के लिए वाशिंगटन पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि फ़रवरी 2022 में यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद यूरोप में सैन्य हथियारों की मांग बढ़ गई और यह मांग लगातार बढ़ रही है।
यूरोप में सैन्य हथियारों के अधिक उत्पादन को देखते हुए, यूरोपीय महाद्वीप अपने माल को वैश्विक बाज़ारों में अधिक व्यापक रूप से बेचने का प्रयास कर रहा है।
इस बीच, पोलैंड और तुर्किए भी अमेरिकी निर्मित जेट विमानों के अपने बेड़े का विस्तार करने के बजाय यूरोफ़ाइटर टाइफून के लिए अरबों डॉलर के कांट्रेक्ट की मांग कर रहे हैं।
रिपोर्टों से पता चलता है कि ट्रम्प द्वारा वैश्विक टैरिफ़ लगाए जाने से पहले ही यूरोपीय रक्षा शेयरों में बढ़ोतरी हो रही थी क्योंकि जो निवेशक लंबे समय से इन शेयरों की अनदेखी कर रहे थे, वे अपनी स्थिति पर पुनर्विचार कर रहे थे।
यूरोपीय आयोग ने मार्च में रक्षा व्यय को बढ़ाकर लगभग 840 बिलियन डॉलर करने के प्रस्ताव की घोषणा की थी। यूरोपीय निवेश बैंक ने यह भी घोषणा की कि वह सुरक्षा और रक्षा परियोजनाओं के लिए अपने वित्तपोषण को कम से कम दोगुना करने की योजना बना रहा है।
हार्वर्ड लॉ स्कूल के वरिष्ठ फेलो स्टीफन एम. डेविस के अनुसार, वास्तव में राय और दृष्टिकोण में बदलाव का कारण ट्रम्प प्रशासन की रक्षा मामलों पर यूरोप का समर्थन करने का इरादा ही स्पष्ट नहीं है।
यह ध्यान देने योग्य बात है कि दशकों से कई यूरोपीय पेंशन फंडों ने क्लस्टर बम, रासायनिक, परमाणु और जैविक बम तथा बारूदी सुरंगों जैसे हथियारों के उत्पादन में प्रत्यक्ष निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नैटो) ने यूरोप में युद्ध के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से सरकारों, बैंकों और निजी निधियों से रक्षा उद्योग में निवेश करने और सैन्य हथियारों के उत्पादन में तेजी लाने का आह्वान किया।
पूर्व नैटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने दिसम्बर 2022 में कहा था कि स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और शिक्षा में निवेश करना हमेशा सबसे अच्छा विकल्प होता है, लेकिन अभी वास्तविकता यह है कि शांति बनाए रखने का एकमात्र तरीका सैन्य उद्योग में निवेश करना है।
"यहूदीफ़ोबिया" का बहाना, ट्रम्प की इज़राइल की बच्चों की हत्यारी सरकार की आलोचना करने वाले को घेरने की साज़िश
अमेरिका में 100 से अधिक विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और वैज्ञानिक संस्थानों के प्रमुखों ने एक संयुक्त बयान जारी कर डोनल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा देश में उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ किए जा रहे व्यवहार के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया।
अमेरिका में शैक्षणिक और वैज्ञानिक ग्रुप्स द्वारा यह संयुक्त रुख़ हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा ट्रम्प प्रशासन की विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता को ख़तरा पहुंचाने की आलोचना के बाद अपनाया गया।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को अरबों डॉलर के संघीय वित्त पोषण को रोकने से बचने और अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अमेरिकी सरकार पर मुक़दमा दायर कर दिया है।
ट्रम्प ने हार्वर्ड, कोलंबिया और अन्य विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली सरकारी धनराशि बंद कर दी है जिनके बारे में उनका मानना है कि वे अपने परिसरों में यहूदीफ़ोबिया भावना को नियंत्रित करने में असफल रहे हैं।
बोस्टन की संघीय अदालत में दायर विश्वविद्यालय के मुकदमे में कहा गया है कि ट्रम्प ने प्रमुख अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विकसित अनुसंधान के वित्तपोषण पर व्यापक हमला किया है।
ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अक्टूबर 2023 से अब तक तथाकथित यहूदीफ़ोबिया की भावना पर तैयार की गई अपनी सभी रिपोर्टों तक पहुंच मांगी है। अमेरिकी सरकार देश के प्रतिष्ठित शैक्षिक केंद्रों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने 14 अप्रैल को अपने छात्र ग्रुप, संकाय और पाठ्यक्रम की निगरानी के लिए ट्रम्प प्रशासन की कई मांगों को अस्वीकार कर दिया है।
अमेरिकी सरकार ने ये मांगें विश्वविद्यालय के उदारवादी पूर्वाग्रहों पर अंकुश लगाने के प्रयास के रूप पेश की हैं।
अमेरिकी सरकार की मांगों को मानने से विश्वविद्यालय के इनकार के बाद, ट्रम्प ने घोषणा की कि वह विश्वविद्यालय के लिए संघीय वित्त पोषण में 2.3 बिलियन डॉलर की कटौती करेंगे।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अधिकारियों को यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर वे मांगों पर अमल नहीं करते हैं तो विश्वविद्यालय के लिए कुल 9 बिलियन डॉलर के संघीय अनुदान और अनुबंध निलंबित होने का ख़तरा होगा।
अमेरिकी शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन ने मंगलवार को एलान किया कि उन्होंने कोलंबिया और हार्वर्ड विश्वविद्यालयों के प्रमुखों से इस बारे में बात की है कि "यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि वे कानून पर अमल करें", क्योंकि देश के विश्वविद्यालयों ने डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की नीतियों का विरोध किया है।
पहलगाम आतंकी हमले की निंदा/पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कार्यवाही की किया मांग
जौनपुर,कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोशित है , मंगलवार को आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए 26 लोगों को शहीद कर दिया । दिल को दहला देने वाले इस आतंकी हमले के विरोध में बेगमगंज स्तिथ जामिया इमाम जाफर सादिक़ में धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी की अध्यक्षता में शोकसभा का आयोजन किया गया।
जौनपुर,कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोशित है , मंगलवार को आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए 26 लोगों को शहीद कर दिया । दिल को दहला देने वाले इस आतंकी हमले के विरोध में बेगमगंज स्तिथ जामिया इमाम जाफर सादिक़ में धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी की अध्यक्षता में शोकसभा का आयोजन किया गया।
शोकसभा में मृतकों की आत्मा की शांति के लिए और घायलों की सलामती के लिए दुआ की गई । और इस घटना में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ बड़ी कार्यवाही की मांग किया ।
इस मौके पर धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले की हम सख़्त लफ़्ज़ों में निंदा करते हैं और जो लोग मारे गए हैं उनके परिजनों से हमदर्दी का इजहार करते हैं साथ ही घायलों को जल्दी स्वस्थ होने के लिए दुआ करते हैं।
उन्होंने कश्मीर की अवाम से अपील करते हुए कहा कि अमन और शांति बनाए रखें और आतंकवाद को खत्म करने में मदद करें , इसके साथ ही पर्यटकों की सुरक्षा का भी ध्यान रखें।
मौलाना ने केंद्र सरकार से भी अपील की है कि हमले के जिम्मेदार लोगों को खासकर पाकिस्तान को ऐसी सज़ा दिया जाए ताकि आने वाली उनकी नस्ले याद रखे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस मौके पर मौलाना अम्बर अब्बास खान , मौलाना शाजान ज़ैदी , मौलाना ज़ियाफ़्त हुसैन , शम्सुल हसन , सादिक़ रिज़वी , आक़िफ़ हुसैनी आदि के साथ बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे ।
कुरआन और रिवायात, मनुष्य की सभी आवश्यकताओं का संपूर्ण समाधान
काशान के वली फकीह के प्रतिनिधि, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सईद हुसैनी ने कहा है कि कुरान और हदीसें न केवल धार्मिक जीवनशैली के लिए मार्गदर्शक हैं, बल्कि मनुष्य की हर आवश्यकता का जवाब इनमें मौजूद है।
काशान के वली फकीह के प्रतिनिधि, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सईद हुसैनी ने कहा है कि कुरान और हदीसें न केवल धार्मिक जीवनशैली के लिए मार्गदर्शक हैं, बल्कि मनुष्य की हर आवश्यकता का जवाब इनमें मौजूद है।
उन्होंने यह बात काशान में इस्फ़हान के प्रतिष्ठित छात्रों के लिए आयोजित 43वें कुरान व अत्रत (पैगंबर के परिवार) और नमाज़ प्रतियोगिताओं के समापन चरण के अवसर पर कही। उनका कहना था कि ये प्रतियोगिताएं इस्लामी जीवनशैली को बढ़ावा देने और सामाजिक समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने शर्म, हिजाब और पवित्रता को इस्लामी नैतिकता का हिस्सा बताते हुए कहा कि हालांकि कुछ पश्चिमी विचारक जैसे रसेल, फ्रॉयड और विल ड्यूरेंट भी नैतिकता पर चर्चा करते हैं, लेकिन कुरान से भी इन सभी नैतिक सिद्धांतों को प्राप्त किया जा सकता है।
हुज्जतुल इस्लाम हुसैनी ने आगे कहा कि कुरान और हदीसें न केवल धार्मिक जीवनशैली के सिद्धांत, तरीके, आदतों और यहां तक कि रहने के ढंग तक का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, बल्कि हर वह चीज़ जो मनुष्य को चाहिए, कुरान और हदीसों में मौजूद है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें यह जानना चाहिए कि कुरान और अहल-ए-बैत ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लिए क्या निर्देश और उपाय प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कुरान प्रतियोगिताओं को धर्म की पहचान का प्रारंभिक चरण बताया, जो जीवन की इस्लामी शैली को समझने में सहायक हैं।
ईरान-अफ्रीका आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन में 50 अफ्रीकी अधिकारी शामिल हुए
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वैश्विक आर्थिक विकास में मंदी की चेतावनी दी है, विशेष रूप से अमेरिका में, जिसका कारण देश के राष्ट्रपति द्वारा अनिवार्य टैरिफ़ लागू किया जाना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की अप्रत्याशित टैरिफ नीति और देश के व्यापारिक साझेदारों की ओर से जवाबी कार्रवाई से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को भारी झटका लग सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को अंदाज़ा लगाया है कि इस वर्ष वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर धीमी होकर 2.8 प्रतिशत रह जाएगी, जो पिछले वर्ष की 3.3 प्रतिशत से कम है जो ऐतिहासिक औसत से काफी नीचे है।
अमेरिका में अपेक्षित आर्थिक मंदी और भी अधिक गंभीर होती जा रही है, जहां इसकी अर्थव्यवस्था केवल 1.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।
इंग्लैंड, ट्रेड वॉर के सबसे ज़्यादा शिकारों में
दूसरी ओर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने ताज़ा अंदाज़ों में चेतावनी दी है कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार युद्ध के सबसे बड़े पीड़ितों में से एक होगी और देश की आर्थिक वृद्धि अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
ईरान और ब्रिक्स के सदस्यों के बीच उच्च मात्रा में व्यापार
दूसरी ओर, ईरान के कृषि मंत्री ग़ुलाम रज़ा नूरी क़िज़िलजा ने कहा: इस्लामी गणतंत्रर ईरान और ब्रिक्स के सदस्यों के बीच कृषि और खाद्य के क्षेत्रों में व्यापार की मात्रा 13 अरब डॉलर से अधिक है जबकि नूरी क़िज़िलजेह के अनुसार, इस क्षेत्र में ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच व्यापार की मात्रा लगभग 160 बिलियन डॉलर है।
ईरान-अफ़्रीक़ा आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन में 50 अफ़्रीक़ी अधिकारी शामिल हुए
ईरान के व्यापार विकास संगठन के अफ़्रीक़ा कार्यालय के प्रमुख मोहम्मद रजा सफ़री ने मंगलवार को अफ़्रीक़ी महाद्वीप के साथ व्यापार विकसित करने के महत्व की ओर इशारा करते हुए तीसरे ईरान-अफ़्रीक़ा शिखर सम्मेलन के आयोजन और मेहमानों की उपस्थिति का ब्योरा प्रदान किया।
उन्होंने कहा: 38 से अधिक अफ़्रीक़ी देशों के 700 से अधिक व्यापारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पंजीकरण कराया। यह भी उम्मीद है कि इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 29 अफ़्रीक़ी देशों के 50 से अधिक अधिकारी ईरान आएंगे। तीसरा ईरान- अफ़्रीक़ा आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन रविवार, 27 अप्रैल को समिट हॉल में आयोजित किया जाएगा।
अफ़्रीक़ा, वैश्विक अर्थव्यवस्था का भावी गंतव्य
इस संबंध में, इस्लामी गणतंत्र ईरान की सरकार की प्रवक्ता फ़ातेमा मोहाजेरानी ने अफ्रीकी महाद्वीप को दुनिया के सबसे बड़े और सबसे आशाजनक बाजारों में से एक बताया, जो ईरान के ग़ैरपेट्रोलियम निर्यात को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स. का अख़लाक़
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स) पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.अ) के छठे उत्तराधिकारी और आठवें मासूम हैं आपके वालिद इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.) थे और माँ जनाबे उम्मे फ़रवा बिंतें क़ासिम इब्ने मुहम्मद थीं। आप अल्लाह की तरफ़ से मासूम थे। अल्लामा इब्ने ख़लक़ान लिखते हैं कि आप अहलेबैत (स.अ.) में से थे और आपकी फ़ज़ीलत, बड़ाई और आपकी अनुकम्पा, दया और करम इतना मशहूर है कि उसको बयान करने की ज़रूरत नहीं है।
आपका अख़लाक़
अल्लामा इब्ने शहर आशोब लिखते हैं कि एक दिन हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने अपने एक नौकर को किसी काम से बाज़ार भेजा। जब उस की वापसी में बहुत देर विलंब हुआ तो आप उस की तलाश में निकल पड़े, देखा कि वह एक जगह पर लेटा हुआ सो रहा है, आप उसे जगाने के बजाए उस के सरहाने बैठ गये और पंखा झलने लगे जब वह जागा तो आप ने उस से कहा कि यह तरीक़ा सही नही है। रात सोने के लिये और दिन काम करने के लिये है। आईन्दा ऐसा न करना। (मनाक़िब जिल्द 5 पेज 52)
आप उसी मासूम सिलसिले की एक कड़ी हैं जिसे अल्लाह तआला ने इंसानों के लिये आईडियल और नमूना ए अमल बना कर पैदा किया है। उन के सदाचार और आचरण जीवन के हर दौर में मेयारी हैसियत रखते हैं। उनकी ख़ास विशेषताएँ जिन के बारे में इतिकारों ने ख़ास तौर पर लिखा है वह मेहमान की सेवा, ख़ौरातो ज़कात, ख़ामोशी से ग़रीबों की मदद करना, रिश्तेदारों के साथ अच्छा बर्ताव करना, सब्र व हौसले के काम लेना आदि है।
एक बार एक हाजी मदीने आया और मस्जिदे रसूल (स) में सो गया। आँख खुली तो उसे लगा कि उस की एक हज़ार की थैली ग़ायब है उसने इधर उधर देखा, किसी को न पाया एक कोने इमाम सादिक़ (अ) नमाज़ पढ़ रहे थे वह आप के पहचानता नही था आप के पास आकर कहने लगा कि मेरी थैली तुम ने ली है, आप ने पूछा उसमें क्या था, उसने कहा एक हज़ार दीनार, आपने कहा कि मेरे साथ आओ, वह आप के साथ हो गया, घर आने के बाद आपने एक हज़ार दीनार उस के हवाले कर दिये वह मस्जिद में वापस आ गया और अपना सामान उठाने लगा तो उसे अपने दीनारों की थैली नज़र आई। यह देख वह बहुत शर्मिन्दा हुआ और दौड़ता हुआ इमाम की सेवा में उपस्थित हुआ और माँफ़ी माँगते हुए वह थैली वापस करने लगा तो हज़रत ने उससे कहा कि हम जो कुछ दे देते हैं वापस नही लेते।
इस ज़माने में तो यह हालात सब के देखे हुए है कि जब यह ख़बर होती है कि फलां सामान मुश्किल से मिलेगा तो जिस के लिए जितना संभव होता है वह ख़रीद कर रख लेता है। मगर इमाम सादिक़ (अ) के किरदार का एक पहलु यह है कि एक बार आप के वकील मुअक़्क़िब ने कहा कि हमें इस मंहगाई और क़हत में कोई परेशानी नही होगी, हमारे पास अनाज का इतना ज़खीरा है कि जो बहुत दिनों तक हमारे लिये काफ़ी होगा। आपने फ़रमाया कि यह सारा अनाज बेच डालो, उसके बाद जो हाल सबका होगा वही हमारा भी होगा। जब अनाज बिक गया तो कहा कि आज से सिर्फ़ गेंहू की रोटी नही पकेगी बल्कि उसमें आधा गेंहू और आधा जौ मिला होना चाहिये और जहाँ तक हो सके हमें ग़रीबों की सहायत करनी चाहिये।
आपका क़ायदा था कि आप मालदारों से ज़्यादा ग़रीबों की इज़्ज़त किया करते थे, मज़दूरों की क़द्र किया करते थे। ख़ुद भी व्यापार किया करते थे और अकसर बाग़ों में ख़ुद भी मेहनत किया करते थे। एक बार आप फावड़ा हाथ में लिये बाग़ में काम कर रहे थे, सारा बदन पसीने से भीग चुका था, किसी ने कहा कि यह फ़ावड़ा मुझे दे दीजिये मैं यह कर लूँगा तो आपने फ़रमाया कि रोज़ी कमाने के लिये धूप और गर्मी की पीड़ा सहना बुराई की बात नही है।
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ग़ैरों की ज़बानी
शियों के छठे इमाम का नाम, जाफ़र कुन्नियत (उपनाम), अबू अब्दुल्लाह, और लक़ब (उपाधि) सादिक़ है। आपके वालिद इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम और माँ जनाबे उम्मे फ़रवा हैं। आप 17 रबीउल् अव्वल 83 हिजरी में पैदा हुए और 114 हिजरी में इमाम बने। आपके ज़माने में बनी उमय्या के बादशाहों में हेशाम, वलीद, यज़ीद बिन वलीद, इब्राहीम इब्ने वलीद और मरवान हेमार थे। इसी तरह बनी अब्बास के बादशाहों में अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद सफ़्फ़ाह और मंसूर दवानिक़ी थे। इन बादशाहों में इमाम पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म मंसूर ने किया है।
उसके सिपाही कभी कभी आपके घर पर हमला करते थे और आपको खींचते हुए मंसूर के पास ले जाते थे। मंसूर इतना बदतमीज़ हो गया था कि एक दिन उसने आपके घर में आग लगवा दी जबकि आप घर से बाहर थे और आपके बीवी बच्चे घर के अन्दर ही थे। आख़िर कार 25 शव्वाल 148 हिजरी को मदीने मुनव्वरा में इमाम को अंगूर में ज़हर देकर शहीद कर दिया जबकि उस समय आपकी आयु 65 साल थी। आपको मदीने में बक़ीअ के क़ब्रिस्तान में दफ़्न कर दिया गया। यहाँ हम आपके सामने इस्लामी इतिहास और इस्लामी दुनिया के बड़े-बड़े उल्मा की निगाह में इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम का इल्मी मक़ाम (स्थान) बयान करना चाहते हैं।
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की बड़ाई, महानता और आपका बुलंद मक़ाम आपके शियों और शिया उल्मा की नज़र में बिल्कुल साफ़ है और इस बारे में उन्हे कोई शक नहीं है। शियों की नज़र में आप इतने महान हैं कि उनका मज़हब ही आपके नाम से जाना जाता है और उसे मकतबे जाफ़री या फ़िरक़ए जाफ़रिया कहा जाता है। अगर अपने उनकी तारीफ़ में कोई बात कहें तो कहा जाएगा कि यह तो उनके अपने हैं उन्हें तो उनकी तारीफ़ करना ही है, बात तो तब है जब दूसरे भी उनकी महानता बयान करें। इमाम को जहाँ अपने महान मानते हैं वहीं दूसरे सम्प्रदाय के मानने वालों, यहाँ तक कि आपके विरोधियों ने भी आपकी महानता को स्वीकार किया है। हम उनमें से कुछ उदाहरण पेश करते हैं।
- मंसूर दवानीक़ीः
वह इमाम की जान का जानी दुश्मन था लेकिन उनकी महानता और बुलंद मक़ाम को क़ुबूल करता था, उसका कहना हैः अल्लाह की क़सम जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अलैहिमस्सलाम) उन लोगों में से हैं जिनके बारे में क़ुरआने मजीद में आया हैः फिर हमनें इस किताब (क़ुरआने मजीद) का वारिस अपने ख़ास लोगों को बनाया। वह (इमामे सादिक़) उन लोगों में से थे जो ख़ुदा के ख़ास बन्दे थे और अच्छे काम अंजाम देने वालों में सबसे आगे थे। ( तारीख़े याक़ूबी- जि.3 पेज 17)
- मालिक इब्ने अनसः
मालकी फ़िरक़े के इमाम कहते हैं, मैं एक समय तक जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अलैहिस्सलाम) के पास जाता था और हमेशा उन्हें तीन हालतों में पाता था- या नमाज़ पढ़ रहे होते थे, या रोज़े की हालत में होते थे, या क़ुरआने मजीद की तिलावत कर रहे होते थे। मैंने उन्हे कभी बिना वुज़ू के कोई हदीस बयान करते हुए नहीं देखा। (इब्ने हजर अस्क़लानी, तहज़ीबुल तहज़ीब, बैरूत दारुल फ़क्र, जि.1 पेज 88) फिर वह कहते हैः इल्म, इबादत और तक़वे में इस आँख ने जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अलैहिस्सलाम) से अफ़ज़ल व श्रेष्ठ इन्सान नहीं देखा, इस कान नें उनसे ज़्यादा किसी के बारे में अच्छा नहीं सुना और इस दिल उनसे ज़्यादा किसी की महानता को क़ुबूल नहीं किया। (अल इमामुस सादिक़ वल मज़ाहिबुल अरबआ, हैदर असद, बैरूत, दारुल कुतुबुल अरबी, जि.1 पेज 53)
- इब्ने ख़लकानः
यह मशहूर इतिहासकार लिखता हैः वह शियों के एक इमाम, पैग़म्बर (स.) के घराने के एक अज़ीम इन्सान हैं और अपनी बात और अमल में सच्चा होने की वजह से उन्हे सादिक़ कहा जाता है। वह इतने ज़्यादा बड़ाई और अच्छाइयों के मालिक हैं कि उसे बयान करने की ज़रूरत नहीं है। (वफ़यातुल आयान, डाक्टर एहसान अब्बास, क़ुम, मंशूरात शरीफ़ुर्रज़ी, जि.1 पेज 328)
- अब्दुर्रहमान इब्ने अबी हातिम राज़ीः
वह कहते हैं कि मेरे पिता हमेशा कहा करते थे, जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.) इतने क़ाबिले ऐतबार व विश्वसनीय इन्सान हैं कि वह जो भी कहते हैं उस बारे में कोई सवाल नहीं किया जा सकता, यानी वह जो भी कहते हैं या बयान करते हैं वह सही होता है। (अल जरह वत तादील, जि.2, पेज 487)
- अबू हातिम मोहम्मद इब्ने हय्यानः
वह कहते हैः अहलेबैत (अ.) में जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.) फ़िक़्ह, इल्म और फ़ज़ीलत में बहुत अज़ीम इन्सान थे। (आलामुल हिदायः, जि. 1 पेज 22)
- अबू अब्दुर्रहमान असलमी कहते हैंः
जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.) अपने परिवार वालों में सबसे अफ़ज़ल व श्रेष्ठ थे, उनके पास बहुत ज़्यादा इल्म था, एक ज़ाहिद (सन्यासी) इन्सान थे, इच्छाओं से बिल्कुल दूर और हिकमत (ज्ञान एंव नीत) में संपूर्ण अदब के मालिक थे। (अल इमामुस् सादिक़ वल मज़ाहिबुल अरबआ, हैदर असद, बैरूत, दारुल कुतुबुल अरबी, जि.1 पेज 58)٫
- मोहम्मद इब्ने तलहा शाफ़ेईः
उन्होंने इमाम जाफ़र सादिक़ अ. की महानता और उनके मरतबे के बारे में बहुत ख़ूबसूरत बात कही है, वह कहते हैः जाफ़र इब्ने मोहम्मद (अ.) अहलेबैत के बुज़ुर्गों और उनके सरदारों में से थे, बहुत ज़्यादा क़ुरआन पढ़ा करते थे, उसकी आयतों के बारे में सोचते थे और इस दरिया से क़ीमती ख़ज़ाने निकालते थे और क़ुरआने करीम के छुपे हुए राज़ों और मोजिज़ों (रहस्यों और चमत्कारों) को सबके सामने बयान करते थे। उन्होंने अपने समय को इताअत, बन्दगी (आज्ञापालन व भक्ति) और दूसरे कामों के लिये बांटा हुआ था और उसका हिसाबो किताब भी करते थे। उन्हे देख कर इन्सान को क़यामत की याद आती थी और उनकी बातें सुन कर इन्सान का दुनिया से मुँह मोड़ने का दिल चाहता था।
जो उनके बताये रास्ते का अनुसरण करेगा उसके लिये जन्नत है। उनकी पेशानी में एक ऐसा नूर था जिससे मालूम होता था कि वह नुबूव्वत के पाक ख़ानदान से हैं और उनके नेक अमल से इस बात का अंदाज़ा होता था कि वह रिसालत की नस्ल से हैं। इस्लामी मज़हबों के इमामों और बुज़ुर्गों के एक गुट ने उनसे हदीसें नक़्ल की हैं और उनकी शागिर्दी की है और वह सब इस शागिर्दी पर गर्व करते थे और उसे अपने लिये एक फ़ज़ीलत और शरफ़ (सम्मान) समझते थे। उनके चमत्कार और उनकी विशेषताएं इतनी ज़्यादा हैं कि इन्सान उन्हे गिन नहीं सकता और इन्सान की अक़्ल उन तक पहुँच नहीं सकती। (अल इमामुस् सादिक़ वल मज़ाहिबुल अरबआ, हैदर असद, बैरूत, दारुल कुतुबुल अरबी, जि.1 पेज 23)
- बुख़ारीः
वह लिखते हैं, पूरी उम्मत उनकी बुज़ुर्गी और सरदारी पर सहमत है। (आलामुल हिदाया, जि.1, पेज 24- यनाबीउल मवद्दा क़न्दौज़ी, जि. 3, पेज 160)
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की उपाधि पहले से ही सादिक़ थी।
इमाम जाफ़र सादिक़ का नाम जाफ़र, आपकी कुन्नियत अबू अब्दुल्लाह, अबू इस्माईल और आपकी उपाधियां, सादिक़, साबिर व फ़ाज़िल और ताहिर हैं, अल्लामा मज़लिसी लिखते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. कि पैग़म्बरे इस्लाम स.अ ने अपनी ज़िंदगी में हज़रत इमाम जाफ़र बिन मोहम्मद (अ) को सादिक़ की उपाधि दी और उसका कारण यह था कि आसमान वालों के नज़दीक आप की उपाधि पहले से ही सादिक़ थी।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ 17 / रबीउल अव्वल 83 हिजरी में मदीना में पैदा हुए।
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की विलादत की तारीख को खुदा वंदे आलम ने बड़ा सम्मान और महत्व दिया है हदीसों में है कि इस तारीख़ को रोज़ा रखना एक साल रोज़ा रखने के बराबर है आपके जन्म के बाद एक दिन हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि मेरा यह बेटा उन कुछ ख़ास लोगों में से है कि जिनके वुजूद से ख़ुदा ने लोगों पर एहसान फ़रमाया और यह मेरे बाद मेरा जानशीन व उत्तराधिकारी होगा।
अल्लामा मज़लिसी ने लिखा है कि जब आप मां के पेट में थे तब कलाम फरमाया करते थे जन्म के बाद आप ने कल्मा-ए-शहादतैन ज़बान पर जारी फ़रमाया।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत
उल्मा के अनुसार 15 या 25 / शव्वाल 148 हिजरी में 65 साल की उम्र में मंसूर ने आपको ज़हर देकर शहीद कर दिया।
अल्लामा इब्ने हजर, अल्लामा इब्ने जौज़ी, अल्लामा शिब्लन्जी, अल्लामा इब्ने तल्हा शाफ़ेई लिखते हैं कि
مات مسموما ایام المنصور
मंसूर के समय में आप ज़हेर से शहीद हुए हैं। (1)
उल्मा-ए-शिया सहमत हैं कि आप को मंसूर दवानेक़ी ने ज़हर से शहीद कराया था, और आप की नमाज़ हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने पढ़ाई थी अल्लामा कुलैनी और अल्लामा मज़लिसी का फ़रमाते हैं कि आप अच्छा कफ़न दिया गया और आपको जन्नतुल बक़ीअ में उन्हें दफ़्न किया गया।
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(सवाएक़े मुहरेक़ा पेज 121, तज़केरा-ए-ख़वासुल उम्मः, नूरूल अबसार पेज 133, अर्जहुल मतालिब पेज 450
इमाम सादिक़ (अ) की नज़र में सब्र का महत्व
मदरसा इल्मिया महदिया खंदाब के शिक्षक ने एक अखलाक़ी निशिस्त मे सब्र का अर्थ और उसके गुणों को समझाया, इमाम जाफर सादिक (अ) की रिवायत के प्रकाश में शिययो के बीच धैर्य के गुण को समझाया।
मदरसा इल्मिया महदिया ख़नदाब की शिक्षिक सुश्री मरज़िया चगिनी ने मदरसा इल्मिया में आयोजित एक नैतिक सत्र में सब्र के विषय पर चर्चा करते हुए इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने (अ.) कहा: "हम धैर्यवान हैं, लेकिन हमारे शिया हमसे ज़्यादा धैर्यवान हैं, क्योंकि हमे जानते हैं और सब्र रखते हैं भले ही वे नहीं जानते कि क्या होने वाला है।"
उन्होंने कहा: यद्यपि सब्र अपने आप में एक सद्गुण है, यह हदीस सब्र की मात्रा की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जबकि सद्गुण हमेशा मात्रा पर निर्भर नहीं करता है।
मदरसा महदिया खंदाब की शिक्षक ने आगे कहा: कई शिया अज्ञानता के कारण ऐसी कठिनाइयों में पड़ जाते हैं, जिनमें उन्हें अपने विश्वास की रक्षा करने और खुद को बचाने के लिए सब्र रखने की आवश्यकता होती है। हालाँकि, वास्तविक गुण ईमानदारी में निहित है, और कोई भी पैगंबर, औलिया और इमामों से अधिक ईमानदार नहीं हो सकता है।
उन्होंने इमाम जाफ़र सादिक (अ) की हदीस की ओर इशारा करते हुए कहा, "वास्तव में, बुद्धि के स्तर के अनुसार पुरस्कार दिया जाता है," और कहा: अच्छे कर्मों का पुरस्कार भी बुद्धि के स्तर से संबंधित है, और जिस व्यक्ति के कार्य बुद्धि पर आधारित होते हैं, उसके कार्य बेहतर माने जाते हैं। इसलिए, जो व्यक्ति बुद्धि और जागरूकता के साथ धैर्य रखता है, वह उस व्यक्ति से अधिक गुणवान होता है जो केवल अज्ञानता के आधार पर धैर्य रखता है।
हिज़्बुल्लाह के कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष का ऐलान,फतह हमारा मुक़द्दर है
हिज़्बुल्लाह लेबनान की कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष शेख अब्दुल करीम ओबीद ने कहा, चाहे हमें कितनी भी कुर्बानियाँ देनी पड़ें हम शहीदों के रास्ते पर कायम रहेंगे और इंशाअल्लाह फतह हमारे सहयोगियों का मुक़द्दर होगी।
दक्षिणी लेबनान के शहर अलशर्किया में शहीद कमांडर अहमद अली शुऐब की बरसी के मौके पर आयोजित भव्य समारोह को संबोधित करते हुए शेख ओबैद ने आगे कहा,हम अपनी जान के साथ-साथ हर चीज़ को हक़ की राह में कुर्बान करने को तैयार हैं।
अगर कोई यह कहे कि तुम्हारा वक्त खत्म हो चुका है, तो हम साफ कह देंगे कि इज़राइल की मौजूदा हालत के मद्देनज़र ऐसी बातों का न तो कोई अमली फायदा है और न ही यह हमारी जद्दोजहद को रोक सकती हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, दुश्मन को हमारी सरज़मीन से निकालने की ज़िम्मेदारी हम सब पर आती है। यह रास्ता वाज़ेह है और यह मिशन हम सबका है।
अपने जज़्बाती संबोधन के अंत में शेख ओबीद ने ऐतिहासिक शब्दों में कहा,हमारी कुर्बानियाँ चाहे जितनी भी हों, हम शहीदों के नक्शे कदम पर चलते रहेंगे। अल्लाह के फज़्ल से आखिरी और निहायत फतह हमारे सहयोगियों के लिए ही होगी।